رضوی

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अबना की रिपोर्ट के अनुसार, मीडिया सूत्रों ने लेबनान के हिज़्बुल्लाह के एक अधिकारी की हत्या की सूचना दी है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, हिज़्बुल्लाह के पश्चिमी बेक़ाअ क्षेत्र के प्रभारी, हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलमीन 'मुहम्मद हेमादी' को पूर्वी लेबनान के मशग़रा कस्बे में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा गोली मार दी गई।

गोलीबारी के बाद, हिज़्बुल्लाह आंदोलन के इस अधिकारी को शहीद करने वाले हमलावर घटना स्थल से फरार हो गए।

अब तक, लेबनान के आधिकारिक संस्थानों द्वारा इस आतंकवादी घटना के हमलावरों की पहचान का खुलासा नहीं किया

ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनई ने "प्रगति के ध्वजधारक" नामक एक प्रदर्शनी का दौरा किया, जो दो घंटे तक जारी रही। यह प्रदर्शनी निजी क्षेत्र की क्षमताओं और उपलब्धियों को सार्वजनिक करने का उद्देश्य रखती थी।

ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनई ने "प्रगति के ध्वजधारक" नामक एक प्रदर्शनी का दौरा किया, जो दो घंटे तक जारी रही। यह प्रदर्शनी निजी क्षेत्र की क्षमताओं और उपलब्धियों को सार्वजनिक करने का उद्देश्य रखती थी।

इस प्रदर्शनी में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी, उपग्रह उपकरण, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), हवाई जहाज के मरम्मत के पुर्ज़े और संसाधनों का निर्माण, खनन और भूविज्ञान उद्योग, तेल, गैस और पेट्रोकेमिकल उद्योग, इस्पात और एल्युमिनियम उद्योग, घरेलू संसाधन, समुद्र से संबंधित उद्योग, कालीन उद्योग, बिजली और पानी के उद्योग, वस्त्र उद्योग, चिकित्सा और अस्पताल उपकरण निर्माण, दवाइयों का उत्पादन, रैयान रिसर्च इंस्टीट्यूट, कृषि और पशुपालन उत्पाद, हस्तशिल्प और पर्यटन उद्योग सहित निजी क्षेत्र के विभिन्न उद्योगों की उपलब्धियों और नई उत्पादों को प्रदर्शनी में पेश किया गया था।

इस निरीक्षण के दौरान, निजी क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों ने अपने सामने मौजूद समस्याओं और रुकावटों के बारे में अपनी चिंताएं और शिकायतें पेश कीं। इसके बाद, रहबर-ए-इंकलाब ने प्रदर्शनी में उपस्थित मंत्रियों से कहा कि सरकार और सरकारी अधिकारियों को निजी क्षेत्र की शिकायतों को दूर करना चाहिए, क्योंकि देश की प्रगति और विकास का मुख्य आधार निजी क्षेत्र को अवसर देना है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की तरक्की और प्रगति की एकमात्र राह निजी क्षेत्र की क्षमताओं और ऊर्जा से लाभ उठाना है।

आयतुल्लाह ख़ामेनई ने पानी और बिजली के उद्योग की उत्पादों का निरीक्षण करते हुए ऊर्जा मंत्री द्वारा बिजली के क्षेत्र में उत्पादन और खपत के बीच असंतुलन को दूर करने के लिए दी गई जानकारी के बाद कहा कि यह बातें अच्छी और सही हैं, लेकिन इन्हें वास्तविक रूप से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि असंतुलन और इसके समाधान के मुद्दे पिछले कुछ सालों से बार-बार सामने आ रहे हैं, लेकिन अभी भी यह इच्छित स्तर से बहुत दूर हैं।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस निजी क्षेत्र की प्रदर्शनी के क्रम में, बुधवार 22 जनवरी 2025 को देश के कुछ निजी क्षेत्र के उद्योगपति और सक्रिय लोग हुसैनीया-ए-इमाम खोमेनी में रहबर-ए-इंकलाब से मुलाकात करेंगे। इस बैठक के दौरान, आर्थिक क्षेत्र में सक्रिय निजी क्षेत्र के कुछ लोग अपने विचार और दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे।

14 बिंदुओं में तेल अवीव की नाकामियों और हमास की सफलताओं का विश्लेषण स्पष्ट रूप से कहा गया कि यहूदी राज्य ने कुछ भी हासिल नहीं किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ग़ज़्ज़ा पर 7 अक्टूबर 2023 से 18 जनवरी 2025 तक जारी इस्राईली हवाई और ज़मीन पर हमलों में, भले ही इस्राईल ने मानवता विरोधी अपराध किए, 47,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को शहीद कर दिया और गाजा को खंडहर में तब्दील कर दिया, लेकिन युद्ध का परिणाम उसके पक्ष में नहीं है। युद्धविराम समझौता उसकी हार का स्पष्ट संकेत है। इस्राईल के प्रमुख अखबार "टाइम्स ऑफ इस्राईल" ने यह खुलकर स्वीकार किया है कि इस्राईल इस युद्ध में अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने में नाकाम रहा है।

"हमास की खुली जीत और इस्राईल की हार"

टाइम्स ऑफ इस्राईल ने युद्धविराम समझौते को हमास की जीत और इस्राईल की हार के रूप में देखा। इसने लिखा कि "16 वर्षों से, जब से ग़ज़्ज़ा में हमास की सरकार आई है, इस्राईल अपने बचाव के लिए बार-बार युद्ध करने पर मजबूर है। इस्राईल ने 1948, 1967 और 1973 के युद्धों में जीत हासिल की, 2016 में हिज़बुल्लाह के साथ लड़ाई बराबरी पर समाप्त हुई, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। हमास के साथ हुआ शांति समझौता हमास की स्पष्ट जीत और इस्राईल की हार है। इस पर कोई हैरानी की बात नहीं है कि गाजा में लोग जश्न मना रहे हैं।"

इस्राईल की नाकामी के 14 बिंदु

टाइम्स ऑफ इस्राईल ने 14 बिंदुओं के माध्यम से समझाया है कि कैसे इस युद्ध में हमास ने जीत हासिल की। अखबार के अनुसार, इस युद्ध में इस्राईल का सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि वैश्विक स्तर पर जनमत उसके खिलाफ हो गया है। इसके अलावा, उसके महत्वपूर्ण साझेदार अमेरिका के साथ उसके संबंधों में भी भारी दरार आ गई है। कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रम्प की टीम ने इस्राईल के साथ कड़े कदम उठाए और उन बिंदुओं पर युद्धविराम समझौते के लिए मजबूर किया जिनका पहले उसने विरोध किया था।

फिलिस्तीनियों का नरसंहार

यह महत्वपूर्ण है कि 15 महीने तक ग़ज़्ज़ा पर बमबारी करने, इसे खंडहर में बदलने और इस्राईल सैनिकों के ग़ज़्ज़ा के हर हिस्से में पहुंचने के बावजूद, इस्राईल की सेना एक भी बंधक को छुड़ाने में नाकाम रही। इसके बजाय, उसे हमास के सामने झुकते हुए एक बंधक की रिहाई के बदले 30 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने पर सहमति देनी पड़ी। यही नहीं, हमास की कैद में मौजूद इस्राईली सैनिकों के बदले में इस्राईल को हर सैनिक के लिए 50 फिलिस्तीनी कैदी रिहा करने होंगे। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का यही सवाल है कि अगर इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा को पूरी तरह से नष्ट कर दिया, फिर भी अपने बंधकों की रिहाई के लिए 30 कैदियों को छोड़ने पर मजबूर है, तो 15 महीनों तक चली उसकी बमबारी का क्या परिणाम था?

युद्ध का मुख्य लक्ष्य हासिल नहीं हुआ

डेविड के रेस ने यह बताया कि जब युद्ध शुरू हुआ था, इस्राईल ने अपना मुख्य लक्ष्य हमास का नाश करना निर्धारित किया था, लेकिन वह इसमें नाकाम रहा। "टाइम्स ऑफ इस्राईल " ने स्वीकार किया कि इस्राईल ने कुछ हमास नेताओं को मार डाला, लेकिन नए नेता उनकी जगह ले आएंगे। युद्ध खत्म होने के बाद भी ग़ज़्ज़ा में हमास के 12,000 से अधिक योद्धा मौजूद हैं। अखबार ने यह भी कहा कि नेतन्याहू की सरकार ने 6 अक्टूबर 2023 से पहले जो स्थिति थी, उसमें से कुछ भी हासिल नहीं किया है। इसके विपरीत, 7 अक्टूबर के बाद ग़ज़्ज़ा में हमास ने 400 से अधिक इस्राईली सैनिकों को मार डाला और युद्ध की कीमत इस्राईली अर्थव्यवस्था को बहुत अधिक चुकानी पड़ी। युद्ध के कारण इस्राईल की आर्थिक गतिविधियों में 20% की कमी आई है और कर्ज बढ़ गया है। डेविड के रेस ने हैरान होकर कहा कि इतनी सारी नुकसान के बाद भी इस्राईल को गाजा से हटने पर मजबूर होना पड़ा, जबकि वहां हमास का कब्जा बना रहेगा।

इस्राईल ने कुछ भी हासिल नहीं किया

डेविड के रेस ने यह सवाल किया कि इस्राईल ने इस युद्ध से क्या हासिल किया जो 6 अक्टूबर 2023 से पहले उसके पास नहीं था। उन्होंने एक वाक्य में इसका जवाब दिया: "कुछ भी नहीं।"

 

ग़ज़्ज़ा  इस्राईल की हैवानियत की कहानी बयान कर रहा है।  सीज़ फायर के बीच भी ज़ायोनी सेना के बर्बर हमले और  मलबे के बीच से निकलते शव और कंकाल फिलिस्तीन की मज़लूमी की मुंह बोलती तस्वीर हैं।

सीज़फायर के बाद घर पलटते पीड़ितों को अपने घरों के मलबे के नीचे से ज़ायोनी सेना की बमबारी में मारे गए फिलिस्तीनियों की लाशें मिल रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बीते 2 दिनों में 120 गल चुकी लाशें बरामद की गई हैं।

एक नागरिक सुरक्षा कार्यकर्ता ने एसोसिएटेड प्रेस से बात करते हुए कहा, "पिछले दो दिनों में हमने 120 सड़ी-गली लाशें बरामद की हैं। वे पूरी तरह सड़ चुकी हैं और उनमें केवल कंकाल के अवशेष बचे हैं।  इन लाशों का मिलना अवैध राष्ट्र इस्राईल के जरिए ग़ज़्ज़ा की नागरिक आबादी पर ढाए गए तबाही के पैमाने के उजागर करती हैं।

 

 

प्रमुख जामिअतुल मुस्तफ़ा आलमिया, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली अब्बासी ने कहा कि अगर दिल ना पाक हो तो क़ुरआन करीम का कोई असर नहीं होता उन्होंने जामिअतुल-मुस्तफ़ा के छात्रों और उनके परिवारों के लिए क़ुरआन से जुड़े रहने का सुझाव दिया और कहा कि क़ुरआन करीम इस्लामी तामद्दुन और जीवन की बुनियाद है।

एक रिपोर्ट के अनुसार , प्रमुख जामिअतुल मुस्तफ़ा आलमिया प्रमुख  हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली अब्बासी ने कहा कि अगर दिल ना पाक हो तो क़ुरआन करीम का कोई असर नहीं होता।

उन्होंने जामिअतुल-मुस्तफ़ा के छात्रों और उनके परिवारों के लिए क़ुरआन से जुड़ाव को अत्यधिक महत्व दिया और कहा कि क़ुरआन करीम इस्लामी तामद्दुन और जीवन की बुनियाद है।

उन्होंने कहा कि क़ुरआन करीम सभी इस्लामी उलूम की नींव है और जामिअतुल-मुस्तफ़ा को अपने वैश्विक मिशन के तहत क़ुरआनी शिक्षाओं के प्रसार में सबसे अधिक प्रयास करना चाहिए। छात्रों के परिवारों के लिए क़ुरआनी महोत्सव के आयोजन को एक प्रभावी कदम बताते हुए उन्होंने कहा कि यह महोत्सव बच्चों और महिलाओं को क़ुरआनी शिक्षाओं से परिचित कराने में सहायक हो सकता है।

क़ुरआनी महोत्सव के उद्देश्य और लक्ष्य मर्कज़-ए-उमूर-ए-ख़ानदान-ए-मुस्तफ़ा के प्रमुख हुजतुल-इस्लाम वल-मुस्लमीन काज़वी ने कहा कि क़ुरआनी महोत्सव की शुरुआत 2008 में हुई और 2012 से इसे नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य छात्रों के परिवारों में क़ुरआनी शिक्षाओं का प्रसार करना क़ुरआनी क्षमताओं की खोज करना और क़ुरआनी गतिविधियों को सामान्य बनाना है।

महोत्सव का विषय और समापन इस साल क़ुरआनी महोत्सव का विषय गाम ए दोव्वम  इंतिक़ाल-ए-इस्लामी" निर्धारित किया गया है जिसमें आत्मनिर्माण, समाज की रचना और इस्लामी तामद्दुन निर्माण पर जोर दिया गया है।  हर घर को क़ुरआनी समाज और स्कूल बनाना इस महोत्सव का मुख्य लक्ष्य है महोत्सव का समापन निमा-ए-शाबान को होगा।

ईरान की एयरोस्पेस एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हुसैन शहाबी ने कहा कि उनका देश नए ईरानी वर्ष की पहली छमाही में अपने स्वनिर्मित कौसर उपग्रह के उन्नत संस्करण को पृथ्वी की कक्षा में भेजने के लिए तैयार है।

 उन्होंने कहा कि नया उपग्रह "कौसर 1.5" इस श्रृंखला के कौसर और हुदहुद उपग्रहों का उन्नत संस्करण है, जिन्हें 5 नवंबर 2024 को कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था। इन उपग्रहों को अलग-अलग मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

शहाबी ने कहा कि इन उपग्रहों में इस्तेमाल किए गए 85 प्रतिशत से अधिक हिस्से स्थानीय स्तर पर बनाए गए हैं, हालांकि प्रतिबंधों के कारण कुछ भागों का आयात किया गया है। इन उपग्रहों का डिज़ाइन और निर्माण पूरी तरह से ईरानी विशेषज्ञों द्वारा किया गया था।

बता दें कि पश्चिमी देशों के कड़े अमानवीय प्रतिबंधों के बावजूद ईरान सभी वैज्ञानिक क्षेत्रों, विशेषकर एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति कर रहा है।

ग़ज़्ज़ा युद्ध में महत्वपूर्ण हार स्वीकार करने के बाद, इस्राइली सेना के प्रमुख जनरल हर्ट्ज़ी हलवी ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, जनरल हलवी ने माना कि ग़ज़्ज़ा में उनकी सेना को भारी नुकसान हुआ और अपने लक्ष्य प्राप्त करने में वे पूरी तरह असफल रहे। इस युद्ध के बाद, इस्राईल सरकार ने फिलिस्तीनी प्रतिरोध के सामने हार मानते हुए युद्धविराम पर सहमति जताई थी, लेकिन इसके बाद इस्राईल और उसकी सेना में संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई।

इस्रराइल समाचार पत्र हार्त्ज़ के अनुसार जनरल हलवी ने समय पूर्व अपने पद से 6 मार्च 2025 को इस्तीफा देने का फैसला किया और इस बारे में इस्राईल के रक्षा मंत्री युबरल कात्स को सूचित किया। उन्होंने ग़ज़्ज़ा युद्ध में अपनी सेना की विफलता को इस्तीफे का मुख्य कारण बताया।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि ग़ज़्ज़ा में इस्राईली सेना की हार और फिलिस्तीनी प्रतिरोध के सामने उनकी कमजोरी ने इस्राईल की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपमान किया, जबकि फिलिस्तीन को बड़ी सफलता मिली।

इस दौरान, इस्लामी क्रांति के मार्गदर्शक, आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई के कथन "जिसका क़िला क़म किया जाएगा, वह इस्राईल है" का संदेश सत्य हुआ, और इस्राईल को हार माननी पड़ी।

आज मंगलवार को अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में इस्राईली अधिकारियों के त्यागपत्र का तांता लग गया।

अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में इस्राईली अधिकारियों के त्यागपत्र का तांता, पश्चिमी किनारे के जेनीन नगर में ज़ायोनी सैनिकों का हमला और ग़ज़ा पट्टी में 15 महीनों तक ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में शहीद व घायल होने वालों का नया आंकड़ा अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन व ख़बरें हैं जिनका हम यहां उल्लेख कर रहे हैं।

इस्राईल के चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ Herzi Holloway ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। Herzi Holloway ने आज एलान किया कि सात अक्तूबर 2023 को होने वाली पराजय के कारण अपना त्यागपत्र उसने युद्धमंत्री दे दिया है।

 इस्राईल की आंतरिक सुरक्षा के मंत्री बेन ग्विर ने आधिकारिक रूप से अपने पद से त्याग पत्र दे दिया। वह अपना कार्यस्थल छोड़कर चले गये।

इत्मार बेन ग्विर ने नेतनयाहू के मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने के बाद ग़ज़ा पट्टी में होने वाले युद्ध विराम के समझौते पर हस्ताक्षर के बाद इस मंत्रालय में अपना कार्यालय छोड़कर चले गये। बेन ग्विर ने कहा कि युद्ध विराम समझौते पर हस्ताक्षर का मतलब फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधक गुट हमास के सामने घुटने टेक देना है।

उन्होंने अपना कार्यालय छोड़ने के बाद कहा कि उन्होंने अपने मंत्रालय काल में अकल्पनीय कार्यों को अंजाम दिया है और ज़ायोनी कस्बों व कालोनियों में रहने वालों को दो लाख हथियार रखने की अनुमति दे दी।

इस्राईल के चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ के त्यागपत्र की घोषणा के बाद संचार माध्यमों ने इस्राईली सेना के दक्षिणी कमान के कमांडर के त्यागपत्र की सूचना दी। इस्राईली संचार माध्यमों ने रिपोर्ट दी है कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के मुक़ाबले में हार के कारण ज़ायोनी सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर Yaron Finkelman ने भी अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है।

लेबर मैनः नेतनयाहू और  मंत्रिमंडल के दूसरे सदस्य भी त्यागपत्र दें

ज़ायोनी युद्धमंत्री Avigdor Lieberman ने आज मंगलवार को नेतनयाहू के मंत्रिमंडल से चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ और मंत्रिमंडल के सदस्यों के त्यागपत्र की मांग करते हुए कहा है कि वे सब भी अपने पद से त्यागपत्र दें।

ज़ायोनी सैनिकों ने जेनीन पर हमला किया/ शहीद और 39 से अधिक घायल

ज़ायोनी सैनिकों ने आज पश्चिमी किनारे के जेनीन नगर में बड़े पैमाने पर हमला किया। इस नगर और इसके शरणार्थी शिविर पर ज़ायोनी सैनिकों के हमलों में कम से कम चार फ़िलिस्तीनी शहीद और 35 घायल हो गये।

ज़ायोनी सरकार के टीवी चैनल 12 ने इस बात की सूचना देते हुए एलान किया है कि ज़ायोनी सैनिकों ने Iron Wall नामक कार्यवाही की जो अब भी जारी है और इसमें ज़ायोनी सेना की आंतरिक ख़ुफ़िया एजेन्सी शाबाक भी भाग ले रही है।

 15 महीनों तक ज़ायोनी सैनिकों के पाश्विक हमलों के दौरान शहीद व घायल होने वाले फ़िलिस्तीनियों के नये आंकड़े

  ग़ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनी सरकार के मिडिया कार्यालय ने बताया है कि आज मंगलवार को ज़ायोनी सरकार के नस्ली सफ़ाये और जघन्य अपराधों के नये आंकड़े प्रकाशित हुए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार 471 दिन युद्ध के दौरान ज़ायोनी सरकार ने दस हज़ार और 100 लोगों का ग़ज़ा में जनसंहार किया है।

   इसी प्रकार इस जंग में दो हज़ार 92 परिवारों के पूरे सदस्य शहीद हो गये और ग़ज़ा की Civil Registry से उनका नाम पूरी तरह ख़त्म हो गया। इसी प्रकार फ़िलिस्तीनी सरकार के मिडिया कार्यालय ने बताया है कि ग़ज़ा में सात अक्तूबर 2023 से आरंभ होने वाले युद्ध में 47 हज़ार 35 लोग शहीद और एक लाख 11 हज़ार 91 लोग घायल हो गये जबकि 14 हज़ार 222 लोग अब भी लापता हैं।

 इस्राईल के 471 दिनों तक जारी रहने वाले पाश्विक युद्ध व हमलों में 17 हज़ार 861 फ़िलिस्तीनी बच्चे शहीद हो गये। ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी सरकार के मिडिया कार्यालय ने एलान किया है कि इस युद्ध के दौरान ज़ायोनी सरकार ने एक लाख टन बम और विस्फ़ोटक पदार्थों को ग़ज़ा के निर्दोष लोगों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया है।

उत्तरी बग़दाद में एक गंभीर सुरक्षा घटना सामने आई जिसमें आतंकवादी संगठन ISIS ने इराकी सेना पर हमला किया इराकी मीडिया ने इस घटना को सुरक्षा संकट के रूप में परिभाषित किया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार , उत्तरी बग़दाद में एक गंभीर सुरक्षा घटना सामने आई जिसमें आतंकवादी संगठन आईएसआईएस (ISIS) ने इराकी सेना पर हमला किया। इराकी मीडिया ने इस घटना को सुरक्षा संकट के रूप में परिभाषित किया है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार आईएसआईएस के आतंकियों ने बग़दाद के उत्तर में स्थित तारमिया जिले में इराकी सैन्य बलों के एक समूह को निशाना बनाया इस हमले में इराकी सेना का एक अधिकारी और एक सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए। हालांकि, अन्य रिपोर्ट्स बताती हैं कि मरने वालों की संख्या चार तक हो सकती है और इस हमले में कई लोग घायल भी हुए हैं।

सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि दाइश ने यह हमला छोटे आतंकी समूहों के माध्यम से किया है, जो अभी भी इराक़ के दुर्गम और कठिन इलाकों में सक्रिय हैं। इराक़ के आतंकवाद रोधी विभाग ने, खबर के प्रकाशित होने तक इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

हालांकि इराक़ ने दिसंबर 2017 में आईएसआईएस के कब्जे से सभी क्षेत्रों को आजाद करने की घोषणा कर दी थी, लेकिन आईएसआईएस के बचे हुए सदस्य अभी भी उत्तरी और पश्चिमी इराक़ के दुर्गम इलाकों में सक्रिय हैं। ये समूह विशेष रूप से दियाला, अनबार, सलाहुद्दीन और निनवेह जैसे प्रांतों में छिपे हुए हैं और समय-समय पर इराक़ी सुरक्षा बलों और आम नागरिकों पर हमला करते रहते हैं।

इस प्रकार के हमले यह संकेत देते हैं कि हालांकि आईएसआईएस के प्रमुख क्षेत्रीय ठिकानों को खत्म कर दिया गया है, लेकिन इनका खतरा अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन आतंकियों के खिलाफ निरंतर और कठोर सैन्य कार्रवाई आवश्यक है, ताकि इराक में शांति और स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके।

 

इस्लाम को लेकर यह गलतफहमी है और फैलाई जाती है कि इस्लाम में औरत को कमतर समझा जाता है। सच्चाई इसके उलट है। हम इस्लाम का अध्ययन करें तो पता चलता है कि इस्लाम ने महिला को चौदह सौ  साल पहले वह मुकाम दिया है जो आज के कानून दां भी उसे नहीं दे पाए।

इस्लाम में औरत के मुकाम की एक झलक देखिए।

जीने का अधिकार शायद आपको हैरत हो कि इस्लाम ने साढ़े चौदह सौ साल पहले स्त्री को दुनिया में आने के साथ ही अधिकारों की शुरुआत कर दी और उसे जीने का अधिकार दिया। यकीन ना हो तो देखिए कुरआन की यह आयत-

और जब जिन्दा गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा, बता तू किस अपराध के कारण मार दी गई?"(कुरआन, 81:8-9) )

यही नहीं कुरआन ने उन माता-पिता को भी डांटा जो बेटी के पैदा होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हैं-

'और जब इनमें से किसी को बेटी की पैदाइश का समाचार सुनाया जाता है तो उसका चेहरा स्याह पड़ जाता है और वह दु:खी हो उठता है। इस 'बुरी' खबर के कारण वह लोगों से अपना मुँह छिपाता फिरता है। (सोचता है) वह इसे अपमान सहने के लिए जिन्दा रखे या फिर जीवित दफ्न कर दे? कैसे बुरे फैसले हैं जो ये लोग करते हैं।' (कुरआन, 16:58-59))

बेटी

इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-बेटी होने पर जो कोई उसे जिंदा नहीं गाड़ेगा (यानी जीने का अधिकार देगा), उसे अपमानित नहीं करेगा और अपने बेटे को बेटी पर तरजीह नहीं देगा तो अल्लाह ऐसे शख्स को जन्नत में जगह देगा।इब्ने हंबल) अन्तिम ईशदूत हजऱत मुहम्मद सल्ल. ने कहा-'जो कोई दो बेटियों को प्रेम और न्याय के साथ पाले, यहां तक कि वे बालिग हो जाएं तो वह व्यक्ति मेरे साथ स्वर्ग में इस प्रकार रहेगा (आप ने अपनी दो अंगुलियों को मिलाकर बताया)।

मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-जिसके तीन बेटियां या तीन बहनें हों या दो बेटियां या दो बहनें हों और वह उनकी अच्छी परवरिश और देखभाल करे और उनके मामले में अल्लाह से डरे तो उस शख्स के लिए जन्नत है। (तिरमिजी)

पत्नी

वर चुनने का अधिकार : इस्लाम ने स्त्री को यह अधिकार दिया है कि वह किसी के विवाह प्रस्ताव को स्वेच्छा से स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है। इस्लामी कानून के अनुसार किसी स्त्री का विवाह उसकी स्वीकृति के बिना या उसकी मर्जी के विरुद्ध नहीं किया जा सकता।

बीवी के रूप में भी इस्लाम औरत को इज्जत और अच्छा ओहदा देता है। कोई पुरुष कितना अच्छा है, इसका मापदण्ड इस्लाम ने उसकी पत्नी को बना दिया है। इस्लाम कहता है अच्छा पुरुष वही है जो  अपनी पत्नी के लिए अच्छा है। यानी इंसान के अच्छे होने का मापदण्ड उसकी हमसफर है।

पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-

तुम में से सर्वश्रेष्ठ इंसान वह है जो अपनी बीवी के  लिए सबसे अच्छा है। (तिरमिजी, अहमद)

शायद आपको ताज्जुब हो लेकिन सच्चाई है कि इस्लाम अपने बीवी बच्चों पर खर्च करने को भी पुण्य का काम मानता है।

पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-

तुम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए जो भी खर्च करोगे उस पर तुम्हें सवाब (पुण्य) मिलेगा, यहां तक कि उस पर भी जो तुम अपनी बीवी को खिलाते पिलाते हो। (बुखारी,मुस्लिम)।

पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने कहा-आदमी अगर अपनी बीवी को कुएं से पानी पिला देता है, तो उसे उस पर बदला और सवाब (पुण्य) दिया जाता है। (अहमद)

मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-महिलाओं के साथ भलाई करने की मेरी वसीयत का ध्यान रखो। (बुखारी, मुस्लिम)

माँ

क़ुरआन में अल्लाह ने माता-पिता के साथ बेहतर व्यवहार करने का आदेश दिया है,

'तुम्हारे स्वामी ने तुम्हें आदेश दिया है कि उसके सिवा किसी की पूजा न करो और अपने माता-पिता के साथ बेहतरीन व्यवहार करो। यदि उनमें से कोई एक या दोनों बुढ़ापे की उम्र में तुम्हारे पास रहें तो उनसे 'उफ् ' तक न कहो बल्कि उनसे करूणा के शब्द कहो। उनसे दया के साथ पेश आओ और कहो

'ऐ हमारे पालनहार! उन पर दया कर, जैसे उन्होंने दया के साथ बचपन में मेरी परवरिश की थी।(क़ुरआन, 17:23-24))

इस्लाम ने मां का स्थान पिता से भी ऊँचा करार दिया। ईशदूत हजरत मुहम्मद(सल्ल) ने कहा-'यदि तुम्हारे माता और पिता तुम्हें एक साथ पुकारें तो पहले मां की पुकार का जवाब दो।'

एक बार एक व्यक्ति ने हजरत मुहम्मद (सल्ल.) से पूछा'हे ईशदूत, मुझ पर सबसे ज्यादा अधिकार किस का है?'

उन्होंने जवाब दिया 'तुम्हारी माँ का',

'फिर किस का?' उत्तर मिला 'तुम्हारी माँ का',

'फिर किस का?' फिर उत्तर मिला 'तुम्हारी माँ का'

तब उस व्यक्ति ने चौथी बार फिर पूछा 'फिर किस का?'

उत्तर मिला 'तुम्हारे पिता का।'

संपत्ति में अधिकार-औरत को बेटी के रूप में पिता की जायदाद और बीवी के रूप में पति की जायदाद का हिस्सेदार बनाया गया। यानी उसे साढ़े चौदह सौ साल पहले ही संपत्ति में अधिकार दे दिया गया।