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इस्राईल के परमाणु बिजलीघर के फटने की संभावना बढ़ी
इस्राईल के विशेषज्ञों ने डिमोना परमाणु बिजलीघर के फटने के प्रति सचेत किया है।
ज़ायोनी शासन की परमाणु ऊर्जा समिति के एक पूर्व सदस्य ने कहा है कि 1500 से अधिक तकनीकी कमियों के कारण इस्राईल का डिमोना परमाणु बिजलीघर इसके क्षतिग्रस्त होने की संभावना बहुत अधिक हो गई है। ऊज़ी अबीन ने रेडियो इस्राईल से बात करते हुए कहा कि घिसापिटा डिमोना परमाणु बिजलीघर इस समय पर्यावरण और अन्नक़ब क्षेत्र के अरबों के लिए गंभीर ख़तरे में बदल चुका है।
इसी बीच ज़ायोनी शासन के एक सांसद तलब अबूअरार ने कहा है कि इस परमाणु बिजलीघर को तत्काल बंद कर दिया जाए क्योंकि यह इसके निकटवर्ती क्षेत्र अन्नक़ब के अरब वासियों के जीवन के लिए गंभीर ख़तरा है। उन्होंने कहा कि यदि डिमोना से कोई क्षति होती है तो इसका ज़िम्मेदार इस्राईल है। डिमोना में काम करने वाले कई लोग असाध्य बीमारियों में ग्रस्त हो चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि सन 1950 के अंत में जनरल डोगल के राष्ट्रपति काल में फ़्रांस की सहायता से अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में डिमोना परमाणु बिजलीघर बनाया गया था। डिमोना की दीवारों से होने वाले रिसाव के कारण जार्डन और मिस्र इसका विरोध कर चुके हैं।
ज़ायोनी शासन ने अमरीकी समर्थन के कारण अबतक एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
हरमे इब्राहीमी में नमाज़ियों के प्रवेश पर प्रतिबंध
ज़ायोनी शासन के अधिकारियों ने अतिग्रहित फ़िलिस्तीन के अलख़लील नगर मेें स्थित ईश्वरीय पैग़म्बर हज़रत इब्राहीम के जन्म स्थल में मुसलमानों के प्रवेश पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार फ़सह नामक यहूदियों के पर्व के बहाने से इस्राईली अधिकारियों ने घोषणा की है कि सोमवार और मंगलवार को हरमे इब्राहीमी में फ़िलिस्तीनी मुसलमानों का प्रवेश वर्जित रहेगा। ज़ायोनियों ने इसी प्रकार अलख़लील नगर में कई सड़कों को भी दो दिन के लिए बंद कर दिया है और घोषणा कर दी है कि फ़िलिस्तीनियों को सोमवार और मंगलवार को इन सड़कों पर आवाजाही की अनुमति नहीं होगी लेकिन यहूदी काॅलोनियों में रहने वाले इन सड़कों पर स्वतंत्रता के साथ आ-जा सकते हैं।
ज्ञात रहे कि ज़ायोनी सैनिक हमेशा, यहूदियों की छुट्टी के अवसर पर अलख़लील नगर में हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के जन्म स्थल को मुसलमानों के लिए बंद कर देते हैं। ज़ायोनी शासन इसी प्रकार इस बहाने से कि अज़ान की आवाज़ यहूदियों के लिए कष्टदायक है, कई बार हरमे इब्राहीमी से अज़ान के प्रसारण पर रोक लगा चुका है। इस्राईल का प्रयास है कि संसद में एक एेसा प्रस्ताव पारित हो जाए जिसके अंतर्गत फ़िलिस्तीनियों के पवित्र स्थलों से अज़ान के प्रसारण को रोक दिया जाए।
इस्राईल के परमाणु प्लांट में 1500 तकनीकी ख़राबियां
ज़ायोनी शासन के परमाणु रिएक्टर में डेढ़ हज़ार से अधिक तकनीकी कमियां, पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर ख़तरे के रूप में मौजूद हैं।
इस्राईल के समाचारपत्र हाआरेत्ज़ ने अपने मंगलवार के संस्करण में लिखा है कि वैज्ञानिकों के अनुसार अतिग्रहित फ़िलिस्तीन में स्थित डिमोना परमाणु संयंत्र में डेढ़ हज़ार से अधिक तकनीकी ख़राबियां हैं जो उसके अधिक समय तक काम करने के कारण अस्तित्व में आई हैं। पत्र के अनुसार डिमोना रिएक्टर वर्ष 1963 से काम कर रहा है जबकि संसार में इस जैसे रिएक्टर 40 साल काम करने के बाद बंद कर दिए गए हैं। हाआरेत्ज़ ने लिखा है कि वैज्ञानिकों की जांच के परिणाम तेल अवीव में परमाणु मामले के संबंध में आयोजित हुए एक सम्मेलन में पेश किए गए।
इस समाचार ने इसी के साथ डिमोना रिएक्टर के सुरक्षित होने का भी दावा करते हुए लिखा है कि वैज्ञानिकों का मानना है कि इन कमियों व ख़राबियों से डिमोना में किसी गड़बड़ का पता नहीं चलता लेकिन सम्मेलन में भाग लेने वाले कुछ वैज्ञानिकों ने इस स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। यह ऐसी स्थिति में है कि जब फ़िलिस्तीनी वैज्ञानिकों ने अलख़लील नगर के दक्षिणी क्षेत्रों में लोगों में कैंसर की दर बढ़ने की ओर से सचेत किया है और विश्व समुदाय से मांग की है कि ज़ायोनी शासन की परमाणु गतिविधियों पर नज़र रखी जाए। एक फ़िलिस्तीनी वैज्ञानिक ने बताया है कि पश्चिमी तट ज़ायोनी शासन का परमाणु कचरा दफ़्न किए जाने का स्थान बन चुका है जिससे इस क्षेत्र में विभिन्न रोगों में वृद्धि हो रही है।
इस्लामी सभ्यता, सीमाओं का विस्तार नहीं हैः वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि इस्लामी सभ्यता, ईरानी-इस्लामी प्रगति के आदर्श के बिना संभव नहीं है।
सोमवार को इस्लामी-ईरानी आदर्श केन्द्र कا सर्वेच्च परिषद के सदस्यों ने वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की। वरिष्ठ नेता ने इस मुलाक़ात में ईरानी-इस्लामी विकसित आदर्श के उत्पादन को इस्लामी सभ्यता के व्यवहारिक होने के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि इस्लामी सभ्यता का अर्थ सीमाओं का विस्तार नहीं बल्कि राष्ट्रों का इस्लाम से वैचारिक रूप से प्रभावित होना है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस्लामी क्रांति का लक्ष्य, इस्लामी सभ्यताओं को व्यवहारिक बनाना बताया। उन्होंने विश्व में प्रचलित विकास के ग़लत और अनुपयोगी आधारों की ओर संकेत करते हुए नये इस्लामी व ईरानी आदर्शों को पेश किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया जिनमें क्रांतिकारी कार्य हों, और इसमें धार्मिक शिक्षा केन्द्रों तथा इस्लाम की मज़बूत व समृद्ध क्षमताओं से लाभ उठाया जाए।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इसी प्रकार दुनिया में मौजूद आदर्शों के बारे में कहा कि विकास के लिए प्रचलित आदर्श, आधारों की दृष्टि से ग़लत और मानववाद तथा ग़ैर ईश्वरीय सिद्धांतों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि प्रभाव व परिणाम की दृष्टि से भी यह उन वचनों को व्यवहारिक नहीं कर सके जो स्वतंत्र और न्याय जैसी चीज़ों के बारे में दिये गए थे।
अमरीका के बाद अब रूस, ईरान से 40 टन भारी पानी ख़रीदेगा
रूस ईरान से 40 टन भारी पानी ख़रीदने पर विचार कर रहा है।
ईरान और विश्व की शक्तियों के बीच पिछले साल हुए परमाणु समझौते के मुताबिक़, तेहरान भारी पानी के अपने भंडार में कटौती करेगा।
रविवार को ईरान के उप विदेश मंत्री अब्बास इराक़ची ने भी कहा था कि हम रूस को 40 टन भारी पानी बेचने के लिए मास्को के साथ बातचीत कर रहे हैं।
इससे पहले अमरीका ने कहा था कि वह जेसीपीओए के तहत वाशिंगटन, तेहरान से 32 टन भारी पानी ख़रीदेगा।
अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जान कर्बी के मुताबिक़, तेहरान से भारी पानी ख़रीदने का उद्देश्य जेसीपीओए के क्रियान्वयन में तेहरान की सहायता करना है।
बड़ी शक्तियों के विरोध के बावजूद स्वाधीन देश आपसी सहयोग बढ़ाएं
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि स्वाधीन देशों को अधिक से अधिक एक दूसरे से निकट होना चाहिए और कुछ साम्राज्यवादी शक्तियों की ओर से रुकावटें डाले जाने के बावजूद अपने सहयोग को बढ़ाना चाहिए।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने रविवार की शाम दक्षिणी अफ़्रीक़ा के राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा से मुलाक़ात में दक्षिणी अफ़्रीक़ा के साथ आर्थिक व राजनैतिक क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की ज़रूरत पर बल देते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ने इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद लगभग एक साथ ज़ायोनी शासन से भी और दक्षिणी अफ़्रीक़ा की नस्ल भेदी सरकार से भी अपने संबंध तोड़ लिए थे। उन्होंने दक्षिणी अफ़्रीक़ा की अपार्थाइड सरकार को गिराने में इस देश के नेता नेल्सन मंडेला की अहम भूमिका और इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ उनके अच्छे संबंधों की ओर संकेत करते हुए कह कि मंडेला और दक्षिणी अफ़्रीक़ा की जनता का संघर्ष जारी रहने से अत्याचारी व अमानवीय सरकार गिर गई और मंडेला ने अपने इस काम से पूरे अफ़्रीक़ा में संघर्ष मंच पर एक नई आत्मा फूंक दी।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने दक्षिणी अफ़्रीक़ा के संबंध में ईरान के दृष्टिकोण को सार्थक व सकारात्मक बताया और कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों व संस्थाओं में दोनों देशों का सहयोग अत्यंत लाभदायक व प्रभावी है लेकिन आर्थिक एवं व्यापारिक लेन-देन भी ईरान व दक्षिणी अफ़्रीक़ा की क्षमताओं के अनुसार बढ़ना चाहिए। इस मुलाक़ात में दक्षिणी अफ़्रीक़ा के राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा ने अपने देश की नस्ल भेदी सरकार के साथ संघर्ष में ईरान के समर्थन के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि उनके देश की जनता कभी भी ईरान के समर्थन को नहीं भूलेगी। उन्होंने कहा कि कुछ बड़ी शक्तियां निराधार बहानों से स्वाधीन देशों के आपसी संबंधों में विस्तार में रुकावट डालती हैं लेकिन वैश्विक मामलों में एकता व एकजुटता के माध्यम से बहुत सी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
अमेरिका, ईरान का अरबों डॉलर न देने के लिए निराधार दावे करता- रहता है
ईरान के उपराष्ट्रपति इस्हाक़ जहांगीरी ने कहा है कि सरकार अमेरिका द्वारा रोकी गयी सम्पत्ति को वापस लाने के लिए समस्त साधनों का प्रयोग करेगी।
ईरान के केन्द्रीय बैंक के प्रमुख वलीयुल्लाह सैफ़ ने भी कहा है कि बैरूत में अमेरिका के छाताधारी सैनिकों के केन्द्र में विस्फोट में ईरान का हाथ होने के निराधार बहाने से अमेरिका ने इस देश के सप्रीम कोर्ट के आदेश से ईरान की सम्पत्ति रोक रखी है। विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने भी इस आदेश को ईरान की सम्पत्ति की चोरी बताया है। अमेरिका के सप्रीम कोर्ट ने पिछले बुधवार 20 अप्रैल को एक आदेश में घोषणा की थी कि ईरान की रोकी गयी लगभग दो अरब डॉलर की सम्पत्ति को उन अमेरिकी परिजनों को दी जानी चाहिये जिनके नौ सैनिक बैरूत में वर्ष 1983 में होने वाले बम विस्फोट में मारे गये थे।
साथ ही अमेरिका परमाणु समझौते के क्रियान्वयन के मार्ग में आना- कानी से काम ले रहा है जिससे प्रतीत यह हो रहा है कि परमाणु समझौते के बाद अमेरिकी शत्रुता नया रूप धारण कर रही है। अमेरिका की इस कार्यवाही को प्रतिक्रियाओं और आलोचनाओं का सामना है। विशेषकर उस स्थिति में जब ईरान के विदेशमंत्री जवाद ज़रीफ़ ने अपने अमेरिकी समकक्ष जान केरी से परमाणु समझौते क्रियान्वयन के संबंध में भेंटवार्ता की है। इस्लामी गणतंत्र ईरान ने परमाणु समझौते के संबंध में अपने समस्त वचनों का पालन किया है और अपने वचनों के प्रति कटिबद्ध रहकर उसने अपनी सदभावना सिद्ध कर दी है परंतु अमेरिका विभिन्न बहानों से अपने वचनों पर अमल करने में आना- कानी से काम ले रहा है। परमाणु समझौते को लागू हुए तीन महीने से अधिक का समय गुज़र रहा है और अमेरिका ऐसे मुद्दों को उठा रहा है जिनका परमाणु समझौते से कोई संबंध नहीं है परंतु उनका प्रभाव ईरान पर प्रतिबंधों से कम नहीं है। साथ ही अमेरिका ईरान को सुरक्षा के लिए ख़तरा बताने व दिखाने के प्रयास में है ताकि दूसरे विशेषकर फार्स की खाड़ी के देशों के हाथ अधिक से अधिक हथियार बेच सके। बहरहाल किसी प्रकार के प्रमाण के बिना ईरान विरोधी दावे का क्रम यथावत जारी है जिस प्रकार पिछले वर्षों से लेकर अब तक अमेरिकी अधिकारी करते आ रहे हैं।
نَبِّئْ عِبَادِي أَنِّي أَنَا الْغَفُورُ الرَّحِيمُ
भारत के बैलेस्टिक मीज़ाइल के परीक्षण से पाकिस्तान चिंतित
पाकिस्तान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत की ओर से पनडुब्बी परमाणु वाॅर हेड्स ले जाने वाले बैलेस्टिक मीज़ाइल के परीक्षण पर चिंता व्यक्त की है।
तसनीम न्यूज़ एजेन्सी की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता मुहम्मद नफ़ीस ज़करिया ने इस संबंध में कहा किा इस मीज़ाइल परीक्षण से दोनों देशों के मध्यय परमाणु हथियारों की होड़ तेज़ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को द्विपक्षीय समझौते के अनुसार पाकिस्तान को मीज़ाइल परीक्षण से अवगत करना चाहिए था किन्तु उसने एेसा नहीं किया।
उन्होंने भारत के साथ शांति वार्ता की ओर संकेत करते हुए कहा कि इस्लामाबाद, नई दिल्ली के साथ वार्ता के लिए तैयार है किन्तु उसे कश्मीर में मानवाधिकार के उल्लंघन पर चिंता है।
ज्ञात रहे कि भारत की नौेसना ने हाल ही में घोषणा की है कि उसने पनडुब्बी से फ़ायर किए जाने वाले बैलेस्टिक मीज़ाइल का सफल परीक्षण किया है, यह मीज़ाइल परमाणु वाॅर हेड्स ले जाने में सक्षम है।
ईरानः अमरीका को भारी पानी की बिक्री की पुष्टि
ईरान ने अमरीका को भारी पानी बेचने की रिपोर्टों की पुष्टि कर दी है।
वरिष्ठ परमाणु वार्ताकार अब्बास इराक़ची ने शुक्रवार को बताया है कि ईरान और गुट पांच धन एक के संयुक्त आयोग ने शुक्रवार को एक अमरीकी कंपनी को भारी पानी बेचने के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
इराकची ने बल दिया कि अराक के 32 टन भारी पानी को बेचने के लिए वार्ता और समझौते में तीन महीने का समय लगा और अन्ततः शुक्रवार को इस समझौते पर हस्ताक्षर हो गये।
उन्होंने कहा कि कुछ अन्य देशों ने भी ईरान से भारी पानी खरीदने में रूचि प्रकट की है।
अमरीका के ऊर्जा विभाग के प्रवक्ता ने भी शुक्रवार को बताया है कि यह विभाग ईरान से 32 टन हेवी वॅाटर खरीदेगा।
प्रवक्ता ने बताया कि अमरीका, ईरान का स्थायी ग्राहक नहीं बनेगा और ईरान से भारी पानी खरीद कर उसे अमरीकी नेशनल लैआ तथा अन्य अनुसंधान केन्द्रों को बेचेगा।