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भाजपा सरकार ओबीसी से मुस्लिम कोटा खत्म करने को तैयार, योगी का ऐलान
लोकसभा चुनाव के बीच मुस्लिम समुदाय पर लगातार हमलावर भाजपा ने अब अपनी राज्य सरकारों के माध्यम से मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना शुरू भी कर दिया है। इस दिशा में क़दम उठाते हुए भाजपा की राजस्थान सरकार ने ओबीसी से मुस्लिम कोटा खत्म करने के सिलसिले में कड़े क़दम उठाने की खबर दी है।
इस बार के लोकसभा चुनाव में ओबीसी कोटे के तहत मुस्लिमों को दिए गए आरक्षण के फैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी मुखर नजर आ रही है। भाजपा के कई स्टार प्रचारक चुनावी रैलियों में ओबीसी कोटे से मुस्लिमों को आरक्षण देने के खिलाफ बयान दे चुके हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और राजस्थान की भजन लाल सरकार ने मुस्लिमों के ओबीसी आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला किया है।
राजस्थान सरकार ओबीसी कोटे में मुस्लिमों की 14 जातियों को आरक्षण पर राज्य सरकार चार जून के बाद समीक्षा पर विचार कर सकती है वहीँ यूपी में योगी सरकार ओबीसी कोटे में मुसलमानों को दिए जा रहे आरक्षण की समीक्षा कर सकती है।
मॉस्को इस्लामिक सेंटर में शहीद आयतुल्लाह रईसी का शोक समारोह
अहले बैत समाचार एजेंसी अबना की रिपोर्ट के अनुसार ईरान के दिवंगत लोकप्रिय राष्ट्रपति सय्यद इब्राहीम रईसी की याद में मॉस्को इस्लामिक सेंटर में शोक समारोह आयोजित किया गया।
यमन ने लाल सागर और भूमध्य सागर में तीन जहाज़ों को निशाना बनाया
फिलिस्तीन के समर्थन में ज़ायोनी साम्राज्यवादी गठजोड़ के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू करने वाले यमनी बलों के प्रवक्ता "याह्या सरीअ" ने अल-सबईन स्क्वायर पर लाखों लोगों के मार्च के दौरान लाल सागर, अरब और भूमध्य सागर में ज़ायोनी शासन से संबंधित तीन जहाजों के खिलाफ यमन सेना के तीन सैन्य अभियानों की खबर दी।
यमन सेना के बयान को पढ़ते हुए याह्या सरीअ ने कहा कि यमन की सशस्त्र सेना ने फिलिस्तीन के उत्पीड़ित लोगों के समर्थन के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैंड की आक्रामकता का जवाब देते हुए सय्यद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अल-हौसी के आदेश पर अमल करते हुए दुश्मन के तीन जहाजों के खिलाफ असाधारण ऑपरेशन किए।
पहले अभियान में यमनी सेना ने अरब सागर में ज़ायोनी जहाज "एमएससी एलेक्जेंड्रा" को कई बैलिस्टिक मिसाइलों से निशाना बनाया।
दूसरे अभियान में ग्रीक कंपनी "ईस्टर्न मेडिटेरेनियन मैरीटाइम" के "यानिस" जहाज को निशाना बनाया गया। इस जहाज़ को लाल सागर में उस वक़्त निशाना बनाया गया जब इस कंपनी के तीन जहाज़ों ने पहले भी मक़बूज़ा फिलिस्तीन के बंदरगाह तक माल आपूर्ति की।
तीसरे ऑपरेशन में भूमध्य सागर में ज़ायोनी जहाज़ "एसेक्स" (ESSEX) को बैलिस्टिक मिसाइलों से निशाना बनाया गया।
रूस की मदद के आरोप में ईरान पर ईयू ने लगाए प्रतिबंध
रूस और यूक्रेन संकट में यूक्रेन को भारी भरकम हथियार और सैन्य सहायता दे रहे यूरोपीय देशों ने रूस को ड्रोन देने के आरोप में ईरान पर कई प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
यूरोपियन संघ (ईयू) में शामिल देशों की सरकारें रूस को ड्रोन की आपूर्ति करने पर ईरान के रक्षा मंत्री मोहम्मद रजा आश्तियानी समेत नौ संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने पर सहमत हो गई हैं। ईयू राजनयिक ने बताया कि ईयू की सरकारों के राजदूतों के बीच हुए समझौते कोरीपर को सोमवार को ईयू के विदेश मंत्रियों की बैठक में समर्थन के बाद सार्वजनिक किया जाएगा।
ईयू में शामिल देशों की सरकारें रूस को ड्रोन की आपूर्ति करने पर ईरान के रक्षा मंत्री मोहम्मद रजा आश्तियानी समेत नौ संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने पर सहमत हो गई हैं। पश्चिमी देशों का कहना है कि रूस ईरान से मिलने वाले ड्रोन का उपयोग यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय में शहीद इब्राहिम रईसी की याद मनाई गई
इस्लामिक सहयोग संगठन के प्रतिनिधियों ने ईरानी राष्ट्रपति शहीद इब्राहिम रईसी और उनके सहयोगियों के सम्मान में एक सभा का आयोजन करके खेराजे हकीदत पेश किया।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक सहयोग संगठन के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में ईरानी राष्ट्रपति हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद इब्राहिम राईसी और ईरानी विदेश मंत्री को श्रद्धांजलि देने के लिए एक सभा का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र में इस्लामी गणतंत्र ईरान के राजदूत अली बहरैन ने कहा संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में ईरानी राष्ट्रपति शहीद राईसी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्लामी मूल्यों की रक्षा की कुरआन को उठाया और उसके बचाव में एक शक्तिशाली भाषण दिया।
उन्होंने मुसलमानों के बीच वैश्विक एकता के लिए शहीद राईसी के प्रयासों की ओर भी इशारा किया और कहा ईरान के राष्ट्रपति और दिवंगत विदेश मंत्री दोनों ने इस्लामी गणतंत्र ईरान की विदेश नीतियों के अनुसार इस्लामी दुनिया की एकता को और मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत की।
उन्होंने कहां,अमीर अब्दुल्लाहियन ने ईरान की सैद्धांतिक नीतियों का पालन करके इस्लामी गणतंत्र ईरान और इस्लामी देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए हर संभव कोशिश की और इस मामले में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा।
उन्होंने उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी लोगों के सभी अधिकारों को बहाल करने के लिए हर कूटनीतिक प्रयास किया फ़िलिस्तीन के दिवंगत मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियन को फ़िलिस्तीन की मुक्ति के लिए मुजाहिद के रूप में पेश किए जाने का अधिकार है।
शहीद राष्ट्रपति रईसी की मुख्य विशेषता उनकी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा थी
ख़ुर्रमाबाद, ईरान के इमाम जुमा ने कहा:आयतुल्लाह रईसी और उनके साथियों की शहादत के शोक में इन कुछ दिनों में लाखों लोगों की भागीदारी उनकी अपनी ईमानदारी के कारण थी।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ईरान के ख़ुर्रमाबाद के इमाम जुमा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन शाहरखी ने आयतुल्लाह रईसी और उनके साथियों की शहादत के अवसर पर इमाम सादिक मस्जिद में लुरिस्तान प्रांत के छात्रों और रईसों के साथ एक बैठक की , उन्होंने कहा: ईरानी राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर दुर्घटना की खबर सुनने के बाद, उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए लुरिस्तान प्रांत में दुआ और क्षमा सभाएं आयोजित की गईं और उनकी शहादत की खबर के बाद, दुखी लोग खोर्रमाबाद में अल ग़दीर मस्जिद में एकत्र हुए। ख़ुर्रमाबाद मस्जिद की तरह, प्रांत के अन्य शहरों की मस्जिदें भी शोक मनाने वालों से भरी थीं।
सूरह तोबा आयत 119 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा: हर मुसलमान की इच्छा इस्लामी शिक्षाओं और धार्मिक ज्ञान से भरा समाज बनाने की है। एक ऐसा समाज जो इस्लामी जीवन शैली, न्याय, आध्यात्मिकता, नैतिकता और इस्लामी शासन व्यवस्था के साथ विकास और प्रगति से परिपूर्ण हो।
खुर्रमाबाद के इमाम जुमा ने कहा: इस्लामी जीवन शैली को नियंत्रित करने वाले बुनियादी सिद्धांतों में से एक ईमानदारी है और केवल एक ईमानदार व्यक्ति ही इस सिद्धांत को लागू कर सकता है।
उन्होंने कहा: शहीद राष्ट्रपति की मुख्य विशेषता उनकी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा थी। इन शहीदों की शहादत से इस्लामी क्रांति के मजबूत वृक्ष को सींचा गया और ईश्वर ने चाहा तो यह इस्लामी व्यवस्था अपनी पूरी ताकत से अपने रास्ते पर चलती रहेगी।
मशहद मे राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी को दफनाया गया
ईरानी, राष्ट्रपति शहीद अयातुल्ला सैय्यद इब्राहिम रईसी की तबरीज़, क़ुम, तेहरान, बिरजंद और मशहद शहर में शव यात्रा निकालने के पश्चात इमाम रज़ा (अ) की कब्र की परिक्रमा के बाद दार अल इस्लाम स्थान पर दफनाया गया।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मशहद के लोगों ने इमाम रज़ा (अ) के ख़ादिम दिवंगत अयातुल्ला सैयद इब्राहिम रईसी को इमाम अली बिन मूसा अल-रज़ा (अ) के हरम में उनके शाश्वत विश्राम स्थल पर ले जाया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, मशहद में मृतक के अंतिम संस्कार के बाद ईरानी राष्ट्रपति शहीद आयतुल्लाह सैय्यद इब्राहिम रईसी (र) के शव को ज्वार इमाम रजा (अ) में दार अल-इस्लाम के स्थान पर दफनाया गया है।
अगर रईसी न होते तो आतंकवादी तेहरान में ख़ून की होली खेलते
राष्ट्रपति रईसी की शहादत पर आतंकवादियों के जश्न मनाने का एक कारण, उनके द्वारा एमकेओ के आतंकवादियों को कड़ी सज़ा देना है।
स्वर्गीय राष्ट्रपति रईसी और उनके साथियों की हेलिकॉप्टर में मौत से ईरानी राष्ट्र ग़म में डूब गया, जबकि आतंकवादियों और ईरान के दुशमनों ने इस पर जश्न मनाया।
राष्ट्रपति रईसी उस ज़माने में जज थे, जिन्होंने आतंकवादियों और देशद्रोहियों को सज़ा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से वह हमेशा दुशमनों और आतंकवादियों के निशाने पर रहे।
क्रांति से पहले ईरान में जो संगठन सक्रिय थे, उनमें से एक साज़माने मुजाहेदीने ख़ल्क़ या एमकेओ भी था, जो उन लोगों के लिए जाना पहचाना नाम है, जो ईरान के समकालीन राजनीतिक इतिहास से वाक़िफ़ हैं। यह ऐसा गुट है, जो हत्याओं, बम हमलों और आतंकवादी कार्यवाहियों के लिए मशहूर रहा है। वह भी ऐसे समय में जब ईरानी जनता इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में शाही शासन के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण और अहिंसक आंदोलन चला रही थी। ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद, जब लोगों ने इस गुट के अतिवादी विचारों को ठुकरा दिया, तो इस संगठन ने सत्ता पर क़ब्ज़ा करने के लिए हथियार उठा लिए।
संगठन के प्रमुख मसूद रजवी ने इस्लामी गणतंत्र ईरान से लड़ने के लिए कई चरण की योजना तैयार की।
पहले चरण में इस्लामी व्यवस्था के भविष्य के प्रति निराशा फैलाना थी, जिसके लिए नेताओं और अधिकारियों की हत्याएं की गईं।
यह चरण ईरानी कैलेंडर के मुताबिक़, 1360 से 1360 तक जारी रहा, जब इस्लामी गणतंत्र के अधिकारियों पर सबसे ज़्यादा आतंकवादी हमले हुए। जमहूरी इस्लामी पार्टी के मुख्यालय में एक बड़ा धमाका किया गया, जिसमें शहीद बहिश्ती समेत 70 से ज़्यादा नेता और अधिकारी शहीद हो गई। इस हमले को रजवी ने एक घातक हमला क़रार दिया था।
उसके बाद एमकेओ ने इमाम ख़ुमैनी के घर और दफ़्तर पर हमला करने की योजना बनाई, लेकिन उसकी यह कोशिश नाकाम हो गई। उसके बाद उसने राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री को निशाना बनाया और उन्हें शहीद कर दिया।
एमकेओ ने राजनेताओं की हत्याओं के अलावा, धार्मिक हस्तियों को भी निशाना बनाया और नमाज़ की हालत में 5 इमामे जुमा को शहीद किया।
अमरीकी समर्थन प्राप्त इस गुट का विश्लेण यह था कि संप्रभुता के पिरामिड के सिर पर प्रहार किया गया है और दूसरे चरण में ईरान में असुरक्षा और संकट पैदा करना होगा।
इस चरण में मसूद रजवी के आतंकवादी संगठन और उसके सदस्यों ने सड़कों और बाज़ारों में लोगों को बनाया। इसमें किराना विक्रेताओं और बेकरियों से लेकर महिलाओं और बच्चों तक के निशाना बनाया गया, जिसमें 3 साल की एक बच्ची लैला नूरबख़्श भी शामिल थी, जो आग में ज़िंदा जल गई थी।
ईरान की जनता के ख़िलाफ़ इस आतंकवादी संगठन के अपराध यहीं ख़त्म नहीं हुए। जब अमरीका के समर्थन से इराक़ के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने ईरान पर हमला किया, तो एमकेओ के आतंकवादी सद्दाम के साथ खड़े हो गए और उन्होंने बासी शासन को व्यापक सेवाएं प्रदान कीं। उन्होंने ईरानी सैनिकों की वर्दी में ईरानी सशस्त्र बलों में भी घुसपैठ की और ईरानी सैनिकों की हत्याओं का प्रयास किया। इन आतंकवादियों ने सद्दाम का विरोध करने वाले इराक़ी कुर्दों को भी निशाना बनाया।
थोपे गए युद्ध के दौरान, उन्होंने कई ऑपरेशन किए और सीधे युद्ध क्षेत्र में प्रवेश किया। जैसे कि आफ़ताब या ख़ुरशीदे ताबन ऑपरेशन। इसमें लगभग 3500 लोग शहीद और घायल हुए और 508 ईरानी सैनिकों को क़ैदी बना लिया गया। मेरसाद ऑपरेशन में 977 लोगों को क़ैदी बनाया गया। इन आतंकवादियों ने बड़ी संख्या में ईरानी लोगों को शहीद किया और लोगों को ज़िंदा जलाने से लेकर ज़ख़्मियों के सिर काटने और अस्पतालों में आग लगाने जैसे जघन्य अपराध किए।
इसके अलावा, 1366 में मक्का में ईरानी हाजियों की शहाद में उनकी भूमिका का उल्लेख किया जा सकता है।
ऐसी स्थिति में अयातुल्ला रईसी, ईरान के लोगों की रक्षा करने और तेहरान में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के ख़िलाफ़ एक न्यायिक व्यक्ति के रूप में मैदान में आए।
एक ऐसा व्यक्ति जो न्यायिक संस्थानों में अपनी उपस्थिति के दौरान तेहरान में आतंकवादियों को दंड देने वाला बन गया और दृढ़ता और मज़बूती से खड़ा रहा, ताकि अमरीका द्वारा समर्थित आतंकवादी ईरान और तेहरान के लोगों का इससे अधिक जनसंहार नहीं कर सकें।
अब यहां यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि पश्चिम और उसका मीडिया राष्ट्रपति रईसी के कार्यों की प्रशंसा करने के बजाए, आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर उनकी छवि ख़राब करने और झूठ फैलाने और ऐतिहासिक तथ्यों पर पर्दा डालने की कोशिश क्यों कर रहा है? इससे पश्चिम को क्या लाभ पहुंच रहा है?
अमेरिका ने नेतन्याहू के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय अदालत के कार्यक्षेत्र पर सवाल उठाया
ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट की ओर से संभावित वारंट के खिलाफ प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। रॉयटर्स के अनुसार, हेग में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रियाओं के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है।
व्हाइट हाउस में अपने केन्याई समकक्ष के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस में बाइडन ने कहा कि हमने न्यायलय के सामने स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रख दिया है। हम साफ़ कह चुके हैं कि अमेरिका अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है।
बाइडन ने इस्राईल और नेतन्याहू का बचाव करते हुए कहा कि हमारी राय में, इस्राईल ने जो किया और हमास ने जो किया, उसके बीच कोई समानता नहीं है।
इस्राईली मीडिया में वायरल डॉक्टर्ड वीडियो पर हमास की प्रतिक्रियाः
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोधी आंदोलन हमास ने गुरुवार को एक बयान जारी करके बताया कि इस्राईली महिला क़ैदियों के बारे में सोशल मीडिया पर जो वीडियो क्लिप वायरल हो रही है, वह डॉक्टर्ड और फ़ेक है।
इस बयान में कहा गया हैः इस वक़्त इस तरह के वीडियो के जारी करने का मक़सद साहसी फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के प्रतिरोध को बदमान करना है, हालांकि इस तरह के झूठे प्रोपैगंडे की पहले भी कई बार पोल खुल चुकी है।
हमास का कहना है कि वीडियो में इस्राईली महिला सैनिकों को एक सैन्य अड्डे में देखा जा सकता है, जहां उन्हें ग़ज़ा के प्रतिरोधी गिरफ़्तार कर लेते हैं, हालांकि वे उस वक़्त वर्दी में नहीं हैं, क्योंकि ग़ज़ा के प्रतिरोधी संगठनों ने 7 अक्तूबर की सुबह ऑप्रेशन किया था, जो इस्राईल में छुट्टी का दिन था।
बयान में कहा गया है कि वीडियो में काफ़ी कांट-छांट की गई है और उसे इस तरह से एडिट किया गया है कि महिला सैनिकों के साथ ज़बरदस्ती के इस्राईल के झूठे दावे को सच्चा साबित किया जा सके।
वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि अंग्रेज़ी में अनुवाद में काफ़ी बदलाव किया गया है और लफ़ज़ों के साथ छेड़-छाड़ की गई है, जबकि ऐसे शब्द प्रतिरोधियों की ज़बान से कभी नहीं सुने जा सकते। अनुवाद में छेड़छाड़ से पता चलता है कि असली वीडियो के साथ क्या हाल किया गया होगा।
अल-मयादीन की रिपोर्ट के मुताबिक़, हमास का कहना है कि एक दो महिला सैनिकों के चेहरे या कपड़ों पर ख़ून के धब्बे, इस तरह के ऑप्रेशन में एक सामान्य सी बात है, जबकि इसमें किसी भी महिला सैनिक के साथ छेड़-छाड़ या उसका रेप नहीं किया गया है।
बयान में कहा गया है कि महिला सैनिकों के साथ प्रतिरोध के नैतिक सिद्धांतों के मुताबिक़ बर्ताव किया गया था और उनके साथ किसी तरह की हिंसा या उनका अपमान नहीं किया गया, जबकि वह ग़ज़ा की सीमा पर सैकड़ों शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की मौत का कारण बनीं।
आख़िर में उल्लेख किया गया कि क़ैदियों के आदान-प्रदान के वक़्त जितने भी वीडियो और फ़ोटो जारी किए गए हैं, उनमें देखा जा सकता है कि ग़ज़ा में क़ैदियों के साथ सम्मानजक बर्ताव किया गया, जबकि इस्राईल की जेलों में फ़िलिस्तीनी महिलाओं और पुरुषों को बर्बरता और अमानवीय यातनाओं का सामना करना पड़ता है।
इन दिनों इस्राईली मीडिया में एक वीडियो ख़ूब वायरल किया जा रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि फ़िलिस्तीनी लड़ाके पांच महिला सैनिकों को पकड़ ले जा रहे हैं। बुधवार को एक अमरीकी न्यूज़ एजेंसी ने भी 7 अक्तूबर को इस्राईली महिलाओं के साथ रेप के आरोपों को निराधार बताया था।
इस बारे में एसोशिएटेड प्रेस ने लिखाः जैसा कि इस्राईल ने सात अक्तूबर के ऑप्रेशन के दौरान महिलाओं के साथ रेप के आरोप लगाए थे और उसका जमकर प्रचार किया था, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।