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ईरानी खिलाड़ी एशियाई स्केटिंग चैंपियनशिप में रजत और कांस्य पदक जीते
ईरानी खिलाड़ियों ने एशियाई स्केटिंग चैंपियनशिप में एक रजत पदक और एक कांस्य पदक जीता।
एशियाई चैंपियनशिप के पहले दिन की प्रतियोगिताएं इनलाइन फ्री स्टाइल स्केटिंग की स्पीड स्लालोम श्रेणी में युवाओं और वयस्कों के वर्ग में पुरुषों और महिलाओं की स्पर्धाओं के साथ जारी रहीं।
बुधवार को महिलाओं के वयस्क वर्ग में ईरानी खिलाड़ी तराना अहमदी, जो विश्व स्केटिंग खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हैं, ने प्रारंभिक और नॉकआउट दोनों चरणों में शानदार प्रदर्शन किया और सभी खिलाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए फाइनल में प्रवेश किया।
इस ईरानी एथलीट ने फाइनल मुकाबले में रजत पदक हासिल किया।
वहीं पुरुषों के वर्ग में रज़ा लसानी ने तीसरे स्थान के मुकाबले में ताइवान के एक मजबूत खिलाड़ी से मुकाबला किया और उसे हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया।
ईरान फिर से इज़राइल को सबक सिखाने को तैयार है, हम धमकियों से नहीं डरेंगें
ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि ज़ायोनी सरकार की किसी भी सैन्य कार्रवाई का मुक़ाबला किया जाएगा ईरान युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अपने बचाव के लिए पूरी तरह तैयार है।
ईरानी राष्ट्रपति डॉ. मसूद पिज़ेश्कियान ने कहा है कि अगर इज़राइल ने कोई सैन्य गलती दोहराई तो ईरान कड़ा जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
राष्ट्रपति पिज़ेश्कियान ने अलजज़ीरा टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा,हम हर तरह की आक्रामकता का जवाब देने को तैयार हैं हमारी सेना इज़राइल के अंदर गहराई तक जाकर हमला करने को तैयार है।
इज़राइल ने हमें नुकसान पहुँचाया है, और हमने पूरी ताकत से जवाब दिया, लेकिन वे अपने नुकसान को छिपाता हैं इज़राइल ईरान को विभाजित, अस्थिर या खत्म करने में नाकाम रहा है।
युद्ध नहीं, मगर पूरी तैयारी:हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन युद्धविराम की गारंटी पर भरोसा नहीं करते हम पूरी शक्ति से अपनी रक्षा के लिए तैयार हैं।इज़राइल हमारी मिसाइलों की सफलता पर चुप है, लेकिन उनकी युद्ध रोकने की गुहार सब कुछ बयांन करती है।
ईरान न कभी झुका है न झुकेगा। हम कूटनीति और संवाद में विश्वास करते हैं।क्षेत्र के देशों ने पहले कभी ईरान को ऐसा समर्थन नहीं दिया।
हम परमाणु हथियारों के खिलाफ हैं यह हमारा राजनीतिक, धार्मिक, मानवीय और रणनीतिक सिद्धांत है।यूरेनियम संवर्धन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत जारी रहेगा।आगे की बातचीत दोनों पक्षों के हितों पर आधारित होनी चाहिए हम धमकियों से नहीं डरेंगे।
इज़राइली आक्रमण के बाद जनता का एकता और मजबूत हुआ
ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पिज़ेश्कियान ने क़ुम अलमुक़द्दसा में आयतुल्लाहिल उज़्मा मकारिम शिराजी से उनके कार्यालय में मुलाकात की।
आयतुल्लाहिल उज़्मा मकारिम शिराज़ी ने बुधवार शाम, 23 जुलाई 2025 को डॉ. मसूद पिज़ेश्कियान, राष्ट्रपति इस्लामी गणतंत्र ईरान से मुलाकात में वर्तमान देशीय स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा,आपका चेहरा दिखाता है कि अल्हम्दुलिल्लाह आप प्रसन्न हैं।
उन्होंने इस्राइल और अमेरिका द्वारा ईरान के खिलाफ चलाई जा रही मनोवैज्ञानिक युद्ध का जिक्र करते हुए कहा,दुश्मन यह सोच रहा था कि ईरान पर हमला करके वह शायद अफरा तफरी और अशांति फैला देगा लेकिन अल्लाह के फजल से न केवल ऐसा नहीं हुआ, बल्कि अल्हम्दुलिल्लाह जनता का एकता पहले से भी अधिक मजबूत हो गया।
मरजय-ए-तकलीद ने अपनी बातचीत के एक अन्य भाग में जनता की आर्थिक समस्याओं की ओर इशारा करते हुए कहा,जनता को तीन बड़ी समस्याओं का सामना है, पहली समस्या मुद्रास्फीति, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों में, दूसरी समस्या आवास की और तीसरी समस्या युवाओं के लिए रोजगार की है इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास किए जाने चाहिए और इनशाअल्लाह आप सफल होंगे।
उन्होंने सामाजिक समस्याओं के समाधान में दानशील संस्थाओं और जन सहयोग के महत्व पर भी जोर दिया और कहा,भलाई करने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और हम भी इन प्रयासों का समर्थन करते हैं ताकि इनशाअल्लाह हम सभी अपने-अपने हिस्से के अनुसार जनता की समस्याओं को कम और हल कर सकें।
इज़राइल ने जेल पर हमला करके युद्धापराध किया है: एमनेस्टी इंटरनेशनल
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने हाल ही में इज़राइल और ईरान के बीच होने वाले युद्ध को तेहरान स्थित एविन जेल पर ज़ायोनी शासन की सेना के हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन बताया है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक बयान में पिछले जून के अंत में 12-दिवसीय युद्ध के दौरान तेहरान की एविन जेल पर इज़राइली हवाई हमलों की जांच की मांग करते हुए इसे युद्ध अपराध का उदाहरण बताया।
आईआरएनए के हवाले से पार्सटुडे की मंगलवार की रिपोर्ट के अनुसार एमनेस्टी के बयान में कहा गया है कि इज़राइली सेना के जानबूझकर किए गए हवाई हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन हैं और इनकी युद्ध अपराध के रूप में जांच की जानी चाहिए। इज़राइली सेना ने एविन जेल पर हवाई हमले किए, जिसके परिणामस्वरूप दर्जनों नागरिक मारे गए और घायल हुए, साथ ही जेल को भारी क्षति पहुंची।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपने बयान में घोषणा की कि उसके निष्कर्ष वीडियो तस्वीरों, उपग्रह चित्रों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों पर आधारित हैं।
बयान में कहा गया है कि ऐसा कोई विश्वसनीय संकेत या सबूत नहीं मिला है जो यह दर्शाता हो कि एविन जेल एक सैन्य लक्ष्य थी।
23 जून को इज़राइली शासन ने एविन जेल पर हमला कर उस पर बमबारी की थी। इज़राइली प्रक्षेपास्त्रों ने, जिनके बारे में दावा किया गया था कि वे सैन्य और सुरक्षा लक्ष्यों को निशाना बना रहे थे, इस हमले में दर्जनों नागरिकों की जान भी ले ली।
इज़राइल की बच्चों की क़ातिल सरकार के साथ न्यूयॉर्क टाइम्स की शर्मनाक सांठगांठ
कुछ पत्रकारों और मीडिया कार्यकर्ताओं ने एक विस्तृत रिपोर्ट में न्यूयॉर्क टाइम्स के इज़राइल के प्रति संरचनात्मक पक्षपात और उसके कुछ पत्रकारों के ज़ायोनी लॉबी के साथ वित्तीय व व्यक्तिगत संबंधों को छिपाने की बात उजागर की है।
इस ग्रुप ने न्यूयॉर्क टाइम्स को ग़ज़ा में नरसंहार का सहयोगी और इज़राइल के अपराधों को सही ठहराने का एक औज़ार क़रार दिया है।
मीडिया कर्मियों के इस गठबंधन के बयान में कहा गया है कि इस अखबार के कई पत्रकारों, संपादकों और वरिष्ठ अधिकारियों का इज़राइल समर्थक लॉबी के साथ गहरा संबंध है।
ग़ज़ा युद्ध विरोधी लेखक" ग्रुप के बयान में कहा गया: "न्यूयॉर्क टाइम्स ग़ज़ा पट्टी में नरसंहार का साथी है, जो अमेरिकी साम्राज्यवाद का मुखपत्र बनकर विदेश नीति पर विशेष वर्ग की सहमति को आकार देता है।"
अन्य मुख्यधारा मीडिया की तरह, न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी ग़ज़ा युद्ध की अपनी कवरेज के लिए भारी आलोचना झेली है। कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विश्लेषकों ने इस मीडिया पर इज़राइल के युद्ध अपराधों का रास्ता साफ करने का आरोप लगाया है।
इन लेखकों और मीडिया कार्यकर्ताओं के दस्तावेज़ बताते हैं कि न्यूयॉर्क टाइम्स की खबरों की पक्षपातपूर्ण कवरेज को इसके वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों के इज़राइल सरकार या सेना के साथ वित्तीय, भौतिक और विचारधारात्मक संबंधों से समझा जा सकता है।
इस मामले में विचारधारात्मक और भौतिक संबंधों के अन्य स्तरों, जैसे इज़राइल समर्थक थिंक टैंक्स और लॉबी ग्रुप्स के साथ जुड़ाव, का भी ज़िक्र किया गया है।
साथ ही, यह भी आरोप लगाया गया है कि न्यूयॉर्क टाइम्स के समाचार संपादकों ने पत्रकारों को "उत्तेजक" शब्दों जैसे "नरसंहार", "जातीय सफाया" और "मक़बूज़ा क्षेत्र" का उपयोग न करने का निर्देश दिया है, यहाँ तक कि "फिलिस्तीन" नाम लेने से भी मना किया है।
"ग़ज़ा युद्ध विरोधी लेखक" ग्रुप ने कहा कि उनके नतीजे यह ज़ाहिर करते हैं कि "कैसे टाइम्स द्वारा प्रशंसित आचार संहिता एक जातिवादी दोहरे मानदंड में बदल गई है।"
"ग़ज़ा युद्ध विरोधी लेखक" ग्रुप, जिसमें लेखक और कलाकार शामिल हैं, का गठन इज़राइली शासन द्वारा 7 अक्टूबर 2023 के हमलों के बाद ग़ज़ा पट्टी पर बमबारी शुरू करने के हफ्तों बाद हुआ था। इस ग्रुप ने न्यूयॉर्क टाइम्स की इमारत के बाहर और कभी-कभी मैनहट्टन में उसके लॉबी में विरोध प्रदर्शन किया है।
ग़ज़ा में युद्ध अपराधों में न्यूयॉर्क टाइम्स के शामिल होने की ओर इशारा करते हुए, उन्होंने इस अखबार को "न्यूयॉर्क युद्ध अपराध टाइम्स" कहकर संबोधित किया है।
इज़राइल के ग़ज़ा युद्ध में 59,000 फिलिस्तीनियों की मौत हुई है, एक ऐसा युद्ध जिसे कई देशों, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार ग्रुप्स और विशेषज्ञों ने नरसंहार की संज्ञा दी है।
"ग़ज़ा युद्ध विरोधी लेखक" ग्रुप का कहना है कि न्यूयॉर्क टाइम्स और इज़राइल के बीच गहरे संबंध इस अखबार की खबरों में पक्षपातपूर्ण रुख की वजह हैं।
इस ग्रुप ने न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट पर पत्रकारों के इज़राइल के साथ व्यक्तिगत या पारिवारिक संबंधों को छिपाने को पत्रकारिता के पेशेवर नैतिक सिद्धांतों की स्पष्ट अनदेखी क़रार दिया है।
जनाब अब्बास अलैहिस्सलाम का संक्षिप्त जीवन परिचय।
4 शाबान 26 हिजरी को मदीना में हज़रत अमीरूल मोमेनीन और उम्मुल बनीन के नामवर बेटे जनाबे अब्बास अलैहिस्सलाम का शुभजन्म हुआ। आपकी माँ हेज़ाम बिन खालिद की बेटी थीं, उनका परिवार अरब में बहादुरी और साहस में मशहूर था।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने जनाब फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत के दस साल बाद जनाबे उम्मुलबनीन अ. से शादी की।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम और फ़ातिमा बिन्ते हेज़ाम के यहाँ चार बेटे पैदा हुए, अब्बास, औन, जाफ़र और उस्मान कि जिनमें सबसे बड़े हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम थे। यही कारण है कि उनकी मां को उम्मुल बनीन यानी बेटों की माँ कहा जाता है।
जब जनाबे अब्बास अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ तो हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने कानों में अज़ान और इक़ामत कही। आप जनाब अब्बास अलैहिस्सलाम के हाथों को चूमा करते थे और रोया करते थे, एक दिन जनाब उम्मुल बनीन ने इसका कारण पूछा तो इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया यह हाथ हुसैन की मदद में काट दिये जाएंगे।
जनाब अब्बास न केवल कद में लम्बे और लहीम शहीम थे बल्कि समझ व बुद्धिमानी और ख़ूबसूरती में भी मसहूर थे। उन्हें मालूम था कि वह आशूर के लिए इस दुनिया में आए हैं।
जनाब अब्बास अ. ने बारह और चौदह साल की उम्र में उस समय जब हज़रत अली अलैहिस्लाम, दुश्मनों को खत्म करने में व्यस्त थे, कुछ जंगो में हिस्सा लिया और इसके बावजूद कि उन्हें युद्ध में लड़ने की ज़्यादा अनुमति नहीं मिलती थी फिर भी उसी कमसिनी में कुछ नामी अरब लड़ाकों को परास्त करने में सफल रहे।
सिफ़्फ़ीन में एक दिन हज़रत अली अ. की सेना से एक नकाबदार जवान मैदान में आया। मुआविया की सेना में आतंक की लहर दौड़ गई। हर एक दूसरे से पूछ रहा था कि यह युवा कौन है जो इस बहादुरी के साथ मैदान में आया है?
मुआविया का कोई सैनिक मैदान में कदम रखने का साहस नहीं कर पा रहा था। मुआविया ने अपने मशहूर सेनापति इब्ने शअसा को आदेश दिया कि उस जवान से लड़ने जाए।
इब्ने शअसा ने कहाः लड़ाई में मुझे दस हजार लोगों का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है, फिर क्यों मुझे एक बच्चे के मुक़ाबले में भेज रहे हो? इब्ने शअसा ने अपने बड़े बेटे को जंग के लिए भेजने की पेशकश की जिसे मुआविया ने स्वीकार कर लिया।
लेकिन जैसे ही वह मैदान में गया पलक झपकते ही उसका काम तमाम हो गया। इब्ने शअसा ने अपने दूसरे बेटे को भेजा है, वह भी मारा गया, इसी तरह उसके सातों के सातों बेटे नरक चले गये। उसके बाद स्वंय उसने क्रोध में भर कर मैदान में कदम रखा और बहादुर जवान से बोलाः तूने मेरे बेटों को मार डाला, ख़ुदा की क़सम तेरे माँ बाप को तेरा गम पहुँचाउंगा। लेकिन बहुत जल्द वह खुद भी नरक पहुंच गया। सभी उस बहादुर जवान को ईर्ष्या भरी निगाहों से देख रहे थे। इमाम अलैहिस्सलाम ने उस युवक को अपने पास बुलाया और उसकी नक़ाब उठाई और माथे को चूमा। तब सबकी आंखें खुली की खुली रह गईं, देखा वह कोई और नहीं बल्कि अमीरुल मोमिनीन अलैहिस्सलाम के नामवर बेटे अब्बास अ. हैं।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद जनाब अब्बास अलैहिस्सलाम ने अपने भाई इमाम हसन अलैहिस्सलाम की इमामत के सख्त दौर को देखा। जिस समय इमाम हसन अलैहिस्सलाम को जहर देकर शहीद गया आपकी उम्र 24 वर्ष थी। जनाबे अबुल फ़ज़्लिल अब्बास उम्र भर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ रहे।
हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम कर्बला की ओर हरकत करने वाले इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कारवान के सेनापति थे। इमाम हुसैन अ. ने कर्बला के मैदान में धैर्य, बहादुरी और वफादारी के वह जौहर दिखाए कि इतिहास में जिसकी मिसाल नहीं मिलती।
अब्बास अमदार ने अमवियों की पेशकश ठुकरा कर मानव इतिहास को वफ़ादारी का पाठ दिया। आशूर के दिन कर्बला के तपते रेगिस्तान में जब अब्बास अ. से बच्चों के सूखे होठों और नम आँखों को न देखा गया तो सूखी हुई मश्क को उठाया और इमामअ. से अनुमति लेकर अपने जीवन का सबसे बड़ा इम्तेहान दिया। दुश्मन की सेना को चीरते हुये घाट पर कब्जा किया और मश्क को पानी से भरा लेकिन खुद एक बूंद भी पानी नहीं पिया। इसलिए कि अब्बास अ. की निगाह में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और आपके साथियों के भूखे प्यासे बच्चों की तस्वीर थी।
दुश्मन को पता था कि जब तक अब्बास के हाथ सलामत हैं कोई उनका रास्ता नहीं रोक सकता। यही वजह थी कि हज़रत अब्बास के हाथों को निशाना बनाया गया। मश्क की रक्षा में जब अब्बास अलमदार के हाथ अलग हो गए और दुश्मन ने पीछे से हमला किया तो हज़रत अब्बास अ. से घोड़े पर संभला नहीं गया और जमीन पर गिर गये। इमाम हुसैन अ. ने खुद को अपने भाई के पास पहुंचाया।
ख़ुत्बाए फ़ातेहे शाम जनाबे ज़ैनब (सलामुल्लाहे अलैहा)
सानीए ज़हरा (स0) को उम्मुल मसाएब और शरीकुल हुसैन (अ0) कहा जाता है इसकी वजह है के ज़ैनब बिन्ते अली (अ0) अहलेबैत अलैहिस्सलाम और इमाम के दरमियान राबता थीं जिनका एक कान अहले हरम के नाले और दूसरा कान मैदाने जंग से हुसैन (अ0) की सदाएं सुनता था, एक आंख ख़ेमों पर तो दूसरी आंख हुसैन (अ0) की तरफ़ लगी थी, और बीबी का जिस्मे अतहर ख़ेमों में था।
पैग़ामात की नशर व इशाअत में जनाबे ज़ैनब (सलामुल्लाहे अलैहा) की खि़ताबत का एक अहम रोल है और यह बीबी की खि़ताबत ही थी के कूफ़े व शाम के माहौल को बदल दिया और तमाशाइयों को रोने पर मजबूर कर दिया और सय्यदा की बेटी का ख़ुतबा दर्द और तासीर में इस क़द्र डूबा था के सामेईन की आंखों में आंसू आ जाते थे इसी लिये आपको फ़सीहा व बलीग़ा कहा जाता है, बीबी ज़ैनब (अ0) की तक़ारीर और ख़ुत्बे जो बाज़ारे कूफ़ा और दरबारे शाम में दिये वह यह बावर कराने के लिये काफ़ी हैं के फ़न्ने खि़ताबत में बीबी ज़ैनब (अ0) का दर्जा बहुत बलन्द है और यह के बीबी आलेमा ग़ैर मोअल्लेमा हैं।
क़ाफ़ेला दमिश्क़ पहुंचा तो इमाम हुसैन (अ0) का सरे अक़दस नैज़े पर बलन्द करके तशहीर किया गया। जब वह एक मक़ाम से गुज़रा तो वहां एक शख़्स सूराए कहफ़ की तिलावत कर रहा था जब वह इस आयत पर पहुंचा ‘‘अम .....................’’ (क्या तुम जानते हो के असहाबे कहफ़ व रक़ीम हमारी क़ुदरत की अजीब निशानी थे)
तो इमाम हुसैन (अ0) का सर बहुक्मे ख़ुदा गोया (बोला) के
(मेरा क़त्ल और मेरे सर को नैज़े पर बलन्द करना और शाम लाना असहाबे कहफ़ के क़िस्से से कहीं ज़्यादा अजीब है)
इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ0) और मख़दूराते अहलेबैत (अ0) को यज़ीद के दरबार में जब लेकर जाया गया तो यज़ीद मलऊन शराब व शतरंज से फ़ारिग़ होने के बाद अली (अ0) की बेटी से बात करना चाहता था|
तब बीबी ने इरशाद फ़रमाया- ‘‘तमाम हम्द व सिपास सिर्फ़ अल्लाह तआला के लिये मख़सूस हैं जो तमाम आलमीन का परवरदिगार है और अल्लाह की तरफ़ से दुरूद व रहमत हो उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैह व आलेही वसल्लम पर और उनकी तमाम अहलेबैत (अ0) पर, अल्लाह बुज़ुर्ग व बरतर ने सच फ़रमाया और वह इसी तरह फ़रमाता है।
‘‘जो लोग बदियों के मुरतकिब हुए वह अपने अन्जाम को पहुये, जिन्होंने अल्लाह तआला की आयात को झुठलाया और उनका तमसख़र उड़ाया’’
ऐ यज़ीदे मलऊन! क्या तू गुमान करता है के हमें क़ैद करके तूने हम पर ज़मीन व आसमान की फ़िज़ा को तंग कर दिया है? क्यों तूने हमें क़ैद करके बाज़ारों और शहरों में फिराया? क्या तू गुमान करता है के तेरे इस अमल से हम अल्लाह तआला के हुज़ूर ज़लील हुए हैं? और इस तरह क्या तूने अल्लाह के सामने एज़ाज़ व मन्ज़िलत हासिल की है? क्या तूने गुमान कर लिया है के अपने इस अमल से तूने अल्लाह के हुज़ूर इतना बड़ा काम सरे अन्जाम दिया है जिसने ग़ुरूर व तकब्बुर से तेरी नाक फुला दी है?
और तू बड़े ग़ुरूर से अपने चारों तरफ़ देखता है, दरआँ हालांके तू इन्तेहा से ज़्यादा ख़ुश और मसरूर है? क्या तू दुनिया को आबाद और अपनी मजीऱ् के मुताबिक़ पाता है? और क्या समझता है के दुनिया के तमाम उमूर तेरी मजीऱ् व मन्शा के मुताबिक़ अन्जाम पाते हैं? नीज़ क्या तू समझता है के हमारे मक़ाम व मन्सब को तूने दुरूस्त जाना है?
यज़ीद! ज़रा ग़ौर कर (और इन ख़यालाते बातिल से बच) क्या तू फ़रमाने अल्लाह बुज़ुर्ग व बरतर को भुला बैठा है जबके वह फ़रमाता है-
‘जो लोग कुफ्र व बेदीनी के मैदान में क़दम रखते हैं, यह गुमान न करें के जो मोहलत हमने उन्हें दी है वह उनके फ़ाएदे में है? बल्कि हमने उन्हें इसलिये मोहलत दी है के उन्हें अपने गुनाहों में इज़ाफ़े की मोहलत ज़्यादा मिले और ज़लील करने वाला अज़ाब उनके लिये मुहय्या है’’
ऐ हमारे आज़ाद किये हुए लोगों की औलाद! क्या यह इन्साफ़ है के तूने अपनी औरतों और कनीज़ों तक को तो पर्दे में बैठा रखा है लेकिन रसूल अल्लाह (स0) की बेटियों को नामहरमों के दरमियान क़ैदी बना रखा है, उनके पर्दाए हुरमत को तूने पारा पारा कर दिया है, उनके चेहरों और सूरतों को और उनके लिबास को ख़राब करके बेपर्दा कर दिया है, यहां तक के दुश्मनाने रब उन्हें देखते हैं, उन्हें तूने शहर ब शहर फिराया है, हत्ता के शहरों और देहातों के बाशिन्दे उन्हें देखते हैं और दूर व नज़दीक के लोगों ने उन्हें तमाशा बना रखा है।
ज़लील व शरीफ़ लोग इनकी तरफ़ अपनी आंखों को खोलते हैं, उनकी कैफ़ियत यह है के उनके मर्द उनकी सरपरस्ती के लिये मौजूद नहीं हैं, न वह सर परस्त व हिमायती रखते हैं, अलबत्ता ऐसे शख़्स की तरफ़ से कैसे अतफ़ व मेहरबानी की तवक़्क़ोअ की जा सकती है जो उनकी औलाद हो जिन्होंने इस्लाम के पाकीज़ा शहीदों के जिगर को चबाना पसन्द किया हो?
ऐसे शख़्स से किस तरह मेहरबानी की तवक़्क़ोअ की जा सकती है जिसका गोश्त शोहदा के ख़ून से बना हो? फिर वह शख़्स किस तरह अहलेबैत (अ0) के साथ अपने बुग़्ज़ व कीना में कमी कर सकता है जिसने हमेशा हम पर बुग़्ज़ व नफ़रत ही की नज़र डाली हो? और वह अपने एहसासे गुनाहकी बजाए अपनी ग़लती और जुर्म को बहुत बुरा जानते हुए भी कहता हो ‘‘के काश मेरे आबा व अजदाद मेरी इस शादमानी व ख़ुशहाली को देखते तो कहते ऐ यज़ीद! तेरे हाथ शल न हों’’
इसके साथ ही तू हज़रत अबाअब्दिल्लाह (इमाम हुसैन (अ0)) के दन्दाने मुबारक पर छुरी मारता है, वही हुसैन (अ0) जो जवानाने जन्नत के सरदार हैं, न सिर्फ़ यह फिर तू अपनी शान में शाएरी व नुक्ता आफ़रीनी भी कर रहा है के हमारे दिल के टुकड़े टुकड़े कर डाले और अपने दिल को ठण्डा करे।
मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व आलेही वसल्लम की ज़ुर्रियत के ख़ून को बहा कर, वह मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व आलेही वसल्लम के अल्लाह जिन पर और जिनके ख़ानदान पर दुरूद भेजता है? यह वही हज़रात हैं जो ख़ानदाने अब्दुल मुत्तलिब (अ0) के दरख़्शां सितारे थे फिर तू अपने आबा व अजदाद को पुकारता है और गुमान करता है के वह तेरे सवाल का जवाब भी देंगे, हालांके तू ख़ुद बहुत जल्द उनके पास पहुंच जाएगा और तू आरज़ू करेगा के
‘‘काश! मेरे हाथ मफ़लूज और ज़बान गूंगी होती ताके जो कुछ मैंने कहा वह न कह पाता और जो कुछ मैंने किया वह न करता’’
परवरदिगार! इन लोगों से हमारे हक़ को वसूल फ़रमा! इन ज़ालिमों से हमारा इन्तेक़ाम ले! अपने ग़ैज़ व ग़ज़ब को उन पर वारिद फ़रमा! इन्होंने हमारा ख़ून बहाया और हमारे हामियों को क़त्ल किया।
यज़ीद (मलऊन)! अल्लाह की क़सम! अपने इस अज़ीम गुनाह से तूने सिर्फ़ अपने गोश्त को पारा पारा किया है और इसके सिवा कुछ नही ंके तूने ख़ुद अपने बदन के गोश्त के टुकड़े टुकड़े किये हैं (रोज़े जज़ा के हिसाब की तरफ़ बीबी ने इशारा किया है)
बहुत जल्द तू परवरदिगार के हुक्म से रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आलेही वसल्लम के सामने वारिद होगा और जबके उनकी ज़ुर्रीयत का ख़ून तेरी गर्दन पर होगा उनकी इतरत की हतक का गुनाह और उनके गोश्त पोस्त का अज़ाब तू अपनी गर्दन पर रखता होगा।
(व लानतुल्लाहे अला क़ौमिज़्ज़ालेमीन) –
इस्लाम को बचाने के लिए इमाम हुसैन अ.ह का बलिदान।
हज़रत इमाम हुसैन अ. ने अपने रिश्तेदारों और साथियों के साथ इस्लाम को क़यामत तक के लिये अमर बना देने के लिए महान बलिदान दिया है। इस रास्ते में इमाम किसी क़ुरबानी से भी पीछे नहीं हटे, यहां तक कि छः महीने के दूध पीते बच्चे को भी इस्लाम के लिए क़ुरबान कर दिया ताकि इस्लाम बच जाये।
इस्लाम को मिटाने की कोशिशें
इस्लाम को मिटाने की कोशिशें पैग़म्बरे अकरम स.अ. के आखें बंद करते ही शुरू हो गईं, बनी उमय्या ने इस्लाम के खिलाफ़ विद्रोह कर दिया,उसकी सीमाओं को तोड़कर उसके सारे नियमों को पारा पारा दिया था। नबवी इस्लाम पर अमवी इस्लाम का लबादा डाल दिया गया था। ज़ुल्म व बर्बरता,दरिंदगी व हैवानियत,अपमान व रुसवाई लोगों का भाग्य बन चुकी थी,वह इस्लाम में जाहेलियत के क़ानून लागू करने लगे थे,कुफ्र व शिर्क और पाखंड जैसे ख़तरनाक रोगों को हवा देने लगे थे,हर तरफ़ एक आतंक व डर का माहौल था, ऐसा लग रहा था जैसे ज़मीन और आसमान सब कुछ बदल गया है।
इतिहास कहता है कि: अबू सुफ़यान, सैयदुश् शोहदा हज़रत हमज़ा की क़ब्र पर ठोकर मारकर हास्यपद व मज़ाक भरे अपमानजनक लहजे में कहता है: इस्लाम की बागडोर अब हमारे हाथ में है वह हुकूमत (जिसकी हम और हमारे क़बीले वाले कामना करता थे) जिसे हम भाले व तलवार से तुमसे हासिल न कर पाए थे और तुमने हमें इस्लाम के शुरूआती दौर में बद्र व ओहद जैसी जंगों में अपमानित व रुसवा किया था, आज वह हमारे बच्चों के हाथ में आ गई! उठो ए बनी हाशिम के बुजुर्ग! देखो वह किस तरह से उससे खेल रहे हैं ... (تلقفوها تلقف الکرۃ) जैसे खेल में गेंद एक दूसरे को पास की जाती है उसी तरह यह भी हुकूमत को अपने बाद एक दूसरे के सुपुर्द कर रहे हैं। यह सही है कि इस्लामी हुकूमत है लेकिन बादशाहत जाहेलियत के ज़माने की है। इसलिए तुरंत (ऐ उस्मान तुम) सभी सरकारी पदों पर बनी उमय्या के लोगों को नियुक्त कर दो, देर न करो कि कहीं यह आई हुई हुकूमत हमारे हाथों से निकल न जाए। (अली व शहरे बी आरमान पेज 26)
मुआविया के षड़यंत्र:
मुआविया के दौर में उसके हाथ दो सबसे ख़तरनाक मामले तय पाये जिनकी शुरूआत रसूले इस्लाम स.अ के कूच करने के साथ ही हो चुकी थी। उन्हीं दो मामलों ने इस्लामी समाज को पस्ती व अपमान में ढ़केल दिया।
पहला:
रसूले अकरम की इतरत और अहलेबैत जो कि दीन के रक्षक व समर्थक थे और क़ुरआन के हम पल्ला थे उन्हें इस्लाम से पूरी तरह किनारे लगा दिया गया।
दूसरा:
इस्लामी हुकूमती सिस्टम को पूरी तरह बदल कर तानाशाही साम्राज्य में परिवर्तित कर दिया गया।
मुआविया ने इस्लामी राज्य पर क़ब्जा किया और अपने लिए मैदान खाली देखा तो अहलेबैत अ. के विरोध और उनके गुणों को लोगों के दिलों से हटाने को अपना कर्तव्य बना लिया,इब्ने अबिल हदीद के अनुसार मुआविया ने अपने सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को इस तरह का आदेश भेजा:
(हर उस इंसान के लिए कोई अमान नहीं जो अबू तुराब और उनके परिवार के फ़ज़ाएल व गुण बयान करे) (शरहे इब्ने अबिल हदीद पेज 200)
साथ ही यह भी लिखा है कि सभी मस्जिदों के इमामों को आदेश दिया गया: (मिम्बरों से हज़रत अली अ.ह और उनके परिवार के साथअनुचित बातों को निस्बत दी जाए)। इसलिये इस आदेश के बाद हज़रत अली अ. और उनके परिवार पर गाली गलोच की जाने लगी।
मुआविया ने अपने सभी हाकिमों को संदेश भेजा:
(अगर किसी के बारे में अली अ. व रसूले इस्लाम स.अ के अहलेबैत अ. के शिया होने का पता चल जाए तो उसकी गवाही किसी मामले में स्वीकार न की जाए और अगर कोई अली अ. की किसी श्रेष्ठता को पैगम्बर स.अ की हदीस के हवाले से बयान करे तो तुरंत उसके मुक़ाबले में एक जाली हदीस गढ़वा कर बयान दी जाए)।
एक दूसरे आदेश में उसने लिखा:
ध्यान रहे कि अगर किसी के लिए साबित हो कि वह अली अ. का शिया है तो उसका नाम तुरंत रजिस्टर से काट दिया जाए और वेतन व वज़ीफ़ा ख़त्म कर दिया जाए)। (शरहे इब्ने अबिल हदीद)
इसी आदेश के साथ दूसरा आदेश भी था कि अगर किसी पर संदेह हो कि वह अहलेबैत का दोस्त है तो उसके घर के तबाह व बर्बाद करके उसे शिकंजे में कस दिया जाए ...) (शरहे इब्ने अबिल हदीद)
मुआविया के इन सभी प्रचारों, प्रोपगंडों का नतीजा यह हुआ कि लोग हज़रत अली पर पर गाली गलौच करने को एक इबादत समझने लगे और बहुत से ऐसे भी थे कि अगर एक दिन अली अ. को बुरा भला कहना भूल जाते तो अगले दिन उसकी क़ज़ा करते थे।
यज़ीद की ज़बरदस्ती बैअत:
मुआविया ने अंतिम प्रभावी प्रहार जो इस्लाम के पैकर पर लगाया वह यज़ीद की ज़बरदस्त बैअत थी। उसने अपने नालायक़ और पस्त बेटे यज़ीद के लिए लोगों से बैअत ली। इस्लामी खिलाफ़त को अपनी पारिवारिक विरासत घोषित कर दिया। सभी इतिहासकार सहमत हैं कि यज़ीद हुकूमत की जिम्मेदारियां उठाने के योग्य नहीं था।
यज़ीद विलासिता भरे जीवन का शौक़ीन था, हर समय शराब के नशे में मस्त रहता था, उसकी रातें मस्ती और दिन नशे में व्यतीत होते थे।
वह शराब और इश्क कुछ नहीं जानता था, ताहा हुसैन लिखते हैं कि वह खेल कूद,गुनाहों में मस्त रहता था और थकता नहीं था। (अली अ. व दो फ़रज़ंदश पेज 262)
याक़ूब लिखते है जब अब्दुल्लाह बिन उमर से यज़ीद की बैअत के लिए कहा गया तो उन्होंने यूं जवाब दिया उसकी बैअत करूँ जो बंदरो,कुत्तों से खेलने वाला है,शराबी है और गुनाहों के अलावा उसे कोई काम नहीं आता, अल्लाह तआला के सामने इस बैअत का क्या औचित्य पेश करूंगा कि क्यूं मैंने ऐसे आदमी की बैअत की। (तारीख़े यअक़ूबी जिल्द 2 पेज 165)
इमाम हुसैन अ. का यज़ीद की बैअत से इंकार:
इस्लाम व कुरआन के रक्षक हुसैन बिन अली अ. ने अपने आंदोलन से पहले लोगों को बनी उमय्या के षड़यंत्रों से परिचित कराया फिर यज़ीद बिन मुआविया की बैअत न करने की वजह बताते हुए दुनिया के सामने यज़ीद के गंदे चरित्र को पहचनवा कर मुसलमानों की अंतरात्मा को झकझोर दिया फिर आवाज दी कि ऐ लोगों: मुझे और अनैतिक व पापी यज़ीद को पहचानो! मैं कहां पैग़म्बर स.अ का बेटा और कहाँ आज़ाद किये बंदी का बेटा, कहां पैग़म्बर स.अ के कंधों पर सवार होने वाला और कहाँ कुत्तों से खेलने वाला, कहां रसूल की गोद में पलने वाला! और कहाँ शाम के अंधेरे का पला बढ़ा!
(انا اهل بیت النبوة و معدن الرسالة ومختلف الملائکة و بنافتح الله و بنا ختم الله )
(हम नबूव्वत का परिवार और रिसालत की कान हैं, हमारा घर फ़रिश्तों के आवागमन की जगह है, हमसे अल्लाह तआला की कृपा शुरू होती है और हम पर ही समाप्त होती है ...)
ऐ लोगों! तुम यह नहीं देखते कि कैसे हक़ व सत्य को छिपाया जा रहा है और न ही असत्य व झूठ पर अमल से लोगों को रोका जा रहा है?! ऐसे हालात में ऐ ईमान वालों आओ! अल्लाह के रास्ते में शहादत और उसकी मुलाकात के लिए तैयार हो जाओ! याद रखो अबू सुफ़यान का पोता मुआविया का बेटा यज़ीद!ऐसा इंसान है जो शराब पीने वाला,निर्दोष लोगों की हत्या करने वाला,खुलेआम गुनाह करने वाला है मुझ जैसा यज़ीद जैसे की बैअत कभी नहीं कर सकता!
( رجل فاسق ، شارب الخمر ، قاتل النفس المحترمة ، معلن بالفسق و مثلی لا یبایع مثله...)
(ऐसे) इस्लाम पर फ़ातिहा पढ़ देना चाहिए जिसकी बागडोर यज़ीद जैसे गुनहगार के हाथों में हो! मैंने अपने नाना हज़रत मुहम्मद स.अ से सुना है कि आप कहा करते थे कि अबू सुफ़यान की संतान पर ख़िलाफ़त हराम है। (लुहूफ़ पेज 11)
انا للہ و انا الیہ راجعون و علی الاسلام السلام اذ قد بلیت الامۃ براع مثل یزید ولقد سمعت جدی رسول اللہ یقول: الخلافۃ محرمۃ علی آل ابی سفیان )
अबू सुफ़यान की संतान का हुकूमत का मूल लक्ष्य और उद्देश्य इस्लाम को मिटाना और क़ौम व मिल्लत की गर्दन पर सवार होना था, जैसा कि यज़ीद मलऊन का यह कहना इस बात की स्पष्ट प्रमाण है कि
यह सब बनी हाशिम का ढोंग और खेल तमाशा था! कौन कहता है कि रसूल पर फ़रिश्ते नाज़िल हुआ करते थे और उन पर वही नाज़िल होती थी।
لعبتھاشم بالملک فلا خبر جاء ولا وحی نزل
इतिहास के अनुसार इमाम हुसैन अ. ने 28 रजब 61 हिजरी को अपने परिवार वालों के साथ मदीने से कूच किया और जब लोगों ने आपसे मदीना को अलविदा कहने का कारण पूछा तो आपने फ़रमायाः आदम की संतान के लिए मौत यूं है जैसे किशोरी के गले में हार होता है।
: ( خط الموت علی ولد آدم مخط القلادۃ علی جیدالفتاۃ...)
मुझे अपने बुजुर्गों से मिलने का वैसा ही शौक़ है जैसा याकूब को यूसुफ़ से मिलने के लिये था, मैं रेगिस्तान के दरिंदों (कूफ़े के सैनिक) को अपनी आँखों से देख रहा हूँ कि वह कर्बला की ज़मीन पर मेरे जिस्म के टुकड़े टुकड़े कर रहे हैं ... तुम्हें पता होना चाहिए कि आप में से जो भी हमारे रास्ते में अपनी जान को कुर्बान करने की कामना रखता है वह कल सुबह हमारे साथ कूच के लिए तैयार हो जाये। (सुख़नाने हुसैन इब्ने अली अज़ मदीना ता कर्बला पेज 57)
याद रहे!
मैं किसी मनोरंजन,बड़ा बनने, दंगा करने और अन्याय व अत्याचार के लिए अपने वतन को नहीं छोड़ रहा हूँ बल्कि मेरे मदीने से निकलने का उद्देश्य अपने नाना पैगम्बर स. की उम्मत का सुधार है,मैं अच्छाईयों की दावत और बुराईयों से रोकना (अम्र बिल मारूफ़ व नही अनिल मुनकर) चाहता हूँ, और चाहता हूँ कि अपने नाना और बाबा अली इब्ने अबी तालिब की सीरत पर अमल करूं।( बिहारूल अनवार जिल्द 44 पेज 329-334)
(انی لم اخرج اشرا ولا بطرا ولا مفسدا ولا ظالما وانما خرجت لطلب الاصلاح فی امۃ جدی رسول اللہ ارید ان آمر بالمعروف و انھی عن المنکر و اسیر بسیرۃ جدی و ابی علی بن ابیطالب ؑ )
देखना यह है कि इमाम अ. किस तरह का सुधार करना चाहते थे? क्या आर्थिक सुधार मुराद था कि लोग हराम खा रहे थे या बौद्धिक सुधार था,कि लोग झूठे अक़ीदों और अंधविश्वास के शिकार हो रहे थे आदि आदि।
इस स्थान पर ज़ियारते अरबईन का यह अनमोल वाक्य सुधार के प्रकार को दर्शाता है:
(ऐ अल्लाह तआला!) हुसैन ने अपना खूने जिगर तेरी राह में बहाया ताकि तेरे बंदों को जेहालत व गुमराही से बचाएं। (मफ़ातीहुल जेनान)
(و بذل مهجتة فیک لیستنقذ عبادک من الجهالة و حیرۃ الضلالة(
बनी उमय्या ने अल्लाह के बंदों को जेहालत व अज्ञानता,गुमराही और हैरत में रखा हुआ था। अगर इमाम हुसैन अ. का आंदोलन न होता तो अल्लाह जाने लोग कब तक इसी गुमराही और जेहालत में बाक़ी रहते!
इतिहासकारों के अनुसार कर्बला की घटना के बाद 30 साल के अंदर बनी उमय्या की ग़ासिब व तानाशाह हुकूमत को 20 क्रांतियों का सामना करना पड़ा कि जिसके कारण बनी उमय्या को अपना बोरिया बिस्तर लपेट लेना पड़ा और देखते ही देखते बनी उमय्या के अत्याचार व तानाशाही का अंत हुआ और हर तरफ उनका विरोध होने लगा और जो लोग समझदार हैं आज तक उनसे नफ़रत करते हैं और हर अन्याय व ज़ालिम हुकूमत व शासकों के खिलाफ़ (ہل من ناصر ینصرنا) की आवाज़ पर लब्बैक कहते हुए विरोध की आवाज़ बुलंद करते हैं।
हाल के शहीद; अल्लाह के प्रति वफादारी की मिसाल थें
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन ग़फूरी ने शहीदों के सम्मान समारोह में जोर देकर कहा, हम जो कुछ भी रखते हैं, वह शहीदों की कुर्बानियों की बदौलत है।
किरमानशाह में वली फकीह के प्रतिनिधि ने आज सुबह किरमानशाह में शहीदों के सम्मान में एक समारोह आयोजित किया गया, जिसमें वली फकीह के प्रतिनिधि और किरमानशाह के इमाम जुमा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन ग़फूरी ने भाग लिया।
इस समारोह में हाल ही में इजरायली हमले में शहीद हुए लोगों, विशेष रूप से डॉ. मोहम्मद मेंहदी तेहरानची इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रमुख को याद किया गया।
प्रतिनिधि ने कहा कि ईरानी राष्ट्र ने हाल के युद्ध में बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, कमांडरों और बहादुर युवाओं की शहादत देखी उन्होंने कहा,हमारी गरिमा और महानता का हर कण शहीदों के बलिदान का परिणाम है।
उन्होंने शहीद तेहरानची को एक नैतिक, विनम्र और अपने क्षेत्र में शीर्ष विद्वान बताया और कहा कि उनकी शहादत इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी के लिए गर्व का प्रतीक होगी। उन्होंने यह भी कहा कि तेहरानची और उनकी पत्नी ने शहादत की इच्छा पूरी की और वे सच्चे इबादत की मिसाल हैं।
हुज्जतुल इस्लाम ग़फूरी ने कुरआन की आयत मिनल मोमिनीना रिजालुन सदक़ू मा अहदुल्लाह अलैह (सूरह अहज़ाब: 23) का हवाला देते हुए कहा कि हाल के शहीद अल्लाह के साथ अपने वादे पर अडिग रहे उन्होंने कहा,शहीदों का स्थान इंसानी समझ से परे है, और वे ईरानी राष्ट्र पर सबसे बड़ा अधिकार रखते हैं।
समान नागरिक संहिता का सभी धर्म के लोग विरोध करें। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक अहम बैठक बुलाई जिसमें इस कानून का पुरजोर विरोध करने का फैसला किया गया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले से ही समान नागरिक संहिता का विरोध करता रहा है लेकिन अब उसने सभी से औपचारिक विरोध दर्ज कराने की अपील की है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की हुई बैठक में बोर्ड की ओर से क्यूआर कोड वाला एक पत्र जारी किया गया और लोगों से अपना विरोध दर्ज कराने का अनुरोध किया गया।
बोर्ड ने कहा,इस समय देश में समान नागरिक संहिता को लेकर माहौल बन रहा है अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों वाले देश में समान नागरिक संहिता के जरिए धार्मिक और सांस्कृतिक आजादी पर चोट पहुंचाने की कोशिश की जा रही है ऐसे में लोगों से अनुरोध है कि वे विधि आयोग द्वारा मांगी गई राय पर अपना विरोध दर्ज कराएं।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक लखनऊ में हुई जिसमें बोर्ड के लगभग सभी सदस्यों ने हिस्सा समान नागरिक संहिता बैठक के बाद समान नागरिक संहिता के खिलाफ जोरदार आवाज उठाने का निर्णय लिया गया बोर्ड की ओर लोगों से जारी की गई अपील में एक लिंक भी दिया गया है और एक क्यूआर कोड भी उपलब्ध है. इसमें यह भी बताया गया है कि लोग लिंक पर क्लिक करने के बाद अपनी विरोध प्रतिक्रिया कैसे तैयार कर सकते हैं, जो सीधे विधि आयोग को भेजी जाएगी।
ग़ौरतलब है कि समान नागरिक संहिता का सभी धर्मों और समुदाय की तरफ से विरोध सुनने को मिल रहा है आदिवासी समुदाय इसे आदिवासी विरोधी बिल बता रहे हैं. यूसीसी आदिवासी विरोधी हैश टैग भी ट्वीटर पर ट्रेंड हो चूका है. समान नागरिक संहिता पर भाजपा सहयोगी दलों में भी मतभेद सुनने को मिल रहा है नेशनल पीपुल्स पार्टी और एआईएडीएमके भी अपना विरोध प्रकट कर चुकी हैं।