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अमेरिका ने यमन के लोकप्रिय जनांदोलन और यमन सेना की ताक़त का लौहा मानते हुए कहा कि यमनी बल भूमध्य सागर तक अपने लक्ष्यों को सफलता से भेदने में सक्षम हैं। ब्लूमबर्ग के अनुसार, नाम न बताने की शर्त पर एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी सरकार चिंतित है कि इस समूह के पास लाल सागर और अदन की खाड़ी से लेकर भूमध्य सागर तक जहाजों पर अपने अभियान को विस्तार देने की क्षमता है।

इस अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि हौसियों के पास अत्याधुनिक उन्नत हथियारों मौजूद है और उनके द्वारा जहाज-रोधी बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती अभूतपूर्व है।

ग़ौर तलब है कि यमनी बलों ने हाल ही में घोषणा की है कि वह ज़ायोनी शासन के साथ सहयोग करने वाले जहाजों पर अपने हमलों का दायरा बढ़ाते हुए पूर्वी भूमध्य सागर में दुश्मन के जहाज़ों को निशाना बनाएंगे।

 

हज 2024 हज हरियाणा के नूंह जिले की रहने वाली 99 वर्षीय बुजुर्ग महिला हज्जन असगरी और 98 वर्षीय चंद्री दिल्ली के आई,जी,आई एयरपोर्ट से रवाना हुईं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली/हज 2024 में भारत से हज करने वाले सभी तीर्थयात्रियों में सबसे बुजुर्ग महिलाएं दिल्ली के आई, जी की 99 वर्षीय हजान असगरी और 98 वर्षीय चंद्री हैं। मैं हवाई अड्डे से प्रस्थान किया।

देश और दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला हज यात्री को विदा करने और उनके यात्रा दस्तावेज पेश करने के लिए भारत सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के निदेशक और भारतीय हज समिति के सी, ई, ओ खुद हवाई अड्डे पर पहुंचे। डॉ. लियाकत अली अफाकी, आई, आर, एस मौजूद रहे।

हज की भावना और साहस की सराहना करते हुए, डॉ. अफ़ाकी ने शुभकामनाओं के साथ एक शॉल और गुलदस्ता भेंट किया और हज के दौरान पूर्ण स्वास्थ्य और सुरक्षा और सुरक्षित घर वापसी के लिए प्रार्थना की। उन्होंने हज्जन से अपील की कि वे भारतीयों की सुरक्षा, राष्ट्र के विकास और स्थिरता तथा शांति व्यवस्था के लिए प्रार्थना करें।

ज्ञात हो कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के संरक्षण एवं देखरेख एवं भारतीय हज समिति के नेतृत्व में अब तक 161 उड़ानों के माध्यम से 48,986 भारतीय तीर्थयात्री सुरक्षित सऊदी अरब पहुंच चुके हैं, जिनमें मदीना एवं 32,313 तीर्थयात्री शामिल हैं। मक्का में 16,673 मुकरमा में मौजूद हैं। इन तीर्थयात्रियों की मदद और मार्गदर्शन के लिए 241 हज सेवक भी सऊदी अरब पहुंचे हैं।

गौरतलब है कि भारत से कुल 1,75,025 तीर्थयात्रियों में से 1,40,020 तीर्थयात्री 8 मई से विभिन्न एयरलाइनों द्वारा मक्का और मदीना के लिए सभी यात्रा सुविधाओं के साथ यात्रा करेंगे संतोषजनक ढंग से. देश के 19 आरोहण बिंदुओं और राज्यों से भारतीय तीर्थयात्रियों की यात्रा 9 जून, 2024 तक जारी रहेगी।

भारतीय हज समिति के सी,ई,ओ. डॉ. लियाकत अली अफाकी, आईआर-एस ने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र देश है जिसके पास सऊदी अरब में हज रसोई की सुविधा है। लेकिन इसके दुरुपयोग और लापरवाही से निपटने से जबरदस्त नुकसान हो सकता है। डॉ. अफाकी ने सऊदी अरब पहुंचे सभी तीर्थयात्रियों और सऊदी अरब पहुंचने वाले लोगों से अपील की है कि वे सख्त जरूरत के समय उन स्थानों पर सावधानी से खाना पकाने की व्यवस्था करें जहां अनुमति दी गई है।

डॉ. अफाकी ने कहा कि सभी जानते हैं कि हज यात्रा अन्य यात्राओं की तुलना में कठिन होती है। सी, ई, ओ हज कमेटी ऑफ इंडिया ने कहा कि दूसरे देशों में हज किया जाता है, वहां के अलग-अलग नियम हैं, छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करें, अफवाहों और झूठे प्रचार में न आएं. कुछ लोग पुराने वीडियो शेयर कर आपको गुमराह करने और मूल मकसद से भटकाने की नाकाम कोशिश करते रहते हैं. आप सभी अपना पूरा ध्यान दें।

आर्मेनिया के प्रधान मंत्री निकोल पाशिनियन ने बुधवार को इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर के साथ मुलाक़ात में अर्मेनियाई राष्ट्र और सरकार की ओर से ईरानी राष्ट्रपति और उनके साथियों की शहादत पर ईरानी राष्ट्र और सरकार के प्रति संवेदना और सहानुभूति जताई।

इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने आर्मेनिया के प्रधान मंत्री द्वारा व्यक्त की गई सहानुभूति की सराहना करते हुए ईरान और आर्मेनिया की ऐतिहासिक और भौगोलिक समानताओं और संयुक्त हितों की ओर इशारा किया और कहाः आर्मेनिया के साथ संबंधों का विस्तार करने की इस्लामी गणतंत्र ईरान की नीति मिस्टर मुख़बिर के मार्गदर्शन में जारी रहेगी।

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहाः सहयोग के विस्तार पर मेरा ज़ोर, संबंधों की रणनीतिक प्रकृति को दर्शाता है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि ईरान और आर्मेनिया की दोस्ती के विरोधी भी हैं, इसीलिए दोनों देशों को सावधानी बरतने की ज़रूरत है।

उन्होंने कहाः हमारे स्वर्गीय राष्ट्रपति आर्मेनिया की सीमाओं से संबंधित मामलों के लेकर काफ़ी संवेदनशील थे, जिसका ध्यान रखे जाने की बहुत ज़रूरत है और हमें अपने हितों को ख़ुद सुरक्षित रखने में सक्षम होना चाहिए।

आर्मेनिया के प्रधान मंत्री निकोल पाशिनियन ने भी इस मुलाक़ात में कहाः हवाई हादसे में ईरानी राष्ट्रपति और उनके साथियों के निधन की ख़बर सुनकर हम स्तब्ध रह गए, लेकिन जैसा कि आपने कहा है, हम आश्वस्त हैं कि आपके नेतृत्व और मार्गदर्शन में ईरान के मामलों में कोई रुकावट उत्पन्न नहीं होगी।

अलजज़ीरा टीवी चैनल ने एक रिपोर्ट में कहा कि फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस फ़्रंट ने अपना बहुत बड़ा समर्थक ख़ास तौर पर इस बेहद संवेदनशील समय में खो दिया है।

अलजज़ीरा ने एक रिपोर्ट में इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी, विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान और उनके साथ दूसरे लोगों की हेलीकाप्टर क्रैश की दुर्घटना में शहादत का ज़िक्र करते हुए लिखा कि अल्लाह राष्ट्रपति रईसी, विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियान और इस हवाई दुर्घटना में मारे जाने वाले सभी लोगों की मग़फ़ेरत करे।

फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस ने अपना बहुत बड़ा समर्थक खो दिया वो भी आज के इस बेहद संवेदनशील समय में जब उसे ज़्यादा से ज़्यादा समर्थकों की ज़रूरत है। अलबत्ता इस घटना के बाद ईरान की सरकार ने बड़ी कुशलता से हालात का सामना किया। एक बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि देश के संचालन में किसी तरह की कोई रुकावट नहीं आएगी, ईरान बिना किसी थकन का एहसास किए हुए गौरव और सरबुलंदी के मार्ग पर आगे बढ़ता रहेगा।

अलजज़ीरा ने इस रिपोर्ट में आगे पड़ोसी देशों के साथ ईरान के रिश्तों की मज़बूती में सैयद इब्राहीम रईसी की भूमिका का जायज़ा लेते हुए लिखा कि श्री रईसी ने पड़ोसी देशों के साथ मतभेदों को दूर करने के लिए बड़ी मेहनत की और वो अरब देशों के साथ हर सतह पर रिश्तों को बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू करने वाले थे। उन्होंने सऊदी अरब से एतिहासिक संधि करके लंबे समय से चले आ रहे तनाव को समाप्त कर दिया। वो ओमान की मध्यस्थता से मिस्र के साथ संबंधों की बहाली की दिशा में आगे बढ़े। पिछले चार दशकों से इस देश के साथ ईरान के रिश्तों पर बर्फ़ जमी हुई थी।

राष्ट्रपति रईसी ने अलजीरिया से सहयोग का दायरा बढ़ाकर दरअस्ल अफ़्रीक़ा के साथ संबंधों के विस्तार का दरवाज़ा खोला। यह क़दम उन्होंने तब उठाया जब 2020 में इस्राईल मोरक्को से नार्मलाइज़ेशन समझौता करके अफ़्रीक़ा में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में था। अरब देशों ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और तुर्किए जैसे ग़ैर अरब पड़ोसी देशों से भी राष्ट्रपति रईसी के काल में संबंधों के विस्तार के लिए सफल कोशिशें हुईं।

अलजज़ीरा ने रिपोर्ट दी कि ईरान और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त सीमा पर आतंकी संगठनों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सफल कोशिशें कीं और दोनों देशों के संबंधों को तनाव से बचाने के लिए विदेश मंत्री दिवंगत अमीर अदुल्लाहियान ने पाकिस्तान का दौरा किया और तनाव की आशंका को दूर कर दिया।

क़तर के इस मीडिया आउटलेट ने ईरान और तुर्किए के संबंधों के विस्तार की ओर संकेत करते हुए लिखा कि ईरान पर अमरीका की पाबंदियों के बावजूद तुर्किए के साथ ईरान के आर्थिक लेनदेन में विस्तार हुआ। फ़िलिस्तीन के समर्थन के मसले में दोनों देशों के स्टैंड समन्वित थे। दोनों ने हमास के नेता इस्माईल हनीया की मेज़बानी की जिससे हमास को निशाना बनाने की अमरीका की कोशिशों पर पानी फिर गया।

रिपोर्ट के आख़िर में लिखा है कि आप ईरान के बारे में जो चाहे स्टैंड ले लीजिए लेकिन ज़रा इंसाफ़ से बताइए कि आज के संवेदनशील हालात में फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस के समर्थन में ईरान की आवाज़ से ज़्यादा ऊंची कोई आवाज़ सुनाई देती है। सत्य के राह के पथियों की अल्लाह मग़फ़ेरत फ़रमाए।

ईरान के राष्ट्रपति शाहिद आयतुल्लाह सय्यद इब्राहीम रईसी का जन्म दिसम्बर 1960 में पवित्र नगर मशहद शहर के नौग़ान मोहल्ले में एक धार्मिक परिवार में हुआ,उनके पिता हुज्जतुल इस्लाम सैयद हाजी रईस अलसदाती और उनकी मां सैयदा इस्मत ख़ुदादाद हुसैनी थीं और दोनों तरफ से ही वह पैग़म्बरे इस्लाम के वंशज हज़रत ज़ैद बिन अली बिन हुसैन अलैहिस्सलाम की नस्ल से थे।

ईरान के राष्ट्रपति शाहिद आयतुल्लाह सय्यद इब्राहीम रईसी को 1994 में ईरान के आम निरीक्षण संगठन के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और 10 साल बाद तक वह इस पद पर रहे।

सैयद इब्राहीम रईसी का देश के आम निरीक्षण संगठन का प्रबंधन काल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था क्योंकि उन्होंने अपने हासिल अनुभवों पर भरोसा करके प्रशासनिक संस्थानों को पूरी तरह बदल दिया और व्यवस्थित कर दिया।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी का जन्म दिसम्बर 1960 में पवित्र नगर मशहद शहर के नौग़ान मोहल्ले में एक धार्मिक परिवार में हुआ था।

 उनके पिता हुज्जतुल इस्लाम सैयद हाजी रईस अल-सदाती और उनकी मां सैयदा इस्मत ख़ुदादाद हुसैनी थीं और दोनों तरफ से ही वह पैग़म्बरे इस्लाम के वंशज हज़रत ज़ैद बिन अली बिन हुसैन अलैहिस्सलाम की नस्ल से थे।

सैयद रईसी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा जावदिया स्कूल से पूरी की और 1975 में वह अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए क़ुम के धार्मिक शिक्षा केन्द्र की ओर रवाना हो गये और कुछ समय तक उन्होंने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के रिश्तेदारों में से एक द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ना शुरु किया।

इमाम ख़ुमैनी के डिफ़ेंस में:

17 जून 1978 को पहलवी शाही शासन से संबद्ध दैनिक समाचार पत्र में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के अपमान और अमेरिका पर निर्भर इस शासन के खिलाफ लोकप्रिय आंदोलनों की शुरुआत हुई जिनमें मुख्य चेहरा सैयद रईसी का था। सैयद इब्राहीम रईसी क्रांतिकारी छात्रों में अहम रूप से सक्रिय थे।

इस अवधि के दौरान, सैयद इब्राहीम रईसी ने जेल से या निर्वासन में रिहा किए गए क्रांतिकारी विद्वानों के साथ संपर्क किया और अपनी प्रचार गतिविधियों को आगे बढ़ाया। तेहरान विश्वविद्यालय में विद्वानों और धर्मगुरुओं के धरने जैसी सभाओं में भी उन्होंने भाग लिया।

इस्लामी क्रांति:

इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद सैयद रईसी ने इस्लामी व्यवस्था की प्रबंधन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए स्टाफ़ तैयार करने और मार्क्सवादी विद्रोहों और मस्जिदे सुलेमान शहर में विभिन्न समस्याओं पर लगाम लगाने के एक विशेष प्रशिक्षण क्लास में भाग लिया।

मस्जिदे सुलेमान शहर से लौटने के बाद, उन्होंने शाहरूद शहर में शैक्षिक बैरक 02 के राजनीतिक-वैचारिक परिसर की स्थापना की और थोड़े समय के लिए इसका प्रबंधन ख़ुद अपने हाथ में ही रखा।

प्रबंधन क्षेत्र में सैयद रईसी का प्रवेश 1980 में शुरू हुआ जब वह तेहरान से लगे शहर करज के जिला अटॉर्नी के पद पर थे और कुछ समय बाद शहीद क़ुद्दूसी के आदेश से उन्हें करज के ज़िला अटॉर्नी के पद पर नियुक्त किया गया।

दो वर्ष बाद 1982 की गर्मियों में, सैयद इब्राहीम रईसी ने करज शहर अटार्नी जनरल की ज़िम्मेदारी संभालते हुए हमदान के अटार्नी जनरल का कार्यभार संभाल लिया और 1984 तक इस पद पर कार्यरत रहे।

1985  में सैयद रईसी को तेहरान की क्रांति के न्यायालय के डिप्टी एटार्नी जनरल के रूप में नियुक्त किया गया और इस तरह उनका न्यायिक प्रबंधन का दौर शुरू हुआ।

जटिल न्यायिक मामलों को सुलझाने में सैयद रईसी की सफलता के बाद, इमाम ख़ुमैनी रहमुल्लाह अलैह ने एक विशेष आर्डर के ज़रिए उन्हें और हुज्जतुल इस्लाम नैय्यरी को लुरिस्तान, किरमानशाह और सेमनान सहित कुछ प्रांतों में सामाजिक समस्याओं से निपटने का काम सौंपा।

फ़िक़्ह और क़ानून के विषय में अपना शोध पूरा करके वह धार्मिक शिक्षा केन्द्र में उच्चतम स्तर की डिग्री (फ़ोर्थ ग्रेड) प्राप्त करने में सफल रहे और आख़िर में उन्होंने डाक्ट्रेट के थीसेज़ लिखे जिसका शीर्षक था (फ़िक़्ह और कानून में अस्ल और ज़ाहिर के बीच टकराव) और बेहतरीन नंबरों से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने में कामयाब रहे।

एटार्नी जनरल सर:

1989  में इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की मृत्यु के बाद, सैयद इब्राहीम रईसी को तत्कालीन न्यायपालिका के प्रमुख के आदेश द्वारा तेहरान के एटार्नी जनरल के पद पर नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल पांच वर्ष तक चला।

सैयद रईसी को 1994 में ईरान के आम निरीक्षण संगठन के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और 10 साल तक वह इस पद पर रहे।

सैयद इब्राहीम रईसी का देश के आम निरीक्षण संगठन का प्रबंधन काल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था क्योंकि उन्होंने अपने हासिल अनुभवों पर भरोसा करके प्रशासनिक संस्थानों को पूरी तरह बदल दिया और व्यवस्थित कर दिया।

सैयद रईसी के कार्यकाल के दौरान देश के आम निरीक्षण संगठन को एक संतुलित संरचनात्मक विकास का सामना करना पड़ा और इसे इस्लामी गणतंत्र ईरान के पर्यवेक्षी स्तंभों में से एक के रूप में स्थापित किया गया था।

इस अवधि के दौरान ईरान की बहुत से प्रशासनिक और आर्थिक सिस्टम की कमियों का पता चला और देश की कुछ संस्थाओं में पाए जाने वाले भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने का रास्ता तैयार किया गया।

सैयद रईसी 2004 से 2014 तक ईरान की न्यायपालिका के फ़र्स्ट डिप्टी भी थे और 2014 से 2015 तक उन्होंने देश के अटॉर्नी जनरल के रूप में भी जनता की सेवाएं कीं।

सैयद इब्राहीम रईसी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई के आदेश से 2012 से 2021 तक धर्मगुरुओं के विशेष एटार्नी जनरल के पद पर भी रहे।

इसके अलावा, मार्च 2016 में, इमाम खामेनेई के आदेश से सैयद रईसी को तीन साल के लिए हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े का मुख्य मुतवल्ली और प्रभारी नियुक्त किया गया और इस अवधि के दौरान उन्होंने तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं की जमकर सेवाएं कीं और वंचितों की मदद के लिए बहुत सारे मूल्यवान कार्य किए।

न्यायपालिका प्रमुख से लेकर राष्ट्रपति पद तक:

7  मार्च, 2019 को, सैयद इब्राहीम रईसी को क्रांति के सर्वोच्च नेता द्वारा ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था।

सैयद रईसी के राष्ट्रपति काल के दौरान न्यायिक व्यवस्था में काफ़ी निखार आ गया और उन्होंने इस्लामी गणतंत्र ईरान की व्यवस्था में इस संस्था का स्तर बहुत ऊंचा उठा दिया।

सैयद रईसी ने क्षेत्रीय प्रबंधन और लोगों की न्यायिक समस्याओं का जल्द निरवारण, आर्थिक भ्रष्टाचारियों से निर्णायक और समझौता न करने, न्यायिक व्यवस्था में सुधार के दस्तावेज़ का मसौदा तैयार करने के साथ ईरान की न्यायिक व्यवस्था को आगे बढ़ावा देने की दिशा में गंभीर कदम उठाए यहां तक कि न्यायपालिका को और अधिक स्मार्ट बनाने की वजह से क्रांति के सर्वोच्च नेता ने तारीफ़ भी की और इससे जनता के दिलों में आशा पैदा करने वाला क़रार दिया था।

  2021 में, सैयद इब्राहीम रईसी ने राष्ट्रपति पद के 13वें चुनाव में भाग लिया और 18 जून 2021 को 18 मिलियन से अधिक वोटों से जीतकर देश के राष्ट्रपति बने।

इसके अलावा, राष्ट्रपति सैयद रईसी 1402 हिजरी शम्सी में गार्जियन काउंसिल के छठे कार्यकाल के चुनाव में 82.57 प्रतिशत वोटों से जीतकर तीसरी बार गार्जियन काउंसिल के प्रमुख बने।

 

ईरान के राष्ट्रपति आयतुल्लाह सय्यद इब्राहीम रईसी और उनके साथियों की शहादत पर ह़ज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने दुख व्यक्त करते हुए शोक संदेश जारी किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान के राष्ट्रपति आयतुल्लाह सय्यद इब्राहीम रईसी और उनके साथियों की शहादत पर ह़ज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने दुख व्यक्त करते हुए शोक संदेश जारी किया है।

शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:

بسم الله الرحمن الرحيم

(الَّذِينَ إِذَا أَصَابَتْهُم مُّصِيبَةٌ قَالُواْ إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ‌‎).

इस्लामी गणतंत्र ईरान में हमारे सम्मानित लोग, नेतृत्व और अवाम.हमने ईरानी राष्ट्रपति जनाब रईसी और उनके प्रतिनिधिमंडल की विमान दुर्घटना की दुखद घटनाओं पर बड़ी चिंता के साथ नज़र रखी। जिसके कारण वो और उनके सम्मानित साथी इस दर्दनाक घटना में बारगाहे ख़ुदावन्दी में मुन्तक़िल हो गए।

इस स्थिति में हम इमाम ज़माना अ.ज. इस्लामी गणतंत्र ईरान के नेतृत्व, ईरानी लोगों, विशेषकर उनके शोक संतप्त परिवारों की ख़िदमत में आदरणीय हुज्जतुल -इस्लाम वल-मुस्लिेमीन, सय्यद इब्राहिम रईसी , जिन्हें अल्लाह ने अपना जीवन ज्ञान की खोज और इमाम रज़ा अ.स. की सेवा और अपने बुद्धिमान नेतृत्व के माध्यम से ईरानी लोगों की सेवा में बिताने का अवसर दिया।

और जो लोग उनके साथ थे (अल्लाह सब से राज़ी हो ) उनके इन्तिक़ाल पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं और ताज़ियत पेश करते हैं।

हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि जो कुछ उन्होंने पेश किया है और जो कुछ उन पर पड़ा है।

उसे उनके लिए शिफ़ाअत करने वाला बनाए जिस दिन वे अपने रब के सामने इस अवस्था में उपस्थित होंगे कि वह उनसे राज़ी है।

हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि वह ईरानी लोगों को धैर्य और दृढ़ता प्रदान करे ताकि अल्लाह ने उन्हें जो परीक्षा दी है उसके कारण वे पहले से अधिक मजबूत हो जाएं उनके नेतृत्व में अपनी यात्रा जारी रखने के लिए, इंशा अल्लाह .

وإنَّا‎ ‎لِلّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعونَ ولا حول ولا قوة إلا بالله العلي العظيم

 

 

 

 

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनई ने बुधवार की सुबह तेहरान यूनिवर्सिटी में भारी संख्या में लोगों की उपस्थिति में सेवादार शहीदों राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी, विदेश मंत्री अमीर अबदुल्लाहियान, सुप्रीम लीडर के प्रतिनिधि आले हाशिम, ईस्ट आज़रबाइजान प्रोविंस के गवर्नर डा. रहमती, जनरल सैयद मेहदी मूसवी, पायलट सैयद ताहिर मुस्तफ़वी, इंजीनियर बहरूज़ क़दीमी और को-पायलट मोहसिन दरयानूश की नमाज़े जनाज़ा अदा की।

नमाज़े जनाज़ा अदा किए जाने के बाद, हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद होने वालों राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी, विदेश मंत्री अमीर अबदुल्लाहियान, सुप्रीम लीडर के प्रतिनिधि आले हाशिम, ईस्ट आज़रबाइजान प्रोविंस के गवर्नर डा. रहमती, जनरल सैयद मेहदी मूसवी, पायलट सैयद ताहिर मुस्तफ़वी, इंजीनियर बहरूज़ क़दीमी और को-पायलट मोहसिन दरयानूश की शव यात्रा तेहरान यूनिरवर्सिटी से आज़ादी स्क्वायर की ओर निकाली गई।

रविवार को राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी, विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान एक प्रतिनिधिमंडल के साथ ईरान और आज़रबाइजान की सीमा पर एक बांध की संयुक्त परियोजना का उद्घाटन करने पहुंचे थे, जहां से उन्होंने ईरान के ईस्ट आज़रबाइजान प्रोविंस की यात्रा की।

ईस्ट आज़रबाइजान से वापसी में राष्ट्रपति रईसी का हेलिकॉप्टर मौसम की ख़राबी की वजह से वरज़क़ान इलाक़े में हादसे का शिकार हो गया, जिसमें हेलिकॉप्टर पर सवार सभी यात्रियों की शहादत हो गई।

ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी और उनके साथियों की शहादत पर संवेदना प्रकट करने के लिए ईरान की यात्रा करने वाले इराक़ी प्रधान मंत्री मोहम्मद शीआ अल-सूदानी ने बुधवार को तेहरान में ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर से मुलाक़ात में उनके और ईरानी राष्ट्र के प्रति संवेदना व्यक्त की।

इस मुलाक़ात में इराक़ी पीएम ने कहाः मैं इस दुख की घड़ी में आपसे मुलाक़ात के लिए आया हूं, ताकि इराक़ी सरकार और राष्ट्र की तरफ़ से ईरानी सरकार और राष्ट्र के प्रति संवेदना और दुख व्यक्त कर सकूं। जितना भी हम शहीद राष्ट्रपति रईसी के बारे में जानते हैं, वह सच्चाई, ईमानदारी, सेवा और प्रयत्न का प्रतीक थे।

शहीदों की शव यात्रा में लाखों लोगों की उपस्थिति के संदर्भ में इराक़ी पीएम ने कहाः टीवी पर आज जो तस्वीरें मैंने देखीं, उसका स्पष्ट संदेश था। यह संदेश प्रतिबंधों और दबाव के बावजूद, इस्लामी गणतंत्र में अधिकारियों और जनता के बीच के मज़बूत रिश्ते पर आधारित है।

अल-सूदानी ने आगे कहाः शहीदों की शव यात्रा में लाखों लोगों की उपस्थिति का दूसरा संदेश यह है कि जनता की सेवा करनी चाहइए और यह विशाल शव यात्रा जनता की सेवा का नतीजा है और इराक़ में भी हमें इसे अपने लिए आदर्श बनाना चाहिए।

इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने संवेदना प्रकट करने के लिए इराक़ी पीएम की तेहारन यात्रा की सराहना करते हुए कहाः हमने एक ख़ास हस्ती को खोया है। राष्ट्रपति रईसी एक अच्छे भाई और क़ाबिल और सच्चे अधिकारी थे।

सुप्रीम लीडर का कहना थाः संविधान के मुताबिक़, अब मिस्टर मुख़बिर के कांधों पर भारी ज़िम्मेदारी है और भविष्य में भी इराक़ी सरकार के साथ सहयोग और दोस्ती जारी रहेगी।

जमीन से जुड़े घोटाले के मामले में धन शोधन के आरोपों का सामना कर रहे झारखंड के पूर्व सीएम

हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल रांची की बिरसा मुंडा जेल में न्यायिक हिरासत में रह रहे हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। यही नहीं उन्हें सुप्रीम कोर्ट से लगी फटकार के बाद अपनी अंतरिम ज़मानत याचिका भी वापस लेना पड़ी।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर राहत नहीं मिली। अदालत ने सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। दरअसल, सोरेन ने हाल ही में कोर्ट में याचिका दायर कर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर खुद के लिए जमानत मांगी थी।

शीर्ष अदालत ने सोरेन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। साथ ही सच को दबाने के लिए फटकार लगाई। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने इस तथ्य का खुलासा नहीं किया है कि ट्रायल कोर्ट ने मामले में आरोपपत्र का संज्ञान लिया है।

 

नॉर्वे ने ज़ायोनी सेना के जनसंहार और अतिक्रमण का सामना कर रहे फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता देना का फैसला किया है।

नॉर्वे के प्रधान मंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनका देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुरूप, 28 मई से फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देगा।

नॉर्वे के प्रधान मंत्री ने अपने भाषण में जोर देते हुए कहा कि फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता देना उन मध्य शक्तियों की मदद करने का एक साधन है जो इस लंबे संघर्ष में अपना प्रभाव खो चुकी हैं।

फिलिस्तीन संकट के समाधान के लिए दो राष्ट्र के गठन के समाधान के प्रति समर्थन जताते हुए, उन्होंने कहा कि हमारे इस क़दम का एक लक्ष्य एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र बनाना है जो राजनीतिक रूप से सुसंगत हो। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता से दो-राज्य समाधान को साकार करने के लिए बातचीत फिर से शुरू हो सकती है।