
رضوی
इस्राईल के एक आयरन डोम को तबाह करने में लेबनान के हिज़्बुल्लाह को मिलने वाली नई कामयाबी
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने एक बयान जारी करके बताया है कि ड्रोन हमला करके उसने ज़ायोनी सरकार के एक आयरन डोम को तबाह कर दिया है।
लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन ने एक बयान जारी करके कहा है कि उसके ड्रोन विमानों ने अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के उत्तर में स्थित अज़्ज़ाऊरा क्षेत्र में ज़ायोनी सैनिकों के ठिकाने को लक्ष्य बनाया। पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के बयान के अनुसार इस हमले में ज़ायोनी सरकार को जानी नुकसान पहुंचा है और इस्राईली सेना का आयरन डोम भी तबाह हो गया।
हिज़्बुल्लाह ने सात अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा युद्ध के आरंभ होने के समय से अतिक्रमणकारी ज़ायोनी दुश्मन के ख़िलाफ़ विस्तृत पैमाने पर कार्यवाही आरंभ कर रखी है। उत्तरी मोर्चे पर युद्ध आरंभ होने से इस्राईल अपने एक तिहाई सैनिकों को लेबनान की सीमा पर तैनात करने पर मजबूर हो गया है। हिज़्बुल्लाह ने अपने बयान में बल देकर कहा है कि ज़ायोनी सरकार ने दक्षिणी लेबनान के गांवों व नगरों पर जो हमला किया था यह हमला उसके जवाब में किया गया है।
ज़ायोनी सरकार ने पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से 7 अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध आरंभ कर दिया है परंतु अब तक घोषित लक्ष्यों में से किसी भी एक लक्ष्य को वह हासिल नहीं कर सकी है।
इसके मुक़ाबले में ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध और लेबनान, इराक़, यमन और सीरिया के प्रतिरोधकों गुटों ने एलान कर रखा है कि वे अतिग्रहणकारी इस्राईल के अपराधों का बदला लेकर रहेंगे।
प्राप्त ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार इस्राईल के पाश्विक हमलों में अब तक शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनियों की संख्या 40 हज़ार से अधिक हो चुकी है जबकि घायलों की संख्या भी 94 हज़ार से अधिक हो चुकी है।
ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।
गाज़ा पर इज़रायली हवाई हमले में नौ और फिलिस्तीनी शहीद
फिलिस्तीनी सूत्रों के अनुसार उत्तरी गाज़ा पट्टी के जबालिया शहर में एक घर को निशाना बनाकर किए गए इजरायली हवाई हमले में कम से कम नौ फिलिस्तीनी मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
फिलिस्तीनी सूत्रों के अनुसार उत्तरी गाज़ा पट्टी के जबालिया शहर में एक घर को निशाना बनाकर किए गए इजरायली हवाई हमले में कम से कम नौ फिलिस्तीनी मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
इजरायली विमान ने जबालिया में गाजा स्ट्रीट पर अलकुद्स ओपन यूनिवर्सिटी के डॉ. अकरम अलनज्जर के घर पर हमला किया, जिसमें तीन बच्चों और दो महिलाओं सहित नौ लोगों की मौत हो गई और पड़ोसी घरों में अन्य लोग घायल हो गए प्रवक्ता महमूद बस्सल ने कहा गाजा में फिलिस्तीनी नागरिक सुरक्षा नही हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, नागरिक सुरक्षा टीमें अभी भी लापता लोगों को बचाने के लिए काम कर रही हैं, जो संभावित रूप से लक्षित घर और उसके आस पास की इमारतों के मलबे में दबे हुए हैं।
बासल ने मंगलवार को बताया कि मृतकों और घायलों को उत्तरी गाजा के अस्पताल में ले जाया गया है।
7 अक्टूबर, 2023 को दक्षिणी इजरायली सीमा के माध्यम से हमास के उत्पात के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए इजरायल ने गाजा में हमास के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमला किया, जिसके दौरान लगभग 1,200 लोग मारे गए और 250 से अधिक अन्य को बंधक बना लिया गया है।
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि गाजा पर चल रहे इजरायली हमलों में फिलिस्तीनी मरने वालों की संख्या बढ़कर 41,020 हो गई है।
पूर्व ज़ायोनी युद्ध मंत्री ने स्वीकारा, हमास की तुलना में हम हार गए
फ़िलिस्तीन के सामा न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व ज़ायोनी युद्ध मंत्री बानी गैंट्ज़ ने फ़िलिस्तीनी दृढ़ता से हार स्वीकार करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों से ज़ायोनी सरकार को हमास पर जीत हासिल करने में मदद करने की अपील की।
इस बीच, ज़ायोनी सरकार के पूर्व न्याय मंत्री हैम रेमन ने बताया कि हमास को ख़त्म करने और ज़ायोनी कैदियों को रिहा करने का नेतन्याहू का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है, इस तथ्य के बावजूद कि अल-अक्सा पर हमले को लगभग एक साल हो गया है। ज़ायोनी सरकार रणनीतिक हार से बस एक कदम दूर है।
इससे पहले रविवार को, ज़ायोनी प्रधान मंत्री नेतन्याहू ने स्वीकार किया था कि प्रतिरोध मोर्चे ने ज़ायोनी सरकार को आत्मसमर्पण करने और युद्ध बंद करने के लिए प्रेरित किया था, जो कि इज़रायली अधिकारियों के बीच बढ़ते तनाव और इज़रायली सरकार पर आत्मसमर्पण करने और युद्ध को समाप्त करने के बढ़ते दबाव की ओर इशारा करता है।
मजलिस-ए-शूरा-ए-इस्लामी के अध्यक्ष ने अब्बास महफूज़ी के निधन पर शोक संदेश जारी किया
मजलिस-ए-शूरा-ए-इस्लामी के अध्यक्ष ने एक संदेश में हौज़ा इल्मिया क़ुम के सदस्य और प्रतिष्ठित आलिमेदीन आयतुल्लाह शेख़ अब्बास महफूज़ी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए शोक संदेश भेजा है।
हौज़ा इल्मिया क़ुम के प्रसिद्ध शिक्षक और हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के जामेआ मुद्रसीन के सदस्य आयतुल्लाह अब्बास महफूज़ी के निधन पर मजलिस-ए-शूरा-ए-इस्लामी के अध्यक्ष मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने दुख व्यक्त करते हुए शोक संदेश भेजा है।
शोक संदेश कुछ इस प्रकार है।
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन
إذا مات العالم ثُلم فی الإسلام ثَلمة لا یسدّها شی
जब एक आलिमदीन का इंतेकाल होता है इस्लाम में एक ऐसी कमी हो जाती है जिसे कोई भी पूरी नहीं कर सकता।
आयतुल्लाह शेख़ अब्बास महफूज़ी हौज़ा इल्मिया क़ुम के सदस्य और प्रतिष्ठित आलिम के निधन से गहरा दुख और खेद हुआ।
आयतुल्लाह महफूज़ी जिन्होंने महान फ़ुज़ला (विद्वानों) से ज्ञान प्राप्त किया इस्लामी आंदोलन की जद्दोजहद में इमाम खुमैनी र.ह. के शागिर्दों और साथियों में से थे अपने सक्रिय योगदान के कारण उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और कैद किया गया।
क्रांति के बाद भी वे समर्पित और सच्चे सेवक के रूप में अपनी सेवाएं देते रहे। अपनी धन्य उम्र के दौरान उन्होंने धार्मिक मुद्दों की व्याख्या, इस्लामी शिक्षाओं और अहल-ए-बैत अ.स के संदेशों के प्रसार, छात्रों की शिक्षा और कई पुस्तकों के लेखन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्होंने चैरिटी और सार्वजनिक कल्याण के कार्यों में भी बड़ी दिलचस्पी दिखाई और ज़रूरतमंदों की समस्याओं को हल करने के लिए गंभीर प्रयास किए जो उनके लिए सदैव नेक कामों के रूप में जारी रहेंगे।
मैं हौज़ा इल्मिया, सम्मानित उलमा, उनके छात्रों, चाहने वालों और उनके परिवार को संवेदना व्यक्त करता हूं,और मैं अल्लाह ताला से दुआ करता हूं कि परिवार वालों को सब्र आता करें और मरहूम की मग़फिरत करें और उन्हें जवारे अहलेबैत अ.स. में जगह करार दें।
मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़
अध्यक्ष, मजलिस-ए-शूरा-ए-इस्लामी
वियतनाम में यागी तूफ़ान का कहर जारी 170 से ज़्यादा लोगों की मौत 159 लोग लापता
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की कि तूफान यागी और उसके परिणामस्वरूप हुए भूस्खलन और बाढ़ से वियतनाम के क्षेत्र में 170 लोगों की मौत हो गई और 159 लोग लापता हो गए हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की कि तूफान यागी और उसके परिणामस्वरूप हुए भूस्खलन और बाढ़ से वियतनाम के क्षेत्र में 170 लोगों की मौत हो गई और 159 लोग लापता हो गए हैं।
मरने वालों में 29 काओ बांग प्रांत से, 45 लाओ कै प्रांत से और 37 येन बाई प्रांत से थे कई और जगहो के थे।
वियतनाम समाचार एजेंसी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि तुयेन क्वांग प्रांत के स्थानीय अधिकारियों ने मंगलवार को पुष्टि की कि नदी का पानी बढ़ने के कारण क्वेट थांग कम्यून से गुजरने वाली लो नदी का बांध टूट गया है।
बुधवार तड़के राष्ट्रीय जल-मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार, राजधानी हनोई में लाल नदी पर बाढ़ का स्तर तीन स्तरों में से चेतावनी स्तर 2 को पार कर गया है और बुधवार को दोपहर के समय उच्चतम स्तर तक पहुंचने का अनुमान है।
बुधवार की सुबह राष्ट्रीय जलमौसम पूर्वानुमान केंद्र ने थाओ नदी पर अत्यधिक उच्च जल स्तर और कई अन्य पर तेजी से बढ़ती बाढ़ के बारे में चेतावनी जारी की हैं।
केंद्र ने उत्तर में नदियों पर अत्यधिक बाढ़ के पानी के प्रति चेतावनी दी है।
केंद्र ने कहा कि उत्तरी इलाकों में नदी के किनारे के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा अधिक है, जबकि पहाड़ी इलाकों में अचानक बाढ़ और भूस्खलन का अनुमान है।
वेस्ट बैंक के 'न्यू गाजा' में बदलने की आशंका: जोसेफ बोरेल
यूरोपीय संघ के राजनयिक जोसेफ बोरेल ने चेतावनी दी है कि युद्ध की शुरुआत के बाद से वेस्ट बैंक में इजरायल की बढ़ती हिंसा इसे एक नए गाजा में बदल सकती है। उन्होंने कहा कि गाजा में यहूदी बसने वाले अपनी बस्तियां स्थापित करने का इरादा रखते हैं, जिससे गाजा को वेस्ट बैंक में बदलने की संभावना है।
यूरोपीय संघ के राजनयिक जोसेफ बोरेल ने चेतावनी दी है कि युद्ध की शुरुआत के बाद से वेस्ट बैंक में इजरायल की बढ़ती हिंसा से इसके "नए गाजा" में बदलने का खतरा है। गौरतलब है कि 1967 से इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायली युद्ध शुरू होने के बाद से हिंसा बढ़ गई है। बोरेल ने कहा कि वेस्ट बैंक में इजरायल की बढ़ती हिंसा का उद्देश्य इसे एक नए गाजा में बदलना और फिलिस्तीनी प्राधिकरण को अवैध बनाना था। उन्होंने "इजरायली सरकार के कई सदस्यों पर फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को असंभव बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया, जिसे इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और कई कैबिनेट मंत्रियों ने इजरायल के लिए खतरा बताया है।"
यह याद रखना चाहिए कि कई इजरायली मंत्रियों ने भी वेस्ट बैंक में इजरायली सैनिकों द्वारा छापे बढ़ाने का आह्वान किया है। बोरेल के मुताबिक, अगर कार्रवाई नहीं की गई तो वेस्ट बैंक भी नया गाजा बन जाएगा। उन्होंने बैठक के दौरान कहा कि गाजा नया वेस्ट बैंक बनेगा, क्योंकि बसने वाले आंदोलन वहां भी नई बस्तियां बनाने का इरादा रखते हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इसे महसूस कर रहा है, इसकी निंदा कर रहा है, लेकिन उनके लिए कार्रवाई करना मुश्किल है।
इज़रायली अधिकार समूह यश दीन के अनुसार, 2023 में वेस्ट बैंक में इज़रायली निवासियों द्वारा हमलों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। लगभग 490,000 इज़रायली वेस्ट बैंक में अवैध बस्तियों में रह रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार अवैध है। गौरतलब है कि युद्ध शुरू होने के बाद से इजरायली सेना ने वेस्ट बैंक में 662 फिलिस्तीनियों को मार डाला है।
हंगरी: ब्रुसेल्स में प्रवासियों को मुफ्त सुविधा देने की चेतावनी
अपनी प्रवासी नीति पर यूरोपीय संघ से असहमत होकर, हंगरी ने प्रवासियों को ब्रुसेल्स में मुफ्त पहुंच देने पर विचार करने की धमकी दी है, जबकि यूरोपीय संघ ने यूरोपीय आयोग का उल्लंघन करने के लिए हंगरी पर 200 मिलियन यूरो का जुर्माना लगाया है, और अब हंगरी और यूरोपीय संघ इस मुद्दे पर प्रतिस्पर्धा करने आ गया है।
यूरोपीय संघ ब्लॉक की एक शक्तिशाली शाखा ने मंगलवार को चेतावनी दी कि यूरोपीय संघ की नीति की अवहेलना में ब्रुसेल्स में प्रवासियों का काफिला भेजने की हंगरी की धमकी अस्वीकार्य थी। पिछले हफ्ते, हंगरी की अप्रवासी विरोधी सरकार ने संकेत दिया था कि वह प्रवासियों के लिए ब्रुसेल्स की एकतरफ़ा मुफ्त यात्रा की पेशकश करने के अपने इरादे पर गंभीरता से विचार कर रही है, जिसका उद्देश्य यूरोपीय संघ पर आप्रवासी विरोधी हंगरीवासियों पर भारी जुर्माना समाप्त करने के लिए दबाव बनाना था।
जून में, यूरोपीय संघ की अदालत ने शरण नियमों का उल्लंघन करने के लिए हंगरी पर 200 मिलियन यूरो का जुर्माना लगाया, साथ ही जब तक हंगरी अपनी नीति को यूरोपीय संघ के नियमों के अनुरूप नहीं लाता तब तक प्रतिदिन एक मिलियन यूरो का जुर्माना लगाया गया। हालाँकि, हंगरी को यह राशि चुकाने में देर हो गई। हंगरी की योजना के बारे में यूरोपीय आयोग की प्रवक्ता हिपर ने कहा कि यह अस्वीकार्य है। अगर इसे लागू किया गया तो यह यूरोपीय नियमों का स्पष्ट उल्लंघन होगा। इसके अलावा यह आपसी विश्वास और सहयोग का भी उल्लंघन होगा।
यूरोपीय आयोग हंगरी के अधिकारियों के साथ-साथ उन पड़ोसी देशों के संपर्क में है, जहां से काफिला संभावित रूप से गुजर सकता है। यदि काफिला ज़मीन से जाता, तो उसे फ़्रांस या जर्मनी से गुज़रना पड़ता, जो लक्ज़मबर्ग और नीदरलैंड के साथ बेल्जियम की सीमा पर है, और संभवतः ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, स्लोवेनिया, स्लोवाकिया या यहां तक कि चेक गणराज्य भी हो सकता है हॉपर ने कहा कि हम यूरोपीय संघ के कानूनों को लागू करने के लिए अपनी पूरी शक्ति का उपयोग करेंगे, हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि हंगरी पहले से ही 200 मिलियन यूरो का जुर्माना लगाने वाले अदालत के आदेश का उल्लंघन कर रहा है, आगे क्या कार्रवाई की जाएगी?
बेल्जियम के शीर्ष आव्रजन अधिकारी, निकोल डी मूर ने कहा कि हंगरी का कदम यूरोपीय संघ की एकजुटता और सहयोग के लिए हानिकारक था, उन्होंने कहा कि बेल्जियम किसी भी प्रवासी आगमन को प्रवेश नहीं देगा।
हज़रत अयातुल्लाह अब्बास महफूज़ी का निधन
हौज़ा इल्मिया क़ुम के प्रसिद्ध शिक्षक और हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के जामेआ मुद्रसीन के सदस्य आयतुल्लाह अब्बास महफूज़ी का बीती रात 96 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
हौज़ा इल्मिया क़ुम के प्रसिद्ध शिक्षक और हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के जामेआ मुद्रसीन के सदस्य आयतुल्लाह अब्बास महफूज़ी का बीती रात 96 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
आयतुल्लाह महफूज़ी ने नजफ अशरफ में आयतुल्लाह आल्लामा हिली और आयतुल्लाह शाहरूदी से ज्ञान प्राप्त किए क़ुम अलमुकद्दस में उन्होंने आयतुल्लाह बुर्जुर्दी, इमाम खुमैनी, आयतुल्लाह गुलपायगानी और अन्य प्रसिद्ध उलमा से भी शिक्षा प्राप्त किया था शिक्षा और अध्यापन के साथ-साथ, वह पूरी लगन से वैज्ञानिक और समाजसेवी कार्यों में व्यस्त रहे।
उन्होंने कई समाजसेवी संस्थाएं, विश्वविद्यालय, विकलांगों के लिए केंद्र और धार्मिक मदरसे स्थापित किए उनकी शख्सियत में नरमी और सेवा-भावना प्रमुख थी और वह हमेशा दूसरों की सेवा के लिए समर्पित रहे।
मरहूम आयतुल्लाह महफूज़ी इस्लामी आंदोलन की शुरुआत से ही सक्रिय थे उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया, उन्होंने जेल की कठिनाइयां सहीं और आयतुल्लाहिल उज़्मा बहजत के साथ फिकही इस्तिफ़ता की काउंसिल में भी सेवाएं दीं।
उनके जनाज़े और दफ़्न की जानकारी बाद में दी जाएगी।
आयतुल्लाह महफ़ूज़ी के निधन पर आयतुल्लाह आराफ़ी का शोक संदेश
हौज़ा इलमिया ईरान के प्रमुख, आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने, आयतुल्लाह शेख अब्बास महफ़ूज़ी की मृत्यु पर सर्वोच्च क्रांति के नेता, मरज ए तकलीद, हौज़ा इलमिया और उनके छात्रों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
हौज़ा इलमिया के प्रबंधक आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने आयतुल्लाह हज शेख अब्बास महफ़ूजी के निधन पर एक शोक संदेश जारी किया है, जिसका पाठ इस प्रकार है:
"आयतुल्लाह शेख अब्बास महफ़ूज़ी की मृत्यु ने विद्वान समुदाय को गहरा दुःख पहुँचाया है। वह न केवल एक प्रमुख विद्वान थे जिन्होंने क़ुम और नजफ़ में शैक्षणिक मानक स्थापित किए, बल्कि उन्होंने कई छात्रों को प्रशिक्षित किया और महत्वपूर्ण धार्मिक पुस्तकें लिखीं। उनका सरल जीवन, नैतिक गुण, आयतुल्लाहिल उज़्मा बहजात के साथ घनिष्ठ संबंध उनके आध्यात्मिक उत्थान का प्रतिबिंब है।
वह सामाजिक क्षेत्र में भी लोगों की सेवा करने में सबसे आगे थे और इस्लामी क्रांति के दौरान शाही सरकार के खिलाफ संघर्ष के दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
मरहूम की वफ़ात पर हज़रत वली अस्र (अ) मराज ए तकलीद, क्रांति के नेता, हौज़ा ए इल्मिया के शिक्षकों, उनके छात्रों, गिलान और रुदसर के लोगों और उनके परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं।
आशा सईदन व माता सईदा
(दिनांक: 11 सितंबर 2024/7 रबीअ उल-अव्वल 1446)
अक़ीलाऐ बनी हाशिम जनाबे ज़ैनब
जनाबे ज़ैनब व उम्मे कुलसूम हज़रत रसूले ख़ुदा (स.अ.व.व.) और जनाबे ख़दीजतुल कुबरा (स.अ.व.व.) की नवासीयां , हज़रत अबू तालिब (अ.स.) व फ़ात्मा बिन्ते असद (स.अ.व.व.) की पोतियां हज़रत अली (अ.स.) व फ़ात्मा ज़हरा (स.अ.व.व.) की बेटियां इमाम हसन (अ.स.) व इमाम हुसैन (अ.स.) की हकी़की़ और हज़रत अब्बास (अ.स.) व जनाबे मोहम्मदे हनफ़िया की अलाती बहनें थीं। इस सिलसिले के पेशे नज़र जिसकी बालाई सतह में हज़रत हमज़ा , हज़रत जाफ़रे तैय्यार , हज़रत अब्दुल मुत्तलिब और हज़रत हाशिम भी हैं। इन दोनों बहनों की अज़मत बहुत नुमाया हो जाती है।
यह वाक़ेया है कि जिस तरह इनके आबाओ अजदाद , माँ बाप और भाई बे मिस्ल व बे नज़ीर हैं इसी तरह यह दो बहने भी बे मिस्ल व बे नज़ीर हैं। ख़ुदा ने इन्हें जिन ख़ानदानी सेफ़ात से नवाज़ा है इसका मुक़तज़ा यह है कि मैं यह कहूं कि जिस तरह अली (अ.स.) व फ़ात्मा ज़हरा (स.अ.व.व.) के फ़रज़न्द ला जवाब हैं इसी तरह इनकी दुख़्तरान ला जवाब हैं , बेशक जनाबे ज़ैनब व उम्मे कुलसूम मासूम न थीं लेकिन इनके महफ़ूज़ होने में कोई शुब्हा नहीं जो मासूम के मुतरादिफ़ है। हम ज़ैल में दोनों बहनों का मुख़्तसर अलफ़ाज़ में अलग अलग ज़िक्र करते हैं।
हज़रत ज़ैनब की विलादत
मुवर्रेख़ीन का इत्तेफ़ाक़ है कि हज़रत ज़ैनब बिन्ते अमीरल मोमेनीन (अ.स.) 5 जमादिल अव्वल 6 हिजरी को मदीना मुनव्वरा में पैदा हुईं जैसा कि ‘‘ ज़ैनब अख़त अल हुसैन ’’ अल्लामा मोहम्मद हुसैन अदीब नजफ़े अशरफ़ पृष्ठ 14 ‘‘ बतालता करबला ’’ डा 0 बिन्ते अशाती अन्दलसी पृष्ठ 27 प्रकाशित बैरूत ‘‘ सिलसिलातुल ज़हब ’’ पृष्ठ 19 व किताबुल बहरे मसाएब और ख़साएसे ज़ैनबिया इब्ने मोहम्मद जाफ़र अल जज़ारी से ज़ाहिर है। मिस्टर ऐजाज़ुर्रहमान एम 0 ए 0 लाहौर ने किताब ‘‘ जै़नब ’’ के पृष्ठ 7 पर 5 हिजरी लिखा है जो मेरे नज़दीक सही नहीं। एक रवायत में माहे रजब व शाबान एक में माहे रमज़ान का हवाला भी मिलता है। अल्लामा महमूदुल हुसैन अदीब की इबारत का मतन यह है। ‘‘ फ़क़द वलदत अक़ीलह ज़ैनब फ़िल आम अल सादस लिल हिजरत अला माअ तफ़क़ा अलमोरेखून अलैह ज़ालेका यौमल ख़ामस मिन शहरे जमादिल अव्वल अलख़ ’’ हज़रत ज़ैनब (स.अ.व.व.) जमादील अव्वल 6 हिजरी में पैदा हुईं। इस पर मुवर्रेख़ीन का इत्तेफ़ाक़ है। मेरे नज़दीक यही सही है। यही कुछ अल वक़ाएक़ व अल हवादिस जिल्द 1 पृष्ठ 113 प्रकाशित क़ुम 1341 ई 0 में भी है।
हज़रत ज़ैनब की विलादत पर हज़रत रसूले करीम (स.अ.व.व.) का ताअस्सुर वक्त़े विलादत के मुताअल्लिक़ जनाबे आक़ाई सय्यद नूरूद्दीन बिन आक़ाई सय्यद मोहम्मद जाफ़र अल जज़ाएरी ख़साएस ज़ैनबिया में तहरीर फ़रमाते हैं कि जब हज़रत ज़ैनब (स.अ.व.व.) मुतावल्लिद हुईं और उसकी ख़बर हज़रत रसूले करीम (स.अ.व.व.) को पहुँची तो हुज़ूर जनाबे फ़ात्मा ज़हरा (स.अ.व.व.) के घर तशरीफ़ लाए और फ़रमाया कि ऐ मेरी राहते जान , बच्ची को मेरे पास लाओ , जब बच्ची रसूल (स.अ.व.व.) की खि़दमत में लाई गई तो आपने उसे सीने से लगाया और उसके रूख़सार पर रूख़सार रख कर बे पनाह गिरया किया यहां तक की आपकी रीशे मुबारक आंसुओं से तर हो गई। जनाबे सय्यदा ने अर्ज़ कि बाबा जान आपको ख़ुदा कभी न रूलाए , आप क्यों रो पड़े इरशाद हुआ कि ऐ जाने पदर , मेरी यह बच्ची तेरे बाद मुताअद्दि तकलीफ़ों और मुख़तलिफ़ मसाएब में मुबतिला होगी। जनाबे सय्यदा यह सुन कर बे इख़्तियार गिरया करने लगीं और उन्होंने पूछा कि इसके मसाएब पर गिरया करने का क्या सवाब होगा ? फ़रमाया वही सवाब होगा जो मेरे बेटे हुसैन के मसाएब के मुतासिर होने वाले का होगा इसके बाद आपने इस बच्ची का नाम ज़ैनब रखा।(इमाम मुबीन पृष्ठ 164 प्रकाशित लाहौर) बरवाएते ज़ैनब इबरानी लफ़्ज़ है जिसके मानी बहुत ज़्यादा रोने वाली हैं। एक रवायत में है कि यह लफ़्ज़ जै़न और अब से मुरक्कब है। यानी बाप की ज़ीनत फिर कसरते इस्तेमाल से ज़ैनब हो गया। एक रवायत में है कि आं हज़रत (स.अ.व.व.) ने यह नाम ब हुक्मे रब्बे जलील रखा था जो ब ज़रिए जिब्राईल पहुँचा था।
विलादते ज़ैनब पर अली बिन अबी तालिब (अ.स.) का ताअस्सुर
डा 0 बिन्तुल शातमी अन्दलिसी अपनी किताब ‘‘बतलतै करबला ज़ैनब बिन्ते अल ज़हरा ’’ प्रकाशित बैरूत के पृष्ठ 29 पर रक़म तराज़ हैं कि हज़रत ज़ैनब की विलादत पर जब जनाबे सलमाने फ़ारसी ने असद उल्लाह हज़रत अली (अ.स.) को मुबारक बाद दी तो आप रोने लगे और आपने उन हालात व मसाएब का तज़किरा फ़रमाया जिनसे जनाबे ज़ैनब बाद में दो चार होने वाली थीं।
हज़रत ज़ैनब की वफ़ात
मुवर्रेख़ीन का इत्तेफ़ाक़ है कि हज़रत ज़ैनब (स.अ.व.व.) जब बचपन जवानी और बुढ़ापे की मंज़िल तय करने और वाक़े करबला के मराहिल से गुज़रने के बाद क़ैद ख़ाना ए शाम से छुट कर मदीने पहुँची तो आपने वाक़ेयाते करबला से अहले मदीना को आगाह किया और रोने पीटने , नौहा व मातम को अपना शग़ले ज़िन्दगी बना लिया। जिससे हुकूमत को शदीद ख़तरा ला हक़ हो गया। जिसके नतीजे में वाक़िये ‘‘ हर्रा ’’ अमल में आया। बिल आखि़र आले मोहम्मद (स.अ.व.व.) को मदीने से निकाल दिया गया।
अबीदुल्लाह वालीए मदीना अल मतूफ़ी 277 अपनी किताब अख़बारूल ज़ैनबिया में लिखता है कि जनाबे ज़ैनब मदीने में अकसर मजलिसे अज़ा बरपा करती थीं और ख़ुद ही ज़ाकरी फ़रमाती थीं। उस वक़्त के हुक्कामे को रोना रूलाना गवारा न था कि वाक़िये करबला खुल्लम खुल्ला तौर पर बयान किया जाय। चुनान्चे उरवा बिन सईद अशदक़ वाली ए मदीना ने यज़ीद को लिखा कि मदीने में जनाबे ज़ैनब की मौजूदगी लोगों में हैजान पैदा कर रही है। उन्होंने और उनके साथियों ने तुझ से ख़ूने हुसैन (अ.स.) के इन्तेक़ाम की ठान ली है। यज़ीद ने इत्तेला पा कर फ़ौरन वाली ए मदीना को लिखा कि ज़ैनब और उनके साथियों को मुन्तशर कर दे और उनको मुख़तलिफ़ मुल्कों में भेज दे।(हयात अल ज़हरा)
डा 0 बिन्ते शातमी अंदलसी अपनी किताब ‘‘ बतलतए करबला ज़ैनब बिन्ते ज़हरा ’’ प्रकाशित बैरूत के पृष्ठ 152 में लिखती हैं किे हज़रत ज़ैनब वाक़िये करबला के बाद मदीने पहुँच कर यह चाहती थीं कि ज़िन्दगी के सारे बाक़ी दिन यहीं गुज़ारें लेकिन वह जो मसाएबे करबला बयान करती थीं वह बे इन्तेहा मोअस्सिर साबित हुआ और मदीने के बाशिन्दों पर इसका बे हद असर हुआ। ‘‘ फ़क़तब वलैहुम बिल मदीनता इला यज़ीद अन वुजूद हाबैन अहलिल मदीनता महीज अल ख़वातिर ’’ इन हालात से मुताअस्सिर हो कर वालीए मदीना ने यज़ीद को लिखा कि जनाबे ज़ैनब का मदीने में रहना हैजान पैदा कर रहा है। उनकी तक़रीरों से अहले मदीना में बग़ावत पैदा हो जाने का अन्देशा है। यज़ीद को जब वालीए मदीना का ख़त मिला तो उसने हुक्म दिया कि इन सब को मुमालिको अम्सार में मुन्तशिर कर दिया जाय। इसके हुक्म आने के बाद वालीए मदीना ने हज़रते ज़ैनब से कहला भेजा कि आप जहां मुनासिब समझें यहां से चली जायें। यह सुनना था कि हज़रते ज़ैनब को जलाल आ गया और कहा कि ‘‘ वल्लाह ला ख़रजन व अन अर यक़त दमायना ’’ ख़ुदा की क़सम हम हरगिज़ यहां से न जायेंगे चाहे हमारे ख़ून बहा दिये जायें। यह हाल देख कर ज़ैनब बिन्ते अक़ील बिन अबी तालिब ने अर्ज़ कि ऐ मेरी बहन ग़ुस्से से काम लेने का वक़्त नहीं है बेहतर यही है कि हम किसी और शहर में चले जायें। ‘‘ फ़ख़्रहत ज़ैनब मन मदीनतः जदहा अल रसूल सुम्मा लम हल मदीना बादे ज़ालेका इबादन ’’ फिर हज़रत ज़ैनब मदीना ए रसूल से निकल कर चली गईं। उसके बाद से फिर मदीने की शक्ल न देखी। वह वहां से निकल कर मिस्र पहुँची लेकिन वहां ज़ियादा दिन ठहर न सकीं। ‘‘ हकज़ा मुन्तकलेतः मन बलदाली बलद ला यतमईन बहा अल्ल अर्ज़ मकान ’’ इसी तरह वह ग़ैर मुतमईन हालात में परेशान शहर बा शहर फिरती रहीं और किसी एक जगह मकान में सुकूनत इख़्तेयार न कर सकीं। अल्लामा मोहम्मद अल हुसैन अल अदीब अल नजफ़ी लिखते हैं ‘‘ व क़ज़त अल अक़ीलता ज़ैनब हयातहाबाद अख़यहा मुन्तक़लेत मन मल्दाली बलद तकस अलन्नास हना व हनाक ज़ुल्म हाज़ा अल इन्सान इला रख़या अल इन्सान ’’ कि हज़रत ज़ैनब अपने भाई की शहादत के बाद सुकून से न रह सकीं वह एक शहर से दूसरे शहर में सर गरदां फिरती रहीं और हर जगह ज़ुल्मे यज़ीद को बयान करती रहीं और हक़ व बातिल की वज़ाहत फ़रमाती रहीं और शहादते हुसैन (अ.स.) पर तफ़सीली रौशनी डालती रहीं।(ज़ैनब अख्तल हुसैन पृष्ठ 44 ) यहां तक कि आप शाम पहुँची और वहां क़याम किया क्यों कि बा रवायते आपके शौहर अब्दुल्लाह बिन जाफ़रे तय्यार की वहां जायदाद थी वहीं आपका इन्तेक़ाल ब रवायते अख़बारूल ज़ैनबिया व हयात अल ज़हरा रोज़े शम्बा इतवार की रात 14 रजब 62 हिजरी को हो गया। यही कुछ किताब ‘‘ बतलतए करबला ’’ के पृष्ठ 155 में है। बा रवाएते ख़साएसे ज़ैनबिया क़ैदे शाम से रिहाई के चार महीने बाद उम्मे कुलसूम का इन्तेक़ाल हुआ और उसके दो महीने बीस दिन बाद हज़रते ज़ैनब की वफ़ात हुई। उस वक़्त आपकी उम्र 55 साल की थी। आपकी वफ़ात या शहादत के मुताअल्लिक़ मशहूर है कि एक दिन आप उस बाग़ में तशरीफ़ ले गईं जिसके एक दरख़्त में हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) का सर टांगा गया था। इस बाग़ को देख कर आप बेचैन हो गईं। हज़रत ज़ुहूर जारज पूरी मुक़ीम लाहौर लिखते हैं।
करवां शाम की सरहद में जो पहुँचा सरे शाम
मुत्तसिल शहर से था बाग़ , किया उसमें क़याम
देख कर बाग़ को , रोने लगी हमशीरे इमाम
वाक़ेया पहली असीरी का जो याद आया तमाम
हाल तग़ईर हुआ , फ़ात्मा की जाई का
शाम में लटका हुआ देखा था सर भाई का
बिन्ते हैदर गई , रोती हुई नज़दीके शजर
हाथ उठा कर यह कहा , ऐ शजरे बर आवर
तेरा एहसान है , यह बिन्ते अली के सर पर
तेरी शाख़ों से बंधा था , मेरे माजाये का सर
ऐ शजर तुझको ख़बर है कि वह किस का था
मालिके बाग़े जिनां , ताजे सरे तूबा था
रो रही थी यह बयां कर के जो वह दुख पाई
बाग़बां बाग़ में था , एक शकी़ ए अज़ली
बेलचा लेके चला , दुश्मने औलादे नबी
सर पे इस ज़ोर से मारा , ज़मीं कांप गई
सर के टुकड़े हुए रोई न पुकारी ज़ैनब
ख़ाक पर गिर के सुए ख़ुल्द सिधारीं ज़ैनब
हज़रत ज़ैनब का मदफ़न
अल्लामा मोहम्मद अल हुसैन अल अदीब अल नजफ़ी तहरीर फ़रमाते हैं। ‘‘ क़द अख़तलफ़ अल मुरखून फ़ी महल व फ़नहा बैनल मदीनता वश शाम व मिस्र व अली बेमा यग़लब अन तन वल तहक़ीक़ अलैहा अन्नहा मदफ़नता फ़िश शाम व मरक़दहा मज़ार अला लौफ़ मिनल मुसलेमीन फ़ी कुल आम ’’ ‘‘ मुवर्रेख़ीन उनके मदफ़न यानी दफ़्न की जगह में इख़्तेलाफ़ किया है कि आया मदीना है या शाम या मिस्र लेकिन तहक़ीक़ यह है कि वह शाम में दफ़्न हुई हैं और उनके मरक़दे अक़दस और मज़ारे मुक़द्दस की हज़ारों मुसलमान अक़ीदत मन्द हर साल ज़्यारत किया करते हैं। ’’(ज़ैनब अख़्तल हुसैन पृष्ठ 50 नबा नजफ़े अशरफ़) यही कुछ मोहम्मद अब्बास एम 0 ए 0 जोआईट एडीटर पीसा अख़बार ने अपनी किताब ‘‘ मशहिरे निसवां ’’ प्रकाशित लाहौर 1902 ई 0 के पृष्ठ 621 मे और मिया एजाज़ुल रहमान एम 0 ए 0 ने अपनी किताब ‘‘ ज़ैनब रज़ी अल्लाह अन्हा ’’ के पृष्ठ 81 प्रकाशित लाहौर 1958 ई 0 में लिखा है।