رضوی

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अमरोहा का मुहर्रम जिन मामलों में अद्वितीय है, उनमें इमाम हुसैन के प्रति हिंदुओं की भक्ति विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मुस्लिम श्रद्धालुओं की तरह हिंदू पुरुष और महिलाएं भी कर्बला के शहीदों के प्रति अपना हार्दिक प्रेम, भक्ति और सम्मान व्यक्त करते हैं।

, जिन मुद्दों के लिए अमरोहा के मुहर्रम को अलग दर्जा प्राप्त है, उनमें इमाम हुसैन के प्रति हिंदुओं की भक्ति विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मुस्लिम श्रद्धालुओं की तरह हिंदू पुरुष और महिलाएं भी कर्बला के शहीदों के प्रति अपना हार्दिक प्रेम, भक्ति और सम्मान व्यक्त करते हैं।

अज़ाई तबर्रुकात के सम्मान से लेकर अज़ाई जुलूस के स्वागत और शोक मनाने वालों के लिए जुलूस तक, हिंदू भक्त मुसलमानों की तरह नेतृत्व करते हैं। चाहे वह मोहल्ला मंडी चूब में फूल बेचने वाले दुकानदार हों या बड़ा बाजार में बाबा गंगानाथ मंदिर की प्रबंधन समिति के सदस्य, वे मजार, ताबूत और जुलजनाह पर माला चढ़ाते हैं और अज़ा मनाने वालों पर फूल बरसाकर अपनी भक्ति दिखाते हैं।

मुहर्रम में हिंदू महिलाएं भी मन्नतें मांगती हैं और मन्नत पूरी होने पर जुल-जनाह पर चादरें बिछाती हैं। धुल-जना को दूध में भिगोए हुए चने खिलाए जाते हैं।

कर्बला में तीन दिन तक भूखे-प्यासे रहे इमाम हुसैन और उनके साथियों के नाम पर हिंदू मातम मनाने वालों की प्यास बुझाने के लिए सबील का भी इस्तेमाल करते हैं। नगर पालिका चेयरपर्सन शशि जैन ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ अज़ाई जुलूस का स्वागत किया।

पंडित भवन कुमार शर्मा और सतिंदर धारीवाल जैसे लोग मुहर्रम को भाईचारा बढ़ाने का जरिया बताकर इमाम हुसैन के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

9 मुहर्रम के निशान जुलूस में हिंदू-मुस्लिम सांस्कृतिक एकता की झलक देखने को मिलती है। मौहल्ला दरबार कलां से विद्वानों का जुलूस निकलकर मौहल्ला कटकोई के अंत्येष्टि स्थल तक जाता है। इन विद्याओं को निशा कहा जाता है। प्रत्येक निशान पर एक पीला कपड़ा बांधा जाता है। कहा जाता है कि ज्ञान पर पीला कपड़ा बांधने के प्रवर्तक बाबा गंगानाथ थे।

आज भी बाबा गंगा नाथ मंदिर के प्रबंध समिति के सदस्य एवं शहर के प्रतिष्ठित हिंदू लोग निशानों पर फूल चढ़ाकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। इस वर्ष भी निशान जुलूस का स्वागत करने वालों में प्रतुल शर्मा, पवन शर्मा शामिल हैं। मंदिर समिति के सचिन रस्तोगी, उमेश गुप्ता, सत्येन्द्र धारीवाल, पंडित भवन कुमार शर्मा व डॉ. नाशेर नकवी समेत कई हिंदू भाई शामिल रहे।

अमरोहा का मुहर्रम हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है

अमरोहा में 3 मुहर्रम से 10 मुहर्रम तक आला और ताजियों के जुलूस निकलते हैं। 3 मुहर्रम से 8 मुहर्रम तक प्रत्येक जुलूस सुबह से शाम तक लगभग 17 किलोमीटर की दूरी तय करके अपने शुरुआती बिंदु पर लौटता है। आशूरा के दिन शोक जुलूस निकाले जाते हैं।

हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने अपनी रूस यात्रा के दौरान मास्को में इब्ने सिना फाउंडेशन का दौरा किया।

हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने अपनी रूस यात्रा के दौरान मॉस्को में इब्ने सिना फाउंडेशन का दौरा किया।

इस अवसर पर इब्ने सिना फाउंडेशन के प्रमुख डॉ. हादवी ने ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख से मुलाकात की और उनके साथ आए अतिथियों ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए इस फाउंडेशन की अनुसंधान और शैक्षिक गतिविधियों के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं।

उन्होंने आगे कहा इब्ने सिना फाउंडेशन इस्लामियात और ईरानोलॉजी के बारे में रूसी भाषा में सामग्री तैयार करने वाला सबसे महत्वपूर्ण संगठन है इस फाउंडेशन ने कुरआन और कुरान के विषयों पर चार सौ से अधिक पुस्तकों का अनुवाद और प्रकाशन किया है।

सदरा पब्लिशिंग के निदेशक ने कहा इनमें से कुछ अनुवादित पुस्तकों को रूसी पुस्तक मेलों की चयनित पुस्तकों के रूप में चुना गया है।

तब अयातुल्लाह अराफ़ी ने रूस में रूसी भाषा में कई वर्षों की गतिविधियों के लिए डॉ. हादवी की प्रशंसा की और इस फाउंडेशन की गतिविधियों की प्रशंसा की उन्होंने इस फाउंडेशन के शैक्षणिक क्षेत्रों में प्रवेश करने पर खुशी व्यक्त की और विद्वानों और धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों को धन्यवाद किया।

हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख ने आगे कहां इब्ने सिना फाउंडेशन उत्कृष्ट सामग्री प्रकाशित करने और पुस्तकों का अनुवाद करने के क्षेत्र में अपना नाम बना सकता है।

इस संबंध में हमें ईरान और रूस के बीच अच्छे संबंधों से लाभ उठाना चाहिए ज्ञान के क्षेत्र की सामग्री का रूसी भाषा में अनुवाद करें और इसे रूस के वैज्ञानिक केंद्रों और इन विज्ञानों में रुचि रखने वाले सभी लोगों के लिए उपलब्ध कराएं।

 

 

 

अज़ाख़ाना अल्हाज नूर मुहम्मद कर्बलाई मरहूम पान दरीबा जौनपुर में 15 मोहर्रम के जुलूस में ख़िताब करते हुए मौलाना फ़ज़्ले मुमताज़ साहब ने फ़रमाया के कर्बला का एक अहम पैग़ाम अपनी ज़िम्मेदारियों को वक्त पर अंजाम देना है और अगर ज़िम्मेदारी वक्त पर अदा ना की जाए तो उस काम की खूबसूरती कम हो जाती हैं।

जौनपुर,अज़ाख़ाना अल्हाज नूर मुहम्मद कर्बलाई मरहूम पान दरीबा जौनपुर में 15 मोहर्रम के जुलूस में ख़िताब करते हुए मौलाना फ़ज़्ले मुमताज़ साहब ने फ़रमाया के कर्बला का एक अहम पैग़ाम अपनी ज़िम्मेदारियों को वक्त पर अंजाम देना है और अगर ज़िम्मेदारी वक्त पर अदा ना हो तो उस काम मे हुस्नओ जमाल ग़ारत हो जाता हैं।

कर्बला के शहीदों ने अपनी ज़िम्मेदारियों को वक्त पर बा ख़ूबी अदा किया जिस से कर्बला की तारीख़ हसीन ओ जमील हो गई यही वजह है कि जनाब ज़ैनब अ.स.ने कहा था कि मैं ने कर्बला में हुस्न ओ जमाल के सिवा कुछ देखा ही नहीं।

यह जुलूस शिराज़े हिंद के क़दीम जुलूसों में से एक है जिसमे शहरे जौनपुर की अवाम दूसरी जगह के मोमिनीन बड़ी संख्या में उपस्थित हुए  जुलूस का आग़ाज़ सैयद गौहर अली ज़ैदी ने सोज़ख़्वानी के ज़रिए से किया।

जुलूस में निज़ामत के फ़राइज़ मौलाना क़ाज़ी बाक़िर मेहदी साहब ने की पेश ख़्वानी के फ़राइज़ जनाब आले रज़ा साहब, जनाब ज़मीर जौनपुरी साहब, जनाब एहतेशाम जौनपुरी साहब , जनाब सलमान जौनपुरी और जनाब वसीम जौनपुरी साहब ने किया।

जुलूस की एख्तेतामी तक़रीर मौलाना मोहम्मद रज़ा ख़ान साहब ने की जिस में उन्होंने अज़ादारी में  ख़्वातीन के ख़ास किरदार पर रौशनी डाली और मुख़ालेफ़ीन को मुंह तोड़ जवाब दिया।

तक़रीर के बाद 72 पंजे के अलम की मख़्सूस ज़ियारत कराई गई , जौनपुर की मारूफ अंजुमनों ने हज़रत ज़हरा अ.स. को उनके नौनिहालों का पुरसा पेश किया , कसीर तादाद में मोमनीन और मोमनात ने शिरकत की।

यह जुलूस हुसैनिया मीर घर पान दरीबा में एख़्तेताम पज़ीर हुआ , इस मौक़े पर शहर के दीगर उलेमाए केराम हुज्जतुल इस्लाम आली जनाब मौलाना निसार हुसैन प्रिंस साहब, आली जनाब मौलाना दिलशाद हुसैन साहब, आली जनाब मौलाना हसन जाफर साहब,आली जनाब मौलाना सलमान हैदर साहब किबला वग़ैरा  मौजूद रहे।

यह जुलूस सोगवाराने सैयदूश्शोहदा अ.स. कमेटी की जानिब से हर साल 15 मुहर्रम को होता है।

 

अलमयादीन वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार यमन की उच्च राजनीतिक परिषद के एक वरिष्ठ सदस्य ने शनिवार की शाम को अलहुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी सरकार के हमलों की प्रतिक्रिया में चेतावनी देते हुए कहा है कि इस अपराध से ग़ज़ा का समर्थन जारी रखने हेतु हमारा इरादा व संकल्प और मज़बूत हुआ है और यमन का जवाब तेलअवीव को हिला देगा।

यमन, ग़ज़ा और लेबनान पर ज़ायोनी सरकार के हमले और नेतनयाहू के ख़िलाफ़ हर शनिवार को व्यापक विरोध और यमनियों के जवाबी हमलों के भय से अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में अलर्ट रहने की घोषणा और इस्राईल के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की कड़ी सुरक्षा, पश्चिम एशिया के महत्वपूर्ण परिवर्तन हैं।

अलमयादीन की रिपोर्ट के अनुसार यमन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को इस देश पर ज़ायोनी सरकार के हमलों में 80 यमनियों के घायल होने की सूचना दी है।

अलमसीरा टीवी चैनल के रिपोर्टर ने भी रिपोर्ट दी है कि ज़ायोनी सरकार के युद्धक विमानों ने अलहुदैदा बंदरगाह में तेलभंडार और विद्दुत केन्द्रों पर हमला किया।

 अलमसीरा की रिपोर्ट के अनुसार यमन की सशस्त्र सेना के प्रवक्ता यहिया सरी ने शनिवार को कहा कि ज़ायोनी सरकार ने हवाई हमलों में कई बार असैनिक ठिकानों को निशाना बनाया और हम इस्राईल के इस खुले हमले का जवाब देंगे और दुश्मन के महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निशाना बनाने में हम संकोच से काम नहीं लेंगे।

अलमयादीन वेबसाइट ने रिपोर्ट दी है कि यमन की उच्च राजनीतिक परिषद के एक वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद अली अलहूसी ने शनिवार की शाम को अलहुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी सरकार के हमलों की प्रतिक्रिया में चेतावनी देते हुए कहा है कि इस अपराध से ग़ज़ा का समर्थन जारी रखने हेतु हमारा इरादा व संकल्प और मज़बूत हुआ है और यमन का जवाब तेलअवीव को हिला देगा।

हर शनिवार को नेतनयाहू के ख़िलाफ़ व्यापक विरोध किये गये

ज़ायोनी समाचार पत्र यदीऊत अहोरोनोत ने कहा है कि शनिवार की रात को कम से कम 30 हज़ार ज़ायोनी इस्राईल के युद्धमंत्रालय के पास जमा हुए और बंदियों की रिहाई के संबंध में नेतनयाहू की विघ्न डालने वाली नीतियों पर विरोध जताया। तेलअवीव के अलावा क़ुद्स और क़ैसारिया में भी नेतनयाहू के आवास के बाहर लोगों ने एकत्रित होकर नेतनयाहू की नीतियों पर आपत्ति जताई।

ज़ायोनी सरकार ने लेबनान पर हवाई हमला किया

अलमयादीन के संवाददाता ने शनिवार की रात को रिपोर्ट दी है कि ज़ायोनी सरकार के युद्धक विमानों ने

दक्षिणी लेबनान में सूर और सैदा उपनगरों के बीच में अदलून उपनगर पर हमला किया है। ज़ायोनी सरकार के इस हमले में कई लेबनानी शहीद व घायल हुए हैं।

यमन पर ज़ायोनी सरकार के मूर्खतापूर्ण हमले पर लेबनानी हिज़्बुल्लाह की प्रतिक्रिया

अलमयादीन की रिपोर्ट के अनुसार लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन ने रविवार को एक बयान जारी करके अलहुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी सरकार के हवाई हमलों की भर्त्सना की और कहा है कि इस सरकार की मूर्खतापूर्ण कार्यवाही क्षेत्रीय लड़ाई में नये चरण का आरंभ है।

इस बयान में आया है कि हिज़्बुल्लाह, यमनी राष्ट्र और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के समर्थन में यमनी राष्ट्र के एतिहासिक दृष्टिकोण का समर्थन करता है।

इराक़ी हिज़्बुल्लाहः समस्त मोर्चों पर ज़ायोनी सरकार का मुक़ाबला करने के लिए तैयार हैं।

समाचार एजेन्सी इर्ना ने रिपोर्ट दी है कि इराक़ी हिज़्बुल्लाह ने रविवार की सुबह को यमन की अलहुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी सरकार के हवाई हमले की प्रतिक्रिया में कहा है कि वह समस्त मोर्चों पर ज़ायोनी सरकार का मुक़ाबला करने के लिए तैयार है। इसी प्रकार इराक़ी हिज़्बुल्लाह के बयान में आया है कि ज़ायोनी सरकार ने अमेरिका और षडयंत्रकारी देशों के समर्थन से यह हमला अंजाम दिया है जो इस सरकार की मजबूरी व विवशता का सूचक है।

ग़ज़ा पर ज़ायोनी सरकार के हवाई हमलों में 11 फ़िलिस्तीनी शहीद

फ़िलिस्तीन की समाचार एजेन्सी समा ने रिपोर्ट दी हे कि ज़ायोनी युद्धक विमानों ने रविवार को ग़ज़ा के केन्द्र में स्थित अलबुरैज और अन्नुसैरात शिविर पर हमला किया। इस रिपोर्ट के आधार पर इस हमले में 11 फ़िलिस्तीनी शहीद हुए हैं और शहीद होने वालों में कुछ महिलायें और बच्चे भी शामिल हैं जबकि कुछ दूसरे घायल भी हुए हैं।

ज़ायोनियों का अपाची हेलीकाप्टर, फ़िलिस्तीनियों का नया शिकार

मशरिक़ न्यूज़ एजेन्सी की रिपोर्ट के अनुसार क़स्साम ब्रिगेड की सेनाओं ने एलान किया है कि फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ता ज़ायोनी सरकार की सेना का एक हेलीकाप्टर मार गिराने में कामयाब हो गये। क़स्साम ब्रिगेड के अनुसार यह अपाची हेलीकाप्टर था जिसे साम 7 मिसाइल से निशाना बनाया गया।

इसी संबंध में हिब्रूभाषी संचार माध्यमों ने स्वीकार किया है कि ग़ज़ा में एक कार्यवाही के दौरान चार ज़ायोनी सैनिक घायल हो गये।

अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में अलर्ट व चौकस रहने की स्थिति और यमन के जवाबी हमलों की डर से इस्राईल के महत्वपूर्ण ठिकानों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

इस्राईल के टेलिवीज़न चैनल 14 ने रिपोर्ट दी है कि इस्राईल ने यमनी सेना के जवाबी हमलों के भय से अलर्ट व चौकसी की हालत में वृद्धि कर दी है। हिब्रू भाषा के चैनल नंबर 12 ने भी रिपोर्ट दी है कि यमन की अलहुदैदा बंदरगाह पर अतिग्रहणकारियों के हमले के बाद यमनियों के जवाबी हमले की अपेक्षा है और ज़ायोनी सेना की वायुसेना समूचे अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में अलर्ट व चौकस की हालत में है।

यमनी हमलों के बाद मिर्सक कंपनी के जहाज़ में आग अभी भी लगी हुई है  

इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार ज़ायोनी सरकार से संबंधित मिरसक कंपनी का एक मालवाहक जहाज़ को दो दिन पहले यमन की सशस्त्र सेना ने निशाना बनाया था जिसमें अब भी आग लगी हुई है। इस रिपोर्ट के आधार पर भारत के समुद्र तट के निकट इस मालवाहक जहाज़ पर आग बुझाने के प्रयास किये जा रहे हैं उसके बावजूद कुछ कंटेनरों से आग की लपटें निकली रही हैं।

बहरैन के लोगों ने इस्राईल के अपराधों की भर्त्सना में प्रदर्शन किया

अलमयादीन की रिपोर्ट के अनुसार बहरैन के लोगों ने राजधानी मनामा में प्रदर्शन करके यमन की अलहुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी सरकार के हमलों की भर्त्सना की।

इस रिपोर्ट के आधार पर प्रदर्शनकारियों ने इसी प्रकार बहरैन सरकार के साथ ज़ायोनी सरकार के संबंधों के सामान्य बनाये जाने के समझौते को ख़त्म किये जाने की मांग की।

अब्दुल्लाह इब्ने उमैर अलकलबी आपका नाम अब्दुल्लाह इब्ने उमैर इब्ने अब्दे कै़स इब्ने अलीम इब्ने जनाबे कलबी अलिमी था आप कबीला ए अलीम के चश्मों चराग थें।

आपका नाम अब्दुल्लाह इब्ने उमैर इब्ने अब्दे कै़स इब्ने अलीम इब्ने जनाबे कलबी अलिमी था। आप कबीला-ऐ-अलीम के चश्मों चराग थे आप पहलवान और निहायत बहादुर थे।

कूफे के मोहल्ले हमदान में करीब चाहे जुहद मकान बनाया था और उसी में रहते थे। मुकामे नखला में लश्कर को जमा होता देख कर लोगो से पूछा लश्कर क्यों जमा हो रहा है कहा गया हुसैन इब्ने अली अलै० से लड़ने के लिए ये सुन कर आप घबराए और बीवी से कहने लगे की अरसा-ऐ-दराज से मुझे तम्मना थी की कुफ्फार से लड़ कर जन्नत हासिल करूँ।

लो आज मौका मिल गया है हमारे लिए यही बेहतर है की यहाँ से निकल चले और इमाम हुसैन की हिमायत में लड़ कर शर्फे शहादत से मुशर्रफ हो और साथ ही साथ हमराह जाने की दरख्वास्त भी पेश कर दी।

अब्दुल्लाह ने मंज़ूर किया और दोनों रात को छिप कर इमाम हुसैन की खिदमत में जा पहुचे और सुबहे आशूर जंगे मग्लूबा में ज़ख़्मी होकर शहीद हो गए।

अल्लामा समावी लिखते है की उस अज़ीम जंग में जब जनाबे अब्दुल्लाह की बीवी ने अपने चाँद को लिथड़ा हुआ देखा तो दौड़ कर मैदान में जा पहुची और उन के चेहरे से खून व ख़ाक साफ़ करने लगी इसी दौरान में शिमरे मलऊन के गुलाम रुस्तम लईन ने उस मोमिना के सर पर गुर्ज मार कर उसे भी शहीद कर दिया।

ईरान की युवा कुश्ती टीम ने 6 स्वर्ण, 1 रजत और 2 कांस्य पदक जीतकर निर्विवाद एशियाई चैम्पियनशिप की ख़िताब अपने नाम कर लिया।

एशियाई चैंपियनशिप युवा कुश्ती प्रतियोगिताएं 30 और 31 तीर माह बराबर 20 और 21 जुलाई को थाईलैंड के सिराचा शहर में आयोजित की गईं।

इन प्रतियोगिताओं के आख़िर में, अली अहमदी वफ़ा ने 55 किग्रा में, इरफ़ान जरकनी ने 63 किग्रा में, अली रज़ा अब्दवली ने 77 किग्रा में, मुहम्मद हादी सैदी ने 87 किग्रा में, हमीद रज़ा किश्तकार ने 97 किलोग्राम वज़न में और अबुल फ़ज़्ल फ़त्ही तज़ंगी ने 130 किलोग्राम वजन में ईरान के लिए स्वर्ण पदक जीता।

एक अन्य ईरानी पहलवान अहमद रज़ा मोहसिन नेजाद ने भी 67 किलोग्राम भार में रजत पदक जीता जबकि 72 किलोग्राम वजन में अहूरा बोइरी और 82 किलोग्राम वजन में मुहम्मद अर्जमंद ने भी कांस्य जीते।

टीम रैंकिंग में, ईरान की राष्ट्रीय युवा कुश्ती टीम ने 6 स्वर्ण, 1 रजत और 2 कांस्य पदक जीतकर 206 प्वाइंट हासिल किए जबकि क़ज़ाक़िस्तान 185 और क़िर्गिस्तान 141 प्वाइंट्स के साथ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।

 

 

इंग्लैंड के राष्ट्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा संगठन ने देश में डिमेंशिया (Dementia) रोगियों की संख्या में वृद्धि की सूचना दी है।

ब्रिटिश राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के एलान के मुताबिक़, पूरी दुनिया में डिमेंशिया या "संवेदनशीलता" की दर, इस देश में सबसे ज़्यादा है।

डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं। Dementia शब्द 'de' मतलब without और 'mentia' मतलब mind से मिलकर बना है।

अधिकतर लोग डिमेंशिया को भूलने की बीमारी के नाम  से जानते हैं. याददाश्त की समस्या एकमात्र इसका प्रमुख लक्षण नहीं है। हम आपको बता दें की डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिसका असर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के जीवन के हर पहलु पर होता है। दैनिक कार्यों में भी व्यक्ति को दिक्कतें होती हैं और ये दिक्कतें उम्र के साथ बढ़ती जाती हैं।

यह बीमारी 65 वर्ष से अधिक उम्र के दस लोगों में से एक को और 85 साल के चार में से एक को प्रभावित करती है. 65 साल से कम उम्र के लोग भी बीमारी से ग्रस्त हैं जिसे अल्जाइमर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है।

डिमेंशिया के दो कारण है पहला- मस्तिष्क की कोशिकाओं का नष्ट हो जाना और दूसरा उम्र के साथ मस्तिष्क की कोशिकाओं का कमजोर होना। इसमें अल्‍ज़ाइमर, वैस्‍कुलर डिमेशिया, फ्रंटोटेम्‍पोरल डिमेंशिया और पार्किंसन डिजीज आदि जैसी भूलने की बीमारी शामिल है। इसके साथ डायबिटीज, ट्यूमर, उच्‍च रक्‍तचाप के कारण भी डिमेंशिया होता है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि डिमेंशिया प्रतिवर्ती या स्थिर होता है।

पार्सटुडे के अनुसार, डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रोगी की याद रखने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। डिमेंशिया रोग में रोगी अपने से जुडी छोटी-छोटी बातों को भूलने लगता है। कभी-कभी तो परिचित व्यक्ति को भी रोगी पहचानने से इंकार कर देता है।

इस बिमारी से ग्रसित व्यक्ति में प्रमुख लक्षण दिखाई देते हैं:

स्मरण शक्ति की क्षति का होना, ज़रूरी चीज़ें भूल जाना, सोचने में कठिनाई होना, छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना,भटक जाना, व्यक्तित्व में बदलाव, किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है, नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत, स्व: प्रबंधन में दिक्कत, समस्या हल करने या भाषा और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत का होना, यहां तक कि डिमेंशिया लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते हैं, यानी मूड या व्यवहार का बदलना, पहल करने में झिजक का होना इत्यादि।

यह बीमारी सबसे हल्के चरण से गंभीरता में तबदील हो सकती है और इस अधिक गंभीर चरण में व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों के लिए भी दूसरों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाता है।

बहुत से लोग memory loss से ग्रस्त होते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनको अल्जाइमर या अन्य डिमेंशिया बिमारी है, memory loss होने के कई कारण हो सकते हैं.

प्रतिवर्ती यानी किसी एक अवस्‍था को ठीक करने से डिमेंशिया ठीक हो सकता है। जैसे कभी-कभी थायरायड के होने पर भी डिमेंशिया की समस्‍या हो सकती है, लेकिन थायरायड को कंट्रोल करने से यह अपने आप ठीक हो जाता है। दूसरा डिमेंशिया स्थिर होता है, यानी जो बदलाव हो चुके है उन्‍हें बदला नहीं जा सकता। लेकिन रोगी के व्‍यवहार में बदलाव ला सकते हैं। जिससे रोगी को बहुत मदद मिलती है।

इंग्लैंड के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि जून 2024 में इस देश में 487 हज़ार से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह से डिमेंशिया से पीड़ित थे।

इस संबंध में गार्जियन पत्रिका ने लिखा: इंग्लैंड में डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या पिछले साल जनवरी की तुलना में 12 प्रतिशत बढ़ गई है।

इंग्लैंड में डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि एक राष्ट्रीय संकट है और इस देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए एक चेतावनी समझा जा रहा है जिसकी वजह से वर्तमान समय में चिकित्सा देखभाल की लागत का दबाव बढ़ रहा है।

"डिमेंशिया" के बारे में ब्रिटिश संसद के प्रतिनिधियों के एक ग्रुप की रिपोर्ट, इन रोगियों के प्रति भेदभाव का संकेत देती है जिससे 1 लाख 15 हजार से अधिक पीड़ित, इस देश के वंचित क्षेत्रों में रहने की वजह से बीमारियों की पहचान और इलाज से भी वंचित हो गये हैं।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि संरचनात्मक बाधाएं, सांस्कृतिक अंतर, पारिवारिक डॉक्टरों के कार्यालयों में जाने में अंतर, लंबी याददाशत चेकिंग समय, रोगी की पहचान करने के बाद समर्थन की कमी, स्कैनिंग उपकरणों की कमी जैसी चीजें इन भेदभावों की अहम वजहें हैं।

डिमेंशिया नर्सिंग यूके ने हाल ही में एलान किया था कि इस देश में 10 में से एक मौत, डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर की वजह से होती है।

दुनिया भर में 50 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं जिसकी संख्या 2050 तक 15 करोड़ 30 लाख या 153 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।

डिमेंशिया की बड़ी संख्या और इस हाई टेंशन बीमारी से जूझने वाले देशों में इंग्लैंड, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों का नाम लिया जा सकता है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के कस्टम विभाग के प्रमुख का कहना है कि पिछले चार महीनों के दौरान, ईरान के मार्ग से विदेशी पारगमन में 58.5 फ़ीसद की वृद्धि हुई है, जो अब बढ़कर 7 मिलियन 6 लाख 22 हज़ार टन तक पहुंच गया है।

परिवहन और ट्रांज़िट के मामले में ईरान की एक विशेष भूराजनीतिक स्थिति है। ईरान को वैश्विक पारगमन या इंटरनेशनल ट्रांज़िट का चौराहा भी कहा जाता है। सुरक्षा और ख़र्चे में कमी इसकी अन्य विशेषताएं हैं। इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान के कस्टम विभाग के प्रमुख मोहम्मद रिज़वानीफ़र ने कहा कि पिछले चार महीनों में, ईरान के रास्ते विदेशी पारगमन में 58.5 फ़ीसद की बढ़ौतरी हुई है। इस तरह से यह बढ़कर 7 मिलियन 6 लाख 22 हज़ार टन तक पहुंच गया है। पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में पिछले चार महीनों में 661 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह ईरान के पारगमन सीमा शुल्क में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि है।

रिज़वानीफ़र ने कहाः ईरान के पीरानशहर सीमा शुल्क के बाद, विदेशी पारगमन में सबसे बड़ी वृद्धि सरख़स, परवीज़ ख़ान और बाश्माक़ सीमा शुल्क से हुई है। इस अवधि के दौरान क्रमशः 286, 197 और 111 फ़ीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।

ईरानी सीमा शुल्क के प्रमुख ने बताया कि पिछले चार महीनों में, परवीज़ ख़ान सीमा शुल्क बिंदु से सबसे बड़ी मात्रा में विदेशी पारगमन हुआ। इस अवधि के दौरान 2 मिलियन और 1 लाख 66 हज़ार टन माल परवीज़ ख़ान सीमा से स्थानांतरित किया गया। ईरान के केरमानशाह प्रांत और सीमा शुल्क शहीद रजाई, बाश्माक़, बाज़रगान और पीरानशहर विशेष क्षेत्रों का स्थान उसके बाद आता है।

इसी संदर्भ में, हाल ही में इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान रेलवे के सीईओ सैयद मियाद सालेही ने भी ईरान-चीन डबल कार्गो कंटेनर ट्रेन के लॉन्चिंग समारोह में कहा था कि ईरान यूरोपीय देशों में चीनी उत्पादों के परिवहन के लिए एक तेज़ और सुरक्षित प्रवेश द्वार के रूप में कार्य कर रहा है।

बता दें कि रविवार को एक समारोह में ईरान-चीन डबल कंटेनर ट्रेन की शुरुआत की गई थी। यह समारोह तेहरान के आपेरीन लॉजिस्टिक्स सेंटर में आयोजित किया गया था और चीन-ईरान-यूरोप रेल गलियारे के पहले चरण के परिचालन को शुरू किया गया था।

पलायनकर्ता विशेषकर पलायनकर्ता बच्चे अधिकांतः लैटिन अमेरिकी देशों से बहुत अधिक समस्याओं का सामना करने के बाद अमेरिका पहुंचते हैं जहां वे वाशिंग्टन की मौन नीति की सबसे बड़ी क़ुर्बानी बन गये हैं।

अमेरिकी पुलिस पलायनकर्ता बच्चों को न केवल शारीरिक प्रताड़ना देती है बल्कि उन्हें अपने माता- पिता से अलग कर देती है और वे उन कैम्पों में रहने के लिए बाध्य होते हैं जो मानकरहित होते हैं और वहां अधिक संख्या में लोग रहते हैं। यही नहीं जो रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं वे इस बात की सूचक हैं कि इन बच्चों का यौन शोषण भी होता है।

अभी हाल ही में अमेरिकी विधि मंत्रालय ने साउथवेस्ट के कंपनी के ख़िलाफ़ एक रिपोर्ट व शिकायत तैयार की है जो अमेरिका में पलायनकर्ता लोगों और बच्चों के लिए आश्रयस्थल उपलब्ध कराती है। उस “साउथवेस्ट के” कंपनी पर पलायनकर्ता बच्चों के साथ यौन शोषण करने का आरोप है। अमेरिका के अटार्नी जनरल क्रिस्टन कलार्क ने एक बयान में स्वीकार किया कि शिविरों में बच्चों का यौन शोषण अपमानजनक, अमानवीय और ग़ैर क़ानूनी है जबकि इन शिविरों में बच्चों को शांति व सुरक्षा होनी चाहिये।“

इस रिपोर्ट में “साउथवेस्ट के” कंपनी के कर्मचारियों पर बच्चों के साथ यौन शौषण करने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के साथ अभिभावक, सगे संबंधी या रक्षक के न होने के कारण अमेरिका की दक्षिण पश्चिमी सीमाओं पर शिविरों में भेजा गया जहां उनका यौन शौषण किया गया। साउथवेस्ट के कंपनी पलायनकर्ता और अभिभावक रहित बच्चों को शिविर प्रदान करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है और टेक्सस और कैलिफ़ोर्निया राज्यों में यह कंपनी 29 शिविरों का प्रबंधन व संचालन करती है।

पलायनकर्ता बच्चों का यौन शोषण करने में अमेरिकी शिविरों का अतीत

यद्यपि अमेरिका में पलायनकर्ता बच्चों के जो शिविर हैं उनमें विभिन्न शिविरों में सदैव बच्चों का यौन शोषण हुआ है परंतु हालिया वर्षों में जहां लैटिन अमेरिकी देशों से बहुत अधिक संख्या में पलायनकर्ता अमेरिका गये हैं वहीं बच्चों के साथ यौन शोषण में भी वृद्धि हो गयी है। इस प्रकार से कि यौन शोषण का शिकार बहुत से बच्चों की मौत हो गयी।

इसी संबंध में अभी कुछ समय पहले Axios न्यूज़ वेब साइट ने रिपोर्ट दी है कि पलायनकर्ता बच्चों के वकील ने अमेरिका की फ़ेडरल अदालत में शिकायत की है। इस साइट ने लिखा है कि टेक्सस में पलायनकर्ता बच्चों को शिविरों में बहुत ही हृदयविदारक स्थिति में रखा जा रहा है।

पलायनकर्ता बच्चों के शिविरों में यौन शोषण आम बात है।

अमेरिका के विधिमंत्रालय ने अपनी ताज़ा शिकायत में स्वीकार किया है कि जिन पलायनकर्ता बच्चों को शिविरों में रखा जाता है उन शिविरों के कर्मचारियों व ज़िम्मेदारों की ओर से विभिन्न प्रकार से उनका यौन शोषण किया जाता है।

इससे पहले भी बच्चों के साथ यौन शोषण की रिपोर्टें मिलती रही हैं। वर्ष 2020 में यौन शोषण का शिकार एक 15 वर्षीय बच्चे की रिपोर्ट में उसका विवरण दिया गया है। इसी प्रकार वर्ष 2022 में यौन उत्पीड़न की एक अन्य ख़बर इस बात की सूचक है कि पलायनकर्ता बच्चों के एक शिविर का कर्मचारी एक पांच वर्षीय बच्ची, एक आठ वर्षीय बच्ची और एक 11 वर्षीय बच्ची से टेक्सस राज्य के एक शरणार्थी शिविर में बारमबार अवैध संबंध बनाता है। ख़बर व शिकायत में कहा गया है कि आठ वर्षीय बच्ची ने प्रतिनिधियों को बताया कि शिविर के इस कर्मचारी ने धमकी दी थी कि अगर यौन उत्पीड़न की ख़बर लीक हुई तो वह उसके पूरे परिवार की हत्या कर देगा।

अमेरिका में बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध जारी हैं।

बच्चे वे वर्ग हैं जो अमेरिका के भीतर और बाहर उसकी नीतियों की भेंट चढ़ते रहे हैं। इस समय अमेरिका के अंदर इस अपराध का रहस्योद्घाटन इस बात का सूचक है कि पलायनकर्ता बच्चों को यौन उत्पीड़न व यौन शोषण का सामना है और यह उस स्थिति में है जब अमेरिका में बच्चों के अधिकारों की रक्षा के नारे लगाये जाते हैं।

यमन के जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अल-हूसी ने ज़ायोनी शासन को चेतावनी दी है और स्पष्ट किया कि इस्राईली ठिकानों के ख़िलाफ़ यमनी सेना के आप्रेशन  का दायरा, हिंद महासागर और भूमध्य सागर तक फैला जाएगा।

इस्राईली शासन भीषण हमलों की प्रतिरोध की योजना, यमन, लेबनान और ग़ज़ा पर ज़ायोनी शासन के लगातार हमलों, मक़बूज़ा क्षेत्रों में नेतन्याहू के ख़िलाफ़ प्रदर्शन और यमन की बंदरगाह अल-हुदैदा पर ज़ायोनी शासन के हमले की निंदा, हालिया घंटों में पश्चिम एशिया के कुछ सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम हैं जो आज आपकी सेवा में पेश किए जा रहे हैं।

यमन पर अमेरिकी और ब्रिटिश हवाई हमला

 अल-मयादीन चैनल के मुताबिक, रविवार को अमेरिकी-ब्रिटिश गठबंधन ने यमन के अल-सलीफ़ इलाक़े में स्थित "रासे ईसा" बंदरगाह पर हमला किया।

उसी वक़्त, यमन के हज्जा प्रांत में मौजूद अल-मसीरा चैनल के संवाददाता ने यह भी बताया कि मीदी सेक्टर में "बहीस" क्षेत्र पर भी अमेरिकी-ब्रिटिश युद्धक विमानों ने दो बार हमला किया।

अब तक, इन हमलों में होने वाले जानी और माली नुक़सान का ब्योरा हासिल नहीं हो सका है।

यमन पर ज़ायोनी शासन के हमले पर कुवैत, सीरिया और ओमान की प्रतिक्रियाएं

अल-मयादीन के अनुसार, तीन देशों कुवैत, ओमान और सीरिया के विदेश मंत्रालयों ने रविवार को बयान जारी कर यमनी इलाक़ों पर ज़ायोनी सेना के हमलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और इन क्रूर हमलों की कड़े शब्दों में निंदा की।

वहीं, इराक़ के नोजबा इस्लामिक रेजिस्टेंस मूवमेंट के महासचिव अकरम अल-काबी ने यमन की हुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी शासन के हमले की निंदा की।

उन्होंने कहा: मारे गये ज़ायोनियों की संख्या में वृद्धि और उनके शांत क्षेत्रों के अशांत होने के बाद प्रिय यमनियों के आधारभूत ढांचों को निशाना बनाने में ज़ायोनी शासन और उसके मूर्ख गठबंधन की कार्रवाईयां, कि किसी भी क्षण मौत उनके पास आ सकती है, ज़ायोनी शासन के अपराधों की की नाकामियों का एक नया अध्याय है।

ज्ञात रहे कि शनिवार शाम को यमन की अल-हुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी शासन के लड़ाकू विमानों ने बमबारी की थी। इस हमले के बाद इस तटीय शहर के तेल टैंकों में आग लग गई।

अब्दुल मलिक अल-हूसी, बड़े ऑप्रेशन अंजाम दिए जाने वाले हैं/ क़ब्ज़ाधारी इस्राईलियों को भयभीत रहना चाहिए

अल-मसीरा चैनल के अनुसार, यमन के जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव अब्दुल मलिक अल-हूसी ने रविवार को एक बयान में कहा: क़ब्ज़ाधारी इस्राइलियों को डरना चाहिए और पहले से कहीं अधिक चिंतित होना चाहिए, यह जानकर कि उनके मूर्ख नेताओं ने उनके लिए बढ़ते ख़तरे पैदा कर दिए हैं।

श्री बदरुद्दीन अल-हूसी ने कहा: इस्राईली दुश्मन ने तेल कंपनी के टैंक और अल-हुदैदा बिजली विभाग के टैंक पर सीधा हमला किया। इन लक्ष्यों को चुनने की वजह, यमन की अर्थव्यवस्था को निशाना बनाना और हमारे प्रिय राष्ट्र और उसकी आजीविका को नुक़सान पहुंचाना है।

यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के महासचिव ने कहा: यमन पर हमला करके दुश्मनों को कोई फ़ायदा नहीं होगा और यह हमले उसकी रक्षा नहीं कर सकते और ग़ज़ा के समर्थन में हमारे आप्रेश्न्ज़ के पांचवें चरण को जारी रखने से बाज़ नहीं रख सकते।

मुहम्मद अब्दुस्सलाम: हम ज़ायोनीयों के साथ संघर्ष तेज़ करने को तैयार हैं

अल जज़ीरा चैनल की रविवार की रिपोर्ट के अनुसार, यमन की राष्ट्रीय मुक्ति सरकार की वार्ता समिति के प्रमुख और मुख्यवार्ताकार मुहम्मद अब्दुस्सलाम का भी कहना था: यमनवासी संघर्ष के बढ़ने से डरते नहीं हैं और फ़िलिस्तीनियों की न्यायपूर्ण उमंगों की रक्षा के मार्ग पर बढ़ रहे हैं।

बेन गुरियन एयरपोर्ट पर नेतन्याहू के ख़िलाफ प्रदर्शन

रविवार को अल जज़ीरा चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री बेंन्यामीन नेतन्याहू की वाशिंगटन यात्रा से पहले ज़ायोनी प्रदर्शनकारियों ने बेन गुरियन हवाई अड्डे पर विरोध प्रदर्शन किया।

इस प्रदर्शन में ज़ायोनी प्रदर्शनकारियों ने ज़ायोनी शासन और ग़ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के बीच क़ैदियों के आदान प्रदान के समझौते पर हस्ताक्षर की मांग की।

इससे पहले, मक़बूज़ा क्षेत्रों में कई बार ज़ायोनी निवासियों द्वारा इसी तरह के विरोध प्रदर्शन देखने में नज़र आए हैं।

ज्ञात रहे कि ग़ज़ा के ख़िलाफ़ युद्ध जारी रहने और ज़ायोनी शासन द्वारा कोई सैन्य उपलब्धि हासिल न होने की वजह से मक़बूज़ा क्षेत्रों में इस्राईली प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू और उनके मंत्रिमंडल की आलोचनाएं तेज़ हो गई हैं।

यमनी प्रतिरोध के संभावित हमलों का ख़ौफ़, ज़ायोनी शासन बौखलाया

फ़िलिस्तीन की समा समाचार एजेंसी के अनुसार, ज़ायोनी शासन के मीडिया ने सोमवार की सुबह एलान किया कि यमन की अल-हुदैदा बंदरगाह पर इस्राईल के हालिया हमलों पर संभावित यमनी प्रतिक्रिया के डर से इस्राईल की वायु और नौसेना को पूरी तरह से अलर्ट पर रखा गया है।

कुछ ज़ायोनी सूत्रों ने बैतुल मुक़द्दस, वेस्ट बैंक और मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के उत्तरी क्षेत्रों में इस्राईली युद्धक विमानों की उड़ानों और गश्त लगाए जाने की भी सूचना दी।

शनिवार शाम को यमन की पश्चिमी प्रांत अल-हुदैदा की बंदरगाह पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बाद यमनी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता यहिया सरी ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि इस अपराध का जवाब ज़ायोनियों के लिए निश्चित रूप से बड़ा और दर्दनाक होगा।

ख़ान यूनुस पर क्रूर इस्राईली हवाई हमलों में 13 शहीद और घायल

फ़िलिस्तीन की वफ़ा समाचार एजेंसी ने सोमवार को एलान किया: ख़ान यूनुस पर ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए 2 हवाई हमलों के दौरान 2 महिलाएं शहीद हो गईं जबकि 11 अन्य नागरिक घायल हो गए। इन हमलों में ख़ान यूनिस के पश्चिम में एक घर और इसी इलाक़े के पूरब में स्थित बनी सहेला क्षेत्र में एक घर को निशाना बनाया गया।

लेबनानी सेना के वॉच टॉवर पर ज़ायोनी शासन का हमला

अल जज़ीरा के मुताबिक, इस्राईली सेना ने रविवार को लेबनानी सेना के एक निगरानी टॉवर को निशाना बनाया जिसके दौरान 2 लेबनानी सैनिक घायल हो गये।

इस रिपोर्ट के अनुसार, एक ज़ायोनी टैंक ने दक्षिणी लेबनान के "एता अल-शाब" शहर के आसपास स्थित लेबनानी सेना के एक वॉच टॉवर को निशाना बनाया।

  ग़ज़ा में शहीदों की संख्या बढ़ी

फ़ार्स समाचार एजेंसी के अनुसार, ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि मलबे के नीचे अभी भी कई फ़िलिस्तीनी शहीद दबे हुए हैं। बयान में कहा गया है कि ग़ज़ा में शहीदों की संख्या 38980 से अधिक हो गई है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 36 घंटों में इस्राईली सेना ने ग़ज़ा पट्टी में 4 और सामूहिक हत्याओं को अंजाम दिया है जिसके परिणामस्वरूप 64 शहीदों और 105 घायलों को ग़ज़ा के अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया।

अल-जज़ीरा ने सोमवार की अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि रविवार सुबह से दोपहर तक ज़ायोनी शासन के हमलों में 60 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए। अल जज़ीरा ने ग़ज़ा में अल-नुसैरत और अल-बुरैज कैंपों पर ज़ायोनी शासन के तोपख़ाने द्वारा भारी हमलों के जारी रहने की सूचना दी है।

इस्राईल के 3 सैन्य ठिकानों पर हिज़्बुल्लाह का मिसाइल हमला

तस्नीम समाचार एजेंसी के अनुसार, लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने अलग-अलग बयान जारी कर एलान किया कि प्रतिरोधकर्ताओं ने रविवार को ज़ायोनी शासन के तीन सैन्य ठिकानों को कामयाबी से निशाना बनाया।

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन ने अपना पहला बयान जारी कर बताया कि ग़ज़ा में दृढ़ फिलिस्तीनी जनता का समर्थन करने, ज़ायोनी शासन के हमलों और अदलून शहर में नागरिकों को निशाना बनाने के जवाब में, इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने रविवार को ज़ायोनी बस्ती दफ़्ना को कत्युशा रॉकेटों से निशाना बनाया।

लेबनान के हिज़्बुल्लाह ने अपने दूसरे और तीसरे बयान में कहा कि उसके जियालों ने मक़बूज़ा कफ़र शबआ के पहाड़ी इलाक़ों में समाक़ा और अल-रमसा के सैन्य ठिकानों पर मिसाइलों से हमला किया।

हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने आशूर के दिन ज़ायोनियों को खुलेआम धमकी देते हुए बल दिया था कि अगर इस्राईली सेना दक्षिणी लेबनान में घुसपैठ का इरादा रखती है तो उसके पास कोई टैंक ही नहीं बचेगा।

रविवार को हिब्रू भाषा के अख़बार येदीयेत अहारोनोत ने एक्स सोशल नेटवर्क पर अपने पेज पर ज़ायोनी शासन के पूर्वयुद्ध मंत्री एविग्डोर लिबरमैन के हवाले से कहा कि इस्राईल की सैन्य संरचना अभी भी विफलता की स्थिति में फंसी हुई है जबकि ख़ुफ़िया विफलताएं भी साथ ही जारी हैं।