رضوی

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गुरुवार, 14 मार्च 2024 15:48

बंदगी की बहार- 3

पवित्र महीना रमज़ान, बंदों की डायरी के पेज की भांति है जो साल में एक बार बार खोली जाती है।

इस डायरी में प्यास की कहानी लिखी होती और इसमें महान ईश्वर से मांगी गयी हर हर दुआ और उपासना के हर हर क्षण लिखे हुए हैं। रमज़ान का महीना, परिज्ञान के सांचे में इंसान के व्यस्क होने का महीना है। परिज्ञान, रमज़ान की सीमा में प्रविष्ट होने की चाभी का नाम है।

रमज़ान का सूर्य अपनी बरकतों के साथ उदय हो रहा है और जैसे ही यह सूरज दुनिया पर अपनी पहली किरण बिखरता है तभी लाखों हाथ आकाश की ओर उठ जाते हैं और कहते हैं कि हे मेरे पालनकार मैंने तुझसे सृष्टि के आरंभ में जो वादा किया था उसे अपने पापों की आग से तोड़ दिया, अब जब कि आसमान के द्वार खुले हुए हैं, रोज़े और नत्मस्तक होने के स्वाद से मेरे अंगों को स्वादिष्ट कर दे, मेरी आंख तेरे अलावा किसी को न देखे, मेरे कान तेरे अतिरिक्त किसी का न सुनें, मैं एक बार फिर तेरे दस्तरख़ान पर आ गया, क्योंकि तुझने ही मुझे आमंत्रित किया है।

रमज़ान का महीना चल रहा है, हर ओर से दुआओं की आवाज़े सुनाई दे रही हैं, हे मेरे पालनहार मुझे क्षमा कर दे और मेरे पापों को माफ़ कर दे, दुआएं, प्रेम और संदेशों का आदान प्रदान करने वाली होती हैं। दुआ में ही व्यक्ति अपने पालनहार के समक्ष, गिड़गिड़ाकर अपने दिल को खोलकर रख देता है, अपने दिल के भीतर मौजूद सारी चीज़ों को सामने रख देता है, अपने पापों की क्षमायाचना करता है, अपने लिए दुआएं करता है, ख़ुद को पापी समझता है और ईश्वर से अपने पिछड़ने का दर्द बयान करता है, ईश्वर से अपना शिकवा और शिकायत करता है, धोखा दिए जाने, मक्कारी में फंसने और बेवफ़ाइयों की कहानियां सुनाता है, इस प्रकार से वह अपने दिल में छिपे दर्दों को शांत करता है। सूरए ग़ाफ़िर की आयत संख्या 60 में ईश्वर कहता है कि तुम्हारे पालनहार ने तुमसे कहा है कि दुआ करो मैं तुम्हारी दुआओं को स्वीकार करूंगा।

ईश्वर से दुआ है कि इस पवित्र महीने में हमारी उपासनाओं और दुआओं को स्वीकार करे और हमें भले काम करने का सामर्थ्य प्रदान करे। मनुष्य अपने जीवन में हमेशा से दुआओं से लगा रहा है और इतिहास इस बात का साक्षी है कि उसने दुआओं के ज़रिए ही अपने मन की बात ईश्वर के सामने रखी है।

यह बात केवल मुसलमानों से विशेष नहीं है, इंसान दुआ द्वारा अपने अक्षम अस्तित्व को कभी समाप्त न होने वाले गंतव्य से जोड़ देता है और इस प्रकार वह हर प्रकार की समस्याओं के मुक़ाबले में डट जाता है और इस आत्मिक व अध्यात्मिक शक्ति द्वारा अपनी समस्त समस्याओं और आवश्यकताओं को सर्वसमर्थ ईश्वर के दरबार में तुच्छ समझता है और सिर्फ़ उससे ही सहायता की गुहार लगाता है और इस प्रकार से वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में अधिक मज़बूत हो जाता है।

यद्यपि बंदे की ओर से आवश्यकता का आभास और उसकी आवश्यकताओं को दूर करने की शक्ति ईश्वर में पायी जाती है किन्तु दोनों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए दुआ और दिल की बात करने का क्रम और अधिक मज़बूत होता है। इस विषय की मनोचिकित्सक और विद्वान भी पुष्टि करते हैं। यही काफ़ी है कि मनुष्य अपनी आवश्यकता और ग़रीबी को पहचाने और उसे यह विश्वास होना चाहिए कि उसकी दुआओं को सुनने वाला कोई है और अपनी शक्ति और दया तथा कृपा से उसकी दुआओं को सुनेगा। पवित्र क़ुरआन के सूरए बक़रा की आयत संख्या 186 में कहा गया है कि और हे पैग़म्बर, यदि मेरे बंदे तुमसे मेरे बारे में सवाल करें तो मैं उनसे निकट हूं, पुकारने वाले की आवाज़ सुनता हूं जब भी पुकारता है, इसीलिए मुझसे मांगे और मुझपर ही ईमान व विश्वास रखें कि शायद इस प्रकार सही मार्ग पर आ जाएं।

अगर रोज़ेदार इस महीने में अपने भीतर किसी परिवर्तन का आभास न करे तो उसे यह समझ लेना चाहिए कि यह स्वयं उसकी ग़लती है। इसलिए कि रमज़ान ईश्वरीय अनुकंपाओं और रहमत का महीना है और इस महीने में आसमान के द्वार ज़मीन वालों के लिए खुल जाते हैं। अतः वह कितना आलसी बंदा है जो ईश्वरीय बरकतों और रहमतों में से कुछ भी हासिल नहीं कर सका। अगर यह सही है तो इंसान को ईश्वर से दुआ करना चाहिए कि उसके पापों को क्षमा कर दे और उसे अपनी असीम दया कर पात्र बनाए।

रमज़ान मुबारक व्यक्तिगत और सामाजिक नैतिकता में सुधार का बेहतरीन अवसर है। अगर इंसान इस महीने में अपने व्यवहार पर नज़र डाले और नैतिकता को अपने मन में बसा ले तो इस महीने के बाद भी वह इसे जारी रख सकता है। इन नैतिकताओं में से एक अपने मातहतों के साथ अच्छा बर्ताव करना है। इस्लामी शिक्षाओं में अपने अधीन लोगों के साथ कठोरतापूर्ण व्यवहार न करने को ईमान वालों का गुण और अपने अधीन लोगों पर अत्याचार करने को नादान लोगों की विशेषता क़रार दिया गया है। पैग़म्बरे इस्लाम ने इस संदर्भ में फ़रमाया है, इस महीने में जो कोई भी अधीन लोगों के साथ विनम्रतापूर्ण व्यवहार करेगा, ईश्वर उसके साथ विनम्रता से पेश आएगा।

प्रसिद्ध शायर और विचारक अल्लामा इक़बाल लिखते हैं कि दुआ चाहे व्यक्तिगत हो या सामूहिक, ख़ामोशी में जवाब हासिल करने के लिए मनुष्य की भीतरी उत्सुकता का चिन्ह है। ऐसे लोग कम नहीं हैं जो ईश्वर पर विश्वास नहीं रखते हैं किन्तु भीतर दुखों और दर्दों को शांत करने के लिए अपने दिल की आवाज़ को दुआ की सांचे में पेश करते हैं। इन हालात में यद्यपि इस प्रकार के पुकारने को दुआ तो नहीं कहा जा सकता किन्तु यह मनुष्य के लिए दुआ की आवश्यता को ज़ाहिर करता है।

इस आधार पर यदि हम दुआ की समग्र और व्यापक परिभाषा पेश करना चाहें तो यह कहना पड़ेगा कि दुआ, आवश्यकताओं को पूरा करने और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ईश्वर के लिए प्रेम ज़ाहिर करना है। फ़्रांसीसी डाक्टर कार्ल का कहना है कि दुआ अपने उच्च चरण में, अपनी मांग की सतह से ऊपर जाती है, मनुष्य अपने पालनहार के समक्ष यह दिखाता है कि वह उसे पसंद करता है, उसकी अनुकंपाओं पर आभार व्यक्त करता है और इस बात के लिए तैयार है अपनी मांग को चाहे जो भी हो, अंजाम दे।

ईश्वरीय महापुरुषों की नज़र में दुआ, उपासना के अतिरिक्त कुछ और नहीं है यहां तक कि दुआ में अधिक ध्यान दिया जाता है, इस बात के दृष्टिगत इसीलिए कुछ उपासनाओं पर इसको प्राथमिकता प्राप्त है। पैग़म्बरे इस्लाम के हवाले से एक रिवायत है कि दुआ उपासना की बुद्धि की जगह है।

ईश्वर की उपासना और उसकी इबादत का स्रोत, इंसान की प्रवृत्ति में पाया जाता है। इस प्रकार से दुनिया के समस्त मनुष्यों में उपासना और बंदगी की भूमिका पायी जाती है किन्तु कुछ लोग उसके कारकों को सक्रिय बना देते हैं और सर्वसमर्थ व अनन्य ईश्वर के समक्ष नतमस्तक हो जाते हैं और कुछ लोग इसकी परवाह ही नहीं करते। हज़रत अली अलैहिस्सलाम ज्ञान और दूरदर्शिता को इबादत और उपासना की मुख्य भूमिका क़रार देते और कहते हैं कि ज्ञान का फल, उपासना है।

उपासना, त्याग और बलिदान का पाठ सिखाती है, यह हालत उस समय मनुष्य में पैदा होती है जब वह महान व सर्वसमर्थ ईश्वर की महानता, वैभता और उसकी दयालुता को समझ जाता है। इस आधार पर ईश्वर की उपासना और बंदगी, ईश्वर की सही पहचान से निकलती है। इस संबंध में पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत अली अलैहिस्सलाम को संबोधित करते हुए कहते हैं कि ज्ञान के साथ दो रकअत नमाज़, अज्ञानता के साथ सत्तर रकअत नमाज़ से बेहतर है।

मार्गदर्शन और परिपूर्णता के मार्ग में इंसान के सामने आने वाली बुराइयों में से एक ईश्वर से आवश्यकता मुक्ति का आभास होना है। आवश्यकता मुक्ति की भावना मनुष्य और ईश्वर के संबंधों को विच्छेद कर देती है और इसके परिणाम में ईश्वरीय मार्गदर्शन से लाभ उठाने का अवसर हाथ से निकल जाता है। यही कारण है कि जो व्यक्ति स्वयं को आवश्यकता मुक्त समझने लगता है वह बाग़ी और विद्रोही हो जाता है। पवित्र क़ुरआन की आयत में आया है कि हे लोगो तुम सभी को ईश्वर की आवश्यकता है और वह आवश्यकता मुक्त है।

पवित्र रमज़ान की सुबह सभी विशेषताओं और गुणों को एक साथ एकत्रित कर देती हैं क्योंकि रात के अंतिम समय में उपासना का महत्व ही अलग है और वह रमज़ान में हो तो अलग ही है। इसीलिए पवित्र रमज़ान की रात के अंतिम समय में इबादत का सवाब ही अलग है और इस समय दुआएं स्वीकार होती हैं।

पैग़म्बरे इस्लाम के हवाले से रिवायत है कि रात के तीसरे पहर से सुबह होने तक ईश्वर पुकारता है क्या कोई मांगने वाला है जिसकी मांग मैं पूरी करूं, क्या कोई पापों की क्षमा मांगने वाला है जिसके पापों को मैं माफ़ कर दूं? क्या कोई आशा रखे हुए है जिसकी आशा मैं पूरी कर दूं? क्या किसी के दिल में कोई कामना है कि उसकी कामना मैं पूरी कर दूं?

ईरानी अधिकारी ने कहा है कि राजनीतिक से प्रेरित काम, किसी भी विषय की वास्तविकता को बदल नहीं सकता।

काज़िम ग़रीबाबादी ने कहा है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, राष्ट्रसंघ की तथाकथित तथ्यपरक टीम को मान्यता नहीं देता है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ में ईरान के मानवाधिकार आयोग के प्रमुख ने कहा है कि उनका देश उस तथाकथित तथ्यपरक समिति को मान्यता नहीं देता है जिसका गठन राजनीतिक उद्देश्यों से किया गया है।

ग़रीबाबादी के अनुसार संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने सन 2023 में पश्चिमी देशों की अवैध मांगों का अनुसरण करते हुए मानवाधिकारों के हनन की भेंट चढे लोगों को अधिक दुख में डाल दिया।  अब वह हस्तक्षेप के लिए राजनीतिक हथकण्डे में बदल गया है।

राष्ट्रसंघ मे ईरान के मानवाधिकार आयोग के प्रमुख ने कहा कि तेहरान इस बात की पुष्टि करेगा कि राजनीतिक से प्रेरित काम, किसी विषय की वास्तविकता को बदल नहीं पाएंगे।

इससे पहले राष्ट्रसंघ की तथ्यपरक समिति के संदर्भ में ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने कहा था कि ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के बजाए इस समिति को पश्चिमी देशों में किये जा रहे मानवाधिकारों के हनन की जांच करनी चाहिए।

ज्ञात रहे कि ईरान में पिछले वर्ष होने वाले उपद्रव के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए राष्ट्रसंघ की तथाकथित तथ्यपरक टीम ने ईरान में मानवाधिकारों के हनन का दावा किया है।   

राष्ट्रपति रईसी ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अधिक विकास पर बल दिया है।

सैयद इब्राहीम रईसी कहते हैं कि शत्रु, इस्लामी गणतंत्र ईरान को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में पिछड़ा रखना चाहते हैं।

बुधवार को ईरान के मेधावियों और बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रईसी ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में विकास मार्ग पर आगे बढ़ते रहने की बात कही।

उन्होंने कहा कि समस्याओं का मुक़ाबला करते समय आसानी से मैदान छोड़कर भागना नहीं चाहिए बल्कि अपने संघर्ष को जारी रखना चाहिए।  उनका कहना था कि कड़े संघर्ष के साथ अपने समाज में मेधावियों और बुद्धिजीवियों को आशा का दीप जलाना चाहिए तथा निराशा को शत्रुओं के लिए रखना चाहिए।

ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान और तकनीक के मार्ग पर हमको पूरी दृढ़ता के साथ आगे की ओर बढते रहना चाहिए।  उनका कहना था कि आज दुनिया में इरादों की लड़ाई है। दुश्मन नहीं चाहते हैं कि ईरान, विकास और प्रगति करे, लेकिन ईरानी लोग मज़बूत इरादों के साथ अपने मार्ग पर डटे हुए हैं।

याद रहे कि आज की बैठक में उन मेधावियों और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया जो इस्लामी गणतंत्र ईरान में वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से विकास मार्ग को आगे बढ़ाने के लिए हालिया वर्षों में पश्चिमी देशों से ईरान वापस आए हैं।

ग़ज़ा युद्ध में फ़िलिस्तीनियों के समर्थन और लेबनान में इस्राईली हमलों के जवाब में हिज़्बुल्लाह ने लेबनानी सीमा के पास कई इस्राईली लक्ष्यों को निशाना बनाया है।

हिज़्बुल्लाह ने इस्राईली लक्ष्यों पर किए गए मिसाइल हमलों के वीडियो भी जारी किए हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि मिसाइल, इस्राईली सैन्य ठिकानों को नष्ट कर रहे हैं। 

बुधवार को हिज़्बुल्लाह के तोपख़ाने ने हनीता के पूर्व में दुश्मन ज़ायोनी सैनिकों की एक बैठक को निशाना बनाया। हमले के बाद इस साइट से धुएं के बादल उठते दिखाई दिए।

बुधवार को ही शाम में हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों ने अवैध क़ब्ज़े वाले लेबनानी शेबा फ़ार्म्स में इस्राईली सेना की बैरक को फ़लक मिसाइल से निशाना बनाया, जो सीधा लक्ष्य पर जाकर लगा।

बुधवार को ही उसके बाद, अवैध क़ब्ज़े वाली कफ़रशुबा की पहाड़ियों में स्थित रुवैसत अल-आलम साइट को मिसाइलों से निशाना बनाया गया।

हिजबुल्लाह से संबंधित मीडिया ने इन हमलों के तीन वीडियो फ़ुटेज जारी किए हैं, जिनमें इस्लामी प्रतिरोध के हमलों में इस्राईल की सैन्य साइटों को नष्ट होते हुए देखा जा सकता है।

लेबनान के दक्षिणी शहर तायर में एक कार पर इस्राईली ड्रोन हमले में हमास के नेता हादी अली मोहम्मद मुस्तफ़ा शहीद हो गए हैं।

लेबनान में हमास की शाख़ा का कहना है कि इस्राईली ड्रोन हमले में उसके एक सदस्य और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई है।

लेबनानी मीडिया का कहना है कि हमले के दौरान कार के निकट से गुज़रने वाले एक मोटरसाइकल सवार व्यक्ति की भी मौत हुई है।

ज़ायोन सेना ने इस ड्रोन हमले की ज़िम्मेदारी स्वीकार कर ली है।

टेलीग्राम पर एक बयान में ज़ायोनी सेना ने हमास के सदस्य मुस्तफ़ा को एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बताया है, जिन्होंने दुनिया भर में इस्राईल के हितों को निशाना बनाया था।

ग़ौरतलब है कि 7 अक्तूबर को क़ब्ज़े वाले इलाक़ों में हमास के अल-अक़सा स्टॉर्म ऑप्रेश के बाद इस्राईल ने जहां ग़ज़ा के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया वहीं, लेबनान में प्रतिरोधी संगठनों पर भी हमले तेज़ कर दिए।

हालांकि हिज़्बुल्लाह समेत लेबनान में मौजूद प्रतिरोधी गुटों ने इस्राईली हमलों का मुंह तोड़ जवाब दिया है और वे क़रीब हर दिन इस्राईली लक्ष्यों को निशाना बना रहे हैं।

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क़ानून सहित किसानों की मांगों को लेकर गुरुवार को हज़ारों की संख्या में किसान दिल्ली के रामलीला मैदान में जुटे हैं।

किसानों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने किए यह क़दम उठाया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, किसान मज़दूर महांपचायत नाम के इस सम्मेलन में किसानों ने कृषि से संबंधित केंद्र की बीजेपी सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए सरकार के विरोध में नारे लगाए हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा, 37 कृषि संघों का एक समूह है, जिसने 22 फ़रवरी को चंडीगढ़ में एक बैठक में दिल्ली में महापंचायत का आह्वान किया था।

तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में साल 2020-21 में दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के हुए प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का कहना है कि किसान मज़दूर महापंचायत में केंद्र सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ लड़ाई तेज़ करने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

नई ​दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास मौजूद रामलीला मैदान में यह रैली आयोजित करने के लिए पुलिस ने इस शर्त पर मंज़ूरी दी है कि इसमें 5,000 से अधिक लोग नहीं जुटेंगे, आयोजन स्थल तक कोई ट्रक या ट्रॉली नहीं ले जाई जाएगी और न ही मैदान में कोई मार्च किया जा सकेगा।

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह का कहना है कि ग़ज्ज़ा युद्ध में ज़ायोनी सेना बेहाल हो चुकी है।

बुधवार को सैयद हसन नसरुल्लाह ने टीवी पर अपने संबोधन में कहाः हर मोर्चे पर इस्राईली सेना की हालत बहुत बेहाल हो चुकी है। दुश्मन के विशेषज्ञों ने रणनीतिक हार को स्वीकार करने पर ज़ोर दिया है।

ग़ौरतलब है कि 7 अक्तूबर को अवैध क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में हमास के अल-अक़सा ऑप्रेशन के आरंभ होने के बाद से इस्राईल ने ग़ज्ज़ा के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध छेड़ दिया था, लेकिन 5 महीने का समय बीत जाने के बाद भी हमास को नष्ट करने सहित वह अपने किसी भी घोषित लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका है।

हालांकि ज़ायोनी सेना ने ग़ज़ा में बड़े पैमाने पर फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार किया है और पूरे इलाक़े को वीरान कर दिया है।

हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने अपने भाषण में कहाः ग़ज़्जा जो प्रतिरोध और संघर्ष कर रहा है वह किसी चमत्कार से कम नहीं है और वहां से दुनिया आश्चर्यचकित करने वाले दृश्य देख रही है। यह क़ुरान की संस्कृति है और यह पूरी दुनिया के लिए एक स्पष्ट प्रमाण है।

सैयद हसन नसरुल्लाह का कहना था कि इस्राईली सेना को उससे कहीं ज़्यादा नुक़सान पहुंचा है, जिसका उसने एलान किया है। उन्होंने कहा कि हम अपने शहीदों की घोषणा लाइव ब्रोडकास्ट में करते हैं, जबकि दुश्मन अपने मृतकों की संख्या को छिपाता है, जिसका ज़ायोनी सेना पर असर पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि उत्तरी मोर्चे पर इस्राईल ने अपने जानी और माली नुक़सान पर भारी पर्दा डाल रखा है।

सैयद हसन नसरुल्लाह का कहना था कि पांच महीने के युद्ध के बाद, इस्राईली सेना के पास सैनिकों की कमी है और वह 14,500 अधिकारियों और सैनिकों की भर्ती करना चाहती है, यहां तक कि वह अति-रूढ़िवादी यहूदियों को प्राप्त सेना में भर्ती की छूट को भी समाप्त करना चाहती है। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि कौन यकीन करेगा कि जो बाइडेन गज्जा युद्ध को बंद नहीं करवा सकते हैं। उन्होंने कि कहा कि बाइडेन एक सेकेंड से कम की अवधि में गज्जा युद्ध और जायोनी सरकार के अपराधों को बंद करवा सकते हैं।

हिज्बुल्लाह के महासचिव ने अमेरिकी सरकार को मूर्ख सरकार की संज्ञा दी और कहा कि बेहतर है कि वाशिंग्टन गज्जा युद्ध को बंद कराये। उन्होंने कहा कि गज्जा युद्ध को बंद कराने की शर्त बुद्धिमता, मानवप्रेम,धार्मिक और तार्किक है। उन्होंने कहा कि आज फिलिस्तीन के समस्त गुट और गज्जावासी जायोनी सरकार के अतिक्रमणों व अपराधों के बंद किये जाने के इच्छुक हैं और यह बंद अस्थाई नहीं होना चाहिये। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि मामला केवल बंदियों के आदान- प्रदान तक सीमित नहीं है बल्कि जायोनी सरकार का अतिक्रमण पूर्णरूप से बंद होना चाहिये और इस पर सबको ध्याना देना चाहिये और हम बल देकर कहते हैं कि हम समस्त फिलिस्तीनी गुटों और हमास के नेताओं के साथ हैं और इस गुट की कानूनी शर्तों का समर्थन करते हैं।

उन्होंने कहा कि आज जो कुछ गज्जा में हो रहा है वह पूरे विश्ववासियों के लिए सीख है और अलअक्सा तूफान की बड़ी उपलब्धियों पर ध्यान देना चाहिये। उन्होंने कहा कि यह 6ठां महीना है जब नेतनयाहू कह रहे हैं कि अगर रफह पर हमला नहीं करेंगे तो युद्ध हाथ से चला जायेगा, उन्होंने कहा कि मैं नेतनयाहू से कहता हूं कि अगर रफह पर हमला किया तो जंग हार जाओगे और न हमास को खत्म कर सकते हो और न ही प्रतिरोध को।

इसी प्रकार उन्होंने कहा कि जायोनी दुश्मन की हार की एक अलामत यह है कि वे गज्जा युद्ध के 6ठें महीने में हमास से बात कर रहे हैं।

ईरान, चीन और रूस की नौसेनाएं समुद्री सुरक्षा और विशेषकर उत्तरी हिंद महासागर की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने के लिए एक नया नौसैनिक अभ्यास कर रही हैं।

2024 समुद्री सुरक्षा बेल्ट समग्र अभ्यास, ईरान, रूस और चीन की नौसेनाओं द्वारा शांति और सुरक्षा स्थापित करने के लिए एक साथ के नारे के तहत उत्तरी हिंद महासागर में 17,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में आयोजित किया जा रहा है। यह सैन्य अभ्यास शुक्रवार तक जारी रहेगा।

एडमिरल मुस्तफ़ा ताजुद्दीनी ने 2024 समुद्री सुरक्षा बेल्ट समग्र अभ्यास के बारे में एक टीवी कार्यक्रम में कहा कि क्षेत्रीय देश पहल के आधार पर इस अभ्यास के आयोजन से प्रसन्न हैं।

एडमिरल ताजुद्दीनी का कहना था कि 2024 समुद्री सुरक्षा बेल्ट समग्र अभ्यास, समुद्र में संचार लाइनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और समुद्री चोरी और आतंकवाद की घटनाओं से निपटने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि 3 मुख्य देश ईरान, चीन और रूस और पर्यवेक्षक के रूप में पांच देश ओमान, दक्षिण अफ्रीक़ा, पाकिस्तान, क़ज़ाकिस्तान और आज़रबाइजान इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं।

आने वाले वर्षों में मुख्य सदस्य के रूप में भूमिका निभाने के लिए इन पांच पर्यवेक्षक देशों ने अभ्यास की गुणवत्ता की विशेष समीक्षा करने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं।

2024 समुद्री सुरक्षा बेल्ट समग्र अभ्यास के प्रवक्ता ने कहा कि अपहृत जहाज़ों की रिहाई का अभ्यास, आख़िरी दिन सबसे महत्वपूर्ण अभ्यास होगा।

 

 

हिज़्बुल्लाह के नेता सैयद हसन नसरुल्लाह का कहना है कि ग़ज़ा युद्ध में ज़ायोनी सेना का हाल, बेहाल हो चुका है।

बुधवार को हसन नसरुल्लाह ने टीवी पर अपने संबोधन में कहाः हर मोर्चे पर इस्राईली सेना की हालत बहुत ख़स्ता है। दुश्मन के विशेषज्ञों ने रणनीतिक हार को स्वीकार करने पर ज़ोर दिया है।

ग़ौरतलब है कि 7 अक्तूबर को अवैध क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में हमास के अल-अक़सा ऑप्रेशन के बाद से इस्राईल ने ग़ज़ा के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध छेड़ दिया था, लेकिन 6 महीने बाद भी हमास को नष्ट करने समेत वह अपने किसी भी घोषित लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका है।

हालांक ज़ायोनी सेना ने ग़ज़ा में बड़े पैमाने पर फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार किया है और पूरे इलाक़े को वीरान कर दिया है।

 

हिज़्बुल्लाह प्रमुख ने अपने भाषण में कहाः ग़ज़ा कि जो प्रतिरोध और संघर्ष कर रहा है वह किसी चमत्कार से कम नहीं है, जहां से दुनिया आश्चर्यचकित करने वाले दृश्य देख रही है। यह क़ुरान की संस्कृति है और यह पूरी दुनिया के लिए एक दिव्य प्रमाण है।

हसन नसरुल्लाह का कहना था कि इस्राईली सेना को उससे कहीं ज़्यादा नुक़सान पहुंचा है, जिसकी उसने घोषणा की है। उन्होंने कहा कि हम अपने शहीदों की घोषणा लाइव ब्रोडकास्ट में करते हैं, जबकि दुश्मन अपने मृतकों की संख्या को छिपाता है, जिसका ज़ायोनी सेना पर असर पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि उत्तरी मोर्चे पर इस्राईल ने अपने जानी और माली नुक़सान पर भारी पर्दा डाल रखा है।

नसरुल्लाह का कहना था कि पांच महीने के युद्ध के बाद, इस्राईली सेना के पास सैनिकों की कमी है और वह 14,500 अधिकारियों और सैनिकों की भर्ती करना चाहती है, यहां तक कि वह हरेदीम यानी अति-रूढ़िवादी यहूदियों को प्राप्त सेना में भर्ती की छूट को भी समाप्त करना चाहते हैं।

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाई हैं।

اَللّهُمَّ قَرِّبْني فيہ اِلى مَرضاتِكَ وَجَنِّبْني فيہ مِن سَخَطِكَ وَنَقِماتِكَ وَوَفِّقني فيہ لِقِرائَة اياتِِكَ بِرَحمَتِكَ يا أرحَمَ الرّاحمينَ.

अल्लाह हुम्मा क़र्रिबनी फ़ीहि इला मरज़ातिक, व जन्निबनी फ़ीहि मिन सख़तिका व नक़िमातिक, व वफ़ फ़िक़्नी फ़ीहि ले क़िराअति आयातिक, बे रहमतिका या अरहमर्राहिमीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! मुझे इस महीने में अपनी ख़ुशनूदी से क़रीब कर दे और अपनी नाराज़गी और इंतक़ाम से दूर कर दे और तेरे (क़ुरआनी) आयतों की तिलावत करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमा, ऐ रहम करने वालों में सबसे ज़ियादा रहम करने वाले,