
رضوی
इज़राइल के साथ संबंधों को सामान्य बनाना फ़िलिस्तीन के साथ विश्वासघात
ईरान और पूर्वी एशिया के बीच भाषाई, सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों पर 45वें पूर्व-संगोष्ठी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ज़ायोनी शासन के साथ संबंधों को सामान्य बनाना फ़िलिस्तीन के साथ विश्वासघात घोषित किया गया है।
ईरान और पूर्वी एशिया के बीच भाषाई सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों पर 45वीं पूर्व-संगोष्ठी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन क़ुम में आयोजित की गई।
यह संगोष्ठी संबंधों के सामान्यीकरण की प्रक्रिया और इसकी विश्व व पूर्वी एशियाई देशों पर प्रभाव विषय पर आधारित थी इसे समाज-उलमुस्तफा आलमिया के उच्च विद्यालय सांस्कृतिक अध्ययन विभाग, अरबी भाषा व संस्कृति अध्ययन समूह तथा उच्च शिक्षा परिसर भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन विभाग के संयुक्त सहयोग से आयोजित किया गया।
इस बैठक में हुज्जतुल इस्लाम मोहसिन मदनी नेजाद जो इस्लामी विज्ञानों के तुलनात्मक अध्ययन अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष हैं मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे इसके अलावा, हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद जो अरबी भाषा व संस्कृति अध्ययन विभाग के प्रोफेसर हैं इस कार्यक्रम के सचिव थे यह कार्यक्रम छात्रों व शोधार्थियों की उपस्थिति में अरबी भाषा में प्रस्तुत किया गया।
मदनी नेजाद ने चर्चा की शुरुआत में फ़िलिस्तीनी जनता के मूलभूत अधिकारों की अनदेखी के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का विश्लेषण किया उन्होंने कहा कि वर्षों से इन अधिकारों के दमन ने तूफान अलअक्सा अभियान को जन्म दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि फ़िलिस्तीनी जनता के वापसी के अधिकार, यरुशलम की स्थिति और एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों की उपेक्षा ने तनाव बढ़ाया है और इस पवित्र भूमि में मानवता पर आपदाएँ लाई हैं।
बैठक में यह भी विश्लेषण किया गया कि दुनिया के विभिन्न देशों विशेषकर पूर्वी एशिया के देशों जैसे जापान चीन, इंडोनेशिया, उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया में इस्राइल के साथ संबंधों के सामान्यीकरण का क्या प्रभाव पड़ा है।मदनी नेजाद ने पूर्वी एशियाई देशों की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन देशों ने इस मुद्दे पर अलग अलग नीतियाँ अपनाई हैं
इंडोनेशिया और उत्तर कोरिया अपने सिद्धांतवादी दृष्टिकोण के तहत आर्थिक लाभ की बजाय फ़िलिस्तीनी अधिकारों के समर्थन को प्राथमिकता देते हैं।चीन जापान और दक्षिण कोरिया फ़िलिस्तीन के अधिकारों का समर्थन करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन साथ ही वे इस्राइल के साथ आर्थिक संबंध भी बनाए रखना चाहते हैं।
इससे यह स्पष्ट होता है कि पूर्वी एशियाई देशों में आर्थिक हितों और मानवीय मूल्यों के समर्थन के बीच एक विरोधाभास मौजूद है।
मदनी नेजाद ने ज़ोर देते हुए कहा कि इस्राइल के साथ संबंधों को सामान्य बनाना फ़िलिस्तीनी अधिकारों के कमजोर होने और उनके आदर्शों की अवहेलना का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया का विरोध करने वाले देश और समूह इसे फ़िलिस्तीनी अधिकारों के साथ विश्वासघात और एक अतिक्रमणकारी सरकार के साथ सहयोग मानते हैं उनका मानना है कि इस प्रकार का सामान्यीकरण तनाव को और अधिक बढ़ा सकता है।
हिज़्बुल्लाह समर्थकों का बेरूत एयरपोर्ट जाने वाले रास्ते पर धरना
हज़ारों की संख्या में प्रतिरोध समर्थकों ने हिज़्बुल्लाह लेबनान के आह्वान पर बीती शाम से लेकर रात देर तक रफीक हरीरी एयरपोर्ट के रास्ते पर शांतिपूर्ण धरना दिया।
गुरुवार को बेरूत के रफीक हरीरी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ईरान की महान एयरलाइन के दो विमानों की लैंडिंग रोकने के बाद लेबनान में विशेष रूप से हिज़्बुल्लाह और उसके समर्थकों की ओर से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखा गया।
ईरानी विमानों की लैंडिंग रोकने का यह कदम उस समय सामने आया जब इज़रायली सेना ने दावा किया कि ईरान यात्री विमानों के जरिए लेबनान के हिज़्बुल्लाह को नकद धनराशि भेज रहा है। हालांकि इस कदम के जवाब में तेहरान ने भी लेबनानी विमान की इमाम खुमैनी हवाई अड्डे पर लैंडिंग रोक दी लेकिन हिज़्बुल्लाह और प्रतिरोध के समर्थक इस बात से नाराज़ हैं कि लेबनान की नई सरकार तेल अवीव की मांगों के आगे झुक गई है।
इस घटना के बाद बेरूत में गुरुवार से ही लेबनानी युवाओं के विरोध प्रदर्शन जारी हैं बीती शाम भी सैकड़ों लोगों ने हिज़्बुल्लाह के आह्वान पर बेरूत हवाई अड्डे के रास्ते पर शांतिपूर्ण धरना दिया लेकिन इस धरने पर लेबनानी सेना और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया देखने को मिली।
सुरक्षा बलों की दखलअंदाजी और आंसू गैस के गोले दागे जाने के कारण कई प्रदर्शनकारी दम घुटने की स्थिति में आ गए और अंततः हिज़्बुल्लाह लेबनान ने तनाव को और बढ़ने से रोकने के लिए अपने समर्थकों से धरना समाप्त करने की अपील की।
इस प्रदर्शन में भाग लेने वालों ने लेबनान का झंडा, हिज़्बुल्लाह का झंडा और शहीद सैयद हसन नसरल्लाह की तस्वीरें उठा रखी थीं और अमेरिका व इज़राइल के हस्तक्षेप के खिलाफ नारे लगा रहे थे।
हिज़्बुल्लाह की राजनीतिक परिषद के उपाध्यक्ष हाज महमूद क़माती ने धरने में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उनका धन्यवाद किया और इज़राइल व अमेरिका द्वारा थोपे गए फैसलों को अस्वीकार्य बताया।क़माती ने कहा,हमने शहीद दिए हैं ताकि हमारी इज्जत बनी रहे और इस देश की असली संप्रभुता कायम रहे।
उन्होंने जोर देते हुए कहा,हमारा रुख जिसका ऐतिहासिक नारा कर्बला से लेकर आज तक नहीं बदला यही है हैयहात मिन्ना ज़िल्लाह (हम कभी भी अपमान स्वीकार नहीं करेंगे)।
हमास की चेतावनी, विस्थापन यरूशलेम की ओर ही होगा
हमास ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि पूरी दुनिया को यह समझ लेना चाहिए कि फिलिस्तीनी लोगों की पुनर्वास योजना केवल यरुशलम की ओर होगी। युद्धविराम समझौते के तहत, हमास ने तीन और इसरायली बंदियों को रिहा किया और इसके बदले इसराइल ने ३६९ फिलिस्तीनी बंदियों को रिहा किया।
हमास ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि पूरी दुनिया को यह समझ लेना चाहिए कि फिलिस्तीनी लोगों की पुनर्वास योजना केवल यरुशलम की ओर होगी। युद्धविराम समझौते के तहत, हमास ने तीन और इसरायली बंदियों को रिहा किया और इसके बदले इसराइल ने ३६९ फिलिस्तीनी बंदियों को रिहा किया।
हमास ने इस बात पर जोर दिया कि ग़ज़्ज़ा में बंद इस्राईली बंदियों की रिहाई केवल वार्ता और युद्धविराम समझौते के तहत ही हो सकती है और उनका मानना है कि फिलिस्तीनी लोगों की पुनर्वास योजना केवल यरुशलम की ओर होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यरुशलम, मस्जिद अल-अक्सा और वहाँ की बड़ी भीड़ की तस्वीरें इस्राईली और उनके सहयोगियों के लिए एक नया संदेश हैं।
हमास ने यह भी कहा कि यह कदम उनके संघर्ष, एकता और प्रतिरोध की शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने पूरी दुनिया से कहा कि फिलिस्तीनी लोग यरुशलम की ओर ही पलायन करेंगे, कहीं और नहीं।
हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग़ज़्ज़ा पर कब्जा करने और फिलिस्तीनियों को पड़ोसी देशों में बसाने की बात की थी, जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विरोध का सामना करना पड़ा।
लेबनान और सीरिया के युद्ध प्रभावितों के लिए राहत सामग्री रवाना
एनडीएमए के अनुसार, इस राहत सामग्री की खेप में 60 टन सामान शामिल है जिसमें टेंट, तिरपाल और गर्म शिविर मौजूद हैं ताकि युद्ध प्रभावित लोगों को भीषण मौसम में सहायता प्रदान की जा सके।
नेशनल डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) द्वारा लेबनान ग़ाज़ा और सीरिया के युद्ध प्रभावित लोगों के लिए राहत सामग्री भेजने का सिलसिला जारी है।
इस कड़ी में 24वीं राहत खेप जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट, कराची से रवाना कर दी गई है।
NDMA के अनुसार, इस राहत सामग्री में 60 टन सामान शामिल है, जिसमें टेंट, तिरपाल और गर्म शिविर शामिल हैं, ताकि युद्ध प्रभावित लोगों को भीषण मौसम में सहायता प्रदान की जा सके।
अब तक NDMA लेबनान, ग़ाज़ा और सीरिया के लिए कुल 1,861 टन राहत सामग्री भेज चुका है, जिसमें खाद्य सामग्री, चिकित्सा आपूर्ति, तंबू और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं।
पाकिस्तान इन देशों के युद्ध प्रभावित लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लगातार राहत अभियान चला रहा है ताकि इस कठिन समय में पीड़ित जनता को हर संभव मदद उपलब्ध कराई जा सके।
पनामा, कनाडा, ग्रीनलैंड और ग़ज़ा के बाद अब यूक्रेन और सऊदी अरब की बारी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूक्रेन के दुर्लभ खनिज पदार्थों को लेने की अपनी सरकार की योजना की बात कही थी जिसकी प्रतिक्रिया में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदोमीर ज़ेलंस्की ने कहा है कि इस योजना से यूक्रेन और उसके हितों की रक्षा नहीं होगी।
समाचार पत्र वाल स्ट्रीट जरनल ने अपनी हालिया एक रिपोर्ट में एलान किया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा, ग्रीनलैंड, पनामा और ग़ज़ा सहित विश्व के विभिन्न क्षेत्रों पर नियंत्रण के संबंध में जो बात कही थी उसका संबंध 21वीं शताब्दी की एक पुरानी धारणा से है जिसके अनुसार बड़ी शक्तियों को चाहिये कि वे अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र उत्पन्न करें और दूसरों पर अपनी इच्छाओं व दृष्टिकोणों को थोपकर अपने आर्थिक और सुरक्षा हितों की रक्षा करें।
अमेरिका यूक्रेन के दुर्लभ 50 प्रतिशत खनिज पदार्थों को लेना चाहता है
समाचारिक सूत्रों ने बताया है कि ट्रम्प सरकार ने अमेरिकी वित्तमंत्री (Scott Bessent) की 12 फ़रवरी को होने वाली कीव यात्रा की ओर संकेत करते हुए एक प्रस्ताव दिया है कि यूक्रेन की सरकार को चाहिये कि वह अपने 50 प्रतिशत दुर्लभ खनिज पदार्थों को अमेरिका को दे दे और अमेरिका यूक्रेन की रक्षा के लिए अपने सैनिकों को वहां तैनात करने के तैयार है। यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेंलस्कीं ने इस प्रस्ताव को रद्द करते हुए कहा कि इस प्रस्ताव से यूक्रेन और उसके हितों की रक्षा नहीं होगी।
क्या यूक्रेन से अधिक विशिष्टता लेने के लिए अधिक वार्ता
अमेरिकी सूत्रों ने शनिवार को रिपोर्ट दी थी कि इस देश के वरिष्ठ अधिकारी यूक्रेन संकट के समाधान के संबंध में शीघ्र ही सऊदी अरब में रूस और यूक्रेन के अधिकारियों से भेंटवार्ता करने वाले हैं।
रिपब्लिकन सांसद माइकल मेक काल ने इस संबंध में टेक्सस राज्य में कहा कि शीघ्र ही विदेशमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और मध्यपूर्व के मामलों में ट्रम्प के विशेष दूत व प्रतिनिधि सऊदी अरब की यात्रा पर जाने वाले हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने इससे पहले यूरोप के प्रति वाशिंग्टन के समर्थन के बंद किये जाने के बारे में चेतावनी देते हुए कहा था कि यूक्रेन उस शांति समझौते को क़बूल नहीं करेगा जिसमें वह उपस्थित नहीं होगा।
अलग शिकार सऊदी अरब?
सऊदी अरब के प्रतिरक्षामंत्री ने अपने अमेरिकी समकक्ष से सैनिक सहयोग को मज़बूत बनाये जाने के संबंध में टेलीफ़ोनी वार्ता की है। सऊदी अरब के प्रतिरक्षामंत्री युवराज ख़ालिद बिन सलमान ने इस बारे में कहा कि अमेरिका के रक्षामंत्री Pete Heggst से रक्षा के क्षेत्र में सहयोग को मज़बूत करने के संबंध में वार्ता किया है। अमेरिकी रक्षामंत्री ने इस टेलीफ़ोनी वार्ता में रियाज़ और वाशिंग्टन के मध्य समानताओं पर बल दिया। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एलान किया था कि सऊदी अरब 600 अरब डा᳴लर का पूंजी निवेश अमेरिका में करेगा और उसे वह एक ट्रिलियन तक पहुंचाने का इरादा रखता है।
ज्ञात रहे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पहले राष्ट्रपति काल में सऊदी अरब को दुधारू गाय की संज्ञा दी थी।
ट्रंप योजना के खिलाफ यमन के कई शहरों में रैली का आयोजन
यमन के सभी शहरों और प्रांतों में सैयद अब्दुल मलिक अलहौसी के आह्वान पर ग़ाज़ा निवासियों के समर्थन में विशाल रौलि और प्रदर्शन हुए प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाते हुए कहा कि ग़ाज़ा के साथ एकजुटता में जबरन विस्थापन और सभी साजिशों के खिलाफ हम खड़े हैं।
यमन के सभी शहरों और प्रांतों में सैयद अब्दुल मलिक अलहौसी के आह्वान पर ग़ाज़ा निवासियों के समर्थन में विशाल रौलि और प्रदर्शन हुए प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाते हुए कहा कि ग़ाज़ा के साथ एकजुटता में जबरन विस्थापन और सभी साजिशों के खिलाफ हम खड़े हैं।
और चेतावनी दी कि यदि अमेरिका ग़ाज़ा के खिलाफ अपनी योजना पर अड़ा रहा तो यमन की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया होगी।
एक समाचार एजेंसी सबा ने बताया कि केवल सादा प्रांत में 35 अलग अलग प्रदर्शन हुए। सना में भी अल-सबीन स्क्वायर लोगों से भरा हुआ था यमन के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद नासिर अलअतफी ने सना में अंतिम बयान पढ़ा और कहा कि यमनी सेना ग़ाज़ा के लोगों का समर्थन करने और जबरन विस्थापन की योजनाओं का मुकाबला करने के लिए दुश्मनों के खिलाफ कड़ी सैन्य कार्रवाई करने के लिए तैयार है।
इस विशाल प्रदर्शन के अंतिम बयान में प्रतिभागियों ने इजरायल और अमेरिका को चेतावनी दी कि किसी भी जबरन विस्थापन योजना को लागू करने के गंभीर परिणाम होंगे। साथ ही फिलिस्तीन के लोगों के प्रति दृढ़ समर्थन और उनके साथ किए गए वादे को निभाने पर जोर दिया गया।
बयान में यह भी कहा गया कि फिलिस्तीनी लोग अकेले नहीं होंगे और उनका समर्थन चाहे जो भी कीमत हो जारी रहेगा। साथ ही डोनाल्ड ट्रम्प के हालिया बयानों को अभद्र बताया गया और कहा गया कि ऐसे रुख केवल यमन के लोगों के संकल्प को और मजबूत करेंगे।
प्रदर्शनकारियों ने अरब देशों विशेष रूप से फिलिस्तीन के पड़ोसियों को चेतावनी दी कि फिलिस्तीनियों के जबरन विस्थापन की योजना ग्रेटर इजरायल प्रोजेक्ट का हिस्सा है जो अंततः उन्हें भी निशाना बनाएगा। बयान में जोर देकर कहा गया कि इस योजना को खारिज करने से देशों को खतरनाक परिणामों से बचाया जा सकता है लेकिन इसके साथ जुड़ने का मतलब होगा एक अभूतपूर्व अपराध में भागीदारी।
यमन के सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद अली अलहौती जो सादा शहर में मौजूद थे ने फिलिस्तीन के प्रति यमन के समर्थन पर जोर दिया और कहा कि यदि ट्रंप ने गाजा के लोगों को विस्थापित करने की अपनी योजना को अंजाम दिया तो अमेरिका को यमन की ओर से कुछ ऐसा देखने को मिलेगा जो उसने पहले कभी अनुभव नहीं किया।
उन्होंने यह भी कहा कि यमन के सैन्य शस्त्रागार ने अपनी ताकत वापस पा ली है और कमांड का इंतजार कर रहे हैं। अलहौसी ने कहा कि मिसाइलों विमानों और उन सभी हथियारों का, जो ट्रंप ने अवैध रूप से कब्जाए गए शासन को दिए हैं, गाजा के लोगों को विस्थापित करने में कोई फायदा नहीं होगा।
ब्रिटेन: क़ुरआन का अपमान करने वाले व्यक्ति पर हमला
ब्रिटेन मे तुर्की वाणिज्य दूतावास के बाहर पवित्र कुरान का अपमान करने वाले एक शरारती व्यक्ति की एक राहगीर ने बुरी तरह पिटाई कर दी। इतना ही नहीं, उसे जमीन पर गिराने के बाद राहगीर ने उस पर धारदार हथियार से भी वार कर दिया।
ब्रिटेन मे तुर्की वाणिज्य दूतावास के बाहर पवित्र कुरान का अपमान करने वाले एक शरारती व्यक्ति की एक राहगीर ने बुरी तरह पिटाई कर दी। इतना ही नहीं, उसे जमीन पर गिराने के बाद राहगीर ने उस पर धारदार हथियार से भी वार कर दिया।
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को ब्रिटेन में तुर्की दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन की आड़ में एक बदमाश ने यह जघन्य कृत्य किया। जब उसने लाइटर से पवित्र कुरान की एक प्रति जलाई, तो वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति ने उस पर हमला कर दिया और उसे नीचे गिरा दिया। राहगीर ने जमीन पर गिरे व्यक्ति के हाथ से पवित्र कुरान की प्रति छीन ली और उस पर लात-घूंसों की बरसात कर दी। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि बदकिस्मत आदमी अपने हाथ में एक बड़ी किताब पकड़े हुए है, जो पवित्र कुरान की एक प्रति है और इसका एक हिस्सा जल रहा है।
वीडियो में राहगीर को शापित व्यक्ति पर चाकू से हमला करते हुए भी देखा जा सकता है, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो जाता है। पास में खड़े एक डिलीवरी बॉय ने भी गुस्सा होकर उसे मुक्का मार दिया। बाद में पुलिस अधिकारियों ने गुस्साई भीड़ से उस व्यक्ति को बचाया और एम्बुलेंस के जरिए अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। पुलिस ने चाकू से हमला करने वाले व्यक्ति को भी हिरासत में ले लिया है तथा उससे पूछताछ की जा रही है।
30 हज़ार मिस्री स्वयंसेवकों को ग़ाज़ा की मदद के लिए भेजा गया
मिस्र सरकार ने फिलिस्तीनी जनता का समर्थन करने और ग़ाज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने में सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से मिस्र रेड क्रिसेंट के 30 हजार स्वयंसेवकों को सिना क्षेत्र में भेजा गया है।
रूसी समाचार वेबसाइट रूसिया अलयौम (RT) ने अल-शोरूक के हवाले से लिखा कि मिस्र की सामाजिक सहयोग मंत्री माया मरसी ने घोषणा की है कि मिस्र रेड क्रिसेंट के 30 हजार स्वयंसेवकों को सिना में तैनात किया गया है ताकि ग़ाज़ा में मानवीय सहायता भेजने की प्रक्रिया का प्रबंधन किया जा सके और उन रोगियों व घायलों का स्वागत किया जा सके जो इस क्षेत्र से मिस्र में प्रवेश कर रहे हैं।
उन्होंने आगे बताया कि 10 राहत काफिले जिनमें 200 टन खाद्य सामग्री, कपड़े, टेंट, पानी और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं रफ़ह बॉर्डर क्रॉसिंग पर पहुंच चुके हैं और ग़ज़ा में प्रवेश के लिए तैयार हैं। यह सहायता सामग्री अरब सामाजिक मामलों के मंत्रिपरिषद के वित्त पोषण और मिस्र रेड क्रिसेंट के पूर्ण समन्वय के साथ भेजी गई हैं।
माया मरसी ने यह भी जोर दिया कि मिस्र रेड क्रिसेंट का महत्वपूर्ण योगदान न केवल फिलिस्तीनी घायलों के इलाज और मानवीय सहायता के वितरण में है बल्कि सिनाई में तैनात टीमों द्वारा रोगियों के साथ आने वालों को मानसिक और भावनात्मक सहायता भी प्रदान की जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि युद्धविराम समझौते के तहत ग़ाज़ा में प्रतिदिन 600 ट्रकों की मानवीय सहायता भेजने के प्रयास जारी हैं।इसी बीच मिस्री अरबी उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल जिसमें मिस्र के उप प्रधानमंत्री खालिद अब्दुलग़फ़्फ़ार, मंत्री माया मरसी और अरब लीग के वरिष्ठ अधिकारी, विशेष रूप से इसके उप महासचिव हुसाम जकी शामिल थे।
रफ़ह बॉर्डर क्रॉसिंग और अल-अरीश अस्पताल का दौरा किया इस दौरे का उद्देश्य इलाज सेवाओं की प्रभावशीलता सुनिश्चित करना और चिकित्सा उपकरणों व आवश्यक दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता की पुष्टि करना था।माया मरसी ने दोहराया कि मिस्र सरकार फिलिस्तीनी जनता के समर्थन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
इसके अलावा इस दौरे के दौरान, अरब सामाजिक और स्वास्थ्य मामलों के मंत्रिपरिषद द्वारा वित्तपोषित एक और मानवीय सहायता काफिला ग़ाज़ा के लिए रवाना हुआ।
हमास ने ज़ायोनी अतिग्रहणकारियों को गैरेन्टी देने पर मजबूर कर दिया
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास ने एलान किया है कि युद्धविराम समझौते को जारी रखने और बंदियों की आज़ादी व रिहाई के संबंध में हमें ज़ायोनी सरकार की ओर से नई गैरेन्टी प्राप्त हुई है।
हमास आंदोलन के प्रवक्ता हाज़िम क़ासिम ने युद्धविराम समझौते को लागू करने के मार्ग में ज़ायोनी सरकार द्वारा उत्पन्न की जा रही रुकावटों व बाधाओं की ओर संकेत करते हुए कहा कि हम किसी प्रकार के परिवर्तन के बिना इस समझौते को लागू करने के प्रयास में हैं और जितना भी दबाव अधिक हो उसमें बदलाव और परिवर्तन की अनुमति नहीं देंगे।
हाज़िम क़ासिम ने कहा कि जिन शर्तों के साथ युद्धविराम हुआ है हम उसके प्रति कटिबद्ध हैं जबकिअतिग्रहणकारी हमेशा की भांति टालमटोल और आनाकानी की नीति को जारी रखते हैं मगर जिन शर्तों के साथ युद्धविराम हुआ है हमने उन्हें उसे मानने पर मजबूर कर दिया है।
ग़ाज़ा पट्टी की 70 प्रतिशत आधारभूत संरचनायें तबाह
इसी बीच ग़ाज़ा के मेयर हसना मेहना ने कहा है कि ग़ाज़ा की 70 प्रतिशत आधारभूत संरचनायें तबाह हो गयी हैं और यह हालत बुनियादी सेवाओं के बंद होने और लोगों की दिनचर्या की ज़िन्दगी के बहुत सख्त बनने का कारण बनी है।
मेहना ने कहा कि ग़ज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर तबाही पानी के बहुत अधिक कम होने, जलनिकासी की व्यवस्था के ख़राब हो जाने, कड़े का ढ़ेर लग जाने, सड़कों और रास्तों का बर्बाद हो जाना बिजली और ऊर्जा के न होने का कारण बना है और यह उस हालत में है जब नगर पालिका की सेवायें न्यूनतम स्तर पर कम हो गयी हैं।
ग़ाज़ा के मेयर ने बल देकर कहा कि ज़ायोनी सैनिक अब भी ग़ाज़ा में भारी वाहनों के आने को रोक रहे हैं और यह बात मलबे को हटाने और सड़कों व रास्ते के साफ़ करने में रुकावट बनी हुई है। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि परिवहन के फ़िर से आरंभ होने और आवासीय क्षेत्रों तक लोगों को पहुंचाने व आवाजाही में विलंब का कारण बना है।
पश्चिमी किनारे पर चार फ़िलिस्तीनी शहीद
दूसरी ओर ज़ायोनी सैनिकों ने पश्चिमी किनारे पर चार फ़िलिस्तीनी जवानों को शहीद कर दिया।
पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीनी नागरिकों के मामलों से जुड़े कार्यालय ने एक बयान में एलान किया है कि जेहाद महमूद हसन मशारेक़ा, मोहम्मद ग़स्सान अबू आबिद और ख़ालिद मुस्तफ़ा शरीफ़ आमिर को बुधवार को ज़ायोनी सैनिकों ने तूलकर्म के उत्तर में गोलीमार कर शहीद कर दिया और ज़ायोनी सैनिकों ने अभी तक शहीद होने वालों के शवों को नहीं दिया है।
आदिल अहमद आदिल बिशकार एक अन्य फ़िलिस्तीनी जवान है जिसे ज़ायोनी सैनिकों ने शुक्रवार की रात को नाब्लस के पूरब में अस्कर नामक शिविर में गोली मारकर शहीद कर दिया।
ज़ायोनी सैनिकों ने दक्षिणी लेबनान के कई क्षेत्रों पर हमला किया
समाचारिक सूत्रों ने बताया है कि ज़ायोनी सैनिकों ने दक्षिणी लेबनान के नब्तिया प्रांत के यारून उपनगर पर हमला किया।
हज़रत इमाम ज़माना (अ)की मा़रफत समाज की आध्यात्मिक प्रगति की बुनियाद है
ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा कि इमाम की मारफ़त ही इंसान की आध्यात्मिक उन्नति और पूर्णता की बुनियाद है यदि इमाम की सही पहचान न हो तो इंसान के सभी कर्म अधूरे और नाकिस रहेंगे।
ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा कि इमाम की मारफ़त ही इंसान की आध्यात्मिक उन्नति और पूर्णता की बुनियाद है और यदि इमाम की सही पहचान न हो तो इंसान के सभी कर्म अधूरे और नाकिस रहेंगे।
उन्होंने यह बात शहर बनाब के हौज़ा-ए-इल्मिया के छात्रों की अम्मामा पोशी की रस्म के दौरान अपने संबोधन में कही इस कार्यक्रम में उलेमा राजनीतिक और सामाजिक हस्तियां तथा जनता की एक बड़ी संख्या मौजूद थी।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने इमाम ज़माना अ.ज. के इंतज़ार को ईश्वरीय मूल्यों को प्रोत्साहित करने वाला तत्व बताते हुए कहा कि छात्रों को चाहिए कि इमाम की पहचान और उनसे प्रेम के साथ-साथ, धर्म और समाज की सेवा में विनम्रता और त्याग को अपनाएं और इसी रास्ते पर आगे बढ़ें।
उन्होंने आज़रबाइजान विशेष रूप से शहर बनाब के लोगों की सराहना करते हुए कहा कि हौज़ा-ए-इल्मिया बनाब जनता के समर्थन के कारण आज देश के प्रतिष्ठित धार्मिक विद्यालयों में गिना जाता है इसके लगभग दो हजार पूर्व छात्र आज क़ुम और अन्य शहरों में धार्मिक सेवाएं अंजाम दे रहे हैं जो बनाब के लोगों के लिए गर्व की बात है।
ईरान और हौज़ा-ए-इल्मिया की इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार में ऐतिहासिक भूमिका को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि ईरान ने खुले दिल से इस्लाम और शिया मत को स्वीकार किया और आज दुनिया भर में इस्लामी और शिया शिक्षाएं ईरानी हौज़ों के माध्यम से फैल रही हैं।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा कि इस्लामी क्रांति इस महान आंदोलन की ध्वजवाहक है और आज पूरी दुनिया की नज़रें ईरान और हमारे धार्मिक केंद्रों पर टिकी हुई हैं।
उन्होंने इमाम ज़माना अ.ज. की पहचान और उनके इंतज़ार की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि इंतज़ार केवल एक विचार नहीं है, बल्कि सभी ईश्वरीय मूल्यों, जैसे नमाज़, रोज़ा, जिहाद, नेकी और समाज सेवा का असली प्रेरक है। हमें इमाम ज़माना अज की पहचान और प्रेम को मजबूत करते हुए उनके जुहूर के लिए स्वयं को तैयार करना चाहिए।
उन्होंने इतिहास में हौज़ा-ए-इल्मिया की नास्तिकता और अधार्मिकता के खिलाफ भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संविधानिक क्रांति और प्रथम विश्व युद्ध के बाद हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम को मरहूम अब्दुलकरीम हायरी यज़दी ने फिर से जीवित किया आज इस्लामी क्रांति की बदौलत धार्मिक विद्यालय पूरी दुनिया में फैल चुके हैं।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने इमाम-ए-जुमा बनाब और अन्य हस्तियों का धन्यवाद करते हुए आशा व्यक्त की कि जनता और अधिकारियों के सहयोग से हौज़ा-ए-इल्मिया और अधिक विकसित होंगे और धर्म एवं समाज की सेवा में अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरी तरह निभाएंगे।