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महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसियों और मानवतावादियों ने इज़राइल और हमास के बीच गाजा युद्धविराम समझौते का स्वागत किया और मानवीय कार्यों को बड़े पैमाने पर बढ़ाने का आह्वान किया।

महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसियों और मानवतावादियों ने इज़राइल और हमास के बीच गाजा युद्धविराम समझौते का स्वागत किया और मानवीय कार्यों को बड़े पैमाने पर बढ़ाने का आह्वान किया।

एक रिपोर्ट के अनुसार, गुटेरेस ने कहा कि रविवार को होने वाले युद्धविराम के प्रभावी होने के बाद विश्व निकाय की प्राथमिकता संघर्ष के कारण होने वाली पीड़ा को कम करने की होनी चाहिए उन्होंने सभी जरूरतमंद नागरिकों के लिए त्वरित, निर्बाध और सुरक्षित मानवीय राहत का आह्वान किया।

उन्होंने कहा,यह जरूरी है कि यह युद्धविराम पूरे गाजा में सहायता पहुंचाने में महत्वपूर्ण सुरक्षा और राजनीतिक बाधाओं को दूर करे ताकि हम तत्काल जीवनरक्षक मानवीय सहायता में बड़ी वृद्धि का समर्थन कर सकें।

संयुक्त राष्ट्र राहत प्रमुख मानवीय मामलों के अवर महासचिव टॉम फ्लेचर ने एक बयान में कहा कि युद्धविराम समझौता उन लाखों लोगों को बहुत जरूरी आशा प्रदान करता है जिनका जीवन संघर्ष से तबाह हो गया है।

समझौते की आशा करते हुए उन्होंने कहा कि मानवतावादी एजेंसियां पूरी पट्टी में सहायता वितरण को बढ़ाने के लिए गाजा के बाहर आपूर्ति जुटा रही हैं।

उन्होंने कहा,जीवन बचाने में मदद करने के लिए, हम सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पूरी तरह से पालन करने का आग्रह करते हैं।

भारत ने गुरुवार को गाजा में संघर्ष विराम समझौते और इजराइल और हमास के बीच बंधकों की रिहाई के फैसले का स्वागत किया और कहा यह अच्छी रणनीति है।

भारत ने गुरुवार को गाजा में संघर्ष विराम समझौते और इजराइल और हमास के बीच बंधकों की रिहाई के फैसले का स्वागत किया और कहा यह अच्छी रणनीति है।

विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि यह विकास गाजा को सुरक्षित और निरंतर मानवीय सहायता का मार्ग प्रशस्त करेगा।

विदेश मंत्रालय ने कहा,हम बंधकों की रिहाई और गाजा में युद्धविराम के लिए समझौते की घोषणा का स्वागत करते हैं हमें उम्मीद है कि इससे गाजा के लोगों को मानवीय सहायता की सुरक्षित और निरंतर आपूर्ति होगी।

भारत ने बंधकों की रिहाई युद्धविराम और बातचीत एवं कूटनीति की वापसी की वकालत करते हुए कहां हमने लगातार सभी बंधकों की रिहाई, युद्धविराम और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है।

कतर, मिस्र और अमेरिका द्वारा दोहा में कई हफ्तों की बातचीत के माध्यम से युद्धविराम समझौता किया गया है।

कतर के प्रधान मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जसीम अलथानी ने घोषणा की कि पहले 42-दिवसीय चरण में 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा जो संभावित रूप से स्थायी युद्धविराम में विकसित हो सकता है।

अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के सलाहकार ने स्वीकार कियाः अमेरिका की चौधराहट का समय बीत गया है।

अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के सलाहकार jack salivan ने एक अमेरिकी पत्रिका न्यूयार्क टाइम्स के साथ वार्ता में इस बात की ओर संकेत किया कि अमेरिका की वर्चस्ववादी व्यवस्था समाप्त हो गयी है। साथ ही उन्होंने स्वीकार किया है कि शीतयुद्ध का समय बीत गया है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका की श्रेष्ठता का समय 1990 के दशक से और 2000 के आरंभिक दशक में ही समाप्त हो गया था। उन्होंने कहा कि बाइडन की सरकार के सत्ता में आने से पहले ही अमेरिका की श्रेष्ठता व दादागीरी का समय बीत गया था।

jack salivan ने ग़ाज़ा युद्ध की बात की और अस्पतालों, मस्जिदों, गिरजाघरों और ग़ाज़ा के दूसरे आम आवासीय क्षेत्रों पर ज़ायोनी सरकार के हमलों का औचित्य दर्शाते हुए कहा कि हमास स्कूलों, मस्जिदों और अस्पतालों का प्रयोग सैनिक कार्यों के लिए करता था।

यह ऐसी स्थिति में है जब राष्ट्रसंघ, यूरोपीय देशों यहां तक कि कुछ ज़ायोनी सरकार और अमेरिकी अधिकारियों की ओर से इस दावे को रद्द कर दिया था। राष्ट्रसंघ की रिपोर्ट के अनुसार ग़ाज़ा में शहीद होने वाले 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे और महिलायें हैं।

अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के सलाहकार ने अपनी बात जारी रखते हुए ज़ायोनी सरकार को हथियार भेजने पर आधारित जो बाइडन के फ़ैसले की वकालत और बचाव किया और कहा कि इस्राईल को हथियारों के निर्यात को बंद नहीं कर सकते।

ग़ज़ा में युद्धविराम की घोषणा के बाद KHAMENEI.IR की सोशल साइट ने इमाम ख़ामेनेई के कुछ वाक्यों को प्रकाशित किया है।

ग़ाज़ा में युद्ध विराम के एलान के बाद KHAMENEI.IR सोशल साइट ने ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता के कुछ वाक्यों को विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित किया है।

इमाम ख़ामेनेई के वाक्य इस प्रकार हैं" आज दुनिया समझ गयी कि ग़ज़ा के लोगों के सब्र और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध ने ज़ायोनी सरकार को पीछे हटने पर बाध्य कर दिया है।

किताबों में लिखा जाएगा कि एक ज़माने में एक गिरोह ने ग़ज़ा में कई हज़ार बच्चों और महिलाओं को क़त्ल कर डाला! और सबको पता चलेगा कि फ़िलिस्तीनियों और रेज़िस्टेंस फ़्रंट के प्रतिरोध ने ज़ायोनिस्ट रेजीम को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

अलजज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, जंगबंदी की घोषणा के बाद कुछ युवाओं ने एक सभा का आयोजन किया इस मुख्य सभा में प्रतिरोध (मुक़ावमत) के समर्थन में नारे लगाए गए जबकि अन्य लोगों ने इन दृश्यों को अपने कैमरों में रिकॉर्ड किया।

फिलिस्तीनी जनता ने जंगबंदी समझौते की घोषणा पर खुशी जाहिर करते हुए सड़कों पर जश्न मनाया यह समझौता रविवार से लागू होगा।

बुधवार रात कतर ने इस अंतिम समझौते की घोषणा की लेकिन इजराइल का कहना है कि अभी भी कई मुद्दे लंबित हैं हालांकि ग़ज़ा में पहले ही जश्न का माहौल बन चुका है और लोगों ने इन लम्हों को अपने कैमरों में कैद किया।

देर अलबलह में स्थित अलशोहदा अलअक्सा अस्पताल के बाहर, जहां जंग के कई पीड़ितों को लाया गया था सैकड़ों फिलिस्तीनी जमा हुए उन्होंने नारे लगाए राष्ट्रीय गान गाया और फिलिस्तीनी झंडे लहराए।

45 साल की महिला जो ग़ाज़ा से अलनसीरात कैंप में स्थानांतरित हुईं ने कहा,मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि एक साल से ज्यादा का यह डरावना सपना आखिरकार खत्म हो रहा है। हमने बहुत से अपनों को खो दिया है हमने सब कुछ खो दिया है।

उन्होंने आगे कहा,हमें बहुत ज्यादा सुकून की जरूरत है।जैसे ही जंगबंदी शुरू होगी मैं कब्रिस्तान जाऊंगी ताकि अपने भाई और परिवार के अन्य सदस्यों से मिल सकूं हमने उन्हें देर अल-बलह के कब्रिस्तान में बिना उचित कब्र के दफनाया था। हम उनके लिए नई कब्रें बनाएंगे और उनके नाम लिखेंगे।

मुख्य सभा में कुछ युवाओं ने प्रतिरोध मुक़ावमत के समर्थन में नारे लगाए जबकि अन्य लोगों ने इन दृश्यों को कैमरों में रिकॉर्ड किया।

27 वर्षीय अब्दुलकरीम ने कहा ,इतना सब कुछ खोने के बावजूद मैं खुशी महसूस कर रहा हूं मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैं आखिरकार अपनी पत्नी और दो बच्चों से मिल पाऊंगा वे लगभग एक साल पहले दक्षिण की ओर चले गए थे मुझे उम्मीद है कि बेघर लोगों को जल्द ही वापस आने की अनुमति दी जाएगी।

खान युनूस में भी बड़ी संख्या में लोग जमा हुए और फिलिस्तीनी झंडे लहराते हुए खुशी का इजहार किया।

एमडब्ल्यूएम पाकिस्तान के सांसद इंजीनियर हामिद हुसैन ने पाराचिनार सड़कों के लगातार बंद रहने पर गहरी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि 105 दिन बीत जाने के बावजूद पाराचिनार सड़कों का बंद रहना अफसोसजनक है, सरकार सड़कें खोलने में विफल रही है।

मजलिस-ए-वहदत मुस्लिमीन पाकिस्तान के संसदीय नेता एमएनए इंजीनियर हामिद हुसैन ने पाराचिनार के प्रति शासकों के रवैये की आलोचना की और कहा कि टाल पाराचिनार रोड पिछले 105 दिनों से बंद है, और इलाके में दवाइयाँ उपलब्ध नहीं हैं। पेट्रोलियम उत्पाद और गैस से भरा एक भी वाहन नहीं पहुंचाया गया है, अन्य आपूर्ति भी लाखों की आबादी के लिए अपर्याप्त है, केंद्र सरकार प्रांतीय सरकार के साथ बिल्कुल भी सहयोग नहीं कर रही है, मुझे इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कहा गया है कल नेशनल असेंबली के स्पीकर से बात करेंगे। अनुमति नहीं मिली। सेना और एफसी ने हमेशा सड़क सुरक्षा में भूमिका निभाई है। अब कुछ पुलिस कर्मियों के साथ सड़क खोलना असंभव है। प्रांतीय और केंद्र सरकारों को इस पर दया करनी चाहिए कुर्रम जिले के लोग, जो बहुत ही मुश्किल हालात में हैं, को एकजुट होकर राहत पहुंचाएं।

 

उन्होंने कहा है कि मैंने नेशनल असेंबली में कुर्रम जिले के लिए हर तरह से विरोध की आवाज उठाई है, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ सहित शासकों सहित सभी प्रभावशाली हस्तियों से मुलाकात की है और उन्हें कुर्रम पाराचिनार जिले की नाजुक स्थिति से अवगत कराया है। पता नहीं उनके सीने में कौन सा दिल है जो दबे-कुचले लोगों के लिए बिल्कुल भी नहीं धड़कता और इस समय हर पल कुर्रम के लोगों के लिए कयामत जैसा है, लेकिन उन्होंने अभी तक कुर्रम जिले के लिए ईमानदारी से कदम नहीं उठाए हैं, जो कि एक बहुत बड़ा संकट है। यह बहुत ही दर्दनाक और दुखद है। मुद्दा यह है कि मैं मांग करता हूं कि प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख सहित सभी शासक कुर्रम की मुख्य सड़क

बुधवार, 15 जनवरी 2025 19:13

हज़रत ज़ैनब अ.स. की महानता

हज़रत ज़ैनब अ.स. की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुर्आन की मुफ़स्सिरा थीं, और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अ.स. कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब अ.स. कूफ़े की औरतों के लिए क़ुर्आन की तफ़सीर बयान करती थीं

हज़रत ज़ैनब अ.स. एक रिवायत के अनुसार 5 जमादिल अव्वल को मदीने में पैदा हुईं, आपके वालिद इमाम अली अ.स. और मां हज़रत ज़हरा स.अ. थीं, आप केवल पांच साल की थीं जब की मां शहीद हुई,

आपने अपने ज़िदगी में बहुत सारी मुसीबतों का सामना किया, मां बाप की शहादत से ले कर भाइयों और बच्चों की शहादत तक आपने देखी, और इस्लाम की राह में क़ैद की कठिन सख़्तियों को भी बर्दाश्त किया, आपके जीवन की यही सख़्तियां थीं जिन्होंने आपके सब्र धैर्य और धीरज को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना दिया। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 46)

आपके बहुत सारे लक़ब हैं जिनमें से मशहूर सिद्दीक़-ए-सुग़रा, आलेमा, मोहद्देसा, आरेफ़ा और सानि-ए-ज़हरा हैं, आपके सिफ़ात और आपकी विशेषताएं देख कर आपको अक़ील-ए-बनी हाशिम कहा जाता है, आपकी शादी हज़रत जाफ़र के बेटे अब्दुल्लाह से हुई थी, और आपके दो बेटे औन और मोहम्मद कर्बला में इमाम हुसैन अ.स. के साथ दीन को बचाने की ख़ातिर शहीद कर दिए गए थे। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 210)

आमतौर से बच्चों के नाम उनके मां बाप रखते हैं लेकिन हज़रत ज़ैनब अ.स. का नाम आपके नाना पैग़म्बर स.अ. ने रखा।

जब आपकी विलादत हुई तो पैग़म्बर स.अ. सफ़र पर गए हुए थे जब आप वापस आए और जैसे ही आपको हज़रत ज़ैनब अ.स. की विलादत की ख़बर मिली आप तुरंत इमाम अली अ.स. के घर आए और हज़रत ज़ैनब अ.स. को गोद में ले कर प्यार किया और उसी समय आपने ज़ैनब यानी बाप की ज़ीनत नाम रखा। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 39)

इंसान की अहमियत उसके इल्म और ज्ञान से पहचानी जाती है, जैसाकि क़ुर्आन में सूरए बक़रह की आयत न. 31 और 32 में हज़रत आदम अ.स. के बारे में भी यही कहा गया है, और सबसे अहम इल्म और ज्ञान वह है जो सीधे अल्लाह से हासिल किया जाए जिसे इल्मे लदुन्नी कहा जाता है, हज़रत ज़ैनब अ.स. का इल्म भी कुछ इसी तरह का था जैसाकि इमाम सज्जाद अ.स. ने आपको आलिम-ए-ग़ैरे मोअल्लमा नाम दिया यानी ऐसी आलिमा जिसने दुनिया में किसी से कुछ सीखा न हो। (मुनतहल आमाल, जिल्द 1, पेज 298)

औरत के लिए सबसे बड़ा कमाल और सबसे बड़ी सआदत यह है कि उसकी पाकीज़गी और पवित्रता पर कोई सवाल न कर सके, हज़रत ज़ैनब अ.स. ने पवित्रता का सबक़ अपने वालिद से सीखा जैसाकि यहया माज़नदरानी से रिवायत है कि मैंने कई सालों तक मदीने में इमाम अली अ.स. की ख़िदमत की है और मेरा घर हज़रत ज़ैनब अ.स. के घर से बिल्कुल क़रीब था लेकिन कभी न मैंने उनको देखा और ना ही उनकी आवाज़ सुनी।

आप जब भी पैग़म्बर स.अ. की क़ब्र की ज़ियारत को जाना चाहतीं तो रात के सन्नाटे में जातीं और आपके साथ आगे आगे इमाम अली अ.स. चलते और आपके दाहिने इमाम हसन अ.स. और बाएं इमाम हुसैन अ.स. चलते, और जब पैग़म्बर स.अ. की क़ब्र के क़रीब पहुंचते तो पहले इमाम अली अ.स. जा कर चिराग़ की रौशनी को धीमा कर देते थे, एक बार इमाम हसन अ.स. ने अपने वालिद से इसका कारण पूछा तो आपने जवाब दिया कि मुझे डर है कि कहीं कोई हज़रत ज़ैनब अ.स. को देख न ले।

आपने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी पाकीज़गी और पवित्रता को ध्यान में रखा, कूफ़ा और शाम जैसे घुटन के माहौल में जहां आपके सर पर चादर नहीं थी लेकिन फिर भी आप अपने हाथों से अपने चेहरे को छिपाए हुए थीं। (अल-ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या, पेज 345)

हज़रत ज़ैनब अ.स. की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुर्आन की मुफ़स्सिरा थीं, और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अ.स. कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब अ.स. कूफ़े की औरतों के लिए क़ुर्आन की तफ़सीर बयान करती थीं, एक दिन इमाम अली अ.स. घर में दाख़िल हुए देखा हज़रत ज़ैनब अ.स. सूरए मरयम के शुरू में आने वाले हुरूफ़े मोक़त्तए की तफ़सीर बयान कर रही थीं, आपने हज़रत ज़ैनब अ.स. से कहा बेटी इसकी तफ़सीर मैं बयान करता हूं और फिर आपने फ़रमाया इन हुरूफ़ में अल्लाह ने एक बहुत बड़ी मुसीबत को राज़ बना कर रखा है और फिर आपने कर्बला की दास्तान को बयान किया जिसको सुन कर हज़रत ज़ैनब अ.स. बहुत रोईं।

शैख़ सदूक़ बयान करते हैं कि इमाम हुसैन अ.स. ने इमाम सज्जाद अ.स. की बीमारी के समय हज़रत ज़ैनब अ.स. को यह अनुमति दी थी कि जो लोग शरई मसले पूछें आप उनका जवाब दीजिएगा।

शैख़ तबरिसी ने नक़्ल किया है कि हज़रत ज़ैनब अ.स. ने बहुत सारी हदीसें अपनी मां हज़रत ज़हरा स.अ. बयान की है, इसी तरह एमादुल मोहद्देसीन से नक़्ल हुआ है कि आप अपनी मां, वालिद, भाईयों, उम्मे सलमा, उम्मे हानी और भी दूसरे लोगों से बहुत सी हदीसें बयान की हैं, और जिन लोगों ने आपसे हदीसें नक़्ल की हैं उनके नाम इस तरह हैं इब्ने अब्बास, इमाम सज्जाद अ.स., अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र।

इसी तरह फ़ाज़िल दरबंदी और भी दूसरे बहुत से उलमा ने हज़रत ज़ैनब अ.स. के बारे में  यह बात भी लिखी है कि हज़रत ज़ैनब अ.स. को इल्मे मनाया वल बलाया था यानी ऐसा इल्म जिसमें आने वाले समय में कौन सी घटना पेश आने वाली है इन सबके बारे में आपको मालूमात थी।

बुधवार, 15 जनवरी 2025 19:11

जनाबे ज़ैनब (अ) का शहादत दिवस

हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा का जीवन तथा उनका व्यक्तित्व विभिन्न आयामों से समीक्षा योग्य है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम, हज़रत अली अलैहिस्सलाम और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा जैसी हस्तियों के साथ रहने से हज़रत ज़ैनब के व्यक्तित्व पर इन हस्तियों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। हज़रत ज़ैनब ने प्रेम व स्नेह से भरे परिवार में प्रशिक्षण पाया। इस परिवार के वातावरण में, दानशीलता, बलिदान, उपासना और सज्जनता जैसी विशेषताएं अपने सही रूप में चरितार्थ थीं। इसलिए इस परिवार के बच्चों का इतने अच्छे वातावरण में पालन - पोषण हुआ। हज़रत अली अलैहिस्सलाम व फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह के बच्चों में नैतिकता, ज्ञान, तत्वदर्शिता और दूर्दर्शिता जैसे गुण समाए हुए थे, क्योंकि मानवता के सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षकों से उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

हज़रत ज़ैनब में बचपन से ही ज्ञान की प्राप्ति की जिज्ञासा थी। अथाह ज्ञान से संपन्न परिवार में जीवन ने उनके सामने ज्ञान के द्वार खोल दिए थे। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के परिजनों के कथनों के हवाले से इस्लामी इतिहास में आया है कि हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा को ईश्वर की ओर से कुछ ज्ञान प्राप्त था। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के पौत्र हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने अपने एक भाषण में हज़रत ज़ैनब को संबोधित करते हुए कहा थाः आप ईश्वर की कृपा से ऐसी विद्वान है जिसका कोई शिक्षक नहीं है। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा क़ुरआन की आयतों की व्याख्याकार थीं। जिस समय उनके महान पिता हज़रत अली अलैहिस्सलाम कूफ़े में ख़लीफ़ा थे यह महान महिला अपने घर में क्लास का आयोजन करती तथा पवित्र क़ुरआन की आयतों की बहुत ही रोचक ढंग से व्याख्या किया करती थीं। हज़रत ज़ैनब द्वारा शाम और कूफ़े के बाज़ारों में दिए गए भाषण उनके व्यापक ज्ञान के साक्षी हैं। शोधकर्ताओं ने इन भाषणों का अनुवाद तथा इनकी व्याख्या की है। ये भाषण इस्लामी ज्ञान विशेष रूप से पवित्र क़ुरआन पर उस महान हस्ती के व्यापक ज्ञान के सूचक हैं।

हज़रतज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के आध्यात्मिक स्थान की बहुत प्रशंसा की गई है। जैसा कि इतिहास में आया है कि इस महान महिला ने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अनिवार्य उपासना के साथ साथ ग़ैर अनिवार्य उपासना करने में भी तनिक पीछे नहीं रहीं। हज़रत ज़ैनब को उपासना से इतना लगाव था कि उनकी गणना रात भर उपासना करने वालों में होती थी और किसी भी प्रकार की स्थिति ईश्वर की उपासना से उन्हें रोक नहीं पाती थी। इमाम ज़ैनुलआबेदीन अलैहिस्सलाम बंदी के दिनों में हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के आध्यात्मिक लगाव की प्रशंसा करते हुए कहते हैः मेरी फुफी ज़ैनब, कूफ़े से शाम तक अनिवार्य नमाज़ों के साथ - साथ ग़ैर अनिवार्य नमाज़ें भी पढ़ती थीं और कुछ स्थानों पर भूख और प्यास के कारण अपनी नमाज़े बैठ कर पढ़ा करती थीं। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जो अपनी बहन हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के आध्यात्मिक स्थान से अवगत थे, जिस समय रणक्षेत्र में जाने के लिए अंतिम विदाई के लिए अपनी बहन से मिलने आए तो उनसे अनुरोध करते हुए यह कहा थाः मेरी बहन मध्यरात्रि की नमाज़ में मुझे न भूलिएगा।

हज़रतज़ैनब के पति हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफ़र की गण्ना अपने काल के सज्जन व्यक्तियों में होती थी। उनके पास बहुत धन संपत्ति थी किन्तु हज़रत ज़ैनब बहुत ही सादा जीवन बिताती थीं भौतिक वस्तुओं से उन्हें तनिक भी लगाव नहीं था। यही कारण था कि जब उन्हें यह आभास हो गया कि ईश्वरीय धर्म में बहुत सी ग़लत बातों का समावेश कर दिया गया है और वह संकट में है तो सब कुछ छोड़ कर वे अपने प्राणप्रिय भाई हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ मक्का और फिर कर्बला गईं।

न्होंने मदीना में एक आराम का जीवन व्यतित करने की तुलना में कर्बला की शौर्यगाथा में भाग लेने को प्राथमिकता दी। इस महान महिला ने अपने भाई इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ उच्च मानवीय सिद्धांत को पेश किया किन्तु हज़रत ज़ैनब की वीरता कर्बला की त्रासदीपूर्ण घटना के पश्चात सामने आई। उन्होंने उस समय अपनी वीरता का प्रदर्शन किया जब अत्याचारी बनी उमैया शासन के आतंक से लोगों के मुंह बंद थे। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के पश्चात किसी में बनी उमैया शासन के विरुद्ध खुल कर बोलने का साहस तक नहीं था ऐसी स्थिति में हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा ने अत्याचारी शासकों के भ्रष्टाचारों का पिटारा खोला। उन्होंने अत्याचारी व भ्रष्टाचारी उमवी शासक यज़ीद के सामने बड़ी वीरता से कहाः हे यज़ीद! सत्ता के नशे ने तेरे मन से मानवता को समाप्त कर दिया है। तू परलोक में दण्डित लोगों के साथ होगा। तुझ पर ईश्वर का प्रकोप हो । मेरी दृष्टि में तू बहुत ही तुच्छ व नीच है। तू ईश्वरीय दूत पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के धर्म को मिटाना चाहता, मगर याद रख तू अपने पूरे प्रयास के बाद भी हमारे धर्म को समाप्त न कर सकेगा वह सदैव रहेगा किन्तु तू मिट जाएगा।

 हज़रतज़ैनब सलामुल्लाहअलैहा की वीरता का स्रोत, ईश्वर पर उनका अटूट विश्वास था। क्योंकि मोमिन व्यक्ति सदैव ईश्वर पर भरोसा करता है और चूंकि वह ईश्वर को संसार में अपना सबसे बड़ा संरक्षक मानता है इसलिए निराश नहीं होता। जब ईश्वर पर विश्वास अटूट हो जाता है तो मनुष्य कठिनाइयों को हंसी ख़ुशी सहन करता है। ईश्वर पर विश्वास और धैर्य, हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के पास दो ऐसी मूल्यवान शक्तियां थीं जिनसे उन्हें कठिनाईयों में सहायता मिली। इसलिए उन्होंने उच्च - विचार और दृढ़ विश्वास के सहारे कर्बला - आंदोलन के संदेश को फैलाने का विकल्प चुना। कर्बला से लेकर शाम और फिर शाम से मदीना तक राजनैतिक मंचों पर हज़रत ज़ैनब की उपस्थिति, अपने भाइयों और प्रिय परिजनों को खोने का विलाप करने के लिए नहीं थी। हज़रत ज़ैनब की दृष्टि में उस समय इस्लाम के विरुद्ध कुफ़्र और ईमान के सामने मिथ्या ने सिर उठाया था। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा का आंदोलन बहुत व्यापक अर्थ लिए हुए था। उन्होंने भ्रष्टाचारी शासन को अपमानित करने तथा अंधकार और पथभ्रष्टता में फंसे इस्लामी जगत का मार्गदर्शन करने का संकल्प लिया था। इसलिए इस महान महिला ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के पश्चात हुसैनी आंदोलन के संदेश को पहुंचाना अपना परम कर्तव्य समझा। उन्होंने अत्याचारी शासन के विरुद्ध अभूतपूर्व साहस का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने जीवन के इस चरण में पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के अधिकारों की रक्षा की तथा शत्रु को कर्बला की त्रासदीपूर्ण घटना से लाभ उठाने से रोक दिया। हज़रत ज़ैनब के भाषण में वाक्पटुता इतनी आकर्षक थी कि लोगों के मन में हज़रत अली अलैहिस्सलाम की याद ताज़ा हो गई और लोगों के मन में उनके भाषणों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। कर्बला में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके साथियों की शहादत के पश्चात हज़रत ज़ैनब ने जिस समय कूफ़े में लोगों की एक बड़ी भीड़ को संबोधित किया तो लोग उनके ज्ञान एवं भाषण शैली से हत्प्रभ हो गए। इतिहास में है कि लोगों के बीच एक व्यक्ति पर हज़रत ज़ैनब के भाषण का ऐसा प्रभाव हुआ कि वह फूट फूट कर रोने लगा और उसी स्थिति में उसने कहाः हमारे माता पिता आप पर न्योछावर हो जाएं, आपके वृद्ध सर्वश्रेष्ठ वृद्ध, आपके बच्चे सर्वश्रेष्ठ बच्चे और आपकी महिलाएं संसार में सर्वश्रेष्ठ और उनकी पीढ़ियां सभी पीढ़ियों से श्रेष्ठ हैं।

कर्बलाकी घटना के पश्चात हज़रत ज़ैनब ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन को इतिहास की घटनाओं की भीड़ में खोने से बचाने के लिए निरंतर प्रयास किया। यद्यपि कर्बला की त्रासदीपूर्ण घटना के पश्चात हज़रत ज़ैनब अधिक जीवित नहीं रहीं किन्तु इस कम समय में उन्होंने इस्लामी जगत में जागरुकता की लहर दौड़ा दी थी। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा ने अपनी उच्च- आत्मा और अटूट संकल्प के सहारे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन को अमर बना दिया ताकि मानव पीढ़ी, सदैव उससे प्रेरणा लेती रही। यह महान महिला कर्बला की घटना के पश्चात लगभग डेढ़ वर्ष तक जीवित रहीं और सत्य के मार्ग पर अथक प्रयास से भरा जीवन बिताने के पश्चात वर्ष 62 हिजरी क़मरी में इस नश्वर संसार से सिधार गईं।

 एकबार फिरहज़रत ज़ैबन सलामुल्लाह अलैहा की शहादत की पुण्यतिथि पर हम सभी श्रोताओ की सेवा में हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं। कृपालु ईश्वर से हम यह प्रार्थना करते हैं कि वह हम सबको इस महान हस्ती के आचरण को समझ कर उसे अपनाने का साहस प्रदान करे।

हरेदी यहूदी समुदाय और इज़रायली सेना एवं पुलिस के बीच अनिवार्य सैन्य सेवा कानून को लेकर विवाद जारी है इज़रायली सेना जो अपने जवानों की कमी के चलते हरेदी समुदाय को सेना में भर्ती करने पर जोर दे रही है, हरेदी समुदाय के कड़े विरोध का सामना कर रही है। हरेदी यहूदियों का मानना है कि यह कदम कानून के खिलाफ है।

हरेदी यहूदी समुदाय और इज़रायली सेना एवं पुलिस के बीच अनिवार्य सैन्य सेवा कानून को लेकर विवाद जारी है इज़रायली सेना जो अपने जवानों की कमी के चलते हरेदी समुदाय को सेना में भर्ती करने पर जोर दे रही है, हरेदी समुदाय के कड़े विरोध का सामना कर रही है। हरेदी यहूदियों का मानना है कि यह कदम कानून के खिलाफ है।

बुधवार को भी हरेदी यहूदियों ने कब्जा किए गए फ़िलिस्तीन के केंद्र में विरोध प्रदर्शन किया और सड़कों को अवरुद्ध कर अनिवार्य सैन्य सेवा के खिलाफ अपना विरोध जताया इसका परिणाम इज़रायली पुलिस के साथ उनकी झड़पों के रूप में सामने आया।

पिछले गुरुवार को भी दर्जनों हरेदी यहूदियों ने कब्जा किए गए फ़िलिस्तीन के एक महत्वपूर्ण राजमार्ग, पूर्वी तेल अवीव में हाईवे नंबर 4 को अवरुद्ध कर दिया और पुलिस के साथ झड़प की।

ग़ाज़ा और लेबनान के साथ युद्ध के चलते इज़रायली सेना पिछले एक साल से गंभीर क्षति और जवानों की कमी का सामना कर रही है। इसी कारण कुछ महीनों पहले सेना ने हरेदी समुदाय के हजारों लोगों को भर्ती करने के लिए एक नई योजना पेश की इज़रायली सुप्रीम कोर्ट ने भी रक्षा मंत्रालय के अनुरोध पर हरेदी यहूदियों को सैन्य सेवा से छूट देने के प्रावधान को रद्द कर दिया।

इस फैसले के बाद इस प्रभावशाली लेकिन कट्टरपंथी अल्पसंख्यक समुदाय ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए यहां तक कि उनके प्रमुख रब्बी, इसहाक यूसुफ़, ने हरेदी धार्मिक स्कूलों के छात्रों से कहा कि वे अपनी सैन्य सेवा के आदेशों को फाड़ दें।

यमन के हौसी समूह ने एक बयान में कहा है कि उसने पंख वाली मिसाइल का उपयोग करके दक्षिणी इजरायली बंदरगाह शहर इलियट में एक बिजली संयंत्र को निशाना बनाया हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,यमन के हौसी समूह ने एक बयान में कहा है कि उसने पंख वाली मिसाइल का उपयोग करके दक्षिणी इजरायली बंदरगाह शहर इलियट में एक बिजली संयंत्र को निशाना बनाया हैं।

हौसी सैन्य प्रवक्ता याह्या सारेया ने हौथी द्वारा संचालित अलमसीरा टीवी पर प्रसारित बयान में कहा,हमले ने अपना लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल कर लिया।

समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सरिया ने यह भी हा कि उनके समूह ने इज़राइल के खिलाफ एक और हमला किया जिसमें कई बम लदे ड्रोनों के साथ तेल अवीव शहर में महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया गया

उन्होंने इजराइल के खिलाफ उनके समूह के हमले "तब तक नहीं रुकेंगे जब तक इजराइल गाजा में युद्ध बंद नहीं कर देता और अपनी घेराबंदी नहीं हटा लेता।

इलियट में पावर स्टेशन और तेल अवीव में ठिकानों पर हमले हौसी समूह द्वारा इजरायली रक्षा मंत्रालय के खिलाफ बैलिस्टिक रॉकेट हमले शुरू करने की जिम्मेदारी लेने के कुछ घंटों बाद हुए।

इससे पहले दिन में इजरायली मीडिया ने कहा कि हौथी रॉकेट हमले को इजरायली वायु रक्षा प्रणाली ने रोक दिया था।