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इस्लामी गणतंत्र ईरान की चाबहार बंदरगाह में चीन पूंजीनिवेश में रूचि ले रहा है।

चीन की डबल वीव कंपनी के कार्यकारी अधिकारी नीक यी ने कहा कि ईरान की चाबहार बंदरगाह की महत्वपूर्ण स्थिति का प्रयोग चीन के व्यापारियों और निवेशकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

चाबहार के फ़्री ट्रेड ज़ोन के अधिकारी अब्दुर्रहीम कुर्दी से चीनी कंपनी के कार्यकारी अधिकारी की महत्वपूर्ण मुलाक़ात हुई जिसमें नीक यी ने कहा कि चीन की कई कंपनियां ईरान के चाबहार क्षेत्र में पूंजीनिवेश करने में रूचि रखती हैं। डबल वीव कंपनी को चीनी सरकार का सपोर्ट है और यह कंपनी समूह एयरपोर्ट, रेल पटरी, हाईवे, जेटी, पुल और बिजलीघर के निर्माण में सक्रिय है। कंपनी में 1700 विशेषज्ञ काम करते हैं और इसे चीन में ट्रिलप ए ग्रेड दिया गया है।

ज़ायोनी संगठनों और यहूदी धर्मगुरूओं ने ज़ायोनी बस्तियों के निवासियों को मस्जिदुल अक़सा पर व्यापक हमले का निमंत्रण दिया है।

क़ुद्स समाचार एजेन्सी की रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी शासन के समर्थक संगठनों ने, जो मस्जिदुल अक़सा में यहूदियों के विशेष उपसना स्थल के समर्थक हैं, ज़ायोनियों को मस्जिदुल अक़सा पर हमले का निमंत्रण दिया है। यह निमंत्रण यहूदियों के विशेष त्योहार के आरंभ होने के उपलक्ष्य में दिया गया।

इस संगठन ने सोमवार से अवैध अधिकृत पश्चिमी बैतुल मुक़द्दस के दैरे-यासीन क्षेत्र में विशेष त्योहार के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रम और प्रशिक्षण के कैंप लगाये हैं।

बहुत से यहूदी धर्मगुरू, जो विशेष उपासना स्थल के समर्थक हैं इन कार्यक्रमों में भाग लेंगे। हो सकता है कि यहूदियों के विशेष उपासना स्थल के समर्थक धर्मगुरूओं के कार्यक्रम में उपस्थित होेने के बाद उन्हें मस्जिदुल अक़सा पर हमले का निमंत्रण दिया जाए।

ज्ञात रहे कि हालिया दिनों में मस्जिदुल अक़सा पर ज़ायोनियों के हमलों में तेज़ी आ गई है और इसके विरोध में फ़िलिस्तीनियों ने तीसरा इंतेफ़ाज़ा शुरु किया जिसमें अबतक 210 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और हज़ारों घायल हो चुके हैं।   

अमरीका के एक पूर्व सेनेटर ने कहा है कि ग्यारह सितंबर की घटना में सऊदी अरब की भूमिका के बारे में हज़ारों प्रमाण मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि स्वयं सऊदियों को पता है कि उन्होंने ग्यारह सितंबर को क्या किया ?

अल आलम टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, सेनेट के पूर्व सदस्य बाॅब ग्राहम और फ़्लोरिडा के गवर्नर ने सीएनएन से बात करते हुए अमरीका से सऊदी अरब के 750 अरब डाॅलर निकालने की रियाज़ की धमकी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे इस बात पर बहुत क्रोध आया किन्तु मुझे बिल्कुल आश्चर्य नहीं हुआ।

सऊदियों को पता है कि ग्यारह सितंबर को उन्होंने क्या किया और उन्हें यह भी पता है कि अमरीका के वरिष्ठ अधिकारी भी जानते हैं कि उन्होंने क्या किया हैै ? वे इस प्रकार का व्यवहार कर रहे हैं जैसे तीन हज़ार अमरीकियों के मारे जाने पर मानो हम उनको कोई उत्तर ही नहीं देंगे। शायद वे यह समझते हैं कि हम सबकुछ कर बैठेंगे लेकिन हमको कुछ नहीं होगा।

इस अमरीकी सेनेटर ने कहा कि सऊदी अरब के अधिकारी, प्रस्ताव पारित कराने से रोकने के लिए अमरीका के वरिष्ठ अधिकारियों पर दबाव डाल रहे हैं। उनकी इस चाल से पता चलता है कि ग्याारह सितंबर की घटना में सऊदी अरब की भूमिका रही है।

बाॅब ग्राहम ने बल दिया कि हज़ारों प्रमाण इस बात को दर्शाते हैं कि ग्यारह सितंबर की घटना में सऊदी अरब की भूमिका थी। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि राष्ट्रपति ओबामा को यह प्रमाण जारी कराने के प्रति कटिबद्ध रहना चाहिए और सऊदियों ने जो कुछ अंजाम दिया है उसके बारे में पूरी पारदर्शिता दिखानी चाहिए ताकि पूरी दुनिया को वास्तविता का पता चल सके।

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह और आयतुल्लाह सीस्तानी के प्रतिनिधि सैयद जवाद शहरिस्तानी के मध्य बैरूत में मुलाक़ात हुई है।

हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह और आयतुल्लाह सीस्तानी के प्रतिनिधि सैयद जवाद शहरिस्तानी ने बैरूत में अपनी मुलाक़ात में लेबनान, इराक़ और क्षेत्र की ताज़ा स्थिति पर विचार विमर्श किया। इस मुलाक़ात में महत्वपूर्ण धार्मिक व राजनैतिक मुद्दों पर भी चर्चा की गई।

ज्ञात रहे कि आयतुल्लाह सीस्तानी के प्रतिनिधि सैयद जवाद शहरिस्तानी ने सोमवार से लेबनान का अपना दौरा आरंभ किया है। उन्होंने अपने इस दौरे में लेबनान के संसद सभापति नबी बिर्री, लेबनान के शिया मुफ़्ती अहमद क़बलान, हिज़्बुल्लाह के धार्मिक परिषद के प्रमुख शैख़ मुहम्मद यज़बिक, सैदा में सुन्नी समुदाय के मुफ़्ती सलीम सूसान और लेबनान के वरिष्ठ धर्म गुरू शैख़ हबीब नाब्लसी से अलग-अलल भंटवार्ताएं कीं।

बैरूत में कूटनयिक सूत्रों का कहना है कि बैरूत में कुछ शिया नेताओं या प्रतिनिधियों की उपस्थिति, इराक़ में शिया धड़ों के मध्य हिज़्बुल्लाह की मध्यस्थता के उद्देश्य से है और सैयद हसन नसरुल्लाह और मुक़तदा सद्र की मुलाक़ात इसी परिधि में है।

कहा जा रहा है कि इस मुलाक़ात में आयतुल्लाह सीस्तानी के प्रतिनिधि सैयद जवाद शहरिस्तानी और इराक़ के पूर्व प्रधानमंत्री नूरी मालेकी भी उपस्थित थे। इस प्रकार यह मुलाक़ात चार पक्षीय वार्ता में परिवर्तित हो गई।

लेबनान में एक राजनैतिक ने इससे पहले कहा था कि सैयद हसन नसरुल्लाह ने मुक़तदा सद्र को विश्वास में ले लिया है ताकि वह बग़दाद के अलख़ज़रा क्षेत्र में अपने समर्थकों की हड़ताल समाप्त करा दें।

मुक़तदा सद्र के समर्थकों ने दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री हैदर अलएबादी की ओर से सुधार के क्रियान्वयन न होने पर आपत्ति जताते हुए हड़ताल शुरु कर दी थी। कहा जा रहा है कि जब मुक़तदा सद्र ने बैरूत का दौरा किय था तो उसी समय सद्र धड़े का एक वरिष्ठ प्रतिनिधि मंडल ईरान के दौरे पर था।

इराक़ में राजनैतिक संकट गहराने का मुख्य कारण व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार और राजनैतिक वर्चस्व तथा राजनीति में अधिक से अधिक की इच्छा है।

ईरान के सेन दिवस के अवसर पर रविवार को प्रक्षेपास्त्रिक रक्षा प्रणाली एस-300 का प्रदर्शन किया गया।

प्रक्षेपास्त्रिक रक्षा प्रणाली एस-300 एक प्रतिरक्षा प्रणाली है। इसके माध्मय से विमानों और मिज़ाइलों को लक्ष्य बनाया जा सकता है।

ईरान पर लगे पश्चिम के प्रतिबंधों के हटने के बाद रूस ने प्रक्षेपास्त्रिक रक्षा प्रणाली एस-300 को ईरान को देने का निर्णय किया जो इस समय ईरान के पास है।

ज्ञात रहे कि प्रेक्षपास्त्रिक रक्षा प्रणाली एस-300 के ईरान के पास आने के बाद पहली बार इसको सार्वजनिक ढंग से पेश किया गया है।

तेहरान में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और ईरानी विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ आमने-सामने

तेहरान दौरे पर आयीं भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने ईरानी समकक्ष से मुलाक़ात की।

इस मुलाक़ात के दौरान दोनों नेताओं ने आपसी रूचि के विषयों पर विचार विमर्श किया। उनका यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों में विस्तार के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है।

इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री अपने ईरानी समकक्ष के निमंत्रण पर शनिवार की शाम तेहरान पहुंची। वह दो दिन के ईरान के दौरे पर आयी हैं। भारतीय विदेश मंत्री राष्ट्रपति रूहानी सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारियों से भी भेंटवार्ता करेंगी।

यह भारतीय विदेश मंत्री का पहला ईरान दौरा है।

सुषमा स्वराज रविवार को सुबह तेहरान स्थित केन्द्रीय विद्यालय गयीं जहां उन्होंने छात्रों और तेहरान में रहने वाले कुछ भारतीय नागरिकों से भी मुलाक़ात की। केन्द्रीय विद्यालय में अपने भाषण में सुषमा स्वराज ने ईरान-भारत के बीच सांस्कृतिक समानताओं का उल्लेख करते हुए कहा, “भारत-ईरान के बीच सांस्कृतिक समानताएं बहुत लंबे समय से हैं और दोनों देशों के संबंध का इतिहास लंबा है।”

उन्होंने कहा कि ईरान हमारा अच्छा पड़ोसी देश है और हम ईरान के साथ संबंध को हमेशा से विशेष महत्व देते हैं।

राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ईरान और भारत के संबंध विस्तार को क्षेत्र की सुरक्षा और आर्थिक विकास के हित में बताया है।

रविवार की शाम तेहरान में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाक़ात में राष्ट्रपति हसन रूहानी ने दोनों देशों की क्षमताओं व संभावनाओं की ओर संकेत किया और कहा कि दोनों देशों के अनेक संयुक्त हित हैं। उन्होंने कहा कि ईरान और भारत आर्थिक संबंधों के रणनैतिक विस्तार के साथ साथ क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भी एक दूसरे से भरपूर सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने ईरान व भारत के उच्चाधिकारियों की दोनों देशों की हालिया व आगामी यात्राओं को संबंध विस्तार में प्रभावी बताते हुए कहा कि ईरान और भारत की अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे की पूरक हैं और ईरान, भारत के विकास के लिए आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति का संतोषजनक स्रोत हो सकता है।

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मुलाक़ात में कहा कि उनका देश ईरान के साथ सभी क्षेत्रों में संबंध विस्तार का इच्छुक है। उन्होंने ईरान और भारत की जनता के मज़बूत रिश्तों को दोनों देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक सहयोग का आधार बताया। सुषमा स्वराज ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को ऊर्जा की ज़रूरत है और हम दोनों देशों के हितों पर आधारित समरसतापूर्ण संबंध स्थापित किए जाने के इच्छुक हैं और ये रिश्ते व्यापारिक सहयोग से इतर होने चाहिए।

नेतनयाहू ने अन्तर्राष्ट्रीय संस्था यूनेस्को के उस प्रस्ताव की कड़ी निंदा की है जिसमें कहा गया है कि मस्जिदुल अक़सा केवल मुसलमानों का उपासना स्थल है।

उन्होंने कहा कि यूनेस्कों ने यह बेवक़ूफ़ी का प्रस्ताव पारित किया है जिसमें मस्जिदुल अक़सा को मुसलमानों का उपासना स्थल बताया गया है। इसमें इसी प्रकार धार्मिक स्थलों तक मुसलमानों की पहुंच को सीमित करने और ग़ज़्ज़ा के परिवेष्टन की कड़ी शब्दों में निंदा की गई है। यूनेस्को के इस प्रस्ताव को इस्राईल को अतिग्रहणकारी शक्ति बताया गया है।

यूनेस्को के इस प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि ज़ायोनी शासन, क्षेत्र में मुसलमानों की निशानियों को तोड़ रहा है।

प्रस्ताव के अनुसार ज़ायोनी शासन के हाथों ग़ज़्ज़ा के परिवेष्टन के कारण ग़ज़्ज़ा वासियों के लिए मानवता प्रेमी सहायता भेजने में नाना प्रकार की समसयाएं आ रही हैं।

उल्लेखनीय है कि फ़िलिस्तीनियों की ओर से ज़ायोनी शासन के नियंत्रण वाले क्षेत्रों के यहूदीकरण की बात बहुत समय से कही जा रही है।

तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा है कि ईरान और तुर्की को क्षेत्र विशेषकर सीरिया और इराक में रक्तपात रोकने के लिए हर दशा में सहयोग करना चाहिए।

राष्ट्रपति हसन रूहानी ने तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान से भेंट की जिसके दौरान दोनों देशों के मध्य 8 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।

सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर के बाद ईरान व तुर्की के राष्ट्रपतियों ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया।

प्रेस कांफ्रेंस में ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर रूहानी ने कहा कि हमने पस्पर संबंधों में विस्तार का संकल्प लिया है क्योंकि प्रतिबंधों और विश्व अर्थ व्यवस्था की स्थिति की वजह से अब तक हम संबंध विस्तार के लिए आवश्यक क़दम नहीं उठा पाए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि ईरान विभिन्न क्षेत्रों में इटली के साथ संबंध विस्तार का स्वागत करता है।

वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने मंगलवार की शाम इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेन्ज़ी से तेहरान में भेंट के दौरान कहा कि इटली के साथ सहयोग के संदर्भ में ईरान का दृष्टिकोण, भिन्न व सकारात्मक है।

वरिष्ठ नेता ने ईरान के विरुद्ध प्रतिबंधों के दौरान इटली के रुख़ को कुछ अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक तार्किक बताया और कहा कि बहुत सी युरोपीय सरकारों और कंपनियों के अधिकारी ईरान आ- जा रहे हैं किंतु उनकी वार्ताओं का अभी तक कोई परिणाम नहीं निकला है।

उन्होंने आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष को ईरान व इटली के मध्य सहयोग के एक अन्य क्षेत्र बताया और कहा कि कुछ युरोपीय देश, कुछ हिंसक आतंकवादी गुटों का बहुत दिनों तक समर्थन करते रहे हैं और आज आतंकवाद की व्यापक और ख़तरनाक लहर, युरोप तक भी पहुंच गयी है।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीका की ओर से आतंकवादियों की सामरिक व आर्थिक मदद, इस समस्या के समाधान की राह में एक बाधा है।

{वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई से मंगलवार की शाम इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेन्ज़ी की भेंट}

वरिष्ठ नेता ने कहा कि दाइश और अन्य आतंकवादी संगठनों को अमरीका की ओर से दी जाने वाली मदद के बारे में विश्वस्त और ठोस सुबूत मौजूद हैं और इस समय भी कि जब अमरीकियों ने दाइश के खिलाफ गठजोड़ भी बना लिया है, अमरीका के कुछ अन्य विभाग अलग ढंग से दाइश की मदद कर रहे हैं।

वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि विश्व में विशाल संचार माध्यमों की सहायता से कि जिन पर पश्चिमी राजनेताओं का प्रभाव है, कुछ दुष्ट आतंकवादियों की कार्यवाहियों को बहाना बना कर इस्लाम विरोधी अभियान चलाया जाता है और पर्दे के पीछे , की जाने वाली साज़िशें, आतंकवाद के खिलाफ सांस्कृतिक संघर्ष को मुश्किल बनाती हैं।

इस भेंट में इटली के प्रधानमंत्री ने भी ईरान के साथ समझौते करने पर अपने देश के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि परमाणु समझौते के बाद ईरान के खिलाफ प्रतिबंध हटने चाहिएं।

इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेन्ज़ी ने आतंकवाद के नाम पर युरोप में इस्लाम को बदनाम किये जाने की कोशिशों पर अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि यह सिद्ध किये जाने की ज़रूरत है कि सभी धर्म , मानव समाज में शांति व सह्रदया व सहिष्णुता के लिए हैं और इस विचारधारा के प्रचार में ईरान के वरिष्ठ नेता की भूमिका व क्षमता अत्यन्त महत्वपूर्ण है।