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इज़रायली मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ यमन ने फ़िलिस्तीन के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों पर एक नया मिसाइल हमला किया है। इस हमले के बाद क़ुद्स समेत वेस्ट बैंक की कई अवैध बस्तियों में चेतावनी के सायरन लगातार बजने लगे।

इज़रायली मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ यमन ने फ़िलिस्तीन के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों पर एक नया मिसाइल हमला किया है। इस हमले के बाद क़ुद्स समेत वेस्ट बैंक की कई अवैध बस्तियों में चेतावनी के सायरन लगातार बजने लगे।

इज़रायली सेना के प्रवक्ता ने दावा किया है कि, एक मिसाइल को रोक लिया गया है, हालांकि इस बारे में कोई स्वतंत्र पुष्टि सामने नहीं आई है। रिपोर्टों में कहा गया है कि लोगों में दहशत का माहौल है और कई इलाक़ों में अफ़रा तफ़री देखी गई।

यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब यमन ने बार-बार चेतावनी दी है कि अगर ग़ाज़ा और फ़िलिस्तीन पर इज़रायली हमले नहीं रुकते, तो वह सीधे कार्रवाई करेगा। पिछले कुछ महीनों में यमन की ओर से लाल सागर और भूमध्य सागर के रास्ते इज़रायल के ख़िलाफ़ कई ड्रोन और मिसाइल हमले किए जा चुके हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यमन के ये हमले प्रतीकात्मक रूप से बड़े मायने रखते हैं, क्योंकि यह दिखाता है कि, ग़ाज़ा में जारी युद्ध अब सीमाओं से बाहर निकलकर एक क्षेत्रीय संघर्ष का रूप ले रहा है।

अभी तक यमन की सशस्त्र सेनाओं की ओर से इस ताज़ा हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली गई है, लेकिन हाल के अनुभव बताते हैं कि यमन अक्सर हमले के बाद बयान जारी करता है। आने वाले घंटों और दिनों में स्थिति और स्पष्ट हो सकती है।

अमल आंदोलन, लेबनान के वरिष्ठ नेता खलील हमदान ने कहा है कि लेबनान ने सामान्य रूप से और विशेष रूप से दक्षिणी लेबनान ने सरकार की निष्क्रियता और गैररक्षा की नीति की भारी कीमत चुकाई है। उन्होंने कहा कि यह सब उसी नारे का नतीजा है जिसके मुताबिक लेबनान की ताकत उसकी कमजोरी में है।

अमल आंदोलन के वरिष्ठ नेता खलील हमदान ने कहा कि लेबनान ने सामान्य रूप से और विशेष रूप से दक्षिणी लेबनान ने सरकार की निष्क्रियता और गैर-रक्षा की नीति की भारी कीमत चुकाई है। उन्होंने कहा कि यह सब उसी नारे का नतीजा है जिसके मुताबिक लेबनान की ताकत उसकी कमजोरी में है।

खलील हमदान ने अपने संबोधन में उपनगरों "सर्फ़ेंड" और "ज़ारारिया" के लोगों के संघर्ष को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ये इलाके शहीदों और धर्मनिष्ठ लोगों की कहकशाँ से भरे हुए हैं और यहाँ की कुर्बानियों का सिलसिला तब से जारी है जब इमाम मूसा सद्र ने सूर में कदम रखा था। उन्होंने याद दिलाया कि इमाम मूसा सद्र ने हमेशा अतिक्रमण और वंचना के खिलाफ आवाज़ उठाई।

उन्होंने सरकार से मांग की कि वह दक्षिणी लेबनान की रक्षा और स्थिरता की गारंटी प्रदान करे, लेकिन दुर्भाग्य से सरकारी संस्थानें लगातार निष्क्रियता का शिकार हैं और जनता को मैदान-ए-जंग में अकेला छोड़ दिया गया है। हमदान ने कहा कि इस स्थिति में केवल प्रतिरोध (मुक़ावमत) ही सच्चे रक्षक के रूप में उभरा है।

उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र संकल्प 1701 को लागू करने के लिए बनाई गई समिति का काम अभी निलंबित है, क्योंकि  इज़राइल रोज़ाना हमले कर रहा है, दर्जनों बार युद्धविराम का उल्लंघन कर चुका है और छह से अधिक स्थानों पर कब्जा बनाए हुए है। नतीजतन, रोज़ाना लेबनानी शहीद अपने खून का नज़राना पेश कर रहे हैं।

खलील हमदान ने स्पष्ट किया कि लेबनानी सरकार, जो एक मुख्य तत्व (राष्ट्रपति) से वंचित है, प्रतिरोध के हथियारों को गैर-कानूनी घोषित करके उन्हें खत्म करने की बात करती है, जबकि इज़राइली आक्रामकता, ज़मीन पर कब्जे और लोगों की हत्या को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने अफसोस जताया कि सरकार और राजनीतिक दलों की तरफ से इज़राइली अत्याचारों की निंदा में एक शब्द भी सुनने को नहीं मिलता।

अमल आंदोलन के नेता ने सवाल उठाया कि क्या यह सही है कि सभी तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए ऐसे प्रतिनिधियों पर भरोसा किया जाए जो खुद मानते हैं कि वे न तो इज़राइल पर दबाव डाल सकते हैं और न ही उसे पीछे हटने या पुनर्निर्माण की अनुमति देने के लिए मजबूर कर सकते हैं? आखिर सरकार पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में कहाँ खड़ी है? और क्या समय पर दांव लगाने की यह नीति लेबनानी जनता के ज़ख्मों का इलाज कर सकती है?

ऐसा कोई ज़माना तसव्वुर नहीं किया जा सकता कि ख़तरे बिल्कुल न हों। ‎लेहाज़ा मुक़ाबले के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,ऐसा कोई ज़माना तसव्वुर नहीं किया जा सकता कि ख़तरे बिल्कुल न हों। ‎लेहाज़ा मुक़ाबले के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।यह हुक्म(ऐ मुसलमानो! तुम जिस क़द्र ‎क्षमता रखते हो इन कुफ़्फ़ार के लिए क़ुव्वत व ताक़त और बंधे हुए घोड़े तैयार रखो।

ताकि तुम ‎इस जंगी तैयारी से ख़ुदा के दुश्मन और अपने दुश्मनको और खुले दुश्मनों के अलावा दूसरे ‎लोगों को (यानी मुनाफ़िक़ों) को ख़ौफ़ज़दा कर सको) (सूरए अन्फ़ाल,आयत-60) इसी लिए है।यानी ख़ुद को तैयार रखिए।कितना तैयार रखिए? जितना आपसे मुमकिन है।

जितनी आपके ‎अंदर ताक़त और क्षमता है। यही तैयारी और ख़ुद अपनी जगह तैयार रहना, ख़तरे को ‎दूर रखता है। ख़ुद अपनी जगह आमादगी हिफ़ाज़त का ज़रिया है।

लेहाज़ा इसी आयत में अल्लाह ‎कहता है इसके ज़रिए तुम अल्लाह के दुश्मन और अपने दुश्मन को डरा सकते हो। तुम तैयार हो ‎तो दुश्मन को इसका एहसास होता है और वो तुम्हारे ऊपर हमले की हिम्मत नहीं कर पाता। यह ‎तैयारी भी ख़तरे से बचाती है।‎

हम दुनियावी यात्रा में साथी के चयन में बहुत सावधानी बरतते हैं ताकि कोई ऐसा साथी मिले जो बोझ न बने बल्कि सहारा बने। तो फिर आखिरत की उस अनन्त यात्रा के लिए हम लापरवाही क्यों करें? वहां भी एक ऐसे साथी की जरूरत है जो हमेशा साथ रहे।

हम दुनियावी यात्रा में साथी के चयन में बहुत सावधानी बरतते हैं ताकि कोई ऐसा साथी मिले जो बोझ न बने बल्कि सहारा बने। तो फिर आखिरत की उस अनन्त यात्रा के लिए हम लापरवाही क्यों करें? वहां भी एक ऐसे साथी की जरूरत है जो हमेशा साथ रहे।

अल्लाह तआला पवित्र कुरआन में फरमाता है:

مَنْ جَاءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهُ عَشْرُ أَمْثَالِهَا وَمَنْ جَاءَ بِالسَّیِّئَةِ فَلَا یُجْزَیٰ إِلَّا مِثْلَهَا وَهُمْ لَا یُظْلَمُونَ.
(सूरह अलअनआम, आयत 160)

जो कोई अच्छा काम लेकर आएगा, उसके लिए उसके जैसे दस गुना (पुण्य) लिखे जाएंगे, और जो कोई बुरा काम लेकर आएगा तो उसे केवल उसी के बराबर सजा दी जाएगी और उन पर ज़ुल्म नहीं किया जाएगा।

क़यामत के दिन वे लोग जो दुनिया में अल्लाह से मुंह मोड़े हुए थे पछतावे से कहेंगे:

فَلَوْ أَنَّ لَنَا کَرَّةً فَنَکُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِینَ.
(सूरह अश-शुअरा, आयत 102)

काश! हमारे पास (दुनिया में) लौटने का एक मौका होता तो हम ईमान वालों में से होते।

वास्तविकता यह है कि आखिरत का असली साथी कोई इंसान नहीं बल्कि हमारे अच्छे-बुरे अमल (कर्म) हैं। यही अमल कब्र में भी साथ होगा, बरज़ख़ में भी और क़यामत में भी। अगर यह नेक अमल हुआ तो रौशनी और सहारा बनेगा, और अगर बुरा अमल हुआ तो बोझ और मुसीबत की शक्ल में साथ रहेगा।

अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अ.स. एक हदीस में फरमाते हैं:

«إِنَّ اِبْنَ آدَمَ إِذَا کَانَ فِی آخِرِ یَوْمٍ مِنْ أَیَّامِ اَلدُّنْیَا وَ أَوَّلِ یَوْمٍ مِنْ أَیَّامِ اَلْآخِرَةِ مُثِّلَ لَهُ مَالُهُ وَ وُلْدُهُ وَ عَمَلُهُ فَیَلْتَفِتُ إِلَی مَالِهِ فَیَقُولُ وَ اَللَّهِ إِنِّی کُنْتُ عَلَیْکَ حَرِیصاً شَحِیحاً فَمَا لِی عِنْدَکَ فَیَقُولُ خُذْ مِنِّی کَفَنَکَ قَالَ فَیَلْتَفِتُ إِلَی وُلْدِهِ فَیَقُولُ وَ اَللَّهِ إِنِّی کُنْتُ لَکُمْ مُحِبّاً وَ إِنِّی کُنْتُ عَلَیْکُمْ مُحَامِیاً فَمَا ذَا عِنْدَکُمْ فَیَقُولُونَ نُؤَدِّیکَ إِلَی حُفْرَتِکَ نُوَارِیکَ فِیهَا قَالَ فَیَلْتَفِتُ إِلَی عَمَلِهِ فَیَقُولُ وَ اَللَّهِ إِنِّی کُنْتُ فِیکَ لَزَاهِداً وَ إِنْ کُنْتَ لَثَقِیلاً فَیَقُولُ أَنَا قَرِینُکَ فِی قَبْرِکَ وَ یَوْمَ نَشْرِکَ حَتَّی أُعْرَضَ أَنَا وَ أَنْتَ عَلَی رَبِّکَ.

(वसाइल उश-शिया, जिल्द 16, पेज 105)

जब इंसान अपनी दुनियावी ज़िंदगी के आखिरी दिन और आखिरत की ज़िंदगी के पहले दिन (यानी मौत के वक्त) पर पहुंचता है तो उसके सामने उसका माल, औलाद और अमल (कर्म) मूर्त रूप में प्रकट हो जाते हैं। वह माल की तरफ देखकर कहता है: मैंने तुझ पर बहुत मेहनत और कंजूसी की, अब मेरे लिए क्या है?

माल जवाब देता है: तेरा कफन। फिर औलाद की तरफ रुख करता है और कहता है: मैं तुम्हें चाहता था और तुम्हारी हिफाजत करता था, अब मेरे लिए क्या है? औलाद कहती है: हम तुझे तेरी कब्र तक ले जाएंगे और दफना देंगे।

फिर अपने अमल (कर्म) की तरफ रुजू करता है और कहता है मैंने तुझसे दूरी भी बनाई और तुझे भारी भी समझा, अब मेरे लिए क्या है? अमल जवाब देता है मैं कब्र में और क़यामत के दिन तेरा साथी हूंगा, यहां तक कि तुझे तेरे रब के सामने पेश किया जाए।

इसलिए इस यात्रा में अगर हमने सही साथी का चुनाव नहीं किया तो यह लापरवाही अनन्त पछतावे में बदल जाएगी।

हौज़ा ए एल्मिया की उच्च परिषद के सदस्य ने "सदाये गज़्जा" नामक अभियान के सदस्यों से मुलाकात में कहा, मज़लूम लोग गज़्जा का समर्थन तत्काल और ऐनी धार्मिक कर्तव्य है क्योंकि मुसलमानों की जान और माल खतरे में हैं।

हौज़ा एल्मिया की उच्च परिषद के सदस्य आयतुल्लाह मोहसिन अराकी ने "सदाये गज़्जा" नामक अभियान के सदस्यों से मुलाकात में जोर देकर कहा कि आपने जो काम अपने जिम्मे लिया है, यह तत्काल और ऐनी धार्मिक कर्तव्य है क्योंकि मुसलमानों की जान और माल गंभीर खतरे में हैं।

मजलिस ए ख़बरगाने रहबरी की उच्च समिति के सदस्य ने अभियान के सक्रिय कार्यकर्ताओं पर पूर्ण विश्वास जताते हुए कहा, मैं आप सभी पर भरोसा रखता हूं और हम जो कुछ भी अपनी ताकत में रखते हैं, रात-दिन आपकी सेवा के लिए तैयार हैं।

उन्होंने इस कदम को सबसे जरूरी कर्तव्य करार दिया और कहा, सभी को चाहिए कि वे अपनी पूरी ताकत इस समर्थन में लगा दें।

हौज़ा ए एल्मिया की उच्च परिषद के सदस्य ने गाजा के मजलूम लोगों की मदद के दायरे को व्यापक बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, हमें अपने प्रयासों को सीमित नहीं करना चाहिए बल्कि हमें गाजा के मजलूम लोगों के तत्काल समर्थन के लिए ईरान, इराक और पूरे क्षेत्र की सभी क्षमताओं को मैदान में लाना होगा।

आयतुल्लाह अराकी ने अंत में कहा,यह काम एक ईश्वरीय कर्तव्य है और हमें अल्लाह के सामने जवाबदेह होना है; उम्मीद है कि सभी हमदर्द लोग आपकी मदद के लिए आगे आएंगे।

इस्राइली शासन के चैनल 12 की रिपोर्ट के अनुसार इस्राइल तेजी से यूरोपीय देशों में नशीले पदार्थों की तस्करी का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है।

इस्राइल के टेलीविजन चैनल 12 ने एक रिपोर्ट में कहा: यूरोप में नशीले पदार्थों की मांग बढ़ने के साथ इन पदार्थों की इस्राइल से यूरोपीय देशों में तस्करी की घटना भी बढ़ गई है। पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, क़ब्ज़ा किए गए क्षेत्रों में संगठित नेटवर्क इस रास्ते से हर साल लाखों शेकेल कमाते हैं और युवा, बेरोज़गार और सेवा समाप्त कर चुके इस्राइली सैनिकों को रोजगार में शामिल करते हैं।

 रिपोर्ट के अनुसार तस्कर विदेश यात्रा, होटलों में ठहरने और प्रत्येक यात्रा के लिए हजारों शेकेल का वादा करके उन्हें लुभाते हैं, लेकिन इन आकर्षक प्रलोभनों के पीछे भयंकर जोखिम छिपे होते हैं जबकि नेटवर्क के प्रमुख तस्करी से भारी मुनाफा कमाते हैं सभी जोखिम तस्करी के शिपरों पर पड़ते हैं, जो विदेशों में पकड़े जाते हैं और कभी-कभी लंबी जेल की सजा भुगतते हैं और एक छोटे प्रलोभन के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है।

 एक पेशेवर नशीले पदार्थों का तस्कर, जो कब्ज़ा किए गए क्षेत्रों के दक्षिण में शफेला क्षेत्र के एक गाँव का रहने वाला है, ने कहा कि हाल के महीनों में उसने सैकड़ों किलो नशीले पदार्थ इंग्लैंड, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, चेक गणराज्य और डेनमार्क भेजे हैं और हर तस्करी अभियान के लिए उसे लगभग 8,000 शेकेल मिलते थे, जिसमें हवाई टिकट, होटल और खर्चों के लिए कुछ सौ यूरो भी शामिल थे और यह राशि यात्रा से पहले नेटवर्क के प्रमुख द्वारा उसे दी जाती थी।

 इस्राइली शासन के नेटवर्क 12 टेलीविजन की रिपोर्ट के अनुसार हाल के वर्षों में कई इस्राइली नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार हुए हैं। उदाहरण के लिए "डैनियल ओका" को तुर्किये में गिरफ्तार किया गया और उसे 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई। मार्च 2023 में "चिन एल्काइम" को फ्रांस के हवाई अड्डे पर कुछ किलो नशीले पदार्थ तस्करी की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

 यूरोप में इथियोपियाई नशीले पदार्थों की मांग अपने उच्चतम ऐतिहासिक स्तर पर है। वर्तमान में कब्ज़ा किए गए क्षेत्रों में लगभग पांच बड़े व्यापारी सक्रिय हैं, जो नशीले पदार्थों को इथियोपिया से आयात कर यूरोप में तस्करी करते हैं। इस दौरान स्थानीय किसान इस पदार्थ के उत्पादन में सस्ते दामों पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। यूरोप में नशीले पदार्थ का एक किलो लगभग 200 यूरो में बिकता है और एक इस्राइली व्यापारी का वार्षिक मुनाफ़ा लाखों शेकेल तक पहुँच सकता है।

 नशीले पदार्थों के नेटवर्क के मालिक बेरोज़गार युवाओं और पूर्व सैनिकों के दर्जनों शिपरों को नियुक्त करते हैं और हर यात्रा के लिए 5,000 से 9,000 शेकेल की पेशकश करते हैं, जबकि यूरोपीय पासपोर्ट रखने वालों को अतिरिक्त इनाम भी मिलता है। 

 

यूरोपीय कमिशन स्टेटिस्टिक्स आफ़िस European Commission Statistics Office (यूरोस्टेट) ने एलान किया है कि मई 2025 में यूरोपीय संघ में लगभग 13.1 मिलियन लोग बेरोज़गार थे।

इस समय बेरोज़गारी पूरे यूरोप की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बन गयी है। दूसरी ओर, यूरोप गहरी संरचनात्मक समस्याओं का भी सामना कर रहा है। इस महाद्वीप में ऊर्जा लागत, विशेष रूप से बिजली और गैस की कीमतों में वृद्धि, यहाँ प्रतिस्पर्धात्मक माहौल को नष्ट कर रही है।

यूरोपीय आयोग के सांख्यिकी कार्यालय (यूरोस्टेट) के अनुमानों के आधार पर, इस साल मई में यूरोपीय संघ में लगभग 13.1 मिलियन लोग बेरोज़गार थे। यह तब है जब यूरोपीय आयोग ने हाल के वर्षों में संघ में रोज़गार और सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं, लेकिन फिर भी लाखों नौकरियां खाली पड़ी हुई हैं।

 "यूरोन्यूज़" ने हाल ही में एक रिपोर्ट में पुष्टि की कि 2025 की दूसरी तिमाही में यूरोप की आर्थिक विकास दर लगभग ठप हो गई है और आर्थिक विकास और औद्योगिक उत्पादन में तेज़ी से कमी आई है, इस मुद्दे ने इस क्षेत्र में संभावित आर्थिक तेज़ी के मुख्य रास्ते से भटकने को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं।

 यूरोस्टेट की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वर्ष जून में समाप्त हुए तिमाही में यूरोज़ोन में सीज़नली समायोजित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मात्र 0.1% की वृद्धि हुई है, जो प्रारंभिक अनुमान के समान है। यूरोपीय संघ के सकल घरेलू उत्पाद में भी 0.2% की वृद्धि हुई, जो पिछले अनुमानों के अनुरूप है।

 ये आंकड़े 2025 की पहली तिमाही की तुलना में यूरोप की आर्थिक विकास दर में भारी गिरावट को दर्शाते हैं, जब निर्यात में वृद्धि के कारण सकल घरेलू उत्पाद में यूरोज़ोन में 0.6% और पूरे यूरोपीय संघ में 0.5% की वृद्धि हुई थी।

 इसी बीच, 'यूरोन्यूज़' ने यूरोपीय संघ भर में आर्थिक सुधार की प्रक्रिया को असमान बताया है और लिखा है कि यूरोज़ोन की अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में मुश्किल से ही वृद्धि दर्ज की है, और इस अवधि में जर्मनी और इटली की अर्थव्यवस्थाएँ सिकुड़ गई हैं।

 आँकड़ों के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग और निवेश के परिणामस्वरूप स्पेन 0.7% की वृद्धि दर के साथ यूरोप के आर्थिक विकास का नेतृत्व कर रहा था। इसके बाद पुर्तगाल 0.6% और फ्रांस 0.3% के साथ थे।

 लेकिन यूरोज़ोन की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, जर्मनी और इटली, में आर्थिक विकास में 0.1% की कमी दर्ज की गई।

 इस चिंता को और बढ़ाने वाली बात यह है कि जून महीने में यूरोज़ोन में औद्योगिक उत्पादन में 1.3% की गिरावट आई, जिसने मई में दर्ज 1.1% की वृद्धि की प्रवृत्ति को उलट दिया और 1% की औसत गिरावट के अनुमानों को पूरा नहीं किया।

 यूरोपीय संघ में औद्योगिक उत्पादन में 1.0% की कमी आई, और संघ के सदस्य देशों में, आयरलैंड में वार्षिक आधार पर औद्योगिक उत्पादन में सबसे अधिक 11.3% की गिरावट दर्ज की गई। आयरलैंड के बाद पुर्तगाल और लिथुआनिया में औद्योगिक उत्पादन में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई।

 इस्लामी गणराज्य ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार की शाम कहा: हम यूरोपियों के साथ सर्वोत्तम समाधान तक पहुँचने के लिए बातचीत करने के लिए तैयार हैं लेकिन हमें नहीं लगता कि स्नैप-बैक की धमकी को एक तलवार की तरह लहराना उपयोगी या रचनात्मक है।

इस्माईल बक़ाई ने एक जर्मन मीडिया से बातचीत में परमाणु समझौते और स्नैप-बैक को सक्रिय करने की यूरोपीय धमकियों के प्रति ईरान की स्थिति को स्पष्ट करते हुए, इस तंत्र के क्रियान्वयन को अवैध, अव्यावहारिक और हानिकारक बताया और इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रस्ताव 2231 के पारित होने के 10 वर्ष बाद, इस्लामी गणराज्य का शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कार्यसूची में नहीं रहना चाहिए।

 ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह कहते हुए कि तेहरान हमेशा परमाणु समझौते के प्रति वचनबद्ध रहा है, अमेरिका के इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से एकतरफ़ा बाहर निकलने और यूरोपियों द्वारा अपने वचनों का पालन न करने को ईरान की प्रतिबद्धताओं में कमी का कारण बताया।

 ईरानी राजनयिक ने यूरोपियों की ओर से विश्वास बहाली की माँगों के जवाब में इसे द्विपक्षीय कार्रवाई की आवश्यकता वाला बताया और कहा: इस्लामी गणराज्य का विश्वास बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है और ईरान को अधिकार है कि वह अन्य पक्षों से यह माँगे कि वे अपने विश्वसनीय होने को साबित करें।

 ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अंत में यह भी चेतावनी दी कि यदि स्नैप-बैक हुआ तो सभी परिदृश्य संभव होंगे और परिस्थितियाँ पूरी तरह बदल जाएँगी। 

हुज्जतुल इस्लाम मुहम्मद हसन अख़्तरी ने कहा: ग़ज़्ज़ा के लोगों का दर्द हर इंसान को दुखी करता है। इस्लामी देशों के नेताओं की गंभीरता और मुसलमानों की जागरूकता से यह घेराबंदी जल्द खत्म होगी।

फिलिस्तीनी जनता की इस्लामी क्रांति के समर्थन समिति के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम मुहम्मद हसन अख़्तरी ने कहा: यरुशलम की आज़ादी और फ़ीलिस्तीनी लोगों के दुखों का अंत शहादत और मुसलमानों के प्रतिरोध से जल्द ही हो जाएगा। ईरान और प्रतिरोध मोर्चा इस गैर-इंसानी हालात को जारी नहीं रहने देंगे, जिसके लिए क़ब्ज़ाधारी इज़राइली सरकार जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा: आज दुनिया के लोग गाजा में हो रहे नरसंहार के बारे में जानते हैं और इसके खिलाफ प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अमेरिका और यूरोप के विश्वविद्यालयों में इज़राइली सरकार के खिलाफ और अमेरिकी नेताओं की इज़राइली युद्ध अपराधों में सहभागिता के विरुद्ध जो प्रदर्शन हुए, वे हज़ारों क्रांतिकारी आंदोलनों का सिर्फ एक उदाहरण हैं। लेकिन आज़ादी और मानवाधिकार के झूठे दावेदारों ने छात्रों की न्याय की माँग और आज़ादी की आवाज़ को कड़ाई से दबा दिया।

हुज्जतुल इस्लाम अख़्तरी ने कहा: आज दुनिया में इज़राइल की बच्चों को मारने वाली सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए बहुत अच्छा माहौल है। इसलिए हमें सही जानकारी फैलाकर और इज़राइली सरकार के बुरे चेहरे को उजागर करके फ़िलिस्तीनी लोगों की आखिरी आज़ादी का रास्ता तैयार करना चाहिए। यह महत्वपूर्ण मौका आसानी से नहीं गँवाना चाहिए।

आख़िर में उन्होंने कहा: यूरोपीय देशों में से किसी ने भी क़ब्ज़ाधारी इज़रइयली सरकार के कार्यों की पूरी तरह से निंदा नहीं की है। इसलिए इस्लामी देशों के नेताओं और मुसलमानों को इन देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से फ़िलिस्तीन के शोषित और संघर्षरत लोगों की मुक्ति के लिए कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। बल्कि आज़ादी का एकमात्र रास्ता प्रतिरोध, बलिदानऔर मुसलमानों की एकता है।

इराक़ के विदेश मंत्री फ़ुआद हुसैन ने फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ पूरी एकजुटता जताते हुए कहा है कि बगदाद ग़ज़्ज़ा के पुनर्निर्माण और प्रभावित लोगों की मदद के लिए तैयार है।

इराक़ के विदेश मंत्री फ़ुआद हुसैन ने फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ पूरी एकजुटता जताते हुए कहा है कि बगदाद ग़ज़्ज़ा के पुनर्निर्माण और प्रभावित लोगों की मदद के लिए तैयार है।

फ़ुआद हुसैन जेद्दा में इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की आपातकालीन बैठक में शामिल हुए। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इराक पूरी ताकत से फिलिस्तीनी लोगों के साथ खड़ा है और गाजा में इजरायली अत्याचारों को नरसंहार और खुली आक्रामकता मानता है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि इजरायली हमले और गैरकानूनी कार्रवाइयाँ अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानवाधिकारों की सीधी उल्लंघन हैं, जिनके खिलाफ तत्काल और सख्त वैश्विक प्रतिक्रिया जरूरी है। उनके अनुसार, अवैध इजरायली बस्तियों का विस्तार तनाव कम करने की हर कोशिश को विफल कर रहा है।

उन्होंने अरब और इस्लामी देशों तथा दुनिया के सभी देशों से एक साथ मिलकर काम करने का आग्रह करते हुए तुरंत युद्ध विराम, बिना किसी विलम्ब के लोगो की सहायता और संयुक्त राष्ट्र के नियमों विशेष रूप से नियम नंबर 2334 का पालन किया जाए।

उन्होंने कहा कि इराक़ फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार और एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना के अपने रुख पर दृढ़ता से कायम है। इराक़ गाजा के पुनर्निर्माण और पीड़ित लोगों के घावों को भरने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है।

फ़ुआद हुसैन ने इस प्रतिज्ञा को दोहराया कि इराक़ अरब-इस्लामी देशों और वैश्विक समुदाय के साथ निरंतर संपर्क में रहते हुए फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की रक्षा और क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए अपने प्रयास जारी रखेगा।