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फिलिस्तीनीयों के खिलाफ इज़राइल शासन के अपराधों को रोकने और ग़ाज़ा के मालूम लोगों की सहायता बढ़ाने के लिए इस्लामी देशों की तत्काल और संयुक्त कार्रवाई आवश्यक है।

ग़ाज़ा में जारी जनसंहार और रफह पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बीच ईरान के कार्यकारी विदेश मंत्री अली बाकिरी ने अपने अल्जीरियाई समकक्ष से फोन पर बातचीत की।

अली बाकिरी ने अल्जीरियाई विदेश मंत्री के साथ अपनी टेलीफोन बातचीत के बारे में सोशल नेटवर्क एक्स पर लिखा अल्जीरियाई विदेश मंत्री अहमद अत्ताफ के साथ टेलीफोन पर बातचीत में, ग़ज़्ज़ा के ताज़ातरीन हालात और ग़ज़्ज़ा खास कर रफह में ज़ायोनी शासन के हालिया अपराधों और ईरान अल्जीरिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग पर बातचीत और परामर्श किया।

उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के बाद अल्जीरिया से मिले सांत्वना संदेशो पर आभार जताते हुए कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ ज़ायोनी शासन के अपराधों को रोकने और गाज़ा के मालूम लोगों की सहायता बढ़ाने के लिए इस्लामी देशों की तत्काल और संयुक्त कार्रवाई आवश्यक है।

बाकिरी ने कहा कि इस आधार पर, हमने सुझाव दिया है कि इस्लामिक सहयोग संगठन की एक असाधारण बैठक आयोजित की जाए और इस प्रस्ताव का स्वागत किया गया है।

लेबनान के संस्कृति मंत्री ने कहा: फ़िलिस्तीन का मुद्दा इमाम रहल के दिल में था और उन्होंने फ़िलिस्तीन की आज़ादी के लिए अपने सभी प्रयास किए।

लेबनान के संस्कृति मंत्री, मुहम्मद विसाम अल-मुर्तज़ा ने आज अंतर्राष्ट्रीय बैठक "गाजा; उत्पीड़ित प्रतिरोध" को संबोधित किया और कहा: सभी देशों को समर्थन के लिए एकजुट होना चाहिए फ़िलिस्तीनी संघर्ष। दरअसल, ज़ायोनी सरकार ने उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ अपनी क्रूर कार्रवाइयाँ जारी रखी हैं।

उन्होंने आगे कहा: आज फ़िलिस्तीनी सड़े हुए ज़ायोनी शासन और उसके बर्बर सैनिकों पर भीषण प्रहार कर रहे हैं और यह सब इमाम रहल के विचारों की बदौलत हो रहा है।

लेबनान के संस्कृति मंत्री ने कहा: फ़िलिस्तीन मुद्दा इमाम रहल के दिल में था और उन्होंने फ़िलिस्तीन की आज़ादी के लिए अपने सभी प्रयास किए।

उन्होंने आगे कहा: गाजा के लोग अपना संघर्ष जारी रखे हुए हैं और ज़ायोनी शासन पर घातक प्रहार कर रहे हैं।

मुहम्मद विसम अल-मुर्तज़ा ने कहा: पूरी दुनिया के सामने यह स्पष्ट हो गया है कि गाजा और फिलिस्तीन के खिलाफ चल रहा यह युद्ध एक असमान युद्ध है और दुनिया के सभी देश जाग गए हैं और इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जैसा कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में खुद छात्र कर रहे हैं। वहां इज़रायली अपराधों का विरोध किया जा रहा है और युद्धविराम और इज़रायल के साथ सभी संबंध तोड़ने का आह्वान किया जा रहा है।

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा: इंशाअल्लाह, फ़िलिस्तीन निकट भविष्य में आज़ाद होगा।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सांताक्रुज़ ने बताया कि ग़ाजा जंग का विरोध कर रहे लगभग 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सांताक्रुज़ ने बताया कि ग़ाजा पर युद्ध का विरोध करने वाले लगभग 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया हैं,अमेरिकी मीडिया ने बताया कि पुलिस ने विद्यार्थियों पर हमला किया और उनके कैंप को उखाड़ फेंका

एसोसिएटेड प्रेस का कहना है कि 18 अप्रैल से अब तक 63 अमेरिकी कॉलेज और विश्वविद्यालय परिसरों में कम से कम 3,117 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

कोलंबिया विश्वविद्यालय परिसर में बड़ी संख्या में छात्रों की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन में प्रदर्शन अप्रैल से तेज हो गए हैं और अधिकांश अमेरिकी विश्वविद्यालयों और दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गए हैं।

 

इस विश्वविद्यालय के छात्रों ने रैलियां निकालीं और अधिकारियों से इजरायली संस्थानों के साथ कोलंबिया विश्वविद्यालय के सहयोग को समाप्त करने के लिए कहा हैं।

छात्रों की मांगों में इज़राइल के साथ वित्तीय संबंधों को समाप्त करना, सरकार के साथ वित्तीय संबंधों में पारदर्शिता, इज़राइल के साथ सहयोग को समाप्त करना और हिरासत में लिए गए छात्रों की रिहाई शामिल है।

यूनिवर्सिटियों ने इन विरोध प्रदर्शनों का जवाब छात्रों को परिसरों से और अन्य तरीकों से निकालकर दिया है और कुछ विश्वविद्यालयों ने उन्हें अपने छात्रावासों से निष्कासित कर दिया है, कुछ विश्वविद्यालयों ने विरोध को दबाने के लिए पुलिस को विश्वविद्यालय में प्रवेश करने की अनुमति भी दी है।

 

 

 

 

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता सैयद अली ख़ामेनेई ने गुरुवार को सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात में प्रतिरोध को सीरिया की ख़ास पहचान क़रार दिया और कहा: क्षेत्र में सीरिया की विशेष पोज़ीशन भी इस ख़ास पहचान और इस महत्वपूर्ण विशेषता की ही वजह से सुरक्षित की जानी चाहिए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ईरानी जनता से अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए तेहरान आने पर श्री बश्शार असद का शुक्रिया अदा किया और ईरान-सीरिया संबंधों को मज़बूत करने में राष्ट्रपति रईसी की प्रमुख भूमिका की ओर इशारा किया और कहा: श्रीमान अमीर अब्दुल्लाहियान ने भी इस विषय पर विशेष रूप से ध्यान दिया।

वरिष्ठ नेता ने ईरान और सीरिया के बीच संबंधों की मज़बूती को इस बुनियाद पर महत्वपूर्ण माना कि दोनों देश प्रतिरोध की धुरी के स्तंभ हैं। उन्होंने कहा: सीरिया की ख़ास पहचान, जो रेज़िस्टेंस है, मरहूम हाफ़िज़ अल असद के राष्ट्रपति काल में,"रेज़िस्टेंस और दृढ़ता के मोर्चे" के गठन के साथ सामने आयी और इस पहचान ने सीरिया की राष्ट्रीय एकता में भी हमेशा मदद की है।

उन्होंने इस पहचान की रक्षा पर बल देते हुए कहा कि पश्चिम वाले और इलाक़े में उनके पिट्ठू, सीरिया के ख़िलाफ़ जंग शुरू करके इस मुल्क की राजनैतिक व्यवस्था को गिराना और सीरिया को इलाक़े के मुद्दों से दूर कर देना चाहते थे लेकिन वो इसमें सफल नहीं हुए और इस वक़्त भी वो कभी पूरे न होने वाले वादों जैसे दूसरे तरीक़ों से सीरिया को क्षेत्रीय समीकरणों से बाहर निकाल देने का इरादा रखते हैं। 

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बश्शार असद की दृढ़ता की सराहना करते हुए कहा कि सीरियाई सरकार की ख़ास पहचान यानी रेज़िस्टेंस सबको साफ़ तौर पर नज़र आना चाहिए।

उन्होंने ईरान और सीरिया पर अमरीका और यूरोप के राजनैतिक व आर्थिक दबाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमें आपस में सहयोग बढ़ाकर और उसे व्यवस्थित बनाकर इन हालात से गुज़र जाना चाहिए।

 इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ के नेता ने विभिन्न मैदानों में ईरान और सीरिया के सहयोग को बढ़ावा देने की वजह से स्वर्गीय राष्ट्रपति श्रीमान रईसी की मुस्तैदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस वक़्त श्रीमान मुख़बिर साहब, राष्ट्रपति के अधिकारों के साथ, उसी शैली को जारी रखेंगे और हमें उम्मीद है कि सभी मामले बेहतरीन तरीक़े से आगे बढ़ते रहेंगे।

उन्होंने ग़ज़ा के मसले में इलाक़े के कुछ मुल्कों के कमज़ोर स्टैंड की आलोचना करते हुए, मनामा में हालिया अरब शिखर बैठक की ओर इशारा किया और कहा कि इस कॉन्फ़्रेंस में फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के सिलसिले में बहुत सी लापरवाहियां हुयीं लेकिन कुछ देशों ने अच्छे काम भी किए।

उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि भविष्य के सिलसिले में इस्लामी गणतंत्र ईरान की नज़र सकारात्मक है, कहा कि हमें उम्मीद है कि हम सब अपने दायित्व पर अमल करेंगे और उस रौशन भविष्य तक पहुंचेंगे।

इस मुलाक़ात में सीरिया के राष्ट्रपति जनाब बश्शार असद ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और ईरान सरकार और क़ौम के प्रति संवेदना जताते हुए आयतुल्लाह ख़ामेनेई से कहा कि ईरान और सीरिया के संबंध स्ट्रैटेजिक हैं जो आपके मार्गदर्शन में आगे बढ़ रहे हैं और इन निर्देशों को व्यवहारिक बनाने में सबसे आगे आगे जनाब रईसी और जनाब अमीर अब्दुल्लाहियान थे।

 उन्होंने श्रीमान स्वर्गीय रईसी साहब की विनम्र, विवेकपूर्ण और शिष्टाचारिक शख़्सियत की ओर इशारा करते हुए उन्हें इस्लामी क्रांति के नारों और नज़रियों का स्पष्ट प्रतीक बताया और कहा कि जनाब रईसी साहब ने पिछले तीन साल में, क्षेत्रीय मामलों और फ़िलिस्तीन के मसले में ईरान के किरदार अदा करने और इसी तरह ईरान और सीरिया के संबंधों की मज़बूती में प्रभावी तरीक़े से काम किया।

सीरिया के राष्ट्रपति ने इसी तरह इलाक़े में रेज़िस्टेंस के विषय की ओर इशारा करते हुए कहा कि 50 साल से ज़्यादा गुज़रने के बाद क्षेत्र में रेज़िस्टेंस आगे बढ़ रहा है और इस वक़्त वह एक राजनैतिक नज़रिए और आस्था में बदल गया है।

उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि हमारा स्टैंड हमेशा से यह रहा है कि पश्चिम के मुक़ाबले में किसी भी रूप में पीछे हटना उनके चढ़ाई कर देने का सबब बनेगा, कहा कि मैंने कई साल पहले कहा था कि रेज़िस्टेंस में, साठगांठ से कम क़ीमत चुकानी पड़ती है और यह बात अब सीरिया के अवाम के लिए पूरी तरह स्पष्ट हो गयी है और ग़ज़ा के हालिया वाक़यों और रेज़िस्टेंस की फ़तह ने भी इलाके के अवाम के लिए इस बात को साबित कर दिया कि रेज़िस्टेंस एक बुनियादी उसूल है।

श्री बश्शार असद ने इलाक़े में रेज़िस्टेंस के सपोर्ट में अहम और नुमायां किरदार अदा करने और इसी तरह सभी मामलों में सीरिया का सपोर्ट करने पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का शुक्रिया अदा किया और उनकी सराहना की।

श्री बश्शार असद की इस बातचीत के बाद, इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आपकी बातचीत में कई अहम बिन्दु थे लेकिन एक बिन्दु मेरे लिए ज़्यादा अहम था और वह यह कि आपने ताकीद के साथ कहा कि "हम जितना भी पीछे हटेंगे, सामने वाला चढ़ाई करता रहेगा" इस बात में कोई शक नहीं है और यह पिछले 40 साल से हमारा नारा और नज़रिया रहा है।

सऊदी अरब की सत्ता पर क़ाबिज़ आले सऊद ने इस्राईल दोस्ती की दिशा में एक और क़दम बढ़ते हुए अपने सिलेबस में भार फेरबदल करते हुए अपनी किताबों में फिलिस्तीन में दशकों से जनसंहार में लगे इस्राईल का चेहरा बदल दिया है। ज़ायोनी लॉबी को खुश रखने की दिशा में काम करते हुए सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने पाठ्यपुस्तकों से ज़ायोनी विरोधी सामग्री को हटा दिया है।

सऊदी अरब के हाई स्कूल के छात्रों के लिए सामाजिक विज्ञान की एक पूरी पाठ्यपुस्तक, जिसमें ज़ायोनी शासन विरोधी सामग्री थी, को वर्तमान में स्कूल वर्ष से हटा दिया गया। लंदन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर मॉनिटरिंग पीस एंड कल्चर टॉलरेंस इन स्कूल एजुकेशन (IMPACT-SE) के मुताबिक अवैध राष्ट्र और जायोनीवाद की तस्वीर बदल गई है। ऐसे नक्शे जो इस्राईल को फिलिस्तीन के रूप में दिखाते थे, उन्हें कई जगहों से हटा दिया गया है। होलोकॉस्ट के बारे में भी पाठ्यक्रम में अब कुछ नहीं है।

 

 

आयतुल्लाह आराफी ने इसराइल शासन के ज़ुल्म की निंदा करते हुए कहा मैं सभी शिया उलेमा की ओर से ईश्वर के सामने शपथ लेता हूँ कि हम विजय प्राप्त होने तक उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनियों के साथ खड़े रहेंगें।

बेगुनाह बच्चों को कत्ल करने वाली इजरायली हुकूमत की निंदा करते हुए हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह आराफी ने एक पैगाम जारी करते हुए कहा,मैं सभी शिया उलेमा की ओर से ईश्वर के सामने शपथ लेता हूँ कि हम विजय प्राप्त होने तक उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनियों के साथ खड़े रहेंगें।

संदेश कुछ इस प्रकार है:

:بسم الله الرحمن الرحیم

... النَّارِ ذَاتِ الْوَقُودِ، إِذْ هُمْ عَلَیْهَا قُعُودٌ، وَ هُمْ عَلَی مَا یَفْعَلُونَ بِالْمُؤْمِنِینَ شُهُودٌ، وَ مَا نَقَمُوا مِنْهُمْ إِلَّا أَنْ یُؤْمِنُوا بِاللَّهِ الْعَزِیزِ الْحَمِیدِ.

(بروج، ۵-۸)

क्रूर और दमनकारी ज़ायोनी शासन जो बच्चों का नरसंहार कर रहा है राफा शरणार्थी शिविर पर अपने क्रूर हमले के साथ अपने अपराधों में एक जघन्य अपराध भी शामिल कर लिया है, जो किसी भी व्यक्ति के दिल को चोट पहुँचाता है जिसमें थोड़ी सी भी मानवता बची है।

दुनिया जल्द ही वह दिन देखेगी जब फिलिस्तीन के उत्पीड़ित बच्चों का खून इस सरकार और उसके अंतरराष्ट्रीय समर्थकों खासकर शैतान की कमजोर नींव गिरेगी, और उसके गुरुर को नष्ट कर देगी।

और लगाई गई आग की राख को नष्ट कर देगा राज्यविहीन और बेघर लोगों के आश्रयों में आज कल इस दमनकारी सरकार द्वारा विस्फोट कर दिया जाएगा।

ए गाज़ा के उत्पीड़ित लोगों!

बेशक!आपके बच्चों, महिलाओं, युवाओं और पुरुषों की शहादत आपके और हमारे लिए बहुत दुखद है लेकिन आपमें अपार शक्ति और प्रतिरोध की भावना है, आपका महान प्रतिरोध और शहीदों का खून जल्द ही रंग लाएगा और इसराइल सरकार बर्बाद हो जाएगी।

यकीन करें कि यह सभी अपराध महान फिलिस्तीनी राष्ट्र के प्रतिरोध और दृढ़ संकल्प के सामने दमनकारी ज़ायोनी सरकार की असहायता को दर्शाते हैं।

हालाँकि गाजा और राफा में फिलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों की शहादत दर्दनाक है लेकिन इससे भी अधिक दर्दनाक बात उन अपराधों के खिलाफ पश्चिमी सरकारों और कुछ अरब और इस्लामी शासकों की चुप्पी है जिसने दुश्मन को आज राफा पर हमला करने का साहस दिया हैं।

मैं सभी शिया उलेमा की ओर से ईश्वर के सामने शपथ लेता हूँ कि हम विजय प्राप्त होने तक उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनियों के साथ खड़े रहेंगें।

अली रज़ा आराफी

प्रमुख:हौज़ा ए इल्मिया ईरान

रफह में ज़ायोनी सेना की ओर से मचाए जा रहे क़त्ले आम पर विश्व समुदाय में भारी रोष है। भारत ने भी रफह में ज़ायोनी सेना के हाथों हो रहे क़त्ले आम पर गंभीर चिंता जताते हुए अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के सम्मान की मांग की है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘रफाह में विस्थापन कैंपों में हो रही दिल दहलाने वाले मौतें गहरी चिंता का मसला है। भारत ने हमेशा मासूम नागरिकों की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के सम्मान की अपील की है। इस्राइली पक्ष ने पहले ही इसे एक दुखद घटना के तौर पर माना है और घटना की जांच का ऐलान भी किया है।’ बीते दिनों रफाह में एक कैंप पर हमलों में बच्चों समेत 45 लोगों की मौत हो गई थी।

स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड के फलस्तीन को मान्यता देने के रुख पर जायसवाल ने कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, भारत 1980 के दशक में फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने वाले पहले देशों की लिस्ट में से एक था। भारत लंबे समय से ‘टू स्टेट’ समाधान का समर्थन करता रहा है। हम मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक संप्रभु और स्वतंत्र फलस्तिन राज्य बनाए जाने की वकालत करते रहे हैं।’

 

लेबनान के हिज़बुल्लाह के उप महासचिव ने ग़ज़्ज़ा में मौजूदा युद्ध का जिक्र किया और कहा कि फिलिस्तीन को बातचीत से नहीं बल्कि जिहाद और प्रतिरोध के जरिए आजाद किया जाएगा।

हिज़बुल्लाह लेबनान के उप महासचिव, हुज्जतुल-इस्लाम शेख नईम क़ासिम ने आज सुबह (शुक्रवार) बेरूत में 33वें अरब राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेते हुए कहा: प्रतिरोध बेहतर स्थिति में है मौजूदा युद्ध और इसके ख़िलाफ़ शुरू हुए तूफ़ान के ख़त्म होने का इंतज़ार नहीं करेंगे, अब तक प्रतिरोध के नतीजे सकारात्मक रहे हैं।

हिज्बुल्लाह के उप महासचिव ने कहा: अब यह भ्रम खत्म हो गया है कि इजरायली सरकार के साथ जीवन बिताया जा सकता है, अब फिलिस्तीन को बातचीत से नहीं बल्कि हथियारों, जिहाद और प्रतिरोध और प्रतिरोध आंदोलनों से मुक्त किया जाएगा।

हुज्जतुल-इस्लाम शेख नईम क़ासिम ने कहा कि केवल फ़िलिस्तीनी लोगों का प्रतिरोध ही इजरायल से जीत दिला सकता है।

शेख कासिम ने कहा: हम हमेशा आगे हैं और इज़राइल यह युद्ध नहीं जीतेगा, अब आप सभी राजनीतिक, सैन्य, आर्थिक और नैतिक क्षेत्रों में उनकी विफलता देख सकते हैं।

उन्होंने कहा: अमेरिका और पश्चिमी देशों को पता होना चाहिए कि उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, अल-अक्सा तूफान ने अमेरिकी और पश्चिमी मूल्यों की कमजोरी और गिरावट को दिखाया है।

सय्यद हसन नसरल्लाह के डिप्टी ने कहा: गाजा और फ़िलिस्तीन के लिए हिज़्बुल्लाह के समर्थन का उद्देश्य फ़िलिस्तीन को आज़ाद कराना और फ़िलिस्तीन के बहादुर लोगों का समर्थन करना है जो एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीन और इस युद्ध में जीत के पात्र हैं अहंकारी शक्तियों से मुक्त होकर मानवता भी आजादी की सांस ले सकेगी।

अंत में, शेख नईम कासिम ने फिलिस्तीन का समर्थन करने के लिए प्रतिरोध समूहों और ईरान को धन्यवाद दिया।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के टीले वाली मस्जिद विवाद में कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। मुस्लिम पक्ष ने टीले वाली मस्जिद को वक्फ की जमीन होने का दावा किया था। जिस पर सिविल जज जूनियर डिवीजन अभिषेक गुप्ता ने सुनवाई के दौरान खारिज कर दिया है।

मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर की थी कि यह जमीन मुसलमानों की है और वक्फ में आती है। इसके खिलाफ हिन्दू पक्ष ने लक्ष्मण टीला होने की बात कही थी। हिन्दू पक्ष के वकील नृपेंद्र पांडेय ने कहा कि इस फैसले से कोर्ट मानती है कि यह जमीन हिंदुओं की है। यह सिविलवाद है। अब इस मामले में सर्वे कमीशन पर सुनवाई होगी। अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।

गाज़ा पर इजरायली हमले जारी, 24 घंटे में 400 से अधिक लोग शहीद और घायल हुए फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ज़ायोनी हमलों में अब तक शहीदों की संख्या 36,224 तक पहुँच गई है जबकि 81,777 फ़िलिस्तीनी घायल हुए हैं।

ग़ाज़ा में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि ग़ज़्ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के हमले के 237वें दिन में 53 फिलिस्तीनी शहीद हो गए हैं।

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि ज़ायोनी शासन ने पिछले 24 घंटों में ग़ज़्ज़ा में 5 अलग-अलग युद्ध अपराध करते हुए बर्बर हमले किये जिसके परिणामस्वरूप 53 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए और 357 अन्य घायल हो गए।

फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ज़ायोनी हमलों में अब तक शहीदों की संख्या 36,224 तक पहुँच गई है, जबकि 81,777 फ़िलिस्तीनी घायल हुए हैं।

इस बयान में सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संबंधित पक्षों से अनुरोध किया गया है कि वह ग़ज़्ज़ा क्रॉसिंग को फिर से खोलने और इलाज के उद्देश्य से मक़बूज़ा क्षेत्रों से बीमारों और घायलों को बाहर निकलने की सुविधा प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास करें।