رضوی

رضوی

हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने रसूल अल्लाह स.ल.व.व. की हदीस बयान करते हुए फरमाया नेक औरत, जो अपने शौहर का हर वक्त खयाल रखती है और उसका दिल खुश करती है उसे अल्लाह के रसूल स.ल.व. ने यह इनाम दिया है कि वह जन्नत के 8 दरवाजों में से जिस दरवाजे से चाहे दाखिल हो सकती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने रसूल अल्लाह स.ल.व.व. की हदीस बयान करते हुए फरमाया नेक औरत, जो अपने शौहर का हर वक्त खयाल रखती है और उसका दिल खुश करती है उसे अल्लाह के रसूल स.ल.व. ने यह इनाम दिया है कि वह जन्नत के 8 दरवाजों में से जिस दरवाजे से चाहे दाखिल हो सकती है।फिर मौलाना ने सवाल किया,क्या घर को संभालकर और शौहर का खयाल रखकर जन्नत के 8 दरवाजों में से किसी भी दरवाजे से दाखिल होना बेहतर है,या उन दरवाजों को अपने ऊपर बंद करना बेहतर है?

एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के इमामे जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने 20 दिसंबर 2024 को शिया खोजा जामा मस्जिद मुंबई में जुमे के खुतबे में सिद्दीक़ा ताहिरा हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ. की शख्सियत पर रोशनी डालते हुए फरमाया कि यह इस्लाम की बहुत बड़ी खुशी है कि हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ. की ज़ात इस्लाम की स्थिरता और संरक्षण की गारंटी है।

जनाब ज़हरा स.अ. ने इस्लाम पर जो अहसान किया है उसका बदला कोई भी इस दुनिया में नहीं चुका सकता।

उन्होंने फरमाया कि हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ.ने जिस हिम्मत और बहादुरी का प्रदर्शन किया और समय पर जो कदम उठाए उसके इनाम में अल्लाह ने उनकी नस्ल में इमामत को क़रार दिया। आज भी आप ही के बेटे इस पूरी कायनात के इमाम हैं जिनकी वजह से यह दुनिया कायम है।

आपकी औलाद के जरिए यह आसमान टिका हुआ है जमीन फैली हुई है, आसमान से बारिश हो रही है, और जमीन से चीजें उग रही हैं अगर आप ने उस वक्त यह कदम न उठाया होता तो इमामत की नस्ल खत्म हो जाती और उसी वक्त क़यामत आ जाती।

मौलाना ने फरमाया कि जनाब फातिमा ज़हरा स.अ. हर दौर की महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं। उन्होंने अपने वालिद (पिता), शौहर (पति) और बच्चों की बेहतरीन खिदमत की और ऐसे बच्चों की परवरिश की जो इस्लाम के लिए नूर बन गए।

वे एक बड़े घराने की बेटी थीं लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी भी आराम और शानो-शौकत को अहमियत नहीं दी वे जरूरत के मुताबिक हालात से समझौता करती रहीं और कभी भी मुश्किलों की शिकायत नहीं की उनकी पूरी जिंदगी इस्लाम की खिदमत में गुज़री।

तलाक और घर उजड़ने की बढ़ती समस्याओं पर चिंता:

मौलाना ने मौजूदा दौर में तलाक की बढ़ती दर और उजड़ते घरों पर चिंता जताई उन्होंने कहा कि जब जनाबे फातिमा ज़हरा स.अ.की शादी अमीरुल मोमिनीन इमाम अली अ.स. से हुई, तो रसूल अल्लाह स.अ. ने उनसे पूछा कि आपने फातिमा को कैसा पाया? अमीरुल मोमिनीन (अ.) ने जवाब दिया मैंने उन्हें अल्लाह की इबादत में सबसे बेहतरीन मददगार पाया।

उन्होंने कहा इबादत सिर्फ नमाज़ और रोज़े तक सीमित नहीं है बल्कि अल्लाह की मरज़ी के मुताबिक जिंदगी बिताने का नाम है।

जन्नत के दरवाजों का जिक्र:

हज़रत  रसूल अल्लाह स.अ.की एक रिवायत बयान करते हुए मौलाना ने कहा,नेक औरत, जो अपने शौहर का हर वक्त ख्याल रखती है और उनका दिल खुश करती है उसे जन्नत के 8 दरवाजों में से किसी भी दरवाजे से दाखिल होने की इजाजत दी जाती है।

उन्होंने सवाल किया क्या घर संभालकर और शौहर की खिदमत करके जन्नत के दरवाजों को अपने लिए खुला रखना बेहतर है या उन दरवाजों को अपने ऊपर बंद करना?

मौलाना ने शादी से पहले इस्लामी और मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों के जरिए काउंसलिंग की अहमियत पर जोर दिया उन्होंने कहा कि घर भावनाओं से नहीं चलते बल्कि समझदारी और सही परवरिश से चलते हैं काउंसलिंग का मकसद यह होना चाहिए कि घर आबाद हों बर्बाद न हों।

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने रविवार, 22 दिसंबर 2024 को हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा सलामुल्लाह अलैहा के जन्मदिन के अवसर पर देशभर से आए ज़ाकेरीन, ख़ुत्बा और शोआरा और विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने लोक-परलोक में महिलाओं की सरदार हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के शुभ जन्म दिवस पर ज़ाकिरों, वक्ताओं, मद्दाहों और शायरों की बड़ी तादाद से रविवार 22 दिसम्बर 2024 को, तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की, जिसमें उन्होंने हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा को "सत्य की राह में उठ खड़े होने, दृढ़ता, बहादुरी, स्पष्ट अंदाज़, तर्क और दलील की ताक़त दिखाने के लिए" पूरी मानवता के लिए आदर्श बताया।

उन्होने दुश्मन की भय, मतभेद और मायूसी फैलाने की कोशिशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि शैतानों के चेलों की ख़ासियत बकवास करना और झूठ बोलना है कि जिससे निपटने का रास्ता हक़ीक़त को बयान करने का जेहाद, फ़ैक्ट बयान करना और स्वीकार्य तर्क पेश करना है। 

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ज़ायोनी शासन के हमास और हिज़्बुल्लाह के ख़त्म करने के किसी भी एक लक्ष्य के पूरा न होने की ओर इशारा करते हुए कहा कि क्षेत्र की शरीफ़ क़ौम अल्लाह की कृपा से इस मनहूस शासन को जड़ से उखाड़ देगी और क्षेत्र के लिए बेहतर भविष्य का रास्ता समतल करेगी। 

उन्होंने सीरिया सहित क्षेत्र के मसलों के बारे में कुछ बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उपद्रवियों के एक गुट ने विदेशी सरकारों की योजना से सीरिया की कमज़ोर आंतरिक स्थिति का फ़ायदा उठाया और उसे अराजकता में ढकेल दिया। 

उन्होंने कुछ दिन पहले अपनी उस स्पीच का हवाला दिया जिसमें उन्होंने क्षेत्र के देशों के लिए, "वर्चस्व से सांठगांठ करने वाली एक तानाशाही सरकार को थोपने" और ऐसा न होने पर "उस मुल्क में उपद्रव फैलाने" पर आधारित अमरीका की दोहरी योजना का ज़िक्र किया था। उन्होंने कहा कि सीरिया में उनकी योजना के नतीजे में अराजकता फैल गयी और अब अमरीका, ज़ायोनी सरकार और उसके पिट्ठू कामयाबी के एहसास से, शैतान के साथियों की तरह बकवास और बेहूदा बातें कर रहे हैं। 

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने एक अमरीकी अधिकारी की उस बात को, जिसमें उसने "ईरान में विद्रोह करने वाले हर शख़्स को अमरीकी मदद और सपोर्ट" जैसी बात ढंके अंदाज़ में कही थी, दुश्मनों की बकवास का एक नमूना बताया और कहा कि ईरानी क़ौम हर उस शख़्स को अपने पैरों तले कुचल देगी जो अमरीका का पिट्ठू बनेगा। 

उन्होंने ज़ायोनी तत्व की बकवास और ललकार और उसके कामयाबी का दिखावा करने की हरकतों की ओर इशारा करते हुए कहा कि क्या यह कामयाबी है कि 40000 से ज़्यादा औरतों और बच्चों को बम से मार डाला लेकिन जंग से पहले घोषित अपने किसी भी लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए? क्या हमास को ख़त्म कर सके और अपने क़ैदियों को ग़ज़ा से आज़ाद करा पाए? क्या सैयद हसन नसरुल्लाह जैसी अज़ीम हस्ती को शहीद करने के बावजूद, लेबनान के हिज़्बुल्लाह को ख़त्म कर पाए?

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने हिज़्बुल्लाह, हमास और जेहादे इस्लामी सहित क्षेत्र में रेज़िस्टेंस को जीवित और कामयाब बताया और ज़ायोनियों को संबोधित करते हुए कहाः "इस आधार पर आप कामयाब नहीं, बल्कि पराजित हुए हैं।"

उन्होंने सीरिया की सरज़मीन में ज़ायोनियों के दाख़िल होने और उसकी सरज़मीन पर क़ब्ज़े को किसी एक भी फ़ौजी की ओर से रेज़िस्टेंस न होने का कारण बताते हुए कहाः "बिना किसी रुकावट के यह आगे बढ़ना, कामयाबी नहीं है, अलबत्ता सीरिया की बहादुर और ग़ैरतमंद जवान नस्ल तुम्हें वहाँ से खदेड़ देगी।"

क्षेत्र के हालात के बारे में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की स्पीच की तीसरी बात, ईरान के ख़िलाफ़ प्रचारिक व मनोवैज्ञानिक जंग के बारे में थी कि जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि ईरान ने अपनी प्राक्सी फ़ोर्सेज़ खो दी हैं।  

उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि इस्लामी गणराज्य की कोई भी प्राक्सी नहीं है, कहा कि यमन, हिज़्बुल्लाह, हमास और जेहादे इस्लामी लड़ रहे हैं क्योंकि उनके पास ईमान है और अक़ीदा और ईमान की ताक़त ही उन्हें रेज़िस्टेंस के मैदान लायी है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस बात पर बल देते हुए कि अगर इस्लामी गणराज्य को किसी दिन कोई कार्यवाही करनी पड़े तो उसे प्रॉक्सी की ज़रूरत नहीं है, कहा कि यमन, इराक़, लेबनान और फ़िलिस्तीन के मोमिन और सज्जन लोग, ज़ुल्म, अपराध और थोपे गए ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं और निकट भविष्य में सीरिया में भी ऐसा ही होगा और अल्लाह ने चाहा तो इस शासन को क्षेत्र से मिटा देंगे। 

उन्होंने 80 के दशक में लेबनान के गृह युद्ध और उपद्रव के नतीजे में हिज़्बुल्लाह के जन्म लेने की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन ख़तरों और अशांतियों के नतीजे में लेबनान में हिज़्बुल्लाह जैसे बड़े संगठन का जन्म हुआ और सैयद अब्बास मूसवी जैसी बड़ी हस्तियों की शहादत जैसी घटनाओं से न सिर्फ़ यह कि वह (हिज़्बुल्लाह) कमज़ोर नहीं हुआ बल्कि ज़्यादा ताक़तवर हुआ और रेज़िस्टेंस का वर्तमान और भविष्य भी ऐसा ही होगा। 

उन्होंने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि समझदारी, ज़िम्मेदारी की भावना और फ़रीज़े पर अमल के नतीजे में ख़तरों के बीच से अवसर पैदा होता है और क्षेत्र का भविष्य आज से बेहतर होगा कहा कि मेरा अनुमान है कि सीरिया में भी ताक़त और सज्जनता पर आधारित एक ऐसा समूह वजूद में आएगा क्योंकि आज सीरिया की जवान नस्ल के पास कोई चीज़ खोने के लिए नहीं है, उनके स्कूल, यूनिवर्सिटी, घर और सड़कें अशांत हैं इसलिए वे अशांति के योजनाकारों और उसे फैलाने वालों के मुक़ाबले में डट जाएं और उन्हें हरा दें। 

उन्होंने इसी तरह हज़रत ज़हरा की शख़्सियत के उल्लेख में कहा कि उनकी पूरी ज़िंदगी ख़ास तौर पर पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास के बाद उनकी छोटी सी ज़िंदगी निरंतर सत्य को बयान करने और धर्म की बुनियादों को मज़बूत करने में बीती और यह ऐसा आदर्श और चोटी है कि जिस तक पहुंचा तो नहीं जा सकता लेकिन उसकी ओर निरंतर बढ़ते रहना चाहिए

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने हज़रत फ़ातेमा की ख़ुसूसियतों को आदर्श क़रार देने को इस बेजोड़ शख़्सियत की मोहब्बत को हासिल करने का रास्ता बताया और कहा कि इन अहम ख़ुसूसियतों में से एक, हक़ीक़त को निरंतर बयान करना है और वास्तव में मद्दाही भी हक़ीक़त को बयान करने के जेहाद का क्रम है। 

उन्होंने मद्दाहों को ज़बान से जेहाद करने वाला समूह बताया और कहा कि मद्दाही बहुआयामी मीडिया है कि जिसके आयाम टेक्स्ट, लफ़्ज़, अर्थ, शेर, धुन, आवाज़ की शक्ल में पब्लिक ओपीनियन बनाने में और लोगों के रूबरू प्रकट होते हैं। 

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपने दौर के मुद्दों को बयान करना, वास्तविक ज़रूरत बताया और सत्य में फेरबदल तथा भ्रांति फैलाने के लिए दुश्मन की खुली व छिपी योजना की ओर इशारा करते हुए कहा कि मद्दाह उन लोगों में हैं जो हक़ीक़त के उल्लेख के जेहाद, जागरुकता पैदा करने, उम्मीद जगाने और सरगर्मी के ज़रिए दुश्मनों को उचित व प्रभावी जवाब दे सकते हैं।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस्लाम और ईरान विरोधी दुश्मन के भय, मतभेद और मायूसी फैलाने पर आधारित त्रिकोण का ज़िक्र करते हुए कहा कहा कि शैतान का मुख्य काम और मक्कारी, भय पैदा करना है और साहित्य जगत के लोगों और विचारकों को चाहिए कि आकर्षक तर्क से लोगों में बहादुरी, जागरुकता और दृढ़ता पैदा करें।

सीरियाई सैन्य क्षमताओं को नष्ट करने के बाद,  ज़ायोनी सेना ने इस देश के क्षेत्र में अपने कदम जमाना शुरू कर दिया और सीरियाई क्षेत्र पर अपना कब्जा बढ़ा रहे हैं। अपने नवीनतम हमलों में, ज़ायोनी कब्ज़ाधारियों ने कुनैत्रा प्रांत के अल-बास शहर और कई अन्य कस्बों और गांवों पर कब्जा कर लिया।

रिपोर्ट के मुताबिक, ज़ायोनी सेनाओं ने दक्षिणी सीरिया में आतंकी कार्रवाई करते हुए सीरियाई नागरिकों पर गोलीबारी की और कुछ को गिरफ्तार किया जबकि सीरिया पर काबिज सशस्त्र समूह ज़ायोनी ताकतों के हमलों के खिलाफ चुप हैं और उन्होंने दमिश्क और कुनैत्रा प्रांत के बीच सैन्य चौकियों को खाली कर दिया है ज़ायोनी सेना अल-बास शहर के केंद्र में डेरा डाले हुए  है और कुनैत्रा के निवासियों को हथियार डालने का समय दिया है।

ज़ायोनी प्रधान मंत्री नेतन्याहू के बयान के जवाब में यमनी उच्च राजनीतिक परिषद के सदस्य मोहम्मद अली अल-हौसी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की सैन्य बल का निरंकुश प्रयोग भी अवैध ज़ायोनी राष्ट्र को विनाश से नहीं बचा सकता।

बता दें कि नेतन्याहू ने कहा था कि ईरान के अन्य प्रॉक्सी की तरह अंसारुल्लाह पर भी इस्राईल हमला करेगा।  ज़ायोनी प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद यमनी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।  हाई पॉलिटिकल काउंसिल के सदस्य मोहम्मद अली अल-हौसी ने नेतन्याहू के बयान के जवाब में कहा कि अवैध राष्ट्र निश्चित रूप से नष्ट होकर रहेगा।

उन्होंने कहा कि नेतन्याहू को यमन को धमकी देने से पहले अपने कार्यों के परिणामों पर विचार करना चाहिए क्योंकि उनके करतूतों के परिणामों में अवैध ज़ायोनी राष्ट्र  का अंत भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि नेतन्याहू को उनके अपराधों के लिए जेल में डाल दिया जाएगा या सत्ता से हटा दिया जाएगा। सत्ता बचाने के लिए सैन्य बल का प्रयोग लंबे समय तक काम नहीं करेगा।

फिलिस्तीनी सूत्रों ने कहा कि गाजा पट्टी पर इजरायली हमलो में कम से कम 9 फिलिस्तीनी शहीद कई अन्य घायल हो गए

एक रिपोर्ट के अनुसार ,फिलिस्तीनी सूत्रों ने कहा कि गाजा पट्टी पर इजरायली हमलो में कम से कम 9 फिलिस्तीनी शहीद कई अन्य घायल हो गए।

फ़िलिस्तीनी सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, इज़रायली युद्धक विमानों ने बुधवार को उत्तरी गाजा के बेत हनौन शहर में एक घर पर बमबारी की।

गाजा में नागरिक सुरक्षा के प्रवक्ता महमूद बसल ने बताया कि हमले में दो महिलाओं सहित चार लोग मारे गए और कई अन्य अभी भी मलबे के नीचे लापता हैं।

बसाल के अनुसार उत्तरी गाजा में जबालिया क्षेत्र में एक इजरायली ड्रोन ने फिलिस्तीनियों की एक सभा को निशाना बनाया दो और लोग मारे गए और एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया।

इसके अलावा उत्तरी गाजा में अलअवदा अस्पताल द्वारा जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा गया कि भोर में बेत लाहिया शहर में एक इमारत पर इजरायली हवाई हमले में एक अर्धसैनिक की मौत हो गई।

 

बयान में कहा गया है कि इजरायली सेना ने अस्पताल के पास एक "रोबोट" में विस्फोट किया जिससे चिकित्सा कर्मचारी और मरीज घायल हो गए।

 

देशभर में प्रदर्शन, संघर्ष विराम लागू न होने और बंधकों की रिहाई न होने पर आक्रोश, तत्काल चुनाव की मांग, मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प।

इजरायल में 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा बंधक बनाए गए इजरायली नागरिकों की रिहाई में विफलता के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। एक साल से अधिक समय तक चले युद्ध और 45,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की शहादत के बावजूद नेतन्याहू की सरकार अपने बंधकों को रिहा नहीं कर सकी। शनिवार को तेल अवीव, हाइफ़ा, और बेर्शेबा जैसे शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए, जहां लोगों ने नेतन्याहू के इस्तीफे और तत्काल चुनाव की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि नेतन्याहू सत्ता में बने रहने के लिए युद्ध जारी रखना चाहते हैं और बंधक रिहाई समझौते में हस्तक्षेप कर रहे हैं।

तेल अवीव में रक्षा मंत्रालय के बाहर सबसे बड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसमें विपक्षी नेता यायर लैपिड ने नेतन्याहू को चुनौती दी। एक इजरायली बंधक मटन ज़िंगौकर ने नेतन्याहू पर बंधकों की रिहाई के लिए वार्ता में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया, और कहा कि नेतन्याहू युद्धविराम और कैदियों के आदान-प्रदान के समझौते को रोक रहे हैं। हालांकि, इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम पर वार्ता जारी है, इजरायली सरकार युद्ध समाप्त करने को लेकर अनिच्छुक दिख रही है, क्योंकि वह हमास को हराए बिना संघर्ष समाप्त नहीं करना चाहती। इस स्थिति में गाजा में तबाही के बावजूद हमास की पकड़ बनी हुई है, और इजरायल की सरकार को विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य मोहम्मद अलबुखैती ने रविवार शाम इस बात पर जोर दिया कि इस देश की सशस्त्र सेनाओं के हमलों ने अमेरिका की रक्षा प्रणाली को हिला कर रख दिया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य मोहम्मद अल-बुखैती ने रविवार शाम इस बात पर जोर दिया कि इस देश की सशस्त्र सेनाओं के हमलों ने अमेरिका की रक्षा प्रणाली को हिला कर रख दिया है।

अलबुखैती ने अलजज़ीरा न्यूज़ नेटवर्क के साथ बातचीत में कहा,हमारी रणनीतियाँ प्रभावी हैं और ग़ाज़ा का समर्थन करने के लिए शुरू किए गए अभियानों के बाद हमने अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि यमन के अभियानों का उद्देश्य ग़ज़ा में सामूहिक हत्याओं को रोकना है उन्होंने कहा,इज़रायल अकेले हमारे साथ युद्ध नहीं कर सकता इसलिए वह अपने समर्थक का सहारा लेता है।

शनिवार देर रात यमनी सूत्रों ने बताया कि सना के दक्षिण में स्थित ‘जबल अटन’ क्षेत्र पर बमबारी की गई अमेरिकी सेना की केंद्रीय कमान (सेंटकॉम) ने रविवार तड़के घोषणा की,हमने सना में एक मिसाइल भंडारण केंद्र और एक कमांड और नियंत्रण केंद्र पर सटीक हवाई हमले किए।

अमेरिकी सेना ने दावा किया कि ये हमले लाल सागर में युद्धपोतों के खिलाफ यमनी ‘हूती’ बलों की गतिविधियों को रोकने और कम करने के उद्देश्य से किए गए थे। सेंटकॉम ने अपने बयान में यह भी कहा कि सना पर हवाई हमले के साथ साथ उसने लाल सागर के ऊपर यमन से दागे गए ड्रोन और क्रूज़ मिसाइलों का पता लगाया।

इस यमनी अधिकारी ने जोर देकर कहा कि यमन पर हर हमला हमारी विजय की आशा को और मजबूत करता है।

हमारे अभियान प्रभावी रहे हैं और हमने इज़रायल के आर्थिक घेराबंदी में सफलता प्राप्त की है और उसके सुरक्षा ढांचे को निशाना बनाया है।

अलबुखैती ने अंत में कहा,जितना हमें नुकसान पहुंचाया जाएगा उतना ही हम मजबूत होंगे और हमारी आंतरिक एकता भी बढ़ेगी हम ग़ाज़ा का समर्थन करने की कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं और हमें अपनी जान गंवाने का कोई डर नहीं हैं।

ईरान की शक्तिशाली सैन्य यूनिट रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के प्रमुख मेजर जनरल हुसैन सलामी ने कहा है कि नमाज़ हमारा रास्ता है, जिसकी रहमत और बरकत से दुनिया की कोई भी ताकत रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स को हरा नहीं सकती है।

जनरल हुसैन सलामी शहीद रुदकी समुद्री जहाज बंदर अब्बास में रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की दूसरी राष्ट्रीय बैठक के समापन समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने हज़रत फातिमा ज़हरा, के जन्मदिन के अवसर पर बधाई दी और कहा कि फारस की खाड़ी के रक्षक बहादुर और मजबूत दिल वाले अभिभावक हैं। ये बहादुर लोग मुसलमानों के सम्मान और महान ईरानी राष्ट्र की महानता के स्तंभ हैं।

उन्होंने नमाज़ को इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स की शक्ति का राज़ बताया और कहा कि नमाज़ की बरकत से दुनिया की कोई भी ताकत इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स पर काबू पाने की ताकत नहीं रखती क्योंकि नमाज़ हमारा मार्ग है।

जब घर में शांति और संतुष्टि के क्षण की बात आती है, तो हम तुरंत कुछ जीवन कौशल खोजने के लिए इंटरनेट का सहारा लेते हैं। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि खुशहाल और प्रेमपूर्ण जीवन का नुस्खा हज़रत फातिमा ज़हरा (स) की जीवनी में आसानी से उपलब्ध है जिस पर हम ध्यान नहीं देते हैं।

जब घर में शांति और संतुष्टि के क्षण की बात आती है, तो हम तुरंत कुछ जीवन कौशल खोजने के लिए इंटरनेट का सहारा लेते हैं। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि खुशहाल और प्रेमपूर्ण जीवन का नुस्खा हज़रत फातिमा ज़हरा (स) की जीवनी में आसानी से उपलब्ध है जिस पर हम ध्यान नहीं देते हैं।

जीवन की भाग दौड़ में शांति कैसे पाएं?

हम अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हमें पता ही नहीं चलता कि कब सुबह से शाम हो जाती है। हम घर ऐसे पहुंचते हैं मानो वह कोई आरामगाह हमारा इंतजार कर रही हो, जहां हम जल्दी-जल्दी सारे काम निपटाते हैं और थककर सोने के लिए तैयार हो जाते हैं ताकि सुबह जल्दी उठ सकें। लेकिन सवाल यह है कि हम अपने घर में खुशियां और ताजगी कैसे ला सकते हैं? छोटे-छोटे क्षणों का सर्वोत्तम उपयोग कैसे करें और जीवन को समर्पित कैसे बनाएं?

हज़रत फातिमा ज़हरा (स) के जन्म के शुभ अवसर पर, हमने उनकी जीवनी की जांच करके उनके जीवन के सबक खोजने की कोशिश की है, जिसका पालन करके हम अपने जीवन को शांतिपूर्ण बना सकते हैं। हमने मनोवैज्ञानिक और विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, सुश्री महदिया लाबाफ से बात की , हमें यह बताने के लिए कि हज़रत फातिमा ज़हरा (स) की जीवनी के अनुसार, पति और पत्नी के बीच प्यार भरे रिश्ते को कैसे मजबूत किया जाए।

जब घर का मुखिया अपनी थकान घर के दरवाजे पर छोड़ देता है:

अमीरुल मोमिनीन (अ) जब युद्ध के मैदान में कई दिनों और हफ्तों की कड़ी मेहनत के बाद घर लौटते थे तो उनके चेहरे पर मुस्कान नहीं होती थी। उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि वह घर में मुस्कुराते हुए प्रवेश करते थे और अपने जीवन में हज़रत फातिमा ज़हरा (स) के प्रति अभूतपूर्व प्रेम दिखाते थे और अपने परिवार के सदस्यों के साथ बहुत दयालु व्यवहार करते थे।

अब जरा अपने आसपास देखिए, कितने परिवारों में ऐसा होता है?

और कितनी बार, जब घर का मुखिया दिन भर के काम के बाद घर लौटता है, तो वह अपनी थकान और काम का बोझ घर के माहौल पर थोपता है और उम्मीद करता है कि उसकी पत्नी भोजन की व्यवस्था करेगी और घर को पूर्ण शांति का केंद्र बना देगी।

जबकि अगर हम हज़रत अली (अ) और हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) के जीवन पर विचार करें, तो हम पैगंबर (स) के जीवन के अंतिम दिनों के जितना करीब आते हैं, यह स्पष्ट हो जाता है कि सामाजिक दबाव और विभिन्न समूहों के बावजूद बढ़ते अत्याचार अमीरुल मोमिनीन (अ) और हज़रत फातिमा ज़हरा (स) ने कभी भी अपनी कठिनाइयों को अपने घर के माहौल पर असर नहीं पड़ने दिया।

इस तरह करें अपने जीवनसाथी का स्वागत:

उन दिनों घर के काम बहुत होते थे. उदाहरण के लिए, रोटी बनाने के लिए पहले गेहूं को पत्थर की चक्की से पीसकर आटा बनाया जाता था, फिर रोटी को ओवन में पकाया जाता था। इसके अलावा बच्चों की देखभाल और अन्य घरेलू ज़िम्मेदारियाँ भी समय लेने वाली थीं। इसके बावजूद, हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) ने हज़रत अली (स) के स्वागत के लिए स्वयं दरवाज़ा खोलने का विशेष ध्यान रखा। वह सबसे अच्छे और सबसे विनम्र तरीके से अभिवादन करते हुए कहती थी: "अस-सलामो अलैका या अबल-हसन"।

यह सम्मान की सर्वोच्च अभिव्यक्ति थी क्योंकि अरब सभ्यता में किसी को उपनाम (शीर्षक) से संबोधित करना सम्मान का प्रतीक माना जाता था। जवाब में, हज़रत अली (अ) बहुत प्यार और नरम आवाज़ में कहते थे: "अल्लाह के दूत की बेटी, तुम पर शांति हो।" इस जवाब के ज़रिए हज़रत अली (अ) ने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) पर फ़ख़्र ज़ाहिर किया कि वह रसूलुल्लाह (स) की बेटी हैं।

ये सुंदर शब्द और दयालु व्यवहार, शारीरिक थकान के बावजूद, दर्शाते हैं कि अच्छे शिष्टाचार और प्रेमपूर्ण व्यवहार मानव की थकान और पीड़ा को कम कर सकते हैं और दिलों को शांत कर सकते हैं।

हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) की एक विशेष विशेषता:

हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) के जीवन के अध्ययन से पता चलता है कि उन्होंने हज़रत अली (अ) से कभी कोई मांग नहीं की। इस मामले में आज की महिलाओं के लिए बहुत बड़ी सीख है क्योंकि महिलाओं के लिए मांग करना जायज है. अल्लाह तआला ने पति पर अपनी पत्नी की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना अनिवार्य कर दिया है। उदाहरण के लिए, यदि कोई महिला अपने पति से कहती है कि उसे कपड़े चाहिए, तो यह शरीयत के खिलाफ नहीं है, क्योंकि पति गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य है, यह उसकी जिम्मेदारी है।

लेकिन हज़रत ज़हरा (स) की आदत थी कि वह कभी भी अपनी बुनियादी ज़रूरतों को अपनी ज़ुबान से ज़ाहिर नहीं करती थीं। वह इस बात से चिंतित रहती थीं कि कहीं इस्लाम की सेवा में आने वाली बड़ी-बड़ी समस्याओं से हज़रत अली (अ) विचलित न हो जाएं, या उन पर इतना बोझ न डाल दिया जाए कि उसे पूरा करना उनके लिए मुश्किल हो जाए।

एक घटना में, हज़रत अली (अ) ने हज़रत फातिमा (स) से पूछा: "क्या घर में खाने के लिए कुछ है?" तो हज़रत ज़हरा (स) ने उत्तर दिया: "नहीं, सब कुछ ख़त्म हो गया है।" यह सुनकर हज़रत अली (अ) तुरंत घर के लिए ज़रूरी सामान का इंतज़ाम करने के लिए निकल पड़े।

यह व्यवहार हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.) के प्रेम, त्याग और अपने पति के मिशन के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का एक ज्वलंत उदाहरण है।

अपने घर को शांति और सुकून का स्वर्ग बनाएं:

हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) के जीवन के एक अन्य पहलू में, हम देखते हैं कि अपने सीमित संसाधनों के बावजूद, वह हज़रत अली (अ) का बहुत आतिथ्य करती थीं और उनके लिए मानसिक शांति का स्रोत थीं। आज के जीवन में हम अक्सर यह सोचने की गलती करते हैं कि शांति स्थापित करना बहुत जटिल है, जैसे कि यह केवल स्वच्छता या अच्छे भोजन पर निर्भर करता है।

लेकिन हज़रत ज़हरा (स) की जीवनी हमें सिखाती है कि कभी-कभी सुखद लहजे में कुछ मीठे शब्द या दिल को छू लेने वाली बातचीत एक पति को वह शांति दे सकती है जो कहीं और संभव नहीं है।

हज़रत ज़हरा (स) और अमीरुल मोमिनीन (अ) की निकटता और दोस्ती का पता इससे चलता है कि जब हज़रत ज़हरा (स) शहीद हुईं, तो हज़रत अली (अ) उनके धन्य शरीर के पास खड़े हुए और उनसे बात की, जिससे पता चलता है कि माहौल कितना जीवंत और सुखद था उनके बीच बातचीत चल रही थी।

दुर्भाग्य से, आज के परिवारों में यह पहलू अक्सर गायब है। पति अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है और पत्नी अपनी, लेकिन साथ बैठकर बात करने, सलाह-मशविरा करने और एक-दूसरे को समय देने की संस्कृति कम होती जा रही है।

संक्षेप में, आज के जीवन में हमें जिस चीज़ की सबसे अधिक आवश्यकता है वह है हज़रत फातिमा ज़हरा (स) के जीवन को अपने जीवन में अपनाना और अपने घरों में शांति और प्रेम को बढ़ावा देना।

सादात इकराम के सम्मान में तीसरी बड़ी कॉन्फ्रेंस तेहरान के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित की गई जिसमें ईरानी और ग़ैर ईरानी शिया और सुन्नी कुल 1500 सादात ने हिस्सा लिया।

एक रिपोर्ट के अनुसार , तेहरान के कॉन्फ्रेंस हॉल में सादात इकराम के सम्मान में तीसरा भव्य अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया जिसमें ईरानी और ग़ैर-ईरानी शिया और सुन्नी, कुल 1500 सादात किराम ने भाग लिया।

हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद रज़ा मीरताज उद्दीनी ने सेमिनार को संबोधित करते हुए अहल ए बैत अ.स. के सम्मान के महत्व पर आयतों और रिवायतों का हवाला दिया उन्होंने कहा कि क़ुरान और एत्र दोनों अल्लाह तक पहुँचने का मार्ग हैं।

उन्होंने आगे कहा कि जो लोग क़ुरान और एत्रत से दूर हो गए हैं वे गुमराही का शिकार हुए हैं। आज हम देख रहे हैं कि तकफ़ीरी तत्व इसराइल से लड़ने के बजाय मुसलमानों के ख़िलाफ़ युद्ध में लगे हुए हैं।

 

इंडोनेशिया के विद्वान सखा अली ने भी सेमिनार में भाषण देते हुए अहल-ए-बैत अ.स. के सम्मान की आवश्यकता पर जोर दिया उन्होंने आयतों का उल्लेख करते हुए कहा कि अहल ए बैत अ.स. का सम्मान आध्यात्मिक और भौतिक रूप से अनगिनत बरकतों का कारण बनता है। उन्होंने ईरानी जनता की अहल-ए-बैत अ.स.के प्रति गहरी मोहब्बत की सराहना की हैं।

लेबनान की सैयदा फ़ातिमा फरहात ने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ. की विलादत के शुभ अवसर पर सेमिनार में मुबारकबाद पेश की। उन्होंने शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह के बलिदानों और सेवाओं को सराहते हुए कहा कि वे एक महान पिता शिक्षक, धर्मगुरु और राजनेता थे।

सीरिया की वक्ता फ़ातेमा आज़ादी मनश ने सीरिया की परिस्थितियों पर चर्चा करते हुए कहा कि पैगंबर ए इस्लाम स.अ.के वंशज इन घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सादात बिना किसी डर के पूरी बहादुरी के साथ पवित्र स्थलों की रक्षा के लिए खड़े हैं।

भारत के सैयद मुस्तफ़ा मूसावी ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में बड़ी संख्या में सादात मौजूद हैं और उनका सम्मान अद्वितीय है उन्होंने भारत के नक़वी मूसावी और अलवी सादात का उल्लेख करते हुए आशा व्यक्त की कि ये सभी हज़रत ज़हरा स.अ.के लिए गर्व का कारण बनेंगे।