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तेहरान के इमाम बारगाह इमाम खुमैनी में नवनिर्वाचित ईरानी राष्ट्रपति डॉ. मसूद पीजिशकयान का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया जिसमें आयतुल्लाह ख़ामेनई से खास तौर पर हिस्सा लिया।

इस समारोह में देश की शीर्ष राजनीतिक और रक्षा हस्तियों के अलावा बड़ी संख्या में विदेशी मेहमानों ने भाग लिया। समारोह के दौरान सुप्रीम लीडर का फरमान पढ़ा गया, जिसमें उन्होंने डॉ. मसूद को ईरान के राष्ट्रपति के रूप में बागडोर संभालने का औपचारिक आदेश जारी किया।

अपने बयान मेसुप्रीम लीडर ने कहा कि शहीद रईसी की दुखद दुर्घटना में मौत के बाद नये राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गयी, जिसका परिणाम ईश्वर की इच्छा से भविष्य में देखने को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि कार्यवाहक राष्ट्रपति की देखरेख में सरकार ने अच्छे तरीके से शासन किया और अपने कार्यकाल के अंत तक सभी मामलों को अच्छे से निभाया।

उन्होंने ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की प्रशंसा करते हुए नई सरकार को दूसरों से प्रभावित होने के बजाय वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर प्रभावी भूमिका निभाने की सलाह दी।

अंजुमन जाफरी के नेतृत्व में 19 मोहर्रम को जुलूस -ए- आमारी अलम ताबूत व ज़ुल्जन्हा निकाल कर कर्बला के शहीदों को पुरसा दिया गया।

जौनपुर नगर के इमामबाड़ा कल्लू मरहूम में शुक्रवार की देर रात्रि अंजुमन जाफरी के नेतृत्व में 19 मोहर्रम का जुलूस -ए- आमारी अलम  ताबूत व ज़ुल्जन्हा निकाल कर कर्बला के शहीदों को पुरसा दिया गया।

इससे पूर्व सोज़खानी गौहर अली ज़ैदी व उनके हमनवा ने किया।पेशखानी एहतेशाम व मेहदी शिराज़ी ने किया,मर्सियाखानी व संचालन मेंहदी रज़ा एडवोकेट ने किया।

मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना सैय्यद मोहम्मद आबिद रिज़वी फतेहपुर ने कहा कि से दस मोहरम को कर्बला में हजरत इमाम हुसैन वह उनके साथियों की शहादत के बाद पूरे परिवार को यजीदी  फौजियों ने कैदी बनाकर कर्बला से ऊँट  पर बैठकर कूफ़े की गलियों से होते हुए मक्का मदीना लाया गया था।

इस दौरान उन पर जुल्म  इतने ढाए गए थे  कि रास्ते में कई लोगों को शहादत हो गई थी ।आज हम सब लोग उन्ही की याद में यह जुलूस निकाल रहे है ।डॉ क़मर अब्बास ने तकरीर के ज़रिए सभी आमारियो का तआरुफ़ कराया व अंजुमन जाफरी ने नौहा व मातम कर नज़राने अकीदत पेश किया।आयोजक सकलैन अहमद खां "बल्लन"  अध्यक्ष सैय्यद अब्बास हैदर फ़हद,तहसीन शाहिद सभासद ने सभी का आभार प्रकट किया।

हज़रत इमाम हुसैन व कर्बला के प्यासे शहीदों का दसवां रविवार की रात अकीदत के साथ मनाया गया। मरसिया-मजलिस बरपा हुई, नौहा-मातम के बीच अलम व ताबूत का जुलूस निकाला गया।

हज़रत इमाम हुसैन व कर्बला के प्यासे शहीदों का दसवां रविवार की रात अकीदत के साथ मनाया गया। मरसिया-मजलिस बरपा हुई, नौहा-मातम के बीच अलम व ताबूत का जुलूस निकाला गया जो आधी रात तक कस्बे में गश्त करता रहा इस बीच हर हुसैनी गमों के सागर में डूबे नज़र आए।

हल्लौर स्थित बड़े इमाम बाड़े में अंजुमन इमामिया मातम के बैनर तले पहले मजलिस बरपा हुई जिसकी मरसिया हैदरे कर्रार व उनके हमनवां ने पढ़ी। इसके बाद मजलिस खिताब करते हुए मौलाना जमाल हैदर ने कर्बला के वाकये पर रोशनी डालते हुए इमाम हुसैन की शहादत बयान की।

इसके बात ताबूत की शबीह निकाली गई जिसका बोसा लेने के लिए अकीदत मंदों का पूरा हुजूम उमड़ पड़ा, फिर नौहा पढ़ते हुए मातमी जुलूस निकला गया। दरगाह हजरत अब्बास, जन्नतुल बकी, सेठ बाबा इमाम बाड़ा, हुसैनिया बाबुल सहित प्रमुख मार्ग होता हुआ जुलूस कस्बे के सभी इमाम बाड़े में गया, रात करीब बारह बजे वक्फ शाह आलम गीर सानी में आकर जुलूस खत्म हुआ। जहां मजलिस की मरसिया हैदरे कर्रार ने पढ़ी व जाकिरी साबिर हल्लौरी ने की।

जुलूस में नफीस सैयद, हसन जमाल, कायनात, मो. हैदर शब्लू, कामयाब हैदर, खुशनूद, संजू, छोटे आदि ने इमाम हुसैन की याद में मखसूस नौहे पढ़े। आखिर में अंजुमन के सदर मेंहदी हैदर व सेक्रेटरी रिजवान अहमद ने सभी लोगों के प्रति शुक्रिया अदा किया। इमाम के दसवें के मौके पर कस्बे में घर-घर में भी मजलिस का आयोजन हुआ।

मध्य दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राव आईएएस स्टडी सेंटर में शनिवार शाम हुए बड़े हादसे में मारे गए छात्रों की मौत के बाद प्रदर्शन हो रहा है। छात्रों ने सरकार, एमसीडी और कोचिंग सेंटरों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

देर रात ही पुलिस, दमकल विभाग और एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गई। इस घटना को लेकर छात्रों ने एमसीडी, दिल्ली सरकार और कोचिंग सेंटरों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं एक छात्र ने दावा किया है कि बेसमेंट में तीन हीं बल्कि आठ से दस छात्रों की मौत हुई है। फिलहाल, रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो चुका है। दिल्ली पुलिस ने आंकड़ों पर जबाव भी दे दिया है। मामले की जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं।

घटना को लेकर एक छात्र ने कहा कि एमसीडी का कहना है कि यह आपदा है, लेकिन मैं कहूंगा कि यह पूरी तरह से लापरवाही है। आधे घंटे की बारिश में घुटनों तक पानी भर जाता है। आपदा कभी-कभी होती है। मेरे मकान मालिक ने कहा कि वह पिछले 10-12 दिनों से पार्षद से कह रहा था कि नाले की सफाई होनी चाहिए।

 

ज़ायोनी सेना ने खान यूनुस में दरिंदगी की सभी सीमाएं लांघते हुए कम से कम 170 फिलिस्तीनी नागरिकों की बर्बरता पूर्वक हत्या कर दी।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार ज़ायोनी सेना ने ग़ज़्ज़ा के खान यूनुस शहर पर हमला किया, इस हमले में 170 फिलिस्तीनी लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं। शनिवार को हमलावर सेना ने शहर के लोगों को खान यूनुस छोड़ने के आदेश दिए थे, जिसके बाद यूएन ने जानकारी दी कि अब तक 1 लाख 80 हजार लोग शहर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।

सिविल डिफेंस एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बासल ने बताया, खान यूनुस क्षेत्र में ज़ायोनी सेना का ऑपरेशन शुरू होने के बाद से लगभग 170 लोग शहीद हो गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं। साथ ह प्रवक्ता ने बताया कि हजारों लोग ज़ायोनी ऑपरेशन के चलते खान यूनुस शहर को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने देश के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान को राष्ट्रपति चुनाव में मिलने वाले जनादेश को अनुमोदित करने और उन्हें राष्ट्रपति पद का आदेशपत्र देने के कार्यक्रम के बाद अपने संबोधन में अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन की क्रूर कार्रवाइयों का उल्लेख किया और उसे अपराधी, हत्यारा और आतंकवादी गैंग क़रार दिया।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली खामेनेई ने रविवार की सुबह एक कार्यक्रम के दौरान संविधान के अनुच्छेद 110, की धारा 9 के आधार पर निर्वाचित राष्ट्रपति डॉक्टर मसऊद पिज़िश्कियान को राष्ट्रपति चुनाव में मिलने वाले जनादेश को अनुमोदित किया और उन्हें राष्ट्रपति पद का आदेशपत्र दिया।

जनादेश को अनुमोदित करने के बाद आयातुल्लाह ख़ामेनेई ने स्पष्ट किया: ज़ायोनी शासन एक सरकार नहीं है, बल्कि उसने दुनिया के सामने एक आपराधिक गिरोह का सबसे घिनौना चेहरा पेश किया है और मानव अपराधों के इतिहास में एक नया मानक और मापदंड बनाया है।

ग़ज़ा में बड़ी संख्या में शिशुओं, बच्चों, अस्पतालों में मरीजों और महिलाओं की शहादत की ओर इशारा करते हुए इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा: उन लोगों पर भारी ज़ायोनी बम गिराए जा रहे हैं जिन्होंने एक भी गोली नहीं चलाई।

सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ग़ज़ा के विषय को एक वैश्विक मुद्दा क़रार दिया और कहा: फ़िलिस्तीन कभी सिर्फ़ मुस्लिम दुनिया के देशों का मुद्दा था, लेकिन आज यह एक सार्वजनिक और वैश्विक मुद्दा है जो अमेरिकी कांग्रेस, संयुक्त राष्ट्र संघ, ओलंपिक और दूसरे सभी इलाक़ों तक फैला हुआ है।

प्रतिरोध की ताक़त में निरंतर वृद्धि की ओर इशारा करते हुए सुप्रीम लीडर का कहना था: ज़ायोनी, अमेरिका और कुछ विश्वासघाती सरकारों की भरपूर मदद से, प्रतिरोधकर्ताओं को ख़त्म करने में कामयाब नहीं हुए, और हमास को ख़त्म करने का उनका घोषित लक्ष्य है भी नाकाम जबकि हमास, जिहादे इस्लामी और प्रतिरोध, पूरी ताकत से डटा हुआ है।

उन्होंने दो दिन पहले एक ज़ायोनी अपराधी की अपनी बातों पर अड़े रहने पर अमेरिकी कांग्रेस की कार्रवाई को बहुत बड़ा कलंक का टीका क़रार दिया और जोर दिया: पूरी दुनिया को ग़ज़ा की घटनाओं के बारे में गंभीर निर्णय लेना चाहिए और सरकारों, राष्ट्रों और राजनीतिक व बौद्धिक हस्तियों को विभिन्न क्षेत्रों और मैदानों में कुछ करना चाहिए।

सुप्रीम लीडर ने विदेश नीति के विषयों के संबंध में ईरान की नई सरकार को सलाह दी: वैश्विक और विशेष रूप से क्षेत्रीय घटनाओं और राजनीतिक और यहां तक ​​कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसे वैज्ञानिक मुद्दों के सामने निष्क्रिय न हों बल्कि सक्रिय और प्रभावी ढंग से इन मुद्दों से निपटें।

सुप्रीम लीडर ने इस बात की ओर इशारा करते हुए कि दुनिया और क्षेत्र की घटनाओं की अनदेखी करना और उनसे निश्चेत रहना, जाएज़ नहीं है, कहा: हर घटनाओं के बारे में देश की नीति को पूरे स्पष्ट तरीक़े से और संयमित ढंग से बयान किया जाना चाहिए ताकि दुनिया ईरान की स्थिति को बेहतर तरीक़े से जान सके।

उन्होंने ईरान की विदेश नीति की प्राथमिकताओं को बयान करते हुए कई देशों के साथ पड़ोस में स्थित होने को ईरान की एक ख़ासियत क़रार दिया और पड़ोसियों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करने और गंभीर प्रयास करने को ज़रूरी बताया।

उन्होंने कहा: विदेश नीति की एक अन्य प्राथमिकता, अफ़्रीक़ी और एशियाई जैसे देशों के साथ संपर्क और संचार है जो ईरान के राजनयिक क्षेत्र को विस्तृत कर सकते हैं।

आयतुल्लाह खामेनेई ने ईरान की विदेश नीति की एक और प्राथमिकता, उन देशों के साथ संबंधों का विस्तार और मज़बूती क़रार दिया है जिन्होंने दबाव की हालत में ईरान का समर्थन किया और राजनयिक और आर्थिक क्षेत्र में तेहरान की मदद की।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस संबंध में कहा: यह बात कि मैंने विदेश नीति की प्राथमिकताओं में यूरोपीय देशों का नाम नहीं लिया, इसका मतलब विरोध और दुश्मनी नहीं है, बल्कि इसकी वजह यह है कि उनके प्रतिबंधों, तेल और मानवाधिकार जैसे फ़र्ज़ी मामलों जैसे मुद्दों पर ईरान के साथ अच्छे रवैये नहीं रहे हैं, अगर उनके यह बुरे बर्ताव न होते, तो उनके साथ संचार और संपर्क हमारी प्राथमिकताओं में होते, बेशक, कुछ ऐसे भी देश हैं जिनका दुश्मनीपूर्ण रवैया और उनका परेशान करना, हम कभी भी नहीं भूल सकते।

 

 

जॉर्डन में ग़ाज़ा और फ़िलिस्तीनियों के समर्थन और इज़राईल के ज़ुल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ लोगों ने इस प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया

फिलिस्तीनी वफ़ा समाचार एजेंसी के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीन और हमास आंदोलन के झंडे उठाए और फिलिस्तीन और अलअक्सा तूफान ऑपरेशन के साथ प्रतिरोध और एकजुटता के समर्थन में नारे लगाए।

इज़राइल-हमास युद्ध में संघर्ष विराम के लिए बातचीत में प्रगति हाल के महीनों में शुरू हुई है, और बिडेन और उनके शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी एक समझौते पर पहुंचने के प्रयासों में निकटता से शामिल हुए हैं।

जनाब बुरैर इब्ने हजीरअल हमदानी मशरकी था आपका कबीला हमदान की शाख बनू मशरिक की एक अज़ीम शख्सियत थे आप काफी उम्र रसीदा और ताबइ होने के साथ आबिद-व-जाहिद,कारी-ऐ-कुरआन बल्कि उस्ताद-ऐ-कुरआन थे आप का शुमार अमीरुल मोमिनीन के असहाब और शुराफाए कूफा में था

आप का पूरा नाम बुरैर इब्ने हजीर-अल-हमदानी मशरकी था । आपका कबीला हमदान की शाख बनू मशरिक की एक अज़ीम शख्सियत थे । आप काफी उम्र रसीदा और ताबइ होने के साथ आबिद-व-जाहिद,कारी-ऐ-कुरआन बल्कि उस्ताद-ऐ-कुरआन थे आप का शुमार अमीरुल मोमिनीन के असहाब और शुराफाए कूफा में था।

आपने कूफा से मक्का जाकर इमाम हुसैन अ० के हमराही इख्तेयार की थी आपने इमाम हुसैन अलै० और उनके अहलेबैत अ० की जैसी खिदमत की है उस की मिसाल नज़र नहीं आती शबे आशूर पानी की जद्दो जहद में आप ने जो कारनामा किया है वो सफ्हाते तारिख में सोने के हर्फ़ से लिखने के काबिल है।

 

शबे आशूर के बाद सुबह आशूर आपने जबरदस्त नबर्द आजमाई की बुढ़ापे के बा-वजूद आप ने ऐसी जंग की की दुश्मनों के दांत खट्टे हो गए आप जिस पर भी हमला करते थे उसे फ़ना के घाट उतार देते थे सब से पहले आप से जिसने मुकाबला किया वह यजीद इब्ने मअक्ल था।

आपने उसे चन्द वारो में फ़ना कर दिया आखिर इसी तरह आपने तीस दुश्मनों को फ़ना के घाट उतार दिया आखिर में राज़ी इब्ने मनक्ज़ सामने आया आपने उसे ज़मीन पर दे मारा और उस के सीने पर सवार हो गए इतने में कअब इब्ने अज्वी ने आप की पुश्ते मुबारक पर तीर का गहरा वार किया।

कअब ने नेजा और तलवार से कई वार करके जनाब बुरैर को सख्त जख्मी कर दिया और आखिर आप को बहिर इब्ने औरा-अल-जबी ने शहीद कर डाला । शहादत के वक़्त आपने हजरते इमामे हुसैन अले० को आवाज़ दी और आप उनकी लाश पर पहुचे और आपने निहायत दर्द भरे लहजे में फरमाया “अन-बुरैर मिन्न अबदिल्लाह-हिस्सालेहींन”  हाय बुरैर हमसे जुदा हो गए जो खुदा के बेहतरीन बन्दों में से थे।

 

 

 

 

मलेशिया के higher education मंत्री ने ईरान और मलेशिया के विश्वविद्यालयों के मध्य संबंधों में विस्तार हेतु अपने देश की तस्परता की घोषणा की है।

मलेशिया के higher education मंत्री ज़म्बरी अब्दुल क़ादिर ने क्वालालांपुर में इस्लामी गणतंत्र ईरान के राजदूत वलीउल्लाह मोहम्मदी से मुलाक़ात में ईरानी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग में विस्तार हेतु अपने देश की तत्परता की घोषणा की।

मलेशिया के higher education मंत्री ने इस मुलाक़ात में पिछले वर्ष ईरान की अपनी यात्रा की ओर संकेत किया और उत्पाद, उद्योग, कृषि और विश्वविद्यालयों सहित विभिन्न क्षेत्रों में अमेरिका के एकपक्षीय प्रतिबंधों के बावजूद ईरानी प्रतिभाशालियों की उपलब्धियों और कामयाबियों की सराहना की।

क्वालालांपुर में ईरानी राजदूत वलीउल्लाह मोहम्मदी ने भी इस भेंट में कहा कि दोनों देशों के मध्य उच्च शिक्षा के संबंध में जो सहमतियां हुई हैं उन्हें दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के मध्य होने वाले सहयोग में विस्तार की दिशा में महत्वपूर्ण क़दम समझा जा रहा है। ईरानी राजदूत मोहम्मदी ने इसी प्रकार इस भेंट में उम्मीद जताई कि दोनों देशों के अधिकारियों व ज़िम्मेदारों के ध्यान की छत्रछाया में ईरान और मलेशिया के विश्वविद्यालयों के मध्य सहकारिता पहले से अधिक होगी।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राजदूत ने इसी प्रकार दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधिमंडलों के एक दूसरे के यहां आवाजाही का  स्वागत किया और उसे एक रचनात्मक और एक दूसरे के विश्वविद्यालयों को पहचानने की दिशा में महत्वपूर्ण क़दम क़रार दिया।

अगले शहरीवर महीने में तेहरान में विश्वविद्यालयों की बड़ी उपलब्धियों के बारे में एक प्रदर्शनी आयोजित होने वाली है जिसे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियों से अवगत होने के लिए ईरानी राजदूत ने बेहतरीन अवसर बताया और इस प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए मलेशियाई पक्ष को आमंत्रित किया।

इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत के शोक में मोहर्रम के पहले अशरे में ब्राज़ील के साओ पाउलो शहर में स्थित इस्लामिक सेंटर में हर रात शियाने अली अ.स. की भारी मौजूदगी में मजलिसो मातम का एहतेमाम किया गया।