رضوی

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हमारे मुल्क की बहुत सी आंतरिक मुश्किलें इस विशेषता से अभाव के नतीजे में हैं। वह यह है कि सच्चाई नहीं है, बातों में सच्चाई नहीं है। सच्चाई का क्या मतलब है? मतलब यह है कि जो बात आप कर रहे हैं वो हक़ीक़त के मुताबिक़ हो। अगर आप जानते हैं कि हक़ीक़त के मुताबिक़ है और आपने उसे बयान किया तो सच्चाई है और अगर नहीं, यानी आपको नहीं मालूम कि यह हक़ीक़त के मुताबिक़ है या नहीं लेकिन फिर भी आपने बयान किया तो यह सच्चाई नहीं है।  सोशल मीडिया को देखिए कि उसकी बातें, अफ़वाहें, झूठ, बेबुनियाद बातें, आपस में एक दूसरे पर आरोप, ग़ैर हक़ीक़ी बातों को एक दूसरे से जोड़ना, मुल्क में झूठा माहौल पैदा कर देता है। सब कोशिश करें कि ज़बान से सच्ची बात ही निकले।

हमास ने एक बयान जारी किया जिसमें उसने पश्चिमी तट पर इज़रायली आक्रमणकारियों द्वारा किए जा रहे अपराधों में वृद्धि को एक खतरनाक और हिंसक रवैया करार दिया और कहां,हम सबको मिलकर इज़रायली अपराधों का मुक़ाबला करना होगा।

पश्चिमी तट (वेस्ट बैंक) पर इज़रायली सेना द्वारा किए जा रहे विध्वंस, हत्या और अन्य अत्याचारों की बढ़ती घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि शत्रु का रवैया फासीवादी और रक्तपात से भरा हुआ है, जो सीधे तौर पर फिलिस्तीनियों और उनकी भूमि के खिलाफ है।

अलमयादीन समाचार नेटवर्क ने इस बयान को साझा करते हुए बताया कि अलफारिया शरणार्थी शिविर में हुए हत्या के हमले का संबंध उस सुरक्षा अभियान से था, जो फिलिस्तीनी स्वायत्त शासन की सुरक्षा सेवाओं द्वारा चलाया गया था। यह घटना इस बात की पुष्टि करती है कि सुरक्षा बलों के बीच सहयोग एक गंभीर अपराध है, जो फिलिस्तीनी जनता को और अधिक नुकसान पहुँचाने का कारण बन सकता है।

हमास ने अपने बयान में यह भी कहा कि फिलिस्तीनी लोगों को अब पहले से कहीं अधिक एकजुट हो कर अपनी ज़मीन और अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा होना चाहिए उन्होंने पश्चिमी तट (वेस्ट बैंक) के नागरिकों से अपील की कि वे उन सभी साजिशों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों, जिनका उद्देश्य फिलिस्तीन के राष्ट्रीय संघर्ष को नष्ट करना है।

कुल मिलाकर, हमास ने इज़रायली शासन के खिलाफ प्रतिरोध जारी रखने की आवश्यकता को बल देते हुए, फिलिस्तीनियों से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर किसी भी तरह की साजिश का सामना करें, जो उनके अधिकारों और संघर्ष को समाप्त करने के उद्देश्य से की जा रही हो।

लेबनान के लोकप्रिय जनांदोलन हिज़्बुल्लाह के पूर्व महासचिव शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह की अंतिम यात्रा पर दुनिया भर की निगाहें हैं।  मिडिल ईस्ट में इस अभूतपूर्व अवसर पर अजीब सा माहौल है और उसी के मद्देनज़र क्षेत्रीय देशों में भी ग़म और उदासी का माहौल है।  इराक की राजधानी बग़दाद में इस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। 

बगदाद के गवर्नर अब्दुल मुत्तलिब अलवी ने अगले रविवार को प्रांत में सरकारी कार्यालयों को बंद करने का आदेश दिया है, जो लेबनान के हिज़्बुल्लाह के पूर्व महासचिव शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह के अंतिम संस्कार का दिन है।

गवर्नर हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह बंद सय्यद हसन नसरल्लाह के अंतिम संस्कार के दिन उनके प्रति सम्मान और प्रशंसा के प्रतीक के रूप में किया जा रहा है। 

 

दिल्ली के आरोप में लंबे समय से बिना किसी जमानत के जेल मे बंद JNU के पूर्व छात्र अध्यक्ष उमर खालिद को गुरुवार को दिल्ली दिल्ली हाई कोर्ट में एक बार फिर कोई राहत नहीं मिली।

उमर खालिद ने गुरुवार को दिल्ली दिल्ली हाई कोर्ट में दलील दी कि किसी व्हाट्सऐप ग्रुप में उनकी मौजूदगी मात्र से उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज करने की बुनियाद नहीं हो सकती है, न ही किसी तरह का विरोध-प्रदर्शन करने या बैठकों में हिस्सा लेने को आतंकवाद माना जा सकता है, लेकिन उनके मामले में पुलिस ऐसा ही मानती है।

खालिद के वकील ने अपने मुवक्किल के लिए जमानत की अपील करते हुए अभियोजन पक्ष के इस दावे की मुखालफत की कि खालिद ने स्टूडेंट्स को जमा करने और भड़काने और  'विघटनकारी' चक्का जाम की प्लानिंग करने के लिए व्हाट्सऐप पर 'सांप्रदायिक' ग्रुप बनाए थे.। वकील ने कहा कि उमर खालिद ऐसे किसी ग्रुप का एक्टिव मेंबर भी नहीं रहा। खालिद को जबरन ग्रुप में जोड़ा गया, उसने ग्रुप में एक भी संदेश पोस्ट नहीं किया ना कोई चैट की। वकील ने कहा, “मेरे मुवक्किल के खिलाफ यूएपीए के तहत कोई अपराध नहीं बनता है। पुलिस विरोध-प्रदर्शन और बैठक में हिस्सा लेने को ही आतंकवाद के बराबर बता रही है। उमर खालिद के वकील ने कहा कि सह-आरोपी देवांगना कालिता और नताशा भी ऐसे सोशल ग्रुप का हिस्सा थे और उन पर हिंसा में “कहीं ज्यादा गंभीर इल्ज़ाम ” थे, लेकिन उन्हें मामले में जमानत दे दी गई।

उत्तर प्रदेश की भाजपा नीत सरकार में एक बार फिर मुस्लिमों और उनके पवित्र स्थलों को निशाना बनाने की मुहिम तेज़ हो गयी है। ताज़ा घटनाक्रम मे  कुशीनगर के बाद अब गोरखपुर में एक मस्जिद को गिराने के आदेश जारी किये गए हैं। विकास प्राधिकरण ने मस्जिद को गिराने के लिए 15 दिनों की डेडलाइन दी है। अथॉरिटी का कहना है कि मस्जिद को बिना नक्शा पास कराए बनाया गया था। 15 फरवरी को ही प्राधिकरण ने मस्जिद के दिवंगत मुतवल्ली के बेटे शुएब अहमद के नाम पर नोटिस जारी किया था। 

 

 

ईरान कल से ही मकरान के तट से लेकर ओमान सागर और उत्तरी हिन्द महासागर तक जुल्फिकार 2025 संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू करेगा।

इस युद्धाभ्यास के कमांडर रियर एडमिरल हबीबुल्लाह सय्यारी ने कहा कि जुल्फिकार 2025 के नाम से होने वाला यह संयुक्त सैन्य अभ्यास कल शुरू होगा, और अभ्यास क्षेत्र के दायरे में मकरान तट, ओमान सागर और उत्तरी हिंद महासागर 10 डिग्री अक्षांश तक शामिल होंगे।

उन्होंने कहा: "ज़ुल्फ़िकार 12025 अभ्यास में, जमीनी बलों, वायु रक्षा, सामरिक नौसेना और संयुक्त वायु रक्षा मुख्यालय की कुछ क्षमताओं का प्रदर्शन किया जाएगा। सय्यारी ने आगे कहा कि कोई भी दुश्मन जो यह सोचता है कि वह जमीन, हवा और समुद्र में हमारे हितों को नुकसान पहुंचा सकता है, उसे निश्चित रूप से बहुत नुकसान होगा।

ईरान की सशस्त्र सेना के Chief of the General Staff  मोहम्मद बाक़ेरी ने कहा है कि अगर ईरान की सुरक्षा के लिए चुनौती व ख़तरा उत्पन्न किया गया तो पूरे दक्षिण पश्चिम एशिया की सुरक्षा, असुरक्षा व अशांति के ज़िम्मेदारों और उनके समर्थकों की सुरक्षा ख़तरे में पड़ जायेगी और वे शांति नहीं देखेंगे।

कमांडर इन चीफ़ जनरल मोहम्मद बाक़ेरी ने "पयाम्बरे आज़म स. 19" नामक सिपाहे पासदारान की थल सेना के सैन्य अभ्यास की समाप्ति पर बल देकर कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की सशस्त्र सेनायें पूरी तरह तैयार हैं और दुश्मन द्वारा हर प्रकार की ग़लती की स्थिति में ज़ायोनी सरकार की शांति और जिन लोगों ने उसे हथियारों से लैस किया और जो लोग उसके कार्यक्रमों के बनाने में शामिल थे उन सबकी शांति ख़तरे में पड़ जायेगी।

इर्ना के हवाले से बताया है कि ईरान की सशस्त्र सेना के Chief of the General Staff  मोहम्मद बाक़ेरी ने बल देकर कहा कि ईरान की सशस्त्र सेनायें पूरी तरह आक्रमक स्थिति में हैं और किसी प्रकार के अंतराल के बिना अति उत्तम गुणवत्ता वाली मिसाइलों का उत्पाद व निर्माण भी जारी है।

इसी प्रकार उन्होंने बल देकर कहा कि अमेरिका अपराधी द्वारा अतिग्रहणकारी और बच्चों की हत्यारी ज़ायोनी सरकार को हथियारों से लैस करना और उसका समर्थन और इस सरकार द्वारा ईरान को धमकी देना कोई नई बात नहीं है और ग़ज़्ज़ा पट्टी में नस्ली सफ़ाये के लिए बच्चों की हत्यारी ज़ायोनी सरकार को हथियारों से लैस करने से अमेरिका की धूर्तता और पाखंड पहले से अधिक स्पष्ट हो गया है।

ईरान की सशस्त्र सेना के Chief of the General Staff  मोहम्मद बाक़ेरी ने ईरान की सशस्त्र सेना की विभिन्न इकाईयों में ड्रोन विमानों के विस्तृत पैमाने पर कार्यक्रमों और प्रयोगों की ओर संकेत करते हुए कहा कि सिपाहे पासदारान और सेना को समय और ज़रूरत के हिसाब से ड्रोन विमानों से लैस किया जा रहा है।

 ज्ञात रहे कि सिपाहे पासदारान आईआरजीसी की थल सेना के सैन्य अभ्यास का दूसरा चरण मंगलवार को ईरान के दक्षिण पश्चिम में आरंभ हुआ था। इस सैन्य अभ्यास में युद्ध की विभिन्न शैलियों और नये हथियारों का भी इस्तेमाल किया गया।

 

इसी प्रकार इस सैन्य अभ्यास में "मुहाजिर 10" नामक कई ड्रोनों को सिपाहे पासदारान की थल सेना में शामिल कर दिया गया और "क़ायेम 118" मिसाइलों और "गिलालेह" नामक ड्रोन का अनावरण किया गया।

ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पीज़िशक्यान ने एक बार फिर साफ शब्दों मे कहा है कि ईरान का फैसला ईरानी जनता करेगी अमेरिकी शासक नहीं । उन्होंने कहा कि ईरान हमेशा बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन यह वार्ता किसी भी कीमत पर नहीं होगी। यह संभव नहीं है कि कोई हम पर दबाव डाले और फिर हमें बातचीत के लिए आमंत्रित करे।

डॉ. मसूद पीज़िशक्यान ने कहा कि ट्रम्प ने पिछले समझौतों को नकार दिया और कहा कि हमें उनकी शर्तों का पालन करना होगा। हालांकि हमने अपने वादे पूरे किये, जबकि ज़ायोनी सरकार इस क्षेत्र में खुलेआम अत्याचार कर रही है।

ज़ायोनी आक्रामकता की ओर इशारा करते हुए डॉ. मसूद पीज़िशक्यान ने कहा कि कोई भी जागरूक और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति गज़्ज़ा, लेबनान और फिलिस्तीन में ज़ायोनी सेना की कार्रवाई को स्वीकार नहीं कर सकता। आश्चर्य की बात यह है कि मानवाधिकारों को ढिंढोरा पीटने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देश न केवल ज़ायोनी शासन का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि उसे हथियार और सैन्य उपकरण भी मुहैया करा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में युवा लोग ज़ायोनी राष्ट्र की कार्रवाइयों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जो दर्शाता है कि विश्व स्तर पर जागरूकता बढ़ रही है।

राष्ट्रपति पीज़िशक्यान ने मुस्लिम एकता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यदि संपूर्ण मुस्लिम जगत एकजुट हो जाए तो अहंकारी शक्तियां उन पर इस हद तक अपना प्रभुत्व नहीं जमा पाएंगी। हम आपस में ही लड़ रहे हैं।

सद्दाम हुसैन के शासन के पतन के बाद, शिया और सुन्नी दोनों की शक्तियों की एकता का मार्ग प्रशस्त हुआ। इन शक्तियों का उद्देश्य तानाशाही शासन के खिलाफ प्रतिरोध करना है। इराकी जनता वर्तमान अवसरों का लाभ उठाएं और अपने समुदाय के लिए बेहतर भविष्य बनाए।

नजफ अशरफ के प्रमुख विद्वान आयतुल्ला सय्यद यासीन मूसवी ने वर्तमान समय में इराकियों के लिए उपलब्ध अवसरों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ये अवसर शायद फिर से न मिलें। उन्होंने अमीरुल मोमिनीन अली बिन अबी तालिब (अ) की एक कहावत का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है: "अवसरों को ग़नीमत समझो क्योंकि वे तेजी से गुजर जाते हैं।"

आयतुल्लाह मूसवी ने कहा कि ऐसे अवसर इराक के इतिहास में केवल थोड़े समय के लिए उपलब्ध रहे हैं, जैसे कि राजशाही का दौर और कुछ समय के लिए गणतंत्र का दौर। लेकिन कम्युनिस्टों के सत्ता में आने और इराक पर हुए बड़े अत्याचारों के कारण ये अवसर समाप्त हो गए। कई इराकी, विशेषकर युवा पीढ़ी, उस दौर का अनुभव नहीं कर पाई जब सीखने और स्वतंत्रता से विचार व्यक्त करने के अवसर थे।

क्षेत्र में इस्लामी क्रांति के प्रभाव की चर्चा करते हुए इराक के इस विद्वान ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिसने इराक, सीरिया, लेबनान और अन्य अरब देशों की जनता को प्रेरित किया। उन्होंने वर्तमान इराक को "प्रतिरोध के ध्रुव का युग" बताया और कहा कि सद्दाम हुसैन के शासन के पतन के बाद, शिया और सुन्नी दोनों की शक्तियों की एकता का मार्ग प्रशस्त हुआ। इन शक्तियों का उद्देश्य तानाशाही शासन के खिलाफ प्रतिरोध करना है।

उन्होंने आगे कहा कि आज दुनिया में शक्ति का मुखिया अमेरिका है, लेकिन ईरान एकमात्र ऐसा देश है जिसने अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखा है और अमेरिकी आतकंवाद का सामना किया है।

आयतुल्लाह मुसवी ने ईरान की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जिसमें उन्होंने कहा कि ईरान ने कमजोर देशों की रक्षा करने और मोमिन राष्ट्रों को स्वतंत्रता दिलाने में मदद की है।

उन्होंने यह भी बताया कि ईरान का नेतृत्व, वली फकीह के रूप में, इमाम महदी (अ) की आम प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी निभाता है और इसका उद्देश्य उम्मत को न्याय और स्वतंत्रता की ओर मार्गदर्शन करना है।

आयतुल्लाह मूसवी ने इराकी जनता से अपील की कि वे वर्तमान अवसरों का लाभ उठाएं और अपने समुदाय के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए प्रयास करें।

उन्होंने हाजी कासिम सुलेमानी द्वारा स्थापित एक मजबूत ध्रुव का जिक्र किया जो अमेरिकी लोगों में डर पैदा करता था। उन्होंने कहा कि अगर प्रतिरोध ध्रुव टूट जाता है, तो अमेरिकी हमारे साथ अपमानजनक व्यवहार करेंगा और हमारे देश की स्वतंत्रता का उल्लंघन करेंगा।

हौज़ा इल्मिया नजफ़ के विद्वान ने अंत में कहा कि इस दौर में हमने कई महान व्यक्तित्व खो दिए हैं, जिनमें सय्यद हसन नसरुल्लाह सबसे प्रमुख हैं। लेकिन हम कहते हैं कि हमने सय्यद को नहीं खोया क्योंकि वह मरे नहीं हैं; वह हमारे साथ हैं और हिज्बुल्लाह सय्यद शहीद के अंतिम संस्कार के बाद पहले से अधिक मजबूत होगा।

 

इजरायल के तेल अवीव शहर में तीन बसों में एक के बाद एक जोरदार धमाके इन धमाकों में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है इजरायली पुलिस इसे आतंकी हमला मान रही है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,इजरायल के तेल अवीव शहर में तीन बसों में एक के बाद एक जोरदार धमाके इन धमाकों में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है इजरायली पुलिस इसे आतंकी हमला मान रही है।

ये धमाके बाट याम में हुए हैं पुलिस का कहना है कि उन्होंने दो अन्य बसों में भी लगे विस्फोटकों को निष्क्रिय कर दिया इन हमलों के बाद परिवहन मंत्री मीरी रेगव ने देश में सभी बसों, ट्रेनों और लाइट रेल ट्रेन सेवाएं रोक दी हैं ताकि विस्फोटक डिवाइसों की जांच की जा सके।

इजरायली रक्षा मंत्री काट्ज ने आईडीएफ को आदेश दिए हैं कि वेस्ट बैंक स्थित शरणार्थी शिविरों में सक्रियता बढ़ा दी जाए इन हमलों की जांच के लिए आईडीएफ और शिन बैट मिलकर काम कर रही है।