رضوی

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अल जज़ीरा की रिपोर्ट की रिपोर्ट के अनुसार,पश्चिमी रफाह शहर के अलमुआवसी इलाके में, शरणार्थी परिवारों को भारी गोलीबारी के बीच घेरकर रखे हुए हैं जिससे कई लोग घायल हो गए हैं घेराबंदी में फंसे शरणार्थी परिवारों ने रेड क्रॉस और संबंधित संस्थाओं से मदद की अपील की है ताकि उन्हें अलमुआवसी इलाके से निकाला जा सके।

एक रिपोर्ट के अनुसार अल जज़ीरा की रिपोर्ट की रिपोर्ट के अनुसार,पश्चिमी रफाह शहर के अलमुआवसी इलाके में, शरणार्थी परिवारों को भारी गोलीबारी के बीच घेरकर रखे हुए हैं जिससे कई लोग घायल हो गए हैं घेराबंदी में फंसे शरणार्थी परिवारों ने रेड क्रॉस और संबंधित संस्थाओं से मदद की अपील की है ताकि उन्हें अलमुआवसी इलाके से निकाला जा सके।

इस संदर्भ में आज सुबह (मंगलवार) की वीडियो तस्वीरों में, कुछ फिलिस्तीनी नागरिकों को भारी गोलीबारी के बीच जो उनके पास के इलाकों से आ रही थी शरण लेने की कोशिश करते हुए दिखाया गया है वीडियो में यह दिखाया गया है कि नागरिक शरणार्थी शिविरों के तंबुओं के बीच गोलीबारी से बचने के लिए पनाह ले रहे हैं।

अलमुआवसी, ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिण-पश्चिमी तट का एक इलाका है, जो पहले अपनी कृषि भूमि और मीठे पानी की भूमिगत जल स्रोतों के लिए प्रसिद्ध था लेकिन इज़रायली कब्ज़े की नीति के कारण इसे ग़ाज़ा पट्टी की “खाद्य बास्केट” से एक शुष्क भूमि और शरणार्थियों के लिए केंद्र में तब्दील कर दिया गया है।

इज़रायली आक्रमण के बढ़ने के बाद जो 7 अक्टूबर 2023 को “तूफान अलअक्सा” अभियान के तहत शुरू हुआ था इज़रायली सेना द्वारा ग़ाज़ा पट्टी के विभिन्न इलाकों में हमलों के कारण हजारों नागरिकों की मौत हो चुकी है और दशकों से चली आ रही मानवाधिकारों की उल्लंघन की घटनाओं को और बढ़ाया है।

इसके अलावा इज़रायली सेना ने कई सैन्य घोषणाएं जारी की हैं, जिसमें ग़ाज़ा के निवासियों से कहा गया है कि वे दक्षिण की ओर ख़ान युनिस के पश्चिमी खुले इलाकों और विशेष रूप से अलमुआवसी क्षेत्र की ओर जाएं जिसे इज़रायल ने सुरक्षित क्षेत्र के रूप में घोषित किया है।

अलजज़ीरा के अनुसार, इज़रायली सेना के आदेशों के बाद शरणार्थी इस क्षेत्र की ओर बढ़े लेकिन जब वे वहां पहुंचे, तो न तो उन्हें कोई शरण मिली और न ही मानवीय सहायता मिली। रिपोर्ट के मुताबिक अलमुआवसी क्षेत्र, न तो बुनियादी ढांचे और सेवाओं के हिसाब से, और न ही आवासीय भवनों की संख्या के हिसाब से, शरणार्थियों को स्वीकार करने के लिए उपयुक्त है।

अल-जज़ीरा ने यह भी बताया कि जो लोग इस क्षेत्र में पहुंचे थे, उन्हें सूखी ज़मीन पर, खुले में रहना पड़ा, जहां मानव जीवन की न्यूनतम आवश्यकताएं भी उपलब्ध नहीं थीं। इस क्षेत्र में न तो पानी, बिजली, शौचालय सेवाएं, और न ही शरणार्थियों की बढ़ती संख्या के लिए पर्याप्त मानवीय सहायता उपलब्ध थी।

दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र ने भी अल-मुआवसी क्षेत्र को एक सुरक्षित क्षेत्र के रूप में स्वीकार करने से इनकार किया है, और कहा है कि यह क्षेत्र सुरक्षा और अन्य मानवीय आवश्यकताओं के लिहाज से उपयुक्त नहीं है। संयुक्त राष्ट्र ने घोषणा की कि वे केवल शरणार्थियों के लिए इस क्षेत्र में तंबू शिविर लगाएंगे

सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बश्शार असद ने जिन्होंने तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में सशस्त्र विपक्ष द्वारा दमिश्क पर कब्ज़ा करने पर सरकार से इस्तीफ़ा दे दिया और मास्को चले गए, सोमवार को टेलीग्राम पर एक बयान जारी किया।

सीरियाई राष्ट्रपति पद के सरकारी टेलीग्राम चैनल पर जारी होने वाले बयान में उनका कहना था कि अंतिम क्षणों तक वह सीरिया में ही रहे और रविवार 8 दिसम्बर तक उन्होंने देश को नहीं छोड़ा।

पार्सटुडे के अनुसार, मॉस्को से जारी असद के हवाले से जारी किया गया गया इस तरह से:

पूरे सीरिया में आतंकवाद फैलने के साथ, जो अंततः शनिवार, 7 दिसम्बर, 2024 की शाम को दमिश्क तक पहुंच गया, राष्ट्रपति के ज़िंदा रहने और ठिकाने के बारे में सवाल उठाए गए।

यह ग़लत सूचनाओं और बयानों की बाढ़ के बीच हुआ जो सच्चाई से पूरी तरह से दूर थे, ऐसे बयान जिनका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को सीरिया के लिए एक आज़ादी प्रदान करने वाले क्रांतिकारी आंदोलन के रूप में पेश करना था।

देश के इतिहास के इस महत्वपूर्ण क्षण में, जब सत्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, इन भ्रांति फैलाने वाले विषयों को दूर करना ज़रूरी है।

 खेद की बात यह है कि उस समय के हालात, जिसमें सुरक्षा कारणों की वजह से पूर्ण ब्लैकआउट भी शामिल था, इस बयान को जारी करने में देरी की वजह बने।  यह बयान घटनाओं के पूर्ण विवरण का विकल्प नहीं हैं और ये विवरण उचित समय पर प्रदान किए जाएंगे।

सबसे पहले, सीरिया से मेरा प्रस्थान न तो योजनाबद्ध था और न ही, जैसा कि कुछ लोगों ने दावा किया है, लड़ाई के अंतिम घंटों में किया था। इसके विपरीत, मैं दमिश्क में रहा और रविवार सुबह, 8 दिसम्बर 2024 तक अपनी ज़िम्मेदारियों पर अमल करता रहा।

दमिश्क में आतंकवादी तत्वों की घुसपैठ के साथ, मुझे हमारे रूसी सहयोगियों के साथ युद्ध के संचालन की निगरानी करने के लिए लताकिया या लाज़ेक़िया (हमीमिम बेस) स्थानांतरित कर दिया गया था।

उस सुबह हमीमिम एयर बेस पर पहुंचने पर, यह स्पष्ट हो गया कि हमारी सेनाएं सभी वॉर लाइनों से पूरी तरह से पीछे हट गई थीं और सेना का आख़िरी ठिकाना भी ढह गया था। जैसे-जैसे मैदान पर हालात बिगड़ते गए, रूसी सैन्य अड्डे पर भी भारी ड्रोन हमले होने लगे।

चूंकि बेस से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था, मॉस्को ने अनुरोध किया कि बेस कमांड रविवार, 8 दिसम्बर की शाम को रूस की तरफ़ तुरंत प्रस्थान करने की व्यवस्था करे।

 यह दमिश्क के पतन के एक दिन बाद और सैन्य ठिकानों के अंतिम पतन और शेष सभी सरकारी संस्थानों के निष्क्रिय होने के बाद हुआ।

इन घटनाओं के किसी भी चरण में मैंने इस्तीफ़ा देने या शरणार्थी पाने के बारे में नहीं सोचा था, और किसी भी व्यक्ति या ग्रुप द्वारा ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया था। कार्रवाई का एकमात्र संभावित तरीक़ा आतंकवादी हमलों से संघर्ष जारी रखना था।

मैं इस बात पर ज़ोर देता हूं कि जिस व्यक्ति ने युद्ध के पहले दिन से ही अपने निजी हितों के लिए अपने देश की आज़ादी के लिए सौदेबाजी करने से इनकार कर दिया और कई प्रस्तावों और प्रलोभनों के बावजूद अपनी जनता को ख़तरे में डालने से इनकार कर दिया, यह वही व्यक्ति है जो सिर्फ़ एक है सबसे खतरनाक और भीषण युद्धक्षेत्र में आतंकवादियों से कुछ मीटर की दूरी पर, फ़्रंट लाइन पर सेना के अधिकारियों और सैनिकों के बग़ल में खड़ा था।

वह वह व्यक्ति हैं जिन्होंने युद्ध के सबसे बुरे वर्षों के दौरान देश नहीं छोड़ा, बल्कि अपने परिवार और अपनी जनता के साथ रहा और युद्ध के चौदह वर्षों के दौरान बमबारी और आतंकवादियों द्वारा राजधानी में घुसपैठ की बारम्बार दी जाने वाली धमकियों के बावजूद आतंकवाद का डटकर मुक़ाबला किया।

इसके अलावा, वह व्यक्ति जिसने कभी भी फ़िलिस्तीनी और लेबनानी प्रतिरोध का साथ नहीं छोड़ा है और अपने साथ खड़े सहयोगियों को धोखा नहीं दिया है, वह अपनी जनता को नहीं छोड़ सकता है या सेना और उस राष्ट्र को धोखा नहीं दे सकता है जिससे वह जुड़ा हुआ हुआ है।

मैंने कभी भी व्यक्तिगत हितों के लिए पोज़ीशन हासिल करने की कोशिश नहीं कीबल्कि मैंने हमेशा ख़ुद को एक राष्ट्रीय परियोजना का रक्षक माना है, एक ऐसी परियोजना जिस पर सीरियाई जनता को भरोसा था।

मुझे सरकार की रक्षा करने, उसके संस्थानों की रक्षा करने और अंतिम क्षण तक उनकी पसंद का समर्थन करने की उनकी सीरियाई जनता की इच्छा और क्षमता पर दृढ़ विश्वास है।

जब सरकार आतंकवादिय के हाथों में चली जाती है और सार्थक भूमिका निभाने की क्षमता खो जाती है, तो हर पद और पोज़ीशन अर्थ और उद्देश्य से ख़ाली हो जाती है और उस पर क़ब्ज़ा करना अर्थहीन हो जाता है।

यह किसी भी तरह से सीरिया और उसकी जनता से जुड़े होने की मेरी गहरी भावना को कम नहीं करता है, एक ऐसा बंधन जिसे किसी भी स्थिति या परिस्थिति से डगमगाया नहीं जा सकता। यह आशा से ओतप्रोत अपनेपन की भावना है, आशा है कि सीरिया फिर से स्वतंत्र और स्वाधीन होगा।

इस्राईल जड़ से उखड़ जाएगा इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने देश के विभिन्न वर्गों की हज़ारों महिलाओं से मंगलवार 17 दिसम्बर 2024 को मुलाक़ात के अवसर पर हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के शुभ जन्म दिवस की बधाई पेश करते हुए उनकी सीरत के विभिन्न पहलुओं पर रौशनी डाली।

उन्होंने सृष्टि के हैरत अंगेज़ तथ्यों में से एक के रूप में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के पवित्र वुजूद के कुछ पहलुओं पर रौशनी डालने के साथ ही औरत के बारे में विभिन्न दृष्टिकोणों की भी चर्चा की। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने क्षेत्र और प्रतिरोध मोर्चे की स्थिति और सीरिया की घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि सीरिया में जो कुछ हुआ और ज़ायोनी सरकार और अमेरिका ने जो अपराध किए और इसी के साथ दूसरों ने जो उनकी मदद की उसकी वजह से शत्रुओं ने सोचा कि प्रतिरोध का काम तमाम हो गया मगर वे बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी में हैं।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि सैयद हसन नसरुल्लाह और यह्या सिनवार की आत्मा जीवित है, कहा कि उनके शरीर चले गए लेकिन शहादत ने उन्हें अस्तित्व के मैदान से बाहर नहीं किया है और उनकी आत्मा व विचार जीवित हैं और उनका मार्ग जारी है।

इस्लामी क्रांति के नेता ने ज़ायोनियों के प्रतिदिन के हमलों पर ग़ज़ा के डटे रहने और लेबनान का प्रतिरोध जारी रहने की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि ज़ायोनी सरकार अपने विचार में सीरिया के रास्ते हिज़्बुल्लाह को घेरने और उसे जड़ से ख़त्म करने के लिए तैयार हो रही है लेकिन जो उखाड़ फेंका जाएगा वह इस्राईल है।

उन्होंने फ़िलिस्तीन और हिज़्बुल्लाह के मुजाहेदीन के साथ ईरान के खड़े रहने और उनका हर संभव समर्थन जारी रखने पर बल देते हुए कहा कि उम्मीद है कि मुजाहेदीन वह दिन देखेंगे जब दुष्ट दुश्मन उनके पैरों के नीचे कुचला जाएगा।

अपने संबोधन के एक दूसरे भाग में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और कहा कि यह बहुत आश्चर्यजनक है कि एक युवा महिला आध्यात्मिक दृष्टि से उस मुक़ाम पर पहुंच जाती है शिया और सुन्नी हदीसों के मुताबिक़ उसका क्रोध, ईश्वर का क्रोध और उसकी प्रसन्नता ईश्वर की प्रसन्नता बन जाती है।

 उन्होंने कठिनाइयों में पैग़म्बर को दिलासा देने, जेहाद में अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली का साथ देने, इबादत में फ़रिश्तों की आंखों को चकाचौंध कर देने, फ़सीह व बलीग़ और ज्वलंत ख़ुतबे देने, इमाम हसन, इमाम हुसैन और हज़रत ज़ैनब के पालन व प्रशिक्षण को हज़रत फ़ातेमा की बेजोड़ विशेषताएं बताया और कहा कि वे बचपन, युवावस्था, विवाह और जीवन शैली में मुस्लिम महिला का सबसे श्रेष्ठ, सबसे सुंदर और सबसे प्रमुख आदर्श हैं।

इस्लामी क्रांति के नेता ने दुनिया में महिलाओं के विषय में पाए जाने वाले विभिन्न विचारों की ओर इशारा करते हुए कहा कि पूंजीवाद और पूंजीवाद के अधीन राजनेता दुनिया के प्रभावशाली मीडिया के साथ पूरी तरह झूठ बोल कर विदित रूप से दार्शनिक और मानवतावादी विचारधारा की आड़ में, विश्व के महिला समाज के मामलों में हस्तक्षेप करने और अपने नाजायज़ हितों को साधने के लिए अपनी आपराधिक और भ्रष्ट विचारधारा को छिपाए रखते हैं।

उन्होंने झूठ और दिखावे को पश्चिमी साम्राज्यवादियों और पूंजीपतियों का स्थायी हथकंडा बताया और आज़ादी और स्वतंत्रता के नाम पर महिलाओं को सस्ते मज़दूरों के रूप में कारख़ानों में घसीटने को इसी पाखंड की एक मिसाल बताया। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने विवाह को इस्लाम में महिलाओं के संबंध में एक मूल और महत्वपूर्ण सिद्धांत बताया और कहा कि पवित्र क़ुरआन की कई आयतों के आधार पर, महिलाएं और पुरुष एकसमान और एक-दूसरे का जोड़ा व पूरक हैं।

उन्होंने कहा कि स्त्री-पुरुष के एक दूसरे का जोड़ा होने की पूर्ति के लिए परिवार नामक तीसरी इकाई का गठन ज़रूरी है। उन्होंने मातृत्व के आध्यात्मिक मूल्य और उस पर गर्व को महिलाओं के मामले में इस्लाम की विचारधारा के एक अन्य सिद्धांत बताया और कहा कि आज पूंजीवादी और साम्राज्यवादी नीतियों की छाया में कुछ लोग और स्वतंत्र समाज के दुश्मन, खासकर हमारे दुश्मन मातृत्व की ग़लत छवि पेश करते हैं जबकि माँ की भूमिका और एक इंसान का पालन-पोषण करना बड़ा अनमोल सम्मान है।

इस्लामी क्रांति के नेता ने राजनीतिक और विश्व क्षेत्रों में गरिमापूर्ण गतिविधि और इसी तरह पवित्र प्रतिरक्षा, पवित्र स्थलों की रक्षा और राजनैतिक मैदान में भूमिका को क्रांति की सफलता के बाद महिलाओं की गतिविधियों के प्रकाशमान उदाहरण बताया और कहा कि ईरानी महिला अपनी पहचान, संस्कृति, देश की ऐतिहासिक और मूल परंपराओं को पूरी गरिमा और पाकीज़गी के साथ सुरक्षित रखने में कामयाब रही है और वह आजतक उन बुरे नुक़सानों में नहीं फंसी है जो कई पश्चिमी देशों को झेलने पड़े हैं।

 उन्होंने यह भी कहा कि दुश्मन भी बेकार नहीं बैठा है और साज़िश रचने में लगा हुआ है क्योंकि उसे जल्द ही समझ में आ गया कि युद्ध, बमबारी, झूठे राष्ट्रवाद और उपद्रवी लोगों के ज़रिए क्रांति को हराना और झुकाना संभव नहीं है, इसी लिए वह कुप्रचार, प्रलोभन और झूठे नारे जैसे हथकंडे इस्तेमाल कर रहा है।

आज सुबह मंगलवार विभिन्न वर्गो से जुड़ी हजारों महिलाओ ने हुसैनीया इमाम खुमैनी हुसैनिया में इस्लामी क्रांति के नेता हजरत आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई से मुलाक़ात की।

विभिन्न वर्गो से जुड़ी हजारों महिलाओं ने हुसैनिया इमाम खुमैनी में इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनई से मुलाक़ात की

इस्लामी क्रांति के नेता के संबोधन के महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. शत्रुओं की रणनीति:

सर्वोच्च नेता ने कहा कि इस्लामिक गणराज्य के दुश्मनों को एहसास हो गया है कि क्रांति को कठोर तरीकों और रवैये से नहीं हराया जा सकता है, इसलिए वे प्रचार, कानाफूसी और झूठ जैसी नरम रणनीति का सहारा ले रहे हैं।

  1. महिलाओं की भूमिका:

उन्होंने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे समाज की महिलाओं को महिलाओं से जुड़े मुद्दों की रक्षा और इस्लामिक मूल्यों की रक्षा के लिए खुद को जिम्मेदार समझना चाहिए.

  1. प्रतिरोध के विरुद्ध षडयंत्र:

उन्होंने सीरिया की घटनाओं और अमेरिका तथा ज़ायोनी सरकार द्वारा किए गए अपराधों का ज़िक्र करते हुए कहा कि दुश्मनों ने सोचा कि प्रतिरोध समाप्त हो गया है, लेकिन यह उनकी बड़ी ग़लतफ़हमी थी।

  1. ज़ायोनी शासन का पतन:

उन्होंने जोर देकर कहा कि ज़ायोनी शासन सोचता है कि वह सीरिया के माध्यम से हिजबुल्लाह को घेरकर उसे नष्ट कर सकता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि जो नष्ट होगा वह इज़रायल ही है।

इज़रायली युद्धक विमानों ने मंगलवार सवेरे सीरिया में पूर्व सैन्य शस्त्रागारों को और रहाइसी इलाकों को निशाना बनाते हुए कई हवाई हमले किए हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,इज़रायली युद्धक विमानों ने मंगलवार सवेरे सीरिया भर में पूर्व सैन्य शस्त्रागारों को और ग्रामीण इलाकों को निशाना बनाते हुए कई हवाई हमले किए हैं।

ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने बताया कि ताजा छापे में ज़ामा के पास बटालियन 107 में मिसाइल ठिकानों और ग्रामीण टार्टस में हथियार गोदामों पर हमला किया गया।

इससे पहले रविवार शाम को एक इजरायली जेट ने कथित तौर पर पूर्वी सीरिया के दीर अलज़ौर सैन्य हवाई अड्डे पर रडार प्रतिष्ठानों पर हमला किया था।

इज़रायली विमानों ने ग्रामीण दमिश्क में पहाड़ों में खोदे गए पूर्व युद्ध सामग्री डिपो को निशाना बनाया, जिससे कई शक्तिशाली विस्फोट हुए।

यह हमले इज़राइल द्वारा चल रहे सैन्य अभियान का हिस्सा हैं जो 8 दिसंबर को शुरू हुआ था जिसमें सीरिया के पूर्व नेतृत्व से जुड़ी किसी भी शेष सैन्य क्षमताओं को लक्षित किया गया था क्योंकि देश के नए अधिकारी देश की सुरक्षा स्थिति को स्थिर करने के लिए काम कर रहे हैं।

यमन की उच्च राजनीतिक परिषद के सदस्य मोहम्मद अली हौसी ने सना पर अमेरिका के हमलों के बाद ऐलान किया कि अंसारुल्लाह की कार्रवाइयां जारी रहेंगी और उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हम इन हमलों को कोई महत्व नहीं देते।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,यमन की उच्च राजनीतिक परिषद के सदस्य मोहम्मद अली हौसी ने अलमयादीन के साथ एक साक्षात्कार में इस बात पर ज़ोर दिया कि यमन के लोग अपनी जवाबी कार्रवाइयों और प्रतिक्रियाओं को जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा,हम आक्रमणकारी हवाई हमलों की निंदा करते हैं हमारा संघर्ष जारी रहेगा।यमन की उच्च राजनीतिक परिषद के सदस्य ने कहा,हमारी कार्रवाई जारी रहेगी और हम किसी भी कार्रवाई चाहे वह अमेरिका की ओर से हो या किसी अन्य की ओर से हम महत्व नहीं देते।

मंगलवार तड़के अमेरिकी-ब्रिटिश गठबंधन के आक्रमणकारी हमलों ने सना में कई स्थानों को बमबारी का निशाना बनाया। बताया जा रहा है कि इन हमलों में यमन के रक्षा मंत्रालय की इमारत भी प्रभावित हुई है।

अमेरिका और ब्रिटेन के यमन पर हमले का उद्देश्य ज़ायोनी शासन इज़राइल को समुद्री घेराबंदी से बचाना है।

जमीयत उलमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने वक्फ संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाला विधेयक है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नही किया जा सकता है।

 हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, जमीयत उलमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने आंध्र प्रदेश में एक रैली को संबोधित करते हुए वक्फ संशोधन विधेयक की सभी खामियां बताईं और कहा कि यह विधेयक मुसलमानों के वक्फ अधिकारों को छीनने की साजिश है और यह इस बात का सबूत है कि सरकार मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करना चाहती है।

 उन्होंने कहा कि यह बिल वक्फ की रक्षा के लिए लाया गया था लेकिन इसमें किए गए बदलावों से साबित होता है कि यह बिल मुसलमानों को उनकी धार्मिक संपत्ति से वंचित करने के लिए लाया जा रहा है।

 मौलाना अरशद मदनी ने कहा, इस बिल का होना न सिर्फ मुसलमानों का धार्मिक मुद्दा है, बल्कि हमारे संवैधानिक अधिकारों पर भी हमला है।

 उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा से ही देश बचेगा और संविधान का उल्लंघन करने पर देश की अखंडता को खतरा होगा।

 उन्होंने कहा कि फिलहाल केंद्र सरकार वक्फ संशोधन बिल ला रही है और समान नागरिक संहिता लागू करने की बात भी कर रही है।

 ध्यान दें कि भारत की केंद्र सरकार का कहना है कि नए संशोधन बिल से वक्फ संपत्तियों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।

 वक्फ संपत्तियों का मुद्दा हाल के वर्षों में भाजपा और दक्षिणपंथी हिंदू नेताओं के लिए एक गर्म विषय रहा है।

मजलिस ए ख़ुबरेगान ने हालिया क्षेत्रीय घटनाक्रम और सीरिया में हो रहे घटनाओं के संदर्भ में एक बयान जारी किया है बयान में मौजूदा हालात का गहराई से विश्लेषण करते हुए उम्मत-ए-मुस्लिमाह को दुश्मनों की साज़िशों के प्रति सतर्क रहने की अपील की गई है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,पश्चिमी एशिया के हालिया घटनाक्रम विशेषकर सीरिया की घटनाओं के संदर्भ में मजलिस ए ख़ुबरेगान-ए-रहबरी ने एक बयान जारी किया है इस बयान में सीरिया की स्थिति पर हज़रत आयतुल्लाह अली ख़ामनेई के हिकमत और रौशनी से भरे बयानों की सराहना की गई।

बयान का पाठ इस प्रकार है:

بسم الله الرحمن الرحیم

إِنَّ ٱلَّذِینَ قَالُواْ رَبُّنَا ٱللَّهُ ثُمَّ ٱسۡتَقَٰمُواْ تَتَنَزَّلُ عَلَیۡهِمُ ٱلۡمَلَـٰٓئِکَةُ أَلَّا تَخَافُواْ وَلَا تَحۡزَنُواْ وَأَبۡشِرُواْ بِٱلۡجَنَّةِ ٱلَّتِی کُنتُمۡ تُوعَدُونَ

जो लोग कहते हैं हमारा रब अल्लाह है और उस पर स्थिर रहते हैं उन पर फरिश्ते उतरते हैं और कहते हैं कि मत डरो मत उदास हो और तुम्हें उस जन्नत की शुभ सूचना हो जिसका तुमसे वादा किया गया था।

पश्चिम एशिया विशेष रूप से सीरिया में हालिया घटनाएं दुश्मन मीडिया की साजिशों और तकफ़ीरी आतंकवादियों की झूठी छवि पेश करने के कारण दुनिया की राय को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं।

इसके बावजूद रहबर ए मुअज़्ज़म ने अपने व्यापक और बुद्धिमान बयानों के माध्यम से इस शैतानी प्रक्रिया के छिपे और खुले पहलुओं को स्पष्ट किया और प्रतिरोध मोर्चे के खिलाफ रचे गए षड्यंत्र को उजागर किया।

मजलिस ए ख़ुबरिगान ने सीरिया के मामलों पर रहबर-ए-मुअज़्ज़म के जागरूक और उम्मीदों से भरे दृष्टिकोण की सराहना की बयान में यह भी कहा गया कि रहबर ए मुअज़्ज़म ने सीरिया के युवाओं की क्रांति प्रतिरोध मोर्चे के विस्तार और क्षेत्र में उज्ज्वल भविष्य की ओर इशारा किया। इसके अलावा प्रतिरोध मोर्चे के शहीदों और महान नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

मजलिस ए ख़ुबरेगान ने ज़ोर दिया कि प्रतिरोध और डटे रहना ही इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों के खिलाफ जीत का एकमात्र रास्ता है। अमेरिका और ज़ायोनी शासन जैसे अत्याचारी ताकतों के साथ समझौता करने से कुछ हासिल नहीं होगा।

 कहा गया कि इतिहास गवाह है कि चाहे कर्बला की घटना हज़रत इमाम हुसैन अ.स. और उनके साथियों की शहादत हो या ईरानी इस्लामी क्रांति के खिलाफ थोपे गए युद्ध, लेबनान के खिलाफ 33 दिनों का युद्ध या हाल ही में 7 अक्टूबर के बाद ग़ज़्ज़ा में 50,000 मासूम लोगों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की शहादत हर बार अत्याचारी शक्तियां नष्ट हुईं।

अंत में बयान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बुराई पर विजय के लिए विश्वास को मजबूत करना कर्तव्यों का पालन करना सतर्कता के साथ मैदान में मौजूद रहना और जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।

 

 

 

 

 

इराक,ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कतर ने कब्जे वाले गोलान हाइट्स में बस्तियों का विस्तार करने की योजना को मंजूरी देने की इजरायल की निंदा की हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार , सऊदी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह फैसला सीरिया की सुरक्षा और स्थिरता बहाल करने की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों का एक सिलसिला है।

मंत्रालय ने सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया यूएई ने अपने विदेश मंत्रालय के एक बयान में चेतावनी दी कि इजरायली कार्रवाई से क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है।

ईरान ने कहा कि इसराइल गोलन घाटी पर कब्जा करके वहां के लोगों पर जुल्म कर रहा है इसके लिए सभी को आवाज उठाने की आवश्यकता है।

 यूएई कब्जे वाले गोलान हाइट्स की कानूनी स्थिति को बदलने के उद्देश्य से सभी उपायों और प्रथाओं को स्पष्ट रूप से खारिज करता है। बयान में कहा गया है कि गोलान हाइट्स में इजरायली बस्तियों का विस्तार सीरिया की सुरक्षा स्थिरता और संप्रभुता के लिए सीधा खतरा है।

एक बयान में कतर के विदेश मंत्रालय ने इस फैसले को सीरियाई क्षेत्रों पर इजरायली आक्रामकता की श्रृंखला में एक नया प्रकरण और अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन बताया हैं।

 

 

 

 

 

मानवाधिकार संगठन के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा कि इजराइल का दावा है कि उसकी लड़ाई हमास के खिलाफ है, जो सच नहीं है, वह बिना किसी भेदभाव के सभी फिलिस्तीनियों को निशाना बना रहा है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलोमार्ड ने कहा है कि कब्जे वाले इजरायली अधिकारी एक साल से अधिक समय से अपने सहयोगियों और दुनिया के अधिकांश देशों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि आत्मरक्षा में गाजा पट्टी को नष्ट करने के उनके प्रयास उचित हैं। उन्होंने कहा कि यह विनाश, क्रूर और निरंतर सैन्य आक्रमण का युद्ध है। कैलोमार्ड ने रविवार को अमेरिकी पत्रिका न्यूजवीक में अपने लेख में कहा कि दावा है कि गाजा पर नरसंहार का युद्ध केवल हमास को खत्म करने के लिए है, न ही भौतिक विनाश के लिए। एक राष्ट्रीय और जातीय समूह के रूप में फ़िलिस्तीनी, आंशिक रूप से ही सही, एक वास्तविकता है। हकीकत तो यह है कि इजराइल बिना किसी भेदभाव के सभी फिलिस्तीनियों को निशाना बना रहा है. एमनेस्टी ने हाल ही में गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायली कब्जे वाले राज्य के चल रहे नरसंहार के निर्णायक सबूत प्रकाशित किए।

एमनेस्टी इंटरनेशनल के एक अधिकारी ने बताया कि एमनेस्टी की जांच से साबित होता है कि इजराइल ने नरसंहार किया है. ये जांच कड़ी मेहनत, शोध और कठोर कानूनी विश्लेषण पर आधारित हैं। हमारे शोध से पता चलता है कि इज़राइल ने फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार किया है और जारी रख रहा है। वह कहती हैं कि इजरायल ने नरसंहार कन्वेंशन के तहत गाजा में फिलिस्तीनियों के खिलाफ अमानवीय कृत्य किए, जिसमें प्रत्येक फिलिस्तीनी को निशाना बनाकर हत्याएं और व्यवस्थित, पूर्व-निर्धारित शारीरिक और मनोवैज्ञानिक यातनाएं शामिल हैं।

कैलामार्ड ने कहा कि कब्जे वाली सेनाओं ने गाजा को इतनी तेजी से नष्ट कर दिया और इस सदी में किसी अन्य युद्ध में इस पैमाने पर इतना विनाश नहीं हुआ। शहर तबाह कर दिए गए और महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे, कृषि भूमि और सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल नष्ट कर दिए गए। उन्होंने कहा, "हजारों फिलिस्तीनी मारे गए। गाजा की आबादी अकाल और अनगिनत बीमारियों का शिकार थी।" संगठन की रिपोर्ट में पेश किए गए सबूतों से साफ पता चलता है कि इजरायली सैन्य अभियान का जानबूझकर किया गया उद्देश्य गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों को नष्ट करना है। शीर्ष इज़रायली अधिकारियों ने फ़िलिस्तीनियों को उनकी बुनियादी मानवीय ज़रूरतों से वंचित करने का काम किया। कब्ज़ा करने वाली सेना ने बार-बार मनमाने और भ्रमित करने वाले सामूहिक निकासी आदेश जारी किए, नागरिकों को छोटे और कम रहने योग्य क्षेत्रों में जाने के लिए मजबूर किया, महत्वपूर्ण जीवन-समर्थक बुनियादी ढांचे पर भी जानबूझकर हमले किए गए। उन्होंने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे नतीजे कितने असंतोषजनक हैं।" ऐसी क्रूरता के सामने निष्क्रियता अक्षम्य है क्योंकि हमने जो सबूत प्रकाशित किए हैं उनका मतलब है कि छिपाने के लिए कोई जगह नहीं है। इसलिए इज़राइल के सहयोगियों को यह दिखावा करना बंद करना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय अपराध नहीं हुए हैं। अब मानवता की रक्षा करने का समय आ गया है जो विश्व का कर्तव्य है।