
رضوی
पश्चिम एशिया में ईरान नॉलेज बेस्ड कंपनियों का हब बन चुका है
नॉलेज बेस्ड कंपनियां, आज किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी मानी जाती हैं। ईरान में इस तरह की कई कंपनियां सक्रिय हैं।
कुछ नॉलेज बेस्ड ईरानी कंपनियां अपने प्रोडक्ट दूसरे देशों में निर्यात कर रही हैं, ख़ास तौर पर नैनो, मेडिकल इंजिनीयरिंग, दवा और मेडिकल डिवाइसेस के क्षेत्र में।
ईरान की 11वीं संसद में पारसियों के प्रतिनिधि डा. इसफ़ंदयार बख़्तियारी कि जो देश में नॉलेज बेस्ड कंपनियों से संबंधित दो महत्वपूर्ण क़ानूनों को पारित कराने में अहम भूमिका रखते हैं, यज़्द में पहले टेक्नो सैंटर के संस्थापक भी हैं, जिन्हें ईरान की नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था और नॉलेज पार्कों का जनक भी कहा जाता है।
डा. इसफ़ंदयार बख़्तियार से बातचीत की है, जिसे हम यहां पेश कर रहे हैं।
डा. साहब नॉलेज बेस्ड कंपनी क्या है?
नॉलेज बेस्ड कंपनियों की स्थापना, विचार और ज्ञान के आधार पर की जाती है। दर असल यह कंपनियां, अपने आईडियाज़ और डिज़ाइंस को लागू करती हैं और उन्हें बेचती हैं। नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था में हम इनोवेशन और टैक्नॉलोजी पर भरोसा करते हैं। इस अर्थव्यवस्था वाले मॉडल में कस्टमर, इनोवेशन और नए विचारों के लिए भुगतान करते हैं, इसलिए यह सिलसिला कभी रुकता नहीं है, क्योंकि सोच कभी रुकती नहीं होती।
दर असल, नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था में महान ईरानी शायर सादी के इस कथन को अमली जामा पहनाया जाता है, जो कहते हैः जो बुद्धिमान है, वही सक्षम है।
ईरान में नॉलेज बेस्ड कंपनियों का आइडिया कब आया और कब से इस पर काम शुरू हुआ?
ईरान में नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था का आग़ाज़ लगभग 22 साल पहले हुआ, जब देश में पहले नॉलेज पार्क की स्थापना की गई। उसके 9 साल बाद, इससे संबंधित एक क़ानून पारित किया गया, जिसमें नॉलेज बेस्ड कंपनियों और नॉलेज पार्कों के बुनियादी ढांचे का समर्थन किया गया था और इन कंपनियों को परिभाषित किया गया था।
इस क़ानून की बुनियाद पर कई कंपनियों ने काम शुरू किया और कुछ पुरानी कंपनियों ने भी नए जोश के साथ इसे अपनाया। दो साल पहले नॉलेज बेस्ड उत्पादन में वृद्धि से संबंधित एक दूसरा क़ानून पारित किया गया।
आज ईरान में नॉलेज बेस्ड कंपनियों की क्या स्थिति है?
हमें इस फ़ील्ड में अच्छा अनुभव है। दर असल ईरान इस फ़ील्ड में पूरे पश्चिम एशिया का हब बन गया है। विश्व स्तर पर भी उसकी स्थिति अच्छी है। ऐसी कुछ कंपनियों का एक्सपोर्ट और टर्नओवर अच्छा है और वह विश्व स्तर पर काम कर रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इससे रिलेटेड हम किन मामलों में सफल हैं?
हमारे देश में अकसर ऐसी कंपनियां, टैक्नॉलोजी और इंजीनियरिंग, मेडिकल रोबोट, मेडिकल इंजीनियरिंग, आईटी और नैनो टैक्नॉलोजी के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
ईरान की कई नॉलेज बेस्ड कंपनियां, मेडिकल उपकरण बनाने में कई मल्टीनेशनल कंपनियों से मुक़ाबला कर रही हैं। कई कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स दूसरे देशों को एक्सपोर्ट कर रही हैं।
क्या यह कंपनियां, ह्यूमैनिटीज़ और आर्ट में भी यह कंपनियां सक्रिय हैं?
हां, हर वह क्षेत्र जहां नए विचार पैदा हों, और यह विचार अर्थव्यवस्था में भूमिका अदा करें, तो उसे नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था कहा जाता है। मिसाल के तौर पर टूरिज़म में उस पहले शख़्त के विचार को कि जिसने अपने निजी घर को टूरिस्टों के ठहरने और उससे पैसा कमाने की शुरूआत की, नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था कहा जाएगा।
नॉलेज बेस्ड कंपनियों पर अमरीकी पाबंदियों का क्या असर पड़ा?
पाबंदियों ने तरीक़े से काफ़ी मदद की, क्योंकि ऐसी कई कंपनियों की बुनियाद, ज़रूरत और अभाव के आधार पर पड़ी। जैसे कि कोरोना के ज़माने में जब ईरान को वेंटिलेटर्स के इम्पोर्ट की इजाज़त नहीं मिली, तो इन कंपनियों ने ख़ुद नए प्रकार के वेंटिलेटर्स को डिज़ाइन किया और बनाया। दर असल, पाबंदियों की वजह से कई क्षेत्रों में इन कंपनियों को बढ़ावा मिला।
लेकिन पाबंदियों से नुक़सान भी हुआ, क्योंकि इन कंपनियों को दूसरे देशों को अपने प्रोडक्ट्स बेचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और वह पैसे का लेन-देन आसानी से नहीं पा रही हैं।
नॉलेज बेस्ड कंपनियों का भविष्य कैसा है?
ईरानियों के पास बुद्धि और ज्ञान दोनों हैं, इसलिए नॉलेज बेस्ड कंपनियां अच्छा काम कर सकती हैं, लेकिन इस शर्त के साथ कि अर्थव्यवस्था के सरकारी होने की समस्या उनके रास्ते में रुकावट न बने।
दुनिया की आधी आबादी के लिए ईरान का वीज़ा माफ़
ईरान के सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन और हस्तशिल्प विभाग के उप मंत्री ने बताया है कि दुनिया की आधी आबादी के लिए बिना वीज़े के ईरान की यात्रा की सुविधा हो गयी है।
दुनिया की आधी आबादी के लिए बिना वीज़े की ईरान की यात्रा की संभावना, ईरानी फ़िल्मों के लिए तीन रूसी फ़ेस्टिवेल पुरस्कार और मलेशिया में अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में ईरान की ज़बरदस्त उपस्थिति, ईरान की कुछ सामाजिक व सांस्कृतिक ख़बरें हैं।
ईरानी गायकों का इन्टरनेश्नल कंसर्ट दुबई पहुंचा
ईरानी सिंगर अली रज़ा क़ुरबानी का म्युज़िकल कंसर्ट 7 जून को संयुक्त अरब इमारात के दुबई में आयोजित किया जाएगा।
इस ईरानी सिंगर का म्युज़िकल कंसर्ट प्रोग्राम दुबई में "फ़िरदौस" ऑर्केस्ट्रा के साथ मिलकर आयोजित किया जाएगा जो संयुक्त अरब इमारात का सबसे प्रतिष्ठित और मशहूर ऑर्केस्ट्रा है। इस ऑर्केस्ट्रा की स्थापना मशहूद भारतीय संगीतकार, कंपोज़र और ऑस्कर व गोल्डन ग्लोब पुरस्कार विजेता ए.आर. रहमान" ने की है।
लॉस एंजिल्स फ़िल्म फेस्टिवल में एक ईरानी फिल्म की स्क्रीनिंग
ईरानी शॉर्ट फ़िल्म "मरीज़खाने मरकज़ी" (Central Hospital) 34वें लॉस एंजिल्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल (आईएफएस) में प्रदर्शित की जाएगी। यह फ़ेस्टिवल इस साल 12 से 20 जून तक लॉस एंजिल्स में आयोजित किया जाएगा।
ईरानी फ़िल्मों के लिए तीन रूसी फ़ेस्टिवल पुरस्कार
"मुख्तार अब्दुल्लही" द्वारा लिखित और निर्देशित ईरानी फ़िल्म "अमंग द रॉक्स" ने हीरो ऑफ़ रशिया फ़ेस्टिवल से तीन पुरस्कार जीते।
इस फ़िल्म को हीरो ऑफ़ रशिया फेस्टिवल का भव्य पुरस्कार, दर्शकों के नज़रिए से सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार (आंदिया यहियापुर) को सम्मान का डिप्लोमा मिला।
हीरो फ़ेस्टिवल 20 मई से 24 मई तक रूस के क्रास्नोयार्स्क में आयोजित किया गया था।
दुनिया की आधी आबादी बिना वीज़ा के ईरान की यात्रा कर सकती है
ईरान के सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन और हस्तशिल्प विभाग के उप मंत्री अली असग़र शालबाफ़ियान ने बताया है कि दुनिया की आधी आबादी के लिए बिना वीज़े के ईरान की यात्रा की सुविधा हो गयी है। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के पर्यटन प्रमुखों की ऑनलाइन बैठक में कहा कि वर्तमान में दुनिया की आधी आबादी बिना वीज़े के ईरान की यात्रा कर सकती है।
उन्होंने यूनेस्को की विश्व धरोहर में ईरान के 27 पंजीकृत अवशेषों, ईरानी वास्तुकला की उच्च विविधता, प्रामाणिक ईरानी हस्तशिल्प जिसने प्रामाणिकता की 398 मुहरें हासिल की हैं, "क्रिएटिव क्राफ्ट्स सिटीज़ नेटवर्क" शीर्षक के अंतर्गत 5 शहर, अद्वितीय ईरानी व्यंजन, विविध जलवायु परिस्थितियां, पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर स्पा झरनों, विशेषज्ञ तथा पेशेवर डॉक्टरों और बहुत कुछ चीज़ें के साथ एक अनूठी क्षमता जिसका दुनिया में कहीं और शायद ही अनुभव किया जा सकता है।
सैयद हसन नसरुल्लाह की मां ने दुनिया को सबसे बड़ी इंसानी पूंजी दी: महिला एवं परिवार मामलों की मंत्री
महिलाओं के मामले में राष्ट्रपति की सलाहकार अनिसा खज़अली ने इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव की मां के निधन पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा: वह हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरल्लाह की एकमात्र मां नहीं थीं, प्रतिरोध का श्रेय, एक ऐसी महिला को जाता है जिसके प्रशिक्षण ने बसे बड़ी मानवीय पूंजी दुनिया को तोहफ़े में दी और उनके लालन पालन और प्रशिक्षण का ही परिणाम है कि एक बहादुर, साहसी और मानवता के गौरव उन्होंने दुनिया में पेश किया।
मलेशिया में ईरानी किताबों के प्रशंसकों के लिए अच्छी ख़बर
ईरान ने मलेशिया के 24वें अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में बढ़
ताइवान संसद ने चीन विरोधी राष्ट्रपति के पर कतरे, शक्तियां घटाईं
चीन की संसद ने एक विधेयक को मंजूरी देते हुए चीन विरोधी अपने राष्ट्रपति के शक्तियां घटा दी हैं। ताइवान में इन दिनों सियासी घमासान मचा हुआ है। एक तरफ जहां राष्ट्रपति लाइ चिंग ते देश को स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश बनाए रखना चाहते हैं, वहीं संसद में बहुमत रखने वाली नेशनलिस्ट पार्टी आधिकारिक तौर पर ताइवान का चीन में विलय चाहती है। मंगलवार को संसद ने उस विधेयक को मंजूरी दी जो वित्तीय, सैन्य और प्रशासनिक मामलों में राष्ट्रपति की शक्तियों को घटाता है।
राष्ट्रपति चिंग ते डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी से आते हैं। इस पार्टी की अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति साइ इंग वेन हैं, जिनके कार्यकाल में अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा की थी। ताइवान की संसद के फैसले के खिलाफ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के हजारों समर्थकों ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया। ताइवान में राष्ट्रपति राष्ट्र और प्रशासन दोनों का प्रमुख होता है। ऐसे में संसद का फैसला टकराव पैदा कर सकता है।
कनाडा भी इसराइल पर आलोचना करने वालों में शामिल
जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि रफ़ह पर इज़रायली हमलों से कनाडा भी डरा हुआ हैं, जिसके परिणामस्वरूप अनगिनत नागरिक मारे गए हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कनाडा राफह पर इजरायली हमलों से चिंतित है जिसके परिणामस्वरूप अनगिनत नागरिकों की मौत हुई हैं।
पत्रकारों से बात करते हुए ट्रूडो ने कहा कि कनाडा किसी भी तरह से रफह में इजरायल के सैन्य अभियान का समर्थन नहीं करता हैं उन्होंने कहा: गाजा पट्टी में हम जो लोगों की सामूहिक हत्या देख रहे हैं उसे रुकना चाहिए।
कनाडा के प्रधान मंत्री ने गाजा में संघर्ष विराम का आह्वान किया और गाजा निवासियों के लिए मानवीय सहायता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया हैं।
इस्राईल के ख़िलाफ़ दुनिया का आक्रोश
बर्लिन से बग़दाद तक दुनिया भर में हजारों लोग रफ़ह में इस्राईली सेना के क्रूर अपराधों और फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों की हत्या की निंदा करने के लिए सड़कों पर उतर आए।
इस्राईल के ख़िलाफ़ दुनिया का गुस्सा, जर्मन सेना द्वारा सैनिकों की भर्ती के लिए टिकटॉक का इस्तेमाल, ताइवान में नए हथियार भेजने की अमेरिका की योजना, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ समझौते के लिए चीन का कदम और लीबिया में इस्राईल के बायकॉट के कैंपेन में आई तेज़ी, हालिया कुछ घंटों में दुनिया की चुनिंदा ख़बरें हैं।
दक्षिण कोरिया और जापान के साथ संबंध स्थापित करने की दिशा में चीन
सोमवार को चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने चीन, दक्षिण कोरिया और जापान के बीच 9वीं "त्रिपक्षीय शिखर बैठक" की शुरुआत के मौक़े पर कहा कि बीजिंग, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ व्यापक त्रिपक्षीय सहयोग फिर से शुरू करना चाहता है।
यूक्रेन के विपरीत हम ताइवान को नए हथियार देंगे:अमेरिका
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष माइकल मैक्कल ने ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते से मुलाक़ात में कहा कि वाशिंगटन, ताइवान को विकसित और आधुनिक हथियार देने का इरादा रखता है और यूक्रेन जैसे पुराने हथियार इस द्वीप के हवाले नहीं करेगा। चीन के मुताबिक ताइवान स्ट्रेट में तनाव बढ़ने का मुख्य कारण अमेरिका है।
जर्मन सेना द्वारा सैनिकों की भर्ती के लिए टिकटॉक का उपयोग
जर्मन सेना ने सैनिकों की भर्ती के लिए वीडियो प्लेटफॉर्म टिकटॉक का उपयोग करने की योजना बनाई है जो युवाओं के बीच बहुत ही लोकप्रिय है। जर्मन सेना के एक प्रवक्ता के अनुसार, यह पहल इस महीने के अंत में पूरे जर्मनी में व्यापक भर्ती के साथ एक नए कार्यक्रम-आधारित नज़रिए पर अमल के साथ ही शुरू होगी।
नैटो के परमाणु हमले की कोशिश पर रूस की अटकलें
ईस्ना के अनुसार, रूसी संघीय सीमा सुरक्षा सेवा के प्रमुख विलादीमीर कुलीशेव का कहना है कि नैटो रूस पर हमला करने के लिए देश की सीमाओं के पास परमाणु अभ्यास और ड्रिल कर रहा है।
इस्राईल के ख़िलाफ वैश्विक आक्रोश
मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, दुनिया भर के लोगों ने बिना कॉल के और ख़ुद के मार्च और रैलियों के ज़रिए रफ़ह में इस्राईली अपराधों की निंदा करते हुए ग़ज़ा युद्ध और ज़ायोनी शासन के अपराधों को समाप्त करने की मांग की। ये प्रदर्शन इस्तांबुल, मैनचेस्टर, बग़दाद और बर्लिन समेत विभिन्न शहरों में आयोजित किए गए।
* अपने ताज़ा अपराधों में ज़ायोनी शासन ने रविवार रात ग़ज़ा पट्टी के दक्षिण में स्थित रफ़ह के उत्तर-पश्चिम में स्थित शरणार्थी कैंपों और शरणार्थियों के रहने की जगहों पर बमबारी की। इस क्रूर हमले में कम से कम 50 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए।
रफ़ह पर इस्राईल के हमले पर गुटेरेस की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रफ़ह शहर पर इस्राईल के वहशियाना हमले की निंदा की और कहा कि ग़ज़ा में कोई सुरक्षित जगह नहीं है।
लीबिया में इस्राईल के बायकॉट कैंपेन में तेज़ी
तस्नीम न्यूज़ के अनुसार, लीबिया में ज़ायोनी शासन का समर्थन करने वाले देशों के सामानों, उत्पादों और प्रोडक्ट्स के बहिष्कार का लोकप्रिय कैंपेन तेज़ हो गया है।
हालिया दिनों में लीबिया के नागरिकों ने ज़ायोनी शासन का समर्थन करने वाले देशों के सामानों,उत्पादों और प्रोडक्टस का बायकॉट करते हुए, ज़ायोनी विरोधी प्रदर्शन किए हैं और फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार को रोकने की मांग की।
ख़बरों की दूसरी सुर्खियां:
रफ़ह में अवैध कब्ज़ा करने वालों के जनसंहार की जांच के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने का अल्जीरिया की अपील
रफ़ह में फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों पर इस्राईल का हमला अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है:पाकिस्तान
तुर्किए में ज़ायोनी वाणिज्य दूतावास जला दिया गया
ग़ज़ा में इंडोनेशियाई अस्पताल पर इस्राईल का भीषण हमला
इजराइल एक अत्याचारी सरकार हैं इराक में इसके समर्थन करने वाले देश का दूतावास बंद हो
इराक के मुक्तदा सद्र ने अमेरिकी दूतावास को बंद करने और देश से राजदूत को निकालने की मांग की हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इराक के प्रभावशाली धर्मगुरु और सद्र मूवमेंट के नेता सय्यद मुक़्तदा सद्र ने फिलिस्तीन में ज़ायोनी फौजों के हाथों फिलिस्तीनी जनता के जनसंहार और नस्लकुशी तथा जातीय सफाया पर कड़ा रोष जताते हुए कहा कि ज़ायोनी लॉबी की हरकतें बता रही हैं कि वह तमाम आसमानी धर्मों यानी ईसाई, मुस्लिम और यहूदी तीनों के दुश्मन हैं।
ज़ायोनी लॉबी हर उस इंसान की दुश्मन है जो जियोनिस्ट नहीं है। ज़ायोनी लॉबी खुद को यहूदी धर्म के प्रतिनिधि के रूप में पेश करती है और यहूदियत की छवि को धूमिल कर रही है।
मुक़्तदा ने कहा कि ज़ायोनी शासन फिलिस्तीन में जो कुछ कर रहा है वह सब अमेरिका के समर्थन से कर रहा है। मैं एक बार फिर बग़दाद से अमेरिका के राजदूत को निकालने और डिप्लोमेटिक तरीके से अमेरिका दूतावास को बंद करने की अपनी बात दोहरा रहा हूँ।
मुक्तदा अलसद्र ने इस्लामिक सहयोग संगठन और अरब लीग से जिम्मेदारी दिखाने और गाजा पर ज़ायोनी दुश्मन की आक्रामकता और हमलों को समाप्त करने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया हैं।
उन्होंने कहा सशस्त्र कार्रवाई की तुलना में कूटनीतिक तरीकों का उपयोग करके अमेरिकियों से निपटना अधिक प्रभावी और उचित है ताकि उन्हें इराक और उसके लोगों की शांति को नष्ट करने का कोई बहाना न मिले।
अल्लाह शैतान को अवसर क्यों देता है?
पवित्र क़ुरआन हमसे कहता है कि इब्लीस ने घमंड किया और हज़रत आदम का सज्दा करने में अल्लाह के आदेश की नाफ़रमानी की और अल्लाह की बारगाह से उसे निकाल दिया गया परंतु उसने बहुत सालों तक अल्लाह की इबादत की थी इसलिए अल्लाह की अदालत का तक़ाज़ा यह था कि वह बाक़ी रहने हेतु शैतान की मांग को स्वीकार करता इसलिए उसने शैतान की दरख़ास्त मान ली।
पवित्र क़ुरआन के अनुसार शैतान एक जिन है। दूसरों को कष्ट पहुंचाने वाले, गुमराह करने वाले और उद्दंडी मौजूद व मख़लूक़ को शैतान कहा जाता है चाहे वह इंसान हो या ग़ैर इंसान। शैतान का नाम इब्लीस है जिसने हज़रत आदम और हव्वा को गुमराह किया और इस वक्त वह अपनी पूरी सेना के साथ इंसानों को गुमराह करने में व्यस्त है।
सवाल यह है कि इब्लीस को क्यों पैदा किया गया और क्या वह अल्लाह की हिकमत और अदालत से मेल खाता है कि इस प्रकार की मख़लूक़ को पैदा किया जाये और वह इंसानों को गुमराह करे? यह सवाल करने का मक़सद इसका उत्तर देना है।
अल्लाह से शैतान की बहस
अल्लाह ने इब्लीस को शैतान नहीं पैदा किया था बल्कि पवित्र क़ुरआन के अनुसार वह जिनों में से था और इंसानों की भांति वह अपने आमाल व कर्मों में पूर्णतः मुख्तार था। अल्लाह पवित्र क़ुरआन में कहता है «كانَ مِنَ الْجِنِّ فَفَسَقَ عَنْ أَمْرِ رَبِّه».
अतः अल्लाह ने शैतान को दूसरों को गुमराह करने के लिए नहीं पैदा किया था बल्कि जैसे पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी और शियों के पहले इमाम हज़रत अली अलैहिस्सलाम प्रसिद्ध किताब नहजुल बलाग़ा के ख़ुत्बा नंबर 192 में इरशाद फ़रमाते हैं कि इब्लीस ने 6 हज़ार सालों तक इबादत की थी" पर यह ज्ञात नहीं है कि दुनिया के साल थे या आख़ेरत के मगर शैतान ने इतने सालों की इबादत को अपने घमंड से तबाह कर दिया।
उसे अल्लाह ने जो आज़ादी थी उसने उसका दुरुपयोग किया और बातिल तर्कों के आधार पर उसने कहा कि अल्लाह तूने मुझे आग से पैदा किया है और आदम को मिट्टी से और आग मिट्टी से अफ़ज़ल होती है «أَنَا خَيْرٌ مِنْهُ خَلَقْتَنِى مِنْ نارٍ وَ خَلَقْتَهُ مِنْ طِينٍ». इसलिए मैं आदम का सज्दा नहीं करूंगा। इस आधार पर शैतान ने अल्लाह का सज्दा करने से इंकार कर दिया और उसे अल्लाह की बारगाह से निकाल दिया गया मगर चूंकि शैतान ने बहुत सालों तक इबादत की थी इसलिए अल्लाह की हिकमत और अदालत का तक़ाजा था कि वह उसे बाक़ी रहने पर सहमति जताये। इब्लीस ने भी इस अवसर को ग़नीमत समझा और उसने क़सम खाई की कि तेरे विशेष बंदों के अलावा सबको गुमराह करूंगा।
विकास के लिए विरोधाभास का महत्व
दुनिया को पैदा करने की दृष्टि से ईमानदार लोगों और उन लोगों के लिए शैतान का होना हानिकारक नहीं है जो सत्य व हक़ के रास्ते पर चलना चाहते हैं बल्कि उनके विकास और परिपूर्णता का साधन है। क्योंकि विकास, प्रगति, उन्नति और परिपूर्णता हमेशा विरोधाभास चीज़ों के अंदर होती है। दूसरे शब्दों में जब तक इंसान का सामना शक्तिशाली दुश्मन से नहीं पड़ता तब तक वह अपनी क्षमता और ताक़त का सही से इस्तेमाल नहीं करता है। यही शक्तिशाली और ख़तरनाक दुश्मन शैतान की मौजूदगी इंसान की गतिशीलता व प्रयास का कारण बनती है और यही गतिशीलता उसकी परिपूर्णता का कारण बनती है।
वर्तमान समय के एक बड़े दार्शनिक ट्विन बी कहते हैं” दुनिया में कोई सभ्यता चमकी व उभरी ही नहीं मगर यह कि विदेशी शक्ति ने एक राष्ट्र व क़ौम पर हमला न किया हो और इसी हमले की वजह से उस कौम ने अपने अंदर नीहित क्षमताओं व योग्यताओं का प्रयोग किया और एक अच्छी सभ्यता की बुनियाद रखी।
इसी प्रकार इंसान को इस बात को भी समझना चाहिये कि वह भलाई और ख़ैर का मतलब उस वक्त समझता है जब शर और बुराई को देखता है और उससे अवगत हो। इस आधार पर दुनिया में शैतान का होना ज़रूरी है। केवल उसी वक्त शैतान को शर समझा जा सकता है जब उसका अनुसरण किया जाये मगर उसका विरोध और उसका मुक़ाबला ख़ैर व नेक है और उसका अस्तित्व इंसान की मज़बूती और परिपूर्णता का कारण है।
शैतान का स्वागत
शैतान अचानक हमारे अंदर वसवसा नहीं करने लगता है और वह एकाएक हमला नहीं कर देता है। वह हमारी अनुमति से हमारे अंदर घुसता और हमें वरगलाता है। यह हम हैं जो उसके आने का रास्ता देते हैं। जैसाकि अल्लाह पवित्र क़ुरआन के सूरे नहल की आयत नंबर 99 और 100 में «إنّهُ لَيسَ لَهُ سُلطان عَلى
الّذينَ آمَنوُا وَ عَلى رَبِّهِم يَتَوكّلُون * إنّمَا سُلطانَه عَلى الّذينَ يَتولّونَهُ وَ الّذينَ هُم بِهِ مُشرِكُون»؛ कहता है कि जो लोग ईमान लाये हैं और अपने पालनहार पर भरोसा रखते हैं उन पर उसका बस नहीं है और केवल उन्हीं लोगों पर शैतान का बस चलता है जो उसकी दोस्ती व सरपरस्ती को क़बूल करते हैं और अल्लाह के लिए शरीक करार देते हैं। यानी अल्लाह के आदेश के मुक़ाबले में शैतान की इच्छाओं पर अमल करते हैं। इसी प्रकार पवित्र क़ुरआन के सूरे हिज्र की आयत नंबर 42 में हम पढ़ते हैं «إِنَ عِبادِي لَيْسَ لَكَ عَلَيْهِمْ سُلْطانٌ إِلَّا مَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْغاوِينَ»؛
बेशक हमारे बंदों पर तुम्हारा बस नहीं चलेगा मगर यह कि उन गुमराहों पर जो तुम्हारी पैरवी और अनुसरण करेंगे।
पवित्र क़ुरआन की इन आयतों के अनुसार इब्लीस और दूसरे शैतानों को मोमिन इंसानों के अंदर प्रवेश का अधिकार नहीं है और न ही उनके अंदर इस बात की क्षमता है मगर यह कि ख़ुद इंसान उन्हें अपने अंदर दाखिल होने की अनुमति दे और उनका अनुसरण करे।
एक अन्य बिन्दु यह है कि हम शैतान और उसके सहयोगियों को नहीं देखते हैं परंतु उनकी हरकतों को देख सकते हैं, जहां भी गुनाह हो रहा होता है, जहां भी गुनाह के संसाधन उपलब्ध होते हैं, जहां भी दुनिया की चमक- दमक की बात होती है और उद्दंडता, ग़लत कार्यों और क्रोध की आग जल व भड़क रही होती है वहां पर शैतान की उपस्थिति अवश्य होती है। यानी वहां पर शैतान ज़रूर होता है। ऐसे मौक़ों पर मानो इंसान शैतान के वसवसों की आवाज़ को सुनता है और उसकी हरकतों को अपनी आंखों से देखता है।
सारांश यह कि इंसान अपने किसी भी अमल में मजबूर नहीं है। अल्लाह ने उसे आज़ाद और स्वतंत्र पैदा किया है ताकि बेहतरीन ढंग से वह विकास करके अल्लाह का सामिप्य प्राप्त करे और शैतान के शर और अपनी अज्ञानता के मुक़ाबले में अल्लाह के लुत्फ़ो व करम, उसके पैग़म्बरों, किताबों, बुद्धि और अपनी सही फ़ितरत की मदद ले सकता है।
सद्र मूवमेंट की मांग, बग़दाद से अमेरिकी राजदूत को निकालो
इराक के प्रभावशाली धर्मगुरु और सद्र मूवमेंट के नेता सय्यद मुक़्तदा सद्र ने फिलिस्तीन में ज़ायोनी फौजों के हाथों फिलिस्तीनी जनता के जनसंहार और नस्लकुशी तथा जातीय सफाया पर कड़ा रोष जताते हुए कहा कि ज़ायोनी लॉबी की हरकतें बता रही हैं कि वह तमाम आसमानी धर्मों यानी ईसाई, मुस्लिम और यहूदी तीनों के दुश्मन हैं। ज़ायोनी लॉबी हर उस इंसान की दुश्मन है जो जियोनिस्ट नहीं है। ज़ायोनी लॉबी खुद को यहूदी धर्म के प्रतिनिधि के रूप में पेश करती है और यहूदियत की छवि को धूमिल कर रही है।
मुक़्तदा ने कहा कि ज़ायोनी शासन फिलिस्तीन में जो कुछ कर रहा है वह सब अमेरिका के समर्थन से कर रहा है। मैं एक बार फिर बग़दाद से अमेरिका के राजदूत को निकालने और डिप्लोमेटिक तरीके से अमेरिका दूतावास को बंद करने की अपनी बात दोहरा रहा हूँ।
रफ़ाह पर एक बार फिर इज़रईली हमला
इज़रईली सेना ने रफ़ाह शहर के पश्चिम में आवासीय क्षेत्रों पर गोलाबारी और बमबारी की जिसके कारण कई लोग की मौत हो गई।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,मंगलवार सुबह स्थानीय सूत्रों ने गाज़ा पट्टी के सबसे दक्षिणी मुकाम रफाह में ज़ोरदार विस्फोटों की आवाज़ सुनने की सूचना दी हैं।
इज़रईली सेना ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए एक बार फिर रफ़ाह शहर के विभिन्न क्षेत्रों पर हमला किया हमलों में हाई सऊदी,ताले अलसुल्तान के क्षेत्र शामिल हैं रफ़ाह के पश्चिम में स्क्वायर पर गोलाबारी और बमबारी की गई है।
दूसरी ओर गाजा शहर के केंद्र में ज़ायोनी सरकार के सैनिकों के हमले के परिणामस्वरूप कई फ़िलिस्तीनी शहीद और घायल हो गए।
गाजा से अलमयादीन संवाददाता ने बताया कि गाजा पट्टी के मध्य में स्थित अल-ब्रीज"शिविर में एक आवासीय इमारत को आतंकवादी ज़ायोनी सैनिकों ने निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप हताहत हुए और कई फ़िलिस्तीनी शहीद हुए।
रफह में इस्राईल का क़त्ले आम जारी, ज़ायोनी आतंक पर UN चीफ बिफरे
ग़ज़्ज़ा में पिछले 7 महीने से भी अधिक समय से क़त्ले आम कर रहा इस्राईल अब रफह में भी बर्बरता की सभी हदों को पार करते हुए फिलिस्तीनी जनता का नस्लीय सफाया कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने इस्राईली सेना के रफह शहर में किए हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि हमले में कई बेगुनाह नागरिक मारे गए, जो सिर्फ युद्ध से बचने के लिए शरण लिए हुए थे। उन्होंने कहा कि अब ये आतंक खत्म होना चाहिए। बता दें कि रफह पर ज़ायोनी सेना के ताज़े हमले में कम से कम 45 लोग मारे गए जबकि 200 से अधिक घायल हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रमुख वोल्कर टर्क ने भी रफह में इस्राईली हमले की निंदा की। उन्होंने एक बयान में कहा कि शरणार्थी कैंप से आ रहीं तस्वीरें भयावह हैं और इस्राईल के लड़ाई के तरीकों में कोई बदलाव नहीं आया है।
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने लिखा 'मैं इस्राईल की कार्रवाई की कड़ी निंदा करता हूं, जिसमें कई बेगुनाह आम नागरिक मारे गए, जो सिर्फ युद्ध के हालात में शरण लिए हुए थे। ग़ज़्ज़ा में अब कोई जगह सुरक्षित नहीं है और अब यह आतंक बंद होना चाहिए।