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मंगलवार, 10 सितम्बर 2024 19:19

इंतेख़ाबे शहादत

वाक़ेया ए करबला रज़्म व बज़्म, सोज़ व गुदाज़ के तास्सुरात का मजमूआ नही, बल्कि इंसानी कमालात के जितने पहलु हो सकते हैं और नफ़सानी इम्तियाज़ात के जो भी असरार मुमकिन हैं उन सब का ख़ज़ीनादार है, सानेहा ए करबला तारीख़ का एक दिल ख़राश वाक़ेया ही नही, ज़ुल्म व बरबरियत और ज़िन्दगी की एक ख़ूँ चकाँ दास्तान ही नही, फ़रमाने शाही में दर्ज नंगी ख़्वाहिशों की रुदादे फ़ितना ही नही बल्कि हुर्रियते फ़िक्र, निफ़ाज़े अदल और इंसान के बुनियादी हुक़ूक़ की बहाली की एक अज़ीमुश शान तहरीक भी है।

वाक़ेया ए करबला बाक़ी तारीख़ी वक़ायए में एक मुम्ताज़ मक़ाम और जुदागाना हैसियत रखता है चुनाँचे वह अपने मुनफ़रिद वसायल व ज़रायेअ और बुलंद व वाज़ेह अहदाफ़ व मकासिद ले कर तारीख़ की पेशानी पर चमकते हुए सितारे की मानिन्द नुमायाँ हुआ और ज़ुल्म व बरबरियत, ला क़ानूनियत, जाहिलियत के अफ़कार व नज़रियात, मुलूकियत के तारीक और इस्लाम दुश्मन अनासिर के बनाए ज़ुल्मत कदों में रौशन चिराग़ बन कर ज़हूर पज़ीर हुआ।

जब इस्लाम का चिराग़ ख़ामोंश किया जा रहा था और बनामे इस्लाम ख़िलाफ़े दीन व शरीयत अमल अंजाम दिये जा रहे थे, ज़लालत की तारीकी ने जहान को अपनी आग़ोश में समेट लिया था इंसान के बुनियादी हुक़ूक़ की ख़िलाफ़ वर्ज़ी आमेराना सोच को जन्म दे चुकी थी आमिरे मुतलक़ की ज़बान से निकला हुआ हर लफ़्ज़ क़ानून का दर्जा इख़्तियार कर चुका था और गुलशने हस्ती से सर उठा कर चलने का दिल नवाज़ मौसम रुख़सत हो चुका था, सिर्फ़ इस्लाम का नाम बाक़ी था, वह भी ऐसा इस्लाम कि जिस का रहबर यज़ीदे पलीद था, लोग कुफ़्र को ईमान, ज़ुल्म को अद्ल, झूट को सदाक़त, मयनोशी व ज़ेनाकारी को तक़वा व फ़ज़ीलत, फ़रेबकारी को इफ़्तेख़ार समझते थे और हक़ को उस के हमराह जानते थे कि जो क़ुदरत के साथ शमशीर ब कफ़ हो, अपने और बेगाने यही तसव्वुर करते थे कि यज़ीद ख़लीफ़ ए पैग़म्बर, हाकिमे इस्लाम और मुजरी ए अहकामे क़ुरआन है चूँ कि उस के क़ब्ज़ा ए क़ुदरत में हुकूमत और ताक़त है और हमेशा ऐसे ही रहेगी क्योकि यह हुकूमते इस्लामी है जिस का शेयार यह है कि व ला ख़बरुन जाआ व ला वहीयुन नज़ल।

गोया नक़्शे इस्लाम हमेशा के लिये सफ़ह ए हस्ती से मिटने वाला था और इंसानियत के लिये कोई उम्मीद बाक़ी न रह गई थी हर तरफ़ तारीकी अपने गेसू फ़ैलाए हुए थी।

ऐसे वक़्त में ख़ुरशीदे शहादत ने तूलू हो कर शहादत की शाहराह पर अज़्म व जुरअत के ऐसे बहत्तर चिराग़ रौशन किये कि जो महकूम अक़वाम, मज़लूम तबक़ात और इस्तेमार के ख़िलाफ़ अपनी आज़ादी की जंग लड़ने वाले हुर्रियत पसंदों के लिये मीनार ए नूर बन गये। इमाम हुसैन (अ) ने अपनी शहादत के ज़रिये ऐलान कर दिया तारीकी नही है, इस्लाम सिर्फ़ ताक़त का नाम नही है, हक़ व हक़ीक़त आशकार हो गई और हुज्जत ख़ल्क़ पर तमाम हो गई।

जब इमाम हुसैन (अ) ने यह देखा कि इस्लाम के पाकीज़ा व आला तरीन निज़ाम की हिफ़ाज़त की ज़मानत फ़राहम करने का सिर्फ़ एक ही रास्ता है तो आप ने दिल व जान से शहादत को क़बूल फ़रमाया क्योकि उसूल व अक़ायद तमाम चीज़ों से बरतर हैं हर शय उन पर क़ुर्बान की जा सकती है मगर उन्हे किसी शय पर क़ुर्बान नही किया जा सकता।

इमाम हुसैन (अ) ने शहादत को इस लिये इख़्तियार किया क्योकि शहादत में वह राज़ मुज़मर थे कि जो ज़ाहिरी फ़तहयाबी में नही थे, फ़तह के अंदर दरख़्शंदी ए शहादत नही थी, फ़तह गौहर को संग से जुदा नही कर सकती थी, शहादत दिल में जगह बनाती है जब कि फ़तह दिल पर असर करती भी है और कभी नही भी करती, शहादत दिलों को तसख़ीर करती है फ़तहयाबी पैकर को, शहादत ईमान को दिल में डालती है, शहादत से हिम्मत व जुरअत लाती है।

शहादत मुक़द्दस तरीन शय है उस को आशकारा होना चाहिये, अगर शहादत अलनी व आशकारा न हो तो हलाकत से नज़दीक होती है।

इमाम हुसैन (अ) शहादत के रास्ते को इख़्तियार व इंतेख़ाब करने में आज़ाद थे, दलील आप का मकतूब है:

हुसैन बिन अली (अ) की जानिब से मुहम्मद हनफ़िया और तमाम बनी हाशिम के नाम:

तुम में से जो हम से आ मिलेगा वह शहीद हो जायेगा और जो हमारे साथ नही आ मिलेगा वह फ़तह व कामयाबी व कामरानी से हम किनार नही होगा।

(कामिलुज़ ज़ियारात पेज 75, बिहारुल अनवार जिल्द 44 पेज 230)

अगर इमाम हुसैन अलैहिस सलाम ज़ाहिरी फ़तह को इंतेख़ाब करते तो दुनिया में शायद पहचाने नही जाते और हुसैन बिन अली (अ) का वह किरदार कि जो किलीदे शआदत था बशरीयत पर आशकार न हो पाता। इमाम हुसैन (अ) चाहते थे कि नबी ए अकरम (स) का दीन मिटने न पाये और इंसानियत तकामुल की राहों को तय कर जाये। लिहाज़ा फ़तहे ज़ाहिरी को छोड़ कर शहादते उज़मा को इख़्तियार किया कि जिस ने फिक्रे बशर की रहनुमाई और अख़लाक़ व किरदार को बुलंद व बाला कर के जुँबिशे फिक्री व जुँबिशे आतिफ़ी को दुनिया में ईजाद कर दिया, अज़ादारी इमाम हुसैन (अ) जुँबिशे आतिफ़ी का एक जावेदान नमूना है।

शहादते हुसैनी (अ) के असरात में मशहूर है कि आशूर के दिन सूरज को ऐसा गहन लगा कि उस दिन दोपहर को सितारे निकल आये।

(नफ़सुल महमूम पेज 484)

 

ख़ूने हुसैन (अ) आबे हयात था कि जिस ने इस्लाम को जावेद कर के मारेफ़त के गराँ बहाँ दुर को बशरीयत के सामने पेश करते हुए सही राह दिखा कर इंसानियत को हमेशा के लिये अपना मरहूने मिन्नत कर दिया।

पेशवाए शहीदान पेज 97

जामिया अलज़हरा स.ल.में तब्लीग़ी और और सांस्कृतिक मामलों के प्रमुख ने कहां,इस समय छात्राओं के लिए महारत बढ़ाने के कई अवसर हैं और हमें इन महारतों के साथ-साथ सांस्कृतिक और तबलीगी सामग्री भी प्रदान करनी होगी।

जामिया अलज़हरा स.ल.में तब्लीग़ी और और सांस्कृतिक मामलों के प्रमुख मोहतरमा मासूमा शरीफ़ी ने क़ुम अलमुकद्देसा की महिला निदेशक जनरल, मरयम अरब, और जामेअत अलज़हरा स.ल.की प्रमुख मोहतरमा सैय्यदा ज़हरा बूरक़ई के साथ एक मुलाकात में विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया।

यह मुलाकात जामेअत अलज़हरा के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित की गई मोहतरमा शरीफ़ी ने कहा कि अब तक दोनों संस्थानों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा सहयोग रहा है, और उम्मीद है कि यह संबंध और अधिक मजबूत और लाभदायक होगा।

जामिया अलज़हरा स.ल. में तबलीगी और सांस्कृतिक मामलों की प्रमुख ने कहा कि हौज़ा ए इल्मिया का मूल उद्देश्य तबलीग़ और आम जनता के दीन से जुड़े मसाइल को हल करना है।

उन्होंने अपने विभाग की विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताते हुए कहा कि महिलाओं और परिवार के सामाजिक मुद्दों, हया और हिजाब, तौहीद पर आधारित तर्बियत, जनसंख्या वृद्धि और बच्चों की परवरिश जैसे विषयों पर काम किया जा रहा है।

मोहतरमा शरीफ़ी ने (सफ़ीराने मोहब्बत) प्रोजेक्ट का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट का मकसद मुबल्लीग़ीन को मरीज़ों के दीन से जुड़े मसाइल के हल और अस्पताल के स्टाफ़ और मरीज़ों की रूहानी और मआनवी बेहतरी में मदद करना हैं।

इस योजना के तहत मुबल्लीग़ीन मेडिकल स्किल्स सीखकर मरीज़ों के साथ अच्छा ताल्लुक़ क़ायम करेंगे और उनके दीन से जुड़े मसाइल में मदद करेंगें।

उन्होंने आगे कहा कि हमारा मकसद एक ही है और अगर हम मिलकर काम करें तो इसका समाज पर ज़्यादा सकारात्मक असर होगा।

आख़िर में शरीफ़ी ने कहा कि औरतों को माँ और औरत होने पर फ़ख़्र करना चाहिए और हमें ऐसे प्रोजेक्ट्स तैयार करने की ज़रूरत है जो माँओं और बेटियों को नस्ल-ए-ज़ुहूर (आने वाली पीढ़ी) की तर्बियत के लिए तैयार करें।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सुब्हाननी ने हौज़ा इल्मिया के नए शैक्षणिक वर्ष के उद्घाटन समारोह में कहा: हौज़ा इल्मिया क़ुम वास्तव में लोगों के धर्म का रक्षक है। हमें इस डोमेन की रक्षा करनी चाहिए, जो देश की गरिमा है, ताकि हम इसे बेहतर तरीके से हज़रत वलीउल्लाहि-आज़म तक पहुंचा सकें।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सुब्हानी ने मदरसा दार अल-शिफ़ा क़ुम में आयोजित हौज़ा इल्मिया के नए शैक्षणिक वर्ष  2024-2025 के उद्घाटन समारोह और बैठक में कहा कि दुनिया में दो प्रकार की उच्च शिक्षा होती है; एक उच्च शिक्षा है जिसे विश्वविद्यालय कहा जाता है जो ईरान, मिस्र और दुनिया के अन्य स्थानों में आम है और एक अन्य प्रकार की शिक्षा जिसे हौज़ा इल्मिया शिक्षा कहा जाता है, जो हौज़ा इल्मिया के शैक्षणिक पाठ्यक्रमों पर आधारित है।

उन्होंने आगे कहा, ये दोनों प्रकार की शिक्षा सम्मानजनक है। लेकिन इन विशेषताओं को बनाए रखने के लिए उनकी विशेषताओं को अलग करना आवश्यक है। इनमें से प्रत्येक की अपनी-अपनी विशेषता है और उसका सम्मान भी अपनी-अपनी जगह पर है।

यह मरजा तकलीद विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा में प्रोफेसरों के बीच अंतर को संदर्भित करते हुए कहते है: विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा में एक शिक्षक की नियुक्ति "नियुक्त" है, लेकिन उच्च शिक्षा में, यह शिक्षा के पहले स्तर के बाद वैकल्पिक है आकार लेता है।

हज़रत आयतुल्लाह सुब्हानी ने कहा: हौज़ा इल्मिया की एक और विशेषता कक्षाएं लेने से पहले अध्ययन करना है। यदि विद्यार्थी सुधार करना चाहते हैं तो पाठ से पहले पुस्तक को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

अंजुमन-ए-शरिया शिया-ए जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष ने वक्फ संशोधन विधेयक को मुस्लिम संपत्ति हड़पने की नापाक साजिश करार दिया है और कहा है कि वक्फ की सुरक्षा पूरे इस्लामिक राष्ट्र का कर्तव्य है।

अंजुमन-ए-शरिया शिया-ए-जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष आगा सैयद हसन अल-मुसवी अल-सफवी ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के खिलाफ मिल्लत इस्लामिया से अपील की है कि जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) को बड़ी संख्या में अपनी राय और विचार भेजें और इस बिल का विरोध करें, ताकि सरकार को यह स्पष्ट हो जाए कि संशोधित बिल की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन इससे नुकसान की संभावना है।

आगा साहब ने स्पष्ट रूप से कहा कि वक्फ संपत्ति सरकारी संपत्ति नहीं है बल्कि मुसलमानों की निजी संपत्ति है जिसे उन्होंने धार्मिक और धर्मार्थ कार्यों के लिए अल्लाह सर्वशक्तिमान को अर्पित किया है। वक्फ बोर्ड और ट्रस्टियों की भूमिका केवल उन्हें विनियमित करने की है, लेकिन अब प्रस्तावित विधेयक में जहां गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाने का प्रस्ताव है, वहीं यह विधेयक गैर-मुसलमानों को अपनी कोई भी संपत्ति दान करने से रोकता है।

आगा हसन ने मीरवाइज कश्मीर डॉ. मुहम्मद उमर फारूक को जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दिए जाने की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अब सरकार तय करती है कि उन्हें कब जुमे की नमाज अदा करनी चाहिए और कब नहीं, जो प्रति धर्म में हस्तक्षेप का एक बड़ा सबूत है।

 

 

 

 

 

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पुलिस ने एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम कर दिया हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक , पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पुलिस ने एक बड़ी आतंकी साज़िश को नाकाम कर दिया है।

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-झांगवी के आतंकी आत्मघाती जीकेट फेंककर भाग गए लेकिन पुलिस ने समय रहते इस बड़े आतंक को नाकाम कर दिया हैं।

पुलिस के आनुसार, पेशावर के जमील चौक पर एक्साइज पुलिस ने दो मोटरसाइकिल सवारों को रोका, जिन पर आरोपियों ने आत्मघाती जैकेट फेंकी और भाग गए।

बाद में जैकेट के बम निरोधक इकाई की मदद से निष्क्रिय कर दिया गया जैकेट में 6 से 7 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री थी।

पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।

प्रसिद्ध अरब विश्लेषक ने सैन्य उद्योग के क्षेत्र में ईरान की प्रगति के बारे में अमेरिका और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नैटो) की बढ़ती चिंता की ख़बर दी है।

प्रसिद्ध अरब विश्लेषक अब्दुल बारी अतवान ने कहा: रूस को बैलेस्टिक मिसाइलें भेजने के लिए ईरान के ख़िलाफ अमेरिकी आरोप, ईरान की सैन्य प्रगति ख़ासकर मिसाइल क्षेत्र के बारे में अमेरिका और नैटो की बढ़ती चिंता को दर्शाता है, जो नैटो के लिए एक चुनौती है और युद्ध के मैदान में इसकी सैन्य स्थिति, पश्चिम एशियाई क्षेत्र में विशेष मानी जाती है।

श्री अब्दुल बारी अतवान ने "राय-अलयौम" अखबार में एक लेख में अमेरिकी अख़बार "वॉल स्ट्रीट जर्नल" द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया कि ईरान ने रूस को बैलिस्टिक मिसाइलें भेजीं। अब्दुल बारी अतवान लिखते हैं: यह आश्चर्यजनक है कि यह आरोप, ईरान पर ऐसी स्थिति हालत में लगाया गया है कि जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन को 250 मिलियन डॉलर के हथियारों की ताज़ा खेप की डिलीवरी की सूचना दी है।

इस लेख में संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के प्रतिनिधि के बयानों का ज़िक्र करते हुए अब्दुल बारी अतवान ने कहा: संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के प्रतिनिधि ने अमेरिकी अखबार "वॉल स्ट्रीट जर्नल" में प्रकाशित खबर को दृढ़ता से खारिज कर दिया और इसे भ्रामक और निराधार क़रार देते हुए इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका, फ्रांस और इंग्लैंड ने ये झूठी खबरें फैलाना शुरू कर दिया है।

इस लेख में, इस प्रसिद्ध अरब विश्लेषक ने संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के प्रतिनिधि के हवाले से कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी, इस निर्विवाद हक़ीक़त को छिपा नहीं सकते हैं कि पश्चिम विशेषकर अमरीका की ओर से आधुनिक और विकसित हथियार भेजने से, यूक्रेन में युद्ध लंबा हो गया है और नागरिकों और इंसानी बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है।

उनके अनुसार, अमेरिकी सरकार लंबी दूरी की मिसाइलों को यूक्रेन में स्थानांतरित करने पर भी विचार कर रही है ताकि वह रूसी धरती के काफ़ी अंदर तक निशाना बना सके। यह वह विषय है मॉस्को युद्ध में सीधा हस्तक्षेप मानता है और इसे अपनी सभी रेड लाइनों को क्रास करना क़रार देता है।

 

अब्दुल बारी अतवान आगे लिखते हैं: यह पाखंड की चरम सीमा है कि एफ-16 लड़ाकू विमानों, पैट्रियट मिसाइलों और नए टैंकों सहित अरबों डॉलर के आधुनिक हथियारों को यूक्रेन भेजना क़ानूनी है जबकि संघर्ष के दूसरे पक्ष पूरी तरह से नकार दिया जाए।

इस प्रसिद्ध अरब विश्लेषक ने ग़ज़ा में इजराइल के अपराधों के समर्थन के कारण वैश्विक स्तर पर अमेरिका की पोज़ीशन में गिरावट की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमेरिका, इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंन्यामीन नेतन्याहू और ज़ायोनी लॉबी के डर की वजह से ग़ज़ा के ख़िलाफ़ युद्ध को रोकने में विफल रहा है।

अंत में, अब्दुल बारी अवान ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका का युग समाप्त हो गया है। उन्होंने लिखा: दुनिया में एक नई बहुध्रुवीय व्यवस्था उभर रही है जिसमें अमेरिका की स्थिति अतीत के साम्राज्यवादियों की स्थिति के समान है जिसमें फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, पुर्तगाल और बेल्जियम शामिल हैं।

गाजा में इज़राईल शासन के अपराधों के विरोध में और फ़िलिस्तीनी लोगों के समर्थन में सैकड़ों लोगों ने पेरिस में प्रदर्शन किया और इजरायल के ज़ुल्म के खिलाफ नारेबाज़ी की।

अलजरीरा के हवाले से लगभग एक हज़ारों लोगों ने फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन में फ्रांस की राजधानी पेरिस में प्रदर्शन किया।

जब गाज़ा के खिलाफ युद्ध अपने बारहवें महीने में प्रवेश कर चुका है लेकिन ज़ायोनी शासन की बमबारी के ख़त्म होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है।

प्रदर्शनकारियों जिनमें से अधिकांश युवा थे

इजरायल जाओ, फिलिस्तीन तुम्हारा नहीं है" और "गाजा के बच्चे, फिलिस्तीन के बच्चे, मानवता का कत्ल किया जा रहा है" जैसे नारे लगाए।

यूरोपीय संसद की फ्रांसीसी फिलिस्तीनी सदस्य रीमा हसन ने इजराइल के बहिष्कार के नारे और बैनर और गाजा में मारे गए बच्चों की तस्वीरों के बीच फिलिस्तीनी ध्वज लेकर प्रदर्शन में भाग लिया।

15 और 16 साल की उम्र के कोलमैन होशेह और मिलो क्रूज़ ने पहली बार अपने माता पिता के बिना गाजा पट्टी की स्थिति के बारे में नरसंहार और "मीडिया भ्रम" की निंदा करने के लिए प्रदर्शन में भाग लिया।

हाई स्कूल के छात्र कोलमैन होशेह ने कहा,हम यहां इसलिए आए हैं क्योंकि फ़िलिस्तीनी अभी भी मारे जा रहे हैं और दुनिया उन पर ध्यान नहीं दे रही है।

लगभग एक साल से विरोध प्रदर्शन में भाग ले रही 27 वर्षीय फ़िलिस्तीनी छात्रा डायना ने कहा:मैं जल्द ही गाजा की आज़ादी की उम्मीद नहीं खो सकती।

गाजा पर ज़ायोनी शासन के आक्रमण के दौरान 40,939 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश नागरिक थे, और परिणाम स्वरूप गाजा पट्टी में एक बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया है जहां करीब 24 लाख लोग बंधक हैं।

इस प्रदर्शन में फ्रांसीसी फिलिस्तीनी एकजुटता जनसंख्या जैसे संगठनों के प्रतिनिधियों ने गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक की स्थिति के बारे में जनता को जागरूक होने की आवश्यकता के बारे में बात की।

ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि पूरब के देशों के साथ ईरानी सरकार के संबंध सर्वोपरि हैं और ईरान इन देशों के साथ संबंध को स्ट्रैटेजी की नज़र से देखता है।

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने कहा कि रूस और चीन के साथ संबंधों पर गम्भीरता से ध्यान दिया जा रहा है और इन देशों के साथ जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं उनसे हमारे संयुक्त हितों की आपूर्ति होगी।

नासिर कनआनी ने कहा कि पूरब के साथ संबंध का अर्थ दूसरे देशों के साथ संबंधों की अनदेखी नहीं है अतः हम पूरब के साथ संबंधों में विस्तार के साथ एशिया के दूसरे देशों के साथ संबंधों में विस्तार पर भी ध्यान दे रहे हैं।

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने बल देकर कहा कि जो भी देश ईरान के साथ रचनात्मक संबंध रखना चाहता है हम भी उनका स्वागत करते हैं।

श्री कनआनी ने इसी प्रकार कहा कि ईरान की विदेशनीति में पड़ोसी देशों के साथ संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं और इन देशों के साथ संबंधों को यथावत ईरान की वर्तमान सरकार में भी प्राथमिकता प्राप्त है। उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में विभिन्न मामले व समस्यायें हैं और हम क्षेत्रीय सहकारिता को भ्रांतियों को दूर करने का बेहतरीन रास्ता समझते हैं।

ज़ायोनी सरकार अमेरिकी कांग्रेस पर दबाव डाल रही है ताकि दक्षिण अफ़्रीक़ा उसके ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय अदालत में शिकायत करने की अनदेखी कर दे।

अमेरिकी पत्रिका अक्सिओस ने इस्राईली विदेशमंत्रालय के हवाले से लिखा है कि ज़ायोनी सरकार ने अमेरिकी कांग्रेस पर दबाव डाला है ताकि अमेरिकी कांग्रेस ज़ायोनी सरकार को इस बात से आश्वस्त करा सके कि दक्षिण अफ्रीक़ा तेलअवीव के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय अदालत में शिकायत नहीं करेगा।

ग़ज़ा की मानवता प्रेमी सहायता पहुंचाने वाले रास्ते को न खोलने के कारण ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ दक्षिण अफ़्रीक़ा ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में शिकायत की थी जिस पर कार्यवाही करते हुए अदालत ने सुनवाई की और एक आदेश जारी करके रफ़ह में सैनिक कार्यवाही बंद करने और ग़ज़ा के ज़मीनी राहत मार्ग को खोले जाने का आदेश दिया है।

दक्षिण अफ़्रीक़ा ने तर्क दिया है कि ज़ायोनी सरकार की कार्यवाहियां नस्ली सफ़ाये का उदाहरण हैं क्योंकि ग़ज़ा में रहने वाले फ़िलिस्तीनियों के ध्यानयोग्य भाग को ख़त्म करने के लिए इसे अंजाम दिया जा रहा है। अमेरिकी पत्रिका अक्सिओस की रिपोर्ट के अनुसार तेअलवीव ने अमेरिका में स्थित अपने दूतावास और काउंसलेट को भेजे गये संदेश में उनका आह्वान किया है कि वे अमेरिकी कांग्रेस पर दबाव डालें और न्यायधीशों और यहूदी संगठनों से सहयोग करें ताकि वे इस्राईल के संबंध में अपनी नीतियों को परिवर्तत हेतु दक्षिण अफ़्रीक़ा पर दबाव डालें।

इस गोपनीय पत्र व संदेश में कहा गया है कि इस्राईल ने अदालत के अधिकारियों व न्यायधीशों को धमकी दी है कि हमास आंदोलन का समर्थन जारी रखना और इस्राईल विरोधी कार्यवाहियों को अंजाम देना उनके लिए बहुत महंगा पड़ेगा।

इस रिपोर्ट में आया है कि तेअलवीव अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों पर दबाव डाल रहा है ताकि वह दक्षिण अफ्रीक़ा पर दबाव डालें कि वह ग़ज़ा के संबंध में अपनी क़ानूनी कार्यवाहियों व शिकायतों की अनदेखी कर दे।

यज़ीद के दरबार में जब हज़रत ज़ैनब (स) की निगाह अपने भाई हुसैन के ख़ून से रंगे सर पर पड़ी तो उन्होंने दुख भरी आवाज़ में जो दिलों की दहला रही थी पुकाराः

«يا حُسَيْناهُ! يا حَبيبَ رَسُولِ اللهِ! يَابْنَ مَكَّةَ وَ مِنى، يَابْنَ فاطِمَةَ الزَّهْراءِ سَيِّدَةَ النِّساءِ، يَابْنَ بِنْتِ الْمُصْطَفى»

हे हुसैन, हे रसूलुल्लाह (स) के चहीते, हे मक्का और मिला के बेटे, हे सारे संसार की महिलाओं की मलिका फ़ातेमा ज़हरा (स) के बेटे हो मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) की बेटी के बेटे।

रावी कहता हैः ईश्वर की सौगंध हज़रत ज़ैनब (स) की इस आवाज़ को सुनकर दरबार में उपस्थित हर व्यक्ति रोने लगा, और यज़ीद चुप था!!

यज़ीद ने आदेश दिया की उसकी छड़ी लाई जाए और वह उस छड़ी से इमाम हुसैन (अ) के होठों और पवित्र दांतो से मार रहा था।

अबू बरज़ा असलमी जो पैग़म्बरे इस्लाम (स) के सहाबी और उस दरबार में उपस्थित थे, ने यज़ीद को संबोधित करके कहाः हे यहीं तू अपनी छड़ी से फ़ातेमा (स) के बेटे हुसैन (अ) को मार रहा है? मैंने अपनी आँखों से देखा है कि पैग़म्बरे अकरम (स) हसन (अ) और हुसैन (अ) के होठों और दांतों को चूमा करते थे और फ़रमाते थेः

 

:«أَنْتُما سَيِّدا شَبابِ أهْلِ الْجَنَّةِ، فَقَتَلَ اللهُ قاتِلَكُما وَلَعَنَهُ، وَأَعَدَّلَهُ جَهَنَّمَ َوساءَتْ مَصيراً»

तुम दोनों स्वर्ग के जवानों के सरदार हो, ईश्वर तुम्हारे हत्यारे को मारे और उसपर लानत करे और उसके लिए नर्क तैयार करे और वह सबरे बुरा स्थान है।

 

यज़ीद ने जब असलमी की इन बातों को सुना तो क्रोधित हो गया और उसने आदेश दिया कि उनको दरबार से बाहर निकाल दिया जाए।

 

यज़ीद जो घमंड और अहंकार से चूर था, यह समझ रहा था कि उनसे कर्बला पर विजय प्राप्त कर ली है, उसने इन शेरों को पढ़ा जो उसके और बनी उमय्या के इस्लाम से दूर होने और इस्लामी शिक्षाओं को स्वीकार न करने का प्रमाण हैं:

 

لَيْتَ أَشْياخي بِبَدْر شَهِدُوا *** جَزِعَ الْخَزْرَجُ مِنْ وَقْعِ الاَْسَلْ

 

فَأَهَلُّوا وَ اسْتَهَلُّوا فَرَحاً *** ثُمَّ قالُوا يايَزيدُ لاتَشَلْ

 

لَسْتُ مِنْ خِنْدَفَ إِنْ لَمْ أَنْتَقِمْ *** مِنْ بَني أَحْمَدَ، ما كـانَ فَعَلْ(1)

 

 

 

काश मेरे वह पूर्वज जो बद्र के युद्ध में मारे गए थे आज देखते कि ख़ज़रज क़बीला किस प्रकार भालों के वार से रो रहा है।

 

वह लोग शुख़ी से चिल्लाह रहे थे और कह रहे थेः यज़ीद तेरे हाथ सलामत रहें!

 

मैं ख़िनदफ़ (2) की संतान नहीं हूँ अगर मैं अहमद (अल्लाह के रसूल (स)) के परिवार से इंतेक़ाम न लूँ

 

यज़ीद यह शेर पढ़ता जा रहा था और अपनी इस्लाम से दूरी और शत्रुता को दिखाता जा रहा था, और यही वह समय था कि जब अली (अ) की शेरदिल बेटी ज़ैनब (स) उठती है और वह एतिहासिक ख़ुत्बा पढ़ती हैं जिसे इतिहास कभी भुला न सकेगा। आप फ़रमाती हैं

 

 

 

«أَلْحَمْدُللهِِ رَبِّ الْعالَمينَ، وَصَلَّى اللهُ عَلى رَسُولِهِ وَآلِهِ أجْمَعينَ، صَدَقَ اللهُ كَذلِكَ يَقُولُ: ثُمَّ كَانَ عَاقِبَةَ الَّذِينَ أَسَاءُوا السُّوأَى أَنْ كَذَّبُوا بِآيَاتِ اللهِ وَكَانُوا بِهَا يَسْتَهْزِئُون. (3)

 

أَظَنَنْتَ يا يَزِيدُ حَيْثُ أَخَذْتَ عَلَيْنا أَقْطارَ الاَْرْضِ وَآفاقَ السَّماءِ، فَأَصْبَحْنا نُساقُ كَما تسُاقُ الأُسارى أَنَّ بِنا عَلَى اللهِ هَواناً، وَبِكَ عَلَيْهِ كَرامَةً وَأَنَّ ذلِكَ لِعِظَمِ خَطَرِكَ عِنْدَهُ، فَشَمَخْتَ بِأَنْفِكَ، وَنَظَرْتَ فِي عِطْفِكَ جَذْلانَ مَسْرُوراً حِينَ رَأَيْتَ الدُّنْيا لَكَ مُسْتَوْثِقَةٌ وَالاُْمُورَ مُتَّسِقَةٌ وَحِينَ صَفا لَكَ مُلْكُنا وَسُلْطانُنا، فَمَهْلاً مَهْلاً، أَنَسِيتَ قَوْلَ اللهِ عَزَّوَجَلَّ: وَ لاَ يَحْسَبَنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا أَنَّمَا نُمْلِى لَهُمْ خَيْرٌ لاَِّنْفُسِهِمْ إِنَّمَا نُمْلِي لَهُمْ لِيَزْدَادُوا إِثْماً وَ لَهُمْ عَذَابٌ مُهِينٌ». (4)

 

 

 

प्रशंसा विशेष है उस ईश्वर के लिये जो संसारों का पालने वाला है, और ईश्वर की सलवात उसके दूत पर और उसके परिवार पर। ईश्वर ने सत्य कहा जब फ़रमायाः “वह लोग जिन्होंने पाप और कुकर्म किये उनका अंत (परिणाम) इस स्थान तक पहुँच गया कि उन्होंने ईश्वरीय आयतों को झुठलाना दिया और उनका उपहास किया”

 

हे यज़ीद! क्या अब जब कि ज़मीन और आसमान तो (विभन्न दिशाओं से) हम पर तंग कर दिया और और क़ैदियों की भाति हम को हर दिशा में घुमाया, तू समझता है कि हम ईश्वर के नज़दीक अपमानित हो गए और तू उसके नज़दीक सम्मानित हो जाएगा? और तूने समझा कि यह ईश्वर के नज़दीक तेरी शक्ति और सम्मान की निशानी है? इसलिये तूने अहंकार की हवा को नाक में भर लिया और स्वंय पर गर्व किया और प्रसन्न हो गया, यह देख कर कि दुनिया तेरी झोली में आ गई कार्य तुझ से व्यवस्थित हो गए और हमारी हुकूमत और ख़िलाफ़त तेरे हाथ में आ गई, तो थोड़ा ठहर! क्या तूने ईश्वर का यह कथन भुला दिया कि उसने फ़रमायाः “जो लोग काफ़िर हो गए वह यह न समझें कि अगर हम उनको मोहलत दे रहे हैं, तो यह उनके लाभ में है। हम उनको छूट देते हैं ताकि वह अपने पापों को बढ़ाएं और उनके लिये अपमानित करने वाला अज़ाब (तैयार) है”

 

 

 

आपने अली (अ) के लहजे में यज़ीद और दरबार में बैठे सारे लोगों को यह जता दिया कि देख अगर तू यह समझता है कि तूने हमारे मर्दों की हत्या करके और हम लोगों को बंदी बना कर अपमानित कर दिया है तो यह तेरी समझ का फेर है जान ले कि इज़्ज़त और सम्मान ईश्वर के हाथ में है, वह जिसको चाहता है उसकों सम्मान देता है और जिसको चाहता है अपमानित कर देता है।

 

 

 

इसी ख़ुत्बे में आपने एक स्थान पर फ़रमायाः

 

«أَ مِنَ الْعَدْلِ يَابْنَ الطُّلَقاءِ! تَخْدِيرُكَ حَرائِرَكَ وَ إِمائَكَ، وَ سَوْقُكَ بَناتِ رَسُولِ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَ سَلَّم سَبايا، قَدْ هَتَكْتَ سُتُورَهُنَّ، وَ أَبْدَيْتَ وُجُوهَهُنَّ، تَحْدُو بِهِنَّ الاَْعداءُ مِنْ بَلد اِلى بَلد، يَسْتَشْرِفُهُنَّ أَهْلُ الْمَناهِلِ وَ الْمَناقِلِ، وَ يَتَصَفَّحُ وُجُوهَهُنَّ الْقَرِيبُ وَ الْبَعِيدُ، وَ الدَّنِيُّ وَ الشَّرِيفُ، لَيْسَ مَعَهُنَّ مِنْ رِجالِهِنَّ وَلِيُّ، وَ لا مِنْ حُماتِهِنَّ حَمِيٌّ، وَ كَيْفَ يُرْتَجى مُراقَبَةُ مَنْ لَفَظَ فُوهُ أَكْبادَ الاَْزْكِياءِ، وَ نَبَتَ لَحْمُهُ مِنْ دِماءِ الشُّهَداءِ، وَ كَيْفَ يَسْتَبْطِأُ فِي بُغْضِنا أَهْلَ الْبَيْتِ مَنْ نَظَرَ إِلَيْنا بِالشَّنَفِ وَ الشَّنَآنِ وَ الاِْحَنِ وَ الاَْضْغانِ، ثُمَّ تَقُولُ غَيْرَ مُتَّأَثِّم وَ لا مُسْتَعْظِم:

 

 

 

لاََهَلُّوا و اسْتَهَلُّوا فَرَحاً *** ثُمَّ قالُوا يا يَزيدُ لا تَشَلْ

 

 

 

مُنْتَحِياً عَلى ثَنايا أَبِي عَبْدِاللهِ سَيِّدِ شَبابِ أَهْلِ الجَنَّةِ، تَنْكُتُها بِمِخْصَرَتِكَ، وَ كَيْفَ لا تَقُولُ ذلِكَ وَ قَدْ نَكَأْتَ الْقَرْحَةَ، وَ اسْتَأْصَلْتَ الشَّأْفَةَ بِإِراقَتِكَ دِماءَ ذُرّيَةِ مُحَمَّد صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ، وَ نُجُومِ الاَْرْضِ مِنْ آلِ عَبْدِالمُطَّلِبِ، وَ تَهْتِفُ بِأَشْياخِكَ، زَعَمْتَ أَنَّكَ تُنادِيهِمْ، فَلَتَرِدَنَّ وَ شِيكاً مَوْرِدَهُمْ وَ لَتَوَدَّنَّ أَنَّكَ شَلَلْتَ وَ بَكِمْتَ، وَ لَمْ تَكُنْ قُلْتَ ما قُلْتَ وَ فَعَلْتَ ما فَعَلْتَ».

 

 

 

हे स्वतंत्र किये गए काफ़िरों के बेटे! (5) क्या यह न्याय है कि तू अपनी महिलाओं और दासियों को तो पर्दे में रखे, लेकिन अल्लाह के रसूल (स) की बेटियों को बंदी बनाकर इधर उधर घुमाता फिरे, जब कि तूने उनके सम्मान को ठेस पहुँचाई और उनको चेहरों के लोगों के सामने रख दिया, उनको शत्रुओं के माध्यम से विभिन्न शहरों में घुमाए ताकि हर शहर और गली के लोग उनका तमाशा देखें, और क़रीब, दूर शरीफ़ और तुच्छ लोग उनके चेहरों को देखें, जब कि उनके साथ मर्द और सुरक्षा करने वाले नहीं थे (लेकिन इन बातों का क्या लाभ, क्योंकि) कैसे उस व्यक्ति की सुरक्षा और समर्थन की आशा की जा सकती है कि (जिसकी माँ ने) पवित्र लोगों का जिगर खाया हो (आपने यज़ीद की माँ हिन्द की कहानी की तरफ़ इशारा किया है) और जिसका गोश्त शहीदों को रक्त से बना है?! और किस प्रकार वह हम अहलेबैत (अ) से शत्रुता में तेज़ी न दिखाए जो हम को अहंकार, नफ़रत, क्रोधित और प्रतिशोधात्मक नज़र से देखता है और फिर (बिना अपराध बोध और अपने अत्याचारों को देखे अहंकार के साथ) कहता हैः

 

 

 

काश मेरे पूर्वज होते और इस दृश्य को देखते और शुख़ी एवं प्रसंन्ता से कहतेः यज़ीद तेरे हाथ सलामत रहें।

 

इन शब्दों को उस समय कहता है कि जब अबा अब्दिल्लाह (अ) जो स्वर्ग के जवानों के सरदार हैं के होठ और पवित्र दांतों पर मारता है!

 

 

 

हां तू क्यों ऐसा नहीं कहेगा, जब कि तूने अल्लाह के रसूल के बेटों और अब्दुल मुत्तलिब के ख़ानदान के ज़मीनी सितारों का ख़ून बहाकर, हमारे दिलों के घवों को खोल दिया है, और तू हमारे ख़ानदान की जड़ ख़तरा बन गया है, तू अपने पूर्वजों को पुकारता है और समझता है कि वह तेरी आवाज़ को सुन रहे हैं?! (जल्दी न कर) बहुत जल्द तू भी उनके पास चला जाएगा, और उस दिन तू आशा करेगा कि काश तेरा हाथ शल होता और तेरी ज़बान गूँगी होती और तू यह बात न कहता और इन कुकर्मों को न करता)

 

 

 

फ़िर आप फ़रमाती हैं:

 

«أَللّهُمَّ خُذْ بِحَقِّنا، وَ انْتَقِمْ مِنْ ظالِمِنا، وَ أَحْلِلْ غَضَبَكَ بِمَنْ سَفَكَ دِماءَنا، وَ قَتَلَ حُماتَنا، فَوَاللهِ ما فَرَيْتَ إِلاّ جِلْدَكَ، وَلا حَزَزْتَ إِلاّ لَحْمَكَ، وَ لَتَرِدَنَّ عَلى رَسُولِ اللهِ بِما تَحَمَّلْتَ مِنْ سَفْكِ دِماءِ ذُرِّيَّتِهِ، وَ انْتَهَكْتَ مِنْ حُرْمَتِهِ فِي عَتْرَتِهِ وَ لُحْمَتِهِ، حَيْثُ يَجْمَعُ اللهُ شَمْلَهُمْ، وَ يَلُمُّ شَعْثَهُمْ، وَ يَأْخُذُ بِحَقِّهِمْ وَ لاَ تَحْسَبَنَّ الَّذِينَ قُتِلُوا فِى سَبِيلِ اللهِ أَمْوَاتاً بَلْ أَحْيَاءٌ عِنْدَ رَبِّهِمْ يُرْزَقُونَ. (6) وَ حَسْبُكَ بِاللهِ حاكِماً، وَ بِمُحَمَّد صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَ سَلَّمَ خَصِيماً، وَ بِجَبْرَئِيلَ ظَهِيراً، وَ سَيَعْلَمُ مَنْ سَوّى لَكَ وَ مَكَّنَكَ مِنْ رِقابِ المُسْلِمِينَ، بِئْسَ لِلظّالِمِينَ بَدَلاً، وَ أَيُّكُمْ شَرٌّ مَكاناً، وَ أَضْعَفُ جُنْداً».

 

 

 

हे ईश्वर! हमारे अधिकार को ले, और हम पर अत्याचार कनरे वालों से इंतेक़ाम ले, और जिसने हमारे ख़ून को ज़मीन पर बहाया और हमारी साथियों की हत्या की उस पर अपना क्रोध उतार।

 

 

 

हे यज़ीद! ईश्वर की सौगंध (इस अपराध से) तूने केवल अपनी खाल उतारी है, और अपना गोश्त काटा है, और वास्तव में तूने स्वंय को बरबाद किया है, निःसंदेह वह बोझ – अल्लाह के रसूल (स) के बेटे की हत्या करके और उनके ख़ानदान और चहीतों का अपमान करके- अपने कांधे पर डाला है, तू पैग़म्बर के सामने जाएगा, वहां ईश्वर उन सबको इकट्ठा करेगा और उनकी परेशानी को दूर करेगा और उनके दिलों की आग को ठंडा करेगा, (हां) “यह न समझ कि जो लोग ईश्वर की राह में मार दिये गए, वह मर गए हैं, बल्कि वह जीवित है और ईश्वर से रोज़ी पाते हैं” यही काफ़ी है कि तू उस न्यायालय में हाज़िर होगा जिसका न्याय करने वाला ईश्वर है और अल्लाह का रसूल (स) तेरे मुक़ाबले में है और जिब्रईल गवाह और उनके साथे हैं।

 

 

 

बहुत जल्द जिसने हुकूमत को तेरे लिये निर्विघ्न किया और तुझे मुसलमानों की गर्दनों पर सवार कर दिया, जान जाएगा कि कितना बुरा अज़ाब अत्याचारियों के हिस्से में आएगा, और समझ जाएगा कि किसके ठहरे का स्थान बुरा है और किसकी सेना अधिक कमज़ोर और शक्तिविहीन है।

 

उसके बाद आपने अपने ख़ुत्बे के इस चरण में यज़ीद की धज्जियाँ उड़ा दीं:

 

 

 

«وَ لَئِنْ جَرَّتْ عَلَيَّ الدَّواهِي مُخاطَبَتَكَ، إِنِّي لاََسْتَصْغِرُ قَدْرَكَ، وَ أَسْتَعْظِمُ تَقْرِيعَكَ، وَ أَسْتَكْثِرُ تَوْبِيخَكَ، لكِنَّ العُيُونَ عَبْرى، وَ الصُّدُورَ حَرّى، أَلا فَالْعَجَبُ كُلُّ الْعَجَبِ لِقَتْلِ حِزْبِ اللهِ النُّجَباءِ بِحِزْبِ الشَّيْطانِ الطُّلَقاءِ، فَهذِهِ الاَْيْدِي تَنْطِفُ مِنْ دِمائِنا، وَ الأَفْواهُ تَتَحَلَّبُ مِنْ لُحُومِنا، وَ تِلْكَ الجُثَثُ الطَّواهِرُ الزَّواكِي تَنْتابُها العَواسِلُ، وَ تُعَفِّرُها اُمَّهاتُ الْفَراعِلِ.

 

 

 

وَ لَئِنِ اتَّخَذْتَنا مَغْنَماً لَتَجِدَ بِنا وَ شِيكاً مَغْرَماً حِيْنَ لا تَجِدُ إلاّ ما قَدَّمَتْ يَداكَ، وَ ما رَبُّكَ بِظَلاَّم لِلْعَبِيدِ، وَ إِلَى اللهِ الْمُشْتَكى، وَ عَلَيْهِ الْمُعَوَّلُ، فَكِدْ كَيْدَكَ، وَ اسْعَ سَعْيَكَ، وَ ناصِبْ جُهْدَكَ، فَوَاللهِ لا تَمْحُو ذِكْرَنا، وَ لا تُمِيتُ وَحْيَنا، وَ لا تُدْرِكُ أَمَدَنا، وَ لا تَرْحَضُ عَنْكَ عارَها، وَ هَلْ رَأيُكَ إِلاّ فَنَدٌ، وَ أَيّامُكَ إِلاّ عَدَدٌ، وَ جَمْعُكَ إِلاّ بَدَدٌ؟ يَوْمَ يُنادِي الْمُنادِي: أَلا لَعْنَةُ اللهِ عَلَى الظّالِمِينَ.

 

 

 

وَ الْحَمْدُ للهِ رَبِّ الْعالَمِينَ، أَلَّذِي خَتَمَ لاَِوَّلِنا بِالسَّعادَةِ وَ الْمَغْفِرَةِ، وَ لاِخِرِنا بِالشَّهادَةِ وَ الرَّحْمَةِ. وَ نَسْأَلُ اللهَ أَنْ يُكْمِلَ لَهُمُ الثَّوابَ، وَ يُوجِبَ لَهُمُ الْمَزيدَ، وَ يُحْسِنَ عَلَيْنَا الْخِلافَةَ، إِنَّهُ رَحيمٌ وَدُودٌ، وَ حَسْبُنَا اللهُ وَ نِعْمَ الْوَكيلُ».

 

 

 

अगर बुरे समय ने मुझे इस मक़ाम पर ला खड़ा किया है कि मैं तुझ से बात करूँ, लेकिन (जान ले) मैं निःसंदेह तेरी शक्ति को कम और तेरे दोष को बड़ा समझती हूँ और बहुत तेरी निंदा करती हूँ, लेकिन मैं क्या करूँ कि आख़े रोती और सीने जले हुए हैं।

 

 

 

बहुत आश्चर्य का स्थान है कि एक ईश्वरीय और चुना हुआ गुट, शैतान के चेलों और स्वतंत्र किये हुए दासों के हाथों क़त्ल कर दिया जाए और हमारा रक्त इन (अपवित्र) पंजों से टपके और हमारे गोश्त के टुकड़े तुम्हारे (अपवित्र) मुंह से बाहर गिरें, और तुम जंगली भेड़िये सदैव उन पवित्र शरीरों के पास आओ और उनके मिट्टी में मिलाओ!

 

अगर आज (हम पर विजय) को अपने लिये ग़नीमत समझता है, अतिशीघ्र उसके अपनी हानि और नुक़सान पाएगा, उस दिन अपने कुकर्मों के अतिरिक्त कुछ और नहीं पाएगा। और कदापि परवरदिगार अपने बंदों पर अत्याचार नहीं करेगा। मैं केवल ईश्वर से शिकायत करती हूँ और केवल उस पर विश्वास करती हूँ।

 

हे यज़ीद! जितनी भी मक्कारियां है उनका उपयोग कर ले, और अपनी सारी कोशिश कर ले और जितना प्रयत्न कर सकता है कर ले, लेकिन ईश्वर की सौगंध (इन सारी कोशिशों के बाद भी) हमारी यादों को (दिलों से) न मिटा सकेगा और वही (ईश्वरीय कथन) के (चिराग़ को) बुझा न सकेगा, और हमारे सम्मान और इज़्ज़ात को ठेस न पहुँचा सकेगा। इस घिनौने कार्य का धब्बा, तेरे दामन से कभी न मिट सकेगा। तेरी राय क्षीण और तेरी सत्ता का ज़माना कम है, और तेरी एकता का अंत अनेकता होगा जिस दिन आवाज़ देने वाला आवाज़ लगाएगाः “अत्याचारियों पर ईश्वर की लानत हो”

 

 

 

प्रशंसा और तारीफ़ विशेष है उस ईश्वर के लिये जो संसारों का परवरदिगार है। वही जिसने हमरे आरम्भ को सौभाग्य और मग़फ़िरत और अंत को शहादत और रहमत बनाया। ईश्वर से मैं उन शहीदों के लिये पूर्ण इन्आम और, इन्आमों पर अधिक चाहती हूँ (और उससे चाहती हूँ कि) हमको उनका अच्छा उत्तराधिकारी बनाए, वह दयालू और मोहब्बत करने वाला है, और ईश्वर हमारे लिये काफ़ी है और वह हमारा बेहतरीन समर्थक है। (7)

 

हज़रत ज़ैनब (स) का यह ख़ुत्बा इस्लामी इतिहास का सबसे बेहतरीन और मुह तोड़ ख़ुत्बा है, ऐसा लगता है कि यह सारा ख़ुत्बा इमाम अली (अ) की पवित्र आत्मा और उनकी वीरता की बूंदों से भीगकर उनकी महान बेटी के ज़बान से जारी हुआ है, कि सुनने वालों ने कहा कि ऐसा लगता है कि अली बोल रहे हैं।

 

शारांश

 

 

 

हज़रत ज़ैनब (स) ने अपने इस ख़ुत्बे में बहुत सी बातें कहीं है जिनको इस संक्षिप्त से लेख में बयान करना संभव नहीं है और न ही हम इस स्थान पर हैं कि इन सारी बातों को बयान कर सके, लेकिन संक्षेप में इस ख़ुत्बे के सारांश को बयान किया जाए तो कुछ इस प्रकार होगा

 

  1. इस्लामी इतिहास की इस वीर महिला ने सबसे पहले यज़ीद के अहंकार को चकनाचूर किया और क़ुरआन की तिलावत करके उसको बता दिया कि उसका स्थान ईश्वर के नज़दीन क्या है और बता दिया कि हे यज़ीदः तू हुकूमत दौलन, महल आदि को अपने लिये बड़ा न समझ तो उन लोगों में से है जिसे ईश्वर ने मोहलत दी है ताकि वह अपने पापों का बोझ बढ़ाते रहें और उसके बाद वह उन्हें नर्क के हलावे कर दे।

 

  1. उसके बाद आपने यज़ीद के पूर्वजों के साथ मक्के की विजय के समय पैग़म्बरे इस्लाम (स) के व्यवहार के बारे में बयान किया है और बताया है कि जिस नबी ने उसके पूर्वजों को क्षमा कर के स्वतंत्र कर दिया था उसकी के बेटे ने पैग़म्बर (स) की औलाद की हत्या की उस परिवार की महिलाओं को एक शहर से दूसरे शहर फिराया और इस प्रकार आपने यज़ीद के माथे पर अपमान की मोहर लगा दी।

 

  1. उसके बाद आप यज़ीद के कुफ़्र भरे शब्दों के बारे में बयान करती है और बताती है कि यज़ीद का इस्लाम या मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है, और आपने बता दिया की यज़ीद भी बहुत जल्द अपने पूर्वजों की भाति नर्क पहुंच जाएगा।

 

  1. फिर आपने शहीदों विशेष कर पैगम़्बर (स) के ख़ानदान के शहीदों के महान स्थान के बारे में बयान किया है और बताया है कि इनकी शहादत इस ख़ानदान के लिये सम्मान की बात है।

 

  1. उसके बाद आप यज़ीद के सामने ईश्वर के न्याय की तरफ़ इशारा करती हैं और कहती है कि सोंच उस समय क्या होगा कि जब न्याय करने वाला ईश्वर होगा तेरा विरोध अल्लाह का रसूल (स) होगा औऱ गवाह अल्लाह के फ़रिश्ते होंगे।

 

  1. उसके बाद आपने यज़ीद का अदिर्तीय अपमान किया और कहाः हे यज़ीद अगर ज़माने ने मुझ पर अत्याचार किया और मुझे बंदी बनाकर देते सामने पेश कर दिया तो तू यह न समझ कि मैंने तुझे सम्मान दे दिया, मैं तो तुझे बात करने के लायक़ भी नहीं समझती हूँ, और अगर इस समय बोल रही हूँ तो यह केवल मजबूरी है और बस।

 

  1. सबसे अंत में हज़रत ज़ैनब (स) ने पैगम़्बर (स) के ख़ानदान पर ईश्वर की बेशुमान अनुकम्पाओं पर उसका धन्यवाद और प्रशंसा की है और फ़रमाया है उस ईश्वर ने हमारा आरम्भ सौभाग्य और अंत शहादत के सम्मान पर किया है।

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 (1)    इस शेर का दूसरा मिसरा पैग़म्बरे इस्लाम से बहुत बड़े शत्रु अब्दुल्लाह बिन ज़बअरी का है जिसने इस शेक को ओहद की जंग में पैगम़्बर के साथियों की शाहादत के बार कहा था और आशा की थी कि काश बद्र के युद्ध में हमारे मारे जाने वाले लोग होते और देखते कि किस प्रकार ख़ज़रज (मदीना का एक मुसलमान) क़बीले वाले रोते हैं, यज़ीद ने इस शेर को मिलाया और बाक़ी शेर स्वंय कहे हैं।

 

(2)    ख़ुनदफ़ क़ुरैश और यज़ीद के सबसे बड़ा पूर्वज था (तारीख़े तबरी, जिल्द 1, पेज 24-25)

 

(3)    सूरा रूम आयत 10

 

(4)    सूरा आले इमरान आयत 178

 

(5)    आपने मक्के की विजय की तरफ़ ईशारा किया है कि जब पैगम़्बर ने अबू सुफ़ियान, मोआविया और क़ुरैश के दूसरे सरदारों को क्षमा कर दिया और फ़रमाया «إذْهَبُوا فَأَنتُمُ الطُّلَقاءُ»؛ जाओ तुम स्वतंत्र हो (बिहारुल अनवार जिल्द 21, पेज 106, तारीख़े तबरी, जिल्द 2, पेज 337)

 

(6)    सूरा आले इमरान आयत 169

 

(7)    मक़तलुल हुसैन मक़रम, पेज 357-359, बिहारुल अनवार जिल्द 45, पेज 132-135,