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एक ज़ायोनी समाचार पत्र ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में यमनी लोगों को अपराजेय बताते हुए कहा कि इज़राइल यमन के साथ सीधे संघर्ष में नहीं उतरना चाहता।

ज़ायोनी समाचार पत्र जेरूसलम पोस्ट ने बताया कि अक्टूबर 2023 से इज़राइल यमनी लोगों द्वारा दागे गए मिसाइल और ड्रोन को रोकने में विफल रहा है। इसके साथ ही कहा गया कि इज़रायल शुरू से ही यमन के साथ सीधे टकराव में नहीं जाना चाहता था और यह जिम्मेदारी अमेरिका पर छोड़ना चाहता था।

 जेरूसलम पोस्ट ने उच्च पदस्थ इज़रायली अधिकारियों के हवाले से लिखा कि यमनी लोग क्षेत्र में सभी पक्षों से अधिक मज़बूत हैं और उनके साथ लड़ाई इज़रायल के लिए बेहद कठिन है, क्योंकि वे अपराजेय हैं।

 इस ज़ायोनी समाचार पत्र ने आगे कहा कि अमेरिकी अधिकारी भी इज़रायली अधिकारियों के यमनी लोगों की अपराजेयता के दावों की पुष्टि करते हैं।

 जेरूसलम पोस्ट ने लिखा कि इज़रायली अधिकारियों ने गर्व के साथ कहा कि सना लंबे समय तक बिजली के बिना रहेगा, लेकिन यमनी लोगों ने बहुत कम समय में बिजली बहाल की और नई मिसाइलें इज़रायल की ओर दागीं।

 इस ज़ायोनी मीडिया ने आगे इज़रायली सेना के सूत्रों के हवाले से लिखा: यमन एक बड़ा चुनौती है और इस शासन की खुफ़िया एजेंसी इस चुनौती का कोई समाधान खोजने का प्रयास कर रही है, लेकिन अब तक इसमें सफलता नहीं मिली है।

 जेरूसलम पोस्ट ने आगे कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के यमन के साथ संघर्ष रोकने के फैसले ने इज़रायल को तूफ़ान के सामने अकेला छोड़ दिया। इज़रायली सेना के सूत्रों के अनुसार इज़रायल को यमन को धीरे-धीरे अपने रास्ते से हटाना होगा लेकिन यमन में खुफ़िया प्रभाव फैलाना तेल अवीव के नेताओं की अपेक्षा से अधिक समय ले रहा है।

 ज़ायोनी मीडिया ने अंत में ज़ोर देकर कहा कि अगर ग़ाज़ा में युद्ध बंद हो जाता है तो यमन से मिसाइल हमले भी रुक जाएंगे।

 हाल ही में यमन के हूसी आंदोलन के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य हिज़ाम अल-असद ने कहा कि यमन पर आक्रमण यमनी लोगों की ग़ाज़ा के प्रति समर्थन को प्रभावित नहीं करता। उन्होंने कहा कि इज़रायली आक्रमण यमन की जनता के खिलाफ़ असफ़ल रहा है और इसके परिणामस्वरूप दुश्मन को केवल असफ़लता और निराशा मिलेगी।

 हिज़ाम अल-असद ने यह भी कहा कि यमन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि ग़ाज़ा पर आक्रमण रोका जाए और उसकी घेराबंदी खत्म हो। यमनी विश्वासयोग्य और संघर्षरत लोग फिलिस्तीनी जनता का समर्थन जारी रखेंगे और इसके सभी खर्चों को वहन करेंगे।

 

अंसारुल्लाह के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य मुहम्मद अल-बुख़ैती ने फ़िलिस्तीनुलयौम से बातचीत में कहा कि यमन पर आक्रमण हमारे संकल्प और इज़रायल के खिलाफ अभियानों को बढ़ा देता है और यमन की ग़ाज़ा और फिलिस्तीन के प्रति ठोस स्थिति कभी नहीं बदलेगी।

 अलबुख़ैती ने स्पष्ट किया कि आज सही क़दम ग़ाज़ा का समर्थन करना है और यह समर्थन किसी भी कीमत पर जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यमन की स्थिति और उसके अभियानों का प्रतिनिधित्व पूरी स्वतंत्र दुनिया के लिए है।

 अंसारुल्लाह के सदस्य ने यह भी कहा कि इज़रायल के हमले यमन पर यह दिखाते हैं कि यमनी मिसाइल हमलों का प्रभाव कितना है। उन्होंने कहा कि हमारा अभियान इज़रायली दुश्मन के खिलाफ़ जारी रहेगा और यमन का आंतरिक मोर्चा आक्रमणकारियों के सामने एकजुट और संगठित है।

हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.अ. के हरम के प्रमुख प्रबंधक ने अर्बईन के दिनों में तीर्थयात्रियों की सेवा में सहयोग करने वाले सभी व्यक्तियों और संस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि अरबईन-ए-हुसैनी के दौरान कुल 94 हज़ार लोगों को आवास की सुविधा प्रदान की गई जबकि पवित्र स्थल की ओर से 250 हज़ार लोगों में तीन समय का भोजन वितरित किया गया।

हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.अ. के पवित्र स्थल के नजमा खातून हॉल में, पवित्र स्थल के ट्रस्टी आयतुल्लाह सईदी की उपस्थिति में सेवाकर्मियों (खादिमीन) के सम्मान में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में पवित्र स्थल के सेवाकर्मियों और विशेष रूप से अरबईन-ए-हुसैनी के दिनों में तीर्थयात्रियों की सेवा करने वाले सेवाकर्मियों की सराहना की गई।

इस अवसर पर हुज्जतुल इस्लाम सफ़र फ़िलाही पवित्र स्थल के प्रमुख प्रबंधक ने इमाम रज़ा अ.स. की एक हदीस का उल्लेख करते हुए कहा, निश्चित रूप से अल्लाह की नज़र में वाजिबात के बाद कोई भी चीज़ एक मोमिन को खुश करने के बराबर सवाब नहीं रखती।

उन्होंने कहा कि मोमिन को खुश करने वाली चीज़ों में से एक उसकी सेवा करना, उसकी समस्याओं का समाधान करना और उसकी ज़रूरतों को पूरा करना है।

उन्होंने आगे कहा कि सेवाकर्मियों को पूरे साल तीर्थयात्रियों की सेवा का अवसर मिलता है, लेकिन साल के कुछ विशेष समय जैसे अर्बईन-ए-हुसैनी के दिन सेवा की बहार होते हैं। ईश्वर के अनुग्रह से यह तीसरा साल है कि हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ.) के पवित्र स्थल पर तीर्थयात्रियों के लिए विशेष सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

उल्लेखनीय है कि इस साल पवित्र स्थल के जवादुल अइम्मा अ.स.प्रांगण में पाकिस्तानी मौकिब में भी सेवाएं प्रदान की गईं, जिसमें जामिया रूहानियत बाल्तिस्तान के सेवाकर्मियों ने सेवाएं दीं।

 ईरान के दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों ईरान शहर, सरावान और खाश में ईरानी सुरक्षा बलों ने संयुक्त अभियान चलाकर आतंकवादियों के कई ठिकानों को नष्ट कर दिया जिसमें 8 आतंकवादी मारे गए, कई गिरफ्तार किए गए और एक अपहृत नागरिक को मुक्त करा लिया गया।

ईरान के दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों ईरानशहर, सरावान और खाश में ईरानी सुरक्षा बलों ने बुधवार 27 अगस्त 2025 की सुबह संयुक्त और सुनियोजित अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप उग्रवादी समूहों के 8 आतंकवादी मारे गए और कई गिरफ्तार कर लिए गए।

विवरणों के अनुसार, यह कार्रवाई ईरान शहर के "चाह जमाल", सरावान के "होशक" और खाश के उपनगरीय इलाकों में एक साथ शुरू की गई और कई घंटों तक जारी रही। सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के हमलों का जवाब देते हुए उनके कई ठिकानों को नष्ट कर दिया।

इस अभियान में भारी हथियारों के साथ-साथ आधुनिक ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया, जिसके परिणामस्वरूप आतंकवादियों को भारी जानी और माली नुकसान उठाना पड़ा। स्थानीय स्रोतों के मुताबिक, इस दौरान इलाके में कई विस्फोटों और फायरिंग की आवाजें सुनाई दीं और आतंकवादियों के केंद्रों से धुआं उठता रहा।

कुद्स हेडक्वार्टर के जनसंपर्क विभाग ने बताया कि फ़राजा और पासदारान के जवानों ने इमामे जमाना अ.स. के गुमनाम सिपाहियों और अन्य खुफिया एजेंसियों के सहयोग से यह अभियान अंजाम दिया। ईरानशहर में मारे गए आठ आतंकवादी वही तत्व थे जो हाल ही में पासगाह-ए-दामन के अधिकारियों की शहादत में शामिल थे।

अभियान के दौरान एक अपहृत नागरिक को भी मुक्त कराया गया, जबकि आतंकवादियों के कब्जे से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और वह सामान बरामद हुआ जो शहीद अधिकारियों से छीना गया था।

ईरानी अधिकारियों का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ यह कार्रवाई जनता के जान और माल की सुरक्षा और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए जारी रहेगी और किसी भी बलिदान से परहेज नहीं किया जाएगा।

 इज़राईली लड़ाकू विमानों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क के दक्षिणी इलाकों पर कम से कम 16 हवाई हमले किए हैं जिनमें सीरियाई सेना के कई ठिकाने निशाने पर लिए गए हैं।

इज़राईली लड़ाकू विमानों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क के दक्षिणी इलाकों पर कम से कम 16 हवाई हमले किए हैं जिनमें सीरियाई सेना के कई ठिकाने निशाने पर लिए गए हैं।

सीरियाई स्रोतों के अनुसार, ये हमले बुधवार रात इलाके अलकसवा और इसके आसपास किए गए, जहाँ सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया। हालाँकि अभी तक जानी नुकसान के बारे में कोई विवरण सामने नहीं आया है, लेकिन स्थानीय स्रोतों का कहना है कि बमबारी विशेष रूप से सीरियाई सेना की डिवीजन 44 के केंद्र के नज़दीक हुई है।

सीरिया के सरकारी चैनल अलइखबारिया ने खबर दी है कि हमलों के दौरान इजरायली विमान बड़े पैमाने पर दमिश्क की हवाई सीमा में उड़ान भरते रहे। इसी तरह, अलमयादीन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इजरायली लड़ाकू विमानों ने दक्षिणी दमिश्क के इलाके हरजला में सीरियाई सेना की डिवीजन 76 की स्थितियों को भी निशाना बनाया।

इजरायली मीडिया ने भी इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा है कि हवाई हमलों के साथ-साथ इजरायली टैंकों ने भी दमिश्क के दक्षिणी किनारे की ओर कदम बढ़ाए हैं।

प्रारंभिक रिपोर्टों में बताया गया है कि ताल माने इलाके में 16 हमलों में से कम से कम सात हमले डिवीजन 44 के सैन्य ठिकाने पर किए गए हैं।

अमेरिका में स्थित काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस (CAIR) ने वेन स्टेट यूनिवर्सिटी पर मुसलमानों, फिलिस्तीनियों और नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन करने वालों की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया है।

अमेरिका में स्थित काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस (CAIR) ने वेन स्टेट यूनिवर्सिटी पर मुसलमानों, फिलिस्तीनियों और नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन करने वालों की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया है।

संगठन के कार्यकारी निदेशक दाऊद वलीद ने सोमवार को विश्वविद्यालय के द्वार के सामने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह संस्थान फिलिस्तीन के समर्थकों की आवाज़ को दबाने और मुसलमानों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार अपनाने की कोशिश कर रहा है।

उनका कहना था कि "विश्वविद्यालय वह स्थान है जहाँ छात्र अपनी फीस अदा करके शिक्षा प्राप्त करते हैं और यह जगह उनके लिए ज्ञान प्राप्त करने का सुरक्षित स्थान होनी चाहिए। यहाँ उन्हें स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त करने और प्रशासनिक मामलों में भाग लेने में किसी बाधा का सामना नहीं करना चाहिए।

दाऊद वलीद ने आगे कहा कि अमेरिका की परंपरा यही रही है कि विचार और समाचार सार्वजनिक स्थानों और विश्वविद्यालय परिसरों में स्वतंत्र रूप से व्यक्त किए जाएँ।आज गाज़ा के लोग भीषण अकाल और कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, ऐसे में फिलिस्तीन के समर्थकों की आवाज़ दबाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संगठन के वकीलों ने भी विश्वविद्यालय द्वारा मुसलमानों के साथ किए जाने वाले भेदभाव का विवरण प्रस्तुत किया। एक रिपोर्ट में कहा गया कि यदि कोई छात्र नमाज़ के लिए विश्वविद्यालय की मस्जिद जाता है, तो उसे वापस कक्षा में जाने या अपनी शैक्षणिक गतिविधियाँ जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाती है।

इसी तरह एक छात्र ने शिकायत की कि पुलिस शांतिपूर्ण समारोहों के दौरान मुसलमानों को लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति नहीं देती, जबकि अन्य सभी समूहों को यह सुविधा प्राप्त है।

 हौज़ा इल्मिया आयतुल्लाह ख़ामनाई बिहार के ज़ेरे एहतमाम 18वां बज़्म ए मुसालिमा' का आयोजन 'क़ुरआन और इमाम हुसैन अ.स. के उनवान से किया गया इस प्रोग्राम में मशहूर शायरों ने तरही शायरी पेश की।मौलाना मोहम्मद रज़ा मारूफी ने अपने खिताब में कहा कि इमाम हुसैन अ.स. का क़ियाम उम्मत की इस्लाह और हक़ व बातिल के बीच फ़र्क़ को वाज़ेह करने के लिए था।

निजात और सआदत का असली रास्ता इस्लाम है लेकिन अगर किसी तक इस्लाम या सच्चा धर्म न पहुँचा हो तो उसके पास जो धर्म मौजूद है या उसकी अक़्ल के मुताबिक उसका हिसाब होगा, और अगर वह अपने धर्म के मुताबिक सही काम करे तो वह जन्नती होगा। लेकिन अगर सच्चा धर्म उस तक पहुँचे और शोध के बाद वह उसे पहचान भी ले लेकिन कबूल न करे, तो बेशक वह जहन्नमी है हालाँकि, अगर वह शोध के बाद किसी दूसरे धर्म को सच्चा समझकर अपनाए और उस पर अमल करे तो उसका अमल कबूल है।

इस मौज़ू "क्या अन्य धर्मों और पंथों के अनुयायी भी स्वर्ग में जाएँगे? को एक सवाल-जवाब की शक्ल में हौज़ा न्यूज़ के पाठकों के लिए पेश किया जा रहा है

सवाल: जो लोग धर्म नहीं रखते या दूसरे धर्मों के अनुयायी हैं, क्या वे स्वर्ग में जाएँगे या जहन्नम में?

जवाब:पहला: कमाल और सच्ची खुशी तक पहुँचने का रास्ता सिर्फ इस्लाम है।

अगर किसी तक इस्लाम न पहुँचा हो, चाहे वह इस्लाम से पहले मर गया हो या किसी ऐसे इलाके में रहा हो जहाँ इस्लाम की आवाज़ न पहुँची हो, तो अगर वह अपने पास मौजूद धर्म पर अमल करे तो खुदा उसी धर्म के मुताबिक उसका हिसाब करेगा और वह जन्नती होगा। लेकिन अगर उसने अपने धर्म पर भी अमल न किया हो तो बेशक वह जहन्नमी है।

दूसरा: अगर किसी तक कोई धर्म न पहुँचा हो और वह बेदीन हो, तो खुदा उसके अमल का हिसाब अक़्ल के मुताबिक करेगा। अगर उसने अक़्ल के मुताबिक अच्छे काम किए और बुरे काम छोड़े तो वह जन्नती होगा, लेकिन अगर अक़्ल ने किसी काम को अच्छा कहा और उसने अंजाम न दिया या बुरे काम को बुरा जाना और फिर भी अंजाम दिया तो वह जहन्नमी होगा। हालाँकि यह खुदा की हिक्मत के खिलाफ है कि वह किसी कौम को बिना हादी और पैगंबर के छोड़ दे। वह किसी को उनके पास हिदायत के तौर पर जरूर भेजता है ताकि वह उन तक दीन-ए-इलाही पहुँचा सके।

तीसरा: अगर किसी तक इस्लाम और दूसरे धर्म पहुँचें और वह शोध करके किसी एक को सच्चा समझे, चाहे वह इस्लाम हो या मसीहियत या यहूदियत, और उसके मुताबिक अमल करे तो खुदा कबूल करेगा और वह जन्नती होगा, लेकिन अगर उस धर्म की खिलाफवर्जी करे तो वह अज़ाब पाएगा।

चौथा: अगर किसी तक दीन ए हक़ पहुँचे और वह शोध के बाद भी उसे पहचान ले लेकिन तअस्सुब, दुश्मनी या किसी और वजह से उसे कबूल न करे तो वह बेशक जहन्नमी है, चाहे वह अच्छे काम ही क्यों न करे।

स्रोत: हौज़ा एल्मिया की वेबसाइट बराए तबलीगी और सकाफती उमूर

इमाम अपने अनुयायियों के प्रति अपनी गहरी दया और मोहब्बत के कारण उनसे काफी जुड़ा होता है, और इसी प्यार और दोस्ती की वजह से वह उनके दर्द और तकलीफ में शरीक होता है। यह ऐसे है जैसे एक माँ अपने बच्चे से इतना जुड़ी होती है कि जब बच्चा बीमार होता है तो माँ भी बीमार हो जाती है, और जब बच्चा ठीक होकर खुश होता है तब माँ भी खुश और प्रफुल्लित हो जाती है, क्योंकि बच्चा माँ के लिए अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा होता है।।

हमने ग़ायब इमाम के फ़ायदों के बारे में बात की है और समझाया है कि इस दुनिया का दौर चलता रहना और सभी जीवों की ज़िंदगी उसी महान व्यक्ति की मौजूदगी पर निर्भर करती है। इस मौके पर हम ग़ायब इमाम की असीम मोहब्बत के कुछ उदाहरण प्रस्तुत करेंगे, जो अलग-अलग तरीकों से सामने आए है, ताकि सबको पता चले कि ये नेक और दयालु इमाम अपनी ग़ैबात के बावजूद हर जगह अपने प्यार का उजाला फैला चुके हैं। उनकी मेहरबानी और रहम बहती हुई नदियों की तरह लगातार जारी रहती है।

मोमिन इंसान के सबसे बड़े गुणों में से एक है अपने धार्मिक भाई-बहनों के साथ मिलकर सहानुभूति रखना। इस्लामी समाज में मोमिन एक जैसे शरीर की तरह होते हैं, जहां एक की पीड़ा दूसरे के लिए तकलीफ़, और एक की खुशी दूसरे के लिए खुशहाली का कारण होती है, क्योंकि कुरआन साफ कहता है कि वे सब भाई-बहन हैं।

बहुत सी हदीसों में, आइम्मा ए मासूमीन (अलैहिमुस्सलाम) ने अपने शिया भक्तों के प्रति सहानुभूति और दर्द महसूस करने की बात कही है। यह खूबसूरत भावना उनके दोस्तों के दिल को सुकून और राहत देती है, और एक दिल की ताकत बनती है जो उन्हें ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव में हौसला देती है और उनकी सहनशीलता और मजबूती को बढ़ाती है।

इमाम रज़ा (अ) फ़रमाते हैं:

"مَا مِنْ أَحَدٍ مِنْ شِیعَتِنَا یمْرَضُ إِلَّا مَرِضْنَا لِمَرَضِهِ وَ لَا اغْتَمَّ إِلَّا اغْتَمَمْنَا لِغَمِّهِ وَ لَا یفْرَحُ إِلَّا فَرِحْنَا لِفَرَحِه‏ मा मिन अहदिन मिन शीअतेना यमरज़ो इल्ला मरिज़्ना लेमरज़ेही वला इग़्तम्मा इल्लग़ तमम्ना लेग़म्मेही वला यफ़रहो इल्ला फ़रेहना लफ़रेहेहि "

हमारे किसी भी शिया में अगर कोई बीमारी आती है तो हम भी उसी बीमारी में बीमार हो जाते हैं, और अगर वह दुखी होता है तो हम भी उसके दुख में दुखी होते हैं, और अगर वह खुश होता है तो हम भी उसकी खुशी में खुश होते हैं। (बिहार उल अनवार, भाग 65, पेज 167)

इसलिए, इमाम अपने अनुयायियों के प्रति अपनी गहरी दया और मोहब्बत के कारण उनसे काफी जुड़ा होता है, और इसी प्यार और दोस्ती की वजह से वह उनके दर्द और तकलीफ में शरीक होता है। यह ऐसे है जैसे एक माँ अपने बच्चे से इतना जुड़ी होती है कि जब बच्चा बीमार होता है तो माँ भी बीमार हो जाती है, और जब बच्चा ठीक होकर खुश होता है तब माँ भी खुश और प्रफुल्लित हो जाती है, क्योंकि बच्चा माँ के लिए अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा होता है।

और इमाम सादिक़ (अलैहिस्सलाम) ने भी फ़रमाया:

"وَ اللَّهِ إِنِّی أَرْحَمُ بِکُمْ مِنْ أَنْفُسِکُم वल्लाहे इन्नी अरहमो बेकुम मिन अनफ़ोसेकुम "

मैं क़स्म खाता हूँ कि मैं आप लोगों पर खुद आप लोगों से भी ज्यादा दया करता हूँ।(बसाइर उद दरजात, पेज 265)

नतीजा यह है कि इमाम का प्यार बाकी सभी प्यारों से अलग होता है। यह एक सच्चा, बेदावत और असीम प्यार होता है, जो सिर्फ ज़ुबान पर नहीं बल्कि दिल और उसकी गहराईयों में छुपा होता है। इसी वजह से वह पूरी रूह और शरीर से अपने शियाो के साथ जुड़ा होता है।

इस इलाही मोहब्बत के उदाहरणों में से एक इमाम ज़माना अलैहिस्सलाम के वुजूद में इस तरह वर्णित किया गया है:

"إِنَّهُ أُنْهِی إِلَی ارْتِیابُ جَمَاعَه مِنْکُمْ فِی الدِّینِ وَ مَا دَخَلَهُمْ مِنَ الشَّکِّ وَ الْحَیرَه فِی وُلَاه أَمْرِهِمْ فَغَمَّنَا ذَلِکَ لَکُمْ لَا لَنَا وَ سَأَوْنَا فِیکُمْ لَا فِینَا لِأَنَّ اللَّهَ مَعَنَا فَلَا فَاقَه بِنَا إِلَی غَیرِه इन्नहू उन्ही एलर तियाबो जमाअते मिन्कुम फ़िद दीने वमा दख़लहुम मिनश शक्के वल हैरते फ़ी वुलाते अमरेहिम फ़ग़म्मना ज़ालेका लकुम ला लना व साऔना फ़ीकुम ला फ़ीना लेअन्नल्लाहा मआना फ़ला फ़ाक़ता बेना ऐला ग़ैरेह "

मुझे पता चला है कि आप में से कुछ लोग अपने धर्म में शक करने लगे हैं और उनके दिलों में अपने वली अमरो को लेकर संदेह और उलझन पैदा हो गई है। इससे हमें बहुत दुख हुआ, लेकिन यह दुख आपके लिए है, हमारे लिए नहीं। और यह हमें आपसे भी नाराज़ नहीं करता, न ही अपने लिए। क्योंकि अल्लाह हमारे साथ है, और उसके होने से हमें किसी और की ज़रूरत नहीं है। (बिहार उल अनावर, भाग 53, पेज 178)

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सीनेटर शेरी रहमान ने इजरायल द्वारा खान यूनिस में 6 पत्रकारों की हत्या की निंदा की है और कहां,गाज़ा में जो कुछ हो रहा है;वह युद्ध नहीं बल्कि नरसंहार है।

पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से बताया है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सीनेटर शेरी रहमान ने इज़रायल द्वारा खान यूनिस में 6 पत्रकारों की हत्या की निंदा की है।

शेरी रहमान ने अपने बयान में कहा कि इज़रायल की क्रूर नीति ने 6 और पत्रकारों को हमेशा के लिए चुप करा दिया, इजरायली कार्रवाई पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।

सीनेटर शेरी रहमान ने कहा कि पत्रकारों की हत्या अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एक गंभीर युद्ध अपराध है, ग़ज़्ज़ा में 6 पत्रकारों की हत्या इज़रायल की सच्चाई को दबाने की दुर्भावना का निर्विवाद प्रमाण है।

उन्होंने कहा कि अल-नजर अस्पताल पर बमबारी इजरायल की वैश्विक कानूनों के उल्लंघन का सबूत है, ग़ज़्ज़ा में जो कुछ हो रहा है, वह किसी भी तरह से युद्ध नहीं बल्कि एक नरसंहार है।

 

 

 

 

 

 ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि तेहरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है।

ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों को खारिज करते हुए कहा कि ट्रंप के परमाणु कार्यक्रम को लेकर दावे पुराने और झूठे हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाकाई ने एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा कि ट्रंप के दावे कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों द्वारा भी झूठे साबित किए जा चुके हैं।

बाकाई ने कहा कि ट्रंप इन बेबुनियाद आरोपों को फिर से ज़िंदा करके असल में वाशिंगटन के ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु केंद्रों पर गैरकानूनी हमलों और इज़रायल की आक्रामक कार्रवाइयों को जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने याद दिलाया कि मार्च 2025 में अमेरिकी खुफिया निदेशक ने कांग्रेस में स्पष्ट किया था कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा है। ट्रंप इस स्पष्ट अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट को नजरअंदाज कर रहे हैं, जो उनके दावों की राजनीतिक प्रकृति को दर्शाती है।

उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट किया कि ईरान के पास परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है और इसकी परमाणु गतिविधियां पूरी तरह से शांतिपूर्ण और नागरिक उद्देश्यों के लिए हैं। साथ ही, इस्लामिक क्रांति के नेता का फतवा भी मौजूद है जो किसी भी तरह के बड़े पैमाने पर विनाशकारी हथियारों के निर्माण और उपयोग को हराम घोषित करता है।