رضوی

رضوی

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि फिलिस्तीनियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी जिसे यूएनआरडब्ल्यूए के नाम से जाना जाता है,छह कर्मचारी गाज़ा में इज़रायली हवाई हमलों में मारे गए।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि फिलिस्तीनियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी, जिसे यूएनआरडब्ल्यूए के नाम से जाना जाता है, के छह कर्मचारी गाजा में इजरायली हवाई हमलों में मारे गए।

गुटेरेस ने एक्स पर कहा कि इजरायली हवाई हमलों ने बुधवार को लगभग 12,000 लोगों के लिए स्कूल बने आश्रय स्थल पर हमला किया और मारे गए लोगों में यूएनआरडब्ल्यूए के छह कर्मचारी भी शामिल थे।

उन्होंने कहा,गाजा में जो हो रहा है वह अस्वीकार्य है अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के इन नाटकीय उल्लंघनों को अब रोकने की जरूरत है।

समाचार एजेंसी ने फिलिस्तीनी सूत्रों के हवाले से बताया कि बुधवार को मध्य गाजा पट्टी में विस्थापित लोगों को शरण देने वाले संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित स्कूल पर इजरायली हवाई हमले में कम से कम 18 फिलिस्तीनी मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।

सूत्रों ने कहा कि एक इजरायली युद्धक विमान ने अलनुसीरत शरणार्थी शिविर में कम से कम एक मिसाइल दागी हमास द्वारा संचालित गाजा सरकार के मीडिया कार्यालय ने कहा कि पीड़ितों में सहायता कर्मी भी शामिल हैं।

ज़ायोनी सेना ने एक बार फिर ग़ज़्ज़ा में आम लोगों को निशाना बनाते हुए एक स्कूल पर बमबारी की। प्राप्त जानकारी के अनुसार ज़ायोनी सेना ने बुधवार को ग़ज़्ज़ा में यूएन के उस स्कूल पर एयर स्ट्राइक की जहां पर विस्थापित लोग ठहरे हुए थे। अवैध राष्ट्र इस्राईल के इस बर्बर हमले में 34 लोगों की मौत हुई, जिसमें दो बच्चे भी शामिल हैं।

फिलिस्तीन में पिछले 11 महीने से जनसंहार कर रहे इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा में एक स्कूल पर एयरस्ट्राइक की, इस एयर स्ट्राइक में 34 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 19 महिलाएं और दो बच्चे भी शामिल थे। इस एयर स्ट्राइक में यूएन के एक स्कूल पर हमला हुआ, स्कूल में फिलहाल विस्थापित लोग ठहरे हुए थे. हमले में 18 लोग घायल हुए। 

 

हिब्रू मीडिया ने इंटरनेशनल कोर्ट की कार्रवाई के अंतर्गत अनुमान लगाते हुए कहा है कि हेग कोर्ट जल्द ही नेतन्याहू और गैलेंट के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करेगा। इस रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी शासन के चैनल 12 टीवी ने घोषणा की कि ज़ायोनी हलकों के अनुमान से संकेत मिलता है कि हेग में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय जल्द ही इस शासन के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और युद्ध मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है। इन अनुमानों में कहा गया है कि ग़ज़्ज़ा में जो कुछ चल रहा है उन मामलों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

 

वहीँ इस मामले पर गंभीरता दिखते हुए ज़ायोनी शासन के प्रमुख नेतन्याहू और तथाकथित न्यायमंत्री ने हेग कोर्ट के फैसले को रोकने के लिए कैबिनेट के कानूनी सलाहकार से आपराधिक जांच शुरू करने के लिए कहा है।

 

शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर कल हुए विवाद के बाद मुस्लिम पक्ष की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है। जहां मुस्लिम धर्मगुरु ने कहा कि आपसी प्रेम बनाए रखने के लिए हमने फैसला लिया है कि जो अवैध हिस्सा है उसे हटा दिया जाएगा।

हिमाचल प्रदेश के शिमला के संजौली में स्थित मस्जिद को लेकर हिंदू संगठनों की ओर से मस्जिद के निर्माण को लेकर आंदोलन किया गया, जिसके बाद मुस्लिम धर्मगुरु की ओर से एक बयान सामने आया है। उनका कहना है कि आपसी प्रेम बनाए रखने के लिए हमने फैसला लिया है कि जो अवैध हिस्सा है उसे हटा दिया जाए, अगर हमें इजाजत मिलती है तो उसे हम खुद ही हटा देंगे।

ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पीजिश्कियान ने अपनी इराक यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में हुए 14 समझौता पर हस्ताक्षर किए। उनका यह दौरा पश्चिमी देशों के जटिल होते प्रतिबंधों के बीच हुआ है।

ईरानी नेता ने कहा कि तेहरान इराक के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, दोनों नेताओं ने एक जैसे मुद्दों पर साथ आने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों को प्रभावी ढंग से रोकने और क्षेत्र को अस्थिर करने वाली साजिशों का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों के बीच सुरक्षा समझौतों को लागू किया जाएगा। उन्होंने दोहराया कि ईरान एक मजबूत, स्थिर और सुरक्षित इराक चाहता है जहां भाईचारा और शांति कायम रहे।

फिलिस्तीन विवाद के मुद्दे पर बोलते हुए ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि ग़ज़्ज़ा युद्ध ने मानवाधिकारों के बारे में पश्चिमी दावों के पाखंड को उजागर किया है। साथ ही कहा ग़ज़्ज़ा में अमेरिकी हथियारों को इस्तेमाल कर फिलिस्तीनी नागरिकों का नरसंहार हो रहा है।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने एक संदेश में अरबईने हुसैनी के दिनों में मेज़बानी के लिए इराक़ी मौकिबदारों और महान इराक़ी राष्ट्र का शुक्रिया अदा किया।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने एक संदेश में अरबईने हुसैनी के दिनों में मेज़बानी के लिए इराक़ी मौकिबदारों और महान इराक़ी राष्ट्र का शुक्रिया अदा किया।

बुधवार 11 सितम्बर 2024 को अपनी इराक़ यात्रा के दौरान राष्ट्रपति श्री डॉक्टर मस्ऊद पेज़िश्कियान ने इराक़ के प्रधान मंत्री श्री शिया अल सूदानी को इस संदेश के अरबी अनुवाद की शील्ड प्रस्तुत की।

रहबरे इंक़ेलाब के इस संदेश का अनुवाद इस प्रकार है:

बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम

सबसे पहले तो शुक्रिया अदा करना है। दिल की गहराई से, अपनी तरफ़ से और ईरान के महान राष्ट्र की तरफ़ से, मैं मौकिबदारों का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने अरबईन के दिनों में अपनी उदारता, अपने प्रेम और अक़ीदत को आख़री सीमा तक पहुँचा दिया।

मैं महान इराक़ी राष्ट्र और इराक़ी सरकार के अधिकारियों का भी शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने सुरक्षा, अच्छा माहौल और अनुकूल परिस्थितियां प्रदान की हैं। विशेष रूप से, मैं इराकी धर्मगुरुओं और वरिष्ठ मुजतहेदीन का भी शुक्रिया अदा करता हूँ।

जिन्होंने ज़ियारत के माहौल को दोनों राष्ट्रों और जनता के बीच भाईचारे के माहौल में बदल दिया। वास्तव में इसका शुक्रिया अदा करना चाहिए।

रास्ते में बने मौकिबों में आप प्यारे इराक़ी भाइयों के व्यवहार, हुसैनी ज़ायरीन के प्रति आपके उदार व्यवहार की आज की दुनिया में कोई मिसाल नहीं है, जिस तरह से कि अरबईन की पैदल ज़ियारत की मिसाल पूरे इतिहास में कहीं नहीं मिलती और जिस तरह से करोड़ों लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना आज की अशांत दुनिया में एक बड़ा कारनामा और एक बेमिसाल काम है।

आपने अपने बर्ताव में और अपने रवैये में इस्लामी और अरबी सख़ावत और उदारता दिखाई है और यह सब इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के इश्क़ की वजह से है। हुसैन इब्ने अली से यह प्रेम असाधारण है।

इसकी मिसाल हमने न पहले किसी दौर में देखी और न आज कहीं दिखाई देती है। दुआ है कि अल्लाह आपके दिलों में और हमारे दिलों में इस प्यार को दिन ब दिन बढ़ाता जाए।

आज इस मुहब्बत की कशिश का दायरा इतना बढ़ चुका है कि यह ग़ज़ा के पुरजोश मैदान से लेकर कई ग़ैर मुस्लिम समाजों तक फैल गया है।

अलहम्दो लिल्लाह।

 

सामर्रा में स्थित इमाम हसन असकरी के रौज़े के गुंबद का परचम उनकी शहादत की वर्षगांठ के अवसर पर बदल दिया गया। इस मौके पर हरम के ख़ादिम और ज़ाएरीन की एक बड़ी संख्या मौजूद थी।

रशिया टुडे ने सीरियाई सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि कुनैत्रा दमिश्क रोड पर खान अर्नाबेह के निकट एक कार पर ज़ायोनी सेना के ड्रोन हमले में कम से कम 2 लोग शहीद हो गए।

इस रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी सीरिया में कुनैत्रा-दमिश्क मार्ग पर एक कार पर ज़ायोनी शासन के ड्रोन हमले के परिणामस्वरूप कई लोग घायल भी हुए।

सीरिया के "अल-वतन" अखबार ने बताया कि ज़ायोनी सेना ने खान अर्नाबेह के पूर्व में कुनैत्रा-दमिश्क मार्ग पर एक नागरिक कार को ड्रोन से निशाना बनाया, जिससे उसमें सवार लोग घायल हो गए और उन्हें इलाज के लिए अबज़ा अस्पताल ले जाया गया। इस आतंकी घटना की अधिक जानकारी अभी सामने नहीं आई है।

पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजन सत्य व मार्गदर्शन के नमूने हैं यही कारण हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा था कि मैं तुम्हारे बीच दो मूल्यवान यादगारें छोड़े जा रहा हूं एक है ईश्वरीय ग्रंथ क़ुरआन और दूसरे मेरे परिजन हैं। मेरे परिजन समस्त इंसानों के लिए मोक्ष की कुंजी हैं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम का जन्म वर्ष 232 हिजरी क़मरी में मदीना नगर में हुआ। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम 22 साल के थे कि उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम शहीद हुए अतः मुसलमानों के मा

इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की जीवनशैली

पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजन सत्य व मार्गदर्शन के नमूने हैं यही कारण हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा था कि मैं तुम्हारे बीच दो मूल्यवान यादगारें छोड़े जा रहा हूं एक है ईश्वरीय ग्रंथ क़ुरआन और दूसरे मेरे परिजन हैं।

मेरे परिजन समस्त इंसानों के लिए मोक्ष की कुंजी हैं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम का जन्म वर्ष 232 हिजरी क़मरी में मदीना नगर में हुआ। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम 22 साल के थे कि उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम शहीद हुए अतः मुसलमानों के मार्गदर्शन का दायित्व इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम से इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम को मिला और उन्होंने ईश्वर के आदेश के अनुसार मानव समाज का सत्य व न्याय के प्रकाशमय मार्ग की ओर नेतृत्व आरंभ कर दिया। यह कालखंड छह साल का रहा।

इस अवधि में इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम को अत्यधिक रुकावटों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा तथा अब्बासी शासकों ने जहां तक उनके बस में था इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम पर अत्याचार किए। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की इमाम या आध्यात्मिक नेतृत्व का समय उनके सुपुत्र के शुभजन्म की भविष्यवाणी के कारण और भी कठिन हो गया था क्योंकि इस नवजात के बारे में भविष्यवाणी कर दी गई थी कि वह संसार से अत्याचार का अंत कर देगा तथा पूरे संसार में न्याय की स्थापना करेगा। इस भविष्यवाणी से अब्बासी शासक बहुत भयभीत थे क्योंकि उन्हें स्वयं भी भलीभांति जानते थे कि वे अत्याचारी शासक हैं। अब्बासी सरकार ने अपने कारिंदों की संख्या बढ़ा दी जो दिन रात चकराते रहते थे और यह प्रयास करते थे कि कोई बच्चा पैदा ही न हो सके और यदि पैदा हो तो तत्काल उसकी हत्या कर दी जाए। इस कड़ी निगरानी के बावजूद हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम ईश्वर की कृपा से जन्मे और अपने पिता की शहादत के बाद लोगों की आंखों से ओझल हो गए और आज तक वे आंखों से ओझल हैं। भविष्य में उस समय जिसका ज्ञान केवल ईश्वर को है, वे पुनः प्रकट होंगे और संसार में नास्तिकता तथा अत्याचार का विनाश कर देंगे।

इस्लामी समुदाय का नैतिक प्रशिक्षण, अत्याचार व भ्रष्टाचार से संघर्ष, पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के अभियान की प्राथमिकताएं थीं। क़ुरआन के बाद पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की जीवन शैली ही है जो विभिन्न युगों में इस्लामी जगत के सामने स्पष्ट मार्ग और सत्य का रास्ता पेश करती है। ईरान की इस्लामी क्रान्ति पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की शिक्षाओं से ही प्रेरित होकर उभरी और आज तक अपने मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ रही है।

इस्लामी क्रान्ति समकालीन इतिहास का महत्वपूर्ण आंदोलन है जिसमें तीन कारक मुख्य भूमिका रखते हैं एक है धर्म, दूसरे नेतृत्व और तीसरे जनता। इन तीनों कारकों और शक्तियों को संगठित और व्यवस्थित करने का काम पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों की जीवन शैली ने किया जिससे यह आंदोलन पूर्ण रूप से प्रभावित है। यह प्रभाव इतना गहरा और व्यापक था कि इस्लामी क्रान्ति विश्व में सत्यप्रेम और अन्याय से संघर्ष पर आधारित पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की शैली से प्रेरित क्रान्ति बन गई। धर्म को भरपूर ढंग से जीवन में लागू करना, विश्व की साम्राज्यवादी शक्तियों के अत्याचार और उद्दंडता के मुक़ाबले में प्रतिरोध तथा समाज सुधार पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की महत्वपूर्ण शिक्षाएं हैं जिनका इस्लाम क्रान्ति ने सदुपयोग किया। ईरान की इस्लामी क्रान्ति के दौरान घटने वाली घटनाओं में विश्ववासियों ने देखा कि ईरानी जनता अपनी आर्थिक मांगें सामने रख रही थी किंतु सबसे बढ़कर उसका ध्यान नैतिक भ्रष्टाचार की रोकथाम, धार्मिक मूल्यों के प्रसार तथा न्याय की स्थापना पर था। इस भावना से जनता को प्रतिरोध की शक्ति मिली। इस्लामी क्रान्ति के निकट अध्यात्म और नैतिकता का विशेष स्थान रहा है। क्रान्ति के धर्मबद्ध बलों ने संघर्ष करने के साथ ही आत्मावलोकन और आत्मसुधार पर अपना ध्यान केन्द्रित रखा। इमाम ख़ुमैनी ने भी अपने निर्देशों में प्रशिक्षण और आत्मसुधार पर बहुत अधिक आग्रह किया। इस संबंध में इमाम ख़ुमैनी का कहना था कि ग़ैर प्रशिक्षित व्यक्ति समाज के लिए जितना हानिकारक है उनकी हानिकारक कोई भी चीज़ नहीं हो सकती। इसी प्रकार अच्छा प्रशिक्षित व्यक्ति समाज के लिए जितना लाभदायक है कोई भी चीज़ उतनी लाभदायक नहीं है।

यही कारण है कि इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने अपने एक शिष्य अबुल हसन अली बिन हुसैन क़ुम्मी को जो अपने समय के विख्यात धर्मगुरू थे जो पत्र लिखा उसमें इस्लामी नियमों के अनुरूप प्रशिक्षित व्यक्तित्व का चित्रण किया है और अपने अनुयायियों से कहा है कि वे इस प्रकार का व्यक्तित्व बनाएं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने लिखा कि हे महान धर्मगुरू और मेरे विश्वसनीय, ईश्वर तुम्हें सुकर्म करने में सफल बनाए। मैं तुम्हें ईश्वरीय भय की अनुसंशा करता हूं, नमाज़ को आम करने और ज़कात अदा करने की सिफ़ारिश करता हूं। दूसरों के साथ क्षमाशीलता बरतने, क्रोध पर नियंत्रण रखने, और रिश्तेदारों का ध्यान रखने की सिफारिश करता हूं। अपने भाइयों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए मेहनत करो, क़ुरआन से प्रतिबद्ध हो जाओ, अच्छे कामों का आदेश दो और बुरे कामों से रोको।

इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की सिफ़ारिशें और निर्देश धार्मिक समाज में गुज़ारे जाने वाले जीवन की नियमावली है। समाज का कोई भी सदस्य इसका पालन करके आदर्श समाज का गठन करने में योगदान कर सकता है। वह आदर्श समाज जिसके गठन के लिए इस्लामी क्रान्ति आई। ईरान की इस्लामी क्रान्ति अत्याचार के अंधेरों में ज्वाला की भांति चमकी और इस क्रान्ति ने अनोखा विचार पेश किया कि नैतिकता और अध्यात्म को जीवन के सभी आयामों यहां तक कि राजनीति में भी लागू किया जाना चाहिए अतः आवश्यक है कि राजनेता और अधिकारी, सदाचारी, न्यायप्रेमी और सत्यप्रेमी हों ताकि पूरे संसार में न्याय और शांति की स्थाना हो। इस्लामी क्रान्ति की सफल हो जाने के बाद एक बार फिर धार्मिक नियमों के पालन और पैग़म्बरे इस्लाम की जीवनशैली की ओर वापसी आरंभ हो गई। बीसवीं शताब्दी के अंतिम दशकों में आने वाली ईरान की इस्लामी क्रान्ति ने संसार में एक नया बदलाव उत्पन्न किया और एक नई डगर का रेखांकन किया। इस्लामी प्रवृत्ति वाले इस आंदोलन के उदय से सिद्ध हो गया कि पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों से उपहार के रूप में मिलने वाला इस्लाम धर्म किसी विशेष समय और क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इस्लाम धर्म के मल्य और शुभसूचनाएं सभी इंसानों को संबोधित करती हैं तथा इस्लाम समूची मानवजाति के उत्थान और कल्याण की चिंता में दिखाई देता है। इमाम ख़ुमैनपी ने इस्लाम को पुनरजीवन देने के लिए पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों के क्रान्तिकारी मार्ग का चयन किया और ईश्वर, ईमान व निष्ठा पर आधारित आंदोलन आरंभ किया।

अत्याचार से संघर्ष, पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों की शिक्षाओं में महत्वपूर्ण शिक्षा है। अत्याचारियों पर पीड़ितों की विजय और धरती पर सदाचारियों की सरकार के गठन की शुभसूचना क़ुरआन ने दी है। पैग़म्बरे इस्लाम  के परिजनों के कथनों में भी यह बात जगह जगह दिखाई देती है। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के कई कथन एसे हैं जिनमें उन्होंने अपने पुत्र हज़रत इमाम मेहदी के पुनः प्रकट होने की शुभसूचना दी है। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम अपने शिष्य अबुल हसन अली बिन हुसैन क़ुम्मी को लिखे गए अपने पत्र में अपने पुत्र हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम की स्थिति के बारे में विस्तार से बताते हैं और आम जनता को हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के नज़रों से ओझल हो जाने के विषय से अवगत कराते हैं तथा यह शुभसूचना देते हैं कि जब इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम पुनः प्रकट होंगे तो यही मुक्ति और कल्याण का दिन होगा। इस पत्र में इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम लिखते हैं कि मैं तुम्हें संयम और मोक्षदाता के पुनः प्रकट होने की प्रतीक्षा की सिफ़ारिश करता हूं जो मेरा सुपुत्र है। वह एक दिन आंदोलन करेगा और धरती को जो अत्याचार से भरी होगी न्याय से भर देगा। संयम से काम लो तथा अपने अनुयायियों को भी संयम की सिफ़ारिश करो क्योंकि इसका अच्छा अंजाम निश्चित है।  इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने इस बात का बहुत प्रयास कियाकि आम लोग हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम की स्थिति को भलीभांति समझ लें तथा उनके बारे में लोगों की आस्था को ठेस न लगे। इमाम एसी पीढ़ी का प्रशिक्षण करना चाहते थे जो इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के नज़रों से ओझल रहने के युग में लोगों का प्रशिक्षण करे। उन्होंने अपने एक कथन में कहा कि हमारे अनुयायी पवित्र एवं मोक्ष पाने वाले समूह हैं जो हमारे मत के रक्षक हैं तथा अत्याचारियों के मुक़ाबले में वे हमारे सहायक और ढाल हैं।

अत्याचार और भ्रष्टाचार के विरुद्ध ईरानी जनता का आंदोलन वास्वत में उन लोगों का आंदोलन है जिनकी शुभसूचना इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने दी थी। वे लोग जो पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की जीवन शैली से प्रेरणा लेकर गरिमा और प्रतिष्ठा के साथ आंदोलन करते हैं ताकि इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने के लिए अनुकूल वातावरण उत्पन्न हो। निश्चित रूप से मोक्षदाता के प्रकट होने से पहले मानव समाज का वैचारिक व सांस्कृतिक दृष्टि से इसके लिए तैयार होना आवश्यक है। महान विचारक शहीद मुर्तज़ा मुतह्हरी इस बारे में लिखते हैं कि इस्लामी इतिहास में एसे चयनित समूह की बात कही गई है जो इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होते ही उनसे जा मिलेगा। निश्चित है कि यह समूह एक अचानक अस्तित्व में नहीं आ जाएगा। इससे पता चलता है कि जहां एक और अत्याचार और भ्रष्टाचार फैला है वहीं इस प्रकार के महान समूह के अस्तित्व में आने की भूमि भी समतल है।

अतः मोमिन इंसानों को चाहिए कि अपने दायित्वों का पालन करें तथा उनके प्रकट होने के लिए स्वयं को तैयार रखें अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध अपने क्रान्तिकारी व सुधारवादी आंदोलन से तथा मानवता की जागरूकता और ज्ञान को बढ़ाकर मोक्षदाता के प्रकट होने की भूमि समतल करें।

पने प्रियः अध्ययन कर्ताओं के लिए हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के कुछ मार्ग दर्शक कथन प्रस्तुत किये जारहे हैं।

 

1- अल्लाह

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह वह है कि जब प्राणी विपत्तियों व कठिनाईयों मे फस कर चारो ओर से निराश हो जाता है और प्रजा से उसकी आशा समाप्त होजाती है तो वह फिर उसकी (अल्लाह) शरण लेता है।

 

 

2- हक़ को छोड़ना

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिस आदरनीय व्यक्ति ने हक़ को छोड़ा वह अपमानित हुआ और जिस नीच ने हक़ पर अमल किया वह आदरनीय हो गया।

 

 

3- तक़लीद

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जनता को चाहिए कि अपनी आत्मा की रक्षा करने वाले, धर्म की रक्षा करने वाले, इन्द्रीयो का विरोध करने वाले, तथा अल्लाह की अज्ञा पालन करने वाले फ़कीह (धर्म विद्वान) की तक़लीद(अनुसरन) करें।

 

 

4- भविष्य

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि शीघ्र ही मानवता पर एक ऐसा समय आने वाला है जिसमे मनुषय चेहरे से प्रसन्न दिखाई देगें परन्तु उनके हृदय अँधकार मय होंगे। ऐसे समय मे अल्लाह ने जिन कार्यो का आदेश दिया है वह क्रियात्मक रूप प्राप्त नही कर पायेंगे और अल्लाह ने जिन कार्यो से दूर रहने का आदेश दिया है लोग उन कार्यों को करेंगे। ऐसे समय मे इमानदार व्यक्ति को नीच समझा जायेगा तथा अल्लाह के आदेशो का खुले आम उलंघन करने वाले को आदर की दृष्टि से देखा जायेगा।

 

 

5- नसीहत (सदुपदेश)

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिसने अपने मोमिन भाई को छुप कर सदुपदेश दिया उसने उसके साथ भलाई की। तथा जिसने खुले आम उसको सदुपदेश दिया उसने उसके साथ बुराई की।

 

 

6- सर्वोत्तम भाई

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुम्हारा सर्वोत्तम भाई वह है जो तुम्हारी बुराईयों को भूल जाये व तुमने जो इस पर ऐहसान किया है उसको याद रखे।

 

 

7- मूर्ख व बुद्धिमान

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मूर्ख का दिल उसकी ज़बान पर होता है। और बुद्धि मान की ज़बान उसके दिल मे होती है।

 

 

8- लज्जा का घर

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अनुचित कार्य रूपी (घोड़े) पर सवार होगा वह उससे लज्जा के घर मे उतरेगा। अर्थात जो व्यक्ति अनुचित कार्य करेगा वह अपमानित व लज्जित होगा।

 

 

9- क्रोध

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि क्रोध समस्त बुराईयों की कुँजी है।

 

 

10- व्यर्थ का वाद विवाद

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यर्थ का वाद विवाद न करो वरना तुम्हारा आदर समाप्त हो जायेगा और मज़ाक़ न करो वरना लोगों का (तुम्हारे ऊपर) साहस बढ़ जायेगा।

 

 

11- अपमान का कारण

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि मोमिन के लिए यह बात बहुत बुरी है कि वह ऐसी वस्तु या बात की ओर उन्मुख हो जो उसके अपमान का कारण बने।

 

 

12- दो सर्व श्रेष्ठ बातें

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि दो विशेषताऐं ऐसी हैं जिनसे श्रेष्ठ कोई विशेषता नही है। (1) अल्लाह पर ईमान रखना व (2) अपने मोमिन भाई को लाभ पहुचाना।

 

 

13- बुरा पड़ोसी

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि अच्छी बात को छिपाने व बुरी बात का प्रचार करने वाला पड़ोसी कमर तोड़ देने वाली विपत्ति के समान है।

 

 

14- इन्केसारी (नम्रता)

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि नम्रता एक ऐसा गुण है जिससे ईर्श्या नही की जासकती।

 

 

15- ग़मगीन (शोकाकुल)

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि शोकाकुल व्यक्तियों के सम्मुख प्रसन्नता प्रकट करना शिष्ठाचार के विऱुद्ध है।

 

 

16- द्वेष

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि द्वेष रखने वाले व्यक्ति सबसे अधिक दुखित रहते है।

 

 

17- झूट बुराईयों की चाबी (कुँजी)

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि समस्त बुराईयों को एक कमरे मे बन्द कर दिया गया है, व इस कमरे की चाबी झूट को बनाया गया है। अर्थात झूट समस्त बुराईयों की जड़ है।

 

 

18- नेअमत (अल्लाह से प्राप्त हर प्रकार की सम्पत्ति)

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि नेअमत को धन्यवाद करने वाले के अतिरिक्त कोई नही समझ सकता और आरिफ़ ( ज्ञानी) के अतिरिक्त अन्य नेअमत का धन्यवाद नही कर सकते।

 

 

19- अयोग्य की प्रशंसा

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अयोग्य व्यक्ति की प्रशंसा करना तोहमत(मिथ्यारोप) लगाने के समान है।

 

 

20- आदरनीय

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि धूर्तता के आधार पर सबसे निर्बल शत्रु वह है जो अपनी शत्रुता को प्रकट कर दे।

 

 

21- आदत का छुड़ाना

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि मूर्ख को प्रशिक्षित करना और किसी वस्तु के आदी से उसकी आदत छुड़ाना मौजज़े के समान है। अर्थात यह दोनो कार्य कठिन हैँ।

 

 

22- माँगने मे गिड़गिड़ाना

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि (किसी व्यक्ति) से कुछ माँगने के लिए गिड़गिड़ाना अपमान व दुख का कारण बनता है।

 

 

23- शिष्ठा चारी

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि तुम्हारे शिष्टा चीरी होने के लिए यही पर्याप्त है, कि तुम दूसरों की जिस बात को पसंद नही करते उसे स्वंय भी न करो।

 

 

24- दानशीलता व कायरता

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि दानशीलता की एक सीमा होती है उससे आगे अपव्यय है। इसी प्रकार दूर दर्शिता व सावधानी की भी एक सीमा है अगर इस से आगे बढ़ा जाये तो यह कायरता है।

 

 

25- कंजूसी व वीरता

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि कम व्यय की भी एक सीमा होती है अगर इस से आगे बढ़ा जाये तो यह कँजूसी है। इसी प्रकार वीरता की भी एक सीमा होती है अगर इस से आगे बढ़ा जाये तो वह तहव्वुर है। अर्थात अत्यधिक वीरता।

 

 

26- मित्रों की अधिकता

 

हज़रत इमाम अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिसको अल्लाह से डरने की आदत हो, दानशीलता जिसकी प्रकृति मे हो तथा जो गंभीरता को अपनाये हुए हो ऐसे व्यक्ति के मित्रों की संख्या अधिक होती है।

 

 

27- हार्दिक प्रसन्नता

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि जब हृदय प्रसन्न हो उस समय ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रयास करो। व जिस समय हृदय प्रसन्नता की मुद्रा मे न हो उस समय स्वतन्त्र रहो।

 

 

28- रोज़े को अनिवार्य करने का कारण

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि अल्लाह ने रोज़े को इस लिए अनिवार्य किया ताकि धनी लोग भूख प्यास की कठिनाईयों समझ कर निर्धनो पर दया करें।

 

 

29- जीविका

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि जिस जीविका का उत्तरदायित्व अल्लाह ने अपने ऊपर लिया है उसकी प्राप्ती को वाजिब कार्यों के मार्ग मे बाधक न बनाओ।

 

 

30- इबादत

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि रोज़े नमाज़ की अधिकता इबादत नही है। अपितु अल्लाह के आदेशों के बारे मे (उनको समझने के लिए) चिंतन करना इबादत है।

 

 

31- हमारे लिए शोभा बनो

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने अपने अनुयाईयों से कहा कि अल्हा से डरो व हमारे लिए शोभा का कारण बनो हमारे लिए बुराई का कारण न बनो।

 

 

32- लालची

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि लालची व्यक्ति अपने मुक़द्दर से अधिक प्राप्त नही कर सकता।

 

 

33- व्यर्थ हंसना

 

आदरनीय इमाम हसन अस्करी ने कहा कि आश्चर्य के बिना हंसना मूर्खता का लक्षण है।

 

 

34- पाप से न डरना

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो लोगों के सामने पाप करने से नही डरता वह अल्लाह से भी नही डरता।

 

 

35- प्रसन्नता व लज्जा

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुमको अल्प आयु प्रदान की गयी है और जीवित रहने के लिए गिनती के कुछ दिन दिये गये हैं मृत्यु किसी भी समय आकस्मिक आसकती है। जो (इस संसार) मे पुण्यों की खेती करेगा वह प्रसन्न व लाभान्वित होगा। व जो पापों की खेती करेगा वह लज्जित होगा। प्रत्येक व्यक्ति को वही फल मिलेगा जिसकी वह खेती करेगा। अर्थात जैसे कार्य इस संसार मे करेगा उसको उन्ही कार्यो के अनुसार बदला दिया जायेगा।

 

 

36- बैठने मे शिष्ठा चार

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि जो व्यक्ति किसी सभा मे निम्ण स्थान पर प्रसन्नता पूर्वक बैठ जाये तो उसके वहाँ से उठने के समय तक अल्लाह व फ़रिश्ते उस पर दयावान रहते है।

 

 

37- मित्रता व शत्रुता

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि

 

क-अच्छे व्यक्तियों की अच्छे व्यक्तियों से मित्रता अच्छे व्यक्तियों के लिए पुण्य है।

 

ख-बुरे लोगों की अच्छे लोगों से मित्रता यह अच्छे लोगों के लिए श्रेष्ठता है।

 

ग-बुरे लोगों की अच्छे लोगों से शत्रुता यह अच्छे लोगों के लिए शोभनीय है

 

घ-अच्छे लोगों की बुरे लोगों से शत्रुता यह बुरे लोगों के लिए लज्जा है।

 

 

38- सलाम करना

 

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि अपने पास से गुज़रने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सलाम करना शिष्टाचार है।

 

 

।।अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंव व आलि मु