رضوی

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आप का नाम हुर्र इब्ने यज़ीद इब्ने नाजिया इब्ने कनब इब्ने इताब इब्ने हुर्रमी इब्ने रियाह इब्ने यार्बू इब्ने खंज़ला इब्ने मालिक इब्ने ज़ेद्मना इब्ने तमीम अल यार्बुई अर्र रियाही था आप अपने हर अहदे हयात मे शरीफ़े क़ौम थे ।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत हुर्र इब्ने यज़ीद इब्ने नाजिया इब्ने कनब इब्ने इताब इब्ने हुर्रमी इब्ने रियाह इब्ने यार्बू इब्ने खंज़ला इब्ने मालिक इब्ने ज़ेद्मना इब्ने तमीम अल यार्बुई अर्र रियाही था आप अपने हर अहदे हयात मे शरीफ़े क़ौम थे ।

आप के बाप दादा कि शरफ़अत मुसलेमात से थी पैगमबरे इसलाम के मशहुर सहबी ज़ऐद ईबने उमर इबने कैस इबने इताब जो (अहवज़) के नाम से मशहुर थे और शायरी मे बा- कमाल माने जाते थे वो आप के चचा ज़आत भैइया और आप के खनदान के चशमो चराग थे ।

हज़रते हुरर क शुमार कूफे के रईसों में था ।इब्ने ज़ियाद ने जब आप को एक हज़ार के लश्कर समेत इमाम हुसैन (अलै) से मुकाबला करने के लिए भेजा था उस वक्त आप को एक गैबी फ़रिश्ते ने जन्नत की बशारत दी थी जनाबे हुर्र्र का लश्कर मैदान मारता हुआ जब मकामे “शराफ” पर पंहुचा और इमाम हुसैन (अलै०) के काफिले को देख कर दौड़ा तो तमाजते आफताब और रास्ते की दोश ने प्यास से बेहाल कर दिया था।

मौला की खिदमत में पहुँच कर जनाबे हुर्र ने पानी का सवाल किया। सकिये कौसर के फरजंद ने सराबी का हुकुम दे कर आने की गरज पूछी उन्होंने अरज की मौलाl आप की पेश- कदमी रोकने और आप का मुहासिरा करने के लिए हमको भेजा गया है।

पानी पिलाने से फरागत के बाद इमाम हुसैन (अलै०) ने नमाज़े जोहर अदा फरमाई। हुर्र ने भी साथही नमाज़ पढ़ी। फिर नमाज़े असर पढ़ कर हज़रात इमाम हुसैन (अलै०) ने कूच कर दिया । हुर्र अपने लश्कर समेत काफिला –ऐ –हुस्सैनी से कदम मिलाए हुए चल रहे थे और किसी मकाम पर हज़रत की खिदमत में मौत का हवाला देते थे।

मकसद ये था के  यज़ीद की बैअत करके अपने को हलाकत से बचा लीजिये आप इस के जवाब में इरशाद फरमाते थे “हक पर जान देना हमारी आदत है “ रास्ते में बा- मकाम अजीब तर्माह इब्ने अदि अपने चार साथियों इमाम हुसैन (अलै०) से मिले । हुर्र ने कहा ये आप के हमराही नहीं है इस वक़्त कूफे से आ रहे है यह मै इन्हें आप के हम- रकाब रहने न दूंगा आप ने फरमाया तुम अपने मुआहदे से हट रहे हो ।सुनो ! अगर तुम अपने मुआहदे के खिलाफ इब्ने ज़ियाद के हुकुम पहुँचने से पहले हम से कोई मुजहेमत की तो फिर हम तुम से जंग करेंगे ।

ये सुन कर हुर्र खामोश हो गए और काफिला आगे बढ़ गया । “ कसरे बनी मुकतिल” पर मालिक इब्ने नसर नामी एक शक्स ने हुर्र्र को इब्ने ज़ियाद का हुकुमनामा दिया जिस में मारकूल था की जिस जगह मेरा यह ख़त तुम्हे मिले उसी मक़ाम पर इमाम हुसैन अलै० को ठहरा देना ।

और उस अमर का खास ख़याल रखना की जहाँ वो ठहरे वहां पानी और सब्जी का नामो निशाँ तक न हो इस हुकुम को पाते ही हुर्र ने आप को रोकना चाहा । आप तर्माह इब्ने अदि के मशविरे से आगे बढे और दो मोह्र्रम यौमे पंज्श्म्भा बा- मकामें कर्बला जा पहुचे हुर्र ने आपको बे- गयारह जंगल में पानी से बहुत दूर ठहराया और इस अमर की कोशिश की की `हुकुमे इब्ने जयाद ने फरक न आने पाए ।

 दूसरी मोहर्र्रम तक ज़मीने कर्बला पर हुर्र रियाही इब्ने ज्याद और इब्ने साद के हर हुकुम की तकमील करते रहे और हालात का जयजा लेते रहे । सुबहे आशूर आप इस नतीजे पर पहुंचे की जन्नत व दोज़ख का फैसला कर लेना चाहिए ।

चुनाचे आप इन्तेहाई तरद्दुद व तफ़क्कुर में इब्ने साद के पास गए और पूछा की क्या वाकई इमाम हुसैन अलै० से जंग की जाए? इब्ने साद ने जवाब दिया बे – शक तन फद्केंगे ,सर बरसेंगे ,और कोई भी हुसैन और उनके साथियों में से न बचेगा ।

ये सुन कर हुर्र रियाही ख़ामोशी के साथ आहिस्ता –आहिस्ता इमाम हुसैन (अलै०) की खिदमत में आ पहुचे । बनी हाशिम ने इस्तकबाल किया । इमाम हुसैन अलै० ने सीने से लगाया । हुर्र ने अरज की मौला ! खता मुआफ मेरे पदरे नामदार ने आज शब् को ख्वाब में मुझे हिदायत की है की मै शर्फे कदम बोसी हासिल कर के दर्जे- ए –शहादत पर फएज हो जाऊ । मौला ! मैं ने ही सब से पहले हुजुर को रोका था । अब सब से पहले हुजुर पर कुर्बान हो जाना चाहता हूँ ।

(मुआर्खींनं का कहना है की इब्ने ज़ियाद और उमरे साद को हुर्र पर बड़ा एतमाद था इसीलिए सब से पहले उन्ही को रवाना किया था और फिरर यौमे आशुर लश्कर की तकसीम के मौके पर भी उन्हें लश्कर के चौथाई हिस्से पर जो कबीला-ए-तमीम व हमदान पर मुश्तकिल ।था सरदार करार दिया था)

इज्ने ज़ियाद दीजिये ताकि गर्दन कटाकर बारगाहे रिसालत में सुर्ख-रू हो सकूं।

इमाम हुसैन अलै० ने इजाज़त दी जनाबे हुर्र मैदान में तशरीफ़ लाए और दुश्मनों को मुखातिब करके कहा ।

“ ऐ दुश्मने इस्लाम शर्म करो अरे तुमने नवासे रसूले को खत लिखकर बुलाया । उन् की नुसरत व हिमायत का वयदा किया और खुतूत में ऐसी बाते तहरीर की के हुजुर को शरअन तामील करना पड़ी और वह जब तुम्हारे दावत नामो पर भरोसा कर के आ गए है तो तुम उन् पर मजलिम के पहाड़ तोड़ रहे हो उन्हें चारो तरफ से घेरा हुआ है और उन् के लिए पानी बनदीश कर दी है ।“

ऐ जालिमो ! सोचो यहुदो नसारा पानी पि रहे है और हर्र किसम के जानवर पानी में लोट रहे है लेकिन आले मोहम्मद एक-एक कतरा-ऐ-आब के लिए तरस रहे है । अरे तुमने मोहम्मद की आल के साथ कितना बुरा सुलूक रखा है ।

जनाबे हुर्र की बात अभी ख़तम न होने पाई थी की तीरों की बारिश शुरू हो गई आप ज़ख़्मी हो कर इमाम हुसैन अलै० की खिदमत में हाज़िर हुए और अरज की, मौला अब आप मुझसे खुश हो गए इमाम हुसैन अलै० ने दुआ दी और फ़रमाया “ऐ हुर्र ! तू फर्दा-ऐ-क़यामत में आतिशे जहानुम से आज़ाद हो गया।

इसके बाद जनाबे हुर्र फिरर मैदान में तशरीफ़ लाए और निहायत बे- जिगरी से नबर्द आज़मा हुए और आप ने पचास दुश्मनों को तहे तेग कर दिया दौराने जंग में अय्यूब इब्ने मश्र्रा ने एक ऐसा तीर मारा जो जनाबे हुर्र के घोड़े की पीठ में लगा और आपका घोडा बे-काबू हो गया आप पयादा हो कर लड़ने लगे नागाह आप का नेजा टूट गया । और आपने तलवार संभाली अलमदारे लश्कर को आप कतल करना ही चाहते थे की ददुश्मनों ने चारो तरफ से तश्दिद हमला कर दिया । बिल आखिर कसूर लई इब्ने कुनना ने सीना –ऐ –हुर्र पर एक ज़बरदस्त तीर मारा जिसके सदमे से आप ज़मीन पर गिर पड़े और इमाम हुसैन अलै० को आवाज़ दी मौला खबर लिजिय ! इमाम हुसैन अलै० जनाबे हुर्र की आवाज़ पर मैदाने जंग में पहुचे और देखा जान – निसार एड़िया रगड़ रहा है ।आप उसके करीब गए और आपने उनके सर को अपनी आगोश में उठा लिया । जनाबे हुर्र ने आँखे खोल कर चेहरा- ऐ – इमामत पर निगाह की और इमाम हुसैन अलै० को बेबसी के आलम में छोड़ कर जन्नत का रास्ता लिया ।

रियाजे शाहदत में है की आप को सब शोहदा की तद्फीन के मौके पर बनी असद ने इमाम हुसैन अलै० से एक फ़रसख के फासले पर गल्बी जानिब दफ़न किया और वहीँ पर आप का रोज़ा बना हुआ है।

शुक्रवार, 18 जुलाई 2025 06:11

हज़रते क़ासिम बिन इमाम हसन अ स

 क़ासिम इमाम हसन बिन अली (अ) के बेटे थे और आप की माता का नाम “नरगिस” था मक़तल की पुस्तकों ने लिखा है कि आप एक सुंदर और ख़ूबसरत चेहरे वाले नौजवान थे और आपका चेहरा चंद्रमा की भाति चमकता था। क़ासिम बिन हसन कर्बला के मैदान में अपने चचा की तरफ़ से लड़ने वाले थे आपने 13 या 14 साल की आयु में यज़ीद की हज़ारों के सेना के साथ युद्ध किया और शहीद

हज़रते क़ासिम बिन इमाम हसन अ स

क़ासिम इमाम हसन बिन अली (अ) के बेटे थे और आप की माता का नाम “नरगिस” था मक़तल की पुस्तकों ने लिखा है कि आप एक सुंदर और ख़ूबसरत चेहरे वाले नौजवान थे और आपका चेहरा चंद्रमा की भाति चमकता था।

क़ासिम बिन हसन कर्बला के मैदान में अपने चचा की तरफ़ से लड़ने वाले थे आपने 13 या 14 साल की आयु में यज़ीद की हज़ारों के सेना के साथ युद्ध किया और शहीद हुए।

अबू मख़नफ़ हमीद बिन मुसलिम के माध्यम से कहता है कि हमीद ने रिवायत कीः हुसैन के साथियों में से एक लड़का जो ऐसा लगता था कि जैसे चाँद का टुकड़ा हो बाहर आया उसके हाथ में तलवार थी एक कुर्ता पहन रखा था और उसने जूता पहन रखा था जिसकी एक डोरी काटी गई थी और मैं कभी भी यह नही भूल सकता कि वह उसके बाएं पैरा का जूता था।

हज़रत क़ासिम की शादी

क़ासिम बिन हसन कर्बला के मैदान में अभी 15 साल के नहीं हुए थे, मक़तले अबी मख़नफ़ में आया हैः क़ासिम कर्बला में 14 साल के थे, अल्लामा मजलिसी का मानना है कि हज़रत क़ासिम की शादी के बारे में कोई ठोस दस्तावेज़ मौजूद नहीं है।

हज़रत क़ासिम की शादी को सबसे पहले इन दो किताबों मे बयान किया गया है, शेख़ फ़ख़्रुद्दीन तुरैही की पुस्तक “मुंतख़बुल मरासी”, और दूसरी मुल्ला हुसैन काशेफ़ी की पुस्तक “रौज़तुल शोहदा”। और यह दोनों पहली मक़तल की पुस्तकें है जो फ़ारसी भाषा में लिखी गई हैं।

इस बारे में रिवायत बयान की जाती है कि मदीने से कर्बला की यात्रा के बीच हसन बिन हसन ने अपने चचा से आपकी दो बेटियों में से एक से शादी का प्रस्ताव रखा।

इमाम हुसैन ने कहाः जो तुमको अधिक पसंद हो उसको चुन लो, हसन शर्मा गये और कोई उत्तर नहीं दिया।

 इमाम हुसैन ने फ़रमायाः मैंने तुम्हारे लिये फ़ातेमा का चुनाव किया है जो मेरी माँ और पैग़म्बर की बेटी के जैसी है।

इससे पता चलता है कि कर्बला में फ़ातेमा अवश्य मौजूद थी। अब अगर हम यह मान लें कि क़ासिम की शादी हुई है , तो हमको यह कहना होगा कि इमाम हुसैन की दो बेटिया थी जिनका नाम फ़ातेमा था जिनमें से एक की शादी हसन के साथ की गई और दूसरी की क़ासिम के साथ, या हम यह कहें कि वह बेटी जिसकी शादी क़ासिम के साथ हुई है उसका नाम फ़ातेमा नहीं था, और इतिहास की पुस्तकों ने उसका नाम लिखने में ग़ल्ती की है, और अगर हम क़ासिम की शादी को सही न मानें तो हम यह कह सकते हैं कि रावियों और मक़तल के लिखने वालों ने गल्ती से हसन के स्थान पर क़ासिम का नाम लिख दिया है और यहीं से क़ासिम की शादी की बात सामने आई है।

बहर हाल कारण कोई भी हो लेकिन आशूरा की घटनाओं के अधिकतर शोधकर्ताओं ने क़ासिम की शादी को ग़लत माना है, मोहद्दिस क़ुम्मी मुनतहल आमाल और नफ़सुल महमूल में क़ासिम की शादी का इन्कार करते हैं और लिखते हैं: इतिहास लिखने वालों ने हसन के स्थान पर ग़ल्ती से क़ासिम का नाम लिख दिया है।

शहीद मुतह्हरी भी क़ासिम की शादी को सही नहीं मानते हैं और कहते हैं कि किसी भी मोतबर पुस्तक में इस चीज़ के बारे में बयान नहीं किया गया है और हाजी नूरी का भी यह मानना है कि मुल्लाह हुसैन काशेफ़ी वह पहले इंसान है जिन्होंने अपनी पुस्तक रौज़तुश शोहदा में इस बात को लिखा है और यह ग़लत है।

शबे आशूर

आशूर की रात को क़ासिम की आयु 13 (1) या 16 साल थी। (2)

मक़तल की किताबों में है कि आशूर की रात इमाम हुसैन ने चिराग़ को बुझा दिया और फ़रमायाः जो भी जाना चाहता है चला जाए, लेकिन कोई न गया हर तरफ़ से रोने की आवाज़े बुलंद हो गई, उसके बाद इमाम हुसैन ने आशूर के दिन शहीद होने वालों के नाम बताने शुरू किये, कभी का अब्बास तुम्हारे शाने काटे जाएंगे, तो कभी कहा अकबर तुम्हारे सीने में बरछी लगेगी, कभी हबीब का नाम लिया को तभी जौन का, कभी औन व मोहम्मद को शहादत की सूचना दी तो कभी मुसलिम बिन औसजा को इस बीच क़ासिम हैं जो एक कोने में खड़े हुए हैं और अपने नाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन चूँकि क़ासिम की आयु अभी बहुत कम है इसलिये उनसे धैर्य नहीं रखा जाता है और इमाम हुसैन से कहते हैं, हे चचा क्या कल मैं भी शहीद होऊँगा?

हुसैन क़ासिम से पूछते हैं कि मौत तुम्हारी नज़र में कैसी है?

आपने कहाः शहद से अधिक मीठी

इमाम ने कहाः हां ऐ क़ासिम कल तुम भी शहीद होगे।

युद्ध की अनुमति मांगना

क़ासिम औन और मोहम्मद के बाद इमाम हुसैन के पास आते हैं और कहते हैं चचा जान अब मुझे में मरने की अनुमति दे दीजिये। लेकिन हुसैन ने आपको अनुमति नहीं दी आपने बहुत इसरार किया और आख़िरकार इमाम ने उनको अनुमति दे दी, एक रिवायत में है कि इमाम सज्जाद (अ) से एक हदीस में आया है कि क़ासिम अली अकबर के बाद मैदाने जंग में गये हैं। (3)

आप मैदान में आते हैं और परंपरा के अनुसार सिंहनाद पढ़ते हैं

إن تُنكِرونی فَأَنَا فَرعُ الحَسَن        سِبطُ النَّبِیِّ المُصطَفى وَالمُؤتَمَن

هذا حُسَینٌ كَالأَسیرِ المُرتَهَن (4)        بَینَ اُناسٍ لا سُقوا صَوبَ المُزَن

उसके बाद आपने युद्ध करना शुरू किया और 35 यज़ीदियों को मार गिराया। (5)

उमरो बिन सईद बिन नफ़ैल अज़्ज़ी ने जब आपको जंग करते हुए देखा तो क़सम खाईः अबी उस पर हमला करूँगा और उसको मार दूँगा।

उससे लोगों ने कहाः सुब्हान अल्लाह यह तुम क्या कार्य करोगे?

तुम देख रहे हो कि उसको चारों तरफ़ से घेरा चा चुका है और यही लोग उसको मार देंगे।

उसने कहाः ईश्वर की सौगंध मैं स्वंय उसकी हत्या करूँगा, उसने यह कहा और क़ासिम पर हमला कर दिया, और क़ासिम के सर पर तलवार मारी, क़ासिम घोड़े से गिर गये।

आवाज़ दी चचा जान सहायता कीजिये, इमाम हुसैन ने नफ़ैल पर हमला किया और उसका हाथ काट दिया, घुड़सवार नफ़ैल को बचाने के लिये दौड़े लेकिन इस दौड़ में क़ासिम का नाज़ुक बदन घोड़ों की टापों के बीट माला हो गया, और क़ामिस इस दुनिया से चले गये। (6)

ज़ियारते नाहिया में हज़रत क़ासिम पर यूँ मरसिया पढ़ा गया हैः

السَّلامُ عَلَى القاسِمِ بنِ الحَسَنِ بنِ عَلِیٍّ، المَضروبِ عَلى هامَتِهِ، المَسلوبِ لامَتُهُ، حینَ نادَى الحُسَینَ عَمَّهُ، فَجَلا عَلَیهِ عَمُّهُ كَالصَّقرِ، وهُوَ یَفحَصُ بِرِجلَیهِ التُّرابَ وَ الحُسَینُ یَقولُ : «بُعداً لِقَومٍ قَتَلوكَ ! و مَن خَصمُهُم یَومَ القِیامَةِ جَدُّكَ و أبوكَ

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(1)     मक़तले ख़्वारज़मी

(2)     लेबाबुल अंसाब

(3)     अमाली शेख़ सदूक़, पेज 226

(4)     मक़तले ख़्वारज़मी

(5)     मक़तले ख़्वारज़मी

(6)     तरीख़े तबरी और प्रसिद्ध स्रोत

 

 इस्लामी क्रांति के नेता, हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी ख़ामेनेई की अंगूठी मीडिया और सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है, लेकिन इस अंगूठी और उस पर लिखी गई आयत का रहस्य क्या है; यह जानना ज़रूरी है।

 इस्लामी क्रांति के नेता, हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी ख़ामेनेई की अंगूठी मीडिया और सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है, लेकिन इस अंगूठी और उस पर लिखी गई आयत का रहस्य क्या है; यह जानना ज़रूरी है।

आप सभी ने देखा कि इस्लामी क्रांति के नेता की अंगूठी पर आयत लिखी गई थी; "...إِنَّ مَعِيَ رَبّي... ...निःसंदेह, मेरा रब मेरे साथ है..." (सूर ए शोअरा, आयत 62)

यह आयत वह महान आयत है जिसने पैगम्बर मूसा (अ) और उनकी क़ौम को फ़िरऔन के हमले और नील नदी में डूबने से बचाया था।

जब पैगम्बर मूसा (अ) अपनी क़ौम के साथ नील नदी के किनारे पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि फ़िरऔन उनके पीछे उनकी जान और ख़ून के प्यासे हैं, जबकि नदी उनके सामने है, इसलिए पैगम्बर की क़ौम घबरा गई। उस समय पैगम्बर मूसा (अ) ने कहा: मेरा रब मेरे साथ है, जो मेरा मार्गदर्शन करेगा और मुझे इस संकट में असहाय नहीं छोड़ेगा।

इस्लामी क्रांति के नेता की अंगूठी; सीरत ए पैगम्बर इलाही

जब महान नेता और मुसलमानों के सेनापति, आयतुल्लाह ख़ामेनेई, जिन्होंने पैगम्बर मूसा (अ) के मार्ग का अनुसरण किया, पर दो परमाणु-सशस्त्र देशों (अमेरिका और इज़राइल) ने एक साथ हमला किया और उन्हें नष्ट करना चाहा, तो अल्लाह न करे, मूसा (अ) के उत्तराधिकारी ने वही वाक्य कहा जो मूसा (अ) ने कहा था: "...निःसंदेह, मेरा रब मेरे साथ है..." (सूर ए शोअरा, आयत 62)

इस महान आयत को कहने के लिए, निश्चित रूप से मूसा (अ) जैसे ईमान से भरे हृदय की आवश्यकता होती है, जैसा कि इस्लामी क्रांति के नेता ने हाल ही में अमेरिकी समर्थन से हड़पने वाले इज़राइल द्वारा छेड़े गए 12-दिवसीय युद्ध में प्रदर्शित किया था।

यह अंगूठी कब चर्चा में आई?

जब इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सय्यद अली हुसैनी ख़ामेनेई, ईरानी न्यायपालिका के शीर्ष नेताओं से मिले, तो उनके हाथ में यह अंगूठी थी और पवित्र आयत; "...निःसंदेह, मेरा रब मेरे साथ है..." (सूर ए शोअरा, आयत 62) उत्कीर्ण थी।

निष्कर्ष:

जो अल्लाह से डरता है, वह किसी से नहीं डरता, क्योंकि वह अपने रब को हर समय, हर जगह और हर क्षेत्र में देखता है; जब कोई व्यक्ति अपने रब को देख लेता है, तो उसे फिरौन और समुद्र में डूबने का डर नहीं रहता, बल्कि वह अपने रब पर भरोसा और विश्वास के साथ आगे बढ़ता है।

यमनी सेना ने जुल्फिकार मिसाइल से बेन गुरियन एयरपोर्ट पर हमला करने का दावा किया है।

यमन की सशस्त्र सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल याहया सारी ने घोषणा की है कि यमन ने कब्जाधारी इस्राइल के खिलाफ बैलिस्टिक और ड्रोन हमलों का नया चरण शुरू किया है, जिसके परिणामस्वरूप बेन गुरियन एयरपोर्ट सहित कई संवेदनशील स्थानों को निशाना बनाया गया। 

मेजर जनरल याहया सरिया ने कहा कि यमनी मिसाइल यूनिट ने एक विशेष ऑपरेशन में जुल्फिकार बैलिस्टिक मिसाइल के जरिए कब्जे वाले याफा क्षेत्र में स्थित बेन गुरियन हवाई अड्डे को निशाना बनाया। 

उन्होंने कहा कि यह हमला सफल रहा सियोनी कब्जाधारियों को एयरपोर्ट छोड़कर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा और एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया। 

यमनी सैन्य प्रवक्ता ने आगे बताया कि यमनी ड्रोन यूनिट ने भी तीन अलग-अलग ऑपरेशन किए, जिनमें चार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। इन हमलों में अलनकब क्षेत्र, बेन गुरियन एयरपोर्ट और ईलात बंदरगाह को निशाना बनाया गया। 

मेजर जनरल याहया सरिया ने स्पष्ट किया कि यमन फिलिस्तीनी मजलूम कौम के लिए अपने धार्मिक, नैतिक और मानवीय कर्तव्य से कभी पीछे नहीं हटेगा। 

प्रवक्ता ने कहा कि यमन लाल सागर और अरब सागर में इस्राइली जहाजों को रोकने के लिए अपने ऑपरेशन जारी रखेगा। जो भी कंपनियां कब्जे वाली फिलिस्तीनी बंदरगाहों की ओर जाएंगी, उनके जहाज दुनिया के किसी भी क्षेत्र में यमनी हमलों का निशाना बन सकते हैं। 

मेजर जनरल याहया सरिया ने कहा कि हम गाजा का समर्थन जारी रखेंगे और हमारे ऑपरेशन केवल तभी रुकेंगे जब गाजा में युद्धविराम होगा और घेराबंदी पूरी तरह से हटा ली जाएगी।

 

 ईरानी सुरक्षा समिति के सदस्य ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को चेतावनी दी है कि ईरान हर हाल में यूरेनियम संवर्धन के अपने अधिकार को बरकरार रखेगा।

ईरानी संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति समिति के सदस्य अला अलदीन बुरुजर्दी ने कहा है कि ईरान पश्चिम के दबाव में आकर यूरेनियम संवर्धन को निलंबित नहीं करेगा उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी ने ईरान पर प्रतिबंध फिर से लगाने का प्रयास किया, तो उसे कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ेगा।

यूरोपीय देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को फिर से सक्रिय करने की धमकियों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ने हमेशा पश्चिमी देशों की गलतियों के खिलाफ उचित प्रतिक्रिया दी है और भविष्य में भी देता रहेगा।

उन्होंने ईरान के कुछ परमाणु केंद्रों पर हुए दुश्मन के हमलों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने एक गंभीर गलती की थी और उसकी सजा भी भुगती। इस हमले के जवाब में संसद ने एक कानून पारित किया, जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सभी सहयोग निलंबित कर दिया गया।

इस कानून को निरीक्षण परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया, राष्ट्रपति को भेजा गया और इस पर अमल का आदेश भी जारी किया गया।

बुरुजर्दी ने आगे कहा कि यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि यदि यूरोपीय देश फिर से कोई गलती करते हैं, तो हम भी उसी स्तर पर कड़ी प्रतिक्रिया देंगे यदि यूरोपीय देशों ने स्नैपबैक तंत्र को सक्रिय किया, तो संसद और सरकार निस्संदेह इसका पूर्ण और कठोर जवाब देंगे।

उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान किसी भी धमकी को बर्दाश्त नहीं करेगा और दबाव या चेतावनी के माध्यम से अपने कानूनी अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा।

बुरुजर्दी ने कहा,ईरान मूल रूप से वार्ता के विरोध में नहीं है लेकिन हर वार्ता की अपनी शर्तें और सिद्धांत होते हैं। हम किसी भी स्थिति में यूरेनियम संवर्धन जैसे स्थापित और कानूनी अधिकार से पीछे नहीं हटेंगे संवर्धन वह अधिकार है जो राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुसार जारी रहेगा।

 

यमन के अंसारुल्लाह के नेता सय्यद अब्दुलमलिक बदरुद्दीन अल-हौसी ने अपने ताज़ा साप्ताहिक संबोधन में कहा कि ज़ायोनी दुश्मन फिलिस्तीनी लोगों के नरसंहार को जारी रखे हुए है आवासीय क्षेत्रों और शहरों को पूरी तरह नष्ट किया जा रहा है, और ग़ज़्ज़ा के सभी बुनियादी ढांचों को मिटा दिया गया है।

अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि यह नरसंहार अमेरिका और इज़राइल का साझा लक्ष्य है कई फिलिस्तीनी परिवारों को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, और गाजा में बच्चों के जन्म की दर में 41% की गिरावट आई है। इन कार्रवाइयों के कारण गाजा की आबादी में 10% की कमी आई है, जो इस बड़े अत्याचार का सबूत है। 

सैयद अब्दुलमलिक ने स्पष्ट किया कि ज़ायोनी सरकार अमेरिकी बमों से गाजा पर हमले कर रही है, और अमेरिका हथियारों की आपूर्ति रोकने को तैयार नहीं है। उन्होंने अरब देशों द्वारा अमेरिका में अरबों डॉलर के निवेश पर अफसोस जताया और कहा कि यही पैसा फिलिस्तीनियों की हत्या में इस्तेमाल हो रहा है। 

उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी लोगों पर हमला सिर्फ इज़राइली अपराध नहीं, बल्कि अमेरिकी अपराध भी है। अमेरिका योजना बनाने, खुफिया जानकारी, सैन्य सहायता और राजनीतिक समर्थन के जरिए इन अपराधों को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिका द्वारा दुनिया पर दबाव डाला जा रहा है ताकि वे चुप रहें, जो वास्तव में इज़राइल का समर्थन करने का एक और तरीका है। 

अल-हौसी ने आगे कहा कि अमेरिका और इज़राइल इस्लामी उम्मात की पहचान मिटाने और मुस्लिम देशों को जीतने के लिए ज़ायोनी योजनाओं पर काम कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कुछ अरब सरकारें अभी भी यह उम्मीद लगाए बैठी हैं कि अमेरिका अपना रवैया बदलेगा, जबकि सच यह है कि उस पर भरोसा करना एक गंभीर मूर्खता है। 

उन्होंने कहा कि गाजा में भूख, प्यास और नरसंहार, अमेरिका और इज़राइल के नजरिए में "मानवीय कार्रवाई" माने जाते हैं। गाजा में 643 दिनों में शहीदों, घायलों और लापता लोगों की संख्या 200,000 से अधिक हो चुकी है, जो ज़ायोनी अत्याचार की भयावहता को दिखाता है। 

अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि इज़राइली सरकार किसी भी मानवीय या अंतरराष्ट्रीय कानून की परवाह नहीं करती, और इन अपराधों के बावजूद वैश्विक समुदाय की चुप्पी मानवता का अपमान है। उन्होंने कहा कि इज़राइली योजना के तहत गाजा के लोगों को पानी से भी वंचित रखा गया है, और पानी के कुओं, अस्पतालों और बुनियादी सेवाओं को बंद कर दिया गया है। 

उन्होंने ज़ायोनी सरकार द्वारा गाजा को पूर्वी और पश्चिमी खान यूनिस में विभाजित करने वाले नए युद्ध मार्ग की ओर भी इशारा किया और कहा कि यह नरसंहार योजना का हिस्सा है। 

अल-हौसी ने मस्जिद अल-अक्सा पर हमलों और हरम हजरत इब्राहीम के यहूदीकरण पर भी चिंता जताई और कहा कि इन पवित्र स्थलों की बेअदबी मुस्लिम उम्मा के लिए आम बात बन चुकी है, जो खतरनाक संकेत है। 

उन्होंने वेस्ट बैंक में ज़ायोनी अपराधों, जबरन विस्थापन, बस्तियों के निर्माण और फिलिस्तीनी क्षेत्रों के विभाजन की भी आलोचना की और कहा कि इसके बावजूद कुछ अरब सरकारें इज़राइल के साथ संबंध सामान्य कर रही हैं। 

अल-हौसी ने शहीद मोहम्मद दिफ और उनके साथियों के बलिदानों की सराहना की और कहा कि उन्होंने ईमान और जिहाद के रास्ते पर चलकर इस्लामी उम्मा को जागृत करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि गाजा में फिलिस्तीनी मुजाहिदीन ने इज़राइल को भारी नुकसान पहुंचाया है, और अब इज़राइली सेना को जनशक्ति की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 

अंसारुल्लाह के नेता ने इस बात की आलोचना की कि कुछ अरब प्रतिनिधि इज़राइली संसद में जाकर निराशाजनक बयान दे रहे हैं, जो दुश्मन की मर्जी के मुताबिक इस्लामी दुनिया को हारा हुआ दिखाने की कोशिश है। 

उन्होंने सीरिया में इज़राइली आक्रमण के खिलाफ भी रुख अपनाते हुए कहा कि इज़राइल का मकसद सीरिया की संप्रभुता और इस्लामी एकता को नुकसान पहुंचाना है उन्होंने बताया कि ज़ायोनी सरकार ने उत्तरी क़ुनैतरा में 8 से अधिक सैन्य अड्डे बना लिए हैं और सीरिया के मामलों पर पूरी तरह कब्जा करना चाहती है। 

अल-हौसी ने कहा कि यमन की अंसारुल्लाह सेना ने पिछले हफ्ते इज़राइली शहरों हिफा, नकब और एलात पर 11 मिसाइल और ड्रोन हमले किए, और दो इज़राइल-विरोधी नौसैनिक जहाजों को लाल सागर में निशाना बनाया, जो घेराबंदी के खिलाफ एक मजबूत संदेश है।

 

 

 सीरिया की राजधानी दमिश्क में इजरायली वायुसेना ने भारी बमबारी की है, जिसमें रक्षा मंत्रालय और सीरियाई सेना के जनरल हेडक्वार्टर को निशाना बनाया गया हैं।

सीरिया की राजधानी दमिश्क में इजरायली वायुसेना ने भारी बमबारी की है, जिसमें रक्षा मंत्रालय और सीरियाई सेना के जनरल हेडक्वार्टर को निशाना बनाया गया हैं। 

सूत्रों के अनुसार, इजरायली सेना ने द्रुज़ी अल्पसंख्यक का समर्थन करने का दावा करते हुए सीरिया पर अपनी हवाई कार्रवाइयाँ तेज़ कर दी हैं। हालिया हमलों में सीरियाई रक्षा मंत्रालय की इमारत को आंशिक नुकसान पहुँचा है, जबकि जनरल हेडक्वार्टर की इमारत का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया है

सीरिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन हमलों में कई लोग घायल हुए हैं। इजरायली रक्षा मंत्री, यिसराइल काट्ज़ ने इन हमलों के बाद एक बयान दिया है कि "सीरिया पर इजरायल के दर्दनाक हमले की शुरुआत हो चुकी है।

इसके अलावा यह भी रिपोर्ट है कि इजरायली लड़ाकू विमानों ने दमिश्क में राष्ट्रपति भवन के नज़दीक एक चेतावनी हमला भी किया है। इजरायली सेना का दावा है कि पिछले 24 घंटों के दौरान उन्होंने सीरिया के विभिन्न क्षेत्रों में कुल 160 हवाई हमले किए हैं, जिनमें कई सैन्य लक्ष्यों को निशाना बनाया गया है।

 

माज़ंदरान में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि ने कहा: हम कुरान के लिए चाहे कितना भी काम करें, वह कुरान के योग्य नहीं हो सकता। हर मस्जिद में एक दारुल कुरान होना चाहिए।

दारुल कुरान अल-करीम संस्था के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम इब्राहिमी के सलाहकार के साथ एक बैठक के दौरान, माज़ंदरान में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहम्मदी लाईनी ने समाज में कुरान की वर्तमान स्थिति का उल्लेख किया और कहा: हमने निश्चित रूप से कुरान के मार्ग में कई कमियाँ की हैं। क़ुरान और पवित्र पैगंबर (स) की यह शिकायत कि क़ुरान को त्याग दिया गया है, क़यामत के दिन तक पूरे राष्ट्र के लिए सत्य है और किसी विशेष युग या व्यक्ति विशेष से संबंधित नहीं है।

उन्होंने आगे कहा: हम क़ुरान के लिए चाहे जितना भी काम करें, वह अपनी स्थिति के बराबर नहीं हो सकता, बल्कि बहुत कम और अपर्याप्त है। फिर भी, हमें अपनी पूरी ऊर्जा लगानी चाहिए।

माज़ंदरान में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि ने इस क्षेत्र में कमी को पूरा करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, क़ुरानिक गतिविधियों और मस्जिदों के विकास परिषद के साथ गंभीर सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया और कहा: प्रत्येक मस्जिद में एक क़ुरानिक स्कूल या क़ुरानिक शिक्षा केंद्र होना चाहिए, और कम से कम पाँच से दस लोगों को क़ुरान पढ़ाया जाना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए, उन्होंने मदरसों, इस्लामी प्रचार एजेंसी, धर्मार्थ और दान मामलों (विशेषकर धर्मार्थ, जो इसके लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार है) और इस्लामी मार्गदर्शन मंत्रालय से क़ुरान के सांस्कृतिक प्रचार को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।

उन्होंने इमाम खुमैनी (र) और अन्य बुज़ुर्गों की परंपरा की याद दिलाते हुए कहा कि वे हर दिन क़ुरान का एक हिज्ब या कम से कम एक पारा पढ़ते थे। हमें इस परंपरा को लोकप्रिय बनाने और हर चार महीने में एक क़ुरान पूरा करने को एक संस्कृति बनाने की कोशिश करनी चाहिए।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मुहम्मदी लाईनी ने मदरसों में क़ुरान की शिक्षा को गंभीरता से लेने और फिर आम जनता के बीच इसका प्रचार करने पर ज़ोर दिया।

 ईरानी सरकार के प्रवक्ता ने आपसी सम्मान के आधार पर वार्ता के लिए तैयारी की घोषणा की है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान की सरकारी प्रवक्ता फातिमा महाजरानी ने कहा है कि ईरान अमेरिका के साथ आपसी सम्मान के आधार पर परमाणु वार्ता जारी रखने के लिए तैयार है। 

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मसूद पिज़ेशकियान की सरकार ने विभिन्न राजनयिक चैनलों के माध्यम से दुनिया को संदेश दिया है कि ईरान वार्ता के लिए तैयार है। 

उन्होंने हाल के 12-दिवसीय इजरायल-अमेरिका युद्ध के दौरान ईरानी राष्ट्र की दृढ़ता की सराहना की और कहा कि ईरान की यह ऐतिहासिक परिपक्वता ही है जो दुश्मनों के हमलों का मुकाबला करने की शक्ति देती है।

ईरान को अपनी भौगोलिक महत्ता के कारण अतीत में कई बार दुश्मनों के हमलों का सामना करना पड़ा है, लेकिन ईरानी जनता ने हमेशा अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय भूमि की रक्षा में दृढ़ता दिखाई है। 

उन्होंने ईरानी सशस्त्र बलों की साहसिक प्रतिरोध के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हर ईरानी इन योद्धाओं की दृढ़ता के लिए आभारी है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सैयद अली खामेनेई के अपमान और कठोर बयानों के बारे में पूछे गए सवाल पर महाजरानी ने कहा कि इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी और औपचारिक चैनलों के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है।

अमेरिका और इजरायल की ओर से सर्वोच्च नेता के खिलाफ धमकी भरे और अपमानजनक बयान न केवल ईरानी राष्ट्र के क्रोध का कारण बने, बल्कि कई धार्मिक विद्वानों को फतवा जारी करने के लिए भी प्रेरित किया।

16 जुलाई, 2025 की सुबह, इस्लामी क्रांति के नेता ने न्यायपालिका प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारियों और देश भर के सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के साथ एक बैठक में, हाल ही में थोपे गए युद्ध में ईरानी राष्ट्र की महान उपलब्धि की प्रशंसा की और हमलावरों की योजनाओं और षड्यंत्रों की विफलता पर ज़ोर दिया। उन्होंने ईरानी राष्ट्र की महान एकता की ओर इशारा किया, सभी मतभेदों को दरकिनार कर अपने प्रिय ईरान की रक्षा की और कहा कि इस राष्ट्रीय एकता की रक्षा करना सभी की ज़िम्मेदारी है।

16 जुलाई, 2025 की सुबह, इस्लामी क्रांति के नेता ने न्यायपालिका प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारियों और देश भर के सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के साथ एक बैठक में, हाल ही में थोपे गए युद्ध में ईरानी राष्ट्र की महान उपलब्धि की प्रशंसा की और हमलावरों की योजनाओं और षड्यंत्रों की विफलता पर ज़ोर दिया। उन्होंने ईरानी राष्ट्र की महान एकता की ओर इशारा करते हुए, सभी मतभेदों को दरकिनार कर, अपने प्रिय ईरान की रक्षा करने की बात कही और कहा कि इस राष्ट्रीय एकता की रक्षा करना सभी की ज़िम्मेदारी है।

आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनेई ने कहा कि बारह दिवसीय युद्ध में जनता का महान पराक्रम राष्ट्रीय दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास की तरह था, क्योंकि अमेरिका जैसी शक्ति और उसके पालतू ज़ायोनी शासन का सामना करने की तत्परता और जुनून बेहद मूल्यवान है।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि मित्र और शत्रु दोनों को यह पता होना चाहिए कि ईरानी राष्ट्र किसी भी क्षेत्र में कमज़ोर पक्ष के रूप में सामने नहीं आएगा, उन्होंने कहा कि हमारे पास तर्क और सैन्य शक्ति जैसे सभी आवश्यक संसाधन हैं, इसलिए चाहे वह कूटनीति का क्षेत्र हो या सैन्य क्षेत्र, जब भी हम इस क्षेत्र में उतरेंगे, ईश्वर की कृपा से हम पूरी ताकत के साथ उतरेंगे।

क्रांति के नेता ने कहा कि हालाँकि हम ज़ायोनी शासन को एक कैंसर मानते हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका को उसका समर्थन करने के लिए दोषी मानते हैं, हमने युद्ध का स्वागत नहीं किया, लेकिन जब भी दुश्मन ने हमला किया, हमारी प्रतिक्रिया निर्णायक और बहुत ठोस रही।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ज़ायोनी शासन से कहा कि ईरान की ठोस और ज़बरदस्त प्रतिक्रिया का स्पष्ट कारण संयुक्त राज्य अमेरिका से मदद की उसकी माँग थी। उन्होंने कहा कि अगर ज़ायोनी शासन झुककर ध्वस्त न होता और अपनी रक्षा करने में सक्षम होता, तो वह संयुक्त राज्य अमेरिका से इस तरह मदद न माँगता, लेकिन उसे एहसास हो गया था कि वह इस्लामी गणराज्य का मुकाबला नहीं कर पाएगा।

उन्होंने अमेरिकी हमले पर ईरान के पलटवार को एक बेहद संवेदनशील प्रहार बताया और कहा कि जिस जगह पर ईरान ने हमला किया, वह इस क्षेत्र में अमेरिका का सबसे संवेदनशील केंद्र था और जब भी समाचार सेंसर हटाएँगे, तब पता चलेगा कि ईरान ने कितना गहरा नुकसान पहुँचाया है। हालाँकि, अमेरिका और अन्य देशों को इससे भी ज़्यादा नुकसान हो सकता है।

क्रांति के नेता ने हालिया युद्ध में राष्ट्रीय एकता के पूर्ण उभार को अत्यंत महत्वपूर्ण और दुश्मन की साज़िश के लिए एक बड़ी बाधा बताया और कहा कि हमलावरों का आकलन और साज़िश यह थी कि कुछ ईरानी हस्तियों और संवेदनशील केंद्रों पर हमले से व्यवस्था कमज़ोर हो जाएगी और फिर वे अपने सोने से ख़रीदे गए स्लीपर सेल, पाखंडियों और साम्राज्यवादियों से लेकर ठगों और बदमाशों तक, को मैदान में लाकर लोगों को बहका सकते हैं और उन्हें सड़कों पर लाकर व्यवस्था का काम तमाम कर सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि व्यावहारिक क्षेत्र में जो हुआ वह दुश्मन की योजना के बिल्कुल विपरीत था और यह भी स्पष्ट हो गया है कि राजनीतिक और अन्य क्षेत्रों के कुछ लोगों के कई आकलन भी सही नहीं हैं।

इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि हमलावर दुश्मन का असली चेहरा, योजना और छिपे हुए लक्ष्य ईरान के सभी लोगों के सामने स्पष्ट हो गए हैं, अयातुल्ला खामेनेई ने कहा कि सर्वशक्तिमान ईश्वर ने उनकी साज़िशों को विफल कर दिया है और सरकार व व्यवस्था के सहयोग से लोगों को मैदान में उतारा है, और लोग, दुश्मन की सोच के विपरीत, व्यवस्था के जीवन, आर्थिक सहयोग और समर्थन में आगे आए हैं।

उन्होंने विभिन्न धर्मों और विविध, यहाँ तक कि विरोधाभासी, राजनीतिक विचारों वाले लोगों के एक साथ आने और बातचीत करने को महान राष्ट्रीय एकता के उद्भव का कारण बताया और इस महान एकता की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि अधिकारी पूरी ताकत और उत्साह के साथ अपना काम जारी रखें, इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि सभी को यह जानना चाहिए कि आयत के अनुसार: "और अल्लाह जिसकी मदद करेगा, उसकी मदद नहीं करेगा," सर्वशक्तिमान ईश्वर ने इस्लामी व्यवस्था और कुरान व इस्लाम की छाया में ईरानी राष्ट्र की विजय सुनिश्चित की है, और यह राष्ट्र निश्चित रूप से विजयी होगा।

उन्होंने हाल के युद्ध में ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए अपराधों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता बताई और कहा कि न्यायपालिका को हाल के अपराधों को गंभीरता से और पूरी सतर्कता के साथ उठाना चाहिए तथा अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू न्यायालयों में सभी पहलुओं पर नज़र रखनी चाहिए।

बैठक की शुरुआत में, न्यायपालिका के प्रमुख, हुज्जत-उल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन मोहसेनी अज़हाई ने न्यायपालिका के कामकाज पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।