
رضوی
इस्राईली अधिकारी ने की आत्महत्या
एक इस्राईली अधिकारी ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली, जिसे ग़ज़्ज़ा में तेल अवीव द्वारा किए गए जनसंहार के कारण गंभीर मानसिक तनाव और आंतरिक संघर्षों का सामना करना पड़ रहा था।
रिपोर्टों के अनुसार, इजरायली सेना के इस अधिकारी पर ग़ज़ा में युद्ध अपराधों और निर्दोष नागरिकों के खिलाफ अत्याचारों का बोझ था, जिससे वह गहरे मानसिक संकट में चला गया था। ग़ज़ा पर इजरायली हमलों के चलते कई सैनिक और अधिकारी मानसिक अवसाद और नैतिक अपराधबोध से जूझ रहे हैं।
ग़ज़ा में जारी इजरायली सैन्य अभियान के दौरान बड़ी संख्या में सैनिकों ने मनोवैज्ञानिक दबाव के कारण मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की शिकायत की है, जिससे इजरायली सेना के भीतर तनाव बढ़ता जा रहा है।
इस्लाम में औरत का मुकाम: एक झलक
इस्लाम को लेकर यह गलतफहमी है और फैलाई जाती है कि इस्लाम में औरत को कमतर समझा जाता है। सच्चाई इसके उलट है। हम इस्लाम का अध्ययन करें तो पता चलता है कि इस्लाम ने महिला को चौदह सौ साल पहले वह मुकाम दिया है जो आज के कानून दां भी उसे नहीं दे पाए।
इस्लाम में औरत के मुकाम की एक झलक देखिए।
जीने का अधिकार शायद आपको हैरत हो कि इस्लाम ने साढ़े चौदह सौ साल पहले स्त्री को दुनिया में आने के साथ ही अधिकारों की शुरुआत कर दी और उसे जीने का अधिकार दिया। यकीन ना हो तो देखिए कुरआन की यह आयत-
और जब जिन्दा गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा, बता तू किस अपराध के कारण मार दी गई?"(कुरआन, 81:8-9) )
यही नहीं कुरआन ने उन माता-पिता को भी डांटा जो बेटी के पैदा होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हैं-
'और जब इनमें से किसी को बेटी की पैदाइश का समाचार सुनाया जाता है तो उसका चेहरा स्याह पड़ जाता है और वह दु:खी हो उठता है। इस 'बुरी' खबर के कारण वह लोगों से अपना मुँह छिपाता फिरता है। (सोचता है) वह इसे अपमान सहने के लिए जिन्दा रखे या फिर जीवित दफ्न कर दे? कैसे बुरे फैसले हैं जो ये लोग करते हैं।' (कुरआन, 16:58-59))
बेटी
इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-बेटी होने पर जो कोई उसे जिंदा नहीं गाड़ेगा (यानी जीने का अधिकार देगा), उसे अपमानित नहीं करेगा और अपने बेटे को बेटी पर तरजीह नहीं देगा तो अल्लाह ऐसे शख्स को जन्नत में जगह देगा।इब्ने हंबल) अन्तिम ईशदूत हजऱत मुहम्मद सल्ल. ने कहा-'जो कोई दो बेटियों को प्रेम और न्याय के साथ पाले, यहां तक कि वे बालिग हो जाएं तो वह व्यक्ति मेरे साथ स्वर्ग में इस प्रकार रहेगा (आप ने अपनी दो अंगुलियों को मिलाकर बताया)।
मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-जिसके तीन बेटियां या तीन बहनें हों या दो बेटियां या दो बहनें हों और वह उनकी अच्छी परवरिश और देखभाल करे और उनके मामले में अल्लाह से डरे तो उस शख्स के लिए जन्नत है। (तिरमिजी)
पत्नी
वर चुनने का अधिकार : इस्लाम ने स्त्री को यह अधिकार दिया है कि वह किसी के विवाह प्रस्ताव को स्वेच्छा से स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है। इस्लामी कानून के अनुसार किसी स्त्री का विवाह उसकी स्वीकृति के बिना या उसकी मर्जी के विरुद्ध नहीं किया जा सकता।
बीवी के रूप में भी इस्लाम औरत को इज्जत और अच्छा ओहदा देता है। कोई पुरुष कितना अच्छा है, इसका मापदण्ड इस्लाम ने उसकी पत्नी को बना दिया है। इस्लाम कहता है अच्छा पुरुष वही है जो अपनी पत्नी के लिए अच्छा है। यानी इंसान के अच्छे होने का मापदण्ड उसकी हमसफर है।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
तुम में से सर्वश्रेष्ठ इंसान वह है जो अपनी बीवी के लिए सबसे अच्छा है। (तिरमिजी, अहमद)
शायद आपको ताज्जुब हो लेकिन सच्चाई है कि इस्लाम अपने बीवी बच्चों पर खर्च करने को भी पुण्य का काम मानता है।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
तुम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए जो भी खर्च करोगे उस पर तुम्हें सवाब (पुण्य) मिलेगा, यहां तक कि उस पर भी जो तुम अपनी बीवी को खिलाते पिलाते हो। (बुखारी,मुस्लिम)।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने कहा-आदमी अगर अपनी बीवी को कुएं से पानी पिला देता है, तो उसे उस पर बदला और सवाब (पुण्य) दिया जाता है। (अहमद)
मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-महिलाओं के साथ भलाई करने की मेरी वसीयत का ध्यान रखो। (बुखारी, मुस्लिम)
माँ
क़ुरआन में अल्लाह ने माता-पिता के साथ बेहतर व्यवहार करने का आदेश दिया है,
'तुम्हारे स्वामी ने तुम्हें आदेश दिया है कि उसके सिवा किसी की पूजा न करो और अपने माता-पिता के साथ बेहतरीन व्यवहार करो। यदि उनमें से कोई एक या दोनों बुढ़ापे की उम्र में तुम्हारे पास रहें तो उनसे 'उफ् ' तक न कहो बल्कि उनसे करूणा के शब्द कहो। उनसे दया के साथ पेश आओ और कहो
'ऐ हमारे पालनहार! उन पर दया कर, जैसे उन्होंने दया के साथ बचपन में मेरी परवरिश की थी।(क़ुरआन, 17:23-24))
इस्लाम ने मां का स्थान पिता से भी ऊँचा करार दिया। ईशदूत हजरत मुहम्मद(सल्ल) ने कहा-'यदि तुम्हारे माता और पिता तुम्हें एक साथ पुकारें तो पहले मां की पुकार का जवाब दो।'
एक बार एक व्यक्ति ने हजरत मुहम्मद (सल्ल.) से पूछा'हे ईशदूत, मुझ पर सबसे ज्यादा अधिकार किस का है?'
उन्होंने जवाब दिया 'तुम्हारी माँ का',
'फिर किस का?' उत्तर मिला 'तुम्हारी माँ का',
'फिर किस का?' फिर उत्तर मिला 'तुम्हारी माँ का'
तब उस व्यक्ति ने चौथी बार फिर पूछा 'फिर किस का?'
उत्तर मिला 'तुम्हारे पिता का।'
संपत्ति में अधिकार-औरत को बेटी के रूप में पिता की जायदाद और बीवी के रूप में पति की जायदाद का हिस्सेदार बनाया गया। यानी उसे साढ़े चौदह सौ साल पहले ही संपत्ति में अधिकार दे दिया गया।
ईरान उच्च स्तर पर शहीद हसकन नसरुल्लाह के जनाज़े में करेगा शिरकत।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हिज़्बुल्लाह के दिवंगत महासचिव के जनाज़े में ईरान उच्च स्तर पर शामिल होगा, क्योंकि यह समारोह बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने लेबनान द्वारा ईरानी यात्री विमानों को बेरूत एयरपोर्ट पर उतरने से रोके जाने के मुद्दे पर भी बात की।
इस मामले पर ईरान के डिप्टी विदेश मंत्री डॉ. अराकची और उनके लेबनानी समकक्ष की बातचीत हुई है। दोनों देशों ने इस पर सहमति जताई कि ईरान और लेबनान को अपने पुराने और मजबूत रिश्तों को ध्यान में रखकर कोई भी फ़ैसला लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि तीसरे देशों को इन रिश्तों पर असर डालने की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि उनका कोई भला चाहने वाला नहीं है।
ईरान को उम्मीद है कि जल्द ही इस मुद्दे का ऐसा हल निकलेगा जो दोनों देशों और उनके लोगों के फ़ायदे में होगा।
ईरान और भारत की मुश्किल की वजह तीसरा पक्ष हैः इराक़ची
ईरान के विदेशमंत्री ने ओमान में Indian Ocean की बैठक से इतर एक भारतीय संचार माध्यम से वार्ता में कहा कि ईरान और भारत के बीच मौजूद समस्याओं का संबंध दोनों देशों से नहीं है और उसका कारण तीसरा पक्ष है।
तसनीम के हवाले से बताया है कि ईरान के विदेशमंत्री Indian Ocean की आठवीं बैठक में भाग लेने के लिए ओमान की यात्रा पर गये हैं। उन्होंने इस बैठक के अवसर पर भारतीय टीवी चैनल WION से वार्ता में चाबहार बंदरगाह और भारत के साथ संबंध के बारे में कहा कि चाबहार बंदरगाह के बारे में हमारा भारत के साथ 10 वर्षीय समझौता है हम जानते हैं कि इस संबंध में तीसरे पक्ष की ओर से सवाल किये गये हैं, हम जानते हैं कि भारतीय इस संबंध में अमेरिकियों से विचार- विमर्श कर रहे हैं। इस आधार पर हम फ़ैसला करने के अधिकार को अपने दोस्तों पर छोड़ते हैं।
ईरान के विदेशमंत्री ने कहा कि जहां तक मुझसे संबंधित है, चाबहार बंदरगाह बहुत महत्वपूर्ण है और यह भारत को ईरान, सेंट्रल एशिया और दूसरे क्षेत्रों से जोड़ देगी और हम दोनों के लिए यह बंदरगाह स्ट्रैटेजिक महत्व रखती है।
दोनों पक्षों में विशेषकर चाबहार बंदरगाह में सहयोग के लिए संकल्प व इरादा मौजूद है, 10 वर्षों का सहयोग मौजूद है। इस आधार पर हमें यह देखना चाहिये कि हम किस तरह इस मुश्किल का मुक़ाबला करते हैं।
विदेशमंत्री सैय्यद अब्बास इराक़ची ने ईरान और भारत के संबंधों के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि ईरान और भारत के बीच बहुत अच्छे एतिहासिक संबंध हैं और एशिया की दो सभ्यताओं के रूप में हम हमेशा एक दूसरे से संपर्क में रहे हैं और यथावत इस कार्य को जारी रखेंगे और हम भारत के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब ईरान और भारत के मध्य बहुत अच्छा व्यापार था। उतार- चढ़ाव के बावजूद संबंधों को मज़बूत बनाने हेतु दोनों पक्षों में इरादे मौजूद हैं और हम इन संबंधों को जारी रखेंगे।
विदेशमंत्री ने कहा कि ईरान और भारत के बीच मौजूद समस्या का संबंध इन देशों से नहीं है बल्कि इन मुश्किलों व समस्याओं का कारण तीसरा पक्ष है। हम हमेशा इस कोशिश में रहे हैं कि किस प्रकार इन मुश्किलों का मुक़ाबला करें और किस प्रकार ईरान और भारत के बीच अच्छे संबंध क़ायम रहें।
विदेशमंत्री से जब यह पूछा गया कि लोगों के साथ संबंधों में किस प्रकार वृद्धि करेंगे और राष्ट्रीय मुद्रा में व्यापार के संबंध में क्या नीति है? तो उन्होंने कहा कि लोगों के साथ लोगों का संबंध हमेशा रहा है। प्रतिबंध के कारण दूसरे देशों के साथ राष्ट्रीय मुद्रा में और वस्तुओं के आदान- प्रदान का सिस्टम मौजूद है। मैं समझता हूं कि अवसर से लाभ उठाने के लिए भारत के साथ भी यह सिस्टम मौजूद है। यह निजी क्षेत्र पर निर्भर है कि वह इस संबंध में किस प्रकार व्यवहार करता है।
विदेशमंत्री से इसी प्रकार यमन में भारतीय नागरिक की रिहाई के संबंध में ईरान की मदद के संदर्भ में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम उस महिला और दूसरे बहुत से लोगों के अंजाम के बारे में यमन में अपने दोस्तों से संपर्क में हैं। इस समय मैं ओमान में हूं और सोमवार को अपने यमनी दोस्तों से मुलाक़ात करूंगा कि किस तरह इस संबंध में हम सहायता कर सकते हैं।
क़ुम अलमुकद्देसा में 15 शाबान के मौके पर 40 मिलियन से ज़्यादा ज़ायरीन ने शिरकत की
क़ुम मुक़द्देसा की प्रांतीय सरकार के सामाजिक, सांस्कृतिक और ज़ियारती मामलों के ज़िम्मेदार ने 15 शाबान के जश्न में जनता की व्यापक भागीदारी की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह आयोजन 800 से अधिक जन संगठनों और विभिन्न संस्थानों के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हुआ जिसमें 50 हज़ार से अधिक ख़ादिमीन ने हिस्सा लिया।
क़ुम अलमुक़द्देस की प्रांतीय सरकार के सामाजिक, सांस्कृतिक और ज़ियारती मामलों के ज़िम्मेदार हज़रत हुज्जतुल इस्लाम हुसैनी मुक़द्दम ने 15 शाबान के मौके पर आयोजित कार्यक्रमों के बारे में बात करते हुए कहा कि इस साल हमने गलियों और मोहल्लों पर विशेष ध्यान दिया। इसके तहत मस्जिदों, स्कूलों, इमामज़ादगानों और धार्मिक संगठनों में आयोजनों के लिए आवश्यक समन्वय किया गया। साथ ही जन समूह भी सक्रिय हुए और गलियों व मोहल्लों में शानदार जश्न आयोजित किए गए।
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि प्रांत का मुख्य ध्यान एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन पर था जिसका विषय इंतज़ार था। उन्होंने बताया कि चार दिनों के दौरान क़ुम प्रांत में चार मिलियन से अधिक ज़ायरीन ने शिरकत की जबकि देश के कई प्रांतों में इस दौरान कड़ी सर्दी और बर्फबारी हो रही थी।
हजरत हुज्जतुल इस्लाम हुसैनी मुक़द्दम ने ज़ायरीन की सुविधा के लिए गठित स्टाफ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस स्टाफ ने 12 समितियों के माध्यम से ज़ायरीन को बेहतरीन सेवाएं प्रदान करने की कोशिश की। इनमें से एक जन समिति थी, जिसके तहत 800 जन समूहों और संगठनों ने बुलेवार पयाम्बर ए अज़म के सात किलोमीटर लंबे रास्ते पर अपनी सेवाएं दीं। इसके अलावा, स्थानीय समूहों ने विभिन्न मोहल्लों में भी कार्यक्रम आयोजित किए।
उन्होंने इस दौरान की गई व्यापक सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें ज़ायरीन में इंतज़ार-ए-इमाम और आध्यात्मिकता की भावना स्पष्ट रूप से देखी गई। विभिन्न प्रकार की मेहमाननवाज़ी, चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाएं, साथ ही हिलाल ए अहमर के 200 से अधिक सदस्यों द्वारा आवश्यक सहायता प्रदान करना, ज़ायरीन के लिए दी गई सेवाओं में शामिल रहा।
जम्मू और कश्मीर के उलेमा की आयतुल्लाह आराफी से मुलाकात
ईरान के हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने जम्मू और कश्मीर के उलेमा से मुलाकात के दौरान कहा कि हौज़ा इल्मिया क़ुम इस्लामी क्रांति की वैचारिक और बौद्धिक बुनियाद प्रदान करने में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है उन्होंने कहा कि यह हौज़ा न केवल इस्लामी क्रांति की स्थापना में प्रभावी रहा है बल्कि इसके वैश्विक प्रभाव को भी बढ़ा रहा है।
ईरान के हौज़ा इल्मिया के प्रमुख, आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने जम्मू-कश्मीर के उलेमा से मुलाकात के दौरान कहा कि हौज़ा इल्मिया क़ुम इस्लामी क्रांति की वैचारिक और बौद्धिक नींव प्रदान करने में एक केंद्रीय भूमिका निभा रहा है उन्होंने कहा कि यह हौज़ा न केवल इस्लामी क्रांति की स्थापना में प्रभावी रहा है, बल्कि इसके वैश्विक प्रभाव को भी बढ़ा रहा है।
आयतुल्लाह आराफी ने उलेमा के एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करते हुए कहा कि हौज़ा इल्मिया क़ुम की इतिहास को इस्लामी क्रांति से पहले और बाद के दो युगों में विभाजित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि यह हौज़ा इमाम जाफर सादिक अ.स.के दौर से जुड़ा हुआ है और पिछले सौ वर्षों में इसने शिया फिक़्ह के आधार पर इस्लामी क्रांति और शासन की वैचारिक व बौद्धिक संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने आगे कहा कि इस्लामी क्रांति के बाद, क़ुम एक अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक और वैचारिक आंदोलन का केंद्र बन गया है, जिसका प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इमाम खुमैनी (रह.) ने एक ऐसा अद्वितीय विचार प्रस्तुत किया, जिसने न केवल ईरान बल्कि पूरे विश्व में इस्लामी जागरूकता को बढ़ावा दिया।
आयतुल्लाह आराफी ने इस बात पर जोर दिया कि क़ुम में इस्लामी विज्ञानों का विस्तार किया गया है, जिसमें फिक़्ह, कलाम, दर्शन और आधुनिक इस्लामी अध्ययन शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि हौज़ा इल्मिया क़ुम ने इस्लामी कानूनों और व्यवस्था को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसकी झलक ईरान के संविधान और इस्लामी कानूनों में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस्लामी क्रांति के बाद, इस्लामी शिक्षाओं और ज्ञान का दायरा दुनिया के 100 से अधिक देशों तक फैल चुका है, जबकि पहले यह कुछ गिने-चुने देशों तक ही सीमित था। इसके अलावा, महिलाओं के लिए इस्लामी शिक्षा में भी असाधारण प्रगति हुई है, जिसे इस्लामी इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा सकता है।
आयतुल्लाह आराफी ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक युग में इस्लामी ज्ञान को नई तकनीक के साथ समायोजित करना आवश्यक है, ताकि बदलते वैश्विक हालात के साथ तालमेल बनाए रखा जा सके। उन्होंने इमामिया उलेमा से आग्रह किया कि वे युवा पीढ़ी की बौद्धिक प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दें और अहले सुन्नत के बौद्धिक हलकों के साथ मजबूत संबंध स्थापित करें।
इस मुलाकात के दौरान जम्मू-कश्मीर के उलेमा के प्रतिनिधिमंडल ने अपने क्षेत्र में इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार और विस्तार से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
नेतन्याहू भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोपों में दसवीं बार अदालत में पेश हुए
हिब्रू अखबार यदीऊत अहारीनूत के अनुसार, नेतन्याहू ने अदालत से सीधे तौर पर तेल अवीव जिला कोर्ट में बोलने की अनुमति मांगी, लेकिन जजों ने इसे खारिज कर दिया।
इस्राईली प्रधानंती बेंजामिन नेतन्याहू ने अदालत से सीधे तौर पर तेल अवीव जिला कोर्ट में बोलने की अनुमति मांगी, लेकिन जजों ने इसे खारिज कर दिया।
यह नेतन्याहू की 10 दिसंबर 2024 को उनके मुकदमे की फिर से शुरुआत के बाद अदालत में दसवां पेशी था। दिसंबर में उनकी सर्जरी के कारण मुकदमा स्थगित कर दिया गया था।
नेतन्याहू पर 2019 में तीन अलग-अलग भ्रष्टाचार मामलों में आरोप लगाए गए थे: केस 1000, केस 2000, और केस 4000, जिनमें रिश्वत, धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप शामिल हैं।
इजराइल के कानून के अनुसार, वह तब तक इस्तीफा देने के लिए बाध्य नहीं हैं जब तक कि उच्चतम न्यायालय द्वारा उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाता, जो प्रक्रिया में कई महीने लग सकते हैं।
नेतन्याहू, जिन्हें "गाजा का कसाई" भी कहा जाता है, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में गिरफ्तारी वारंट के तहत हैं।
पाकिस्तान ; बलूचिस्तान में जबरन अपहरण, हिरासत और गायब होने की घटनाएं बढ़ीं
बलूचिस्तान के मानवाधिकारों के प्रमुख निकाय, बलूच यकजेहती समिति ने सोमवार को साझा किया कि बलूचिस्तान में सुरक्षा के नाम पर जबरन अपहरण, हिरासत और गायब होने के बढ़ते मामले सामने आ रहे हैं।
बलूच मानवाधिकारों के प्रमुख निकाय, बलूच यकजेहती समिति ने सोमवार को साझा किया कि बलूचिस्तान में सुरक्षा के नाम पर जबरन अपहरण, हिरासत और गायब होने के बढ़ते मामले सामने आ रहे हैं।
बीवाईसी ने कहा कि ग्वादर में पिछले कुछ दिनों में फ्रंटियर कॉर्प्स के हाथों लापता होने के सोलह मामले सामने आए।बलूचिस्तान में सुरक्षा के नाम पर जबरन अपहरण, हिरासत और गायब होना राज्य की कानून लागू करने वाली एजेंसियों के लिए एक दैनिक अभ्यास बन गया है।
तहसील पसनी, जिला ग्वादर में अपहरण के हालिया मामले आम बलूच के खिलाफ अर्धसैनिक हिंसा और आक्रामकता के प्रमुख उदाहरण हैं पिछले कुछ दिनों में तहसील पसनी में फ्रंटियर क्रॉप्स के छापों द्वारा कुल सोलह लोगों को गायब कर दिया गया।
बीवाईसी ने एक्स पर अपहृत व्यक्तियों का विवरण भी साझा किया बीवाईसी ने यह भी ध्यान दिलाया कि जब जबरन गायब किए गए लोगों के पीड़ित परिवारों ने विरोध प्रदर्शन किया और जवाब मांगने के लिए राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया, तो पुलिस और प्रशासन ने उनके खिलाफ अपना अत्यधिक बल प्रयोग किया जिसमें महिलाओं और बच्चों पर बल प्रयोग भी शामिल था, जिन्हें दुखद रूप से नुकसान पहुंचाया गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।
हालांकि, पीड़ितों के परिवार शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जारी रखने में सक्षम थे और पसनी, जीरो-पॉइंट पर नाकाबंदी बनाए रखी। बीवाईसी ने मांग की कि अर्धसैनिक बल और पुलिस पहले से ही पीड़ित परिवारों के खिलाफ अत्यधिक बल का प्रयोग न करें, जो इतनी ठंड में सड़क पर बैठे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कतर के अमीर के साथ कई अहम मुद्दों पर सहमति जताई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की जहां दोनों नेताओं ने कई अहम मुद्दों पर सहमति जताई और शांति और सुरक्षा को लेकर की चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की जहां दोनों नेताओं ने कई अहम मुद्दों पर सहमति जताई और शांति और सुरक्षा को लेकर की चर्चा।
भारत और कतर के बीच आय पर करों के संबंध में दोहरे कराधान से बचने और राजकोषीय चोरी की रोकथाम के लिए संशोधित समझौते पर प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी की मौजूदगी में दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हस्ताक्षर किए गए।
इस दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार, ऊर्जा, निवेश, नवाचार, प्रौद्योगिकी, खाद्य सुरक्षा, संस्कृति और लोगों से लोगों के संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत-कतर संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने का फैसला किया। उन्होंने आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।
कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी दो दिवसीय राजकीय दौरे पर भारत आए हैं अमीर को आज मंगलवार को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और उनका औपचारिक स्वागत किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। कतर के अमीर ने मंत्रियों से भी बातचीत की।
अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर सोमवार को दिल्ली पहुंचे थे, उनके साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है, जिसमें मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल शामिल है। इससे पहले वे मार्च 2015 में राजकीय दौरे पर भारत आए थे।
मस्जिद के खिलाफ कार्रवाई पर /यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
कुशीनगर में बिना नोटिस दिए मदीना मस्जिद पर बुलडोजर चलाकर उसके एक हिस्से को गिरा देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए यूपी सरकार से आगे के आदेश तक मदीना मस्जिद के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है।
कुशीनगर में बिना नोटिस दिए मदीना मस्जिद पर बुलडोजर चलाकर उसके एक हिस्से को गिरा देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए यूपी सरकार से आगे के आदेश तक मदीना मस्जिद के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह फैसला मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर सुनाया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि यूपी सरकार ने बिना कोई नोटिस दिए मस्जिद को गिराकर जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के 13 नवंबर 2024 के आदेश की अवहेलना की है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए सुनाए गए अपने उस फैसले में स्पष्ट किया था कि किसी भी ध्वंसात्मक कार्रवाई को बचाव का मौका दिए बिना नहीं किया जा सकता, इसलिए बुलडोजर कार्रवाई 15 दिन के पूर्व नोटिस के बिना नहीं की जा सकती।
इसके विपरीत, यूपी सरकार ने 9 फरवरी को रविवार की सुबह कुशीनगर के हाटा इलाके में स्थित तब्लीगी जमात के स्थानीय केंद्र मदीना मस्जिद पर बुलडोजर चला दिया। मस्जिद प्रबंधन का आरोप है कि नोटिस के नाम पर यह सिर्फ एक दिखावा था।
बुलडोजर चलाने से पहले दीवार पर नोटिस चिपकाया गया, फोटो ली गई और फिर उसे हटाकर ध्वंस कार्रवाई शुरू कर दी गई। 9 फरवरी को ध्वंस के समय यह दावा किया गया कि मस्जिद सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनी हुई है, जबकि अगले दिन कहा गया कि निर्माण पास किए गए नक्शे के विपरीत हो रहा था और जितने हिस्से का नक्शा पास नहीं कराया गया था उसे गिरा दिया गया।
यूपी सरकार की इस मनमानी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस पर सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह ने आगे किसी भी ध्वंस कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाते हुए उन अधिकारियों से जवाब मांगा है।