
رضوی
ग़़ज़ा में भुखमरी को हथियार बनाने की इस्राईल की साज़िश
ग़ज़ा पट्टी में मानवीय स्थिति के बिगड़ने और फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ भोजन और दवा को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की ज़ायोनी शासन की साज़िश से पर्दा उठने के बाद विश्व समुदाय यहां तक कि इस शासन के कुश पश्चिमी समर्थक सदमे में हैं।
ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन भुखमरी को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है और वह भोजन और दवा की डिलीवरी को रोकने के गंभीर परिणामों की चेतावनी के बावजूद अपनी इस साज़िश पर अमल कर रहा है। यूरोपीय संघ की आयुक्त एलिसा फ़रेरा ने इस साज़िश से पर्दा उठाते हुए यूरोपीय संसद को इसके भयानक परिणामों से अवगत करवाया है। उन्होंने ग़ज़ा में युद्ध विराम, तत्काल रूप से मानवीय सहायता बढ़ाने और क़ैदियों को रिहा करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
यूरोपीय संघ की आयुक्त का कहना था कि जो कोई भी ग़ज़ा की स्थिति के बारे में चिंतित है, उसे ग़ज़ा को सहायता भेजने के लिए इस्राईल पर दबाव डालना चाहिए। फ़रेरा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ग़ज़ा में निर्दोष नागरिकों को भूख और ज़ायोनी सेना की हिंसा से बचाने के लिए व्यवहारिक क़दम उठाने चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि यूरोपीय संघ फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) के साथ सहयोग जारी रखेगा। फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) ने घोषणा की है कि अगर इस एजेंसी का फिर से समर्थन शुरू नहीं किया गया, तो वह जल्द ही अपनी गतिविधियां बंद कर देगी। अमरीका, इंग्लैंड और जर्मनी सहित कई पश्चिमी देशों ने यूएनआरडब्ल्यूए के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन के आरोपों के आधार पर इसके साथ सहयोग बंद कर दिया है। इस्राईल ने अपने इन सहयोगियों के इस क़दम का स्वागत किया है। इससे पता चलता है कि इस्राईल, ग़ज़ा के पीड़ित लोगों की सहायता के लिए बढ़ने वाले हर हाथ को काट देना चाहता है।
यूएनआरडब्ल्यूए को वित्तीय सहायता बंद करने और उसके बाद युद्ध की कठिन परिस्थितियों में फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए इस अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी की सेवाओं को रोकने से फ़िलिस्तीनियों की स्थिति पहले से कहीं अधिक कठिन हो जाएगी, जिन्हें तत्काल बुनियादी चीज़ों की ज़रूरत है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक़, कुपोषण और पानी की कमी के कारण ग़ज़ा पट्टी के उत्तर में अब तक 23 बच्चों की मौत हो चुकी है। ग़ज़ा पर ज़ायोनी सेना के हमलों में मरने वालों और घायलों के भयावह आंकड़े क्रमश: 31 हज़ार और 72 हज़ार को पार कर गए हैं।
ज़ायोनी शासन और उसके समर्थकों का ग़ज़ा को सहायता भेजने से रोकने का निर्णय दर्शाता है कि ग़ज़ा वासियों और प्रतिरोध के ख़िलाफ़ युद्ध की विफलता के बाद इस्राईल और उसके समर्थक फ़िलिस्तीनोयों की इच्छा शक्ति को कमज़ोर करना चाहते हैं और लोगों को प्रतिरोध के ख़िलाफ़ खड़ा करने के लिए मजबूर करना चाहता हैं।
इस्राईल अपना कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं कर सका : ईरान
ईरान के विदेशमंत्री ने प्रतिरोधकर्ता गुटों को दिए अपने संदेश में कहा है कि ज़ायोनी दुश्मन अब तक अपने किसी भी लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया है।
ईरानी विदेशमंत्री ने अपने संदेश में लेबनान और फ़िलिस्तीन के दृढ़ और धैर्यवान लोगों को रमज़ान के पवित्र महीने की बधाई देते हुए दृढ़ता के शहीदों को श्रद्धांजलि दी है।
हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने लेबनान के हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह, हमास आंदोलन के प्रमुख इस्माईल हनिया और जेहादे इस्लामी ज़ियाद नख़ाला के प्रमुख को संबोधित करते हुए कहा है कि दुनिया के मुसलमानों ने रमज़ान के महीने का ऐसे में स्वागत किया है कि अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन मानवता के खिलाफ अपराध करना जारी रखे हुए है और फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों, विशेषकर ग़ज़्ज़ा की महिलाओं और बच्चों का नरसंहार कर रहा है और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद सहित किसी भी अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई को स्वीकार नहीं कर रहा है।
विदेशमंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान ने कहा कि एक तरफ हम ज़ायोनी शासन के व्यापक अपराधों के सामने मानवाधिकार के झूठे दावेदारों की चुप्पी देख रहे हैं और दूसरी तरफ़ पूरी तरह से सशस्त्र और अमरीका के भरपूर समर्थन से ज़ायोनी दुश्मन के मुक़ाबले में फिलिस्तीनी राष्ट्र का प्रतिरोध और गौरव देख रहे हैं।
विदेशमंत्री का कहना था कि इस ऐतिहासिक दृढ़ता और संघर्ष ने ज़ायोनी दुश्मन की हार को पहले से ज़्यादा उजागर कर दिया है।
अपने संदेश के अंत में, ईरान के विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने अल्लाह की मदद और समर्थन के वादे पर पूर्ण विश्वास और भरोसा जताया और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के समर्थन और बैतुल मुक़द्दस की स्वतंत्रता के लिए अल्लाह से दुआ की।
तेहरान होटल फ़िल्म बनाने के पीछे इस्राईल की क्या है साज़िश
हालिया वर्षों में, मोसाद के सहयोग से ज़ायोनी फ़िल्म निर्माण की मात्रा बहुत बढ़ गई है और इन कार्यों के दौरान "तेहरान" नाम बहुत बार दोहराया जाता है।
इस बार अवैध ज़ायोनी शासन का सिनेमा "तेहरान होटल" नामक एक और ईरानी विरोधी फ़िल्म का निर्माण करने की तैयारी कर रहा है।
एक्शन फ़िल्म "तेहरान होटल" का उद्देश्य, वास्तविक दुनिया में इस्राईल की ईरान विरोधी खुफिया एजेंसियों की विफलताओं को इस अतिग्रहणकारी शासन की जीत के रूप में पेश करना है।
"तेहरान होटल" की शूटिंग मई में शुरू होगी जबकि इसके निर्देशक गाय मोशे अपनी चौथी फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं और इस्राईल के बाहर भी उन्हें कोई पहचानता तक नहीं है।
"तेहरान होटल" की पटकथा मोशे ने "बाज़िल बासी" की मदद से लिखी थी जबकि बासी एक पटकथा लेखक होने का दावा करते हैं, इससे पहले वह सीआईए के विशेष अभियान के अधिकारियों में थे।
ज़ाहिर तौर पर, चार स्वतंत्र फिल्म निर्माण कंपनियां इस फिल्म के निर्माण में शामिल हैं जो सबसे अज्ञात अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माण कंपनियों में हैं।
"तेहरान होटल" की निर्माण प्रक्रिया में इन अज्ञात निवेशकों और बासिल बासी की मौजूदगी ने इस अटकल को हवा दे दी है कि फिल्म मोसाद के आदेश पर और उसके इशारे पर बनाई जा रही है।
फिल्म विशेषज्ञों के मुताबिक, यह फिल्म अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के अंदर की चरमपंथी और युद्धोन्मादी ताकतों को ही पसंद आ सकती है और यहां से बाहर बाक्स आफ़िस पर पूरी तरह से धराशायी हो जाएगी।
पर्यवेक्षक इस दिलचस्प तथ्य का उल्लेख करते हैं कि "होटल तेहरान" के निर्माण की ख़बर कुछ अज्ञात फिल्म साइटों और पत्रिकाओं में शामिल होने के अलावा, वैरायटी, स्क्रीन डेली और हॉलीवुड रिपोर्टर जैसे किसी भी प्रतिष्ठित मैगज़ीन में नहीं छपी है और यह बिंदु दर्शाता है कि इस फिल्म में सिनेमाई मूल्य और विश्वसनीयता बिल्कुल भी नज़र नहीं आती।
ज़ायोनी शासन का जासूसी संगठन अपने उत्पादनों में मैदाने जंग में प्रतिरोधकर्ता बलों, विशेष रूप से ईरान से मिलने वाली करारी हारों का औचित्य पेश करने के लिए एक विस्तृत योजना का पालन करता है और हक़ीक़त को उलटा दिखाकर आम जनमत में ईरान को एक युद्धोन्मादी देश के रूप में पेश करने की कोशिश करता है।
डेनियल सिर्किन द्वारा बनाये गये सीरियल "तेहरान" के निर्माण के बाद, जिसे 2020 में ऐप्पल टीवी द्वारा विश्व स्तर पर प्रसारित किया गया था और एरन रिकलिस द्वारा निर्देशित फ़िल्म "तेहरान में लोलिता खानी", जो 2023 में बनी थी और अभी तक रिलीज़ नहीं हुई है, फ़िल्म "होटल तेहरान" तीसरी फिल्म है जो इस्लामी गणतंत्र ईरान की राजधानी के लिए बनाई गई है।
"तेहरान होटल" जैसी फिल्में बनाकर, मोसाद ईरान को परमाणु ऊर्जा तक शांतिपूर्ण पहुंच में रुकावट डालने का प्रयास कर रहा है।
अपने क़ानूनी अधिकार को हासिल करने के लिए ईरान पर पिछले दो दशकों में सबसे कड़े प्रतिबंध लगे हैं और ईरानी राष्ट्र इन प्रतिबंधों के ख़िलाफ डटा हुआ है।
इस विषय की वजह से अमेरिकी जासूसी एजेंसी सीआईए और ज़ायोनी जासूसी एजेंसी मोसाद ईरान की विश्वसनीयता पर जनता की राय को प्रभावित फिल्म निर्माण पर सीधे तौर पर उतरने पर मजबूर हुआ है।
भारत, परीक्षा से पहले छात्राओं का हिजाब उतारने पर मचा हंगामा
गुजरात में दसवीं कक्षा की छात्राओं से परीक्षा से पहले हिजाब उतरवाने का मामला सामने आया है।
डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, भरूच ज़िले के अंकलेश्वर शहर में कुछ छात्राओं के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि परीक्षा केंद्र पर उनके बच्चों को पेपर से पहले हिजाब उतारने के लिए मजबूर किया गया।
घटना एक निजी स्कूल- लायंस स्कूल में बुधवार को गणित के पेपर से पहले हुई। इस आरोप के बाद राज्य शिक्षा विभाग ने गुरुवार को परीक्षा केंद्र प्रशासक इलाबेन सुरतिया, जो उस स्कूल की प्रिंसिपल भी हैं, को हटाने का आदेश दिया है।
दसवीं कक्षा की परीक्षा आयोजित करवाने वाले गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने यह स्पष्ट किया है कि परीक्षार्थियों द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों के बारे में कोई विशेष नियम नहीं हैं और वे किसी भी ‘सभ्य’ परिधान में परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
जीएसएचएसईबी के नियमों के अनुसार, हर उस क्लास रूम, जहां विद्यार्थी पेपर देते हैं, की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग होना अनिवार्य है।
माता-पिता के अनुसार, उनके पास मौजूद ऐसे ही एक सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया है कि कुछ महिला पर्यवेक्षकों ने दो मुस्लिम छात्राओं से उनके हिजाब हटाने के लिए कहा।
कश्मीर ने उन्हें नकार दिया जो देश तोड़ने का सपना देखते हैं" पीएम नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दावा किया कि तमिलनाडु की धरती पर उन्हें बहुत बड़े परिवर्तन की आहट महसूस हो रही है और आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का सारा घमंड तोड़कर रख देगा।
एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान हुए कथित घोटालों का उल्लेख किया और कहा कि दूसरी तरफ केंद्र में आज एक ऐसी सरकार है जो विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों का जीवन आसान बना रही है। रैली में उपस्थित जनसमूह की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि देश के इस दक्षिणी छोर से जो लहर उठी है, यह बहुत दूर तक जाने वाली है।
पीएम मोदी ने वर्ष 1991 में हुई भाजपा की ‘एकता यात्रा’ को याद करते हुए कहा कि उस समय उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा की थी लेकिन इस बार वह कश्मीर से कन्याकुमारी आए हैं। उन्होंने कहा कि देश को तोड़ने का जो सपना देखते हैं जम्मू- कश्मीर के लोगों ने ऐसे लोगों को नकार दिया है।
अब तमिलनाडु के लोग भी ऐसा ही करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं तमिलनाडु की धरती पर बहुत बड़े परिवर्तन की आहट महसूस कर रहा हूं। तमिलनाडु में भाजपा का प्रदर्शन इस बार द्रमुक और कांग्रेस के इंडी गठबंधन का सारा घमंड तोड़कर रख देगा। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के नेता अक्सर विपक्षी दलों के ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ यानी ‘इंडिया’ गठबंधन को ‘इंडी’ और ‘घमंडिया’ गठबंधन कहकर उस पर निशाना साधते रहे हैं।
मोदी ने द्रमुक को तमिलनाडु के भविष्य के साथ ही अतीत की विरासत की भी दुश्मन करार दिया और कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन के ये घटक दल कभी भी तमिलनाडु को विकसित नहीं बना सकते क्योंकि इनका इतिहास घोटालों का रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को लूटने के लिए सत्ता में आना ही इनकी राजनीति का आधार है।
अमेरिका और इस्राईल के बीच टकराव सिर्फ़ दिखावा
फ़िलिस्तीन के जेहादे इस्लामी आंदोलन के उप महासचिव ने अमेरिका और इस्राईल के बीच मतभेदों को दिखावा बताया है।
फ़िलिस्तीन के जेहादे इस्लामी आंदोलन के उप महासचिव मुहम्मद अल-हिन्दी ने कहा है कि अमेरिका, ग़ज़्ज़ा युद्ध की शुरुआत से ही ज़ायोनी शासन के अपराधों में भागीदार रहा है और उसने इसके साथ एक हथियार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं तथा कांग्रेस की इजाज़त के बिना उसे हथियार देना जारी रखा है।
उन्होंने कहा कि इस्राईल चाहता है कि उसके क़ैदियों को बिना कुछ किए रिहा कर दिया जाए।
मोहम्मद अल-हिन्दी ने कहा कि अमेरिका, युद्धविराम नहीं चाहता है और ज़ायोनी शासन अमेरिका के समर्थन से ग़ज़्ज़ा के उत्तरी हिस्से को दक्षिणी हिस्से से अलग करने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन, ग़ज़्ज़ा में बफर जोन बनाकर ग़ज़्ज़ा का क्षेत्रफल कम करने की कोशिश कर रहा है।
इससे पहले हमास आंदोलन के नेता इस्माईल हनिया ने घोषणा की थी कि ग़ज़्ज़ा में अकाल और भुखमरी और सबसे विषम मानवीय त्रासदी को रोकने के लिए अमेरिकी सरकार को फिलिस्तीनियों के नरसंहार को रोकने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने चाहिए।
भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो का परिचालन आरंभ
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटन की गई भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो लाइन ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में सार्वजनिक परिचालन शुरू किया।
इंजीनियरिंग का एक चमत्कार भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन में यात्रा करते समय लोगों को तालियाँ बजाते देखा गया। आज सुबह 7 बजे कोलकाता के ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर पर हावड़ा मैदान स्टेशन से एक ट्रेन ने अपनी यात्रा शुरू की। इसके साथ ही उसी समय एस्प्लेनेड स्टेशन से एक और ट्रेन रवाना हुई। कोलकाता के महानगरीय परिवहन नेटवर्क का हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड खंड हुगली नदी के नीचे स्थित है। सुरंग का नदी के नीचे का हिस्सा 520 मीटर लंबा है।
मेट्रो रेलवे कोलकाता ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, एक यात्री के हाथ में लगी तख्ती पर लिखा था कि भारत को गौरवान्वित करने के लिए मोदी जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।” एक अन्य यात्री ने कहा कि मैं भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन में यात्रा करने के लिए बहुत उत्साहित हूं। टिकट पाने में मुश्किल से 10 मिनट लगे।
हुगली नदी के निचले हिस्से को चिह्नित करने के लिए पानी के नीचे मेट्रो की सुरंग को नीली LED रोशनी से सजाया गया है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 मार्च को कोलकाता में मेट्रो परिचालन का उद्घाटन किया था। उद्घाटन के बाद उन्होंने स्कूली छात्रों के साथ मेट्रो की सवारी भी की थी।
पीड़ित महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करते हैं:ईरान
इंसीये ख़ज़अली कहती हैं कि पीड़ितों, अत्याचरग्रस्तों, महिलाओं के अधिकारों और उन सारे ही वर्गों का ईरान समर्थन करता है जो वर्तमान समय में अपने अधिकारों से वंचित हैं।
महिलाओं और परिवारों के मामले में राष्ट्रपति की सलाहकार कहती हैं कि ईरान की महिलाओं की प्रगति के लिए उचित परिस्थतियां उपलब्ध करवाई जा सकती हैं।
अमरीकी पत्रिका न्यूज़वीक को दिये अपने इंटरव्यू में इन्सीये ख़ज़अली ने कहा कि ईरान, पीड़ितों, अत्याचरग्रस्तों, महिलाओं के अधिकारों और उन सारे ही वर्गों का समर्थन करता है जो वर्तमान समय में अपने अधिकारों से वंचित हैं। उन्होंने बताया कि ईरान में महिलाएं शिक्षा, प्रशिक्षण, तकनीक, विज्ञान, राजनीति और आर्थिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
ख़ज़अली के अनुसार अमरीका में महिलाएं सामान्यतः अधिक लाभ उठाने वाली अर्थव्यवस्था का शिकार हो रही हैं। राष्ट्रसंघ में महिलाओं के महत्व पर आधारित सम्मेलत में भाग लेने न्यूयार्क पहुंची इन्सीये ख़ज़अली ने कहा कि ईरान की इच्छा है कि वह देश के भीतर और बाहर हर स्थान पर महिलाओं का अधिक से अधिक समर्थन करता रहे।
उन्होंने कहा कि ईरान को इस बात पर आपत्ति है कि बिना किसी आधार के केवल शोर-शराबे के आधार पर संयुक्त राष्ट्रसंघ के महिला आयोग से ईरान की सदस्यता को निलंबित कर दिया गया। हालांकि ग़ज़्ज़ा में खुलकर महिलाओं की हत्या के आरोपी अवैध ज़ायोनी शासन की सदस्यता अब भी राष्ट्रसंघ के महिला आयोग में सुरक्षित है।
माहे रमज़ान के तिसरे दिन की दुआ (3)
माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाई हैं।
اَللّهُمَّ ارْزُقني فيہ الذِّهنَ وَالتَّنْبيہ وَباعِدْني فيہ مِنَ السَّفاهَۃ وَالتَّمْويہ وَاجْعَل لي نَصيباً مِن كُلِّ خَيْرٍ .تُنْزِلُ فيہ بِجودِكَ يا اَجوَدَ الأجْوَدينَ
अल्लाह हुम्मरज़ुक़्नी फ़ीहि अज़ ज़िह ना वत तनबीह, व बा एद नी फ़ीहि मिनस सफ़ाहति वत तमवीह, वज अल ली नसीबन मिन कुल्ले ख़ैरिन तुनज़िलु फ़ीहि बेजूदिका या अजवदल अजवदीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! आज के दिन मुझे होश व आगाही अता फ़रमा, मुझे हर तरह की नासमझी बे राह रवी से महफ़ूज़ रख, और मुझे हर भलाई में से हिस्सा दे जो आज तेरी अताओं से नाज़िल हो, ऐ सबसे ज़ियादा अता करने वाले...
अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम
ईश्वरीय आतिथ्य- 3
रमज़ान के महीने को ईश्वर की मेज़बानी का महीना और उत्कृष्टता तक पहुंचने का मार्ग कहा जाता है।
पूरे इतिहास में ईश्वरीय दूतों ने लोगों को ईश्वर की ओर आमंत्रित किया है। ईश्वरीय दूत हज़रत नूह ने कहा था, हे ईश्वर, मैंने अपनी उम्मत को रात-दिन तुझ पर ईमान लाने की दावत दी। अंतिम ईश्वरीय दूत हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) ने ईश्वर के आदेशानुसार लोगों से कहा, कह दो, यह मेरा मार्ग है, मैं समझदारी और जागरुकता से ईश्वर की ओर दावत देता हूं।
ईश्वर की ओर दावत की कुछ विशेषताएं हैं, जो उसे अन्य दावतों से अलग करती हैं। इस दावत की महत्वपूर्ण विशेषता, बुद्धिमत्ता और अच्छी बात है। क़ुराने मजीद में उल्लेख है, हे पैग़म्बर, लोगों को दृढ़ संकल्प, अच्छे एवं सुन्दर उपदेशों से अपने ईश्वर की ओर बुलाओ, और उनसे बहुत ही अच्छे अंदाज़ में वार्ता करो। निःसंदेह तुम्हारा पालनहार उन लोगों के बारे में अधिक जानता है जो उसके रास्ते से भटक जाते हैं या वे सही रास्ता अपना लेते हैं।
तीन साल तक गोपनीय रूप से लोगों का मार्गदर्शन करने के बाद, पैग़म्बरे इस्लाम (स) सफ़ा की पहाड़ी पर गए और पहली बार स्पष्ट रूप से लोगों को पुकार कर कहा, हे लोगो, कहो अल्लाह के अलावा और कोई ईश्वर नहीं है, ताकि तुम्हारा कल्याण हो जाए।
यह कल्याण या मोक्ष क्या है और किस तरह से प्राप्त किया जा सकता है? कल्याण का अर्थ है, भलाई और स्वास्थ्य के साथ लक्ष्य तक पहुंचना। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहता है, उसे चाहिए कि उसके लिए तैयारी करे और उस तक पहुंचने के लिए भूमि प्रशस्त करे। मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में उतार चढ़ाव आते हैं, कभी यह अस्थायी होते हैं और इंसान के लिए चुनौतियां उत्पन्न करते हैं। मोक्ष प्राप्ति का कारण, एक ज़ीने की भांति है, जिसकी हर सीढ़ी लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करती है।
मोक्ष का मार्ग पैग़म्बरे इस्लाम (स) और शुरूआत में इस्लाम स्वीकार करने वालों की दावत से जुड़ा हुआ है, जो मक्के के गली कूचों में गूंजी थी और उसने इंसान के विवेक को जगाया था। क़ुराने मजीद के सूरए मोमेनून में हम पढ़ते हैं, वास्तव में मोमेनीन सफल हो गए। इस आयत के आधार पर, इंसान जब ईश्वर और उसके वादों पर ईमान ले आते हैं, तो वे मोक्ष के मार्ग पर क़दम बढ़ाते हैं, हालांकि संभव है इस मार्ग में उन्हें गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़े।
क़ुराने करीम की अन्य आयतों में आत्मा की शुद्धि को भी मोक्ष प्राप्ति का एक कारण बताया गया है। सूरए शम्स में ईश्वर कहता है, जिस किसी ने भी अपनी आत्मा को शुद्ध किया, निश्चित रूप से वह सफल हो गया, और जिसने अपनी आत्मा को गुनाहों से दूषित किया वह नुक़सान में रहा।
नैतिकता और रहस्यवाद के अनुसार, आत्मा की शुद्धि का अर्थ है, अनैतिकता और बुराईयों से आत्मा का शुद्धिकरण करना। जिसके परिणाम स्वरूप, कल्याण और मोक्ष प्राप्त होता है। क़ुरान के मुताबिक़, शुरू में इंसान की आत्मा एक सफ़ेद तख़्ती की तरह होती है, जिसे गुणों से सुसज्जित भी किया जा सकता है और बुराईयों से प्रदूषित भी। इन दोनों स्थितियों के चुनाव में इंसान आज़ाद होता है। अगर कोई व्यक्ति ख़ुद को बुराईयों से पाक रखता है, मानवीय गुणों को प्राप्त करता है और ईश्वर तक पहुंचने के लिए प्रयास करता है तो वह सफल हो जाता है। दूसरे शब्दों में ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण और सही कार्य अंजाम देना, आत्मनिर्माण है, न कि सामाजिक गतिविधियों को बंद कर देना और एक कोने में बैठकर ईश्वर तक पहुंचने की आशा रखना।
आत्मशुद्धता और आत्मनिर्माण का परिणाम, ईश्वर की बंदगी है। बंदगी यानी ईश्वर के सामने पूर्ण रूप से नतमस्तक होना, इसका अर्थ व्यापक है जो इबादत से अधिक विस्तृत है। ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए किसी भी काम को अपनी इच्छा से छोड़ना या उसे अंजाम देना बंदगी का ही भाग है। अगर इंसानों को मोक्ष प्राप्ति और कल्याण प्राप्ति के लिए नमाज़ पढ़ने और रोज़ा रखने का आदेश दिया गया है तो वह इसलिए कि इन कार्यों में बंदगी भी उन्हें अन्य इबादतों की भांति लक्ष्य की ओर मार्गदर्शित करती है।
बंदगी, ईश्वर के ज़िक्र और उसके गुणगान के साथ होती है, यही ज़िक्र मोक्ष प्राप्ति का एक ज़रिया है। क़ुरआन के अनुसार, अल्लाह का अधिक ज़िक्र करो, शायद तुम्हें मोक्ष प्राप्त हो जाए। जो लोग ईश्वर का ज़िक्र करते हैं, वे जानते हैं कि ईश्वर के नामों से ज़बान और दिल को प्रकाशमय करने से ईश्वर के साथ संपर्क स्थापित होता है और ईश्वर की पहचान हासिल होती है। इंसान की आत्मा ईश्वर के गणगान से शुद्ध होती है और इससे पारदर्शिता प्राप्त होती है। ईश्वर अपने गुणगान को दिलों को प्रकाशमय करने का कारण मानता है।
निराशा और मायूसी, इंसान को अँधेरे में डुबो देती है, इस प्रकार से कि हज़रत अली (अ) अपने बड़े को पहली नसीहत करते हुए दिल को तरो-ताज़ा रखने पर बल देते हुए कहते हैं, मेरे प्यारे बेटे, मैं तुम्हें बुराईयों से दूर रहने, ईश्वर के आदेशों का पालन करने, दिल और आत्मा को तरो-ताज़ा रखने और ईश्वरीय रस्सी को मज़बूती से पकड़े रहनी की नसीहत करता हूं।
क़ुरआने मजीद की व्याख्या करते हुए अल्लामा तबातबायी कहते हैं, ईश्वर का ज़िक्र करने से दिलों को शांति प्राप्त होती है। इसलिए कि इंसान के जीवन का उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति और कल्याण प्राप्ति के अलावा कुछ नहीं है और उसे किसी अचानक आने वाली आफ़त का कोई भय नहीं होता है। एकमात्र वह हस्ती कि जिसके हाथ में उसका कल्याण और अभिशाप है, वह वही ईश्वर है। समस्त मामले उसकी ही ओर पलटकर जाते हैं, वह वही है जो पालनहार है, जो चाहता है वह करता है और मोमिनों का स्वामी और उन्हें शरण देने वाला है। इसलिए उसका ज़िक्र और गुणगान ऐसे व्यक्ति के लिए जो मुसीबतों में घिरा हुआ है और किसी मज़बूत सहारे की तलाश में है कि जो उसका कल्याण कर सके, वह उसकी ख़ुशी और शांति का कारण है।
रमज़ान का महीना दुआओं के क़बूल होने का महीना और शरीर एवं आत्मा के शुद्धिकरण का महीना है। क़ुराने मजीद के अनुसार, ईश्वरीय अनुकंपाओं के ज़िक्र का एक फल, कल्याण एवं मोक्ष प्राप्ति है। सूरए आराफ़ की आयत 69 में उल्लेख है, ईश्वर की अनुकंपाओं को याद करो, क्योंकि तुम्हें कल्याण प्राप्त होगा।
ध्यान योग्य है कि ईश्वर इंसान को साइप्रेस पेड़ की भांति सिर बुलन्द होने की दावत देता है, इसलिए कि साइप्रेस एकमात्र ऐसा पेड़ है कि जो सीधा आसमान की ओर बढ़ता है, जबकि अन्य पेड़ों की डालियां चारो ओर फैलती हैं।
रमज़ान के महीने में ईश्वर का ज़िक्र और गुणगान हो रहा है, यह आत्मनिर्माण और बंदगी का महीना है, इस महीने में रोज़ेदार ईश्वर की मेज़बानी और प्रेम का लुत्फ़ उठाते हैं। इस महीने में उन लोगों को इस मूल्यवान दावत का फल मिलता है। इसका मूल्यवान फल, स्वयं से संपर्क, ईश्वर से संपर्क और उसके बंदों से संपर्क करना है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) के मुताबिक़, यह महानता, गौरव और सम्मान का महीना है और इसे अन्य महीनों पर प्राथमिकता दी गई है। बेहतर होगा प्रेम और शुद्ध नीयत के साथ इससे लाभान्वित हों और उसके सुन्दर दिनों और आध्यात्मिक सुबहों को ईश्वर से बातचीत एवं प्रेमपूर्वक दुआओं के लिए लाभ उठाएं और कल्याण प्राप्त करें।