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ईरान के इस्फ़हान और दक्षिण में वरिष्ठतम ईसाई धर्मगुरू ने कहा है कि आसमानी धर्म के मानने वाले ईरान विशेषकर इस्फहान में शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं और ईरानी लोगों के मध्य जो समरसता मौजूद है वह अद्वितीय है।

बाबकन चारियान ने सोमवार को इस्फहान के मेयर से भेंट में इस बयान के साथ कि ईरानी अधिकारियों और लोगों के मध्य रचनात्मक सहकारिता मौजूद है,कहा कि ईरान में अपनी सक्रियता के दौरान हमने ईरानी अधिकारियों के प्रेम व कृपा का आभास किया और प्रेम और ईरानियों की दोस्ती को अपने साथ उपहार स्वरुप ले जाऊंगा।

उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरानी अधिकारियों की सहायता और समर्थन ने हमारे कार्यों को बहुत सरल कर दिया था इस आधार पर मैं वचन देता हूं कि मैं जहां भी सेवा करूंगा वहां ईरान का ग़ैर आधिकारिक प्रतिनिधि रहूंगा। उन्होंने कहा कि मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि जिसे भी मेरे स्थान पर इस्फहान और ईरान में दक्षिण में ईसाईयों के वरिष्ठतम धर्मगुरू के रूप में चुना जायेगा वह उसी रास्ते पर चलेगा जिसका चयन मैंने किया था क्योंकि मूल उद्देश्य एकता की सुरक्षा है।

उन्होंने राष्ट्रीय एकता के जारी रहने और ईरान की संप्रभुता की रक्षा के लिए दुआ की और कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि ईरान दिन प्रतिदिन उन्नति करेगा और आतंकवाद से मुकाबले और क्षेत्र में शांति की सुरक्षा में उसका दायित्व अधिक होगा। 12 वर्ष पूर्व ईरान के इस्फहान और दक्षिण में ईसाईयों के वरिष्ठतम धर्मगुरू के रूप में बाबकन चारियान को नियुक्त किया गया था और 11 मई को उनका कार्यकाल समाप्त हो हो रहा है।  

अमरीकी सेना ने यमन के हज़रामौत प्रांत की राजधानी एवं बंदरगाही शहर अल-मुकल्ला में 200 से अधिक अमरीकी मरीन को तैनात कर दिया है।

यमन की अल-मसीरा न्यूज़ वेबसाइट के अनुसार, इन सैनिकों को शनिवार को महत्वपूर्ण बंदरगाह और तेल टर्मिनल में तैनात किया गया है।  

इसके अलावा युद्धक जहाज़ यूएसएस बॉक्सर को अदन खाड़ी में तैनात किया गया है। यूएसएस बॉक्सर पर 1200 नाविक एवं मरीन मौजूद हैं।

यमन का दक्षिणी तटीय इलाक़ा अब अमरीका के क़ब्ज़े में है। अल-क़ायदा के ख़िलाफ़ लड़ाई के बहाने अमरीका ने इस इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर रखा है।

शुक्रवार को लहिज प्रांत में स्थित अल-अनद सैन्य अड्डे पर अमरीका के एक अपाचे हेलिकॉप्टर और छह ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टरों ने भी लैंडिंग की थी।

भारत के तेल व गैस मंत्री ने कहा है कि गैस पर टिकी अर्थ व्यवस्था उनके देश का एक उद्देश्य है।

धर्मेन्द्र प्रधान ने शनिवार को नयी दिल्ली में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि भारत ईरान में फरज़ाद बी गैस फील्ड विकास परियोजना के साथ ही, एलएनजी गैस टर्मिनल बनाने में भी रूचि रखता है।

फरज़ाद बी गैस फील्ड को सन दो हज़ार आठ में भारतीय कंपनी ने खोजा था किंतु प्रतिबंधों के कारण भारतीय कंपनियां इस गैस फील्ड से संबंधित परियोजनाओं को शुरु नहीं कर सकीं।

कार्यक्रमानुसार ईरान की फरज़ाद बी गैस फील्ड के विकास की परियोजना में सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर, भारतीय प्रधानमंत्री की आगामी ईरान यात्रा के दौरान किये जाएंगे।

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो हफ्ते बाद दो दिवसीय यात्र पर ईरान आने वाले हैं।

भारत के पेट्रोलियम मंत्री ने नरेन्द्र मोदी की ईरान यात्र को तेहरान व नयी दिल्ली के संबंधों में विकास की दिशा में महत्चपूर्ण क़दम बताया है।

अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सैनिको के अतिक्रमण के जवाब में फ़िलिस्तीनियों ने ज़ायोनी सैनिकों पर हमले किए हैं।

लेबनान के अलमयादीन टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, फ़िलिस्तनियों ने शुक्रवार को अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सैनिकों के हमलों के जवाब में उन पर हमले किए। इन हमलों में ज़ायोनी सैनिकों को संभावित रूप से होने वाले नुक़सान का पता नहीं चल सका है।

दूसरी ओर अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सैनिकों ने शुक्रवार को पश्चिमी तट के अलख़लील शहर में हज़रत इब्राहीम के हरम के निकट एक फ़िलिस्तीनी को गिरफ़्तार कर लिया।

ग़ज़्ज़ा और पश्चिम तट के विभिन्न क्षेत्रों पर ज़ायोनी सैनिकों के हमलों के बाद फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास और जेहादे इस्लामी ने ज़ायोनी शासन को सचेत किया है।

हमास की सैन्य शाखा इज़्ज़ुद्दीन क़स्साम ब्रिगेड ने एक बयान में चेतावनी दी कि हम ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी शासन के निरंतर अतिक्रमण को सहन नहीं करेंगे। शत्रु ग़ज़्ज़ा से तुरंत निकल जाए।

फ़िलिस्तीन के इस्लामी जेहाद आंदोलन ने भी ग़ज़्ज़ा की सीमा पर किसी प्रकार के टकराव के अंजाम की ओर से इस्राईल को सचेत किया था।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि इस्लामी राष्ट्र का महत्वपूर्ण दायित्व, अमरीकी नेतृत्व में जारी अज्ञानी प्रक्रिया का मुक़ाबला करना है। 
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी की घोषणा की वर्षगांठ के अवसर पर गुरुवार को तेहरान में देश के उच्चाधिकारियों और इस्लामी देशों के राजदूतों से भेंट में कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, बड़ी शक्तियों से बिना किसी डर के इमाम ख़ुमैनी के मिशन को आगे बढ़ाएगा। 
वरिष्ठ नेता का यह बयान उन लक्ष्यों की याद दिलाता है जिन्हें इस्लामी क्रांति ने पूरा किया है और अपने रास्ते में आने वाली अमरीका की हर रुकावट को रौंद दिया है। ईरान ने आरंभ से ही अन्याय करने वाली शक्तियों से अपना रास्ता अलग कर लिया था और पूरब व पश्चिम पर निर्भरता के बिना अज्ञानता व अन्याय का मुक़ाबला किया है। यही कारण है कि इस्लामोफ़ोबिया, ईरानोफ़ोबिया और शिया फ़ोबिया अमरीका व उसकी पिट्ठू सरकारों के षड्यंत्रों में सबसे ऊपर है। अमरीका, इस्लामी क्रांति के प्रभावों को अपने लिए और साथ ही ज़ायोनी शासन के लिए बहुत बड़ी चुनौती समझता है और इसी लिए इस्राईल को हर प्रकार से सुरक्षित रखने का हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी बात के दृष्टिगत इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि संसार की वर्तमान स्थिति, ज़ायोनी पूंजीपतियों के वर्चस्व का परिणाम है और वे अमरीकी सरकार तक को नियंत्रित करते हैं। पिछले कुछ वर्षों के हालात से पता चलता है कि ज़ायोन शासन, क्षेत्र में आने वाली इस्लामी चेतना की लहर से बुरी तरह बौखलाया हुआ है और अमरीका व उसके अन्य समर्थक इस्लामी एकता को निशाना बना कर इस्लामी प्रतिरोध को समाप्त करने के षड्यंत्र रच रहे हैं। अमरीका के लिए इस्लामोफ़ोबिया और ईरानोफ़ोबिया के परिप्रेक्ष्य में जिस बात का बड़ा महत्व है वह सीरिया, लेबनान व फ़िलिस्तीन में प्रतिरोध के मोर्चों को कमज़ोर करके इस्राईल की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना है। लेकिन ईरान ने हमेशा इस प्रकार की साज़िशों की ओर से सचेत किया और प्रतिरोध के मोर्चे के हर संभव समर्थन की घोषणा की है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ईरान ने कभी भी किसी भी देश के विरुद्ध युद्ध आरंभ नहीं किया है लेकिन उसने खुल कर अपनी नीतियों की घोषणा की है और आगे भी करता रहेगा।

19 जुलाई 2015 को रूस के कैलिनिनग्राड क्षेत्र में स्थित खाड़ी में रूसी युद्धक नौकाएं लंगरअंदाज़ दिखाई दे रही हैं।

रूस ने नेटो को सैनिक बढ़ाने की स्थिति में जवाबी कार्यवाही की चेतावनी दी है।

रूस ने कहा है कि अगर नेटो ने पोलैंड और बाल्टिक देशों में 4 अतिरिक्त बटालियन तैनात करने की योजना को जारी रखा तो वह भी जवाबी उपाय करेगा।  

रूस के विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी आंद्रे केलिन ने बुधवार को कहा, “हमारी सीमाओं के निकट सशस्त्र बल की तैनाती बहुत ख़तरनाक होगी।”

इससे पहले नेटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेन्बर्ग ने मंगलवार को एलान किया कि नेटो सभी पूर्वी सदस्य देशों में वाहिनी जितनी बड़ी बहुराष्ट्रीय सैन्य इकाइयां तैनात करेगा। यह सुझाव, बाल्टिक क्षेत्र में अमरीका-रूस में बढ़ते तनाव के बीच स्टोलटेन्बर्ग से पहले सोमवार को अमरीकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने पेश किया था।

यह तनाव उस वक़्त बढ़ा जब इस महीने के शुरु में अमरीका की गाइडेड मीज़ाईल डेस्ट्रायर नौका यूएसएस कुक बाल्टिक समुद्र में रूस की नौसैनिक छावनी के निकट पहुंची जिसके नतीजे में रूसी युद्धक विमानों ने तेज़ी से उड़ान भरी और इस अमरीकी युद्धक नौका के बहुत क़रीब से भनभनाहट की आवाज़ करते हुए गुज़र गए।

रूस के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी आंद्रे केलिन ने कहा, “इस संबंध में कुछ जवाबी उपाय अपनाने होंगे जिसके बारे में रूसी रक्षा मंत्रालय विचार कर रहा है।”

इससे पहले रूसी रक्षा मंत्री सिर्गेई शोएगू ने एलान किया कि तीन नए सैन्य मंडल इस साल के अंत तक बनाए जाएंगे ताकि उससे निपट जा सके जिसे मॉस्को रूसी सीमाओं के क़रीब नेटो फ़ोर्सेज़ की बढ़ती क्षमता का नाम देता है।

नेटो की ओर से युक्रेन को हथियार

इस बीच नेटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेन्बर्ग ने नेटो के नए सुप्रीम अलाइड कमान्डर यूरोप जनरल कर्टिस स्कैपारोटी के साथ प्रेस कान्फ़्रेंस में कहा कि नेटो, युक्रेन में रूस के व्यवहार के जवाब में, रूसी सीमाओं के निकट अपनी रक्षात्मक व आनुपातिक सैन्य तैनाती बढ़ाएगा।  

अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सैनिको के अतिक्रमण के जवाब में फ़िलिस्तीनियों ने ज़ायोनी सैनिकों पर हमले किए हैं।

लेबनान के अलमयादीन टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, फ़िलिस्तनियों ने शुक्रवार को अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सैनिकों के हमलों के जवाब में उन पर हमले किए। इन हमलों में ज़ायोनी सैनिकों को संभावित रूप से होने वाले नुक़सान का पता नहीं चल सका है।

दूसरी ओर अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सैनिकों ने शुक्रवार को पश्चिमी तट के अलख़लील शहर में हज़रत इब्राहीम के हरम के निकट एक फ़िलिस्तीनी को गिरफ़्तार कर लिया।

ग़ज़्ज़ा और पश्चिम तट के विभिन्न क्षेत्रों पर ज़ायोनी सैनिकों के हमलों के बाद फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास और जेहादे इस्लामी ने ज़ायोनी शासन को सचेत किया है।

हमास की सैन्य शाखा इज़्ज़ुद्दीन क़स्साम ब्रिगेड ने एक बयान में चेतावनी दी कि हम ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी शासन के निरंतर अतिक्रमण को सहन नहीं करेंगे। शत्रु ग़ज़्ज़ा से तुरंत निकल जाए।

फ़िलिस्तीन के इस्लामी जेहाद आंदोलन ने भी ग़ज़्ज़ा की सीमा पर किसी प्रकार के टकराव के अंजाम की ओर से इस्राईल को सचेत किया था।

ज़ायोनी शासन के पूर्व गृह मंत्री गिडिओन साअर ने स्वीकार किया है कि पिछले ग़ज़्ज़ा युद्ध में इस्राईल को पराजय का सामना करना पड़ा था।

ग़ज़्ज़ा युद्ध के बाद इस्राईल के राजनैतिक मंच से अलग हो जाने वाले साअर ने कहा कि उन्होंने इस युद्ध के दौरान भी मंत्री मंडल को, पराजय के सभी पहलुओं से अवगत करा दिया था और बता दिया था कि जिन लक्ष्यों के लिए ग़ज़्ज़ा पर हमला किया गया है उनमें से एक भी पूरा नहीं हो सका है। उन्होंने बताया कि मैंने नेतनयाहू मंत्री मंडल से कहा था कि पत्रकारों पर कड़ाई करने से वास्तविकताएं नहीं बदलेंगी।

इस्राईल के पूर्व गृह मंत्री के इस बयान के साथ ही इस्राईल के टीवी चैनल-2 ने भी 50 दिवसीय ग़ज़्ज़ा युद्ध के बारे में ज़ायोनी शासन के विशेष रिपोर्टर की रिपोर्ट को राजनैतिक मंच पर एक एेसा बम बताया है, जिसके सामने आते ही पूरे इस्राईल में एक संकट खड़ा हो जाएगा। इस चैनल के रिपोर्ट ने कहा है कि ग़ज़्ज़ा युद्ध में इस्राईल को जो पराजय हुई है वह लेबनान के साथ हुए युद्धों में मिलने वाली हार से भी कहीं अधिक बुरी है।  

इस्राइली युद्धक विमानों ने ग़ज़्ज़ा के सुन्सान पड़े हुए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास कम से कम 5 स्थानों पर बमबारी की।

 इस्राइली वायु सेना ने यह बमबारी बुधवार को दक्षिणी शहर रफ़ह के निकट स्थित इस हवाई अड्डे और उसके आस-पास स्थित खेतों पर की।  

इस अतिक्रमण के बाद हमास की सैन्य शाखा क़स्साम ब्रिगेड ने एक बयान में चेतावनी दी कि हम ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी शासन के निरंतर अतिक्रमण को सहन नहीं करेंगे। शत्रु ग़ज़्ज़ा से तुरंत निकल जाए।

फ़िलिस्तीन के इस्लामी जेहाद आंदोलन ने भी ग़ज़्ज़ा की सीमा पर किसी प्रकार के टकराव के अंजाम की ओर से इस्राईल को सचेत किया है।

हमास के प्रवक्ता सामी अबू ज़ोहरी ने कहा, “हमास पूर्वी ग़ज़्ज़ा में टकराव और उसके अंजाम के लिए इस्राइल के अतिग्रहण को पूरी तरह ज़िम्मेदार समझता है।”

बुधवार को इससे पहले इस्राइली सैनिकों ने जो ग़ज़्ज़ा की सीमा पर टैंकों के तैनात थे, पूर्वी ग़ज़्ज़ा के शुजाइया इलाक़े में हमास की अनेक सुरक्षा चौकियों को निशाना बनाते हुए कई क्षेत्रों पर गोले बरसाए। इस गोलाबारी में एक फ़िलिस्तीनी का घर तबाह हो गया।

हमास के वरिष्ठ अधिकारी मुशीर अलमिस्री ने इन हमलों को ख़तरनाक बताया है।

30 अप्रैल 2016 की इस तस्वीर में फ़िलिस्तीनी आदमी 50 दिवसीय युद्ध में तबाह हुयी इमारत के मलबे को हटाते हुए

ग़ज़्ज़ा की इस्राईल ने 2007 से नाकाबंदी कर रखी है। इस नाकाबंदी के कारण इस घनी आबादी वाले इलाक़े में निर्धनता व बेरोज़गारी अपने चरम पर पहुंच गयी है। इसके अलावा 2008 से अब तक इस्राईल तीन बार ग़ज़्ज़ा पर युद्ध थोप चुका है जिसमें 2014 का 50 दिवसीय विनाशकारी युद्ध भी है कि इस युद्ध में 2200 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी शहीद और 11000 से ज़्यादा घायल हुए थे।

हिज़बुल्लाह के उप महासचिव ने इस्राईल के विनाश पर बल दिया है।

शेख नईम क़ासिम ने गुरूवार को बेरूत में प्रतिरोध के धर्मगुरूओं की एक बैठक में कहा कि हिज़बुल्लाह के पास एेसी संभावनाएं मौजूद हैं जिनके माध्यम से वह इस्राईल को नष्ट कर सकता है।

नईम क़ासिम ने ज़ायोनी शासन की विस्तारवादी नीतियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि सीरिया की अतिग्रहित गोलान की पहाड़ियों को ज़ायोनी शासन में जोड़ने की घोषणा, इस बात को दर्शती है कि अवैध ज़ायोनी शासन, जार्डन नदी के पश्चिमी तट को भी अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन से जोड़ने के प्रयास में है।

हिज़बुल्लाह के उप महासचिव ने फ़िलिस्तीन समस्या के समाधान के लिए दो सरकारों के विकल्प को रद्द करते हुए कहा कि इसका एकमात्र मार्ग, इस्राईल के मुक़ाबले प्रतिरोध है।

शेख नईम क़ासिम ने अमरीका, ज़ायोनी शासन और तकफ़ीरी आतंकवादी गुटों की तकड़ी को इस्लाम विरोधी घटक बताते हुए कहा कि जबतक फ़िलिस्तीनी, प्रतिरोध को जारी रखेंगे, उस समय तक अतिग्रहणकारी चैन से नहीं बैठ सकते।