
رضوی
डॉ. इब्राहीम रईसी के शैक्षिक अतीत और किताबों पर एक नज़र
आयतुल्लाह रईसी ने उच्च धार्मिक पाठ्यक्रमों को बड़ी लगन से पढ़ते हुए धार्मिक शैक्षिक प्रणाली में उच्च स्थान प्राप्त किया जबकि न्यायशास्त्र (फ़ेक़्ह) और क़ानून में डॉक्टरेट तक की अपनी विश्वविद्यालय की पढ़ाई भी एक साथ पूरी की।
क़ुम के सर्वोच्च धार्मिक शिक्षा केन्द्र में आयतुल्लाह सैयद इब्राहीम रईसी ने आयतुल्लाह मरवी से उसूले फ़िक़्ह, आयतुल्लाह मिश्कीनी और आयतुल्लाह खज़अली से पवित्र क़ुरआन की तफ़सीर, आयतुल्लाह अहमद बहिश्ती से शरहे मंज़ूमा और फ़लसफ़ा और आयतुल्लाह मुतह्हरी से शेनाख़्त और आयतुल्लाह नूरी हमदानी से नहजुल बलाग़ा का पाठ हासिल किया जबकि धार्मिक शिक्षा केन्द्रों के अन्य प्रसिद्ध उस्तादों से शिक्षा हासिल की।
आयतुल्लाह सैयद इब्राहीम रईसी ने धार्मिक शिक्षा हासिल करते समय ही विश्वविद्यालय में एकेडमिक शिक्षा भी हासिल की और क़ानून के विषय में मास्टर डिग्री हासिल की और 1380 हिजरी शम्सी में अपने थीसेज़ तैयार करने के बाद उन्होंने डॉक्टरेट के इंट्रेंस एग्ज़ाम को अच्छे नंबरों से पास किया और न्यायशास्त्र (फ़िक़्ह) और निजी कानून में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए शहीद मुतह्हरी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया।
फ़िक़्ह और क़ानून के विषय में अपना शोध पूरा करके वह धार्मिक शिक्षा केन्द्र में उच्चतम स्तर की डिग्री (फ़ोर्थ ग्रेड) प्राप्त करने में सफल रहे और आख़िर में उन्होंने डाक्ट्रेट के थीसेज़ लिखे जिसका शीर्षक था (फ़िक़्ह और कानून में अस्ल और ज़ाहिर के बीच टकराव) और बेहतरीन नंबरों से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने में कामयाब रहे।
अपनी प्रमुख राष्ट्रीय ज़िम्मेदारियों के अलावा, छात्रों के साथ अपने शैक्षिक संबंध बनाए रखने के लिए आयतुल्लाह महदवी कनी और आयतुल्लाह हाज आग़ा मुजतबी तेहरानी की बारम्बार सलाह के अनुसार, 2001 से तेहरान में मज्द धार्मिक शिक्षा केन्द्र, अमीरल मोमिनीन, इमाम हुसैन धार्मिक शिक्षा केन्द्र और मरवी धार्मिक शिक्षा केन्द्रों में रसाएल और मकासिब पढ़ाते थे उसके बाद पवित्र मशहद के लिए रवाना होने के बाद, 2016 की शुरुआत में उन्होंने नव्वाब डिग्री कालेज में "फ़ेक़्हे वक्फ़" नामक विषय पढ़ाया।
आयतुल्लाह डॉ. रईसी ने इमाम सादिक विश्वविद्यालय, शहीद मुतह्हरी डिग्री कालेज और आज़ादे इस्लामी विश्वविद्यालय में मास्टर और डॉक्टरेट की क्लासों में फ़ेक़्हे क़ज़ा, फ़ेक़्हे इक़तेसाद, उसूले फ़ेक़्ह और नागरिक क़नून के विशेषों को पढ़ाया।
शैक्षिक अतीत:
क़ुम धार्मिक शिक्षा केन्द्र से फ़िक़्ह और उसूल का चौथा ग्रेड
शहीद मुतह्हरी डिग्री कालेज से क़ानून के विषय में पीएचडी
तेहरान धार्मिक शिक्षा केन्द्रों और विश्वविद्यालयों में फ़ेक़्हे क़ज़ा, फ़ेक़्हे इक़तेसाद और उच्च स्तरीय धर्मशास्त्र की किताबें पढ़ाना।
पुस्तकें:
फ़िक़्ह के नियमों की व्याख्या (न्यायिक हिस्सा)
फ़िक़्ह के नियमों की व्याख्या किताब (आर्थिक हिस्सा)
फ़िक़्ह के नियमों की व्याख्या पुस्तक (इबादत का हिस्सा)
फ़िक़्ह और क़ानून में उस विरासत का मामला जिसका कोई वारिस न हो।
फ़िक़्ह और क़ानून में अस्ल और ज़ाहिर में टकराव
फ़िक़्हे वक़्फ़
कुछ शैक्षिक भाषण:
ज़िम्मेदारी के अनेक कारण
बातिल बिक्री और उसके प्रकार
रेहेन (गिरवी) का अर्थ
कुशल प्रबंधन
प्रभावी पर्यवेक्षण
न्यायिक और आर्थिक निर्णयों का पारस्परिक प्रभाव
इस्लाम में पर्यवेक्षण और निरीक्षण का स्थान
न्याय और जीवनशैली पर इसका प्रभाव
और विश्वविद्यालयों और धार्मिक शैक्षिक केंद्रों और देश के मंत्रालयों और संगठनों के विशेष सेमिनारों में आर्थिक, प्रबंधकीय, सामाजिक और क़ानूनी विषयों पर दर्जनों शैक्षिक भाषण वग़ैरह
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाषण:
अफ़्रीक़ा में एडमिनिस्ट्रेटिव करप्शन शिखर सम्मेलन
अर्जेंटीना में संगठित अपराध विरोधी शिखर सम्मेलन
रूस के सोची में प्रशासनिक स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन
पाकिस्तान में मानवाधिकार शिखर सम्मेलन
सामाजिक परिवर्तनों में आशूरा की भूमिका पर शिखर सम्मेलन - इस्तांबुल, तुर्किये
मानवाधिकारों की रक्षा में संविधान की भूमिक पर सम्मेलन - नाइजीरिया
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग शिखर सम्मेलन - चीन
फिलीपींस में एंटी करप्शन शिखर सम्मेलन और एशिया के उप महानिरीक्षक के रूप में नियुक्ति
और विदेशी अधिकारियों की उपस्थिति में दर्जनों अन्य अहम बैठकें
शैक्षिक मैदान में स्थापना और गठन की गतिविधियां:
तेहरान (नस्र गली) में फ़ातेमा ज़हरा धार्मिक शिक्षा केन्द्र (लड़कियां) के संस्थापक
क़ुम धार्मिक शिक्षा केन्द्र की देखरेख में, इमाम हादी शिया समुदाय अध्ययन केंद्र के संस्थापक
अयातुल्ला इब्राहिम रायसी और उनके साथ शहीद हुए लोगों का अंतिम संस्कार आज
शहीद राष्ट्रपति अयातुल्ला इब्राहिम रायसी और उनके साथ हवाई दुर्घटना में शहीद हुए लोगों का अंतिम संस्कार आज अलग-अलग शहरों में हुआ, जबकि राष्ट्रपति रायसी का अंतिम संस्कार मशहद में किया जा रहा है.
हवाई दुर्घटना में शहीद हुए अयातुल्ला रायसी और उनके साथियों का भव्य और ऐतिहासिक अंतिम संस्कार और दफ़नाना आज, गुरुवार 23 जून को देश के विभिन्न शहरों में हुआ - इस दौरान प्रिय राष्ट्रपति देश के शहीद सद्र का अंतिम संस्कार आज सुबह दक्षिण खुरासान प्रांत के बिरजंद शहर में किया गया, जिसके बाद उन्हें हरम रिज़वी में दफनाने के लिए मशहद स्थानांतरित कर दिया गया, जहां वर्तमान में उनका अंतिम संस्कार हो रहा है।
इस दुखद घटना के बाद इन दिनों ईरानी लोग शोक में हैं और राष्ट्रपति की स्मृति और सेवाओं को जीवित रखने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में बैठकें आयोजित कर रहे हैं और एकजुटता और सहानुभूति की यह श्रृंखला तबरीज़ से मशहद तक फैली हुई है शहीद राष्ट्रपति और उनके साथियों को विदाई-
तबरीज़, क़ोम और तेहरान में ऐतिहासिक जुलूसों के बाद, अयातुल्ला सैय्यद इब्राहिम रायसी के शव को आज, 23 जून, गुरुवार को दफ़नाने के लिए मशहद ले जाया गया है। अयातुल्ला रायसी और उनके दो साथियों के अवशेषों को लेकर एक विमान आज सुबह बिरजंद के शहीद कावाह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा, जहां कई सरकारी अधिकारियों, प्रांतीय अधिकारियों, हस्तियों और मेहमानों ने उनके अवशेषों पर शोक व्यक्त किया
बिरजंद शहर में शहीद राष्ट्रपति अयातुल्ला सैय्यद इब्राहिम रायसी के अंतिम संस्कार में शोक संतप्त ईरानी लोगों ने अपनी भागीदारी से इतिहास रच दिया।
रिपोर्टों के अनुसार, बिरजुंड और आसपास के इलाकों के शोक संतप्त लोगों ने गुरुवार सुबह बिरजुंड में अंतिम संस्कार में अपनी बड़ी भागीदारी से एक बार फिर इस्लामी जमूरी प्रणाली और राष्ट्र और राष्ट्र के सेवकों के प्रति अपना हार्दिक और हार्दिक लगाव दिखाया।
इस रिपोर्ट के अनुसार, अंतिम संस्कार शुरू होने से बहुत पहले लाखों शोक मनाने वाले लोग सड़कों पर थे - रिपोर्टों से पता चला है कि तबरीज़, क़ोम और तेहरान के बाद, बिरजंद में शहीद राष्ट्रपति और उनके साथी शहीदों के अंतिम संस्कार में भी ईरानी लोगों के शोक मनाने वालों ने भाग लिया था। .भागीदारी अनुकरणीय एवं ऐतिहासिक रही।
इस बीच मशहद से हमारे संवाददाता ने खबर दी है कि शहीद राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कई विदेशी मेहमान भी मशहद पहुंचे हैं. मशहद से हमारे संवाददाता की रिपोर्ट के मुताबिक, शहीद राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान और सऊदी अरब के प्रतिनिधिमंडल मशहद पहुंच चुके हैं.
ईरान और आर्मेनिया की दोस्ती के विरोधी भी हैं, जिससे सावधान रहने की ज़रूरत है, सुप्रीम लीडर
आर्मेनिया के प्रधान मंत्री निकोल पाशिनियन ने बुधवार को इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर के साथ मुलाक़ात में अर्मेनियाई राष्ट्र और सरकार की ओर से ईरानी राष्ट्रपति और उनके साथियों की शहादत पर ईरानी राष्ट्र और सरकार के प्रति संवेदना और सहानुभूति जताई।
इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने आर्मेनिया के प्रधान मंत्री द्वारा व्यक्त की गई सहानुभूति की सराहना करते हुए ईरान और आर्मेनिया की ऐतिहासिक और भौगोलिक समानताओं और संयुक्त हितों की ओर इशारा किया और कहाः आर्मेनिया के साथ संबंधों का विस्तार करने की इस्लामी गणतंत्र ईरान की नीति मिस्टर मुख़बिर के मार्गदर्शन में जारी रहेगी।
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहाः सहयोग के विस्तार पर मेरा ज़ोर, संबंधों की रणनीतिक प्रकृति को दर्शाता है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि ईरान और आर्मेनिया की दोस्ती के विरोधी भी हैं, इसीलिए दोनों देशों को सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
उन्होंने कहाः हमारे स्वर्गीय राष्ट्रपति आर्मेनिया की सीमाओं से संबंधित मामलों के लेकर काफ़ी संवेदनशील थे, जिसका ध्यान रखे जाने की बहुत ज़रूरत है और हमें अपने हितों को ख़ुद सुरक्षित रखने में सक्षम होना चाहिए।
आर्मेनिया के प्रधान मंत्री निकोल पाशिनियन ने भी इस मुलाक़ात में कहाः हवाई हादसे में ईरानी राष्ट्रपति और उनके साथियों के निधन की ख़बर सुनकर हम स्तब्ध रह गए, लेकिन जैसा कि आपने कहा है, हम आश्वस्त हैं कि आपके नेतृत्व और मार्गदर्शन में ईरान के मामलों में कोई रुकावट उत्पन्न नहीं होगी।
ईश्वर की कृपा से इस्राईल ख़त्म हो जाएगा, सुप्रीम लीडर से हनिया की मुलाक़ात
हमास के प्रमुख इस्माईल हनिया ने बुधवार को ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर से मुलाक़ात में राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी और उनके साथियों की शहादत पर ईरानी राष्ट्र और सरकार के प्रति संवेदना और सहानुभूति जताई।
सुप्रीम लीडर ने इस मुलाक़ात में फ़िलिस्तीनी राष्ट्र विशेष रूप से ग़ज़ा के लोगों द्वारा सहानुभूति जताए जाने का शुक्रिया अदा किया और इस्माईल हनिया को भी उनके बच्चों की शहादत पर संवेदना प्रकट की और उनके सब्र और धैर्य का सराहना की।
दुनिया को आश्चर्यचकित करने वाले ग़ज़ा के लोगों के ग़ैर-मामूली प्रतिरोध का ज़िक्र करते हुए सुप्रीम लीडर ने कहाः कौन यक़ीन कर सकता था कि एक दिन अमरीकी यूनिवर्सिटियों में फ़िलिस्तीन के हक़ में नारे लगेंगे और फ़िलिसतीनी झंडा लहराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भविष्य में भी फ़िलिस्तीन के बारे में कुछ ऐसी घटनाएं घट सकती हैं कि जिन पर आज यक़ीन करना मुश्किल है।
सुप्रीम लीडर ने क़ुरान में हज़रत मूसा (अ) की मां से किए गए दो वादों का उल्लेख करते हुए कहाः फ़िलिस्तीनियों के लोगों के बारे में पहला वादा पूरा हो चुका है, यानी ग़ज़ा के लोग जो एक छोटा सा समूह है, बड़ी ताक़तों अमरीका, नाटो, ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों पर जीत हासिल कर चुका है। इसी आधार पर दूसरा वादा यानी ज़ायोनी शासन के विनाश का वादा भी पूरा होगा और समुद्र से लेकर नदी तक फ़िलिस्तीनी देश का गठन होगा।
उन्होंने कहाः देश के संविधान के मुताबिक़, मिस्टर मुख़बिर के हाथों में सत्ता है और वह फ़िलिस्तीन के बारे में शहीद राष्ट्रपति रईसी की नीतियों को उसी जज़्बे और जोश के साथ आगे बढ़ायेंगे।
इस मुलाक़ात में इस्माईल हनिया ने फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का मज़बूत समर्थन करने और हमेशा उसके साथ खड़ा रहने के लिए ईरानी राष्ट्र और सरकार की सराहना की और कहाः राष्ट्रपति रईसी फ़िलिस्तीनी राष्ट्र और प्रतिरोध के एक अच्छे दोस्त थे, विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने भी हर मंच पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ़िलिस्तीन का बचाव किया और मैं हमेशा उनसे कहता था कि आप प्रतिरोध के विदेश मंत्री हैं।
हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख ने ग़ज़ा की वर्तमान स्थिति के बारे में कहाः आज क्षेत्र और फ़िलिस्तीन में प्रतिरोधी मोर्चा सबसे अच्छी स्थिति में है, जबकि दुश्मन ज़ायोनी शासन बदतरीन स्थिति में है और यह ईश्वर की कृपा से है।
क़तर के शासक से मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर, क्षेत्रीय देशों के पास एक ही रास्ता सहयोग और सहृदयता है
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 22 मई 2024 की शाम को क़तर के शासक शैख़ तमीम बिन हमद बिन ख़लीफ़ा आले सानी और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में हालिया कटु घटना पर क़तर की संवेदना और हमदर्दी का शुक्रिया अदा करते हुए दोनों मुल्कों के तरक़्क़ी की राह पर चलते रहने पर बल दिया।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 22 मई 2024 की शाम को क़तर के शासक शैख़ तमीम बिन हमद बिन ख़लीफ़ा आले सानी और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में हालिया कटु घटना पर क़तर की संवेदना और हमदर्दी का शुक्रिया अदा करते हुए दोनों मुल्कों के तरक़्क़ी की राह पर चलते रहने पर बल दिया।
उन्होंने मरहूम राष्ट्रपति रईसी जैसी समग्र शख़्सियत के मालिक राष्ट्रपति को खो देने को कठिन मरहला बताया और कहा कि इसके बावजूद मुल्क के रुख़ में कोई बदलाव नहीं आएगा और ईरान-क़तर के बीच मोहब्बत और भरोसे का वही माहौल जो मरहूम राष्ट्रपति के दौर में था, जनाब मुख़बिर साहब की तरफ़ से भी बना रहेगा।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने क्षेत्र के हालात और इलाक़े की शांति व स्थिरता को तबाह करने की दुश्मनों की कोशिशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि क्षेत्र के मुल्कों के सामने सिर्फ़ एक ही रास्ता है और वह समरसता के साथ एक दूसरे के साथ चलना है।
इस मुलाक़ात में क़तर के शासक शैख़ तमीम बिन हमद आले सानी ने राष्ट्रपति और दुर्घटना का शिकार होने वाले दूसरे लोगों के निधन पर संवेदना जताते हुए कहा कि ईरान और क़तर के संबंध हमेशा मज़बूत रहे हैं और यह रास्ता जारी रहेगा।
उन्होंने क्षेत्र में मौजूद खतरों से निपटने का एकमात्र रास्ता क्षेत्रीय मुल्कों के बीच सहयोग व सामंजस्य को बताया और कहा कि हम ईरान के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में किसी भी सीमा को नहीं मानते।
तबरेज में शहीद आले हाशिम का अंतिम संस्कार और अलविदाई समारोह
शहीद हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन आले हाशिम की अंतिम संस्कार सुबह 9.30 बजे ईरानी समय आनुसार तबरेज़ में बड़ी संख्या में अधिकारियों और लोगों की उपस्थिति में हुई।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,शहीद हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन आले हाशिम की अंतिम संस्कार सुबह 9.30 बजे ईरानी समय आनुसार तबरेज़ में बड़ी संख्या में अधिकारियों और लोगों की उपस्थिति में हुई।
तशहीह जनाज़ा और नमाज़े जनाज़ा के बाद शहीद हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन आले हाशिम के शरीर को दफनाने के लिए वादीए रहमत तबरीज़ में ले जाया जाएगा और वादी रहमत तबरीज़ के गुलज़ारे शोहादा में दफनाया जाएगा
हम ईरानी राष्ट्र बशर अल-असद के साथ शोक मनाते हैं
इस्लामी गणतंत्र ईरान के अंतरिम राष्ट्रपति ने कहा है कि ईरान के शहीद राष्ट्रपति लोगों के प्रिय, दयालु और अथक प्रयास करने वाले व्यक्ति थे।
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ टेलीफोन पर बातचीत में ईरान के अंतरिम राष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर ने शहीद राष्ट्रपति और उनके साथियों और उस देश के प्रधान मंत्री और उनके साथियों की शहादत के लिए सीरिया में तीन दिनों के सामान्य शोक की घोषणा की। साथियों. उन्होंने अंतिम संस्कार में प्रतिनिधिमंडल की भागीदारी की भी सराहना की और कहा कि सीरिया ईरानी राष्ट्र का एक रणनीतिक भागीदार और स्थायी मित्र है.
मोहम्मद मोखबर ने कहा कि हालिया हवाई दुर्घटना में ईरानी राष्ट्र ने दो प्रभावशाली हस्तियों, राष्ट्रपति और विदेश मंत्री को खो दिया है, लेकिन ईरान की सभी संस्थाएं पहले की तरह ही अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हैं और इसका कारण इस्लामी संरचना है। ईरान गणराज्य मजबूत है और इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला आज़मी खामेनेई बुद्धिमान और बुद्धिमान नेतृत्व के प्रतीक हैं। मोहम्मद मोखबर ने इस बात पर भी जोर दिया कि ईरान की सरकार, अतीत की तरह, प्रतिरोध की धुरी, विशेष रूप से स्वतंत्र और स्वतंत्र देश सीरिया के लिए अपने पूर्ण और सर्वांगीण समर्थन के लिए प्रतिबद्ध है।
सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद ने भी ईरान की सरकार और लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और उनके प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि शहीद रायसी एक प्रभावशाली व्यक्ति थे और उनका नाम और स्मृति सीरिया के लोगों और सरकार के दिमाग में हमेशा जीवित रहना चाहिए। इच्छा
सीरिया के राष्ट्रपति ने कहा कि शहीद रायसी ने हमेशा अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से प्रतिरोध की धुरी और फिलिस्तीन के मुद्दे का समर्थन किया और दुनिया उन्हें याद रखेगी।
सीएनएन का आरोप, दुनिया को बेवक़ूफ़ बना रहा है मिस्र
ग़ज़्ज़ा में इस्राईल की ओर से जारी जनसंहार के बीच अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने मिस्र पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह दुनियाभर को बेवक़ूफ़ बना रहा है तथा हमास और इस्राईल के बीच हुए समझौते के प्रस्ताव की शर्तों को बदल दिया। इस प्रस्ताव में ज़ायोनी बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के साथ अस्थाई रूप से युद्ध को समाप्त करने की बात कही गई थी।
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका और कतर का मानना है कि इस्राईल के बाद हमास ने छह मई को जिस युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, वह प्रस्ताव इस्राईल के सामने पेश हुए प्रस्ताव से बिल्कुल अलग था। मिस्र के अधिकारियों द्वारा प्रस्ताव में किए गए बदलाव को पहले नहीं बताया गया था, इससे अमेरिका, कतर और ज़ायोनी शासन में गुस्से की लहर फैल गई।
एक सूत्र के मुताबिक़ ऐसा लगता है हम सब ठगे गए। मिस्र ने जब समझौते की शर्तों को बदला अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक बर्न्स उसी क्षेत्र में उपस्थित थे।
रिपोर्ट के मुताबिक़ मिस्र के वरिष्ठ खुफिया अधिकारी अहमद अब्दुल खालिक इन परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने इस समझौते को लेकर ज़ायोनी शासन को अलग बात बताई और हमास से कुछ और कहा।
नार्वे, आयरलैंड और स्पेन ने दी फिलिस्तीन को मान्यता
यूरोप के तीन देशों ने ऐतिहासिक और साहसी क़दम उठाते हुए ज़ायोनी सेना द्वारा चलाये जा रहे जनसंहार का सामना कर रहे फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का फैसला किया है जिसके बाद ज़ायोनी शासन भड़क गया है।
नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बुधवार को फिलिस्तीन को एक अलग देश के तौर पर मान्यता दे दी। ज़ायोनी शासन ने इस क़दम की कड़ी आलोचना की है जबकि फिलिस्तीन ने खुशी जताई है। इस्राईल ने नॉर्वे और आयरलैंड से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का आदेश दिया है। इस्राईल के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस कदम के गंभीर नतीजे होंगे। इससे तनाव बढ़ गया है।
नॉर्वे ने फिलिस्तीन को सबसे पहले अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता देने के फैसले की घोषणा की। नॉर्वे के पीएम जोनस गार स्तूर ने कहा, यदि फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी गई तो पश्चिम एशिया में शांति नहीं हो सकती। नॉर्वे 28 मई तक फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता दे देगा।
क़ुरआने मजीद का ज़ायोनी सेना ने किया अपमान, क़ुरआन के नुस्खे आग में डाले
फिलिस्तीन में जनसंहार करते हुए अब तक 37 हज़ार से अधिक बेगुनाह लोगों का क़त्ले आम कर चुकी ज़ायोनी सेना जहाँ सैंकड़ों मस्जिदों को शहीद कर चुकी है वहीँ अब ज़ायोनी सैनिक खुल्लम खुल्ला क़ुरआने मजीद के अपमान पर उतर आए हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि रफह में एक मस्जिद में ज़ायोनी सैनिक अपमान जनक हरकतें करते हुए क़ुरआने मजीद की प्रति को आग में डाल रहा है।
सोशल मीडिया पर यह वीडियो पोस्ट करते हुए एक यूज़र ने कहा कि यह सैनिक ज़ायोनी सेना की जफ़आती डिवीज़न का सदस्य है। क्या अब भी अरब और मुस्लिम देश इन अपराधियों से अपने रिश्ते सामान्य करेंगे और इन्हे एक देश के रूप में मान्यता देंगे ?