
رضوی
इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) की हुकूमत के उद्देश्य
इंसान दो पहलुओं से बना है: शरीर और आत्मा। उसकी ज़रूरतें भी दो तरह की होती हैं: भौतिक (मटेरियल) और आध्यात्मिक। इसलिए, कमाल पाने के लिए, इंसान को दोनों पहलुओं में सोच-समझ कर और सही तरीके से कदम उठाने चाहिए।
हज़रत इमाम महदी (अ) की वैश्विक हुकूमत का मक़सद इंसान को अल्लाह के करीब लाना है, क्योंकि इस काएनात की रचना का उद्देश्य इंसान का कमाल और अल्लाह तआला के करीब होना है। इस महान लक्ष्य को पाने के लिए ज़रूरी साधन और उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं।
इंसान के शरीर और आत्मा दोनों की ज़रूरतों को पूरा करना जरूरी है, और इस रास्ते में "न्याय" (अदालत) जो कि इलाही हुकूमत का बड़ा फल है, इंसान की भौतिक और आध्यात्मिक विकास की सुरक्षा करता है।
इसलिए, बारहवें इमाम (अलैहिस्सलाम) की सरकार के उद्देश्य दो मुख्य हिस्सों (आध्यात्मिक विकास) और (न्याय का कार्यान्वयन और उसका विस्तार) में समझे जा सकते हैं:
आध्यात्मिक विकास
जब इंसान अल्लाह के हुक्मरान की सरकार से दूर रहता है, तो उसकी आध्यात्मिकता और आध्यात्मिक मूल्य क्या स्थिति में होते हैं? क्या यह सच नहीं है कि इंसानियत लगातार आध्यात्मिक गिरावट की ओर बढ़ रही है? इंसान अपनी नफ़्सानी इच्छाओं और शैतानी फरेबों का पालन करता है, जिससे वह अपनी ज़िंदगी की खूबसूरती को भूल जाता है और खुद ही उसे वासना के कब्रिस्तान में दफन कर देता है।
संक्षेप में कहा जाए तो, इंसान की ज़िंदगी में आध्यात्मिकता (मानवयत) अब लगभग खत्म हो चुकी है, और कई जगहों पर तो इसका कोई निशान तक नहीं बचा है।
बारहवें इमाम की सरकार इस इंसानी मानवयत को फिर से ज़िंदा करने की कोशिश करती है ताकि इंसान असली ज़िंदगी का मीठा स्वाद चख सके और सभी को याद दिलाए कि शुरू से ही यह तय था कि इंसान ऐसी ज़िंदगी जिएगा, जैसा कि क़ुरआन में भी बताया गया है।
یَا أَیُّهَا الَّذِینَ آمَنُوا اسْتَجِیبُوا لِلَّهِ وَلِلرَّسُولِ إِذَا دَعَاکُمْ لِمَا یُحْیِیکُمْ या अय्योहल लज़ीना आमनुस तजीबू लिल्लाहे व लिर रसूले इज़ा दआकुम लेमा योहयीकुम
ऐ ईमान लाने वालों! जब अल्लाह और उसके रसूल आपको उस चीज़ के लिए बुलाएं जो आपको ज़िंदगी देती है, तो उनकी पुकार का जवाब दो। (सूर ए अन्फाल, आयत 24)
इसलिए, आध्यात्मिक जीवन, जो इंसानों को जानवरों से अलग करता है, इंसान के अस्तित्व का मुख्य और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए, जब परवरदिगार के वली की सरकार होती है, तो इंसान के इस आध्यात्मिक हिस्से को सही दिशा मिलती है और इंसानी मूल्य जीवन के हर पहलू में खिल उठते हैं।
न्याय व्यवस्था
समाज के शरीर पर सबसे बड़ा घाव हमेशा से अन्याय और अत्याचार रहा है। इंसानियत हमेशा से अपने हक़ों से वंचित रही है और कभी भी भौतिक और आध्यात्मिक संसाधन लोगों में बराबर नहीं बंटे। हमेशा कुछ लोग पेट भरे हुए होते हैं, जबकि कई भूखे रहते हैं। महलों के पास कुछ लोग सड़क किनारे और फुटपाथ पर सोते हैं। इंसान हमेशा न्याय और समानता की चाह में रहा है और न्याय के खिलने वाले युग का इंतजार करता रहा है।
इस इंतजार का अंत होगा इमाम महदी (अ) की हुकूमत के दौरान। वे सबसे बड़े न्यायप्रिय नेता और इंसाफ करने वाले होंगे, जो पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में न्याय लागू करेंगे। यह बात कई धार्मिक कथनों में भी बताई गई है, जो उनके आने की खुशखबरी देते हैं। इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) ने भी ऐसा कहा है:
لَوْ لَمْ یَبْقَ مِنَ اَلدُّنْیَا إِلاَّ یَوْمٌ وَاحِدٌ لَطَوَّلَ اَللَّهُ عَزَّ وَ جَلَّ ذَلِکَ اَلْیَوْمَ حَتَّی یَخْرُجَ رَجُلٌ مِنْ وُلْدِی فَیَمْلَأَهَا عَدْلاً وَ قِسْطاً کَمَا مُلِئَتْ جَوْراً وَ ظُلْماً کَذَلِکَ سَمِعْتُ رَسُولَ اَللَّهِ صَلَّی اَللَّهُ عَلَیْهِ وَ آلِهِ یَقُولُ लौ लम यब्क़ा मेनद दुनिया इल्ला यौमुन वाहेदुन लतव्वलल्लाहो अज़्ज़ा व जल्ला ज़ालेकल यौमा हत्ता यख़रोजा रजोलुन मिन वुलदी फ़यमलअहा अदलन व क़िस्तन कमा मुलेअत जौरन व ज़ुल्मन कज़ालेका समेअतो रसूलल्लाहे सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि यक़ूलो
अगर दुनिया में सिर्फ एक दिन बचा हो, तो अल्लाह उस दिन को इतना लंबा कर देगा कि मेरा एक बेटे (इमाम महदी) निकलेगा और वह धरती को न्याय और इंसाफ से भर देगा, जैसे कि वह पहले अत्याचार और अन्याय से भरी हुई थी। मैंने पैग़म्बर मुहम्मद (स) से ऐसा ही सुना है। (क़मालुद्दीन, भाग 1, पेज 317)
और भी कई हदीसें हैं जो बताती हैं कि आखिरी मौऊद इलाही की सरकार में पूरी दुनिया में न्याय कायम होगा और अन्याय और अत्याचार खत्म हो जाएंगे।
इक़्तेबास: किताब "नगीन आफरिनिश" से (मामूली परिवर्तन के साथ)
इज़राइली सेना के दक्षिण लेबनान पर नए हमलों से लेकर हिज़्बुल्लाह के महासचिव के संदेश तक
इस्राइली शासन द्वारा दक्षिण लेबनान पर किए गए नवीनतम हमलों में कई इलाकों और गांवों को हवाई हमलों का निशाना बनाया गया है।
शुक्रवार की सुबह के पहले घंटे में, लेबनानी सूत्रों ने बताया कि इसराइली शासन के हेलीकॉप्टरों और लड़ाकू विमानों ने दक्षिण लेबनान के कई इलाकों, जिनमें "शमअ" "वादी अल-अज़ीज़ी" और "दीर अनतार" गांव शामिल हैं, को निशाना बनाया।
गुरुवार से दक्षिणी लेबनान के इलाकों पर इस्राइली शासन द्वारा हवाई हमलों का एक नया दौर शुरू हुआ है। इन हमलों में इस्राइली लड़ाकू विमानों ने कई क्षेत्रों को निशाना बनाया, जिसके कारण एक नागरिक शहीद हो गया और स्थानीय लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुँचा।
साथ ही हिज़बुल्लाह के महासचिव शेख़ नईम क़ासिम ने घोषणा की है कि लेबनान की स्वतंत्र व आज़ाद सेना अपने दक्षिणी गौरवशाली इलाके की एक इंच भी ज़मीन नहीं छोड़ेगी।
शेख़ नईम क़ासिम ने दक्षिण लेबनान के लोगों को एक संदेश में कहा: हम अपने दक्षिणी गौरवशाली इलाके की एक इंच भूमि भी नहीं छोड़ेंगे और इज़राइल द्वारा हमारी मातृभूमि की एक इंच ज़मीन पर भी कब्ज़ा करने को स्वीकार नहीं करेंगे।
शनिवार को लेबनान के "दक्षिण" और "नबातिया" प्रांतों में नगर और ग्राम परिषदों के चुनाव का अंतिम चरण आयोजित हुआ जो कि पिछले कुछ घंटों में इज़राइल के बढ़ते हमलों और तबाही के बीच हुआ है।
लेबनान में नगर और ग्राम परिषद चुनाव 4 मई को जबल क्षेत्र में, 11 मई को उत्तर क्षेत्र में और पिछले रविवार को बेरूत और बेक़आ क्षेत्र में संपन्न हो चुके हैं। आज दक्षिण और नबातिया क्षेत्रों में चुनाव होंगे।
लेबनान के प्रधानमंत्री नवाफ़ सलाम ने इस्राइली शासन के बार-बार किए जा रहे लेबनान पर हमलों की कड़ी निंदा की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे इन हमलों को रोकने के लिए तेल अवीव पर दबाव डाले।
शहीद रईसी ने अपनी पूरी ज़िंदगी अच्छे कर्मों के लिए समर्पित कर दी
शहीद इब्राहीम रईसी की बेटी हानिया सादात रईसी ने इस्फहान में महिलाओं की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनके पिता ने अपनी पूरी ज़िंदगी ईमानदारी, परहेज़गारी और जनता की सेवा में बिताई और आज पूरी क़ौम इस रास्ते को समझदारी और जागरूकता के साथ आगे बढ़ा रही है।
शहीद सदर इब्राहीम रईसी की बेटी हानिया सादात रईसी ने इस्फहान में महिलाओं के एक भव्य सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनके पिता ने अपनी पूरी ज़िंदगी को ईमानदारी, परहेज़गारी और जनता की सेवा में समर्पित कर दिया था और आज पूरी क़ौम उस रास्ते को समझदारी और सूझबूझ के साथ आगे बढ़ा रही है।
उन्होंने कहा कि उनके पिता ने अपनी ज़िंदगी नेक कामों, जनसेवा और धार्मिक व नैतिक सिद्धांतों के अनुसार बिताई उन्होंने बताया कि देश की जनता अब शहीद रईसी के रास्ते को गहरे समझ के साथ पहचान चुकी है, और पूरे देश में जारी "मिल्लात-ए-खिदमत आंदोलन" इसी समझ का प्रतीक है, जो ईद-उल-अज़हा तक जारी रहेगा।
उन्होंने शहीद रईसी द्वारा वंचित क्षेत्रों, माज़ंदरान की जनता और पूर्वी इस्फहान के जल संकट पर विशेष ध्यान देने को याद करते हुए कहा कि वे हमेशा दर्दमंद दिल से लोगों की सेवा में लगे रहते थे और कभी भी समय बर्बाद नहीं करते थे। उनका निजी जीवन इबादत, परहेज़गारी और अल्लाह पर भरोसे (तवक्कुल) से भरा हुआ था और वे रातों को इबादत में बिताते थे।
शहीद रईसी की बेटी ने रहबर-ए-मुअज़्ज़म (सर्वोच्च नेता) द्वारा शहीद रईसी की प्रशंसा का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये अल्फ़ाज़ हमारे लिए एक बड़ी ज़िम्मेदारी का एहसास कराते हैं।
उन्होंने कहा कि उनके पिता केवल एक राजनीतिज्ञ नहीं थे बल्कि एक धार्मिक, ईमानदार और विश्वसनीय नेता थे, जिन्होंने यहाँ तक कि रूस के राष्ट्रपति को भी यह समझा दिया था कि वे कभी अपनी धार्मिक पहचान को राजनीति के लिए कुर्बान नहीं करेंगे।
अंत में उन्होंने कहा कि अगर आज शहीद रईसी हमारे बीच नहीं हैं, तो यह क़ौम हज़ारों "रईसी" पैदा कर सकती है, और यही उनके रास्ते की असली तक़मील (पूर्णता) है। इस सभा में शहीद रईसी और सैयद हसन नसरुल्लाह के नाम से जुड़े एक स्मृति-चिह्न का अनावरण भी किया गया।
ज़ायोनी शासन की की युद्धविराम वार्ताओं में धोखाधड़ी
अरबी अखबार राय अल-यौम ने अपनी एक रिपोर्ट में ज़ायोनी शासन द्वारा गाज़ा युद्धविराम वार्ताओं में की जा रही धोखाधड़ी का ज़िक्र करते हुए लिखा है: "ज़ायोनी शासन अपनी धोखेबाज़ी और हठधर्मिता के ज़रिए युद्ध को लंबा खींचने की कोशिश कर रहा है।
मध्यस्थों का गुस्सा: ज़ायोनी शासन का अड़ियल रवैया
राय अल-यौम ने बताया कि गाज़ा युद्धविराम वार्ताओं में शामिल मध्यस्थ, ज़ायोनी शासन की ज़िद और सनक के कारण नाराज़ और निराश हैं, जो हर संभव समझौते को असंभव बना रहा है। अखबार ने इज़रायल के व्यवहार का विश्लेषण करते हुए कहा कि वह जानबूझकर गाज़ा युद्ध को लंबा करना चाहता है। जब भी अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता है, इज़रायल क़तर में वार्ता के लिए अपनी टीम भेजने की बात करता है, लेकिन अंत में वार्ता को गतिरोध में धकेल देता है।
समय बर्बाद करने की रणनीति
रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायल अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भटकाने और दबाव से बचने के लिए "तकनीकी वार्ताओं" का बहाना बनाकर समय निकाल रहा है। इस बीच, हमास ने कई बार इज़रायली कैदियों की रिहाई के बदले युद्ध समाप्ति और गाज़ा से इज़रायली सेना की वापसी की पेशकश की है, लेकिन नेतन्याहू सरकार नई शर्तें रखकर गाज़ा पर कब्ज़ा जमाए रखने पर अड़ी हुई है।
अमेरिकी समर्थन से बढ़ रहा है नरसंहार
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अमेरिका का ज़ायोनी शासन को समर्थन फिलिस्तीनी नागरिकों, खासकर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ़ नरसंहार को और बढ़ावा दे रहा है। हालांकि, बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते युद्धविराम वार्ताओं में नई गतिविधियाँ शुरू हो सकती हैं।
ईरानी राष्ट्र कभी भी अमेरिका के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हुसैनी ने कहा: यूरेनियम संवर्धन इस्लामी गणतंत्र ईरान का अविभाज्य अधिकार है और हमारा राष्ट्र कभी भी अमेरिका के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सय्यद नासिर हुसैनी ने यासूज शहर में जुमे की नमाज के ख़ुत्बे में यूरेनियम संवर्धन पर सर्वोच्च नेता की स्थिति का उल्लेख किया और कहा: अमेरिका एक अपराधी और दमनकारी सरकार है और इस्लामी गणराज्य कभी भी उसकी धमकियों के आगे नहीं झुकेगा।
उन्होंने यूरेनियम संवर्धन को ईरानी राष्ट्र का अविभाज्य अधिकार बताया और कहा: हमें अमेरिका से अपराध, विश्वासघात, उत्पीड़न और अत्याचार के अलावा कुछ नहीं मिला है। अहंकार हमारे सामने आत्मसमर्पण करने की उम्मीद करता है, लेकिन हमारा राष्ट्र अहंकारी के सामने नहीं झुकेगा और समझौता नहीं करेगा।
यासूज के इमाम जुमा ने कहा: दुश्मन झूठे प्रचार के जरिए देश के विकास को नहीं रोक सकता। अमेरिका और पश्चिमी देश मानवता और न्याय को नहीं समझते, बल्कि अत्याचार और दमन के अनुयायी हैं। यदि उनमें मानवता होती, तो वे ज़ायोनी सरकार को उसके अत्याचारों से रोकते।
ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सरकार के अपराधों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आपराधिक चुप्पी के साये में फ़िलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों का नरसंहार जारी है।
भ्रामक मीडिया के विनाशकारी प्रभावों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा: युवाओं के बौद्धिक और नैतिक विचलन का असली कारण ये शैतानी मीडिया है जिसके माध्यम से आज भ्रामक विचार और सामग्री फैलाई जा रही है।
दहवुल अर्ज़ के दिन के महत्व को समझाते हुए हुज्जतुल इस्लाम हुसैनी ने कहा: आज दहवुल अर्ज़ का दिन है और एक धन्य दिन है। जब पृथ्वी मानव जीवन के लिए तैयार हुई, तो पानी से जो पहला स्थान उभरा वह मक्का और काबा था, इसलिए यह दिन पवित्र है और इस पर विशेष इबादत की जाती है।
ईरान की सरज़मीन पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
किरमान के इमाम जुमा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अलीदादी सुलैमानी ने जुमा के ख़ुत्बे में चेतावनी दी कि ईरान की सरज़मीन और उसकी क़ानूनी हदों की खिलाफ़वर्जी पर सख्त और फ़ौरन जवाब दिया जाएगा, जैसा कि अतीत में अमेरिका जैसे ताक़तवर दुश्मनों को सबक सिखाया जा चुका है।
इमाम जुमआ किरमान हुज्जतुल इस्लाम अलीदादी सुलैमानी ने जुमा के खुत्बे में अहम घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने साफ़ कहा कि अगर कोई ईरान की ज़मीन या क़ानूनी और वैध सीमाओं पर हमला करेगा तो उसे कड़ी सज़ा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अमेरिकी ड्रोन को गिराया जाना ईरान की रक्षा शक्ति और संकल्प का उदाहरण है।
उन्होंने दिफ़ा-ए-मुक़द्दस" की फ़तह और ख़ुर्रमशहर की आज़ादी को ईरानी क़ौम की कुर्बानियों और पक्के इरादे का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि ईरान ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया, लेकिन जब भी रक्षा की ज़रूरत पड़ी पीछे नहीं हटा।
उन्होंने "मुक़ावमत" (प्रतिरोध) को क्षेत्रीय शांति का एक अहम तत्व बताते हुए हिज़्बुल्लाह लेबनान की कामयाबी को इसका सबूत कहा।
इमाम जुमआ ने शहीद ईरानी राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी की सेवाओं को श्रद्धांजलि दी और उनके ख़ुलूस, सच्चाई और जिहादी अंदाज़ की सराहना की। उन्होंने कहा कि शहीद रईसी ने कम वक्त में विदेश नीति, अर्थव्यवस्था और जनसेवा के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
आख़िर में उन्होंने इस्लामी परिवार के आदर्श के तौर पर हज़रत अली अ.स और हज़रत फ़ातिमा (स.अ) की शादीशुदा ज़िंदगी को अनुकरणीय बताया और ईरानी जनता से अपील की कि वे अपनी धार्मिक और नैतिक परवरिश के लिए इस आदर्श से प्रेरणा लें।
इमाम महदी (अ) के ज़ुहूर के वक़्त का पोशिदा होने का राज़
बिना किसी शक के, सार्थक इंतजार जो कि सक्रियता और जीवन में ऊर्जा का एक बहुत महत्वपूर्ण कारण है, केवल तब ही संभव होगा जब इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) के ज़ुहूर का समय छुपा रहेगा।
अल्लाह तआला के इरादे के अनुसार हमारे लिए इमाम महदी के ज़ुहूर का समय पोशिदा रखा गया है। और निस्संदेह, इसके पीछे कई गहरी और महत्वपूर्ण हिकमतें हैं, जिनमें से कुछ हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं:
उम्मीद का तसलसुल
जब इमाम महदी (अ) के ज़ुहूर का समय छुपा होता है, तो हर युग के इंतजार करने वालों के दिलों में आशा की रोशनी बनी रहती है। इसी लगातार और स्थायी आशा के कारण वे ग़ैबात के कठिन दौर की परेशानियों और दबावों का सामना कर पाते हैं। सच कहें तो अगर पिछले सदियों के शिया लोगों को बताया जाता कि तुम्हारे ज़माने मे ज़ुहूर नहीं होगा, बल्कि बहुत दूर भविष्य में ही इमाम महदी का ज़ुहूर होगा, तो वे किस उम्मीद के साथ अपने समय की मुश्किलों का सामना करते और ग़ैबात के कठिन रास्तों को सुरक्षित पार कर पाते?
तैयारी
बिना किसी शक के, सार्थक इंतजार जो सक्रियता और जीवन में ऊर्जा का एक बहुत महत्वपूर्ण कारण है, केवल तब ही संभव होगा जब इमाम महदी के ज़ुहूर का समय छुपा रहेगा। क्योंकि अगर समय निश्चित हो और पता हो कि उनका ज़ुहूर उस समय तक नही होगा, तो क्योकि लोग जानते हैं कि उस वक्त तक ज़ुहूर नहीं होगा, जिस से उनके अंदर सक्रियता और तैयारी करने की प्रेरणा खत्म हो जाएगी और वे सुस्त और निष्क्रिय हो जाएंगे।
लेकिन जब समय छुपा होता है, तो हर युग और हर दौर के लोग यह उम्मीद लेकर मेहनत करते हैं कि वे अपने समय में इमाम महदी को देखें, इसलिए वे ज़ुहूर की तैयारी करते हैं और अपने समाज को एक सालेह और सक्रिय समाज बनाने की कोशिश करते हैं।
इसके अलावा, अगर ज़ुहूर का समय निश्चित होता और किसी वजह से वह समय पूरा नहीं होता, तो कई लोग इमाम महदी पर अपने विश्वास में शक करने लगते। जैसा कि इमाम बाक़िर (अ) ने इस सवाल के जवाब में कहा है कि क्या ज़ुहूर का कोई निश्चित समय है, इसका जवाब यह है कि--
کَذَبَ اَلْوَقَّاتُونَ کَذَبَ اَلْوَقَّاتُونَ کَذَبَ اَلْوَقَّاتُونَ إِنَّ مُوسَی عَلَیْهِ اَلسَّلاَمُ لَمَّا خَرَجَ وَافِداً إِلَی رَبِّهِ وَاعَدَهُمْ ثَلاَثِینَ یَوْماً فَلَمَّا زَادَهُ اَللَّهُ عَلَی اَلثَّلاَثِینَ عَشْراً قَالَ قَوْمُهُ قَدْ أَخْلَفَنَا مُوسَی فَصَنَعُوا مَا صَنَعُوا कज़बल वक़्क़ातूना कज़बल वक़्क़ातूना कज़बल वक़्क़ातूना इन्ना मूसा अलैहिस्सलामो लम्मा ख़रजा वाफ़ेदन ऐला रब्बेहि वाआदहुम सलासीना यौमन फ़लम्मा ज़ादहुल्लाहो अलस सलासीना अश्रन क़ाला कौमोहू क़द अख़लफ़ना मूसा फ़सनऊ मा सनऊ
जो लोग समय तय करते हैं, वे झूठ बोलते हैं। (यह बात तीन बार दोहराई गई है।) जब मूसा (अ) अपने क़ौम के लोगों से अपने रब की तरफ बुलावे पर तीस दिन के लिए चले गए, और फिर अल्लाह ने उन तीस दिनों में दस दिन और जोड़ दिए, तो उनकी क़ौम के लोग कहने लगे कि मूसा ने अपना वादा पूरा नहीं किया। इसके बाद उन्होंने वह किया जो उन्हें नहीं करना चाहिए था —उन्होने अपने धर्म से मुंह मोड़ लिया और बछड़े की पूजा करने लगे। (उसूले काफ़ी, भाग 1, पेज 368)
इक़्तेबास: किताब "नगीन आफरिनिश" से (मामूली परिवर्तन के साथ)
अमेरिका के पास वार्ता के अलावा कोई विकल्प नहीं
क़ुम के इमाम जुमा ने अपने खुत्बे मे ने कहा: ईरानी दल ने घोषणा की है कि वह वार्ता में इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विरोधी पक्ष के पास वार्ता के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यमन के संबंध में अमेरिका की स्थिति ने साबित कर दिया है कि उसके पास न तो युद्ध जारी रखने की ताकत है और न ही आगे की धमकियाँ देने की क्षमता है। क्रांति के सर्वोच्च नेता ने वार्ता के भविष्य के बारे में भी कहा: "ये वार्ताएँ फलदायी नहीं होंगी और इनका भविष्य भी अनिश्चित है।"
आयतुल्लाह सय्यद मोहम्मद सईदी ने आज क़ुम में मस्जिद क़ुद्स में अपने नमाज़े जुमा के खुत्बे मे क्रांति के सर्वोच्च नेता की शोहदा ए ख़िदमत की याद में आयोजित समारोह में शाहिद रईसी की प्रशंसा पर प्रकाश डाला।
आयतुल्लाह सईदी ने कहा कि क्रांति के सर्वोच्च नेता ने शाहिद रईसी को इस्लामी कर्तव्य को पूरा करने के लिए बहुत चिंतित और अल्लाह और लोगों दोनों के लिए प्रतिबद्ध बताया। उनके दिल में हमेशा यह सवाल रहता था कि क्या उन्होंने अपना कर्तव्य पूरे दिल से निभाया है या नहीं? यह विचार उनके व्यक्तित्व की पहचान थी। उन्होंने कहा कि शहीद रईसी का दिल विनम्र था, उनकी जुबान साफ थी और उनके काम निरंतर और अथक थे। ये तीन विशेषताएं- दिल, जुबान और काम- किसी भी इंसान के व्यक्तित्व के मूल तत्व हैं। अयातुल्ला सईदी ने आगे कहा कि क्रांति के सर्वोच्च नेता ने शहीद रईसी के व्यक्तित्व और सेवाओं को बेहतरीन तरीके से पेश किया और न्याय की मांग है कि उनके जीवनकाल में अक्सर उनकी आलोचना करने वाले लोग भी उनकी सेवाओं को स्वीकार करें, क्योंकि यह धर्मपरायणता की निशानी है। क़ोम के शुक्रवार के उपदेशक ने 25वीं ज़ुल-क़ादा की फ़ज़ीलत का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह दिन "दहव अल-अर्ज़" का दिन है और दुआ की जाती है कि हम इमाम-ए-उम्र के मददगारों में गिने जाएँ।
क़ुम के छात्रों ने परमाणु ऊर्जा का समर्थन किया
आयतुल्लाह सईदी ने भी क़ुम के छात्रों द्वारा परमाणु ऊर्जा के समर्थन की प्रशंसा की और कहा कि उनका भाषण क्रांति के सर्वोच्च नेता के निर्देशों के अनुरूप था।
हज़रत मासूमा (स) की दरगाह के संरक्षक ने इमाम जवाद (अ) की रिवायत का हवाला देते हुए कहा, "जो कोई भी वक्ता को ध्यान से सुनता है, वह उसकी इबादत करने के समान है; यदि वह अल्लाह की ओर से बोल रहा है, तो उसने अल्लाह की इबादत की है, अन्यथा, उसने शैतान की इबादत की है।" उन्होंने कहा कि यह हदीस आज के मीडिया चेतना और आख्यान के युद्ध के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज मीडिया केवल सूचना का स्रोत नहीं है, बल्कि एक ऐसा मोर्चा है, जहां सामाजिक मूल्यों का निर्धारण होता है।
क़ुम के इमाम जुमा के खुत्बे मे क्रांति के सर्वोच्च नेता के कथन को भी उद्धृत किया कि "कल तुम्हारा है, भविष्य तुम्हारा है; तुम्हें इतिहास की रक्षा सम्मान के साथ करनी है; ख़ुर्रमशहर जैसी लड़ाइयाँ अभी भी होनी हैं, लेकिन ये लड़ाइयाँ सैन्य क्षेत्र में नहीं बल्कि सांस्कृतिक और बौद्धिक क्षेत्रों में लड़ी जाएँगी, जो युद्ध से भी कठिन हैं।"
मीडिया इबादतगाहो का युग और मीडिया जागरूकता की आवश्यकता
उन्होंने कहा कि हम आज के युग को "मीडिया इबादतगाहो का युग" कह सकते हैं, जहाँ दुश्मन हमारे दिमाग पर कब्ज़ा करने की पूरी कोशिश कर रहा है, खासकर परमाणु वार्ता के संबंध में। इस युग में, मीडिया जागरूकता एक ऐसा हथियार है जो सच और झूठ के बीच अंतर करने और दुश्मन की साजिशों का मुकाबला करने की क्षमता देता है।
क़ुम में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि ने वार्ता की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विरोधी पक्ष के पास वार्ता के अलावा कोई विकल्प नहीं है, लेकिन वार्ता का भविष्य अनिश्चित है। अमेरिका की अनुचित मांगें और प्रतिबंधों को हटाने में रुचि न लेना यह दर्शाता है कि वार्ता सफल नहीं होगी। ईरानी टीम ने अपना पूरा प्रयास कर लिया है और अब जिम्मेदारी विरोधी पक्ष की है।
आसान विवाह आंदोलन का महत्व
अंत में, आयतुल्लाह सईदी ने आसान विवाह आंदोलन पर जोर देते हुए कहा कि विवाह व्यक्ति और समाज की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है। आर्थिक कठिनाइयां, अवास्तविक अपेक्षाएं और उपभोक्तावाद जैसी वर्तमान सामाजिक समस्याएं युवाओं के लिए विवाह को मुश्किल बना रही हैं। इसलिए आसान विवाह को एक सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलन के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि सामाजिक समस्याओं का तुरंत समाधान किया जा सके।
उन्होंने कुरान की आयत का हवाला देते हुए कहा: "अपने से दिन छीन लो और अपने सेवकों और अपनी माताओं से नेक लोगों को छीन लो। और अल्लाह सब कुछ जानने वाला है।
अपने बीच कुंवारी लड़कियों और नेक दासों और दासियों से विवाह करो, यदि वे गरीब हैं, तो अल्लाह अपनी कृपा से उनका भरण-पोषण करेगा, और अल्लाह सब कुछ जानने वाला है।
अब्बास अराक़ची और वेटिकन के प्रधानमंत्री की मुलाकात
इस्लामिक गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची ने वेटिकन के प्रधानमंत्री से मुलाकात में, ज़ायोनी शासन की कब्ज़े की नीति, रंगभेद और फिलिस्तीनी लोगों के मौलिक अधिकारों के स्पष्ट उल्लंघन, को पश्चिम एशिया क्षेत्र में असुरक्षा और समस्याओं का मूल कारण बताया।
अमेरिका का विश्व पर वर्चस्व समाप्त, अराक़ची की वेटिकन के शीर्ष अधिकारियों से मुलाक़ात, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ट्रम्प पर जीत, मिन्स्क अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में ईरानी रक्षा उद्योगों को मिली सराहना, चिली का फ़िलिस्तीन के समर्थन और इज़राइल के विरोध में खड़े होना, और तुर्किए में इमामोग्लू के क़रीबियों में से दर्जनों की गिरफ्तारी - ये ईरान और दुनिया की कुछ प्रमुख ख़बरें हैं जिन्हें आप पार्स टुडे के इस संकलन में पढ़ सकते हैं:
अराक़ची: फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ कब्ज़े की नीति क्षेत्र में असुरक्षा का मूल कारण
इस्लामिक गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची ने शुक्रवार को वेटिकन के प्रधानमंत्री कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन से मुलाकात में, कब्ज़े, रंगभेद और फिलिस्तीनी लोगों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन, को पश्चिम एशिया क्षेत्र में असुरक्षा और समस्याओं का मूल कारण बताया। उन्होंने इस मुलाकात में, गाज़ा में नरसंहार और नस्लीय सफ़ाए के बढ़ने के कारण फ़िलिस्तीन की भयावह स्थिति का वर्णन करते हुए, कहा कि सभी देशों और मनुष्यों का कानूनी और नैतिक दायित्व है कि वे गाज़ा में हो रहे अपराधों के खिलाफ घृणा और विरोध प्रकट करें तथा इन अपराधों को रोकने और मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए तत्काल कदम उठाएँ।
चिली: इज़राइल की गाज़ा में कार्रवाइयाँ युद्ध अपराध हैं
चिली के राष्ट्रपति गैब्रिएल बोरिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा: "इज़राइल गाज़ा में जातीय सफाया कर रहा है। स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि आने वाले घंटों में हज़ारों बच्चों की जान जा सकती है, क्योंकि वे मानवीय सहायता को अंदर नहीं आने दे रहे हैं।" बोरिक ने आगे कहा: "जो लोग ये अपराध कर रहे हैं और जो इसे अनदेखा कर रहे हैं, वे सभी युद्ध अपराधी हैं और मानवता उनसे जवाब माँगेगी।" उन्होंने स्पष्ट किया कि चिली अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस बर्बरता को रोकने के लिए आवश्यक दबाव बनाएगा।
ट्रम्प के उप-राष्ट्रपति वेन्स: अमेरिका का विश्व पर वर्चस्व समाप्त हो चुका है
अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने स्वीकार किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका अब दुनिया में एकमात्र प्रमुख और बेजोड़ शक्ति नहीं है, और उसके प्रतिद्वंद्वी जैसे चीन और रूस हर क्षेत्र में अमेरिका से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं। वेंस ने कहा: "शीत युद्ध के बाद, अमेरिका अक्सर हवा, अंतरिक्ष, समुद्र और साइबर स्पेस जैसे क्षेत्रों में बिना किसी चुनौती के नियंत्रण रखता था, लेकिन अमेरिका के वैश्विक वर्चस्व का युग अब समाप्त हो चुका है।"
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की जीत: न्यायाधीश ने ट्रम्प सरकार के विदेशी छात्रों से संबंधित आदेश को रोका
एक अमेरिकी फ़ेडरल जज ने, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार द्वारा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के नामांकन और प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास को, शुक्रवार को यूनिवर्सिटी द्वारा दायर याचिका के कुछ ही घंटों बाद, रोक दिया।
मिन्स्क अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में ईरानी रक्षा उद्योगों को मिली सराहना
बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में "मिलेक्स 2025" नाम से आयोजित बारहवीं अंतरराष्ट्रीय रक्षा, हथियार और सैन्य प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में ईरान की नवीनतम रक्षा उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में सबसे बड़े स्टालों में से एक ईरान के रक्षा मंत्रालय से जुड़ी कंपनियों के सैन्य और रक्षा उत्पादों के लिए समर्पित है, जहाँ 50 से अधिक प्रकार के उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है।
तुर्की में इमामोग्लू के करीबियों में से दर्जनों की गिरफ्तारी
तुर्की की अधिकारियों ने शुक्रवार को इस्तांबुल के मेयर अकरम इमामोग्लू के खिलाफ़ चल रहे भ्रष्टाचार मामले की जाँच के तहत 44 और लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए लोगों में इमामोग्लू के निजी सचिव, सुरक्षा प्रबंधक और इस्तांबुल नगर निगम से जुड़े दो संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। इमामोग्लू को, जो रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (सीएचपी) के एक लोकप्रिय नेता और तुर्की के आगामी राष्ट्रपति चुनाव में इस पार्टी के संभावित उम्मीदवार हैं, मार्च में दर्जनों नगरपालिका कर्मचारियों और व्यापारियों के साथ वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
LIMA 2025 प्रदर्शनी में ईरान की मज़बूत उपस्थिति
मलेशिया की 17वीं अंतर्राष्ट्रीय नौसेना और एयरोस्पेस प्रदर्शनी, जिसे LIMA 2025 के नाम से जाना जाता है, 30 अप्रैल से 3 जून तक लंगकावी द्वीप पर आयोजित की जा रही है। पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रदर्शनी में 46 देशों के 140 आधिकारिक प्रतिनिधिमंडलों सहित 350,000 से अधिक मेहमानों के आने की उम्मीद है।
ईरान ने इस प्रदर्शनी में मिसाइल सिस्टम, एंटी-मिसाइल डिफेंस, रडार सिस्टम, नौसैनिक युद्धपोत, पनडुब्बियाँ, स्मार्ट और गाइडेड बमों सहित विभिन्न हवाई और नौसैनिक उपकरण प्रदर्शित किए हैं, जिन्हें दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया है।
मलेशिया के रक्षा मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने ईरानी पवेलियन का दौरा किया
मलेशिया के कई सरकारी और सैन्य अधिकारियों ने, जिनमें रक्षा मंत्री खालिद नूरदीन, कृषि मंत्री मोहम्मद सबू (पूर्व रक्षा मंत्री), और रक्षा उपमंत्री अदली ज़हरी शामिल हैं, इस प्रदर्शनी में ईरानी पवेलियन का दौरा किया।
इसके अलावा, मलेशिया में ईरान के राजदूत वलीउल्लाह मोहम्मदी नस्राबादी ने प्रदर्शनी के मौके पर मलेशिया के रक्षा उपमंत्री से मुलाकात की और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
मलेशिया के रक्षा उपमंत्री ने ईरान की क्षमताओं की सराहना की
मलेशिया के रक्षा उपमंत्री अदली ज़हरी ने इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों का उल्लेख करते हुए, ईरान की इस प्रदर्शनी में भागीदारी की सराहना की और ईरान की रक्षा क्षमताओं को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान की रक्षा उपलब्धियों को "उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण" करार दिया।
पिछले वर्ष भी ईरान ने DSA 2024 में भाग लिया था
गौरतलब है कि ईरान का रक्षा मंत्रालय पिछले साल भी मलेशिया की अंतर्राष्ट्रीय रक्षा उपकरण प्रदर्शनी (DSA 2024) में शामिल हुआ था, जो देश की बढ़ती वैश्विक रक्षा भागीदारी को दर्शाता है।