
Super User
सुप्रीम लीडरः हज, इस्लामी एकता का प्रतीक
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनईः
सुप्रीम लीडरः हज, इस्लामी एकता का प्रतीक
ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने कहा है कि हज के दिनों में इस्लामी दुनिया की एकता, महानता और विविधता, बड़े पैमाने पर सामने आती है........
ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने कहा है कि हज के दिनों में इस्लामी दुनिया की एकता, महानता और विविधता, बड़े पैमाने पर सामने आती है।
सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने आज ईरान की हज कमेटी के सदस्यों से मुलाकात में हज को असाधारण ज़िम्मेदारी बताया और इस्लामी दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे यानी एकता पर जोर देते हुए कहा कि हज के दिनों में इस्लामी दुनिया की एकता, महिमा देखने को मिलती है और इस अवसर से भरपूर फ़ायदा उठाना चाहिए. सुप्रीम लीडर ने कहा कि हज का महान और असाधारण प्रोग्राम समाज के बेहतर निर्माण के संबंध में एक नया आंदोलन साबित होकर इस्लामी दुनिया को एकजुट कर सकता है। आप ने कहा कि यह ऊंची सोच दुनिया के दूसरे हाजियों तक पहुंचाने की जरूरत है।
सुप्रीम लीडर ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच वैचारिक मतभेद कोई नई बात नहीं है कहा लेकिन पिछले कुछ सालों के दौरान मतभेदों को शिद्दत के साथ बढ़ाया गया है और ऐसा लगता है कि मुसलमानों पर इस तरह का मतभेद थोपा जा रहा है, और एक प्लानिंग के साथ ऐसा किया जा रहा है, आपने सीरिया के संकट को हाजियों की एक मानसिक चिंता बताया और इस बात का उल्लेख करते हुए कि सीरिया की समस्या में ईरान का पक्ष साफ़ और रौशन है, कहा कि सीरिया की समस्या की सच्चाई यह है कि साम्राजी मोर्चा चाहता है कि इलाके में ग़ासिब ज़ायोनी शासन के पड़ोस में प्रतिरोधी ताक़तों की कड़ियों को ख़त्म कर दिया जाए। सुप्रीम लीडर ने कहा कि सीरिया के संकट का एकमात्र समाधान यह है कि इस देश में हथियारबंद गुटों को हथियारों की सप्लाई बंद कर दी जाए।
अरब देशों में मुहर्रम
आशूर अर्थात दस मुहर्रम का दिन पूरे विश्व में बड़ी श्रद्धा और धार्मिक भावना के साथ मनाया गया। जहां बहुत से देशों में मुहर्रम के जुलूस शांतिपूर्ण ढंग से निकाले गए वहीं पर कुछ अरब देशों में शोकाकुल श्रद्धालुओं को आक्रमणों और आतंकवादी कार्यवाहियों का लक्ष्य बनाया गया। बहरैन में मुहर्रम के जुलूसों पर सुरक्षा बलों ने आक्रमण किया। बहरैनी सुरक्षा बलों ने राजधानी मनामा के दक्षिण में स्थित “नवीदरात” नामक स्थान पर इमाम हुसैन का शोक मनाने वालों पर आक्रमण करके उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। बहरैनी सुरक्षा बलों की ओर से यह अमानवीय कार्यवाही एसी स्थिति में की गई कि जब आले ख़लीफ़ा शासन ने मुहर्रम के आरंभ से ही बहरैन के विभिन्न नगरों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी थी। इन दस दिनों के दौरान बहरैन में बहुत से धर्मगुरूओं और प्रवचन देने वालों को या गिरफ़्तार कर लिया गया या उन्हें नज़रबंद कर दिया गया। उनका अपराध मात्र यह था कि वे पैग़म्बरे इस्लाम के परिजतनों के काल में उनपर किये गए अत्याचारों का उल्लेख कर रहे थे। बहरैन के गृह मंत्रालय ने शुक्रवार से इस देश में शीया समुदाय के धार्मिक केन्द्रों और संस्थानों के विरुद्ध कथित सुरक्षा योजना लागू की है। बहरैन में धार्मिक आयोजनों को सीमित करना और इमाम हुसैन का शोक मनाने वालों पर आक्रमण, इस देश की कथित सुरक्षा योजना का एक भाग था। इस संदर्भ में बहरैन के सरकार विरोधी प्रमुख राजनैतिक गुट, अलवेफ़ाक़ संगठन बहरैन ने कहा है कि शोकाकुल श्रद्धालुओं पर आक्रमण, आले ख़लीफ़ा शासन के अनैतिक कार्यों का परिचायक है। इस राजनैतिक दल ने इसी प्रकार घोषणा की है कि आले ख़लीफ़ा के सुरक्षा बल, बहरैनी राष्ट्र से बदला लेने का प्रयास कर रहे हैं। इस प्रकार की घटनाएं केवल बहरैन से विशेष नहीं रहीं बल्कि यमन में भी दस मुहर्रम का दिन इस देश के लोगों के लिए रक्तरंजित दिन रहा। यमन की राजधानी सनआ में मुहर्रम के जुलूस पर आक्रमण के दौरान कम से कम तीन लोग शहीद हुए जबकि दस से अधिक लोग घायल हो गए। यमन के एक धर्मगुरू “इस्माईल इब्राहीम अलवज़ीर” का मानना है कि इसमें सरकार का हाथ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस आतंकवादी कार्यवाही का उद्देश्य, यमन के शीयों और सुन्नियों के बीच मतभेद फैलाना है। सऊदी अरब में भी इमाम हुसैन का शोक मनाने वालों के विरुद्ध इस देश के सुरक्षाबलों ने हिंसक कार्यवाही की। सरकार की ओर से अत्यधिक कड़ाई के बावजूद सऊदी अरब के शीया समुदाय ने इमाम हुसैन की शोक सभाओं में बढ़चढ कर भाग लिया और इमाम हुसैन की शिक्षाओं पर कार्यबद्ध रहने का पुनः प्रण किया। सऊदी अरब में इमाम हुसैन का शोक मनाने वालों ने इस अवसर पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हालिया दिनों में शहीद होने वालों की भी याद मनाई। साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि इस वर्ष सऊदी अरब में मुहर्रम, पिछले मुहर्रमों की तुलना में भिन्न था और यह विषय इस बात का परिचायक है कि इस्लामी जागरूकता की लहर, अरब क्षेत्र के सबसे रूढ़ीवादी देश में बहुत तेज़ी से विस्तृत होती जा रही है जो इस देश के निवासियों में भी गहरी होती जा रही है।
अगर हमला हुआ तो इस्राईल भी नहीं बचेगा।
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध हिज़्बुल्लाह के जनरल सेक्रेटरी सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस्राईल को धमकी दी है कि अगर उसने लेबनान के विरुद्ध जंग शुरू करने की ग़लती की तो तेल अवीव पर हज़ारों मिज़ाइलों की बरसात होगी...........
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध हिज़्बुल्लाह के जनरल सेक्रेटरी सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस्राईल को धमकी दी है कि अगर उसने लेबनान के विरुद्ध जंग शुरू करने की ग़लती की तो तेल अवीव पर हज़ारों मिज़ाइलों की बरसात होगी।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने रविवार को बैरूत में आशूर के उपलक्ष्य में आयोजित एक शोक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस्राईल जो फ़ज्र-5 मिज़ाइलों से कांप उठा है वह तब क्या करेगा जब लेबनान के विरुद्ध ज़ायोनी शासन के हमले के जवाब में तेल अबीब और दूसरे शहरों पर हज़ारों मिज़ाइल गिरेंगे। उन्होंने कहा कि दुश्मन जानता है कि अगर उसने लेबनान के विरुद्ध किसी भी हमले के बारे में सोचा तो उसे किन हालात का सामना करना पड़ सकता है। हिज़्बुल्लाह के जनरल सेक्रेटरी ने कहा कि अगर फ़्युचर में कोई जंग हम पर थोपी गई तो इस्राईल का कोई भी हिस्सा सुरक्षित नहीं रहेगा।
सय्यद हसन नसरुल्लाह ने हालिया ग़ज़्ज़ा जंग का हवाला दिया जो 14 से 21 नवम्बर तक चली और जिसमें ज़ायोनी शासन ने ग़ज़्ज़ा पट्टी पर अपने हैवानी हमलों में 160 फ़िलिस्तीनियों को शहीद और 1200 से अधिक को घायल कर दिया था जबकि फ़िलिस्तीनियों की जवाबी कार्यवाही में कम से कम पांच इस्राईली मारे गए और दर्जनों घायल हुए।