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रूस ने सीरिया की स्थिति पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई
रूस के राष्ट्रपति ने सीरिया की स्थिति पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तत्काल बैठक बुलाई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,रूस के राष्ट्रपति ने सीरिया की स्थिति पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तत्काल बैठक बुलाई है।
यूएन में रूस के पहले स्थायी उपप्रतिनिधि दिमित्री पोल्यान्स्की ने टेलीग्राम में लिखा कि उन्हें उम्मीद है कि सोमवार को बैठक होगी।
पोल्यान्स्की ने कहा कि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि असद सरकार के पतन के बाद रूस और मध्य पूर्व पर इसका क्या असर पड़ेगा।
उन्होंने विशेष रूप से कहा कि गोलान हाइट्स में यूएन जिन इलाकों में गश्त कर रहा है वहां इसराइल का अस्थायी रूप से नियंत्रण स्थापित करने पर चर्चा करना ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि ख़ास तौर पर गोलान हाइट्स में संयुक्त राष्ट्र की गश्त वाले असैन्यीकृत ज़ोन में इसराइल के अस्थाई कब्ज़े से पैदा हुए हालात पर चर्चा करना ज़रूरी है।
पाकिस्तान के अहले सुन्नत विद्वानों का ईरान में नूर रिसर्च सेंटर का दौरा
शुक्रवार को पाकिस्तान के जुमे के इमामों और सुन्नी समुदाय के विद्वानों ने ईरान के पवित्र नगर क़ुम में कंप्यूटर रिसर्च सेंटर ऑफ़ इस्लामिक साइंसेज (नूर) का दौरा किया।
इस्लामिक साइंस कंप्यूटर रिसर्च सेंटर (नूर) के दौरे के दौरान पाकिस्तानी सुन्नी विद्वानों और जुमे के इमाम इस केंद्र की गतिविधियों और यहां बनने वाली चीज़ों से परिचित हुए।
तफ़सीर और क़ुरआने मजीद अनुसंधान के क्षेत्र में सबसे बड़े विश्वकोष और स्मार्ट सॉफ्टवेयर के रूप में तफ़सीरे नूर को सॉफ्टवेयर की शक्ल में मेहमानों के सामने पेश किया गया जिसमें 3500 से ज़्यादा तफ़सीरों के नुस़्ख़े शामिल हैं। यह इस सॉफ्टवेयर की ख़ासियत है।
इस दौरे का एक दूसरा हिस्सा, कुरआनी वेबसाइट्स और क़ुरआन नूर सॉफ्टवेयर की विशेषताओं से अवगत होना था जिसने स्मार्ट कुरआनी रिसर्च के विषय को आसान बना दिया है।
तलअवीव का तहरीरूश्शाम और अन्य गुटों से सीधे संपर्क
सीरिया से असद की रुख्सती के साथ ही इस्राईल को अपनी विस्तारवादी नीति को खुल कर आगे बढ़ाने का मौका मिल गया है वह सीरिया के कई शहरों को हड़प कर चुका है और सौ से अधिक स्थानों पर बमबारी करते हुए सीरियन सेना को पंगु बनाने मे लगा हुआ है।
तुर्की अमेरिका और इस्राईल के इशारों पर काम कर रहे आतंकी संगठनों को लेकर अब ज़ायोनी साइट "वाला" ने कहा है कि तल अवीव तहरीरूश्शाम सहित सीरिया के विभिन्न गुटों से सीधा संपर्क रखता है।
आतंकियों के दमिश्क पहुँचने के फौरन बाद ही महज 6 घंटें के अंदर इस्राईल ने गोलान हाइट्स के पास सीरियाई इलाकों में अपनी सेना भेज दी। अवैध राष्ट्र ने इस तैनाती को अपनी सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है। ज़ायोनी सेना के इस नए ऑपरेशन का पूरा फोकस अभी सीरिया के 3 इलाकों में ज्यादा है, जिनमें कुनैत्रा, नवा और दरआ।
दरआ वेस्ट बैंक से करीब 150 किलोमीटर दूर है, लेकिन इस इलाके में ना तो इस्राईल सर्विलेंस कर पता था और नहीं कोई करवाई कर पाता था। अवैध राष्ट्र ने अपना नया ऑपरेशन शुरू किया है और इस का नाम न्यू ईस्ट रखा गया है। इस्राईल पहले से ही इस उम्मीद में था कि जब तकफीरी गुटों का सीरिया पर कब्जा हो, तब ही वो अपना ऑपरेशन स्टार्ट करे, ताकि उसको रोकने के लिए इन इलाकों में कोई सेना न हो।
इस्लामिक क्रांति के नेता बुधवार की सुबह एक महत्वपूर्ण संबोधन करेंगे
इस्लामी क्रांति के नेता हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली हुसैनी खामेनेई से विभिन्न क्षेत्रों के हजारों लोग बुधवार सुबह हुसैनिया इमाम खुमैनी (र) में मिलेंगे।
विभिन्न क्षेत्रों के हजारों लोग बुधवार सुबह हुसैनिया इमाम खुमैनी (र) में इस्लामी क्रांति के नेता हज़रत आयतुल्लाह सय्यद अली हुसैनी खामेनेई से मिलेंगे।
इस बैठक में आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी खामेनेई क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर एक महत्वपूर्ण भाषण देंगे।
हज़रत फ़ातमा ज़हरा (स) इबादती, सामाजिक और राजनीतिक सभी पहलुओं में एक संपूर्ण आदर्श
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स).इबादती, सामाजिक और राजनीतिक सभी पहलुओं में एक आदर्श हैं और इबादत के पहलू में वे अल्लाह की मोहब्बत में पूरी तरह फना थीं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत हुज्जतुल इस्लाम ज़हिददोस्त खुरमोज़ के इमामे जुमआ ने शनिवार की शाम गनखक गाँव की मस्जिद ए अमीरूल मोमिनीन अ.स.में शहीद खुशनाम ए दिफ़ा मुक़द्दस की उपस्थिति में फातमियून की एक बड़ी सभा को संबोधित किया।
इसमें कई अधिकारी और आम लोग शामिल थे। उन्होंने हज़रत सिद्दीक़ा ताहिरा स.ल.की फज़ीलत और मक़ाम पर आधारित कुछ रिवायतों का ज़िक्र करते हुए कहा,शहीद मुत्तहरी के अनुसार, किसी भी पूर्ण इंसान का आकलन उसके जीवन के तीन पहलुओं से किया जा सकता है, उसका अल्लाह के साथ संबंध, उसका लोगों के साथ संबंध, और उसका दुश्मनों के साथ संबंध।
उन्होंने आगे कहा,हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा स.ल.व.इबादती, सामाजिक और राजनीतिक सभी पहलुओं में एक आदर्श हैं और इबादत के पहलू में वे अल्लाह की मोहब्बत में पूरी तरह फना थीं।
जाहिद्दोस्त ने कहा,फातिमा (स.ल.) न केवल परिवार में, बल्कि अपने बच्चों, पड़ोसियों और दुश्मनों के प्रति अपने व्यवहार में भी एक मुकम्मल मिसाल थीं उनकी दुश्मन विरोधी भूमिका भी अद्वितीय थी।
उन्होंने आगे कहा,इमाम खुमैनी रह.जो हज़रत ज़हरा स.ल. के बेटे और इंसाने कामिल का उदाहरण थे इबादत और बंदगी के उच्चतम स्तर पर थे।
वह तहज्जुद और रात की नमाज़ में फना रहते थे लेकिन साथ ही लोगों से गहरा प्रेम और मधुर संबंध रखते थे वह अमेरिका के खिलाफ दृढ़ता और साहस का प्रतीक थे।
हज़रत फातिमा ज़हेरा स.ल.युवाओं के लिए एक बेमिसाल आदर्श
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन ईमामी कशानी ने कहा,कि मौजूदा दौर में जब मीडिया युवाओं के सामने झूठे और कृत्रिम नमूने पेश कर रहा है हज़रत फातिमा ज़हेरा स.अ.विशेष रूप से महिलाओं और युवा लड़कियों के लिए एक बेमिसाल और वास्तविक आदर्श हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन ईमामी कशानी ने कहा,कि मौजूदा दौर में जब मीडिया युवाओं के सामने झूठे और कृत्रिम नमूने पेश कर रहा है हज़रत फातिमा ज़हेरा स.अ.विशेष रूप से महिलाओं और युवा लड़कियों के लिए एक बेमिसाल और वास्तविक आदर्श हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अगर हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ. हज़रत मासूमा स.अ. शहीदों और विद्वानों के जीवन के तरीकों को सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए तो युवा पीढ़ी उनसे उत्तम प्रेरणा ले सकती है और अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकती है।
हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन ईमामी कशानी ने कहा कि इमाम मासूमीन अ.स.शहीदों और विद्वानों के नैतिक गुणों को प्रस्तुत करने में सभी सांस्कृतिक संस्थाओं, विशेष रूप से हौज़ा ए इलमिया, आलिमों, मीडिया, शिक्षा और प्रशिक्षण के संस्थानों और मदरसों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को युवाओं के लिए सही और अनुकरणीय आदर्श प्रदान करने में लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने इमाम ज़माना अ.ज. के कथन फ़ि इब्नत-ए-रसूल-ए-अल्लाह उस्व-ए-हसना का उल्लेख करते हुए कहा कि इमाम मेंहदी अ.ज. ने फरमाया है कि हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ. मेरे लिए एक श्रेष्ठ नमूना हैं।
यह बात इस तथ्य को उजागर करती है कि एक मासूम इमाम भी हज़रत ज़हरा स.ल. को एक पूर्ण आदर्श मानते हैं जो उनकी महानता और कमालात का स्पष्ट प्रमाण है।
हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन इमामी ने कहा कि इस बात से यह सिद्ध होता है कि महिलाएं पुरुषों के लिए भी एक आदर्श नमूना हो सकती हैं। हज़रत फातिमा ज़हरा स.ल.का जीवन सभी क्षेत्रों में, जैसे सामाजिक राजनीतिक पारिवारिक और प्रशिक्षण के क्षेत्रों में सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा उम्महातुल मोमिनीन की नज़र में
ख़ुदावन्दे आलम ने बज़्मे इंसानी के अंदर हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से बेहतर किसी को ख़ल्क नहीं फरमाया। आप सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की ज़ात क़ुरआन के आईने में अख़्लाक़े करीमा का मुजस्समा है।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा उम्महातुल मोमिनीन की नज़र में
ख़ुदावन्दे आलम ने बज़्मे इंसानी के अंदर हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से बेहतर किसी को ख़ल्क नहीं फरमाया।
आप सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की ज़ात क़ुरआन के आईने में अख़्लाक़े करीमा का मुजस्समा है।
जिसकी गवाही क़ुरआने मजीद ने यह कह कर दी है (इन्नका लअला खुलुक़िन अज़ीम) परवरदिगारे आलम ने आप सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की ख़िलक़त को
कायनात की ख़िलक़त का सबब क़रार दिया है। चुनाँचे एक मशहूर हदीस क़ुद्सी में आप सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की क़द्रो मंज़ेलत यूं बयान की गई है।
(लौ लाक लमा ख़लक्तुल अफलाक) ऐ मेरे हबीब अगर आप न होते तो मैं कायनात को ख़ल्क़ न करता।
इंसान अल्लाह की बेहतरीन मख़लूक है और अल्लाह ने उसे मर्दो ज़न के क़ालिब में ख़ल्क़ करने के बाद मुख्तलिफ़ ख़ानदान और क़बीले और रँगो नस्ल में ढाला है।
साथ ही उसकी हिदायत के लिए नबीयों और रसूलों का एक तूलानी सिलसिला क़ायम किया। राहे नूर की तरफ़ हिदायत
करने वाले ये अम्बिया व मुरसलीन इन्सानों को जेहालत की तारीकियों से निकाल कर इल्म और नूर की फिज़ा में लाते रहे और उन्हें खुदा से करीब करते रहे।
लेकिन उन्हीं के साथ साथ कुछ ऐसे अनासिर भी थे जो शैतान के फ़रेब में मुब्तला होकर गुमराह होते रहे या खुद शैतान बन कर दूसरे इन्सानों को गुमराहियों और तरीकियों में ढ़केलते रहे।
खुदावन्दे आलम ने मर्दो ज़न को अपनी इलाही फित्रत पर पैदा किया है और उनमें से हर एक के फरायज़ व वज़ायफ़ मुअय्यन किऐ हैं जो उनकी तबीयत,
मेज़ाज और जिस्मानी साख़्त से हम आहँगी रखते हैं। घर की साख़्त और पुर अम्न ख़ान्वादे की तश्कील के लिए बाज़ जेहतों से मर्द को फ़ौक़ीयत
देकर फरमाया कीः (अर रेजालो क़व्वामूना अलन निसा) और बाज़ जेहतों से दोनों की एक दूसरे पर सरपरस्ती को बयान किया।
(अल मोमेनूना वल मोमेनाते बाज़ो हुम अवलियाओ बाज़) इस तरह से ज़ेहन से ये बात दूर कर दी कि औरत मर्द से पस्त और हक़ीर कोई मख्लूक़ है।
जब आँ हज़रत सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की रेसालत का ज़हूर होने वाला था उस दौरान जाहिल अरबों के दरमियान औरत इन्तेहाई पस्त और हक़ीर वुजुद थी।
लूट मार और क़त्लो ग़ारत की ज़िन्दगी बसर करने वाले अरब अपनी शिकस्त के बाद झूठी बे इज़्ज़ती और बे आबरुई से बचने के लिए घरों में पैदा होने वाली लड़कियों को ज़िन्दा दफ्न कर देते थे।
परवरदिगारे आलम ने ऐसे माहौल में अपने हबीब रहमतुल लिल आलमीन और खुल्क़े अज़ीम पर फायज़ पैग़म्बर को मुरसले आज़म बना कर भेजा और अपनी ख़ास हिक्मत
के तहत आप सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को बेटी अता फ़रमाई और उसके लिए आला हस्बो नस्ब से आरास्ता मक्का की
अज़ीम ख़ातून जनाबे ख़दीजा की आगोश का इन्तेख़ाब किया। आँ हज़रत सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की मशहूर व मारुफ़ हदीस जिसे
तमाम उलमा ए इस्लाम ने अपनी किताबों में नक्ल किया है यानी (फ़ातेमतो बज़अतो मिन्नी) फ़ातेमा मेरा टुकड़ा हैं।
मुम्किन है इसी हकीक़त के तहत हो की एक तरफ़ तो बेटी बाप के वुजुद का हिस्सा होती है
उस ऐतेबार से भी क़ाबिले ऐहतेराम है और दूसरी तरफ़ हज़रत फ़ातेमा सलामुल्लाह अलैहा,
आँ हज़रत सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम के वुजुद का हिस्सा होने के सबब पूरी उम्मत के लिए मोहतरत हैं।
इसलिए की क़ुरआने करीम पूरी वज़ाहत के साथ आँ हज़रत सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को आम इन्सान के बजाय सिर्फ़ रसूल जानता है।
(वमा मुहम्मद इल्ला रसूल) ----- मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम रसूल के अलावा और कुछ नहीं हैं।
लेहाज़ा इस आयत की रौशनी में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा जुज़् ए रेसालत हैं।
बहरहाल बेटी की हैसियत से औरत के मरतबे और उसकी मन्ज़ेलत को बज़्मे इन्सानी और ख़ुसुसन दुनिया ए इस्लाम में नुमायाँ करने के लिए क़ुदरत ने
आँ हज़रत सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को फ़ातेमा सलामुल्लाह अलैहा की शक्ल में ये गौहरे आबदार अता फरमाया था।
अब हम देखते हैं कि ये अज़ीम अतीया जो अल्लाह ने पैग़म्बर सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को बख्शा कितना क़ीमती था।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा कितने सेफ़ात व कमालात की हामिल थीं और खुद पैग़म्बर सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने इस्लामी और कुरआनी
तालीम के गहवारे में अपनी बेटी की कैसी तरबीयत फरमाई थी।
सरेदस्त इस मक़ाले में उस ग्रान क़द्र शख्सीयत की अज़मत का जाएज़ा उम्महातुल मोमिनीन के अक़वाल में लेते हैं और ये देखते हैं कि हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा
अज़्वाजे पैग़म्बर की निगाह में किस फज़्लो शरफ़ की हामिल थीं।
जन्नत का मेवा
दामने इस्लाम में परवान चढ़ने वाली इस नौ मौलूद दुख्तर की अज़्मत और करामत के लिए हम यहाँ सबसे पहले उम्मुल मोमेनीन आयशा से हस्बे ज़ैल रिवायत नक्ल करते हैं जिसे शिया और अहले सुन्नत दोनों उलमा ने नक्ल किया है कि रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम शफ़क़त और मुहब्बत से अपनी बेटी फ़ातेमा का बोसा लिया करते थे।
आयशा इस हालत को देख कर तअज्जुब किया करती थीं आख़िर उन्होंने आँ हज़रत सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से सवाल कर लिया कि आप अपनी बेटी
फ़ातेमा से इस तरह मुहब्बत का बर्ताव करते हैं जैसे किसी से नहीं करते। मैंने नहीं देखा की कोई इस तरह अपनी बेटी से शफ़क़त व मुहब्बत का बर्ताव करता हो।
फ़ातेमा सलामुल्लाह अलैहा रहमे मादर में
इमाम जाफ़रे सादिक अलैहिस्सलाम ने मुफज़्ज़ल बिन उमर से एक हदीस ब्यान करते हुऐ फरमाया कि जब पैग़म्बरे अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम
ने जनाबे खदीजा से शादी की तो मक्का की औरतों ने जनाबे ख़दीजा से राब्ता तोड़ लिया। न उनके घर जाती थीं और न उनको सलाम करती थी।
जब जनाबे ख़दीजा के बत्न में जनाबे फ़ातेमा आईं तो आप अपनी माँ से बातें करती थीं और उन्हें सब्र दिलाती थीं,
जनाबे ख़दीजा इस बात को पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से छुपाती थीं।
एक रोज़ पैग़म्बरे अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम घर में दाख़िल हुए तो आपने ख़दीजा को किसी से बात करते हुए सुना।
हज़रत ने दरयाफ्त फ़रमाया कि ऐ खदीजा आप किस से बातें कर रही थीं तो उन्होंने कहाः या रसूलल्लाह मेरे शिक्म में जो बच्चा है वह मेरी तन्हाई का मुनीस है और मुझसे बातें करता है।
पैग़म्बर सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने फरमायाः ऐ खदीजा ये जिब्रईल हैं और मुझे ख़बर दे रहे हैं कि ये बच्चा दुख्तर है।
उससे पाकीज़ा नस्ल वुजुद में आयेगी और मेरी नस्ल भी उसी बेटी से होगी और उसकी नस्ल से अईम्मा पैदा होंगे।
मज़कूरा रिवायत से कई बातें मालूम होती हैं
एक यह की जनाबे ख़दीजा जैसी मक्का की बा अज़मत ख़ातून ने जब अख़लाक़ व किरदार के अज़ीम पैकर और बज़ाहीर माद्दी ऐतेबार से कमदर्जे के इंसान
हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से शादी की तो दुनिया के ज़ाहरी शॉनो शौकत पर मरने वाली ख़्वातीन ने जनाबे ख़दीजा से रॉब्ता तोड़ लिया,
लेकिन जनाबे ख़दीजा ने इसका कोई मलाल न किया और अपने अज़ीम अख्लाक़ व किरदार के हामिल शौहर की वफादार रहीं। ये बात जनाबे ख़दीजा के आला किरदार की अक्कासी करती है।
दूसरे यह की ख़ुदा वन्दे आलम ने ऐसी पाकीज़ा ख़ातून की तन्हाई और अफ्सुर्दगी को दूर करने के लिए जनाबे फ़ातेमा
सलामुल्लाह अलैहा को उस वक्त उनका मूनिस बना दिया जब आप माँ के शिक्म में थीं।
तीसरी बात यह की जिब्रईल ने पैग़म्बर सलल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को बेटी की बशारत दी जो खुदा की नज़र में औरत के मरतबे को ज़ाहिर करती है।
उसका ऐहसास बेटी या औरत के सिलसिले में आँ हज़रत सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम के हर उम्मती को होना चाहिए।
चौथी बात यह की अगरचे आँ हज़रत सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को ख़ुदा ने एक बेटी दी लेकिन उससे आपकी पाकीज़ा नस्ल का सिल्सिला जारी है
और इस सिलसिले में उलमा ए इस्लाम ने बेशुमार रिवायतें नक्ल की हैं कि पैग़म्बर सलल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की नस्ल हज़रत फ़ातेमा सलामुल्लाहे अलैहा के
ज़रीऐ सुल्बे हज़रते अली अलैहिस्सलाम से चली।
और आख़िरी बात यह है की आप ही नस्ल से रूए ज़मीन पर अइम्मा और ख़ुलफ़ा ए इलाही वुजुद में आये।
वेलादते हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा
जब हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की वेलादत के ऑसार ज़ाहिर हुए तो हज़रत ख़दीजा ने मक्के की औरतों को मदद के लिए बुलाया लेकिन उन्होंने आने से इन्कार कर दिया,
जिस पर जनाबे ख़दीजा बहुत ग़मज़दा हुईं। उस वक्त परवरदिगारे आलम ने चार जन्नती औरतें ग़ैबी इम्दाद की शक्ल में जनाबे ख़दीजा के पास भेजीं,
उन ख़्वातीन ने आकर अपना तआरुफ़ कराया कि ऐ ख़दीजा आप परेशान न हों हम खुदावन्दे आलम की तरफ़ से आपकी मदद को आये हैं।
मैं सारा ज़ौजए हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम हूँ, ये आसीया बिन्ते मुज़ाहीम हैं जो जन्नत में आपकी हम नशीन हैं, वह मरियम बिन्ते इमरान हैं और वह कुलसूम ख़्वाहरे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम हैं। इस तरह उन ख़्वातीन की मदद से हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की वेलादत के मराहिल तय हुए।
आपको आबे कौसर से ग़ुस्ल दिया गया और जन्नत का लिबास पहनाया गया, फिर वह ख़्वातीन आपसे हम कलाम हुईं। उस वक्त हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ने फरमायाः
(मैं गवाही देती हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई और माबूद नहीं है और मेरे पेदरे बुज़ुर्गवार अल्लाह के रसूल और तमाम अम्बिया के सय्यदो सरदार हैं
मेरे शौहर सय्यदुल औसिया हैं और मेरे बेटे अम्बिया के बेहतरीन नवासे हैं। फिर आपने उन तमाम ख़्वातीन को सलाम किया और एक एक करके सब का नाम लिया...)
सुप्रीम लीडर ने दी थी असद को चेतावनी, नज़र अंदाज़ करना भारी पड़ा
सीरिया में असद शासन का पतन हो गया है इसी के साथ फिलिस्तीन के बाद अब सीरिया के एक बड़े हिस्से पर भी इस्राईल का क़ब्ज़ा तय है साथ ही फिलिस्तीन और प्रतिरोधी मोर्चे को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
इस बारे में मई 2024 मे ही ईरान के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह खामेनेई ने बश्शार असद को पश्चिमी साजिशों से अवगत कराते हुए कहा था कि पश्चिमी जगत ने सीरिया के लिए नई प्लानिंग की है।
आयतुल्लाह खामेनेई ने बश्शार असद को सचेत करते हुए कहा था कि क्षेत्र में पश्चिमी देशों और उनके घटक और मजदूरों ने, देश की राजनीतिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने और सीरिया को क्षेत्रीय समानता से वंचित करने के लिए युद्ध छेड़ा, उन्होंने सत्ताधारियों को हटाने की योजना बनाई लेकिन असफल रहे और अब अन्य तरीकों का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें अनेकों वादे भी शामिल हैं जो पूरे नहीं होंगे, वह सीरिया को क्षेत्रीय समीकरण से हटाने की अपनी योजना से कभी पीछे नहीं हटेंगे।
जब बश्शार असद को युद्ध के माध्यम से नहीं हटाया जा सका, तो उन्हें अलगाव से बाहर निकालने के लिए अरब लीग द्वारा छला गया और अरब लीग के साथ के चक्कर मे ही असद ने प्रतिरोध की धुरी के साथ सहयोग करने में आना कानी की और बहाने बनाते रहे।
आयतुल्लाह खामेनेई ने असद को समझाया था कि अरब लीग के माध्यम से जो वादे किए जा रहे है असल मे यह उसे प्रतिरोधी धुरी से दूर करने के षड्यन्त्र हैं और उसे छला जा रहा है। लेकिन लगता है असद ने आयतुल्लाह खामेनई की नसीहत को गंभीरता से नहीं लिया और अरब लीग और अरब दुनिया पर भरोसा कर के अपनी कब्र खोद ली।
बशर अलअसद की सरकार का अंत
सीरियाई प्रधानमंत्री मोहम्मद ग़ाज़ी अल-जलाली ने कहा है कि वह किसी भी ऐसे नेता के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं जिसे सीरियाई जनता चुने उन्होंने आगे कहा कि वह रविवार सुबह प्रधानमंत्री आवास में मौजूद रहेंगे और सत्ता के हस्तांतरण के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
एक रिपोर्ट के अनुसार,सीरियाई प्रधानमंत्री मोहम्मद ग़ाज़ी अलजलाली ने कहा है कि वह किसी भी ऐसे नेता के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं जिसे सीरियाई जनता चुने उन्होंने आगे कहा कि वह रविवार सुबह प्रधानमंत्री आवास में मौजूद रहेंगे और सत्ता के हस्तांतरण के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
मोहम्मद ग़ाज़ी अलजलाली ने कहा,हम हर सीरियाई नागरिक का समर्थन करेंगे जो अपने देश की अखंडता और विकास में रुचि रखता हो जनता से अनुरोध है कि वे राष्ट्रीय और सरकारी संपत्तियों को नुकसान न पहुँचाएँ।
उन्होंने यह भी कहा कि सीरिया सभी सीरियाई नागरिकों का देश है और ऐसा देश बन सकता है जो अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखते हुए किसी गठबंधन समूह का हिस्सा न बने। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसी पद या व्यक्तिगत लाभ की आकांक्षा नहीं रखते और सत्ता के हस्तांतरण के लिए हर संभव सुविधा प्रदान करेंगे।
इस दौरान चरमपंथी संगठन तहरीर अलशाम के प्रमुख अबू मोहम्मद अलजोलानी ने घोषणा की कि मोहम्मद ग़ाज़ी अलजलाली सत्ता के पूर्ण हस्तांतरण तक सरकारी संस्थानों और मंत्रालयों का प्रबंधन संभालेंगे।
सूत्रों के अनुसार चरमपंथी तत्व विभिन्न दिशाओं से दमिश्क में प्रवेश कर चुके हैं और बिना किसी विरोध के पूरे शहर पर नियंत्रण कर लिया है। उन्होंने दमिश्क हवाई अड्डे और सरकारी रेडियो टीवी भवन पर भी कब्जा कर लिया है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सीरियाई सूत्रों के हवाले से बताया है कि राष्ट्रपति बशर अलअसद दमिश्क में मौजूद नहीं हैं। वहीं एक सीरियाई सैन्य अधिकारी ने पुष्टि की है कि सैन्य नेतृत्व ने आधिकारिक तौर पर बशर अलअसद की सरकार के पतन की घोषणा कर दी है।
प्रतिरोधी मोर्चे की मज़बूती/अपनी मिसाइलों के साथ लड़ाई में लौटने में सक्षम। हिज़्बुल्लाह
हिज़्बुल्लाह की राजनीतिक परिषद के उपाध्यक्ष, महमूद क़माती ने कहा कि संघर्ष विराम के समझौते को लागू करने के लिए कोई स्पष्ट तंत्र नहीं है, और अमेरिका इस मामले में कोताही बरत रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका ने इज़रायल को लेबनानी क्षेत्रों में घुसपैठ करने का अवसर दिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,हिज़्बुल्लाह की राजनीतिक परिषद के उपाध्यक्ष, महमूद क़माती ने कहा कि संघर्ष विराम के समझौते को लागू करने के लिए कोई स्पष्ट तंत्र नहीं है, और अमेरिका इस मामले में कोताही बरत रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका ने इज़रायल को लेबनानी क्षेत्रों में घुसपैठ करने का अवसर दिया है।
अलमयादीन चैनल से बातचीत में क़माती ने कहा कि इज़रायली दुश्मन द्वारा नागरिकों पर किए गए हालिया हमलों और संघर्ष विराम के लगातार उल्लंघन का प्रतिरोध ने जवाब दिया। न तो लेबनानी अधिकारी और न ही अमेरिकी इन उल्लंघनों के बारे में बात कर रहे थे इसलिए प्रतिरोध ने इस पर प्रतिक्रिया दी। इस प्रतिक्रिया के बाद संघर्ष-विराम को लागू करने के लिए तंत्र पर चर्चा शुरू हुई।
उन्होंने कहा कि हिज़्बुल्लाह संघर्ष विराम निगरानी समिति के प्रदर्शन का इंतजार कर रहा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वे इस स्थिति से असंतुष्ट हैं लेकिन फिलहाल आक्रमण को रोकने के लिए प्रतिक्रिया नहीं देंगे।
क़माती ने यह भी आरोप लगाया कि संघर्ष विराम निगरानी समिति की कोताही जानबूझकर की गई है। उन्होंने कहा कि दुश्मन को वह हासिल करने का मौका दिया जा रहा है, जो वह युद्ध में नहीं कर सका। यह एक सोची समझी रणनीति है। क़माती ने जोर दिया कि हमें एक वास्तविक संघर्ष-विराम की आवश्यकता है जो इज़रायल के लिए भी आवश्यक है।
उन्होंने आगे कहा कि हाल के दिनों में इस मुद्दे को सेना सरकारी संस्थानों और संयुक्त राष्ट्र के समक्ष उठाया गया था, लेकिन उनकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने कहा,हम तब तक संयम बरतेंगे जब तक यह संभव है लेकिन दुश्मन को अपनी आक्रामकता रोकनी होगी।
हिज़्बुल्लाह के वरिष्ठ अधिकारी ने चेतावनी दी कि अगर दुश्मन संघर्ष विराम का उल्लंघन जारी रखता है तो वे हालिया चेतावनी अभियानों की तरह ही, सैन्य बयान संख्या 2 और 3 भी जारी कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल संघर्ष-विराम निगरानी समिति को मौका दिया जा रहा है।