رضوی

رضوی

बहुत बार ऐसा होता है कि लोग यह नहीं जानते कि वे अपराध कर रहे हैं, इसलिए धार्मिक स्कूलों और मस्जिदों में सांस्कृतिक काम अपराध को रोकने में मदद कर सकते हैं।

हज़रत आयतुल्लाह मक़ारिम शिराज़ी ने धर्मगुरूओ के विशेष न्यायालय के प्रमुख से मुलाकात में कहा कि इस न्यायालय की गतिविधियाँ धर्मगुरूओ के लिए फायदेमंद हैं। उन्होंने कहा कि इस न्यायालय की स्थापना का विचार इमाम ख़ुमैनी (र) का एक बड़ा सम्मान है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस न्यायालय में मुकदमों की संख्या कम है, लेकिन शाखाओं को बढ़ाने में सावधानी रखनी चाहिए ताकि काम में लापरवाही न हो और मुकदमों की सुनवाई प्रभावित न हो। न्यायालय के फैसले लागू होने चाहिए, वरना इसका असर कम हो जाएगा।

उन्होंने यह भी बताया कि धार्मिक छात्रों (तलबा) के लिए सांस्कृतिक गतिविधियाँ करने से उनके बीच अपराध कम होता है, क्योंकि कभी-कभी लोग यह नहीं जानते कि वे अपराध कर रहे हैं। इसलिए धार्मिक स्कूलों और मस्जिदों में सांस्कृतिक काम अपराध को रोकने में मददगार होते हैं।

आखिर में उन्होंने कहा कि कुछ धार्मिक छात्र आर्थिक कामों में लगे रहते हैं, जिससे वे धार्मिक शिक्षा के माहौल से दूर हो जाते हैं।

यूक्रेन पर अमेरिकी मुख्य वार्ताकार की अंतिम योजना में रूस को बड़े क्षेत्र सौंपना और कीव को सुरक्षा गैरेंटी न देना शामिल है, यह एक ऐसी योजना है जिसे यूक्रेन के लिए पचा पाना निश्चित रूप से कठिन होगा।

यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की योजना पर संघर्ष जारी है जबकि रूस ने युद्ध के मैदान में प्रमुख फ़ौजी फ़ायदा हासिल कर लिया है और यूक्रेन अपनी बार-बार की मांगों और दावों को दोहराने के लिए संघर्ष कर रहा है जो वाशिंगटन को ज़्यादा पसंद ही नहीं हैं।

वाशिंगटन पोस्ट अखबार ने यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने की अमेरिकी सरकार की योजना का ज़िक्र करते हुए लिखा:

यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत स्टीव वेटकॉफ की योजना पेरिस में यूरोपीय अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की गई, और इन योजनाओं में यूक्रेन के कई क्षेत्रों को रूस को देने के साथ-साथ यूक्रेन के लिए सुरक्षा गैरेंटी की कमी भी शामिल है।

वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, वेटकॉफ़ ने यूरोपीय और यूक्रेनी अधिकारियों को उस रूपरेखा के बारे में जानकारी दी है जिसे उन्होंने रूसी राष्ट्रपति के साथ अपनी बैठक के दौरान रेखांकित किया था लेकिन इसमें कई यूक्रेनी क्षेत्रों का रूस को देने और यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी का अभाव शामिल है, जिसे यूक्रेन और यूरोपीय अधिकारियों ने अस्वीकार कर दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार, वेटकॉफ की वर्तमान योजना यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के लिए पचाना कठिन होगा क्योंकि इसमें संभवतः अमेरिका से सहायता और सुरक्षा गैरेंटी शामिल नहीं होगी, जिससे यूक्रेन को यूरोपीय सहायता पर अकेला छोड़ दिया जाएगा।

वाशिंगटन पोस्ट ने रूसी सैन्य शक्ति के प्रति यूरोपीय अधिकारियों की आशंकाओं की ओर भी इशारा किया है तथा उन्हीं अधिकारियों के हवाले से लिखा है: यूरोपीय अधिकारियों ने कहा है कि अमेरिकी मदद के बिना, उनकी सैन्य और खुफिया सहायता यूक्रेन की रक्षा के लिए पर्याप्त नहीं होगी क्योंकि यूरोपीय लोगों के पास रूसी हमलों को रोकने के लिए पर्याप्त बल या आधुनिक हथियार नहीं हैं।

राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में कहा है कि यदि शीघ्र ही महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई तो अमेरिका, रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता के प्रयासों को छोड़ सकता है।

रूस ने कहा है कि स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए यूक्रेन को अपने क्षेत्रीय दावों को छोड़ना होगा तथा रूस नियंत्रित क्षेत्रों के कुछ हिस्सों से अपनी सेनाएं वापस बुलानी होंगी।

मास्को ने कहा है कि किसी भी भावी समझौते में रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के "मूल कारणों" को संबोधित किया जाना चाहिए। क्रेमलिन युद्ध शुरू होने के मुख्य कारणों के रूप में नैटो के पूर्व की ओर विस्तार और गठबंधन में शामिल होने की यूक्रेन की योजना की ओर इशारा करता है। 

 यमन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि सना के दक्षिण में स्थित एक बाज़ार पर अमेरिकी हवाई हमले में कम से कम 12 लोग शहीद हो गए हैं।

अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने रविवार शाम को यमन के विभिन्न इलाकों समेत सना के दक्षिण और पूर्वी प्रांत मारिब पर बमबारी की। 

यमन के आंतरिक मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी आक्रमण और सना के शुऐब इलाके में फुरोह बाज़ार पर बमबारी के नतीजे में कम से कम 12 लोग शहीद और 30 अन्य घायल हुए हैं। 

यमनी सूत्रों ने सना के दक्षिण में फुरोह इलाके में आवासीय इमारतों और बाज़ार पर अमेरिकी हवाई हमलों की वीडियो जारी की हैं। यमन के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बचाव दल अभी भी संभावित रूप से मलबे में दबे लोगों को ढूंढने और बचाने की कोशिशों में लगे हुए हैं। 

इसी बीच अलजजीरा नेटवर्क ने अमेरिकी सेना के सादा प्रांत के हरफ सुफियान और सहार इलाकों में ताज़ा हमलों की जानकारी दी है।

सोमवार, 21 अप्रैल 2025 17:09

पोप फ्रांसिस का निधन

वेटिकन ने घोषणा की है कि कैथोलिक चर्च के नेता पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है।

कैथोलिक चर्च के नेता पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में रोम स्थित उनके निवास कासा सांता मार्टा में निधन हो गया, वेटिकन ने बुधवार को यह घोषणा की। पोप फ्रांसिस, जिनका वास्तविक नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो है, 2013 से 266वें पोप के रूप में कार्यरत हैं।

वह अमेरिका से आने वाले पहले पोप, जेसुइट संप्रदाय के पहले सदस्य और 8वीं सदी में पोप ग्रेगरी तृतीय के बाद पहले गैर-यूरोपीय पोप थे।

बर्गोग्लियो का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में एक इतालवी मूल के परिवार में हुआ था। पोप बनने से पहले, वे 1998 से ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप थे और 2001 में पोप जॉन पॉल द्वितीय द्वारा उन्हें कार्डिनल बनाया गया था। पोप फ्रांसिस अपनी सादगी, सामाजिक न्याय पर जोर और गरीबों के प्रति समर्थन के लिए जाने जाते थे। पोप पैलेस में रहने के बजाय, वे वेटिकन में एक साधारण घर में रहते थे और अक्सर सार्वजनिक परिवहन द्वारा अर्जेंटीना की यात्रा करते थे।

पोप फ्रांसिस को चर्च में नैतिक घोटालों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है और 2019 में उन्होंने पादरियों द्वारा यौन शोषण के मुद्दे पर चर्चा के लिए एक वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित किया था। उन्होंने 2023 में पोप बेनेडिक्ट XVI के अंतिम संस्कार का नेतृत्व किया और अपने पूर्ववर्ती के लिए ऐसा समारोह आयोजित करने वाले वे पहले पोप बन गए।

 डॉ. ख़ुर्शीद अहमद (र) उन बड़ी शख़्सियतों में से थे जिन्होंने इस्लामी आर्थिक चिंतन और राजनीतिक सिद्धांतों के विकास और उन्नति के लिए सकारात्मक और प्रभावशाली कदम उठाए। उन्होंने इस क्षेत्र में कई मूल्यवान और महत्वपूर्ण कृतियाँ छोड़ी हैं।

प्रसिद्ध विद्वान, इस्लामी अर्थशास्त्र और राजनीति तथा दर्शनशास्त्र के महान शिक्षक प्रोफ़ेसर खुर्शीद अहमद के निधन पर,  मैंइस दुखद घटना पर पूरी इस्लामी दुनिया की धार्मिक और सांस्कृतिक बिरादरी को, खास तौर पर पाकिस्तान के विद्वानों, बुद्धिजीवियों और मुसलमानों को अपनी संवेदनाएं और शोक प्रकट करता हूँ।

डॉ. ख़ुर्शीद अहमद (र) उन बड़ी शख़्सियतों में से थे जिन्होंने इस्लामी आर्थिक चिंतन और राजनीतिक सिद्धांतों के विकास और उन्नति के लिए सकारात्मक और प्रभावशाली कदम उठाए। उन्होंने इस क्षेत्र में कई मूल्यवान और महत्वपूर्ण कृतियाँ छोड़ी हैं।

विद्वानों, धार्मिक संस्थानों, और इस्लामी शिक्षा के केंद्र इस सम्मानित शिक्षक की सेवाओं के प्रति कृतज्ञ हैं। मैं अल्लाह तआला से उनके लिए रहमते इलाही और उनके परिवारजनों को धैर्य देने की प्रार्थना करता हूँ।

अली रज़ा आराफ़ी

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि चीन ने यमन के अंसारुल्लाह के सैटैलाइट तस्वीरों का समर्थन बंद करने के वाशिंगटन सरकार के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है जिनके बारे में वाशिंगटन का दावा है कि उनका उपयोग लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है।

वाशिंगटन पोस्ट अखबार ने लिखा है: अमेरिकी विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि सैटेलाइट टेक्नालाजी कंपनी "चांगगुआन" सीधे तौर पर अंसारुल्लाह के अमेरिका के खिलाफ हमलों का समर्थन करती है।

वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा बीजिंग से इस गुप्त दृष्टिकोण को रोकने के लिए बार-बार अनुरोध करने के बावजूद,  कंपनी को समर्थन जारी रहा, जबकि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इसे जहाजों पर जारी मिसाइल हमलों से सीधे तौर पर जोड़ा था।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा: यह तथ्य कि उपग्रह टेक्नालाजी कंपनी चांगगुआंग, अंसारुल्लाह के अमेरिका के खिलाफ हमलों का समर्थन कर रही है, अस्वीकार्य है, और वाशिंगटन अपने साझेदारों से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी कंपनियों का उनके कार्यों के आधार पर मूल्यांकन करने का आह्वान करता है।

ब्रूस ने कहा: वाशिंगटन की निजी बातचीत के बाद भी,  सैटेलाइट टेक्नालाजी कंपनी चांगगुआंग को बीजिंग का समर्थन, शांति का समर्थन करने के चीन के बेतुके दावों का एक और उदाहरण है।

इस बीच, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, चीन क्षेत्रीय शांति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता है और उसे यमन के अंसारुल्लाह को चीनी कंपनी के समर्थन के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

लिन जियान ने ज़ोर दिया: चूंकि लाल सागर में स्थिति बिगड़ गई है, चीन ने तनाव कम करने में सकारात्मक भूमिका निभाई है, बीजिंग शांति को बढ़ावा दे रहा है जबकि अमेरिका प्रतिबंधों और अन्य दबावों के माध्यम से तनाव बढ़ा रहा है।

चीन संबंधित देशों से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए अनुकूल कार्य करने का आग्रह करता है।

यूक्रेन और उत्तरी कोरिया में रूस के युद्ध के लिए चीन के समर्थन के आरोपों का उल्लेख करते हुए, अमेरिकी विदेशमंत्रालय ने कहा: चीन लगातार खुद को वैश्विक शांति स्थापित करने वाले के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है।

ईरान के विदेश मंत्री ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष के साथ टेलीफोनिक वार्ता में द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा की है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने टेलीफोनिक वार्ता में द्विपक्षीय संबंधों, अफगानिस्तान की स्थिति और क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। 

रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों विदेश मंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों की नवीनतम स्थिति की समीक्षा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि ईरान और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी और भाईचारे वाले इस्लामी देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए उच्च स्तर पर परामर्श की प्रक्रिया जारी रखी जाएगी। 

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्री डॉ. अब्बास अराकची ने इस अवसर पर अपने पाकिस्तानी समकक्ष मिस्टर इसहाक दार को ईरान और अमेरिका के बीच चल रहे अप्रत्यक्ष वार्ता की प्रगति से भी अवगत कराया दोनों मंत्रियों ने अफगानिस्तान और क्षेत्र के अन्य देशों के संबंध में भी विचार-विमर्श किया।

अमेरिकी व्यापार संरक्षणवाद में तेज वृद्धि से अरब अर्थव्यवस्थायें भारी दबाव में है, जिससे 22 अरब अमेरिकी डॉलर के गैर-तेल निर्यात को खतरा है।

अमेरिकी व्यापार संरक्षणवाद में तेज वृद्धि से अरब अर्थव्यवस्थायें भारी दबाव में है, जिससे 22 अरब अमेरिकी डॉलर के गैर-तेल निर्यात को खतरा है।पश्चिमी एशिया के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीडब्ल्यूए) द्वारा शनिवार को जारी नीति विवरण में यह बात कही गयी हैं।

इस मामलें में जॉर्डन सबसे कमजोर के रूप में उभरा है, जिसके कुल निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा अमेरिका को जाता है। बहरीन भी अमेरिकी बाजार में एल्यूमीनियम और रासायनिक निर्यात पर अपनी भारी निर्भरता के कारण निशाने पर है।

विवरण में कहा गया, इस बीच, संयुक्त अरब अमीरात को अमेरिका में होने वाले लगभग 10 अरब डॉलर के पुनर्निर्यात में व्यवधान देखने को मिल सकता है, जो तीसरे देशों में मूल रूप से उत्पादित वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ का परिणाम है।ईएससीडब्ल्यूए विवरण में खाड़ी सहयोग परिषद अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ते वित्तीय तनाव की भी चेतावनी दी गई है, जो वैश्विक तेल की कीमतों में तेज गिरावट से जूझ रहे हैं।

गैर जीसीसी देशों के लिए आगे भी वित्तीय चुनौतियाँ हैं। ईएससीडब्ल्यूए का अनुमान है कि मिस्र, मोरक्को, जॉर्डन और ट्यूनीशिया को 2025 में सामूहिक रूप से अतिरिक्त 11 करोड़ 40 लाख डॉलर के सॉवरेन ब्याज भुगतान का सामना करना पड़ेगा।

ग़ाज़ा के चिकित्सा सूत्रों ने जानकारी दी है कि इज़राइल के हमलों में रविवार सुबह से अब तक कम से कम 31 फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।

ग़ाज़ा के चिकित्सा और अस्पताल सूत्रों ने पुष्टि की है कि रविवार सुबह से शाम तक इस्राइली सेना के विभिन्न इलाक़ों पर हमलों में कम से कम 31 फ़िलिस्तीनी नागरिक शहीद हो चुके हैं।

इसी दौरान, मानवाधिकार संगठन "नारविक" के डायरेक्टर ने अलजज़ीरा को इंटरव्यू में बताया कि "इस्राइल ने ग़ाज़ा के ज़्यादातर अस्पतालों को निशाना बनाया है।उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, "हम लगातार डर के माहौल में जी रहे हैं, और ख़ान यूनुस के यूरोपीय अस्पताल के बाहर कोई सुरक्षा नहीं है।

ग़ाज़ा की स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया था कि पिछले 24 घंटों में 189 फ़िलिस्तीनी या तो शहीद हुए हैं या घायल हुए हैं। इस नरसंहार जैसी जंग में अब तक कुल 51,201 लोग शहीद हो चुके हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 18 मार्च 2025 से अब तक ग़ज़ा में शहीदों की संख्या 1,827 और घायलों की संख्या 4,828 हो गई है।ये ताज़ा आंकड़े दिखाते हैं कि ग़ाज़ा में मानवीय संकट दिन-ब-दिन और गंभीर होता जा रहा है, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से तुरंत कार्रवाई की ज़रूरत है।

जामिया अलमुस्तफा अलआलमिया खुरासान के प्रमुख प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रूहुल्लाह सईदी फाज़िल ने मशहद में छात्रों और धार्मिक विद्वानों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमास और हिज़्बुल्लाह न केवल बचे हुए हैं, बल्कि पहले से अधिक शक्तिशाली हो गए हैं।

जामिया अलमुस्तफा अलआलमिया खुरासान के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रूहुल्लाह सईदी फाज़िल ने मशहद में छात्रों और धार्मिक विद्वानों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमास और हिज़्बुल्लाह न केवल बचे हुए हैं बल्कि पहले से ज़्यादा ताकतवर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि गाजा और लेबनान की तबाही को युद्ध का मैदान समझना गलत है, असली मैदान ईमान और कुफ्र के बीच सभ्यतागत संघर्ष का है। 

उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई के उस बयान का हवाला दिया जिसमें मौजूदा युद्ध को "अस्तित्व का युद्ध" बताया गया था, यानी ऐसा युद्ध जिसमें एक पक्ष का पूरी तरह खात्मा ज़रूरी है। 

हुज्जतुल इस्लाम सईदी फाज़िल ने दुश्मन की पांच बड़ी साजिशों की ओर इशारा किया: गाजा को तबाह करना, हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करने की कोशिश,ईरान पर बातचीत के लिए दबाव,सीरिया और यमन को कमज़ोर करना,इस्लामी प्रतिरोध को बेअसर दिखाना 

उन्होंने तीन खतरनाक बौद्धिक हथियारों की भी पहचान की,अर्जाफ़ (अफवाहें और डर फैलाना)साजिश (समझौते की कोशिश)तव्वीक़ (कार्रवाई में देरी)

उनके मुताबिक, ये तत्व इस्लामी उम्मत के भीतर से प्रतिरोध को कमज़ोर करते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रतिरोध सिर्फ सैन्य नहीं बल्कि बौद्धिक और प्रचार के मैदान में भी होना चाहिए। उन्होंने धार्मिक विद्वानों, छात्रों और मीडिया से इस मोर्चे पर सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।