
رضوی
अमरीकी हिपोक्रेसी की इंतेहा
ग़ज़ा पट्टी में लगातार बेगुनाहों का क़त्ले आम हो रहा है लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइउन का कहना है कि इस्राईल की क़त्ल मशीन को अभी और समय दिया जाना चाहिए।
जो बाइडन ने न्यूयार्कर को इंटरव्यू देते हुए कहा कि मेरे विचार में इस्राईलियों को अभी और थोड़ा समय दिया जाना चाहिए।
बाइडन ने यह बयान तब दिया है जब ग़ज़ा पट्टी में इस्राईल के हाथों क़त्ल किए गए फ़िलिस्तीनियों की संख्या 30 हज़ार 500 से अधिक हो चुकी है।
बाइडन ने इस्राईल के हाथों फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार का बचाव करते हुए कहा कि ज़ायोनी नेतृत्व पर दबाव है कि हमास की हमले की हर क्षमता को पूरी तरह ख़त्म करे।
उन्होंने कहा कि मेरे विचार में अब ताक़त के इस्तेमाल में कमी आएगी।
जो बाइडन ने यह भी कहा कि हम नहीं चाहते कि कोई भी फ़िलिस्तीनी क़त्ल किया जाए।
फ़िलिस्तीन को लेकर अमरीका की रणनीति का यही दोग़लापन है कि वह एक तरफ़ फ़िलिस्तीनियों के क़त्ले आम पर अपने चिंतित होने की बात करता है लेकिन दूसरी तरफ़ इस्राईल की भरपूर सामरिक मदद कर रहा है कि वह फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ जनसंहार का सिलसिला जारी रख सके।
फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र सहायता एजेंसी की चेतावनी
फ़िलिस्तीनी शरणर्थियों की सहायता के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसी यूनएनआरडब्ल्यूए ने कहा है कि ग़ज़ा में बच्चों की अधिकतर मौतें खाने पीने की चीज़ों और मेडिकल सेवाओं के अभाव की वजह से हो रही हैं।
एजेंसी ने एक्स अकाउंट पर अपनी एक पोस्ट में लिखा कि दुनिया की आंखों के सामने ग़ज़ा के बच्चे धीरे धीरे मरते जा रहे हैं।
यह बयान तब आया है कि जब उत्तरी ग़ज़ा पट्टी के कमाल अदवान अस्पताल में डीहाइड्रेशन और मालन्युट्रेशन से 15 बच्चों की मौत हो गई।
ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ़ अलक़िदरा ने इसी अस्पताल में छह अन्य बच्चीं की नाज़ुक हालत पर गहरी चिंता जताई है।
संयुक्त राष्ट्र संध की तरफ़ से यह चेतावनी भी दी जा चुकी है कि अगर मानवीय सहायता ग़ज़ा पट्टी में नहीं पहुंची तो त्रासदी और भी भयानक रूप लेती जाएगी।
थाईलैंड में फिलिस्तीन के समर्थन और इज़रायल के ज़ुल्म के खिलाफ रैली
थाईलैंड के चियांग माई में शहर के चौराहे पर इज़राइल के अपराधों के विरोध में और गाजा के उत्पीड़ित लोगों के समर्थन में एक विरोध रैली आयोजित की गई जहां रोजाना हजारों विदेशी पर्यटक यात्रा करते हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , रफ़ाह क्षेत्र पर ज़ायोनी ताकतों द्वारा एक और हमले की संभावना की घोषणा के साथ थाई और विदेशी शांति चाहने वालों के एक समूह ने इज़राइल के अपराधों और गाजा के उत्पीड़ित लोगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया गया,
चियांग माई शहर का सबसे पर्यटन चौराहा जो हजारों विदेशी पर्यटकों का दैनिक गंतव्य है। उन्होंने एक विरोध रैली आयोजित की प्रदर्शनकारियों के इस समूह ने इजराइल के अपराधों को रोकने की मांग की क्योंकि इस क्षेत्र पर दोबारा हमले से 15 से 20 लाख लोगों की जान खतरे में पड़ जाएगी।
इस सभा के वक्ताओं और आयोजकों में से एक, सुश्री एथन पुनयानुच, जो थाई यूनिवर्सिटी ऑफ़ पॉलिटिकल साइंस, थम्मासैट की छात्रा हैं, ने कहा,दुर्भाग्य से मीडिया और जिनके हाथों में शक्ति है वे समर्थन नहीं करना चाहते हैं।
फ़िलिस्तीन और उनका समर्थन करने के बजाय, उन्हें आतंकवादी करार देते हैं और अपनी ख़बरों में लिखने के बजाय बच्चों की हत्या, किशोरों की हत्या का उल्लेख करते हैं।
इस रैली में इस क्षेत्र से पिछले हमलों में ली गई इजरायली हमलों और अपराधों की तस्वीरों की एक प्रदर्शनी प्रदर्शित की गई थी और उपस्थित लोगों को इस रैली के आयोजकों के स्पष्टीकरण के माध्यम से ज़ायोनी शासन के अपराधों की गहराई का पता चल सके।
क़ुम के हौज़ा इल्मिया का अपमान असहनीय है, मौलाना मसरूर अब्बास अंसारी
श्रीनगर जम्मू-कश्मीर इत्तेहाद मुस्लेमीन के अध्यक्ष और प्रमुख धार्मिक विद्वान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना मसरूर अब्बास अंसारी ने गुंड हासी बट श्रीनगर में एक सभा को संबोधित करते हुए हसन अल्लाहियारी के प्रलोभन से सावधान रहने की सलाह दी है।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीनगर जम्मू-कश्मीर इत्तेहाद मुस्लेमीन के अध्यक्ष और प्रमुख धार्मिक विद्वान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना मसरूर अब्बास अंसारी ने गुंड हासी बट श्रीनगर में एक सभा को संबोधित करते हुए हसन अल्लाहियारी के प्रलोभन से सावधान रहने की सलाह दी है।
अपने संबोधन में उन्होंने साम्राज्यवादी सोना-ख़रीद एजेंट हसन अल्लाहियारी के उस बयान की कड़ी निंदा की, जिसमें उन्होंने दुनिया की अग्रणी इस्लामिक यूनिवर्सिटी हौज़ा इल्मिया क़ुम और उसके स्नातकों का अपमान किया था।
उन्होंने हसन अल्लाहियारी जैसे उद्दंड विलायत और मरजियत को सामाजिक अभिशाप बताया और इस शैतान पर अंकुश लगाने के लिए एकजुट होकर कदम उठाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि हसन अल्लाहरी साम्राज्यवादी भाड़े का एजेंट है, जिसका प्रलोभन एक बार फिर सिर उठा चुका है। कथित तौर पर अल्लाहियारी को मुस्लिम उम्मा को विभाजित करने और आपसी एकता और भाईचारे को तोड़ने के मिशन पर रखा गया है, जिसके लिए यह भयावह व्यक्ति तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है।
मौलाना ने कहा कि मुस्लिम उम्माह, विशेषकर शिया राष्ट्र ने हमेशा अपनी परिपक्व दृष्टि और बौद्धिक ऊर्जा से ऐसे प्रचार को विफल किया है और अब वे एकजुट होकर इस प्रलोभन को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे।
मौलाना मसरूर ने कहा कि हौज़ा इल्मिया क़ुम ने अब तक हजारों विद्वानों को शिक्षित किया है और ऐसे मुजतहिदों का पोषण किया है जिनसे इस्लाम नाबे मुहम्मदी (स) बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि इस महान विश्वविद्यालय, मुजतहिदीन और हक के विद्वानों के खिलाफ किसी भी कुख्यात व्यक्ति की खराब भाषा, अपमान और गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मौलाना ने पूरी मुस्लिम उम्मत को संबोधित करते हुए कहा कि मुस्लिम उम्मा को अल्लाहियारी के प्रलोभन से सावधान रहना चाहिए और इस बदमाश और गुस्ताखी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की मांग करनी चाहिए।
अनमोल बातें - 1
कुछ बातें एसी होती हैं जो दिल में उतर जाती हैं और इंसान को सोचने का नया बयाम देती हैं।
महापुरुषों के कथनों की यही विशेषता है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि इंसान में तीन हालतें एसी होती हैं जिनमें सारी नेकियों एकत्रित होती हैं। यह तीन हालतें क्या हैं? निगाह, मौन और बोली। पहली चीज़ है निगाह इंसान अपने आसपास की चीज़ों, इंसानों, बर्ताव तथा ईश्वर की पैदा की गई चीज़ों को देखता है। हम सभी अपने जीवन में कुछ चीज़ों को देखते हैं।
दूसरी चीज़ है मौन। कुछ हालतें एसी होती हैं जिनमें हम ख़ामोश रहते हैं। तीसरी चीज़ है बोली। कभी कभी हम बोलते हैं। यह तीन हालतें हमारे यहां होती हैं और हम इन तीनों हालतों में सारी नेकियों को एकत्रित कर सकते हैं।
इन तीनों हालतों में यदि हम सर्तकता बरतें तो बड़ी नेकियां कर सकते हैं।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम कहते हैं कि सच्चे भाइयों की तलाश में रहो। सच्चे भाई अर्थात वह लोग जो तुम्हारे सच्चे मित्र और बंधु हैं। यह स्चची दोस्ती आम तौर पर ईमान और आस्था पर आधारित होती है। जब इंसान अपने किसी मोमिन भाई के साथ किसी चीज़ के बारे में समान आस्था और दृढ़ विश्वास रखता है तो यह बंधुत्व सच्चा बंधुत्व है। इसीलिए वह कहते हैं जहां तक हो से सच्चे भाइयों की तलाश में रहो। जो लोग ईमान और आस्था के आधार पर निष्ठापूर्ण तरीक़े से तुम्हारे साथ होते हैं, जब आराम और सुकून के हालात होंगे तो उस हालात में वह तुम्हारी पुंजी होंगे और यदि कठिनाई का समय होगा तो तुम्हारे मददगार होंगे। मुश्किल का समाना होने की स्थिति में वह इंसान की ढाल बन जाते हैं। यानी सच्चे भाई एक दूसरे की ढाल बनते हैं और इंसान मुसीबत से सुरक्षित रहता है।
अपनी देखभाल- 1
अपनी देख-भाल आप, स्वास्थ्य के मार्ग पर पहला क़दम है।
इसका अर्थ यह है कि हम यह सीखें कि हम स्वयं अपनी देख-भाल किस तरह कर सकते हैं और सुव्यवस्थित व्यायाम और मानसिक तैयारी के साथ अपने जीवन स्तर को किस तरह ऊंचा उठाएं। वास्तव में अपनी देख-भाल आप हमारी दिनचर्या का एक भाग है और यह विशेष देखभाल की विकल्प नहीं बल्कि उसकी पूरक है। दांत साफ़ करना, घर में हल्का फुल्का व्यायाम करना, सर्दी-ज़ुकाम होने पर दवा खाना, ये सब अपनी देख-भाल आप का ही भाग हैं।
अपनी देख-भाल आप की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लोग स्वास्थ्य संबंधी देख-भाल से सही ढंग से लाभ उठाने के लिए सही फ़ैसला करते हैं और व्यक्तिगत रूप से अपनी देख-भाल के उचित तरीक़े का चयन करके उस पर अमल करते हैं। अलबत्ता यह फ़ैसला दूसरों से परामर्श और विशेषज्ञों व अन्य लोगों की राय के आधार पर भी हो सकता है। इसी तरह अपनी देख-भाल आप का मतलब यह नहीं है कि हम केवल अपनी देख-भाल करें बल्कि इसमें संतान, पड़ोसी, मुहल्ले वाले, शहर वाले, साथ में काम करने वाले, मित्र यहां तक कि पर्यावरण भी शामिल है।
इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए अपने मन में एक पिरामिड को साक्षत कीजिए जिसके शीर्ष पर बीमारी होने की स्थिति में पहुंच के सबसे प्रथम स्रोत के रूप में अपनी देख-भाल आप है। अपने परिवार की देख-भाल इस पिरामिड का एक अन्य स्तंभ है जबकि विशेष व संगठित देख-भाल भी इसके अन्य स्तंभों में शामिल हैं। यह पिरामिड, अपनी देख-भाल के साथ ही परिवार और स्वास्थ्य केंद्रों के विशेषज्ञों की भूमिका को भली भांति दर्शाता है।
अपनी देख-भाल आप का एक व्यापक कार्यक्रम इस बात में सहायक है कि तनाव कम करने और जीवन स्तर बेहतर बनाने के लिए छोटे ही सही लेकिन उचित क़दम उठाए जाएं। अपनी देख-भाल आप का मतलब उन गतिविधियों या कामों को जारी रखना भी हो सकता है जो आपको अच्छे लगते हैं उदाहरण स्वरूप पेड़-पौधे लगाना, दोस्तों व रिश्तेदारों से मिलने जाना या कोई विशेष काम करना। दूसरे शब्दों में अपनी देख-भाल आप का मतलब उस क्षमता या रुझान पर ध्यान देना है जिसमें आप रुचि रखते हैं, वह काम नहीं जो आपके बस ही में नहीं है। अपनी देख-भाल आप के माध्यम से लोग इच्छित व सक्रिय रूप से अपने लिए कोई समय दृष्टिगत रखते हैं ताकि ऐसे काम करें जो उनकी जवानी और ऊर्जा को सुरक्षित और मज़बूत रखे।
वास्तव में स्वस्थ रहने का कारण बनने वाली देख-भाल का बड़ा भाग, अपनी देख-भाल आप का परिणाम होता है। अर्थात लोग अपने स्वास्थ्य की रक्षा या उसे बेहतर बनाने, बीमारी में ग्रस्त होने से बचने, बीमारी के उपचार या उसके कुपरिणाम को कम करने के लिए जो गतिविधियां अंजाम देते हैं उसकी स्वास्थ्य में अहम भूमिका होती है। जैसा कि आप जानते हैं, बहुत सी साधारण बीमारियों को अपनी देख-भाल आप के माध्यम से थोड़ी सी अवधि में दूर किया जा सकता है।
लोग स्वस्थ जीवन शैली के माध्यम से बीमारियों को रोकने के तरीक़े अपना कर और साधारण बीमारियों में बिना नुस्ख़े वाली दवाओं के सही इस्तेमाल से पुरानी बीमारियों के उपचार और स्वास्थ्य की बेहतरी व रक्षा के लिए प्रयास कर सकते हैं। अधिकतर विकसित देशों में डाक्टरों व उपचार केंद्रों में पहुंचने वाले बीस प्रतिशत लोग इन्हीं साधारण बीमारियों के कारण जाते हैं जबकि इन बीमारियों के बड़े भाग का स्वयं लोग ही बड़ी आसानी से उपचार कर सकते हैं। इन देशों के स्वास्थ्य संबंधों केंद्रों के आंकड़ों के अनुसार साधारण चिकित्सकों की विज़िट, जिनमें डाक्टर दवा लिखता है, उनका लगभग दो तिहाई भाग बिना दवा के ही पूरी तरह ठीक हो सकता है या व्यक्ति बिना नुस्ख़े वाली दवाओं के माध्यम से स्वयं ही उपचार कर सकता है।
अपनी देख-भाल आप के अंतर्गत दी जाने वाली सलाह इन मामलों में लोगों को इस प्रकार सक्षम बना सकती है कि वे अपनी समस्याओं का समाधान कर लें। साधारण बीमारियों में स्वास्थ्य संबंधी मूल शिक्षाएं देकर और अपनी देख-भाल आप के लिए भरोसे योग्य सूचना स्रोत पेश करके कम से कम बीस प्रतिशत लोगों को डाक्टर के पास जाने से आवश्यकतामुक्त किया जा सकता है। पुरानी बीमारियों के संबंध में भी अपनी देख-भाल आप के सिद्धांत की शिक्षाओं के लाभ पूरी तरह से सिद्ध हो चुके हैं।
आजकल सामान्य दवाओं के माध्यम से अपनी देख-भाल आप के अलावा पारंपरिक औषधियों और जड़ी-बूटियों के माध्यम से अपनी देख-भाल भी बहुत प्रचलित है। यह जानना रोचक होगा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2014 से वर्ष 2023 तक के लिए प्रचलित शिक्षा प्रणाली के साथ ही पारंपरिक व पूरक उपचार की क्षमताओं से लाभ उठाने के लिए एक रणनीति तैयार की है। संगठन इस नतीजे पर पहुंचा है कि पूरे संसार में पारंपरिक व पूरक उपचार शैली की ओर लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है। इस संगठन के अनुसार जड़ी-बूटियों और पारंपरिक उपचार ने न केवल यह कि अपनी देख-भाल आप करने में अत्यधिक मदद की है बल्कि इनसे ग़ैर संक्रामक पुरानी बीमारियों के उपचार के लिए भी काफ़ी फ़ायदा उठाया जा सकता है।
अपनी देख-भाल आप, स्वस्थ जीवन का अभिन्न अंग है लेकिन इसके विपरीत अपना इलाज आप की शैली भी पाई जाती है जिसकी क़तई सलाह नहीं दी जाती। अतः अपनी देख-भाल आप को अपना इलाज आप नहीं समझना चाहिए। अपना इलाज आप का मतलब यह है कि रोगों और उनके लक्षणों के बारे में पर्याप्त सूचनाओं के बिना ही उपचार किया जाए या अपने तौर पर उपचार संबंधी फ़ैसला कर लिया जाए।
हालिया वर्षों में स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं के प्रसार, टीवी कार्यक्रमों और विशेष कर इंटरनेट पर उपलब्ध सूचनाओं के कारण उपचार संबंधी सूचनाएं बड़ी सरलता से सभी के लिए उपलब्ध हो गई हैं और लोग थोड़ी सी भी समस्या होने पर इंटरनेट पर उसके बारे में सूचनाएं खोजने लगते हैं और उस बीमारी के बारे में हर प्रकार की सूचना निकाल लेते हैं। इसके चलते अपना इलाज आप का मामला बहुत प्रचलित हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतिम आंकड़ों के अनुसार पूरे संसार में हर साल 51 लाख लोग अपना इलाज ख़ुद करने के चक्कर में मेडिकल इमरजेंसी में पहुंच जाते हैं और इनमें से लगभग एक लाख लोगों की मौत हो जाती है। इस लिए अपनी देख-भाल आप के विषय पर अच्छे से ग़ौर करना चाहिए और इसे अपना उपचार आप से नहीं मिलाना चाहिए।
भारतीय धार्मिक विद्वानों का परिचय | खतीबे आज़म अल्लामा सिबते हसन जाइसी
हौज़ा न्यूज़ एजेसी के अनुसार, खतीबे आज़म, शमसुल औलामा, फखरूल मुतकल्लेमीन, कलीमे अहलेबैत” अल्लामा सिबते हसन नक़वी सन १२९६ हिजरी में सरज़मीने जाइस ज़िला रायबरेली सूबा उत्तर प्रदेश पर पैदा हुए, आपके वालिद वारिस हुसैन थे, इब्तेदाई तालीम अपने वतन में हासिल करने के बाद “ मदरसा ए नाज़मिया लखनऊ में दाख़िल हुए और वहाँ रहकर “ आयतुल्लाह नजममुल हसन” की निगरानी में मुमताज़ उल औलमा की सनद हासिल की, पंजाब यूनिवर्सिटी से मौलवी फ़ाज़िल की सनद ली, ख़ुदा दाद दिमाग़, आला दरजे के साथी, तोफ़ीक़े इलाही, मेहनते शाक़्क़ा और शफ़ीक़ असातेज़ा ने सोने को कुन्दन बना दिया जो दिन बा दिन चमकता रहा, अरबी फ़ारसी में अदीबाना महारत और असालीबे बयान में अहले ज़बान का तेवर था, उर्दू की नस्र वा नज़्म, तक़रीर वा तहरीर ग़रज़ हर मैदान में अपनी सलाहियात का लोहा मनवाया अपनी सलाहियत के सबब नाज़मिया में उस्ताद हो गए।
तफ़सीर वा हदीस की बात हो या कलाम वा फ़लसफ़े का मोज़ू , आम मसअला हो या ख़ास नुकता, जब चाहते और जिस तरह चाहते लिखते और बोलते थे, खिताबत में ऐसा ढंग इख्तियार किया कि अहले दानिश गरवीदा हो गए, इल्म वा अदब और नुकता आफ़रीनी में वो रंग ईजाद किया कि औलामा दंग रह गये, आपकी खिताबत पूरे हिंदुस्तान में मशहूर थी, आपकी नस्र के सामने सामेईन नज़्म भी भूल जाते थे मज़ामीने आलिया को निहायत फ़साहत के साथ बयान फरमाकर दिलनशीन फ़रमा देते थे, कलकत्ता वा पंजाब वगैरा बड़ी मुशकिल से तशरीफ़ एलई जाते, इसलिए कि रोअसा ए लखनऊ नहीं चाहते थे कि आप बाहर तशरीफ़ ले जाएँ चुनांचे “ साहिबे तज़किरा ए बे बहा” फ़रमाते हैं: १३३६हिजरी में रियासते रामपुर में अशरे की चंद मजालिस इस शान से पढ़ीं कि रोज़ाना लखनऊ से आते और जाते थे और लखनऊ की मजालिस पढ़ते थे,१३३७ हिजरी का अशरा भी इस तरह पढ़ा, जानसठ में भी आपने अक्सर मजलिसें पढ़ीं जिसमें अतराफ़ के मोमेनीन भी ख़बर सुनकर जोक़ दर जोक़ आपकी मजलिस सुनने के लिये आते बल्कि अक्सर हिन्दु हज़रात भी सुनने आते और महज़ूज़ होकर जाते थे।
रूदादे अंजुमने जाफ़रया मुज़फ्फ़रनगर मुनअक़ेदा दिसंबर १९०७ई॰ में है कि अल्लामा सिब्ते हसन नक़वी मुमताज़ुल अफ़ाज़िल लखनऊ का वाज़ तक़वा और परहेज़गारी से मुताआल्लिक़ हो रहा था, जिसमें आपने “इन्नमा यताक़ब्बलल्लाहो मिनल मुत्तक़ीन” की तफ़सीर ऐसी खुश उस्लूबी से बयान फ़रमाई की हर शख़्स हिंदू मुस्लिम आलमे वज्द में था, जनाब के वाज़ से हर फ़िरक़े के लोगों ने फ़ायदा उठाया, तक़रीर के बाद एक आलमे हैरत तारी था और हर तरफ़ से दाद वा तहसीन की आवाज़ बुलंद थी,कोई कहता था कि ईमान दिलों में उतार दिया, “ सय्यद शोकत हुसैन रईसे ककरोली” जोश में आकर फ़ौरन एक गिन्नी जनाब पर तस्द्दुक़ करके दाख़िले सरमाया ए अंजुमन की और हाज़रीने जलसा ने अल्लामा से मुकर्रर दरखास्त की तो एक रोज़ अंजुमन के वास्ते बढ़ाया गया और आपने अगले दिन बक़या वाज़ दो घंटे तक इरशाद फ़रमाया “पर्चा इसलाह खुजवा” के मुताबिक़ आपने कालिज के तुल्लाब की गुज़ारिश पर इस मजलिस में वही मतालिब बयान किये जो कई साल से लगातार वाज़ बयान फ़रमाये थे, आपको खिताबत में इतनी मक़बूलियत हासिल हुई कि खतीबे आज़म के लक़ब से मशहूर हो गये और सन१९२५ई॰ में आपको हुकूमत की जानिब से “शमशुल औलमा” का ख़िताब दिया गया इसके अलावा आपको बुलबुले बूस्ताने खिताबत” और “आलिमे शेवा बयान” के नाम से भी याद किया जाता है।
मोसूफ को किताबों से बेहद इश्क़ था लिहाज़ा तमाम मसरूफ़यात के बावजूड़ तसनीफ़ वा तालीफ़ में नुमाया किरदार अदा किया, आपके आसार जैसे: मेराजुल कलाम (मतबूआ) तरजमा किताबे मुहीतुद दायरा, वाक़ेआ ए ग़दीर अलकाज़िम(इमाम मूसा काज़िम की सवानेह हयात) खिताबे फ़ाज़िल तरजमा ए मीज़ाने आदिल, जवाहेरुल कलाम (दस मजलिसों का मज़मूआ) और हदमुल इस्लाम फ़ी हदीसे क़िरतास (उर्दू) वगैरा के नाम सरे फेहरिस्त हैं इसके अलावा आप के उर्दू, फ़ारसी और अरबी में दीवान भी हैं जिनकी इशाअत ना हो सकी।
इल्मी कारनामों के अलावा आपने समाजी वा तामीरी कामों में भी अहम किरदार अदा किया जैसे शिया कालिज की तासीस में रोअसा वा बादशाहान के पहलू बा पहलू रहे और अपनी आमदनी का कसीर हिस्सा अता फ़रमाया। सन१३३७ हिजरी में वालिये रियासत महमूदबाद ने मदरसतुल वाएज़ीन का इफ़्तेताह किया तो आप इस मदरसे के पहले सदरे मुदर्रिस मोअय्यन हुए।
अल्लाह ने आपको तीन फ़र्ज़न्दे नरीना अता किये जिनके असमा कुछ इस तरह हैं, मंज़र,मोहम्मद मूसा और वारिस हुसैन।
आखिरकार ये इलमो खिताबत का दरख्शा आफ़ताब २८ मोहर्रम सन१३५४ हिजरी मुताबिक़ १९३५ई॰ में सरज़मीने लखनऊ पर गुरूब हो गया, ख़बरे वफ़ात पूरे मुल्क में आग की तरह फैल गई, तमाम मुल्क के अखबारात ने शुमारे निकाले, पूरे मुल्क के दानिशवरों ने सोग मनाया, आपके जनाज़े में तमाम मज़ाहिब के अफ़राद शिया, सुन्नी हिन्दू और ईसाई शरीक हुए, इसकी मिसाल इस से पहले बुज़ुर्गों ने नहीं देखी थे, दरयाए गोमती पर ग़ुस्ल हुआ, विकटोरया पार्क में आयतुल्लाह नजमुल हसन की इक़्तेदा में नमाज़े जनाज़ा अदा की गयी और मजमे की हज़ार आहो बुका के हमराह इमाम बाड़ा गुफरानमआब में सुपुर्दे ख़ाक कर दिया गया।
आयतुल्लाह शेख़ मुहम्मद इमामी काशानी की नमाजे़ जनाज़ा आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने पढ़ाई
इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने आज सुबह मोमिनीन की उपस्थिति में आयतुल्लाह शेख़ मुहम्मद इमामी काशानी की नमाजे़ जनाज़ा आदा की।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली खामेनेई ने आज सुबह मजलिस ए ख़ुबरगान रहबरी के सदस्य और तेहरान के इमाम जुमआ आयतुल्लाह मोहम्मद इमामी काशानी की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई।
स्मरण रहे कि आयतुल्लाह शेख़ मुहम्मद इमामी काशानी का हृदय की समस्या के कारण कल देहांत हो गया था।
उन्होंने देश के महत्वपूर्ण राजनीतिक और सांस्कृतिक संस्थानों मे बहुत सारी सेवाएँ दी अपने जीवनकाल के दौरान उन्होंने दीनी मदारिस दीनी विद्यार्थियों की हमेशा खिदमत की।
इज़राईल का आर्थिक बहिष्कार किया जाए : ईरानी राष्ट्रपति
ईरान के राष्ट्रपति सय्यद इब्राहीम रईसी ने कहां कि इज़रायल को यदि आर्थिक चोट पहुंचाई जाए तो वह अपने बहुत से अपराधों को रोक सकता है।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान के राष्ट्रपति सय्यद इब्राहीम रईसी ने कहा है कि इस्राईलीयो के अत्याचारों को रूकवाने का व्यवहारिक मार्ग इस अवैध शासन के साथ आर्थिक संबन्धों का विच्छेद करना है।
इराक़ के राष्ट्रपति अब्दुल्लतीफ़ रशीद के साथ मुलाक़ात में ईरान के राष्ट्रपति ने इज़रायली अपराधों को रुकवाने का यह मार्ग बताया।
अल्जीरिया में ग़ैस का निर्यात करने वाले देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों के साथ भेंटवार्ता में सय्यद इब्राहीम रईसी ने यह बात इराक़ के राष्ट्रपति से कही।
इस मुलाक़ात में उन्होंने फ़िलिस्तीन के संदर्भ में कुछ इस्लामी और अरब देशों द्वारा अपना दायित्व न निभाए जाने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ज़ायोनियों के अपराधों को रुकवाने का व्यवहारिक मार्ग, उसके साथ सारे ही आर्थिक संबन्धों को तोड़ना है।
अपने संबोधन के दूसरे भाग में कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, हमेशा ही एक मज़बूत इराक़ का पक्षधर है। उनका कहना था कि हम इराक़ की सुरक्षा को अपनी सुरक्षा समझते हैं।
इसको हासिल करने के लिए दोनो राष्ट्रों के युवाओं ने अपना ख़ून दिया है। ईरान के राष्ट्रपति के अनुसार इराक़ के साथ ईरान के संबन्ध इतने अधिक मज़बूत हो जाएं जिससे अवैध ज़ायोनी शासन निराश हो जाए।
अल्जीरिया के साथ आर्थिक और व्यापार सहयोग बढ़ाने पर बल
ईरानी राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी का कहना है कि ईरान और अल्जीरिया को आर्थिक और व्यापारिक संबंधों के स्तर को और बेहतर बनाने की दिशा में अधिक क़दम उठाने होंगे।
रविवार को अल्जीरिया की अपनी यात्रा के दौरान, ईरानी राष्ट्रपति ने अल्जीयर्स में एक बैठक के दौरान कहा दोनों देशों के बीच अच्छे राजनीतिक रिश्ते हैं और दोनों ही देश समान सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्य रखते हैं।
ईरान और अल्जीरिया के अधिकारियों के बीच यह बैठक अल्जीयर्स में गैस निर्यातक देशों के फ़ोरम के 7वें शिखर सम्मेलन के इतर हुई।
उन्होंने कहा कि ईरान महत्वपूर्ण आर्थिक प्रगति करने और उच्च गुणवत्ता वाले औद्योगिक, कृषि और ज्ञान-आधारित उत्पादों की एक विविध श्रृंखला का उत्पादन करने में कामयाब रहा है।
राष्ट्रपति रईसी का कहना थाः ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, उद्योग, पेट्रोकेमिकल और व्यापार जैसे क्षेत्रों में ईरान और अल्जीरिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग के विकास के लिए उपयुक्त पृष्ठभूमि तैयार है।
ईरानी राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि अल्जीरिया की उनकी वर्तमान यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों में एक अहम मोड़ साबित होगी।