رضوی
दुश्मन दीन को समाज से दूर करने की भरपूर कोशिश कर रहा है
सनंदज के अहले-सुन्नत इमामे-जुमा ने कहा: “आज इस्लामी समाज का मार्गदर्शन, विद्वानोऔर दीनी बुजुर्गों की ज़िम्मेदारी है क्योंकि दुश्मन दीन को समाज से दूर करने की भरपूर कोशिश कर रहा है।”
ईरान के शहर सनंदज के अहले-सुन्नत इमामे-जुमा मौलवी सय्यद अहसन हुसैनी ने कहा: “दिनी महाफ़िल समाज के लिए बरकत का कारण हैं और उनका तस्सल्सुल समाजी बुराइयों में कमी और मुनकरात से दूरी का असरअंदाज़ ज़रिया बन सकता है।”
उन्होंने कहा: “उलेमा को चाहिए कि मुख़लिस हुकूमती ज़िम्मेदारों के साथ ज़्यादा सहयोग करें ताकि वो दीन और जनता की बेहतर सेवा कर सकें।”
मौलवी हुसैनी ने कहा: “आज इस्लामी समाज का मार्गदर्शन, विद्वानो और दीनी बुज़ुर्गों की ज़िम्मेदारी है, क्योंकि दुश्मन दीन को समाज से दूर करने की भरपूर कोशिश कर रहा है।”
उन्होंने समाज के मार्गदर्शन में उलेमा और रुहानियत के किरदार पर प्रकाश डालते हुए कहा: “मौजूदा हालात में विद्वानो को आपसी सहानुभूति और सहयोग के माध्यम से वहदत व मआनवियात का पैग़ाम फैलाना चाहिए, और जम्हूरिया इस्लामी ईरान के मुख़लिस ज़िम्मेदारान के साथ मिलकर मुल्क़ की दीनी और सकाफ़ती तरक़्क़ी के लिए कोशिश करनी चाहिए।”
दुश्मन के मीडिया पर कब्जे और प्रभाव को समाप्त करना वर्तमान दौर की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अलीज़ादेह मूसवी ने कहा कि आज के दौर में दुश्मन ने सूचना और मीडिया पर प्रभुत्व स्थापित कर रखा है इस मीडिया निर्भरता को तोड़ना और इस्लामिक केंद्रों को मीडिया की दुनिया में प्रभावी बनाना समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
बांग्लादेश के वली ए फकीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अलीज़ादेह मूसवी ने मंगलवार 21 अक्टूबर 2025 को हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के विभिन्न विभागों का विस्तृत दौरा किया।
इस अवसर पर एजेंसी के अधिकारियों और प्रबंधकों ने उन्हें न्यूज़ एजेंसी की गतिविधियों, परियोजनाओं और विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय विभाग की प्रगति से अवगत कराया।
बाद में, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अलीज़ादेह मूसवी ने हौज़ा ए इल्मिया ईरान के मीडिया और साइबर स्पेस सेंटर के प्रमुख और हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के प्रबंधक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रज़ा रूस्तमी से मुलाकात की, जिसमें मीडिया सहयोग को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श किया गया।
उन्होंने हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि आज के दौर में सटीक और समय पर सूचना देना एक धार्मिक और सामाजिक आवश्यकता है। उनके अनुसार, दुश्मन के मीडिया वर्चस्व को तोड़ना और हौज़ा न्यूज़ को खबरों के वास्तविक केंद्र के रूप में स्थापित करना और उसे इस उच्च स्तर तक पहुंचाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रतिनिधि वली फकीह ने आगे कहा कि आज का युवा धार्मिक शिक्षण संस्थानों की विद्वतापूर्ण और बौद्धिक विरासत से पूरी तरह अवगत नहीं है। इसलिए यह आवश्यक है कि धार्मिक स्कूलों और विद्वानों की सेवाओं को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप प्रस्तुत किया जाए, ताकि यह संदेश युवा पीढ़ी तक प्रभावी ढंग से पहुंच सके।
गज़्ज़ा में बीस हज़ार से अधिक छात्र और एक हज़ार से ज़्यादा अध्यापक शहीद
फिलिस्तीनी शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि 7 अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इसराइली आक्रमण के नतीजे में अब तक 20,058 छात्र शहीद और 31,139 घायल हो चुके हैं, जबकि 1,037 शिक्षक और शैक्षिक कर्मचारी भी शहादत प्राप्त कर चुके हैं।
फिलिस्तीनी शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि 7 अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इसराइली आक्रमण के नतीजे में अब तक 20,058 छात्र शहीद और 31,139 घायल हो चुके हैं, जबकि 1,037 शिक्षक और शैक्षिक कर्मचारी भी शहादत प्राप्त कर चुके हैं।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, शहीद हुए छात्रों में से 19,910 गाजा पट्टी के हैं, जबकि 148 छात्र वेस्ट बैंक में शहीद हुए। इसके अलावा, गाजा में 30,097 छात्र घायल और वेस्ट बैंक में 1,042 छात्र घायल हुए, जबकि 846 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है।
शिक्षा मंत्रालय ने आगे बताया कि अब तक 179 सरकारी स्कूल गाजा में पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं, 63 यूनिवर्सिटी इमारतें मलबे का ढेर बन गईं, जबकि 118 सरकारी और 100 से ज़्यादा UNRWA स्कूल भी इसराइली बमबारी की जद में आए। इन हमलों के कारण 30 से ज़्यादा स्कूल अपने छात्रों और शिक्षकों समेत पूरी तरह से नष्ट हो गए।
बयान में यह भी कहा गया कि वेस्ट बैंक में इसराइली सेना ने याता में उमैरा प्राइमरी स्कूल और तुबास में अल-अकबा स्कूल को ध्वस्त कर दिया, जबकि 8 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर कई बार हमले और तबाही की घटनाएं पेश आई हैं।
फिलस्तीनी शिक्षा मंत्रालय ने वैश्विक समुदाय से अपील की है कि वह इसराइली आक्रमण को रोकने और फिलस्तीनी शैक्षिक प्रणाली को पूरी तबाही से बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए।
क्रांतिकारी गार्ड और यमनी सेना के बीच रणनीतिक सहयोग बढ़ाने की घोषणा
मेजर जनरल मोहम्मद पाकपुर ने यमनी चीफ ऑफ स्टाफ को अपने संवेदना संदेश में कहा कि ईरान क्षेत्र में सामान्य खतरों का मुकाबला करने और फिलिस्तीन व गाजा का समर्थन जारी रखने के लिए यमनी सेना के साथ सहयोग को और गहरा करने के लिए तैयार है।
इंकेलाब गार्ड कमांडर मेजर जनरल मोहम्मद पाकपुर ने यमनी सेना के साथ रणनीतिक सहयोग को और गहरा करने की इच्छा व्यक्त की है, ताकि वैश्विक साम्राज्यवाद का मुकाबला किया जा सके और फिलिस्तीन व गाज़ा का समर्थन जारी रखा जा सके।
यह संदेश उन्होंने यमनी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ ब्रिगेडियर जनरल यूसुफ हसन अल-मदानी को जनरल मोहम्मद अब्दुल करीम अल-गमारी की शहादत पर संवेदना व्यक्त करने के अवसर पर भेजा।
जनरल पाकपुर ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी कुर्बानियाँ वैश्विक साम्राज्यवाद और अंतर्राष्ट्रीय ज़ायोनिज़्म के खिलाफ प्रतिरोध की भावना को मजबूत करती हैं।
उन्होंने इस्लामी गणराज्य ईरान की ओर से यमनी सेना के साथ रणनीतिक सहयोग बढ़ाने की पूरी तत्परता दोहराई।
जनरल पाकपुर ने अपने संदेश में कहा कि जनरल अल-गमारी की शहादत यमन के दृढ़ और बहादुर लोगों के जज्बे को और मजबूत करेगी और वे क्षेत्र के दुश्मनों के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा कि यमन का संघर्ष फिलिस्तीन और गाजा के मजलूम लोगों के समर्थन के साथ क्षेत्र में जारी प्रतिरोध और न्याय की लहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
क़ुम में विशेष पाठ्यक्रम "तरबियत ए मुबल्लेग़ीन ए नहजुल बलाग़ा" का शुभ आरम्भ
विशेष पाठयक्रम “तरबियत-ए-मुबल्लिग़-ए-नह्ज़ुल-बलाग़ा” का उद्घाटन समारोह ईरान के शहर क़ुम में फुज़ला, तुल्लाब और नह्ज़ुल-बलाग़ा के शाएकीन की मौजूदगी में आयोजित हुआ।
विशेष पाठयक्रम “तरबियत-ए-मुबल्लिग़-ए-नह्ज़ुल-बलाग़ा” का उद्घाटन समारोह ईरान के शहर क़ुम में फुज़ला, तुल्लाब और नह्ज़ुल-बलाग़ा के शाएकीन की मौजूदगी में आयोजित हुआ।
इस पाठयक्रम का आयोजन दफ़्तर-ए-तब्लिग़ात-ए-इस्लामी की ओर से किया गया है, जिसका मक़सद नह्ज़ुल-बलाग़ा के मुबल्लेग़ीन और मुदर्रिसीन का प्रशिक्षण है।
रिपोर्ट के अनुसार यह पहल सुप्रीम लीडर की उस तक़ीद के पेश-ए-नज़र किया गई है जिसमें उन्होंने इस क़ीमती इस्लामी सरमाया यानी नह्ज़ुल-बलाग़ा पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था।
समारोह के शुरूआत में दफ़्तर-ए-तब्लिग़ात-ए-इस्लामी के मरकज़-ए-अमली तर्बियत के प्रमुख मुहम्मद अली सुलैमानी ने हाज़िरीन का स्वागत करते हुए इस कोर्स की पृष्ठभूमि और लाभ की वज़ाहत की।
उन्होंने कहा: सुप्रीम लीडर की हिदायत के बाद दफ़्तर-ए-तब्लिग़ात-ए-इस्लामी के सांस्कृतिक एवं प्रचारक सरपरस्त की ओर से हिदायत वसूल होने पर माहेरीन और मुम्ताज़ शिक्षको से परामर्श करके इस कोर्स का इल्मी मनसूबा तैयार किया गया।
मुहम्मद अली सुलैमानी ने मजीद कहा: इस कोर्स के ऐलान के बाद ग़ैर-मामूली दिलचस्पी देखी गई, दो सौ से ज़्यादा लोगो ने प्रारम्भिक रूप से रजिस्ट्रेशन कराया जिनमें अस्सी अफ़राद शहर क़ुम से और बाकी दुसरे शहरों से थे। तख़स्सुसी इंटरव्यूज़ के बाद इकतालिस लोगो को हत्मी तौर पर मुन्तख़िब किया गया।
उन्होंने इस कोर्स की वज़ाहत करते हुए कहा: यह क्लासें हफ़्ते में तीन दिन शाम तीन से सात बजे तक मुनअक़िद होंगी और मजमुई तौर पर अठावन दरसी नशिस्तों पर मुश्तमिल होंगी जो एक सौ सोलह तालीमी घंटों के बराबर हैं। इस कोर्स की नमायाँ ख़ुसूसियात में मावज़ूई तनोअ, नह्ज़ुल-बलाग़ा के दक़ीक़ मुताला और इसके मुबाहिस को मौजूदा दौर के मावज़ूआत जैसे मुक़ावमत, सब्र और अस्र-ए-हाज़िर के चैलेंजों से जोड़ने की कोशिश शामिल है।
इस्लाम शांति और सहिष्णुता का धर्म है।श़ेख अबू जाफर ईसा एम्बाकी
अफ्रीकी देश कॉन्गो की राजधानी किंशासा में शिया समुदाय की निरंतर कोशिशों से एक महान अंतरधार्मिक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसका विषय धर्मों के बीच एकता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व था।
अफ्रीकी देश कॉन्गो की राजधानी किंशासा में शिया समुदाय की निरंतर कोशिशों से एक महान अंतरधार्मिक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसका विषय धर्मों के बीच एकता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व था।
यह सम्मेलन शिया मुस्लिम काउंसिल कॉन्गो किंशासा के तत्वावधान में मस्जिद अररसूल में आयोजित किया गया जिसमें विद्वानों, विभिन्न धार्मिक नेताओं, चर्च के पादरियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया इस कार्यक्रम को स्थानीय और क्षेत्रीय मीडिया में भी असाधारण स्वीकृति मिली।
सम्मेलन में ईरान, पाकिस्तान, सूडान, मिस्र के राजदूतों, कॉन्गो की राष्ट्रीय असेंबली के कुछ सदस्यों और संघीय कैबिनेट के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
इस अवसर पर शिया मुस्लिम काउंसिल कॉन्गो के अध्यक्ष शेख अबू जाफर ईसा एम्बाकी ने अपने संबोधन में कहा कि इस्लाम दया, प्रेम और क्षमा का धर्म है, और इसके अनुयायियों का कर्तव्य है कि वे अन्य धर्मों के साथ शांति और सम्मान के साथ रहें। उन्होंने बताया कि पिछले दस वर्षों में शिया काउंसिल ने धार्मिक और सामाजिक स्तर पर उल्लेखनीय सफलताएं हासिल की हैं।
उल्लेखनीय है कि शिया मुस्लिम काउंसिल कॉन्गो किंशासा की स्थापना फरवरी 2015 में हुई थी, जिसमें 20 सदस्य हैं। यह संस्था राजधानी किंशासा में कई मस्जिदों और सांस्कृतिक केंद्रों का प्रबंधन संभालती है, जहाँ 800 से अधिक शिया लोग सीधे और 3 हजार से अधिक लोग अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हुए हैं।
इसराइली सरकार का चेहरा अब दुनिया के सामने ज़ाहिर हो चुका है
जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम की कार्यकारी परिषद के सदस्य ने कहा: “जम्हूरिया इस्लामी ईरान प्रतिरोधी मोर्चे का केंद्र और धुरि है।”
जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम की कार्यकारी परिषद के सदस्य हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन हुसैन बुनियादी ने हौज़ा न्यूज़ के रिपोर्टर से बातचीत में ग़ज़्ज़ा की हालिया सूरत-ए-हाल और जंगबंदी का ज़िक्र करते हुए कहा: “अमरीकी राष्टर्पति ट्रम्प ने मध्य एशिया के दौरे के दौरान बार-बार जम्हूरिया इस्लामी ईरान का नाम लिया जो इस बात की आलामत है कि ईरान ख़ित्ते में असरअंदाज़ किरदार रखता है।”
उन्होंने कहा: “ग़ज़्ज़ा की जंग ने दुनिया के सामने एक ख़बीस और मुजरिमाना गिरोह की चरम दरिंदगी को उजागर कर दिया जो न किसी अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का एहतराम करता है और न ही इंसानी उसूलों का।”
हुज्जतुल-इस्लाम हुसैन बुनियादी ने कहा: “इजराइली हुकूमत का हक़ीक़ी चेहरा अब दुनिया वालों पर ज़ाहिर हो चुका है। दो साल पहले दुनिया के लोग इस हुकूमत के बारे में क्या सोचते थे और आज क्या है? आज सब पर इस हुकूमत की इस्तिकबारी और ज़िद्द-ए-इंसानी रविश का पर्दा फ़ाश हो गया है।”
उन्होंने जम्हूरिया इस्लामी ईरान को प्रतिरोध मोर्चे का केंद्र बताते हुए कहा: “ट्रम्प के बयानात में बार-बार ईरान का ज़िक्र होना यह ज़ाहिर करता है कि ख़ित्ते में असर व रसूख़ का मरकज़ ईरान है।”
जामेअ मुदर्रेसीन के इस सदस्य ने मजीद कहा: “कभी वह जम्हूरिया इस्लामी ईरान से ताल्लुक़ात की बात करते हैं और कभी धमकियाँ देते हैं — यह सब नफ़्सियाती खेल हैं। लेकिन इन सब बातों का ख़ुलासा यही है कि वो प्रतिरोध की धुरी को ईरान समझते हैं।”
हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन बुनियादी ने कहा: “हालिया अर्से में मिस्र के राष्ट्रपति की ओर से ईरान के राष्ट्रपति या दूसरे ईरानी अधिकारियो को शर्म-अल-शेख़ कांफ़्रेंस में शिरकत का निमंत्रण देना और जम्हूरिया इस्लामी ईरान का उस दावत को मुस्तरद कर देना एक अत्यंत सोचा समझा फ़ैसला था। इस इनकार की वज्ह यह है कि ईरान अपने अह्द, नारों और आरमानों पर क़ायम है और वो कभी भी उन क़ातिलों के साथ एक मेज़ पर नहीं बैठेगा जो मज़लूमों और दुनिया के हुर्रियत-पसंदों के क़ातिल हैं।”
उन्होंने कहा: “जो लोग वार्ता की बात करते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि उनका मुख़ातिब कौन है। अगर कोई फ़रीक़ फ़रेब और धोखे के ज़रिए अपनी मर्ज़ी मनवाना चाहता है तो वह वार्ती नहीं बल्कि अपमान है।”
इज़राइल इतिहास की सबसे बड़ी एकांतवास की स्थिति में है।
इज़राइली विपक्ष नेता यायर लैपिड ने स्वीकार किया है कि ग़ाज़ा युद्धविराम समझौते के बावजूद इस्राइल को अपनी इतिहास के सबसे खतरनाक राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
इज़राइली विपक्ष नेता यायर लैपिड ने स्वीकार किया है कि ग़ाज़ा युद्धविराम समझौते के बावजूद इस्राइल को अपनी इतिहास के सबसे खतरनाक राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
लेबनानी न्यूज चैनल अलमयादीन के अनुसार, लापीद ने कहा कि वैश्विक स्तर पर फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की प्रक्रिया तेजी से बढ़ रही है और अब तक 142 देशों ने फिलिस्तीन को आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी है।
उन्होंने बताया कि नॉर्वे का सरकारी निवेश फंड अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्रों से अपना पूंजी वापस ले रहा है, जबकि कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां इज़राइली परियोजनाओं से अपना सहयोग समाप्त कर रही हैं।
लापीद के अनुसार, यूरोपीय बाजारों में अतिक्रमणकारी इज़राइली उत्पादों की बिक्री रुक गई है और इन उत्पादों को चुपचाप दुकानों की शेल्फों से हटाया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि इज़राइली नेतृत्व के कई उच्च पदाधिकारी अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं, जो इस संकट की गंभीरता को दर्शाता है।
हज़रत रसूल अल्लाह की1500वीं जयंती के अवसर पर पैग़ाम ए नबवी से उम्मात ए मुस्लिमा में एकता की नई शुरुआत
हुज्जतुल इस्लाम कोहसारी जो की हौज़ा एल्मिया के संचार एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख हैं उन्होने कहा है कि वर्ष 1447, जो पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद स.अ.व. की 1500वीं जयंती का वर्ष है, मुस्लिम उम्माह के लिए एक ऐतिहासिक और स्वर्णिम अवसर है। उन्होंने कहा कि इस अवसर का शैक्षिक,तब्लीग़ और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग करते हुए हमें पैग़ाम-ए-नबवी का प्रसार करना चाहिए, इस्लामी उम्माह की एकता को मजबूत करना चाहिए और फिलिस्तीन जैसे वैश्विक मुद्दों के समाधान के लिए एक संयुक्त रणनीति तैयार करनी चाहिए।
हुज्जतुल इस्लाम कोहसारी जो की हौज़ा एल्मिया के संचार एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख हैं उन्होने कहा है कि वर्ष 1447, जो पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद स.अ.व. की 1500वीं जयंती का वर्ष है, मुस्लिम उम्माह के लिए एक ऐतिहासिक और स्वर्णिम अवसर है।
उन्होंने कहा कि इस अवसर का शैक्षिक,तब्लीग़ और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग करते हुए हमें पैग़ाम-ए-नबवी का प्रसार करना चाहिए, इस्लामी उम्माह की एकता को मजबूत करना चाहिए और फिलिस्तीन जैसे वैश्विक मुद्दों के समाधान के लिए एक संयुक्त रणनीति तैयार करनी चाहिए।
हौज़ा ए इल्मिया के संचार एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख ने घोषणा की है कि इस महान अवसर पर हौज़ा एल्मिया की ओर से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न शैक्षिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक और प्रचारात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव को वैश्विक इस्लामी संस्थानों और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर स्वीकृति मिली है और अब सरकार, हौज़ा ए इल्मिया हौज़ा से जुड़े संस्थान और अन्य संबंधित संगठन इस दिशा में सक्रिय हैं।
हुज्जतुल इस्लाम हुसैनी कोहसारी के अनुसार, इन कार्यक्रमों में शैक्षिक एवं शोध संबंधी चर्चाएं, विश्वविद्यालय और हौज़ा ए इल्मिया के संयुक्त कार्यक्रम, महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष सत्र, कलात्मक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम और अंतर-धर्म संवाद शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियां, विशेष रूप से प्रतिरोध अक्ष और गाजा की स्थिति, इस अवसर के महत्व को कई गुना बढ़ा देती हैं। इस वर्ष को उम्माह के पुनर्निर्माण, जागरूकता और वैश्विक एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए एक नई शुरुआत में बदलना होगा।
उन्होंने आगे कहा कि मीडिया, शैक्षिक केंद्रों और बौद्धिक संस्थानों को चाहिए कि वे सीरत-ए-नबवी के विभिन्न पहलुओं को आधुनिक और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करें ताकि नई पीढ़ी और बौद्धिक वर्ग तक रसूल-ए-अकरम स.अ.व. का सार्वभौमिक संदेश पहुंचा सके।
हौज़ा ए इल्मिया के संचार एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख ने इस अवसर पर अल-अजहर (मिस्र), मजामए फिक़ही जेद्दा और अन्य वैश्विक संस्थानों के साथ बौद्धिक एवं व्यावहारिक सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि इस पवित्र वर्ष में इस्लामी उम्माह की सामूहिक समस्याओं, विशेष रूप से फिलिस्तीन के मुद्दे को एक एकजुट और प्रभावी तरीके से दुनिया के सामने पेश किया जाएगा।
यमन की राजधानी सना में यमनी सेना के प्रमुख का अंतिम संस्कार
यमन की राजधानी सना में शहीद जनरल मोहम्मद अब्दुल करीम अलगुमारी के अंतिम संस्कार में लाखों लोगों ने भाग लिया। वह इजरायली हवाई हमले में अपने बेटे और अंगरक्षकों के साथ शहीद हुए थे। अंतिम संस्कार जुलूस के दौरान "अमेरिका मुर्दाबाद, इजरायल मुर्दाबाद" के नारों से गूंज उठा।
सना में यमनी सेना के पूर्व प्रमुख और अंसारूल्लाह कमांडर शहीद जनरल मोहम्मद अब्दुल करीम अलगुमारी उर्फ हाशिम का अंतिम संस्कार सम्मान पूर्वक किया गया। उनकी हत्या पिछले हफ्ते इजरायली हवाई हमले में उनके तेरह वर्षीय बेटे और अंगरक्षकों के साथ हुई थी।
वह दो दशकों से अंसारूल्लाह की सैन्य कमान में केंद्रीय भूमिका निभा रहे थे और यमन की रक्षा रणनीति की आधारशिला माने जाते थे।
अंतिम संस्कार सुबह दस बजे अलसबीन स्क्वायर पर हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में आम नागरिकों, सैन्य कमांडरों, अंसारूल्लाह नेताओं और सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया। शहीद का ताबूत उनके बेटे और अंगरक्षकों के साथ झंडों के साथ लोगों के कंधों पर उठाया गया।
प्रतिभागियों ने यमन और फिलिस्तीन के झंडे लहराए और जोरदार नारे लगाए अमेरिका मुर्दाबाद, इजरायल मुर्दाबाद, फिलिस्तीन ज़िंदाबाद।
यमन के मुफ्ती ए आज़म अल्लामा शम्सुद्दीन शरफुद्दीन ने अंतिम संस्कार की नमाज के बाद कहा,जो इजरायल और अमेरिका की दोस्ती को स्वीकार करता है, वह इस्लाम का दुश्मन है, और जो जासूसी या विश्वासघात के बारे में जानकर चुप रहता है, वह अपराध में साझीदार है।
उन्होंने कहा कि यह त्रासदी विश्वासियों के लिए एक दिव्य परीक्षा है ताकि वे सच्चाई के मार्ग पर डटे रहें और उत्पीड़ितों का समर्थन जारी रखें।
पिछले कुछ दिनों में, सना सहित विभिन्न प्रांतों में लाखों यमनियों ने इजरायली आक्रामकता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए और शहीद अलगुमारी को श्रद्धांजलि दी।
याद रहे कि यमन सशस्त्र बलों ने 24 अक्टूबर को एक आधिकारिक बयान में शहीद जनरल अलगुमारी और उनके बेटे की शहादत की पुष्टि की थी। उनके बाद यूसुफ हसन अल-मदानी को नया चीफ ऑफ स्टाफ नियुक्त किया गया है।













