
رضوی
रोज़े दहवुलल अर्ज़ के फज़ाइल और आमाल
दहवुल अर्ज़ 25 ज़िलकायेदा का दिन हैं। यह वह दिन है जब अल्लाह ने काबा के नीचे पानी के ऊपर पृथ्वी को फैलाया। इस दिन रोज़ा रखना और ग़ुस्ल करना मुस्तहब है, ख़ासकर रोज़ा जिसका सवाब 60 साल की इबादत के बराबर है।
दोहुल अर्ज़ 25 ज़िलकायेदा का दिन हैं। यह दिन बा बरकत दिन है। इस दिन कुछ आमाल है। जिस को अंजाम देने का बहुत सवाब है।दहवुल अर्ज़ क्या है, और इस दिन के आमाल क्या है?
25 ज़िलकाअदा का दिन हैं। यह वह दिन है जब अल्लाह ने काबा के नीचे पानी के ऊपर ज़मिन को फैलाया गया हैं। और यही वजह है कि यह दिन और इसकी रात इन नेक दिन और रातों में से एक है। कि जिनमें अल्लाह तआला अपने बंदों पर रहमत फरमाता है और इस्लामी रिवायत के मुताबिक इस दिन में कयाम और इबादत करने का बहुत ज़्यादा अज़र और साहब है। और रोज़े दोहुरूल इन दिनों में से एक है कि साल भर में जिसने रोज़ा रखने की फज़ीलत बहुत ज़्यादा है।
दहूर; का अर्थ है ज़मीन को फैलाना और चौड़ा करना या यूं कहा जाए जिसे चौड़ा किया जाए या फैलाया जाए उसे(दोहरूश शाये) कहा जाता है।कुरान की आयेत "و الارض بعد ذلک دحها"भी इसी अर्थ की ओर इशारा करती है
यानी ,और इसके बाद ज़मीन को इंसानों और दूसरे मखलूकात के फायदे के लिए फैला दिया।और जो हज़रत अली अलैहिस्सलाम की दुआ में आया हुआ है, اللّهم داحی المدحوات,यानी ये ज़मीन को फैलाने वाले और बढ़ाने वाले (4) इससे अर्थ यह है कि खुदा ने ज़मीन को काबे और उसके मुकाम से फैला दिया और दोहुरूल अर्ज़ कि जो 25 ज़िलकायेदा का दिन है।यह इस तथ्य को संदर्भित करता है कि उस दिन अल्लाह ने काबा को प्रकट किया और अल्लाह ने उस स्थान से पृथ्वी को फैलाना शुरू कर दिया। और इसी वजह से कहा जाता है यानी रोज़े दोहुरूल अर्ज़ ज़मीन को फैलाने और चौड़ा करने का दिन।
ये वो दिन है कि जिस दिन रहमते खुदा फैला दी जाती है और इस दिन की इबादत और ज़िक्रे खुदा के लिऐ इकट्ठा होना बेहद सवाब रखता है और इस दिन के लिऐ रोज़ा, इबादत, ज़िक्रे खुदा और ग़ुस्ल के अलावा दो अमल भी बताऐ गऐ है।
पहला अमलः 2 रकअत नमाज़ है कि जो चाश्त (तक़रीबन 10 से 12 के दरमियान) के वक्त पढ़ी जाती है और उसकी दोनो रकआत मे सूरे हम्द के 5 मर्तबा सूरा ऐ वश्शम्स पढ़े और बाकी नमाज़ फज्र की नमाज़ की तरह पढ़ कर तमाम करे।
और उसके बाद एक पढ़ेः
ला होला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्ला हिल अलीयील अज़ीम।
और ये दुआ पढ़ेः
या मुकीलल असरात अक़िलनी असरती, या मुजीबद दावात अजिब दअवती, या सामेअल असवात इस्मअ सौती, वरहमनी व तजावज़ अन सय्येआती, वमा इन्दी या ज़ल जलाले वल इकराम।
اللَّهُمَّ دَاحِی الْکَعْبَةِ وَ فَالِقَ الْحَبَّةِ وَ صَارِفَ اللَّزْبَةِ وَ کَاشِفَ کُلِّ کُرْبَةٍ أَسْأَلُکَ فِی هَذَا الْیوْمِ مِنْ أَیامِکَ الَّتِی أَعْظَمْتَ حَقَّهَا وَ أَقْدَمْتَ سَبْقَهَا وَ جَعَلْتَهَا عِنْدَ الْمُؤْمِنِینَ وَدِیعَةً وَ إِلَیکَ ذَرِیعَةً وَ بِرَحْمَتِکَ الْوَسِیعَةِ أَنْ تُصَلِّی عَلَی مُحَمَّدٍ عَبْدِکَ الْمُنْتَجَبِ فِی الْمِیثَاقِ الْقَرِیبِ یوْمَ التَّلاقِ فَاتِقِ کُلِّ رَتْقٍ وَ دَاعٍ إِلَی کُلِّ حَقٍّ وَ عَلَی أَهْلِ بَیتِهِ الْأَطْهَارِ الْهُدَاةِ الْمَنَارِ دَعَائِمِ الْجَبَّارِ وَ وُلاةِ الْجَنَّةِ وَ النَّارِ وَ أَعْطِنَا فِی یوْمِنَا هَذَا مِنْ عَطَائِکَ الْمَخْزُونِ غَیرَ مَقْطُوعٍ وَ لا مَمْنُوعٍ [مَمْنُونٍ] تَجْمَعُ لَنَا بِهِ التَّوْبَةَ وَ حُسْنَ الْأَوْبَةِ یا خَیرَ مَدْعُوٍّ وَ أَکْرَمَ مَرْجُوٍّ یا کَفِی یا وَفِی یا مَنْ لُطْفُهُ خَفِی الْطُفْ لِی بِلُطْفِکَ وَ أَسْعِدْنِی بِعَفْوِکَ وَ أَیدْنِی بِنَصْرِکَ وَ لا تُنْسِنِی کَرِیمَ ذِکْرِکَ بِوُلاةِ أَمْرِکَ وَ حَفَظَةِ سِرِّکَ وَ احْفَظْنِی مِنْ شَوَائِبِ الدَّهْرِ إِلَی یوْمِ الْحَشْرِ وَ النَّشْرِ وَ أَشْهِدْنِی أَوْلِیاءَکَ عِنْدَ خُرُوجِ نَفْسِی وَ حُلُولِ رَمْسِی وَ انْقِطَاعِ عَمَلِی وَ انْقِضَاءِ أَجَلِی اللَّهُمَّ وَ اذْکُرْنِی عَلَی طُولِ الْبِلَی إِذَا حَلَلْتُ بَینَ أَطْبَاقِ الثَّرَی وَ نَسِینِی النَّاسُونَ مِنَ الْوَرَی وَ أَحْلِلْنِی دَارَ الْمُقَامَةِ وَ بَوِّئْنِی مَنْزِلَ الْکَرَامَةِ وَ اجْعَلْنِی مِنْ مُرَافِقِی أَوْلِیائِکَ وَ أَهْلِ اجْتِبَائِکَ وَ اصْطِفَائِکَ وَ بَارِکْ لِی فِی لِقَائِکَ وَ ارْزُقْنِی حُسْنَ الْعَمَلِ قَبْلَ حُلُولِ الْأَجَلِ بَرِیئا مِنَ الزَّلَلِ وَ سُوءِ الْخَطَلِ اللَّهُمَّ وَ أَوْرِدْنِی حَوْضَ نَبِیکَ مُحَمَّدٍ صَلَّی اللَّهُ عَلَیهِ وَ آلِهِ وَ اسْقِنِی مِنْهُ مَشْرَبا رَوِیا سَائِغا هَنِیئا لا أَظْمَأُ بَعْدَهُ وَ لا أُحَلَّأُ وِرْدَهُ وَ لا عَنْهُ أُذَادُ وَ اجْعَلْهُ لِی خَیرَ زَادٍ وَ أَوْفَی مِیعَادٍ یوْمَ یقُومُ الْأَشْهَادُ اللَّهُمَّ وَ الْعَنْ جَبَابِرَةَ الْأَوَّلِینَ وَ الْآخِرِینَ وَ بِحُقُوقِ [لِحُقُوقِ] أَوْلِیائِکَ الْمُسْتَأْثِرِینَ اللَّهُمَّ وَ اقْصِمْ دَعَائِمَهُمْ وَ أَهْلِکْ أَشْیاعَهُمْ وَ عَامِلَهُمْ وَ عَجِّلْ مَهَالِکَهُمْ وَ اسْلُبْهُمْ مَمَالِکَهُمْ وَ ضَیقْ عَلَیهِمْ مَسَالِکَهُمْ وَ الْعَنْ مُسَاهِمَهُمْ وَ مُشَارِکَهُمْ اللَّهُمَّ وَ عَجِّلْ فَرَجَ أَوْلِیائِکَ وَ ارْدُدْ عَلَیهِمْ مَظَالِمَهُمْ وَ أَظْهِرْ بِالْحَقِّ قَائِمَهُمْ وَ اجْعَلْهُ لِدِینِکَ مُنْتَصِرا وَ بِأَمْرِکَ فِی أَعْدَائِکَ مُؤْتَمِرا اللَّهُمَّ احْفُفْهُ بِمَلائِکَةِ النَّصْرِ وَ بِمَا أَلْقَیتَ إِلَیهِ مِنَ الْأَمْرِ فِی لَیلَةِ الْقَدْرِ مُنْتَقِما لَکَ حَتَّی تَرْضَی وَ یعُودَ دِینُکَ بِهِ وَ عَلَی یدَیهِ جَدِیدا غَضّا وَ یمْحَضَ الْحَقَّ مَحْضا وَ یرْفِضَ الْبَاطِلَ رَفْضا اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَیهِ وَ عَلَی جَمِیعِ آبَائِهِ وَ اجْعَلْنَا مِنْ صَحْبِهِ وَ أُسْرَتِهِ وَ ابْعَثْنَا فِی کَرَّتِهِ حَتَّی نَکُونَ فِی زَمَانِهِ مِنْ أَعْوَانِهِ اللَّهُمَّ أَدْرِکْ بِنَا قِیامَهُ وَ أَشْهِدْنَا أَیامَهُ وَ صَلِّ عَلَیهِ [عَلَی مُحَمَّدٍ] وَ ارْدُدْ إِلَینَا سَلامَهُ وَ السَّلامُ عَلَیهِ [عَلَیهِمْ] وَ رَحْمَةُ اللَّهِ وَ بَرَکَاتُهُ۔
इस रोज़ जियारते इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम भी मुस्तहब है।
मक्का में बिना 'नुसुक' कार्ड के ज़ायरीन की आवाजाही पर पाबंदी
सऊदी अरब सरकार के नए नियमों के अनुसार, हज 2024-2025 में शामिल होने वाले सभी मुस्लिम देशों के जायरीन के लिए 'नुसुक' (NUSUK) पहचान पत्र साथ रखना अनिवार्य है। यह कार्ड न केवल हज की अनुमति का प्रमाण है, बल्कि इसके बिना मक्का में प्रवेश या आवाजाही की अनुमति नहीं होगी।
सऊदी अरब सरकार के नए नियमों के अनुसार, हज 2024-2025 में शामिल होने वाले सभी मुस्लिम देशों के जायरीन के लिए 'नुसुक' (NUSUK) पहचान पत्र साथ रखना अनिवार्य है। यह कार्ड न केवल हज की अनुमति का प्रमाण है, बल्कि इसके बिना मक्का में प्रवेश या आवाजाही की अनुमति नहीं होगी।जिनके पास यह कार्ड नहीं होगा, उनके खिलाफ सऊदी सुरक्षा अधिकारी कार्रवाई करेंगी।
'नुसुक' कार्ड में जायरीन की व्यक्तिगत जानकारी और ठहरने की जगह की जानकारी होती है।नया कार्ड नहीं मिलेगा: यदि कोई व्यक्ति कार्ड खो देता है, तो उसके लिए नया कार्ड जारी नहीं किया जाएगा।
यह नियम सभी देशों के जायरीन पर लागू है ताकि हज की व्यवस्था में अनुशासन बना रहे और उमरा करने वालों को हज की भीड़ से अलग रखा जा सके।
मदीना में रौज़ा ए रसूल की ज़ियारत अब सिर्फ 'नुसुक' मोबाइल ऐप से समय लेकर ही की जा सकती है। इससे कई जायरीन को व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से ज़ियारत में कठिनाई हो रही है।
ईरानी अधिकारियों ने ज़ायरीन की मदद के लिए शिक्षा और सहायता देने, और सऊदी प्रशासन से बातचीत कर समस्याओं को हल करने की बात कही है।
ईरान से इस साल लगभग 85,850 जायरीन 643 कारवां के ज़रिए हज के लिए रवाना हो रहे हैं। सभी से अनुरोध किया गया है कि वे मक्का और मदीना में पूरे समय 'नुसुक' कार्ड अपने पास रखें।
बिन गोरियन एयरपोर्ट पर एयरलाइनों और हाइफ़ा बंदरगाह की जहाज़ों को निशाना बनाएंगे
यमन के हौसी आंदोलन 'अनसारुल्ला' ने एक बार फिर बिन गोरियन एयरपोर्ट पर मौजूद सभी एयरलाइनों और हाइफ़ा बंदरगाह पर आने-जाने वाले जहाज़ों को चेतावनी दी है।
यमन के हौसी आंदोलन 'अनसारुल्ला' ने एक बार फिर बिन गोरियन एयरपोर्ट पर मौजूद सभी एयरलाइनों और हाइफ़ा बंदरगाह पर आने-जाने वाले जहाज़ों को चेतावनी दी है।
अनसारुल्ला के मीडिया समिति के उपाध्यक्ष ने कहा कि जब तक ग़ाज़ा के लोगों की पीड़ा और उनकी घेराबंदी जारी रहेगी, तब तक इस्राइली शासन पर सैन्य दबाव बढ़ता रहेगा।
उन्होंने चेतावनी दी,हम सभी एयरलाइनों को आगाह करते हैं कि वे लोड (बिन गोरियन) एयरपोर्ट से दूर रहें, और जहाज़ों को हाइफ़ा बंदरगाह से दूरी बनाए रखने की सलाह देते हैं, क्योंकि इन स्थलों को यमन के सैन्य लक्ष्यों की सूची में शामिल कर लिया गया है और किसी भी समय इन पर हमला किया जा सकता है।
यमनी बलों ने ग़ाज़ा पर हो रहे अत्याचारों के जवाब में इस्राइली क्षेत्रों पर मिसाइल हमले तेज़ कर दिए हैं।इसी सिलसिले में, इस्राइली टेलीविज़न चैनल 12 ने रिपोर्ट दी है कि इस्राइली सुरक्षा एजेंसियों का अनुमान है कि जब तक ग़ाज़ा में युद्ध जारी रहेगा, अनसारुल्ला के हमले भी चलते रहेंगे।
आज तड़के यमनी सशस्त्र बलों ने एक बैलिस्टिक मिसाइल इस्राइली क्षेत्र की ओर दागी है।
ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ यमन का मिसाइल हमला
यमन की सशस्त्र सेनाओं ने एक बार फ़िर से अतिग्रहित फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों को निशाना बनाया है।
शुक्रवार तड़के यमन की ओर से एक बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई, जिससे दक्षिण से लेकर केंद्र तक के क्षेत्रों में, विशेष रूप से तेल अवीव में, सायरन बजने लगे।
अब तक इस हमले से संबंधित किसी प्रकार की क्षति या हताहतों की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं आई है।
गुरुवार को भी दो बार यमनी मिसाइल हमले किए गए थे, जिनमें अतिग्रहित क्षेत्रों को निशाना बनाया गया। इन हमलों के चलते तेल अवीव के बेन-गुरियन हवाई अड्डे को बंद करना पड़ा।
अंसारुल्लाह आंदोलन की चेतावनी: बेन-गुरियन हवाई अड्डे और हैफ़ा बंदरगाह में मौजूद एयरलाइनों और जहाज़ों को अलर्ट
यमन का अंसारुल्लाह आंदोलन हूसी ने ने आज शुक्रवार को एक बार फिर से बेन-गुरियन हवाई अड्डे पर मौजूद एयरलाइन कंपनियों और हैफ़ा बंदरगाह में मौजूद जहाज़ों को चेतावनी दी है।
अंसारुल्लाह के बयान के अनुसार, जब तक ग़ज़ा के लोगों की पीड़ा और उनकी घेराबंदी जारी रहेगी, तब तक ज़ायोनी शासन पर सैन्य दबाव लगातार बढ़ता रहेगा। अंसारुल्लाह के वरिष्ठ अधिकारी: इज़राइल के ख़िलाफ कार्रवाइयाँ योजनाबद्ध और दुश्मन की पूरी समझ के साथ की जाती हैं।
यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य "मोहम्मद अल-फ़रह" ने गुरुवार को एक प्रेस इंटरव्यू में यमन की इज़राइल पर की गई कार्रवाइयों के बारे में कहा कि हम इस दुश्मन को बहुत अच्छी तरह जानते हैं और कोई भी हमला बिना सटीक हिसाब- किताब के नहीं किया जाता। हम हर मिसाइल या ड्रोन के असर को सैन्य, सुरक्षा और यहां तक कि राजनीतिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन करते हैं।
हूसीः ग़ज़ा में मानवीय त्रासदी अभूतपूर्व है
सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अल-हूसी यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के महासचिव, ने गुरुवार को कहा कि ग़ज़ा में मानवीय त्रासदी अभूतपूर्व है। उन्होंने बल देते हुए कहा कि इस्लामी उम्मत की चुप्पी ज़ायोनियों को अपराध करने की और हिम्मत देती है।
अंसारुल्लाह आंदोलन के महासचिव ने बताया कि इस्लामी उम्मत के ऊपर फिलिस्तीनी जनता की सहायता करने की बड़ी और गंभीर जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इस ज़िम्मेदारी से भागने का बहुत ख़तरनाक परिणाम निकलेगा कि यह ज़िम्मेदारी ख़ुद अल्लाह के सामने है।
यमन की सेना ने हाल के महीनों में फिलिस्तीन की मज़लूम जनता के समर्थन में ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी शासन की समुद्री घेराबंदी के साथ इस्राइल के सैन्य लक्ष्यों पर हमले किए हैं।
यमनी सेना के जवानों ने वचन दिया है कि जब तक ज़ायोनी शासन ग़ज़ा पर हमले बंद नहीं करता तब तक वे फ़िलिस्तीन के अतिग्रहित क्षेत्रों की घेराबंदी और हमलों को जारी रखेंगे।
ज़ायोनी आक्रमण के दौरान 20 महीनों में 220 पत्रकार शहीद हुए
अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव के सचिव हबीबुल्लाह मज़ांदरानी ने खुलासा किया है कि गाजा पर ज़ायोनी आक्रमण की शुरुआत से लेकर अब तक कम से कम 220 पत्रकार शहीद हो चुके हैं, लेकिन पश्चिमी दुनिया और मानवाधिकार, स्वतंत्रता और न्याय का दावा करने वाला फ़ारसी-भाषा मीडिया इस नरसंहार के बारे में पूरी तरह से चुप है।
अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव के सचिव हबीबुल्लाह मज़ांदरानी ने खुलासा किया है कि गाजा पर ज़ायोनी आक्रमण की शुरुआत से लेकर अब तक कम से कम 220 पत्रकार शहीद हो चुके हैं, लेकिन पश्चिमी दुनिया और मानवाधिकार, स्वतंत्रता और न्याय का दावा करने वाला फ़ारसी-भाषा मीडिया इस नरसंहार के बारे में पूरी तरह से चुप है।
उन्होंने हौज़ा न्यूज़ एजेंसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि अगर हमने मीडिया के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया होता, तो गाजा के निहत्थे लोग अहंकारी मीडिया की खामोशी में शहीद नहीं होते। उन्होंने माना कि यद्यपि प्रतिरोध मीडिया को मजबूत करने के लिए कुछ काम किया गया है, लेकिन दुश्मन के शोरगुल में प्रभावी और प्रमुख भूमिका निभाने से पहले अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।
हबीबुल्लाह मज़ांदरानी ने पश्चिमी सरकारों और उनके समर्थित मीडिया की आलोचना करते हुए कहा: "मानवता, स्वतंत्रता और न्याय की बात करने वाले आज चुप क्यों हैं जब गाजा में इन सभी मूल्यों का कत्ल हो रहा है? यह स्पष्ट है कि उनके ये दावे धोखे के अलावा और कुछ नहीं हैं, जैसे कि इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के शांति दावों को झूठा बताया था।"
उन्होंने "पेंटर" उत्सव का उद्देश्य दुनिया के उत्पीड़ित लोगों, विशेष रूप से गाजा के प्रतिरोधी लोगों के लिए न्याय की आवाज़ बताया और कहा कि यह उत्सव कला और मीडिया के माध्यम से प्रतिरोध मोर्चे के समर्थन का ध्वजवाहक है। सर्वोच्च नेता के निर्देश का उल्लेख करते हुए कि कला की भाषा क्रांति के संदेश को व्यक्त करने का एक प्रभावी माध्यम है, उन्होंने कहा कि यह उत्सव बलिदान, भक्ति और प्रतिरोध की संस्कृति को लोकप्रिय बनाने का एक मजबूत प्रयास कर रहा है।
महोत्सव सचिव ने अंत में इस बात पर जोर दिया कि: "हमारे मीडिया की आवाज उत्पीड़ितों के समर्थन में उतनी ऊंची नहीं है जितनी होनी चाहिए। अगर हमारी आवाज प्रभावी और शक्तिशाली होती तो गाजा, लेबनान और यमन में इतने अत्याचार नहीं होते।" उन्होंने इन अत्याचारों के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि ज़ायोनी और हत्यारी शासन को समर्थन अमेरिकी शासकों की निर्दयता का स्पष्ट सबूत है, लेकिन हमें दुनिया के उत्पीड़ितों के लिए और भी ऊंची आवाज में बोलना चाहिए।
ग़ाज़ा में शहीदों की संख्या बढ़कर 53,762 हुई
फिलिस्तीन की स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि ग़ज़ा पट्टी में शहीदों की संख्या बढ़कर 53,762 हो गई है।पिछले 24 घंटे में 107 लोग शहीद हुए और 247 लोग घायल अस्पतालों में लाए गए हैं।
फिलिस्तीन की स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि ग़ज़ा पट्टी में शहीदों की संख्या बढ़कर 53,762 हो गई है।पिछले 24 घंटे में 107 लोग शहीद हुए और 247 लोग घायल अस्पतालों में लाए गए हैं।
18 मार्च 2025 से शुरू हुई इस्राइली हमलों की नई लहर में 3,613 लोग मारे गए और 10,156 घायल हुए हैं।
7 अक्टूबर 2023 से लेकर अब तक कुल 53,762 लोग शहीद और 1,22,197 लोग घायल हो चुके हैं।कई शव अब भी मलबे और सड़कों पर पड़े हैं, जिन्हें अभी तक राहतकर्मी नहीं निकाल सके हैं।
7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा "तूफ़ान अलअक़्सा" नामक सैन्य अभियान शुरू किया गया, जिसके जवाब में इस्राइल ने ग़ाज़ा पर हमला किया।
यह युद्ध 19 जनवरी 2025 तक चला, जब हमास और इस्राइल के बीच संघर्षविराम का समझौता हुआ।लेकिन 18 मार्च 2025 को इस्राइल ने संघर्षविराम का उल्लंघन करते हुए दोबारा सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी।
कई देशों में इज़राइली राजदूतों को तलब किया गया
फ़िनलैंड के विदेश मंत्रालय ने इज़राइली सैनिकों द्वारा विदेशी राजनयिकों पर गोलीबारी के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए हेलसिंकी स्थित इस्राईली राजदूत को तलब किया है।
फ़िनलैंड की विदेश मंत्री एलीना वाल्टोनन ने गुरुवार को घोषणा की कि हेलसिंकी, इज़राइली सैनिकों द्वारा विदेशी राजनयिकों पर की गई गंभीर और शर्मनाक गोलीबारी की घटना पर स्पष्टीकरण की मांग कर रहा है।
बुधवार को, लगभग 30 देशों के राजनयिकों के एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें फ़िनलैंड के प्रतिनिधि भी शामिल थे, जब वे पश्चिमी जॉर्डन नदी के किनारे जेनिन शिविर के आसपास के क्षेत्र का दौरा कर रहे थे, तो उन पर इज़राइली सैनिकों ने गोलीबारी की।
पुर्तगाल के विदेश मंत्रालय ने भी इस हमले के विरोध में इज़राइल के राजदूत को तलब किया है।
जापान ने भी इस राजनयिक प्रतिनिधिमंडल पर इज़राइली सैनिकों की गोलीबारी के कारण टोक्यो में इज़राइली राजदूत को तलब किया है।
जापान के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इज़राइली राजदूत को यह संदेश दिया गया कि यह घटना गंभीर रूप से खेदजनक है और ऐसा नहीं होना चाहिए था।"
कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनन्द ने भी गुरुवार को घोषणा की कि वह इज़राइली सैनिकों द्वारा चार कनाडाई राजनयिकों के निकट गोलीबारी की घटना पर अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए इस्राईली राजदूत को तलब करेंगी।
इसी क्रम में, यह भी बताया गया है कि इटली ने भी रोम में इज़राइली राजदूत को तलब किया है ताकि जेनिन में हुई घटना के बारे में आधिकारिक और सटीक स्पष्टीकरण प्राप्त किया जा सके।
इससे पहले बुधवार को उरुग्वे के विदेश मंत्रालय ने भी इज़राइल के राजदूत को तलब कर उससे इस घटना के बारे में "स्पष्ट स्पष्टीकरण" देने को कहा था।
ईरानशहर में अगवा किए गए आलिमे दीन की रिहाई के लिए सक्रिय
ईरान के शहर ईरानशहर में हथियारबंद लोगों द्वारा अगवा किए गए मशहूर धार्मिक शख्सियत हुज्जतुल इस्लाम रज़ा समदी फर की रिहाई के लिए हौज़ा-ए-इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्ला अराफ़ी ने सीधे तौर पर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
ईरान के शहर ईरानशहर में हथियारबंद लोगों द्वारा अगवा किए गए मशहूर धार्मिक शख्सियत हुज्जतुल इस्लाम रज़ा समदी फ़र की रिहाई के लिए हौज़ा-ए-इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह आराफी ने सीधे तौर पर कार्रवाई शुरू कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार, आयतुल्ला आराफी को जैसे ही इस घटना की खबर मिली, उन्होंने कई सुरक्षा और प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क किया और अपहरणकर्ताओं की फौरन गिरफ्तारी और हुज्जतुल इस्लाम समदी फ़र की जल्द रिहाई की मांग की हैं।
अपने बयानों में उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा,यह आपराधिक कृत्य केवल एक व्यक्ति के अपहरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र में फूट और विवाद फैलाने की साज़िश है अपहरणकर्ताओं को तुरंत सज़ा दी जानी चाहिए ताकि क्षेत्र की शांति और एकता को नुकसान न पहुंचे।
आयतुल्ला आराफी ने इस घटना को ईरानी जनता के दुश्मनों की ओर से एक और फूट डालने की कोशिश करार दिया और कहा,ऐसे कृत्यों के माध्यम से अहले सुन्नत और अहले तशय्यु (शिया और सुन्नी) के बीच फूट डालने की कोशिश की जाती है, लेकिन सिस्तान और बलूचिस्तान के उलेमा और जनता की जागरूकता और दूरदर्शिता हमेशा इन साज़िशों को नाकाम करती आई है।
गौरतलब है कि यह घटना मंगलवार की सुबह उस समय हुई जब हुज्जतुल इस्लाम रज़ा समदी फ़र, जो ईरानशहर की हौज़ा-ए-इल्मिया अमीरुल मोमिनीन के कार्यकारी सहायक हैं, मदरसे के दरवाज़े पर मौजूद थे कि अज्ञात हथियारबंद लोगों ने उन्हें अगवा कर लिया।
हुज्जतुल इस्लाम समदी फ़र को क्षेत्र में धार्मिक, सांस्कृतिक और प्रचारात्मक कार्यों के लिए एक सक्रिय और प्रतिष्ठित शख्सियत माना जाता है, और उनका यह अपहरण क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती माना जा रहा है।
आक़ील और आलिम इंसान कभी भी अलग-अलग विचारधाराओं और फिरकों में नहीं उलझता।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा जवादी आमुली ने कहा, इब्ने सक्कीत ने इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम से अर्ज किया: या इब्ने रसूल अल्लाह! मक़ातिब, फिरके, क़ौमें, मिल्लतें और बातें बहुत ज़्यादा हैं, हम किस बात को सही समझें?इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया, सबसे पहली बात "अक़्ल" करती है; अक़्ली दलाइल इल्म और दानाई ही असली फ़ैसला करने वाले हैं।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा जवादी आमुली ने अपने एक लिखित बयान में फ़िरकों और मकातिब (विचारधाराओं) पर बात करते हुए कहा,इब्न सक्कीत ने इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की सेवा में अर्ज किया: या इब्ने रसूल अल्लाह! बहुत सारे मक़तब (विचारधाराएं) हैं, बहुत सारे फिरके हैं, क़ौमें और मिल्लतें भी अलग-अलग हैं और हर किसी की अपनी बात है, तो हम किसकी बात को सही समझें? ऐसे मौके पर सबसे पहले कौन बोलता है?
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया, सबसे पहले अक़्ल (बुद्धि) बोलती है। अक़्ली दलील (तर्क), इल्म (ज्ञान) और दानाई (समझदारी) ही हक़ (सच) को उजागर करती हैं।
हौज़ा-ए-इल्मिया को मजबूत करें ताकि अहले बैत (अ) का संदेश दुनिया के हर कोने तक पहुंचे
हौज़ा-ए-इल्मिया लखनऊ का जिक्र करते हुए मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने कहा: हौज़ा-ए-इल्मिया लखनऊ ने भी महान विद्वानों को जन्म दिया है। आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद दिलदार अली नकवी गुफरान माआब (र) और उनके परिवार के विद्वान, अल्लामा मीर हामिद हुसैन मूसवी (र) और उनके परिवार के विद्वान और अन्य महान विद्वान हौजा-ए-इल्मिया लखनऊ की दैन थे।
शाही आसिफी मस्जिद में हौज़ा-ए-इल्मिया हज़रत गुफरान मआब लखनऊ के प्रिंसिपल हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी साहब क़िबला की अगुवाई में जुमे की नमाज़ अदा की गई। मौलाना सय्यद रज़ा हैदर जैदी ने हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के 100 साल पूरे होने का ज़िक्र करते हुए कहा: आयतुल्लाहिल उज़्मा शेख अब्दुल करीम हाएरी (र) द्वारा स्थापित हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के 100 साल पूरे होने पर ईरान में एक भव्य सेमिनार आयोजित किया गया था। जिसमें कई देशों के विद्वानों और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। भारत से हम मौलाना सय्यद कल्बे जवाद साहब क़िबला, मौलाना सय्यद सफ़ी हैदर साहब (तंज़ीमुल मकातिब लखनऊ के सचिव) और श्रीमति रबाब ज़ैदी (जामेअतुज ज़हरा मुफ़्तीगंज लखनऊ की प्रिंसिपल) ने भाग लिया। यह सेमिनार हौज़ा े इल्मिया क़ुम के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी दाम ज़िल्लाह के नेतृत्व में आयोजित किया गया।
हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के घोषणापत्र का ज़िक्र करते हुए मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने कहा: आयतुल्लाह आराफ़ी ने सेमिनार में एक घंटे और 15 मिनट का भाषण दिया, जिसमें उन्होंने इस्लामी क्रांति के महान नेता अयातुल्ला सैय्यद अली हुसैनी ख़ामेनेई (द ज) का संदेश पढ़ा। मशहद के पवित्र शहर की ज़ियारत के दौरान इमाम अली रजा (अ) की पवित्र दरगाह के संरक्षक ने कहा कि इस संदेश को लिखने के लिए, सर्वोच्च नेता ने एक सप्ताह के लिए सभी बैठकें रद्द कर दी थीं। यह एक बहुत ही महान घोषणापत्र है, इसमें महत्वपूर्ण संदेश और बिंदु हैं। इस घोषणापत्र का अध्ययन और चर्चा की जानी चाहिए।
हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की सेवाओं का उल्लेख करते हुए मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने कहा: हौज़ा ए इल्मिया कुम ने इमाम खुमैनी कुद्स-सरा और शहीद मुताहरी (र) जैसे महान विद्वानों को जन्म दिया।
लखनऊ हौज़ा ए इल्मिया का उल्लेख करते हुए मौलाना सैयद रजा हैदर जैदी ने कहा: लखनऊ के हौज़ा ए इल्मिया ने भी महान विद्वानों को जन्म दिया। आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद दिलदार अली नकवी (र) और उनके परिवार के विद्वान, अल्लामा मीर हामिद हुसैन मूसावी (र) और उनके परिवार के विद्वान और हौज़ा इल्मिया लखनऊ के अन्य महान विद्वान।
इमाम हुसैन (अ) के लिए अज़ादारी के महत्व और इस संबंध में आयतुल्लाहिल उज़्मा शेख अब्दुल करीम हाएरी (र) की स्थिति का उल्लेख करते हुए, मौलाना सैयद रजा हैदर जैदी ने कहा: जब आयतुल्लाहिल उज़्मा शेख अब्दुल करीम हाएरी (र) ने हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की स्थापना की, तो ईरान के शाह ने कहा कि उन्होंने हाएरी को छोड़कर सभी को नियंत्रित कर लिया है। शाह ने इमाम हुसैन (अ) की अज़ादारी पर प्रतिबंध लगा दिया और कहा कि कोई जुलूस नहीं निकाला जा सकता है और कोई मजलिस नहीं की जा सकती है। सभी मोमिन चिंतित थे। एक साधारण मोमिन आयतुल्लाहिल उज़्मा शेख अब्दुल करीम हाएरी (र) के पास आया और पूछा:आयतुल्लाह ने कहा: "अज़ादारी मुस्तहब है, राजा ने मुस्तहब पर प्रतिबंध लगा दिया है, वाजिब पर नहीं।"
मौलाना सय्यद रजा हैदर जैदी ने कहा: "हां, यह मुस्तहब है, लेकिन यह ऐसा मुस्तहब है कि सभी वाजिब काम इसकी गोद में शरण ले चुके हैं। नमाज, रोजा, हज और जकात सभी मातम से जिंदा हैं।" आयतुल्लाहिल उज्मा शेख अब्दुल करीम हाएरी (र) की दूरदर्शिता का जिक्र करते हुए मौलाना सय्यद रजा हैदर जैदी ने कहा: आयतुल्लाहिल उज़्मा शेख अब्दुल करीम हाएरी (र) ने उस समय कुछ छात्रों को अंग्रेजी सीखने के लिए नियुक्त किया क्योंकि वह जानते थे कि आने वाले युग की भाषा क्या होगी। मदरसों और धार्मिक स्कूलों के सुदृढ़ीकरण और विकास की ओर विश्वासियों का ध्यान आकर्षित करते हुए मौलाना सैयद रजा हैदर जैदी ने कहा: "मैंने क़ुम के मदरसे को देखा और फिर मुझे लखनऊ के अपने मदरसे का ख्याल आया, और मुझे दुख हुआ। यह कितना बढ़िया मदरसा है। इसमें बहुत से लोगों की गलतियां हैं, हमारी भी गलतियां हैं, और आपकी भी गलतियां हैं, जिन्होंने मदरसे को कमजोर कर दिया है।" जिनके पास पैसा है, जिन पर ख़ुम्स और ज़कात फ़र्ज़ है, जो दान देते हैं, अल्लाह ने उन्हें बहुत कामयाबी दी है। उन्हें मदरसों में जाना चाहिए, मैं ये नहीं कह रहा कि आप प्रबंधकों और अधिकारियों को पैसा दें, बल्कि जाकर मदरसों और छात्रों की हालत देखें। ये मदरसे नहीं हैं, ये मेडिकल कॉलेज हैं, यहाँ आलिमों को प्रशिक्षित किया जाता है, जैसे मेडिकल कॉलेज होंगे, वैसे ही डॉक्टर होंगे, जैसे आलिम होंगे, वैसे ही आपके मदरसे होंगे।
आखिर में मौलाना सैयद रज़ा हैदर ज़ैदी ने कहा: मदरसों को मज़बूत करें, अगर मदरसे मज़बूत होंगे, तो बड़े-बड़े आलिम निकलेंगे जो आपके दीन की रक्षा करेंगे, ज़ालिम से लड़ेंगे, आज जो हो रहा है वो आक्रमण है, बौद्धिक हमले हैं, सांस्कृतिक हमले हैं, इन्हें रोकने और इनसे लड़ने वाला कोई और नहीं है, ये छात्र और आलिम हैं। अगर मदरसे मज़बूत होंगे, इल्म के लिहाज़ से मज़बूत होंगे, तो अहले बैत (अ.स.) का पैगाम दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचेगा।