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मिस्र की पुलिस ने दो द्वीपों को सऊदी अरब के हवाले किए जाने के विरुद्ध प्रदर्शन करने वालों पर आंसू गैस के गोले दाग़े हैं।

प्रदर्शनकारियों की एक बड़ी संख्या शुक्रवार की नमाज़ के बाद अलजीज़ा और क़ाहिरा की सड़कों पर आई और दोनों द्वीपों को सऊदी अरब के हवाले किए जाने के विरुद्ध नारे लगाए।

मिस्र की विभिन्न राजनैतिक पाार्टियों और संगठनों ने जनता से अपील की थी कि वह अक़बा खाड़ी में स्थित दो स्ट्रटैजिक द्वीपों को बेचे जाने के बारे में क़ाहिरा- रियाज़ समझौते के विरुद्ध शुक्रवार को शांति पूर्ण प्रदर्शन करेंं

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए उन पर आंसू गैस के गोले दाग़े और रबड़ की गोलियों का भी प्रयोग किया। पुलिस ने दर्जनों प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार भी कर लिया हैं

ज्ञात रहे कि मिस्र ने अक़बा खाड़ी में स्थित दो द्वीपों को पिछले सप्ताह शाह सलमान के मिस्र दौरे के अवसर पर सऊदी अरब के हवाले कर दिया है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने क़ज़ाक़िस्तान के राष्ट्रपति से मुलाक़ात में कहा है कि अमरीका और आतंकवाद से संघर्ष का दावा करने वाली शक्तियां अपने दावे में सच्ची नहीं हैं।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नूर सुल्तान नज़र बायेफ़ से मुलाक़ात में राजनैतिक, आर्थिक व अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों और इसी प्रकार आतंकवाद से संघर्ष के मैदान में दोनों देशों के सहयोग में विस्तार की ज़रूरत की ओर संकेत किया और कहा कि कुछ बड़े देश विशेष कर अमरीका, आतंकवाद से संघर्ष करने के अपने दावे में सच्चे नहीं हैं लेकिन इस्लामी देश, सच्चे ढंग से सहयोग करके इस्लामी जगत से इस ख़तरे को दूर कर सकते हैं। उन्होंने अमरीका की ओर से इराक़ में दाइश की सहायता को, आतंकवाद से संघर्ष के लिए बनने वाले विभिन्न गठजोड़ों के झूठ का एक उदाहरण बताया और कहा कि वे अपने दोहरे रवैये का औचित्य दर्शाने के लिए आतंकवाद को, अच्छे और बुरे जैसे दो प्रकारों में बांटते हैं। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने यूरोप में आतंकी कार्यवाहियां करने वालों की यूरोपीय नागरिकता और इराक़ व सीरिया में उनकी बड़ी संख्या में उपस्थिति की ओर संकेत करते हुए कहा कि इन बातों से पता चलता है कि पश्चिम विशेष कर अमरीका, आतंकवाद से संघर्ष में गंभीर नहीं है।

इस मुलाक़ात में क़ज़ाक़िस्तान के राष्ट्रपति नूर सुल्तान नज़र बायेफ़ ने ईरान को अपने देश का एक बड़ा और भरोसे योग्य पड़ोसी बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों को विस्तृत करने की अपार संभावनाएं हैं और उनकी इस यात्रा मेंं अनेक महत्वपूर्ण बातों पर सहमति हुई है। उन्होंने आतंकवाद को क्षेत्र और संसार के लिए गंभीर ख़तरा बताया और पश्चिमी में घटने वाली हालिया आतंकी घटनाओं तथा इन घटनाओं के बहाने इस्लाम को आतंकवाद का समर्थक बताने के पश्चिम वालों के प्रयास की ओर संकेत करते हुए कहा कि यह क्षेत्र की क़ानूनी सरकारों के विरुद्ध पश्चिमी शक्तियों की कार्यवाही का परिणाम है क्योंकि जब किसी देश में स्थिर केंद्रीय सरकार को समाप्त कर दिया जाता है तो आतंकवाद उसका स्थान ले लेता है।  

वरिष्ठ नेता ने सशस्त्र बलों की धार्मिक प्रेरणा व सैन्य क्षमता को मज़बूत बनाने पर बल दिया है।

ईरान के सशस्त्र बल के वरिष्ठ कमान्डरों ने आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई से रविवार को मुलाक़ात की। इस अवसर पर वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि ईरान की इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था में सशस्त्र बलों का मुख्य दायित्व राष्ट्रीय सुरक्षा की सीमाओं की देखभाल करना है। उन्होंने कहा कि इसीलिए इन सैन्य बलों की सैन्य क्षमता व आध्यात्मिक प्रेरणा को दिन-प्रतिदिन मज़बूत होना चाहिए।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि सशस्त्र बलों का संबंध किसी व्यक्ति, दल या धड़े से नहीं है बल्कि पूरे राष्ट्र व देश से है। उन्होंने कहा कि उन्हें जनता के लिए सुरक्षा कवच और राष्ट्रीय सुरक्षा का संरक्षक होना चाहिए। वरिष्ठ नेता ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि दुनिया के ज़्यादातर देशों के सशस्त्र बलों की दो तरह की पहचान होती है, कहा कि कुछ देशों में सेना व सुरक्षा बल सिर्फ़ दिखावे के लिए होते हैं जो केवल सत्ता व सत्ताधारियों की रक्षा के लिए होते हैं। उन्होंने इस संदर्भ में क्षेत्र की कुछ सेनाओं को मिसाल के तौर पर पेश करते हुए बल दिया, “इस प्रकार की सेनाओं का नमूना हमारे क्षेत्र में भी मौजूद है। जैसा कि इनमें से कुछ ने पिछले एक साल से ज़्यादा समय से पूरी ताक़त से यमन पर अतिक्रमण किया और इस देश की जनता को अपने हमलों का निशाना बनाया किन्तु अभी तक वे कुछ नहीं कर पाईं।”

वरिष्ठ नेता ने दूसरी पहचान के तौर पर उन सेनाओं का उल्लेख किया जो दिखने में तो उच्च सैन्य क्षमता रखती हैं किन्तु रणक्षेत्र में, सैन्य चढ़ाई व निर्दयता ही उनका लक्ष्य होता है। उन्होंने कहा कि इसका उदाहरण इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी सैनिकों के क्रियाकलाप हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस प्रकार की सेनाएं रणक्षेत्र में पीछे रह जाती हैं तो वे ब्लैक वॉटर जैसे अपराधी बल के इस्तेमाल में तनिक भी संकोच से काम नहीं लेतीं।

वरिष्ठ नेता ने ईरान के सशस्त्र बल को दुनिया में एकमात्र ऐसा सशस्त्र बल बताया जो आध्यात्मिक प्रेरणा के साथ प्रभावी भी है।

 

अल्लाह ही तो है जिसने हवाएँ चलाई फिर वह बादलों को उभारती है, फिर हम उसे किसी शुष्क और निर्जीव भूभाग की ओर ले गए, और उसके द्वारा हमने धरती को उसके मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित कर दिया। इसी प्रकार (लोगों का नए सिरे से) जीवित होकर उठना भी है [35:9]

अमरीकी विमान निर्माण कंपनी बोइंग का एक प्रतिनिधि मंडल जारी सप्ताह के दौरान तेहरान का दौरा करेगा।

ईरान एयर के जनसंपर्क विभाग के अनुसार बोइंग कंपनी के प्रतिनिध मंडल के तेहरान दौरे का उद्देश्य, परस्पर सहयोग के मार्गों की समीक्षा करना है। बोइंग कंपनी का प्रतिनिधि मंडल ईरान की सरकारी एयर लाइन, ईरान एयर अतिरिक्त प्राइवेट विमानन कंपनियों के प्रतिनिधि मंडलों के साथ वार्ता करेगा।

ईरान के परिवहन मंत्री अब्बास आख़ूंदी ने जारी वर्ष जनवरी में कहा था कि अमरीका ने बोइंग कंपनी को ईरान के साथ सहयोग के लिए ग्रीन सिगनल दे दिया है और ईरानी विमानन कंपनियों के निमंत्रण पर बोइंग कंपनी का एक प्रतिनिध मंडल शीघ्र ही ईरान का दौरा करेगा।

ज्ञात रहे कि राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी के हालिया फ्रांस दौरे में दोनों देशों ने विभिन्न प्रकार के यात्री विमान की ख़रीदारी के अंतरिम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। आशा है कि 118 एयर बस की ख़रीदारी के इस समझौते को अगले दो से तीन महीने के दौरान अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

 ईरान व भारत के पेट्रोलियम मंत्रियों ने तेल के क्षेत्र में परस्पर सहयोग के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

बीजन नामदार ज़ंगने व ध्रमेंद्र प्रधान ने शनिवार को फ़रज़ाद बी गैस फ़ील्ड के विस्तार, रिफ़ाइनरियों के निर्माण और तेल व पेट्रोकेमिकल के निर्यात के संबंध में आपसी सहयोग के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस मुलाक़ात के बाद ईरान के पेट्रोलियम मंत्री ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस समय भारत, ईरान से प्रतिदिन साढ़े तीन लाख बैरल तेल ख़रीदता है और हमें आशा है कि प्रतिबंध हटने के बाद इस मात्रा में वृद्धि होगी।

ज़ंगने ने बताया कि भारतीय समकक्ष के साथ उनकी वार्ता में मुख्य रूप से फ़रज़ाद बी गैस फ़ील्ड के विस्तार और उसमें पूंजी निवेश की चर्चा की गई और दोनों पक्ष इस परियोजना के चालू होने के समय पर एकमत होना चाहते हैं जो कठिन कार्य है और इसके लिए अधिक समय की ज़रूरत है। उन्होंने आशा जताई कि भारत के पेट्रोलियम मंत्री के तेहरान के दौरे से दोनों देशों के संबंधों विशेष कर ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया अध्याय खुलेगा।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने आर्थिक समस्याओं के निवारण को ईरान की मुख्य प्राथमिकता बताते हुए बल दिया है कि मज़बूत अर्थव्यवस्था से देश की आर्थिक चिंताओं को दूर किया जा सकता है।

रविवार को ईरानी नववर्ष नौरोज़ पर वार्षिक संदेश में राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे विचार में आर्थिक मुद्दे को मुख्य प्राथमिकता प्राप्त होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में दूसरे प्राथमिकता प्राप्त मुद्दों में अर्थव्यवस्था पर सबसे ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है।”

वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरानी राष्ट्र व सरकार के उचित व निर्णायक आर्थिक अभियान के ज़रिए दूसरे सामाजिक, नैतिक व सांस्कृतिक मुद्दों को हल तथा सामाजिक बुराइयों को दूर किया जा सकता है। उन्होंने बल दिया कि घरेलू उत्पादन, रोज़गार सृजन, बेरोज़गारी उन्मूलन, आर्थिक ख़ुशहाली और मंदी को दूर करने पर ध्यान केन्द्रित किया जाए। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा, “अगर हमें मंदी, घरेलू उत्पादन में कमी और बेरोज़गारी को दूर करना है, अगर हम मुद्रास्फीति को क़ाबू करना चाहते हैं, ये सबके सब मज़बूत अर्थव्यवस्था के ज़रिए हासिल किये जा सकते हैं।” उन्होंने कहा कि मज़बूत अर्थव्यवस्था में ये सारे विषय शामिल होते हैं। मज़बूत अर्थव्यवस्था के ज़रिए बेरोज़गारी, मंदी और मुद्रास्फीति की समस्या से निपटना मुमकिन है, दुश्मन के ख़तरों का मुक़ाबला मुमकिन है, देश के लिए अनेक सुअवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने देश के अधिकारियों से और अधिक व्यवहारिक क़दम उठाने और अमल करने की अपील की ताकि उसका नतीजा जनता महसूस करे। उन्होंने कहा, “इसलिए हमने मज़बूत अर्थव्यवस्था, अमल और क्रियान्वयन को नए साल का नारा क़रार दिया है। यही हमारी ज़रूरतों को पूरी करने वाला सीधा व उज्जवल मार्ग है।” वरिष्ठ नेता ने पूरे विश्वास से कहा कि अगर सुनियोजित रूप से अमल व क्रियान्वयन किया गया तो इसका नतीजा साल के अंत तक दिखने में आएगा।

इसी प्रकार अपने संबोधन में वरिष्ठ नेता ने ईरानी राष्ट्र से दुश्मन के ख़तरों के मुक़ाबले में ख़ुद को मज़बूत बनाने पर भी बल दिया।

सय्यद अली ख़ामेनई ने इस बात पर बल देते हुए कि दुश्मन के ख़तरे के मुक़ाबले में ईरानी राष्ट्र डट सकता है और देश के लिए अनेक अवसर उपलब्ध करा सकता है कहा,“इस उद्देश्य के लिए अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने की दिशा में कोशिश की जाए।”

अपने संदेश के अंत में वरिष्ठ नेता ने आशा जताते हुए कहा, “अगर सुनियोजित रूप से अमल व क्रियान्वयन किया गया तो इस साल के अंत तक हमें इसका फल देखने को मिलेगा।”

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि अमरीका ईरान पर अपने उसी प्रभाव और वर्चस्व को पुनः प्राप्त करना चाहता है जो ईरान की शाही सरकार के दौर में और वर्ष 1979 की क्रांति से पहले था।

वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने रविवार को मशहद में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पवित्र रौज़े में दसियों हज़ार श्रद्धालुओं के मध्य अपने भाषण में कहा कि वर्ष 1979 की क्रांति की सफलता से ईरान अमरीका के हाथ से निकल गया और ईरानी राष्ट्र ने यह सिद्ध कर दिया कि अमरीका के सामने डटा जा सकता है।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि क्रांति से पहले अमरीका ईरान के संसाधनों को लूट रहा था और पहलवी शाही शासन वाला ईरान क्षेत्र में अमरीका व ब्रिटेन की छावनी बन गया था।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरानी राष्ट्र को अमरीकी जनता से कोई समस्या नहीं है किंतु अमरीकी सरकार, ईरान की दुश्मन है।

वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने ईरान और गुट पांच धन एक के मध्य होने वाले परमाणु समझौते का उल्लेख करते हुए कहा कि परमाणु मुद्दे पर अमरीकियों के साथ समझौता हुआ था किंतु अमरीकियों ने अपने वचनों का पालन नहीं किया और आज भी भी ईरानी बैंकिंग व्यवस्था को समस्याओं का सामना है।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकी यह चाहते हैं कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, क्षेत्र के पीड़ितों , फिलिस्तीनियों, ग़ज्ज़ा, यमन और बहरैन के अत्याचार ग्रस्त लोगों की राजनीतिक मदद और उनका समर्थन न करे।

उन्होंने कहा कि उन्हें सीरिया, इराक़ और फिलिस्तीन के मामले में पराजय का सामना करना पड़ा है और वे अपनी इस पराजय का कारण, ईरान को समझते हैं।

वरिष्ठ नेता ने क्षेत्र के कुछ देशों की ओर से इस्राईल को स्वीकार किये जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि वे यह चाहते हैं कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, भी ज़ायोनी शासन से समझौता कर ले।

 

इस्राईल की ओर से उत्तन्न की जाने वाली विभिन्न प्रकार की बाधाओं के बावजूद हज़ारों फ़िलिस्तीनियों ने शुक्रवार को मस्जिदुल अक़सा में जुमे की नमाज़ अदा की।

65 हज़ार फ़िलिस्तीनियों का मस्जिदुल अक़सा में एकत्रित होना इस लिए महत्व रखता है कि पिछले कई सप्ताहों से ज़ायोनी सैनिक, फ़िलिस्तीनी नमाज़ियों को मस्जिद में जाने से रोक रहे हैं। इसके अतिरिक्त वे 50 वर्ष के कम आयु के फ़िलिस्तीनियों को मस्जिदुल अक़सा जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।

जुमे की नमाज़ में मस्जिदुल अक़सा के इमाम ने ज़ायोनियों की ओर इस्लामी संस्कृति को समाप्त करने के लिए किये जाने वाले प्रयासों की ओर संकेत करते हुए कहा कि इसका मुक़ाबला करने के लिए हमें एकजुट होना होगा।

इंडोनेशिया की नौसेना के अधिकारियों ने बताया है कि 13 देशों की पुलिस और इंटरपोल को वांछित ग़ैर क़ानूनी नौका को पकड़ने के बाद ध्वस्त कर दिया गया है।

इंडोनेशिया की नौसेना ने सिंगापुर के दक्षिण में रियाओ द्वीप के निकट इस नौका को 25 फ़रवरी को पकड़ लिया था।

पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था सी शेपर्ड ने इससे पहले इस नौका सहित 6 नौकाओं के बारे में रिपोर्ट दी थी कि वे अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का हनन कर रही हैं। संस्था ने इस नौका के इंडोनेशिया की जलसीमा में पहुचंने पर इस देश के अधिकारियों को एलर्ट कर दिया था।

संस्था के अधिकारी सिद्धार्थ चक्रवर्ती ने कहा कि 13 साल से इस नौका की तलाश थी और इस बीच वह 18 बार दिखाई दी लेकिन हर बार भाग निकलने में सफल रही।

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको वीदोदो ने नौका को ध्वस्त कर दिए जाने के बाद अपने ट्वीटर एकाउंट पर लिखा कि 13 देशों को इस नौका की तलाश थी और अंततः इंडोनेशिया ने यह काम अंजाम दिया। वर्ष 2013 में इंटरपोल ने नार्वे की शिकायत पर नौका को पकड़ने का वारंट जारी कर दिया था।