
رضوی
ग़ज़्ज़ा युद्ध के बारे में सुप्रीम लीडर की बातो का साकार होना
इंशाअल्लाह, अल्लाह जल्द ही इस जीत को पूरी इस्लामी उम्मत को दिखाएगा, दिलों को खुश करेगा और फ़िलिस्तीनी जनता तथा ग़ज़़्ज़ा के मजलूम लोगों को सबसे अधिक खुश और संतुष्ट करेगा।
यहां हम ग़ज़्ज़ा के लोगों की अंतिम विजय से संबंधित आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई के विचारों के कुछ अंश प्रस्तुत कर रहे हैं:
"ग़ज़्ज़ा का मुद्दा एक तरफ़ मजलूमियत का मामला है, तो दूसरी तरफ़ यह ताक़त और शक्ति का मामला है। दुश्मन इन लोगों को मजबूर करना चाहता था कि वे आत्मसमर्पण कर दें, हाथ खड़े कर लें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, आत्मसमर्पण नहीं किया।... उनकी यही सहनशीलता और भरोसा उन्हें सफलता दिलाएगा। यही चीज़ उन्हें जीत की ओर ले जाएगी, और अंततः वे विजयी होंगे।" (25 अक्टूबर 2023)
"ग़ज़़ज़ा के मामले में और तूफ़ान अल-अक़्सा की घटना में की गई भविष्यवाणियां धीरे-धीरे स्पष्ट हो रही हैं। शुरू से ही, दुनिया भर के विवेकशील लोगों, चाहे यहां हों या कहीं और, की यही भविष्यवाणी थी कि इस संघर्ष में जीत फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध की होगी और हार उस घिनौने, अभिशप्त ज़ायोनी शासन की।" (9 जनवरी 2024)
"इंशाअल्लाह, अल्लाह अपनी कृपा से यह जीत पूरी इस्लामी उम्मत को निकट भविष्य में दिखाएगा। इससे सभी के दिल प्रसन्न होंगे और विशेष रूप से फ़िलिस्तीन के लोगों और ग़ज़़्ज़ा के मज़लूम नागरिकों के दिल खुश होंगे।" (23 जनवरी 2025)
"‘इन्ना वादल्लाहे हक़्क़ुन - निसंदेह अल्लाह का वादा सच्चा है।’ वला यस्तख़फ़्फ़न्नकल लज़ीना ला यूक़ेनूना - जो लोग अल्लाह के वादे पर विश्वास नहीं रखते, उनके नकारात्मक विचार आपको डगमगा नहीं सकते, आपको कमज़ोर नहीं कर सकते। इंशाअल्लाह, अंतिम और निकट भविष्य की जीत फ़िलिस्तीन और फ़िलिस्तीनी लोगों की होगी।" (1 नवंबर 2023)
अली (अ) की मुहब्बत, कुफ़्र और ईमान की पहचान
करगिल के हौज़ा-ए-इल्मिया में जमीयत-उल-उलमा ए-इमामिया के तत्वावधान में हज़रत अली (अ) की पैदाइश की खुशी में जश्न-ए-मोलूद-ए-काबा का भव्य आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम न सिर्फ धार्मिक आस्था बल्कि अली (अ) के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक था।
करगिल के हौज़ा-ए-इल्मिया में जमीयत-उल-उलमा ए-इमामिया के तत्वावधान में हज़रत अली (अ) की पैदाइश की खुशी में जश्न-ए-मोलूद-ए-काबा का भव्य आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम न सिर्फ धार्मिक आस्था बल्कि अली (अ) के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक था। कड़ाके की सर्दी के बावजूद करगिल और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोगों, विशेष रूप से उलमा और अली (अ) के चाहने वालों ने इस जश्न में हिस्सा लिया। आयोजन स्थल और उसके आसपास के इलाकों को खूबसूरती से सजाया गया था, जिसे एक दुल्हन की तरह सजाने में कई दिनों की मेहनत लगी।
कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरान की तिलावत से हुई, जिसके बाद तकरीरें, मन्कबत और कसीदाख्वानी का सिलसिला चला। वक्ताओं ने हज़रत अली (अ) की ज़िंदगी, उनके चरित्र और उनकी शिक्षाओ पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि अली (अ) की मोहब्बत ईमान और कुफ्र के बीच की पहचान है और उनकी शिक्षाए इंसानियत के लिए हर दौर में मार्गदर्शक हैं। वक्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें अली (अ) के बताए रास्ते पर चलते हुए उनके सच्चे अनुयायी बनने की कोशिश करनी चाहिए।
जमीयत-उल-उलमा के अध्यक्ष शेख नाज़िर मेहदी मोहम्मदी ने अपनी मुख्य तकरीर में पैगंबर मोहम्मद (स) की हदीसों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि "अली (अ) से मोहब्बत करना ईमान की निशानी है, और अली (अ) से दुश्मनी रखना निफाक की पहचान है।" उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अली (अ) की मोहब्बत के बिना जन्नत में दाखिल होना मुमकिन नहीं। साथ ही उन्होंने मुसलमानों को आगाह किया कि वे उन विचारों और तकरीरों से बचें, जो उनके ईमान को कमजोर कर सकती हैं।
शेख नाज़िर ने यह भी कहा कि हज़रत अली (अ) का जन्म खान-ए-काबा में हुआ, जो इस्लाम का सबसे बड़ा चमत्कार है। यह उनकी महानता और अल्लाह के नज़दीक उनकी खास जगह को दर्शाता है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ लोग अली (अ) के पैगाम और उनकी महानता को समझने से आज भी दूर हैं।
हज़रत ज़ैनब बिन्ते अली स.अ.
हज़रत ज़ैनब स.ल. एक रिवायत के अनुसार 5 जमादिउल अव्वल सन 6 हिजरी को मदीने में पैदा हुईं, आप के वालिद हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम और मां हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा स.अ थीं, आप केवल पांच साल की थीं जब आपकी मां शहीद हुई, आप ने अपनी ज़िदगी में बहुतसारी मुसीबतों का सामना किया, मां बाप की शहादत से लेकर भाइयों और बच्चों की शहादत तक आप ने देखी और इस्लाम की राह में क़ैद की कठिन सख़्तियों को भी बर्दाश्त किया, आप के जीवन की यही सख़्तियां थीं जिन्होंने आपके सब्र, धैर्य और धीरज को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना दिया।
हज़रत ज़ैनब स.ल. एक रिवायत के अनुसार 5 जमादिउल अव्वल सन 6 हिजरी को मदीने में पैदा हुईं, आप के वालिद हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम और मां हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा स.अ थीं, आप केवल पांच साल की थीं जब आपकी मां शहीद हुई,
आप ने अपनी ज़िदगी में बहुतसारी मुसीबतों का सामना किया, मां बाप की शहादत से लेकर भाइयों और बच्चों की शहादत तक आप ने देखी और इस्लाम की राह में क़ैद की कठिन सख़्तियों को भी बर्दाश्त किया, आप के जीवन की यही सख़्तियां थीं जिन्होंने आपके सब्र, धैर्य और धीरज को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना दिया। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 46)
आपके बहुत सारे लक़ब हैं जिन में से मशहूर सिद्दीक़-ए-सुग़रा, आलिमा, मोहद्दिसा, आरिफ़ा और सानि-ए-ज़हरा हैं, आप के सिफ़ात और आपकी विशेषताएं देखकर आपको अक़ीलए बनी हाशिम कहा जाता है, आप की शादी हज़रत जाफ़रे तैयार के बेटे जनाबे अब्दुल्लाह से हुई थी और आप के दो बेटे औन और मोहम्मद करबला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ दीन को बचाने के ख़ातिर शहीद कर दिए गए थे। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 210)
आम तौर से बच्चों के नाम उनके मां बाप रखते हैं लेकिन हज़रत ज़ैनब (स) का नाम आप के नाना पैग़म्बरे अकरम (स) ने रखा। जब आप की विलादत हुई तो पैग़म्बरे अकरम (स) सफ़र पर गए हुए थे जब आप वापस आए और जैसे ही आप को हज़रत ज़ैनब (स) की विलादत की ख़बर मिली आप तुरंत इमाम अली अलैहिस्सलाम के घर आए और हज़रत ज़ैनब (स) को गोद में ले कर प्यार किया और उसी समय आप ने ज़ैनब यानी बाप की ज़ीनत नाम रखा। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 39)
इंसान की अहमियत उसके इल्म और ज्ञान से पहचानी जाती है, जैसा कि क़ुरआन में सूरए बक़रह की आयत 31 और 32 में हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के बारे में भी यही कहा गया है और सबसे अहम इल्म और ज्ञान वह है जो सीधे अल्लाह से हासिल किया जाए जिसे *इल्मे लदुन्नी* कहा जाता है, हज़रत ज़ैनब (स) का इल्म भी कुछ इसी तरह का था जैसा कि इमाम सज्जाद ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने आप को आलिम-ए-ग़ैरे मोअल्लमा नाम दिया यानी ऐसी आलिमा जिसने दुनिया में किसी से कुछ सीखा न हो। (मुन्तहल आमाल, जिल्द 1, पेज 298)
औरत के लिए सबसे बड़ा कमाल और सबसे बड़ी सआदत यह है कि उसकी पाकीज़गी और पवित्रता पर कोई सवाल न कर सके, हज़रत ज़ैनब (स) ने पवित्रता का सबक़ अपने वालिद से सीखा जैसा कि यह्या माज़नदरानी से रिवायत है कि मैंने कई सालों तक मदीने में इमाम अली अलैहिस्सलाम की ख़िदमत की है और मेरा घर हज़रत ज़ैनब (स) के घर से बिल्कुल क़रीब था लेकिन कभी न मैंने उनको देखा और ना ही उनकी आवाज़ सुनी।
आप जब भी अपने नाना पैग़म्बरे इस्लाम (स) की क़ब्र की ज़ियारत को जाना चाहतीं तो रात के सन्नाटे में जातीं और आप के साथ आगे आगे इमाम अली अलैहिस्सलाम चलते और आप के दाहिने इमाम हसन और बाएं इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम चलते और जब पैग़म्बरे अकरम (स) की क़ब्र के क़रीब पहुंचते तो पहले इमाम अली अलैहिस्सलाम जाकर चिराग़ की रौशनी को धीमा कर देते थे, एक बार इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने अपने वालिद से इसका कारण पूछा तो आप ने जवाब दिया कि मुझे डर है कि कहीं कोई ना महरम मेरी बेटी ज़ैनब (स) को देख न ले।
आप ने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी पाकीज़गी और पवित्रता को ध्यान में रखा, कूफ़ा और शाम जैसे घुटन के माहौल में जहां आप के सर पर चादर नहीं थी लेकिन फिर भी आप अपने हाथों से अपने चेहरे को छिपाए हुए थीं। (अल-ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या, पेज 345)
हज़रत ज़ैनब (स) की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने किताब "ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या" में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुरआन की मुफ़स्सिरा थीं और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अलैहिस्सलाम कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब (स) कूफ़े की औरतों के लिए क़ुरआन की तफ़सीर बयान करती थीं,
एक दिन इमाम अली (अ) घर में दाख़िल हुए देखा हज़रत ज़ैनब (स) सूरए मरियम के शुरू में आने वाले हुरूफ़े मुक़त्तए की तफ़सीर बयान कर रही थीं, आप ने हज़रत ज़ैनब से कहा: बेटी इसकी तफ़सीर मैं बयान करता हूं और फिर आपने फ़रमाया इन हुरूफ़ में अल्लाह ने एक बहुत बड़ी मुसीबत को राज़ बनाकर रखा है और फिर आप ने करबला की दास्तान को बयान किया जिसको सुनकर हज़रत ज़ैनब (स) बहुत रोईं।
जनाबे शैख़ सदूक़ बयान करते हैं कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने इमाम सज्जाद ज़ैनुल आबिदीन अलैहिस्सलाम की बीमारी के समय हज़रत ज़ैनब को यह अनुमति दी थी कि जो लोग शरई मसले पूछें आप उनका जवाब दीजिएगा।
शैख़ तबरिसी ने नक़्ल किया है कि हज़रत ज़ैनब (स) ने बहुत सारी हदीसें अपनी मां हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ) से बयान की है, इसी तरह 'एमादुल मोहद्देसीन' से नक़्ल हुआ है कि आप ने अपनी मां, वालिद, भाईयों, जनाबे उम्मे सलमा, जनाबे उम्मे हानी और भी दूसरे लोगों से बहुतसी हदीसें बयान की हैं और जिन लोगों ने आप से हदीसें नक़्ल की हैं उनके नाम इस तरह हैं: अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास, इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम, अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र।
इसी तरह फ़ाज़िल दरबंदी और भी दूसरे बहुत से उलमा ने हज़रत ज़ैनब (स) के बारे में यह बात भी लिखी है कि हज़रत ज़ैनब को इल्मे मनाया वल बलाया था यानी ऐसा इल्म जिस में आने वाले समय में कौन सी घटना पेश आने वाली है इन सबके बारे में आप को मालूमात थी।
हज़रत ज़ैनब (स) की शहादत पर सानी ए ज़हरा का परिचय
हज़रत ज़ैनब स.ल. एक रिवायत के अनुसार 5 जमादिउल अव्वल सन 6 हिजरी को मदीने में पैदा हुईं, आप के वालिद हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम और मां हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा स.अ थीं, आप केवल पांच साल की थीं जब आपकी मां शहीद हुई, आप ने अपनी ज़िदगी में बहुतसारी मुसीबतों का सामना किया, मां बाप की शहादत से लेकर भाइयों और बच्चों की शहादत तक आप ने देखी और इस्लाम की राह में क़ैद की कठिन सख़्तियों को भी बर्दाश्त किया, आप के जीवन की यही सख़्तियां थीं जिन्होंने आपके सब्र, धैर्य और धीरज को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना दिया।
हज़रत ज़ैनब स.ल. एक रिवायत के अनुसार 5 जमादिउल अव्वल सन 6 हिजरी को मदीने में पैदा हुईं, आप के वालिद हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम और मां हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा स.अ थीं, आप केवल पांच साल की थीं जब आपकी मां शहीद हुई,
आप ने अपनी ज़िदगी में बहुतसारी मुसीबतों का सामना किया, मां बाप की शहादत से लेकर भाइयों और बच्चों की शहादत तक आप ने देखी और इस्लाम की राह में क़ैद की कठिन सख़्तियों को भी बर्दाश्त किया, आप के जीवन की यही सख़्तियां थीं जिन्होंने आपके सब्र, धैर्य और धीरज को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना दिया। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 46)
आपके बहुत सारे लक़ब हैं जिन में से मशहूर सिद्दीक़-ए-सुग़रा, आलिमा, मोहद्दिसा, आरिफ़ा और सानि-ए-ज़हरा हैं, आप के सिफ़ात और आपकी विशेषताएं देखकर आपको अक़ीलए बनी हाशिम कहा जाता है, आप की शादी हज़रत जाफ़रे तैयार के बेटे जनाबे अब्दुल्लाह से हुई थी और आप के दो बेटे औन और मोहम्मद करबला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ दीन को बचाने के ख़ातिर शहीद कर दिए गए थे। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 210)
आम तौर से बच्चों के नाम उनके मां बाप रखते हैं लेकिन हज़रत ज़ैनब (स) का नाम आप के नाना पैग़म्बरे अकरम (स) ने रखा। जब आप की विलादत हुई तो पैग़म्बरे अकरम (स) सफ़र पर गए हुए थे जब आप वापस आए और जैसे ही आप को हज़रत ज़ैनब (स) की विलादत की ख़बर मिली आप तुरंत इमाम अली अलैहिस्सलाम के घर आए और हज़रत ज़ैनब (स) को गोद में ले कर प्यार किया और उसी समय आप ने ज़ैनब यानी बाप की ज़ीनत नाम रखा। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 39)
इंसान की अहमियत उसके इल्म और ज्ञान से पहचानी जाती है, जैसा कि क़ुरआन में सूरए बक़रह की आयत 31 और 32 में हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के बारे में भी यही कहा गया है और सबसे अहम इल्म और ज्ञान वह है जो सीधे अल्लाह से हासिल किया जाए जिसे *इल्मे लदुन्नी* कहा जाता है, हज़रत ज़ैनब (स) का इल्म भी कुछ इसी तरह का था जैसा कि इमाम सज्जाद ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने आप को आलिम-ए-ग़ैरे मोअल्लमा नाम दिया यानी ऐसी आलिमा जिसने दुनिया में किसी से कुछ सीखा न हो। (मुन्तहल आमाल, जिल्द 1, पेज 298)
औरत के लिए सबसे बड़ा कमाल और सबसे बड़ी सआदत यह है कि उसकी पाकीज़गी और पवित्रता पर कोई सवाल न कर सके, हज़रत ज़ैनब (स) ने पवित्रता का सबक़ अपने वालिद से सीखा जैसा कि यह्या माज़नदरानी से रिवायत है कि मैंने कई सालों तक मदीने में इमाम अली अलैहिस्सलाम की ख़िदमत की है और मेरा घर हज़रत ज़ैनब (स) के घर से बिल्कुल क़रीब था लेकिन कभी न मैंने उनको देखा और ना ही उनकी आवाज़ सुनी।
आप जब भी अपने नाना पैग़म्बरे इस्लाम (स) की क़ब्र की ज़ियारत को जाना चाहतीं तो रात के सन्नाटे में जातीं और आप के साथ आगे आगे इमाम अली अलैहिस्सलाम चलते और आप के दाहिने इमाम हसन और बाएं इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम चलते और जब पैग़म्बरे अकरम (स) की क़ब्र के क़रीब पहुंचते तो पहले इमाम अली अलैहिस्सलाम जाकर चिराग़ की रौशनी को धीमा कर देते थे, एक बार इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने अपने वालिद से इसका कारण पूछा तो आप ने जवाब दिया कि मुझे डर है कि कहीं कोई ना महरम मेरी बेटी ज़ैनब (स) को देख न ले।
आप ने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी पाकीज़गी और पवित्रता को ध्यान में रखा, कूफ़ा और शाम जैसे घुटन के माहौल में जहां आप के सर पर चादर नहीं थी लेकिन फिर भी आप अपने हाथों से अपने चेहरे को छिपाए हुए थीं। (अल-ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या, पेज 345)
हज़रत ज़ैनब (स) की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने किताब "ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या" में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुरआन की मुफ़स्सिरा थीं और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अलैहिस्सलाम कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब (स) कूफ़े की औरतों के लिए क़ुरआन की तफ़सीर बयान करती थीं,
एक दिन इमाम अली (अ) घर में दाख़िल हुए देखा हज़रत ज़ैनब (स) सूरए मरियम के शुरू में आने वाले हुरूफ़े मुक़त्तए की तफ़सीर बयान कर रही थीं, आप ने हज़रत ज़ैनब से कहा: बेटी इसकी तफ़सीर मैं बयान करता हूं और फिर आपने फ़रमाया इन हुरूफ़ में अल्लाह ने एक बहुत बड़ी मुसीबत को राज़ बनाकर रखा है और फिर आप ने करबला की दास्तान को बयान किया जिसको सुनकर हज़रत ज़ैनब (स) बहुत रोईं।
शैख़ सदूक़ बयान करते हैं कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने इमाम सज्जाद ज़ैनुल आबिदीन अलैहिस्सलाम की बीमारी के समय हज़रत ज़ैनब को यह अनुमति दी थी कि जो लोग शरई मसले पूछें आप उनका जवाब दीजिएगा।
शैख़ तबरिसी ने नक़्ल किया है कि हज़रत ज़ैनब (स) ने बहुत सारी हदीसें अपनी मां हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ) से बयान की है, इसी तरह 'एमादुल मोहद्देसीन' से नक़्ल हुआ है कि आप ने अपनी मां, वालिद, भाईयों, जनाबे उम्मे सलमा, जनाबे उम्मे हानी और भी दूसरे लोगों से बहुतसी हदीसें बयान की हैं और जिन लोगों ने आप से हदीसें नक़्ल की हैं उनके नाम इस तरह हैं: अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास, इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम, अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र।
इसी तरह फ़ाज़िल दरबंदी और भी दूसरे बहुत से उलमा ने हज़रत ज़ैनब (स) के बारे में यह बात भी लिखी है कि हज़रत ज़ैनब को इल्मे मनाया वल बलाया था यानी ऐसा इल्म जिस में आने वाले समय में कौन सी घटना पेश आने वाली है इन सबके बारे में आप को मालूमात थी।
हज़रत ज़ैनब (स) का जीवन मानवता के लिए आर्दश
इतिहास के पन्नों में हज़रत ज़ैनब (स) उन शख्सियतों में से एक हैं जो सूरज की तरह उदय हुईं और उनकी रोशनी ने पूरी मानवता को अपने आगोश में ले लिया। यह सर्वशक्तिमान ईश्वर की विशेष कृपा और दया है, जिसने इन पवित्र प्राणियों को मानवता के मार्गदर्शन का साधन बनाया। हज़रत ज़ैनब (स) न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों के लिए भी एक आदर्श हैं, जिनके पदचिन्हों पर चलकर मानवता मुक्ति का मार्ग पा सकती है।
हज़रत ज़ैनब (स) वंश, ज्ञान, उपासना, शुद्धता, साहस, ईमानदारी और धैर्य में किसी से पीछे नहीं हैं। हज़रत ज़ैनब (स) की उत्कृष्ट विशेषताओं में से एक अत्याचारी और उसके अत्याचार के सामने उनकी दृढ़ता है। आज के दौर में जहां हर तरफ जुल्म ही जुल्म नजर आता है, वहां इस मॉडल को अपनाने की जरूरत है कि जिसके सामने उसके परिवार के लोगों को बेरहमी से शहीद कर दिया गया और जुल्म इस हद तक बढ़ गया कि खुद जुल्म करने वाला भी देखकर खुद को कोसने लगा। डर लग रहा था, लेकिन उस क्षण इस प्राणी के मुंह से यह वाक्य निकला: "जो कुछ भी तुम देखते हो वह सुंदर है।" आज यद्यपि अत्याचारी गाजा में इतना अन्याय करने के बाद अपने आप को शक्तिशाली और सफल समझता है, तथा सोचता है कि अब कोई भी सिर उठाने का साहस नहीं करेगा, परन्तु यह एक मिथ्या विचार है, क्योंकि अन्याय सदैव अत्याचारी की ही कमर तोड़ देता है।
हज़रत ज़ैनब (स) की एक और उत्कृष्ट विशेषता कठिनाइयों का सामना करते हुए उनका धैर्य है। पवित्र कुरान में धैर्यवानों की प्रशंसा विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न शब्दों में की गई है, तथा एक स्थान पर कहा गया है, "अल्लाह धैर्यवानों के साथ है।" लेडी ज़ैनब (स) ने कर्बला की घटना में अपने प्रियजनों को अपने सामने शहीद होते देखा, विशेष रूप से अपने भाई को, जिसके बारे में उन्होंने कहा, "मैं अपने भाई हुसैन (स) के बिना नहीं रह सकती, लेकिन मैंने अपने भाई को अपने लिए बलिदान कर दिया।" ये कुर्बानियाँ अल्लाह की रजा के लिए हैं।" उसने अपने धैर्य और दृढ़ता को उस व्यक्ति के सामने अपने हाथ से फिसलने नहीं दिया जिसके बारे में उसके ज़ियारतनामा में उल्लेख किया गया है: "स्वर्ग के फ़रिश्ते उसे देखकर हैरान हैं तुम्हारे धैर्य को देखकर स्वर्ग के दूत भी चकित हो जाते हैं।
हज़रत ज़ैनब (स) कर्बला की घटना से पहले एक अच्छा और संतुष्ट जीवन जी रही थीं, लेकिन उनकी परवरिश ने उन्हें संतुष्ट जीवन जीने की अनुमति नहीं दी और ज़ालिम अपना जुल्म जारी रखता रहा, बल्कि उन्होंने वही किया जो वह चाहती थीं। उन्होंने इस जीवन को छोड़कर अपने भाई के साथ कर्बला जाना पसंद किया। इसलिए, आज की पीढ़ी को इस मॉडल के पदचिन्हों पर चलने की सख्त जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने गाजा युद्धविराम का स्वागत किया
महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसियों और मानवतावादियों ने इज़राइल और हमास के बीच गाजा युद्धविराम समझौते का स्वागत किया और मानवीय कार्यों को बड़े पैमाने पर बढ़ाने का आह्वान किया।
महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसियों और मानवतावादियों ने इज़राइल और हमास के बीच गाजा युद्धविराम समझौते का स्वागत किया और मानवीय कार्यों को बड़े पैमाने पर बढ़ाने का आह्वान किया।
एक रिपोर्ट के अनुसार, गुटेरेस ने कहा कि रविवार को होने वाले युद्धविराम के प्रभावी होने के बाद विश्व निकाय की प्राथमिकता संघर्ष के कारण होने वाली पीड़ा को कम करने की होनी चाहिए उन्होंने सभी जरूरतमंद नागरिकों के लिए त्वरित, निर्बाध और सुरक्षित मानवीय राहत का आह्वान किया।
उन्होंने कहा,यह जरूरी है कि यह युद्धविराम पूरे गाजा में सहायता पहुंचाने में महत्वपूर्ण सुरक्षा और राजनीतिक बाधाओं को दूर करे ताकि हम तत्काल जीवनरक्षक मानवीय सहायता में बड़ी वृद्धि का समर्थन कर सकें।
संयुक्त राष्ट्र राहत प्रमुख मानवीय मामलों के अवर महासचिव टॉम फ्लेचर ने एक बयान में कहा कि युद्धविराम समझौता उन लाखों लोगों को बहुत जरूरी आशा प्रदान करता है जिनका जीवन संघर्ष से तबाह हो गया है।
समझौते की आशा करते हुए उन्होंने कहा कि मानवतावादी एजेंसियां पूरी पट्टी में सहायता वितरण को बढ़ाने के लिए गाजा के बाहर आपूर्ति जुटा रही हैं।
उन्होंने कहा,जीवन बचाने में मदद करने के लिए, हम सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पूरी तरह से पालन करने का आग्रह करते हैं।
भारत ने गाज़ा युद्धविराम समझौते का किया स्वागत
भारत ने गुरुवार को गाजा में संघर्ष विराम समझौते और इजराइल और हमास के बीच बंधकों की रिहाई के फैसले का स्वागत किया और कहा यह अच्छी रणनीति है।
भारत ने गुरुवार को गाजा में संघर्ष विराम समझौते और इजराइल और हमास के बीच बंधकों की रिहाई के फैसले का स्वागत किया और कहा यह अच्छी रणनीति है।
विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि यह विकास गाजा को सुरक्षित और निरंतर मानवीय सहायता का मार्ग प्रशस्त करेगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा,हम बंधकों की रिहाई और गाजा में युद्धविराम के लिए समझौते की घोषणा का स्वागत करते हैं हमें उम्मीद है कि इससे गाजा के लोगों को मानवीय सहायता की सुरक्षित और निरंतर आपूर्ति होगी।
भारत ने बंधकों की रिहाई युद्धविराम और बातचीत एवं कूटनीति की वापसी की वकालत करते हुए कहां हमने लगातार सभी बंधकों की रिहाई, युद्धविराम और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है।
कतर, मिस्र और अमेरिका द्वारा दोहा में कई हफ्तों की बातचीत के माध्यम से युद्धविराम समझौता किया गया है।
कतर के प्रधान मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जसीम अलथानी ने घोषणा की कि पहले 42-दिवसीय चरण में 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा जो संभावित रूप से स्थायी युद्धविराम में विकसित हो सकता है।
बाइडन से पहले ही अमेरिका की चौधराहट का समय बीत गया था
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के सलाहकार ने स्वीकार कियाः अमेरिका की चौधराहट का समय बीत गया है।
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के सलाहकार jack salivan ने एक अमेरिकी पत्रिका न्यूयार्क टाइम्स के साथ वार्ता में इस बात की ओर संकेत किया कि अमेरिका की वर्चस्ववादी व्यवस्था समाप्त हो गयी है। साथ ही उन्होंने स्वीकार किया है कि शीतयुद्ध का समय बीत गया है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका की श्रेष्ठता का समय 1990 के दशक से और 2000 के आरंभिक दशक में ही समाप्त हो गया था। उन्होंने कहा कि बाइडन की सरकार के सत्ता में आने से पहले ही अमेरिका की श्रेष्ठता व दादागीरी का समय बीत गया था।
jack salivan ने ग़ाज़ा युद्ध की बात की और अस्पतालों, मस्जिदों, गिरजाघरों और ग़ाज़ा के दूसरे आम आवासीय क्षेत्रों पर ज़ायोनी सरकार के हमलों का औचित्य दर्शाते हुए कहा कि हमास स्कूलों, मस्जिदों और अस्पतालों का प्रयोग सैनिक कार्यों के लिए करता था।
यह ऐसी स्थिति में है जब राष्ट्रसंघ, यूरोपीय देशों यहां तक कि कुछ ज़ायोनी सरकार और अमेरिकी अधिकारियों की ओर से इस दावे को रद्द कर दिया था। राष्ट्रसंघ की रिपोर्ट के अनुसार ग़ाज़ा में शहीद होने वाले 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे और महिलायें हैं।
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के सलाहकार ने अपनी बात जारी रखते हुए ज़ायोनी सरकार को हथियार भेजने पर आधारित जो बाइडन के फ़ैसले की वकालत और बचाव किया और कहा कि इस्राईल को हथियारों के निर्यात को बंद नहीं कर सकते।
फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध ने इस्राईल को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया
ग़ज़ा में युद्धविराम की घोषणा के बाद KHAMENEI.IR की सोशल साइट ने इमाम ख़ामेनेई के कुछ वाक्यों को प्रकाशित किया है।
ग़ाज़ा में युद्ध विराम के एलान के बाद KHAMENEI.IR सोशल साइट ने ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता के कुछ वाक्यों को विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित किया है।
इमाम ख़ामेनेई के वाक्य इस प्रकार हैं" आज दुनिया समझ गयी कि ग़ज़ा के लोगों के सब्र और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध ने ज़ायोनी सरकार को पीछे हटने पर बाध्य कर दिया है।
किताबों में लिखा जाएगा कि एक ज़माने में एक गिरोह ने ग़ज़ा में कई हज़ार बच्चों और महिलाओं को क़त्ल कर डाला! और सबको पता चलेगा कि फ़िलिस्तीनियों और रेज़िस्टेंस फ़्रंट के प्रतिरोध ने ज़ायोनिस्ट रेजीम को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
जंगबंदी के ऐलान के बाद ग़ाज़ा में जश्न का माहौल
अलजज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, जंगबंदी की घोषणा के बाद कुछ युवाओं ने एक सभा का आयोजन किया इस मुख्य सभा में प्रतिरोध (मुक़ावमत) के समर्थन में नारे लगाए गए जबकि अन्य लोगों ने इन दृश्यों को अपने कैमरों में रिकॉर्ड किया।
फिलिस्तीनी जनता ने जंगबंदी समझौते की घोषणा पर खुशी जाहिर करते हुए सड़कों पर जश्न मनाया यह समझौता रविवार से लागू होगा।
बुधवार रात कतर ने इस अंतिम समझौते की घोषणा की लेकिन इजराइल का कहना है कि अभी भी कई मुद्दे लंबित हैं हालांकि ग़ज़ा में पहले ही जश्न का माहौल बन चुका है और लोगों ने इन लम्हों को अपने कैमरों में कैद किया।
देर अलबलह में स्थित अलशोहदा अलअक्सा अस्पताल के बाहर, जहां जंग के कई पीड़ितों को लाया गया था सैकड़ों फिलिस्तीनी जमा हुए उन्होंने नारे लगाए राष्ट्रीय गान गाया और फिलिस्तीनी झंडे लहराए।
45 साल की महिला जो ग़ाज़ा से अलनसीरात कैंप में स्थानांतरित हुईं ने कहा,मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि एक साल से ज्यादा का यह डरावना सपना आखिरकार खत्म हो रहा है। हमने बहुत से अपनों को खो दिया है हमने सब कुछ खो दिया है।
उन्होंने आगे कहा,हमें बहुत ज्यादा सुकून की जरूरत है।जैसे ही जंगबंदी शुरू होगी मैं कब्रिस्तान जाऊंगी ताकि अपने भाई और परिवार के अन्य सदस्यों से मिल सकूं हमने उन्हें देर अल-बलह के कब्रिस्तान में बिना उचित कब्र के दफनाया था। हम उनके लिए नई कब्रें बनाएंगे और उनके नाम लिखेंगे।
मुख्य सभा में कुछ युवाओं ने प्रतिरोध मुक़ावमत के समर्थन में नारे लगाए जबकि अन्य लोगों ने इन दृश्यों को कैमरों में रिकॉर्ड किया।
27 वर्षीय अब्दुलकरीम ने कहा ,इतना सब कुछ खोने के बावजूद मैं खुशी महसूस कर रहा हूं मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैं आखिरकार अपनी पत्नी और दो बच्चों से मिल पाऊंगा वे लगभग एक साल पहले दक्षिण की ओर चले गए थे मुझे उम्मीद है कि बेघर लोगों को जल्द ही वापस आने की अनुमति दी जाएगी।
खान युनूस में भी बड़ी संख्या में लोग जमा हुए और फिलिस्तीनी झंडे लहराते हुए खुशी का इजहार किया।