رضوی

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ईरान की संसद मजलिस शूरा-ए-इस्लामी के बारहवें कार्यकाल की शुरुआत के अवसर पर इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह खामेनेई ने एक संदेश जारी किया, जो 27 मई 2024 को सदन के अंदर पढ़ा जाएगा।

ईरान की संसद मजलिस शूरा-ए-इस्लामी के बारहवें कार्यकाल की शुरुआत के अवसर पर इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह खामेनेई ने एक संदेश जारी किया, जो 27 मई 2024 को सदन के अंदर पढ़ा जाएगा।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

सारी तारीफ़ पूरी कायनात के मालिक के लिए और दुरूद हो हमारे सरदार मोहम्मद मुस्तफ़ा और उनकी पाक नस्ल ख़ास तौर पर ज़मीन पर अल्लाह की आख़िरी हुज्जत इमाम महदी पर।

इस वक़्त जब संसद का बारहवां कार्यकाल अपने निर्धारित वक़्त पर बिना विलंब शुरू हो रहा है, मैं हकीम व अज़ीज़ ख़ुदा की बारगाह में विनम्रता के साथ सजदा करता हूँ और धार्मिक गणराज्य के जारी रहने और इसकी मज़बूती पर, जो ईरानी क़ौम के लिए अल्लाह का एक बड़ा तोहफ़ा है, शुक्र अदा करता हूँ।

हर नई संसद मुल्क के रौशन क्षितिज पर एक नई रौशनी बिखेर सकती है और क़ौम की उम्मीद और जज़्बे को बढ़ा सकती है। आज़माए हुए व अनुभवी निर्वाचित सांसदों के साथ नए सांसदों का एक प्लेटफ़ार्म पर आना यह पैग़ाम देता है कि संसद, संविधान की ओर से मिले अधिकारों को इस्तेमाल करते हुए और मुल्क के अहम स्तंभों के साथ अपनी भारी ज़िम्मेदारियों पर अमल करते हुए, मौजूदा समय की विशेषताओं और इनोवेटिव शैली के साथ परिपक्वता और गंभीरता को जोड़ देगी और क़ानून बनाने और निगरानी के काम को टकराव, उथल पुथल, स्थिरता व गतिहीनता से दूर रखेगी।

इस बात में शक नहीं कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के साथ सुव्यवस्थित तरीक़े और लगाव के साथ सहयोग और इसी तरह विधिपालिका के भीतर सही व धैर्यपूर्ण रवैया, एक आइडियल संसद की सभी ख़ुसूसियतों को व्यवहारिक बनाने में मदद करेगा और सांसदों की अच्छी यादों को अमर बना देगा।

एक बिन्दु जिस पर मैं हमेशा बल देता हूं, यह है कि संसद को मुल्क के आम माहौल को सुकून देने वाला, उम्मीद पैदा करने वाला, हौसला उभारने वाला, लगाव व भाईचारे की दावत देने वाला होना चाहिए। ख़ुद संसद के भीतर ज़िम्मेदारी का मुख़्तसर वक़्त और उम्र, बेफ़ायदा प्रचारिक प्रतिस्पर्धा और नुक़ासनदेह राजनैतिक बहसों में न गुज़र जाए वरना इस ऊंचे मक़ाम पर सांसदों की मौजूदगी की मूल्यवान सलाहियत व क्षमता, बेकार चली जाएगी।

एक दूसरा बिंदु, सांसदों के शपथ लेने के बारे में है। यह शपथ लेना दिखावटी और नुमाइशी नहीं होना चाहिए, एक क़ानूनी व ज़िम्मेदारी तय करने वाली शपथ है वरना यह इस दुनिया और परलोक में कठिनाइयों में डाल देगा। आदरणीय सासंदों को इस ओहदे के दौरान अपने पूरे वक़्त, शरीअत पर आधारित इस शपथ के एक एक बिन्दु को मद्देनज़र रखना चाहिए और इसकी पाबंदी को, अपने प्रदर्शन के बारे में फ़ैसले की कसौटी समझना चाहिए।

अगला बिन्दु नैतिकता पर अमल के बारे में। इस्लामी जीवन शैली, जिसका एक अहम हिस्सा नैतिक महानताओं पर आधारित है, राजनैतिक चुनौती और वैध प्रतिस्पर्धा में ज़्यादा अहम हो जाता है। यहीं पर तक़वा, क्षमा, इंसाफ़, सच्चाई, ज़िम्मेदारी को अदा करने और बिना जताए काम करने की अस्ल क़ीमत सामने आती है। 19 मई 2024 की हवाई दुर्घटना के शहीदों (1) की, जिनके लिए आज पूरा मुल्क शोकाकुल है, एक अहम ख़ुसूसियत, नैतिकता पर अमल था। इस मसले में अपनी सख़्त निगरानी को गंभीरता से लें।

आख़िरी बात इस हक़ीक़त को याद दिलाना है कि हर सांसद पूरी ईरानी क़ौम का प्रतिनिधि है, इसका मतलब यह है कि सांसद का अस्ल काम, पूरी क़ौम के हितों को पूरा करना है। चुनावी हल्क़े से संबंधित मसलों पर काम, मुल्क के मसलों पर भरपूर नज़र रखते हुए किया जाना चाहिए और विकास परियोजनाओं को अति के साथ और विकास बजट की ताक़त से बाहर मंज़ूर करने से परहेज़ किया जाना चाहिए।

प्यारे भाइयो और बहनो! अवाम की सेवा की नीयत से किया जाने वाला काम, सदकर्म और अल्लाह की ओर से अज्र हासिल करने वाली भलाई है और शाकिर व सर्वज्ञानी अल्लाह लोक आख़ेरत में इसका बदला देगा। लोगों का दिल आपकी ओर मायल होना और उनकी ओर से बिना लालच का शुक्रिया, दुनिया में अल्लाह की ओर से मिलने वाला अज्र है और मरहूम राष्ट्रपति और उनके अज़ीज़ साथियों की शवयात्रा में दसियों लाख लोगों की शिरकत, अल्लाह की ओर से मिलने वाले इस अज्र का नमूना है। मुख़्तलिफ़ शहरों में वफ़ादार और बसीरत रखने वाले अवाम ने इन पाकीज़ा जिस्मों पर फूल और आंसूओं की बारिश करके मुल्क की नई नस्ल के लिए सन 80 के दशक के शहीदों की याद ताज़ा कर दी और हज़ारों झूठ, इल्ज़ाम, अफ़वाहों का अमली रूप से जवाब दिया। उन पर अल्लाह की रहमत व दुरूद हो।

आख़िर में ग्यारहवीं संसद के आदरणीय सांसदों ख़ास तौर पर कर्मठ स्पीकर (2) और प्रीज़ाइडिंग बोर्ड के कर्मठ सदस्यों का शुक्रिया अदा करना ज़रूरी समझता हूं।

आप सब पर सलाम और अल्लाह की रहमत हो।

सैयद अली ख़ामेनेई

27 मई 2024

मरहूम राष्ट्रपति हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद इब्राहीम रईसी और उनके साथियों की हेलीकॉप्टर दुर्घटना की ओर इशारा जो 19 मई 2024 को पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत के वर्ज़क़ान के क़रीब घटी, जिसमें सभी लोगों की शहादत हुयी।

जनाब मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़

अल्लाह की आम रहमत में दोस्त, दुश्मन, मोमिन, काफ़िर, अच्छे और बुरे सब लोग शामिल हैं। जिस तरह से जब वर्षा होती है तो सब जगह होती है मगर यह बात अल्लाह की विशेष रहमत में फ़र्क़ करती है।

पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी और शिया मुसलमानों के पहले इमाम हज़रत अली अलैहिस्सलाम हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश के बारे में फ़रमाते हैं अल्लाह ने उनके लिए तौबा का दरवाज़ा ख़ोल दिया और अपनी रहमत के शब्द की उन्हें शिक्षा दी।

अल्लाह की रहमत और स्थान का महत्व इतना अधिक है कि क़ुरआन के हर सूरे का आरंभ उसके नाम और उसकी रहमत के शब्द से होता है। यहां हम इस मतलब में इस बात का उल्लेख करेंगे कि अल्लाह की रहमत का क्या मतलब है और अल्लाह किस हालत में अपनी रहमत को अपने बंदे से दूर कर सकता है।

सबसे पहले हमें इस बात को जानना चाहिये कि अल्लाह की रहमत कभी आध्यात्मिक होती है और कभी भौतिक और उसकी रहमत लोक- परलोक दोनों में होती है और पवित्र क़ुरआन में रहमत शब्द का प्रयोग बहुत अर्थों में किया गया है। रहमत शब्द का प्रयोग कभी हिदायत,  कभी दुश्मन के चंगुल से नजात पाने, कभी वर्षा, कभी नूर व प्रकाश जैसी दूसरी नेअमतों और इसी प्रकार कई बार जन्नत और प्रलय में मिलने में अल्लाह की नेअमतों के बारे में किया गया है।

अल्लाह की रहमत की क़िस्में

अल्लाह की रहमतें दो प्रकार की हैं।

अल्लाह की आम रहमत 

अल्लाह की यह रहमत दोस्त, दुश्मन, मोमिन, काफिर, अच्छे और बुरे सब पर शामिल होती है। जिस तरह से बेहिसाब होने वाली वर्षा और वह हर जगह पहुंचती है। इसी तरह जैसी रोज़ी देना। अल्लाह मोमिन और ग़ैर मोमिन सबको रोज़ी देता है। सबको शिफ़ा देता है चाहे मोमिन हो या काफ़िर।

अल्लाह की ख़ास व विशेष रहमत

अल्लाह की एक विशेष व ख़ास रहमत है। यह रहमत केवल उसके विशेष व नेक बंदों को प्राप्त होगी। क्योंकि अल्लाह पर ईमान लाने और नेक अमल अंजाम देने की वजह से वे अल्लाह की विशेष रहमत के पात्र बन गये हैं और अल्लाह की इस रहमत में काफ़िर और अवज्ञाकारी शामिल नहीं हैं।

पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र और शियों के छठे इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से एक रिवायत है जिसमें आप फ़रमाते हैं

अल्लाह सबका पालनहार है रहमान अल्लाह की वह सिफ़त व विशेषता है जिसमें उसके सभी मख़लूक़ात शामिल हैं और रहीम अल्लाह की वह सिफ़त है जो मोमिनों से विशेष है।

रहमते एलाही के ख़त्म होने के कारण

अल्लाह की रहमत के विस्तृत होने की वजह से उसके दो प्रकार हैं एक रहमत आम और दूसरे रहमत ख़ास और दोनों का अर्थ भी हमने बयान कर दिया और कोई भी इंसान सूक्ष्म रूप से यह नहीं जानता है कि अल्लाह की रहमत कब इंसान से ले ली जायेगी और कब नहीं ली जायेगी विशेषकर अल्लाह की रहमते आम। यह रहमत बहुत ही विस्तृत है इसमें मोमिन, काफिर और अल्लाह के दुश्मन सब उसकी नेअमत से लाभ उठा रहे हैं। तो इसका सारांश यह निकला कि सही व सूक्ष्म रूप से यह बता पाना संभव नहीं है कि अल्लाह की यह रहमत कब ले ली जायेगी।

इस संबंध में कुछ रिवायतें इस बात की सूचक हैं कि कुछ परिस्थितियों में अल्लाह की रहमत का खत्म होना या इंसान से छीन लिया जाना संभव है। मिसाल के तौर पर इस्लामी रिवायतों में है कि लोगों पर रहम न करना अल्लाह की रहमत के ख़त्म होने का कारण बनता है। من        لا يرحم الناس لا يرحمه الله:

यानी जो लोगों पर रहम नहीं करेगा अल्लाह उस पर रहम नहीं करेगा। जानवरों और दूसरी मखलूक़ात के बारे में भी यही बात कही गयी है।

यह बात अल्लाह की आम रहमत के संबंध में थी। अल्लाह की रहमते ख़ास और विशेष रहमत केवल मोमिनों और उसके नेक बंदों को मिलेगी।

सीधी सी बात है कि जब तक इंसान ईमानदार, अहले तक़वा और नेक रहेगा तब तक अल्लाह की ख़ास रहमत उसके शामिले हाल होगी और जो चीज़ ईमान और इंसान के अंदर से तक़वा के ख़त्म होने का कारण बनेगी वह अल्लाह की विशेष रहमत के खत्म होने का कारण भी बनेगी। अलबत्ता इसके लिए कुछ शर्तें भी हैं जिसके लिए अधिक सूक्ष्मता की ज़रूरत है।

स्रोतः अल्लाह की रहमत, इंसान से रहमत के ख़त्म होने का कारण, वीकी सवाल साइट, नहजुल बलाग़ा,( ख़ुत्बे, नामें, और इमाम अली अलैहिस्सलाम की बातें) सैयद रज़ी।

सेंटर फॉर ऑब्जेक्टिव स्टडीज ऑफ इंडिया (मरकज़े मुतालियात आईनी हिंद) की ओर से ईरान के राष्ट्रपति और उनके सहयोगियों की शहदत पर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई को शोक संदेश भेजा हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सेंटर फॉर ऑब्जेक्टिव स्टडीज ऑफ इंडिया (मरकज़े मुतालियात आईनी हिंद) की ओर से ईरान के राष्ट्रपति और उनके सहयोगियों की शहदत पर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई को शोक संदेश भेजा हैं।

शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:

सलाम अलैकुम:

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन

अल्लाह तआला से दुआ करता हूं कि आप खैर व अफियत से होंगे।

मैं इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज से मरहूम राष्ट्रपति हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद इब्राहीम रईसी, तबरीज़ के मरहूम इमामे जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन आले हाशिम, मरहूम विदेश मंत्री जनाब डॉक्टर हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान, पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत के मरहूम गवर्नर जनाब डॉक्टर मालिक रहमती, राष्ट्रपति की सुरक्षा टीम के प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल सैयद महदी मूसवी और हेलीकॉप्टर के क्रू मेंबर को श्रद्धांजलि पेश करता हूं।

भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध थे जो दोनों देशों के लोगों को एक साथ रखते थे और हमें यकीन है कि यह जारी रहेगा।

हम भाईचारे वाले संबंधों को ध्यान में रखते हुए, इस महत्वपूर्ण समय में इस्लामी गणतंत्र ईरान की सरकार और उसके लोगों के प्रति अपनी सहानुभूति और एकजुटता व्यक्त करते हैं।

हम ऐनी इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडीज की ओर से मरहूमीन के लिए दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला उनकी मग़फिरत करें और परिवार वालों को सब पता करें।

हम इस्लामी गणतंत्र ईरान के लोगों के साथ भागीदार हैं और परिवार के सदस्य के रूप में, हम इस कठिन समय में ईरान के बहादुर लोगों के साथ खड़े हैं।

अल्लाह ताला से दुआ करते हैं कि इस पद के लिए एक अच्छा उत्तर अधिकारी आता करें जो देश को प्रगति और समृद्धि की नई ऊंचाइयों पर ले जा सके।

धन्यवाद

डॉ. मुहम्मद मंज़ूर आलम, नई दिल्ली, इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज़ के मुख्य और राजदूत:

 

 

 

 

इस्लामिक क्रांति के सर्वोच्च नेता ने लेबनान में हिजबुल्लाह के प्रमुख की मां के निधन पर शोक व्यक्त किया है.

इस्लामिक क्रांति के नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के कार्यालय के अनुसार, लेबनान में हिजबुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नसरल्लाह को एक शोक संदेश में उन की मां माजदा की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया। और कहा कि महानता के लिए यह पर्याप्त है कि प्रतिरोध के लोग, सैय्यद हसन नसरुल्लाह, इस शुद्ध आलिंगन से बढ़ें, भगवान की दया और क्षमा उन पर हो, और भगवान का आशीर्वाद और शांति आप पर और प्रतिरोध के महान मुजाहिदीन पर हो .

हिजबुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरल्लाह की मां मृत्यु शनिवार को हुई।

सऊदी अरब में राजनैतिक दमन के खिलाफ आवाज़ उठाना क़तीफ के चार जवानों को भारी पड़ा और उन्हें सऊदी तानाशाही ने लंबी अवधि के लिए कारावास की सज़ा सुनाई है।

यूरोपीय-सऊदी मानवाधिकार संगठन के डिप्टी ने घोषणा की है कि रियाज़ आपराधिक न्यायालय ने अपनी राय व्यक्त करने के लिए क़तीफ के 4 नागरिकों को जेल की सजा सुनाई है।

यूरोपीय-सऊदी मानवाधिकार संगठन के डिप्टी "आदिल अस-सईद" ने खबर देते हुए कहा कि रियाज़ की विशेष आपराधिक अदालत ने क़तीफ़ (पूर्वी अरब) के 4 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को कुल 103 साल जेल की सज़ा सुनाई है।

इस मानवाधिकार कार्यकर्ता के अनुसार, "खिज़र अल-अवामी" को 25 साल, "अली जासिब अत-ताहिफा" को 27 साल, शेख "अब्बास अस-सईद" को 27 साल और "हुसैन अल-जायद" को भी 24 साल जेल की सज़ा सुनाई गई है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मानवाधिकार कार्यकर्ता अली जासिब अत-ताहिफा को 2012 से 2018 तक भी 6 साल के लिए सऊदी सरकार ने जेल में डाला था उसके बाद 2022 में भी उन्हें उनकी दुकान से गिरफ्तार किया गया था।

 

सरकारी प्रवक्ता ने कहा: शहीद सैयद इब्राहीम रईसी खुद को सरबाज़-ए-विलायत कहते थे और हमेशा खुद को सर्वोच्च नेता का सिपाही कहते थे।

सरकार के प्रवक्ता अली बहादुर जहरमी ने शहीद राष्ट्रपति के व्यक्तित्व का वर्णन करते हुए कहा: "हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन रईसी बहुत व्यस्त जीवन के मालिक थे। वह अक्सर देश की सेवा में यात्रा करते थे और वह अपनी पूरी टीम को देश की सेवा में व्यस्त रखते थे।

उन्होंने कहा: शहीद रईसी की कार्यप्रणाली ऐसी थी मानो उन्होंने कहा हो, "मैं इन सभी मामलो मे सबसे आगे हूं और आप सभी को मुझ तक पहुंचना होगा।"

बहादुर जहरमी ने कहा: आमतौर पर, जब विभिन्न बैठकों मे परियोजनाओं की तारीखों की घोषणा की जाती थी, तो हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रईसी हमेशा इन तारीखों के बारे मे अधिकारियों से चर्चा करते थे, आप इस तारीख की घोषणा क्यों कर रहे हैं? यह कार्य अगले वर्ष क्यो करे? फिर वह उन्हें तरह-तरह के तर्क देकर मजबूर करता कि काम दो महीने मे नहीं, बल्कि दो हफ्ते में पूरा हो जाना चाहिए।

उन्होंने कहा: हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन रईसी हमेशा खुद को सरबाज़-ए-विलायत कहते थे और खुद को सर्वोच्च नेता का सिपाही कहते थे। उनका कहना था कि यदि सर्वोच्च नेता के फ़रमान को अपने मामलो मे ठीक से करे तो आर्थिक समस्याओ सहित सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है।

अवैध राष्ट्र  इस्राईल की ज़ायोनी सेना ने एक बार फिर फिलिस्तीनियों का सामूहिक क़त्ले आम करते हुए

ग़ज़्ज़ा पट्टी के दक्षिण में स्थित रफ़ह शहर के उत्तर-पश्चिम में फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के तंबुओं पर बर्बर हवाई हमले किये जिस में कम से कम 40 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार इन हमलों में अभी तक 40 लोग मारे जा चुके हैं जबकि अभी भी मलबे के नीचे अन्य लोगों के दबे होने की आशंका है जिनकी खोज बीन जारी है।

यमन सरकार और अतिक्रमणकारी गठबंधन के खिलाफ यमन की स्वाधीनता की जंग लड़ रहे अंसारुल्लाह जनांदोलन ने रविवार को देश में लंबे समय से चल रहे संघर्ष में बंधक बनाए गए 113 लोगों को मुक्त कर दिया है।

 यमन के युद्धरत पक्षों की तरफ से पिछले साल अप्रैल में देश में बड़े आदान-प्रदान में 800 से अधिक कैदियों को मुक्त करने के एक साल से अधिक समय बाद यह एकतरफा रिहाई हुई। रेड क्रॉस ने कहा, अंसारुल्लाह के समर्थन वाली यमन सरकार ने राजधानी सनआ में रविवार सुबह 113 कैदियों की रिहाई पर मोहर लगाते हुए उन आज़ाद कर दिया। रिहा किए गए बंदियों से रेड क्रॉस के सदस्यों ने मुलाकात की थी और यमन की राजधानी में हिरासत में रहते हुए उनकी मदद भी की थी। संगठन के प्रमुख डैफनी मारेट ने कहा, इससे आगे चलकर अन्य बंदियों की रिहाई का मार्ग भी निकलेगा।

 

 

भारतीय आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल बढ़ाने पर राजनीतिक हलकों में बहस शुरू हो गई है। राजनेताओं का कहा है कि सत्ताधारी भाजपा सेना के राजनीतिकरण करने पर तुली हुई है। सत्ताधारी पार्टी को सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए।

एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को थलसेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि चुनाव के बीच में थलसेना अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत नहीं थी। ओवैसी ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि सत्ताधारी पार्टी को सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए।

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के कार्यकाल को एक महीना बढ़ा दिया गया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने रविवार को जनरल पांडे के सेवा विस्तार को मंजूरी दी है। विस्तार के बाद जनरल पांडे 30 जून तक सेना के अध्यक्ष रहेंगे।

  ओवैसी ने लिखा कि 'केंद्र सरकार को पहले से ही जनरल मनोज पांडे की सेवानिवृत्ति की तारीख पता होगी, ऐसे में सरकार को पहले ही नए थलसेना प्रमुख की नियुक्ति कर देनी चाहिए थी।'

 'सत्ताधारी पार्टी को हमारे सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए, लेकिन बीते एक दशक में हमने देखा है कि मोदी सरकार में हमारे सैनिकों को चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया। हमने देखा कि चीन की सीमा पर हमारे सैनिक पेट्रोलिंग नहीं कर पा रहे हैं।'

 'जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल सिर्फ एक महीने के लिए बढ़ाया गया है, मतलब ये एक अस्थायी उपाय है, इससे सरकार में प्रशासन की साफ कमी दिखती है। अगर ये अक्षमता नहीं है तो इसमें कोई साजिश भी हो सकती है।'

 

पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों पर चक्रवाती तूफान रेमल का कहर दिखाई देने लगा है। लैंडफॉल की प्रक्रिया आधी रात से शुरू हो चुकी है। इस दौरान समुद्र में चक्रवाती तूफान की अधिकतम रफ्तार 135 किमी प्रतिघंटा दर्ज की गई। इसके प्रभाव से पश्चिम बंगाल में भारी तबाही और बर्बादी देखने को मिल रही है।

इस चक्रवाती तूफान का असर बीरभूम, पूर्वी बर्धमान, नदिया, पूर्वी मेदिनीपुर, बांकुड़ा, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना, कोलकाता, बिधाननगर के अलग-अलग इलाकों में देखने को मिल रहा है। यहां तेज बारिश शुरू हो गई है।

कोलकाता के शेक्सपियर सारणी और कैमक एसटी में सड़कें जलमग्न हो गई हैं। कोलकाता पुलिस, कोलकाता नगर निगम के साथ मिलकर यात्रियों के लिए सड़कों से उखड़े हुए पेड़ों को हटा रही है।

आईएमडी की जानकारी के अनुसार बांग्लादेश और उससे सटे पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में लैंडस्लाइड की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह प्रक्रिया अगले कई घंटे तक जारी रह सकती है।