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भारत में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार का गठन हो गया। भारत में पहली बार ऐसा हुआ है कि बिना किसी मुस्लिम मंत्री के केंद्रीय मंत्रिमंडल का गठन किया गया है। रविवार को अस्तित्व में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में सभी राज्यों, वर्गों और जातियों का प्रतिनिधित्व देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन देश की 20 करोड़ मुस्लिम आबादी को इसमें कोई जगह नहीं मिली।

दिलचस्प बात यह है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के निवर्तमान मंत्रिपरिषद में भी कोई मुस्लिम मंत्री नहीं है, क्योंकि भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रूप में शपथ लेने के तीन साल बाद 2022 में राज्यसभा के लिए फिर से निर्वाचित होने में नाकाम रहे। मुख्तार भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में एकमात्र मुस्लिम मंत्री थे।

नरेंद्र मोदी 2014 में, जब पहली बार सत्ता में आए, तब राज्यसभा सांसद नजमा हेपतुल्ला को अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया था, जो कैबिनेट में एकमात्र मुस्लिम प्रतिनिधित्व था। 2004 और 2009 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकारों में मंत्रिपरिषद में क्रमशः चार और पांच मुस्लिम थे।

यमन में अदन की खाड़ी में एक नाव दुर्घटना के कारण कम से कम 38 लोगों की मौत हो गयी है जबकि 100 से अधिक लोग लापता हो गए हैं।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार यह लोग हॉर्न ऑफ अफ्रीका से आ रहे प्रवासी थे।

वहीँ चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने इस घटना में मरने वालों की संख्या 41 बताते हुए कहा है कि पूर्वी यमन के तट से दूर अरब सागर में प्रवासियों से खचाखच भरी एक नाव के पलट गयी, जिसके कारण कुल 41 अफ्रीकी प्रवासियों की मौत हो गयी।

रिपोर्ट के अनुसार यह नाव अदन के पूर्व में शबवा गवर्नरेट के तट पर पहुंचने से पहले ही डूब गई। हादसे के दौरान वहां मौजूद मछुआरों और स्थानीय लोगों ने नाव में सवार 78 लोगों को तो बचा लिया बावजूद इसके 100 लोग अभी भी लापता हैं। लापता लोगों की तलाश की जा रही है। इसके अलावा, इस घटना के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ को भी जानकारी दे दी गई है।

 

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में सतनामी समाज ने उग्र प्रदर्शन करते हुए डीएम और एसपी ऑफिस में घुसकर तोड़फोड़ की और उन्हें आग के हवाले कर दिया। इस घटना मेकिपुलिसकर्मी घायल हो गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीते दिनों बलौदा बाजार के गिरोदपुरी के महकौनी गांव में मौजूद संत अमर दास की तपोभूमि के पवित्र प्रतीक जैतखाम को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था जिसके बाद से ही सतनामी समाज में आक्रोश था। इस हिंसक प्रदर्शन में कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं।

इस घटना को लेकर सतनामी समाज के लोग 10 जून को विरोध प्रदर्शन करने सड़क पर उतरे। भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग कलेक्ट्रेट में घुस गए और उन्होंने सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए तोड़फोड़ शुरू कर दी। इतना ही नहीं भीड़ ने कलेक्ट्रेट में आगजनी भी की।

हालंकि राज्य के डीप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा ने जैतखाम को क्षतिग्रस्त किए जाने की घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे लेकिन सतनामी समाज के पूरे घटनाक्रम की सीबीआई जांच की मांग करते हुए प्रदर्शन करने लगे और DM और SP ऑफिस में आग लगाने के साथ साथ आस पास खड़ी गाड़ियों को भी फूंक डाला।

स्वीडन में ज़ायोनी दूतावास के सामने बड़ी संख्या में फिलिस्तीन समर्थक एकत्र हुए और ग़ज़्ज़ा में फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ ज़ायोनी शासन के अपराधों की निंदा की। इस प्रदर्शन में 500 से ज्यादा मोटरसाइकिल सवार मौजूद थे, जिन्होंने फिलिस्तीनी लोगों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करते हुए ज़ायोनी शासन के अपराधों की निंदा की।

भारत में ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई के प्रतिनिधि आयतुल्लाह महदी महदवी पूर ने कहा कि 40 मिलियन भारतीय शिया मशहद की यात्रा के लिए लालायित हैं, और उनके लिए इमाम रज़ा अ.स. के रौज़े की तरफ से प्लानिंग करना बेहद आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों के ज्ञान और जानकारी में इज़ाफ़े की आवश्यकता है जिस से इंकार नहीं किया जा सकता उन्होंने सुझाव दिया कि हर साल हिंदुस्तान के अलग अलग शहरों में इमाम रज़ा (अ.स.) के हवाले से कॉंफ्रेंस और बैठकें आयोजित की जानी चाहिए।

 भारत में, मासूम इमामों (अस) के लिए इश्क़ और अक़ीदत का जूनून है। भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमान अल्लाह उसके दीन और आखिरी नबी की तालीम और सिद्धांतों से लाभ उठाने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में शिया समाज की 20 हज़ार से ज़्यादा मस्जिदें हैं जहाँ 860 से ज़्यादा इमामे जुमा दीन की तब्लीग़ में मसरूफ हैं वहीँ 45000 से अधिक इमाम बारगाहें हैं जो इस देश की जनता की इमाम हुसैन से अक़ीदत को बताने के लिये काफी है।

पश्चिम बंगाल के कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्ध एलजेडी लॉ कॉलेज की शिक्षिका संजीदा कादर ने हिजाब पहनने से रोकनेपर नाराज़ होकर अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। हिजाब पहनने से रोके जाने पर नाराज़ होकर

संजीदा कादर ने दुखी होकर पांच जून को इस्तीफा दे दिया। कहा जा रहा है कि उन्हें कॉलेज अधिकारियों ने 31 मई के बाद कार्यस्थल पर हिजाब पहनकर आने से मना किया था। इस बीच संजीदा ने अपने पद से इस्तीफ़ा देकर कॉलेज आना भी बंद कर दिया।

 मामला सार्वजनिक होने पर हंगामा मचा तो कॉलेज अधिकारियों ने अपनी सफाई पेश की। उन्होंने दावा किया कि गलत संचार की वजह से ये सब हुआ है। शिक्षिका अपना इस्तीफा वापस लेने के बाद 11 जून से कॉलेज वापस आएंगी।

बता दें कि संजीदा कादर पिछले तीन सालों से एलजेडी लॉ कॉलेज में बतौर शिक्षिका कार्यरत थीं। इस साल मार्च-अप्रैल से वह कार्यस्थल पर हेडस्कार्फ पहनकर पहुंच रही थीं। इस बीच कॉलेज के अधिकारियों ने उन्हें 31 मई के बाद कार्यस्थल पर हिजाब न पहनने का निर्देश दिया था। इस निर्देश के बाद संजीदा ने 5 जून को अपना इस्तीफा दे दिया।

लेबनान के केप्रभावी राजनैतिक दल और लोकप्रिय प्रतिरोधी जनांदोलन हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी सेना के अत्याधुनिक ड्रोन हर्मीस 900 को मार गिराने का वीडियो जारी किया है। यह पांचवा अवसर है जब हिज़्बुल्लाह ने दक्षिणी लेबनान में ज़ायोनी सेना के इस आधुनिक ड्रोन को मार गिराया है। ज़ायोनी सेना ने भी अपने हर्मीस 900 के दक्षिणी लेबनान में गिराए जाने की पुष्टि की है।

इज़राईली युद्धक विमानों ने गाज़ा शहर में एक आवासीय घर पर बमबारी की जिसमें दो महिलाओं और एक बच्चे सहित कम से कम 6 लोग शहीद हो गए।

एक रिपोर्ट के अनुसार,इज़राईली युद्धक विमानों ने गाज़ा शहर में एक आवासीय घर पर बमबारी की जिसमें दो महिलाओं और एक बच्चे सहित कम से कम 6 लोग शहीद हो गए।

अलजज़ीरा ने खबर दी है कि गाजा के एक घर पर ज़ायोनी सरकार के युद्धक विमानों ने हमला किया जिसमें कम से कम 6 लोग शहीद हो गए हैं जिनमें दो महिलाएं और एक बच्चा भी शामिल है।

गाजा में चिकित्सा सूत्रों के अनुसार रविवार सुबह से शाम तक कब्जे वाली ज़ायोनी सेना की बमबारी के परिणामस्वरूप कम से कम 35 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए हैं।

गाजा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के सैन्य हमलों और इस नरसंहारक शासन को अमेरिका के समर्थन के ख़िलाफ़ हज़ारों अमेरिकियों ने व्हाइट हाउस के सामने प्रदर्शन किया।

आईआरएनए की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी स्थिति में हजारों अमेरिकियों ने व्हाइट हाउस के सामने फिलिस्तीन के समर्थन और दमनकारी और हत्यारी ज़ायोनी सरकार के लिए बिडेन सरकार के समर्थन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने बड़े लाल झंडे लिए हुए थे। उनके हाथ बड़े-बड़े कपड़े और झंडे लहरा रहे थे. प्रदर्शनकारियों के हाथों में लाल कपड़े बिडेन के उस बयान के विरोध का संकेत थे जिसमें उन्होंने दावा किया था कि राफा पर ज़ायोनी शासन के हालिया हमलों ने संयुक्त राज्य अमेरिका की लाल रेखा का विरोध नहीं किया है।

प्रदर्शनकारियों ने व्हाइट हाउस के सामने विरोध प्रदर्शन किया और उत्पीड़ित फिलिस्तीनी लोगों के पक्ष में नारे लगाए। अमेरिकी प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे कि नशे में धुत बिडेन को बाहर निकाला जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीनी झंडे और बैनर पकड़ रखे थे, जिन पर गाजा में नरसंहार की निंदा की गई थी और लिखा था, "बिडेन के हाथ खून से रंगे हैं और फिलिस्तीन को आजाद कराएं।"

प्रदर्शनकारियों ने व्हाइट हाउस के दक्षिण में 52 हेक्टेयर के ओलंपस पार्क में भी तंबू लगाए हैं - रिपोर्टों में कहा गया है कि कई प्रदर्शनकारी व्हाइट हाउस के समर्थन में धरने में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क, फिलाडेल्फिया और न्यूयॉर्क से भी आए हैं बोस्टन-

रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए उन पर काली मिर्च स्प्रे का भी इस्तेमाल किया। गाजा पट्टी में ज़ायोनी शासन के नरसंहार की शुरुआत के बाद से, संयुक्त राज्य अमेरिका इस आक्रामक और हड़पने वाले शासन को हथियार और धन मुहैया कराने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है। । रहा है-

दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक संदेश में गाजा युद्ध में बड़े पैमाने पर जानमाल के नुकसान की आलोचना की और इस बात पर जोर दिया कि यह आतंक रुकना चाहिए. 2030 में मारे गए संयुक्त राष्ट्र कार्यकर्ताओं की याद में आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर गुटेरेस ने एक्स को अपने संदेश में बताया कि गाजा युद्ध संयुक्त राष्ट्र कार्यकर्ताओं के लिए सबसे खूनी संघर्ष रहा है। बड़ी संख्या में फिलिस्तीनियों ने भी उनका जीवन खो दिया। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा कि वर्ष 2033 में संयुक्त राष्ट्र के एक सौ अट्ठासी फिलिस्तीनियों ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपनी जान गंवाई है, जिनमें से एक सौ पचास संयुक्त राष्ट्र कार्य और राहत एजेंसी से संबंधित हैं। फ़िलिस्तीनी शरणार्थी। यह यूएनआरडब्ल्यूए से है कि गाजा में ज़ायोनी बलों द्वारा मारे गए लोगों में संयुक्त राष्ट्र के उन कार्यकर्ताओं की संख्या सबसे अधिक है जिन्होंने संघर्ष में अपनी जान गंवाई है।

गाजा पर ज़ायोनी सैनिकों के ये अपराध अपने चरम पर हैं, नुसीरत शिविर पर ज़ायोनी सैनिकों के हमले में कम से कम दो सौ फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं और 38,000 से अधिक घायल हुए हैं।

हाजियों को सऊदी सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा है कि वह हज के मौके पर कोई भी राजनैतिक और सियासी नारे या प्रदर्शन न करें अन्यथा होगी कार्रवाई।

सऊदी मुफ़्ती लोगों को हज के दौरान किसी भी तरह की राजनैतिक गतिविधियों और विरोध से दूर रहने की नसीहत करते रहे हैं। जुमे के ख़ुत्बों में भी सऊदी मुफ्तियों ने लोगों और हाजियों को सिर्फ इबादत पर ध्यान केंद्रित करने की ताकीद की हैं।

एक तरफ ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना की ओर से पिछले 8 महीने से लगातार जनसंहार जारी है दूसरी तरफ दुनियाभर के मुसलमान हज के लिए मक्का में जमा हो रहे हैं।

ग़ज़्ज़ा और फिलिस्तीन और मुसलमानों के लिए परेशां हाजियों को सऊदी सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा है कि वह हज के मौके पर कोई भी राजनैतिक और सियासी नारे या संकेतात्मक प्रदर्शन भी न करें।

हज के दौरान राजनीतिक नारेबाजी या संकेतात्मक प्रदर्शन के कुछ मामले सामने आए हैं। इस पर सऊदी अरब की सरकार ने नाराजगी जताई है।

सऊदी सरकार की ओर से कहा गया है कि हज एक धार्मिक आयोजन है राजनीतिक अभिव्यक्ति का मंच नहीं। ऐसे में यहां आए हाजी धार्मिक कामों पर ही ध्यान दें। सऊदी सरकार की ओर से यह बयान ऐसे समय आया है, जब दुनिया भर के मुसलमान ग़ज़्ज़ा में इस्राईल के सैन्य अभियान की निंदा कर रहे हैं।