رضوی

رضوی

न्यायपालिका के दो महत्वपूर्ण और प्रमुख जजों की शहादत पर रहबर-ए-इंक़लाब आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने एक शोक संदेश जारी किया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार , न्यायपालिका के दो महत्वपूर्ण और प्रमुख जजों की शहादत पर रहबर-ए-इंक़लाब इस्लामी आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने एक शोक संदेश जारी किया है।

शोक संदेश कुछ इस प्रकार है;

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन

मुजाहिद आलिम जनाब हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हज़रत हाजी शेख अली रज़ीनी और उनके बहादुर सहयोगी जज जनाब हाजी शेख मोहम्मद मक़ीसा रहमतुल्लाह अलैह की शहादत पर मैं उनके सम्मानित परिजनों की सेवा में संवेदनाएं प्रकट करता हूं और उनकी जुदाई पर गहरा दुख व्यक्त करता हूं।

शहीद रज़ीनी पर पहले भी दुश्मनों द्वारा हमला किया गया था और वह वर्षों तक इस हमले से हुई पीड़ा को सहते रहे उनके दो भाई इससे पहले ही शहीद हो चुके हैं।

इस दुखद घड़ी में हम आपके साथ हैं और अल्लाह ताला से दुआ करते हैं की अल्लाह ताला मरहूम की मग़फिरत फरमाए घर वालों को सब्र आता करें मरहूम के दरजात को बुलंद करें।

सैयद अली ख़ामेनेई

18 जनवरी

इज़रायली शिक्षामंत्री ने कहा,ऐसे समय में जब इज़राइली कैबिनेट की बैठक ने युद्ध विराम समझौते पर मतदान के बाद इसे मंज़ूरी दे दी है इस समझौते की कीमत बहुत भारी है लेकिन हमारे पास एक उच्च नैतिक कर्तव्य है कि हम अपने भाइयों और बहनों को उनके घरों में वापस लाएं।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,इज़रायली शिक्षा मंत्री योआव किश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा हैं मैंने कैबिनेट बैठक में युद्ध-विराम समझौते के पक्ष में मतदान किया।

उन्होंने आगे लिखा इस समझौते की कीमत बहुत भारी है, लेकिन हमारे पास एक उच्च नैतिक कर्तव्य है कि हम अपने भाइयों और बहनों को उनके घरों में वापस लाएं।

इज़रायली मंत्री ने ग़ाज़ा युद्ध में इज़रायल के लक्ष्यों को हासिल न कर पाने की बात को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकारते हुए दावा किया,चाहे जितना समय लगे हम अपने युद्ध के उद्देश्यों को नहीं छोड़ेंगे, यानी सभी भाइयों और बहनों को घर वापस लाना बंधकों को स्वदेश लाना, हमास सरकार को गिराना, और यह सुनिश्चित करना कि इज़रायल के लिए खतरा न बने।

इस बीच, इज़रायल के विदेश मंत्री गिडोन सार ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि युद्ध शुरू होने के महीनों बाद भी, हम एक भी बंधक को जीवित छुड़ाने में सफल नहीं हो सके। सार ने कहा कि इस तथ्य ने कैबिनेट के सदस्यों पर एक बड़ी जिम्मेदारी डाल दी है। उन्होंने स्वीकार किया, हमने हमास पर शक्तिशाली प्रहार तो किए, लेकिन उसके खिलाफ अपने युद्ध के उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सके।

जामे मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मीया क़ुम इस कायराना आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए, प्रशासनिक और सुरक्षा अधिकारियों से अपील करता है कि वे इस जघन्य अपराध के पीछे के दोषियों को गिरफ्तार कर सजा दिलवाएं और इस तरह की बुराईयों के पुनरावृत्ति को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाएं।

जामे मुदर्रेसीन ने देश के उच्चतम न्यायालय के दो प्रमुख न्यायाधीशों की शहादत पर शोक संदेश जारी किया:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम इना लिल्लाह व इना इलैहे राजेऊन

देश की न्यायिक प्रणाली के दो प्रमुख व्यक्तित्वों की शहादत आतंकवादी हमले में हुई, जो गहरी शोक और दुख का कारण बनी। शहीद हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हाजी शेख अली राज़ीनी और  हाजी शेख मुहम्मद मकीसेह (रहमतुल्लाह अलीहेमा) वर्षों तक इस्लामी व्यवस्था और न्यायिक जिम्मेदारियों में अपनी सेवा और संघर्ष में लगे रहे और वे न्यायिक प्रणाली के प्रभावी और प्रतिबद्ध न्यायधीशों में से थे, जिन्होंने ईमानदारी और क्रांतिकारी कार्यों के साथ सामाजिक न्याय और इस्लामी मूल्यों के लक्ष्य की दिशा में काम किया।

जामे मुदर्रेसीन हौज़ा-ए-इल्मीया क़ुम इस बर्बर आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करता है और प्रशासनिक और सुरक्षा अधिकारियों से अपील करता है कि इस घिनौने अपराध के दोषियों को गिरफ्तार करके दंडित करें और इस प्रकार की हिंसा के पुनरावृत्ति को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं।

हम अल्लाह से इन शहीदों के दरताज बुलंद होने के लिए दुआ करते हैं और उनके परिवारों तथा सभी शोक संतप्तों के लिए धैर्य की कामना करते हैं।

जामे मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम

हज़रत आयतुल्ला नूरी हमदानी ने हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हाजी शेख अली राज़ीनी और शेख मोहम्मद मकीसा की शहादत पर एक शोक संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने हौज़ा-ए-इल्मिया और उनके परिवार के प्रति अपनी शोक संवेदनाएँ व्यक्त की हैं।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी ने हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हाजी शेख अली राज़ीनी और शेख मोहम्मद मकीसा की शहादत पर एक शोक संदेश जारी किया है। उनका शोक संदेश निम्नलिखित है:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

सेवा में समर्पित और क्रांतिकारी जनाब हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हाजी शेख अली राज़ीनी और जनाब हुज्जतुल इस्लाम शेख मोहम्मद मकीसा «रहमतुल्लाह अलेहेमा» की शहादत पर सभी शोक संतप्त परिवारों को मेरी हार्दिक संवेदनाएँ और दिली शोक व्यक्त करता हूँ।

राज़ीनी परिवार हमेशा से ज्ञान, फकाहत और शहादत का प्रतीक रहा है। इस शहीद के पिता, चाचा और पूर्वज सभी हमदान के परहेज़गार और प्रभावशाली विद्वानो में शामिल थे, और धर्म तथा आध्यात्मिकता के प्रचार में हमेशा प्रमुख रहे हैं।

यह परिवार इस्लामी क्रांति और ईरान-इराक युद्ध में हमेशा अग्रणी रहा है और धर्म और देश के लिए कई शहीद दिए है।

शहीद अली राज़ीनी एक मजबूत और क्रांतिकारी शख्सियत के मालिक थे, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी इस्लामी व्यवस्था की रक्षा के लिए समर्पित की। वे कई बार दुश्मनों के हमलों का शिकार हुए और अंततः शहादत प्राप्त करके अपनी ज़िन्दगी की संघर्षों का सच्चा पुरस्कार पाया।

मैं खुदा से इन शहीदों के लिए रहमत और कृपा की दुआ करता हूँ।

हुसैन नूरी हमदानी

………………..

तेहरान में आज दोपहर सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों पर हमला किया गया।

ईरान की राजधानी तेहरान में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों पर हमला किया गया। हमले में दो जज शहीद हो गए, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

शहीद न्यायाधीशों में मोहम्मद मोकीसा, जो सुप्रीम कोर्ट विभाग के प्रमुख और न्यायाधीश थे, तथा अली रजिनी, जो पूर्व क्रांतिकारी अभियोजक थे, शामिल हैं। हमले में काजी मिरी घायल हो गए।

गोलीबारी में एक गार्ड भी घायल हो गया और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

एक जानकार सूत्र के अनुसार, न्यायाधीशों को युद्ध के हथियारों से निशाना बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप दो न्यायाधीशों की मौत हो गई और काजी मेरी घायल हो गए।

यह घटना तेहरान में सुप्रीम कोर्ट की इमारत के सामने हुई। हमलावर ने जजों पर हमला करने के बाद खुद की जान ले ली।

ग़ज़ा के सिविल डिफेंस ने जानकारी दी कि संघर्षविराम की घोषणा के बाद इस्राईली हमलों में फिलिस्तीनी शहीदों की संख्या बढ़कर 113 हो गई है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ग़ज़ा के सिविल डिफेंस ने एक बयान में बताया कि संघर्षविराम की घोषणा के बाद भी इस्राईली हमलों में अब तक 113 लोग जान गंवा चुके हैं। इन हमलों में 264 लोग घायल भी हुए हैं।

रेस्क्यू एजेंसी के अनुसार, इन शहीदों में से 87 लोग ग़ज़़्ज़ा शहर के, 14 खान यूनुस के, 10 ग़ज़ा के मध्य क्षेत्र के और 2 रफ़ा से थे।

एजेंसी ने यह भी बताया कि शहीदों में 28 बच्चे और 31 महिलाएँ शामिल हैं।

सबात टीवी के नए स्टूडियो की उद्घाटन समारोह में ऑस्ट्रेलिया से आए प्रसिद्ध धर्मगुरू मौलाना अबुल क़ासिम रिज़वी ने अपनी मौजूदगी से कार्यक्रम को रौनक बखशी।

सबात टीवी के नए स्टूडियो की उद्घाटन समारोह में ऑस्ट्रेलिया से आए प्रसिद्ध धर्मगुरू मौलाना अबुल क़ासिम रिज़वी ने अपनी मौजूदगी से कार्यक्रम को रौनक बखशी।

कार्यक्रम की शुरुआत मौलाना अम्मार अली खान रन्नवी के परिचय भाषण से हुई। इसके बाद मौलाना गोहर अली रिज़वी ने हज़रत ज़ैनब (स) की सादगी और उनके जीवन के प्रेरणादायक पहलुओं पर प्रकाश डाला और सबात ऑर्गनाइजेशन के उद्देश्यों पर चर्चा की।

मौलाना अबुल क़ासिम रिज़वी ने अपनी तकरीर में हज़रत ज़ैनब (स) के धैर्य और स्थिरता का ज़िक्र करते हुए विश्वासियों को मज़बूत इरादों और धार्मिक स्थिरता का सबक दिया। उन्होंने सबात टीवी की पूरी टीम की मेहनत को सराहा और उनके हक़ में दुआ की।

इस मौके पर सबात टीवी की पूरी टीम मौजूद थी, जिनमें मौलाना अम्मार अली खान, मौलाना दानिश अब्बास खान, मौलाना सफदर अब्बास बिलाल, मौलाना मोहम्मद कुमैल रिज़वी, मौलाना इरफान मांटवी, मौलाना ज़ीशान मुकर्रमी, मौलाना रहबर अली, मौलाना हाशिम अली मीर कश्मीरी, मौलाना आबिद, मौलाना नजीब बनारसी, मौलाना हादी करगिली और मौलाना रज़ा मूसा शामिल थे।

यह नया स्टूडियो दीन-ए-इस्लाम और मक्तब-ए-अहले-बैत (अ) की शिक्षाओं को दुनिया भर में फैलाने के लिए एक अहम कदम है।

 

आयतुल्लाह सय्यद मोहम्मद सईदी ने जुमा के खुत्बे के दौरान ज़ोर देकर कहा कि दुश्मन जो घटनाओं को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश करता है, उसके खिलाफ मुस्लिम उम्मत को सतर्क और जागरूक रहना चाहिए।

क़ुम की मस्जिद में नमाज़े जुमा के दौरान आयतुल्लाह सय्यद मोहम्मद सईदी ने कहा कि जिस तरह हज़रत ज़ैनब (स) ने कर्बला की सच्चाई को दुश्मनों की झूठी बातों से बचाया, आज हमें भी 456 दिनों से जारी इस्राइली ज़ुल्म की सच्चाई दुनिया के सामने लानी होगी और झूठे प्रचार से लोगों को सचेत करना होगा।

उन्होंने कर्बला के आंदोलन को केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि इस्लाम की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक बलिदान करार दिया। आयतुल्लाह सईदी ने कहा कि कर्बला का संदेश यह है कि इंसान को ज़ुल्म के खिलाफ डटकर खड़ा होना चाहिए। ग़ज़ा की प्रतिरोध को एक ऐतिहासिक मोड़ बताते हुए उन्होंने कहा कि यह युद्धविराम किसी संघर्ष का अंत नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है, जहाँ इस्राइली साज़िशें नाकाम होंगी।

आयतुल्लाह सईदी ने कुरआन की आयतों का हवाला देकर ईमान वालों के लिए अल्लाह के साथ किए गए व्यापार की अहमियत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि सबसे अच्छा स्थान, जहाँ इंसान अपनी जान और माल अल्लाह के लिए पेश करता है, वह जिहाद और प्रतिरोध का मैदान है।

उन्होंने जिहाद का उद्देश्य बताते हुए कहा कि इसका मकसद अल्लाह के धर्म की मदद करना और इस्लामी तालीम को फैलाने में आने वाली रुकावटों को दूर करना है। उन्होंने यह भी कहा कि अल्लाह की रज़ा (संतोष) जिहाद और प्रतिरोध में सबसे बड़ी ताकत है, जो लोगों को इस कठिन राह पर चलने के लिए प्रेरित करती है।

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने शुक्रवार को इस्राइली हमलों में तेज़ी के बाद ग़ाज़ा में युद्धविराम की सुरक्षा के लिए व्यापक प्रयासों की मांग की है कार्यालय ने कहा कि युद्धविराम की घोषणा के बावजूद इस्राइली बमबारी जारी है जिसके परिणामस्वरूप पिछले दो दिनों में 81 फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार , संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने शुक्रवार को गाजा में युद्धविराम की रक्षा के लिए व्यापक प्रयासों की मांग की है कार्यालय ने कहा है कि युद्धविराम की घोषणा के बावजूद, इजरायली हमले तेज हो गए हैं जिसके चलते पिछले दो दिनों में 81 फिलीस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रविना शमदासानी ने कहा कि युद्धविराम की घोषणा के बाद भी इजरायली बमबारी जारी है जिसमें कल रात भी भारी बमबारी शामिल थी। उन्होंने बताया कि गाजा के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ 15 और 16 जनवरी को 81 फिलीस्तीनी नागरिक मारे गए हैं।

कार्यालय ने दोनों पक्षों से अपील की है कि वे युद्धविराम समझौते को विफल होने से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करें शमदासानी ने कहा हम दोनों पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे युद्धविराम समझौते को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश करें इसे ईमानदारी से लागू करें और जल्द से जल्द इसके दूसरे और तीसरे चरण को पूरा करें।

गाज़ा के नागरिक सुरक्षा विभाग के अनुसार, शुक्रवार शाम युद्धविराम की घोषणा के बाद मृतकों की संख्या 113 तक पहुंच गई है संयुक्त राष्ट्र ने जोर देकर कहा है कि युद्धविराम समझौते को बनाए रखने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए ताकि और अधिक जानमाल का नुकसान रोका जा सके।

यह स्थिति गाजा में मानवता संकट को और गहरा कर रही है जहां जनता पहले से ही हिंसा और नाकेबंदी के कारण भारी कठिनाइयों का सामना कर रही है संयुक्त राष्ट्र ने सभी पक्षों से अपील की है कि वे युद्धविराम का सम्मान करें और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं।

एक्स सोशल नेटवर्क पर ईरानी यूज़र्स ने ग़ज़ा में युद्धविराम के एलान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

बुधवार, 15 जनवरी, 2025 को क़तर ने फ़िलिस्तीनी और इजराइली पक्षों के बीच ग़ज़ा में युद्धविराम के प्रयासों की कामयाबी का एलान किया।

15 महीने से अधिक समय से चले आ रहे युद्ध और ज़ायोनी शासन द्वारा 46 हज़ार से अधिक लोगों की हत्या को रोकने के लिए समझौते का कार्यान्वयन रविवार 19 जनवरी को शुरू होगा।

इस ख़बर के एलान से विभिन्न देशों में खुशी की लहर दौड़ गई। पार्सटुडे के इस पैकेज में, ईरान के एक्स सोशल नेटवर्क के यूज़र्स की कुछ चुनिन्दा प्रतिक्रियाएं बयान की गयी हैं:

गुली जानम नाम के एक यूज़र ने ग़ज़ा की जनता की ख़ुशी का एक वीडियो पोस्ट किया और लिखा: जो लोग युद्धविराम की बात सुनकर खुशी से अपने घरों की ओर भागते हैं और यमन को प्रतिरोध के पीछे खड़े रहने के लिए खुशी से धन्यवाद देते हैं, आपको इन लोगों के चेहरों पर। जीत की खुशी के अलावा कुछ नहीं दिखता है।

 

एक्स नेटवर्क की एक अन्य यूज़र फातेमा बानू ने एक ट्वीट में ग़ज़ा की जनता की जीत की ओर इशारा किया और लिखा: नेतन्याहू की दो विफलताओं के नाम बताइये: हमास का वजूद, ग़ज़ा में युद्धविराम।

महबूबा सादात ने यह भी लिखा: हमास नष्ट नहीं हुआ, ग़ज़ा ने घुटने नहीं टेके, और सैन्य आप्रेशन्ज़ से कोई क़ैदी आज़ादनहीं हुआ, ज़ायोनीवादियों द्वारा युद्धविराम में हमास की शर्तों पर सहमति जताने के साथ, ज़ायोनी शासन की झूठी ताक़त, ग़ज़ा की रेत में हमेशा के लिए दफ़्न हो गई।