
رضوی
यूरोपीय देशों के साथ संबंधों में सुधार के लिए ईरान ने रखी शर्त
ईरान के नए विदेश मंत्री सैयद अब्बास इराक़ची ने विदेशी मीडिया के साथ अपने पहले इंटरव्यू में कहा है कि तेहरान, वाशिंगटन के साथ तनाव को मैनेज करने और यूरोपीय देशों के साथ सशर्त संबंधों में सुधार के लिए तैयार है।
ईरानी संसद से विश्वासमत प्राप्त करने के बाद, इराक़ची ने अपने पहले इंटरव्यू में कहाः विदेश मंत्रालय यूरोपीय देशों के साथ संबंधों में सुधार करने के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए पहले उन्हें शत्रुतापूर्ण रवैया छोड़ना होगा और 2015 परमाणु समझौते को जीवित करने के लिए प्रयास करने होंगे।
जापान की क्यूडो न्यूज़ एजेंसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहाः मैंने संसद में अपने भाषण में कहा है कि हमारा उद्देश्य, गंभीर वार्ता द्वारा प्रतिबंधों और विशेष रूप से एकपक्षीय प्रतिबंधों को हटवाना है।
उन्होंने ईरान और जापान के बीच अच्छे संबंधों का उल्लेख करते हुए कहाः
ईरान का विदेश मंत्रालय तेहरान और टोक्यो के बीच सभी क्षेत्रों में संबंधों को मज़बूत बनाने पर काम करेगा और जापान के अपने गहन ज्ञान के आधार पर बनाए गए व्यापक रोड मैप के आधार पर क्षेत्रीय संकटों से निपटने के लिए टोक्यो के साथ सहयोग करेगा।
उन्होंने कहा कि ईरान, तेल और ऊर्जा के क्षेत्र में जापानी कंपनियों का स्वागत करेगा। ईरान का मानना है कि दोनों देशों के बीच सहयोग की असीम संभावनाएं हैं, जिससे पूरे एशिया में एक लाभदायक भागीदारी बन सकती है।
ईरानी विदेश मंत्री का कहना था कि दोनों देशों के बीच दोस्ती, परस्पर समझ, सम्मान और भरोसा बना हुआ है। ईरान की नई सरकार पूर्वी एशिया के साथ अपने संबंधों में विस्तार पर काम करेगी।
ज़ियारते अरबईन
सलाम हो हुसैन पर, सलाम हो कर्बला के असीरों पर, सलाम हो कटे हुए सरों पर, सलाम हो प्यासे बच्चों पर, सलाम हो टूटे हुए कूज़ों पर,
सलाम हो उन थके हुए क़दमों पर जो चेहलुम पर हुसैन की माँ कायनात की शहज़ादी हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के सामने शोक व्यक्त करने के लिए कर्बला की तरफ़ पैदल चले जा रहे हैं।
सलाम हो उन अज़ादारों पर जो इश्के हुसैन में पैरों में पड़े हुए छालों के साथ पैदल चल रहे है
चेहलुम शीअत और इन्सानियत के इतिहास का ऐसा दिन है जब हर हुसैन का चाहने वाला यह सोंचता है कि चेहलुम के दिन आपके हरम में पहुँच कर आपको पुरसा दे आपके सामने शोक व्यक्त करे।
और यही वह दिन है जिसके बारे में हमारी दुआओं की पुस्तकों में एक ज़ियारत के बारे में लिखा गया है कि इस ज़ियारत को उस दिन पढ़ना चाहिए और वह ज़ियारत है
ज़ियारते अरबईन
ज़ियारते अरबईन के बारे में इमाम हसन अस्करी (अ) फ़रमाते हैं:
मोमिन की पाँच निशानियाँ है
- एक दिन में 51 रकअत नमाज़ पढ़ना।
- दाहिने हाथ में अंगूठी पहनना।
- मिट्टी पर सजदा करना।
- बिस्मिल्लाह को तेज़ आवाज़ में पढ़ना।
- ज़ियारते अरबई पढ़ना।
तो यह वह ज़ियारत है जो मोमिन की निशानियों में से है, अब प्रश्न यह उठता है कि आख़िर इस ज़ियारत में है क्या जो इसको मोमिन की निशानियों में से कहा गया है।
इस लेख में हम संक्षिप्त रूप में ज़ियारते अरबईन के बार में और उसमें क्या बयान किया गया है बताएंगे।
इमाम हुसैन (अ) के मक़ामात
यह वह महान ज़ियारत है जिसमें इमाम हुसैन (अ) के मक़ामात के बयान किया गया है कि इमाम हुसैन कौन थे और उनके क्या मक़ामात थे।
आपके बारे में कहा गया है कि हुसैन ख़ुदा के वली है, इमाम हुसैन अल्लाह के हबीब है हुसैन अल्लाह के ख़लील है।
अब यहा पर यह संदेह न पैदा हो कि यह कैसे हो सकता है कि हुसैन ख़लील और हबीब हों क्योंकि यह तो इब्राहीम और पैग़म्बर थे, तो याद रखिए कि हुसैन को नबियों का वारिस कहा गया है तो जो विशेषताएं पहले के नबियों में थी वही हुसैन में भी मौजूद हैं, अगर इब्राहीम ख़लील हुए तो वह हुसैन का सदक़ा है क्योंकि आयत में कहा गया है कि
وَإِنَّ مِن شِیعَتِهِ لَإِبْرَاهِیمَ.
इब्राहीम उनके शियों में से थे।
फिर कहा गया है कि हुसैन शहीद हैं, शहीद का महत्व क्या है ? शहादत वह स्थान है जो ख़ुदा हर एक को नही देता है
हुसैन असीरे कुरोबात हैं,
यह असीरे कुरोबात क्या है?
इसका अर्थ समझने के लिए इस मिसाल को देखें , कभी आपने किसी भेड़िये को देखा है भेड़िये की आदत यह होती है कि अगर वह किसी भेड़ के गल्ले पर हमला कर दे तो वह आख़िर कितनी भेड़ों को खा सकता है एक या दो इससे अधिक नही लेकिन अगर वह हलमा कर दे तो वह जितनी भेड़ों को पाता है मार देता है खा पाए या न खा पाए, यानी भेड़िये का गुण यह है कि जिसको पाए क़त्ल कर दो अगर एक बेड़िये की यह आदत होती है तो आप सोंचें कि अगर किसी एक भेड़ पर दस भेड़िये हमला कर दें तो उस भेड़ का क्या होगा उसमें क्या बचेगा।
इसी प्रकार इमाम हुसैन (अ) भी थे जब यज़ीदी भेड़ियों ने इमाम हुसैन पर हमला किया तो हुसैन में कुछ नहीं बचा जिसके बताया जा सकता, एक लाश ती जिसका सर कटा हुआ था लिबास नहीं था, जिस्म घोड़ों की टापों से पामाल था, जिस्म टुकड़े टुकड़े हो चुका था।
फ़ातेमा का वह हुसैन कहां था.... जिसे उन्होंने बहुत प्यार से चक्कियां पीस पीस कर पाला था।
हुसैन क़तीले अबरात हैः यानी हुसैन की शहादत रहती दुनिया तक के लिए लोगों के रिए इबरत बन गई।
फ़िर इस ज़ियारत में ज़ियारत पढ़ने वाला कहता है कि मैं गवाही देता हूँ कि हुसैन ख़ुदा के वही हैं उनको शहादत के माध्यम से सम्मान दिया गया.... और हुसैन नबियों के वारिस हैं
हुसैन नबियों के वारिस हैं हर चीज़ में अगर नूह ने अपने ज़माने में तूफ़ान देका तो वारिसे नूह ने हुमराही के तूफ़ान से मुक़ाबला किया अगर मूसा ने अपने ज़माने के फ़िरऔन को ग़र्क़ किया तो वारिसे मूसा ने युग के फ़िरऔर यज़ीद को डिबो दिया, अगर याबूक़ ने अपने यूसुफ़ को खो दिया तो वारिसे याक़ूब हुसैन ने अपने यूसुफ़ अली अक़बर के सीने पर भाला लगा देखा।
फिर इसके बाद इस ज़ियारत में उन लोगों के बारे में कहा गया है जो हुसैन के दुश्मन थे।
किन लोगों ने हुसैन से शत्रुता की
हुसैन के शत्रु वह लोग हैं जिनको इस दुनिया ने धोखा दिया, उन्होंने इस दुनिया के चार दिन के जीवन के लिए रसूल ने नवासे को शहीद कर दिया और सदैव के लिए ख़ुदा का क्रोध ख़रीद लिया, यह लोग दुनिया की चकाचौंध में खो गए और आख़ेरत को भूल गए और उसके बाद
न ख़ुदा ही मिला न विसाले सनम
यह दुनिया क्या है?
दुनिया एक बूढ़ी कुवांरी औरत की तरह है जिसने श्रंगार कर लिया है और इस संसार के सारे लोगों से शादी की है लेकिन किसी हो भी स्वंय पर हावी नहीं होने दिया है और अपने सारे पतियों की हत्या कर दी है।
यह है दुनिया की वास्तविक्ता
न दुनिया मिली और न ही आख़ेरत दुनिया में लानती क़रार पाए और आख़ेरत में नर्क की आग उनका ठिकाना बनी।
यह ज़ियारत बता रही है कि हुसैन के शत्रु सभी आरम्भ से ही बेदीन नहीं थे बल्कि कुछ वह लोग भी थे जो ईश्वर की इबादत करने वाले थे लेकिन जब इम्तेहान का मौक़ा आया तो वह फ़ेल हो गए।
आपने बलअम बाऊर का वाक़ेआ तो सुना ही होगा, वह बलअम जिसके पास इसमे आज़म था जिससे वह बड़े बड़े काम कर सकता था लेकिन उसने इस इसमें आज़म को ख़ुदा के नबी मूसा के मुक़ाबले में प्रयोग किया और हमेशा के लिए ख़ुदा के क्रोध का पात्र बन गया।
इसी प्रकार वह इबादत करने वाले जो ख़ुदा के वली हुसैन के मुक़ाबले में आ गए वह हमेशा के लिए ख़ुदा के क्रोध का पात्र बन गए।
इसके बाद ज़ियारत पढ़ने वाला हुसैन पर सलाम भेजता है, सलाम हो तुम पर हे पैग़म्बर के बेटे मैं गवाही देता हूँ कि आप ख़ुदा की अमानत के अमानतदार हैं... आप मज़लूम शहीद किए गए, ख़ुदा आपका साथ छोड़ देने वालों पर अज़ाब करेगा और उन पर जिन्होंने आपको क़त्ल किया।
फिर कहता है, ख़ुदा लानत करे उस उम्मत पर जिन्होंने आपको क़त्ल किया और उस उम्मत पर जिन्होंने इसको सुना और इस पर राज़ी रहे।
हे ख़ुदा मैं मुझे गवाह बनाता हूँ कि मैं उसका दोस्त हो जिसने उनसे दोस्ती रखी और उनका दुश्मन हो जिन्होंने उनसे शत्रुता दिखाई।
मेरी सहायता आपके लिए तैयार है।
और यही कारण है कि आज जैसा जैसा समय व्यतीत होता जा रही है हुसैन का चेलहुल और अज़ीम होता जा रहा है यह पैदल चलने वालों का काफ़िला बढ़ता जा रहा है आज लोग 1000 से भी अधिक किलोमीटर का फ़ासेला पैदल तै कर के आ रहे हैं ख़तरा है, मौत का डर हैं लेकिन हुसैन के इन आशिक़ों पर किसी चीज़ का असर नहीं है, और इसीलिए कहा गया है कि इमामे ज़माना के ज़ुहूर का समय जितना पास आता जाएगा हुसैन का चेहलुम उनता ही अधिक शानदार और अज़ीम होता जाएगा।
मैं गवाही देता हूँ कि मैं आप पर विश्वास रखता हूँ और आपके पलट कर आने पर मेरा अक़ीदा है मेरा दिल आपके साथ है, मैं आपके साथ हूँ आपके साथ हूँ, आपके शत्रुओं के साथ नहीं हूँ।
ख़ुदा का सलाम हो आपकी आत्मा पर आपके शरीर पर आपके अपस्थित पर अनुपस्थित पर आपके ज़ाहिर और बातिन पर।
अंत में ईश्वर से यही प्रार्थना है कि हमको हुसैन के सच्चे मानने वालों में शुमार करे
मर्द को क़द्रदान होना चाहिए
सुप्रीम लीडर ने फरमाया, जहां घर में औरतों का मुख रोल होता है वहीं पर मर्द का भी किरदार किसी चीज़ से काम नहीं होता लेकिन शर्त यह है कि मर्द को क़द्रदान होना चाहिए।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने फरमाया,घर में औरत के किरदार के बारे में मुसलसल कुछ न कुछ कहा जाता है, इसका तर्क भी स्पष्ट है क्योंकि औरत का घर में मुख्य रोल होता है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि घर में मर्द का कोई फ़रीज़ा, कोई ज़िम्मेदारी और कोई किरदार न हो।
वह मर्द जो बेफ़िक्र हों, जोश व जज़्बे से ख़ाली हों, भोग विलास के आदी हों और घर में औरत की ज़हमतों की क़द्र न करते हों वे घर के माहौल को नुक़सान पहुंचाते हैं मर्द को क़द्रदान होना चाहिए।
कुछ घरेलू औरतें काम काज के लिए बाहर जा सकती थीं, कुछ उच्छ शिक्षा के लिए बाहर जा सकती थीं, कुछ उच्च शिक्षा से संपन्न थीं लेकिन उन्होंने कहा कि हम बच्चे की देखभाल करना चाहते हैं।
उसकी अच्छी परवरविश करना चाहते हैं और इसीलिए हमने मुलाज़ेमत के लिए बाहर जाना नहीं चाहा। इस तरह की औरतों की क़द्रदानी करनी चाहिए।
फ़्रीस्टाइल कुश्ती में ईरानी नौजवानों की टीम ने चैंपियन का ख़िताब जीत लिया
इस्लामी गणतंत्र ईरान की फ्रीस्टाइल कुश्ती के नौजवानों की टीम ने विश्व चैंपियन का ख़िताब जीत लिया।
ईरानी नौजवानों की फ्रीस्टाइल कुश्ती की टीम ने तीन स्वर्ण और तीन कांस्य पदक प्राप्त करके विश्व चैंपियन का ख़िताब जीत लिया।
जार्डन की राजधानी अम्मान में 19 अगस्त से लेकर 21 अगस्त तक फ्रीस्टाइल कुश्ती का मुक़ाबला हुआ था।
अम्मान में आयोजित प्रतिस्पर्धा में ईरानी टीम ने 140 अंक प्राप्त करके विश्व चैंपियन का ख़िताब जीत लिया जबकि उज़्बेकिस्तान 113 अंक हासिल करके दूसरे स्थान पर और 105 अंक हासिल करके आज़रबाईजान गणराज्य तीसरे स्थान पर रहा। ईरान की फ्रीस्टाइल कुश्ती की टीम ने इससे पहले वाले मुक़ाबले में भी चैंपियन का ख़िताब जीता था।
गाज़ा में इज़रायली सेना के 6 शव बरामद
इजरायल और हमास के बीच लड़ाई रुकने का नाम नहीं ले रही है इस बीच गाज़ा में इज़रायली सेना को 6 बंधकों के शव बरामद हुए हैं।
इजरायल और हमास के बीच लड़ाई रुकने का नाम नहीं ले रही है इस बीच गाजा में इजरायली सेना को 6 बंधकों के शव मिले हैं इजरायली सेना ने यह नहीं बताया कि इन लोगों की मौत कैसे हुई।
इजराइल की सेना ने कहा है कि उसने पिछले साल सात अक्टूबर को हमास के हमले के दौरान बंधक बनाए गए छह लोगों के शव बीती रात बरामद किए हैं।
सेना ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि उसके सैनिकों ने दक्षिण गाजा में बीती रात अभियान के दौरान ये शव बरामद किए हैं।
सेना के मुताबिक मृतकों की पहचान यागेव बुश्ताब, एलेक्जेंडर डैनकिग, अवराहम मंडर, योराम मेत्सगर, नदाव पोपलवेल और हाइम पेरी के रूप में हुई है।
हालांकि सेना ने यह नहीं बताया कि उनकी मौत कब और कैसे हुई ये शव ऐसे समय में बरामद हुए हैं जब अमेरिका, मिस्र व कतर इजराइल और हमास के बीच संघर्ष विराम समझौते के लिए प्रयास कर रहे हैं।
कुम में अरबईन वांक का आयोजन
अरबईन में कर्बला ना जा पाने वाले लोगों के लिए कुम अलमुकद्देसा में अरबईन वांक का आयोजन किया गया हैं,ज़ायरीन बुलवारे पैगंबर ए आज़म से पैदल मस्जिदे जमकरान तक जाएंगे।
अरबईन में कर्बला ना जा पाने वाले लोगों के लिए कुम अलमुकद्देसा में अरबईन वांक का आयोजन किया गया हैं,ज़ायरीन बुलवारे पैगंबर ए आज़म से पैदल मस्जिदे जमकरान तक जाएंगे।
यह पैदल मार्च दोपहर 3.30 बजे आयोजित किया गया है शाम 5:00 बजे मस्जिदे जामकरान में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के लिए मजलिस और मातम शुरू होगा।
यह पैदल मार्च क़ुम अलमुकद्देसा के अन्य क्षेत्रों में भी आयोजित किया गया है कंवात क्षेत्र में सुबह 8.30 बजे, काहक में सुबह 10 बजे पिछले साल की तरह इस साल भी लोग चलकर अरबईम वाक करेंगे।
ईरान और क्यूबा की बैठक
ईरान की राज़ी संस्था
ईरान की राज़ी संस्था और PASTEUR INSTITUTE OF IRAN के प्रतिनिधि और क्यूबा की कंपनियों के प्रतिनिधियों ने एक संयुक्त बैठक में इस बात की समीक्षा की कि अमेरिकी प्रतिबंधों और ग़ैर क़ानूनी व एकपक्षीय कार्यवाहियों के कारण बहुत से देश तकनिक और विज्ञान से लाभ उठाने से किस प्रकार वंचित हैं।
बुधवार को ग्लूकोज़ बनाने वाली ईरानी संस्था राज़ी और PASTEUR INSTITUTE OF IRAN के प्रतिनिधियों ने स्विट्ज़रलैंड के जनेवा शहर में अपने क्यूबा समकक्षों के साथ एक बैठक की जिसमें बॉयोलोजिकल हथियार (BTWC) के अप्रसार के कंन्वेन्शन को मज़बूत करने पर बल दिया गया है।
इसी प्रकार ईरान में राज़ी संस्था और PASTEUR INSTITUTE OF IRAN के प्रतिनिधि कैहान आज़ाद मनिश ने बॉयोलोजिकल साइंस के क्षेत्र में सेनेगल, मोर्तानिया, माली, उज़्बेकिस्तान और क्यूबा जैसे देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सहयोग की ओर संकेत किया और वैक्सीन और ग्लूकोज़ निर्माण के क्षेत्र में विभिन्न शिक्षा व प्रशिक्षक दौरों के आयोजन की ओर इशारा किया।
इसी प्रकार ईरान की राज़ी संस्था और PASTEUR INSTITUTE OF IRAN के प्रतिनिधि कैहान आज़ाद मनिश ने टीबी, महामारी, चेचक और कोविड- 19 जैसी बीमारियों को कंट्रोल करने और उन्हें समूल नष्ट करने में इन संस्थाओं की भूमिका की ओर संकेत किया। इसी प्रकार उन्होंने वैक्सीन बनाने, हेपाटाइटिस बी और कोविड-19 की वैक्सीन के निर्माण में ईरान और क्यूबा के बीच होने वाली सहकारिता पर रोशनी डाली। उन्होंने बॉयोलोजिकल कंन्वेन्शन के परिप्रेक्ष्य में चिकित्सा सेवाओं में सहयोग को सुनिश्चित बनाने का आह्वान किया।
उल्लेखनीय है कि बॉयोलोजिकल या जैविक हथियारों को न बनाने, उनमें अप्रसार और उनके ग़ैर भंडारण के कंन्वेशन पर क्रियान्वयन वर्ष 1975 से अनिवार्य हो गया है और अब तक दुनिया की 187 सरकारें इसकी सदस्यता ग्रहण कर चुकी हैं।
जैविक कंन्वेन्शन के दसवें अनुच्छेद के अनुसार बॉयोलोजिकल सांइस से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए लाभ उठाना समस्त सदस्य देशों का क़ानूनी अधिकार है और कंन्वेन्शन सदस्य देशों के लिए ज़रूरी करता है कि बॉयोलोजिकल साइंस और उससे संबंधित तकनीक से शांतिपूर्ण उद्देश्यों से लाभ उठाने में वे एक दूसरे की मदद व सहयोग करें परंतु अमेरिका ग़ैर क़ानूनी प्रतिबंध लगाकर और जैविक कंन्वेन्शन सहित अंतरराष्ट्रीय कंन्वेन्शनों का उल्लंघन करके देशों को उनके क़ानूनी अधिकारों से लाभ उठाने की अनुमति नहीं देता है।
और PASTEUR INSTITUTE OF IRAN के प्रतिनिधि और क्यूबा की कंपनियों के प्रतिनिधियों ने एक संयुक्त बैठक में इस बात की समीक्षा की कि अमेरिकी प्रतिबंधों और ग़ैर क़ानूनी व एकपक्षीय कार्यवाहियों के कारण बहुत से देश तकनिक और विज्ञान से लाभ उठाने से किस प्रकार वंचित हैं।
बुधवार को ग्लूकोज़ बनाने वाली ईरानी संस्था राज़ी और PASTEUR INSTITUTE OF IRAN के प्रतिनिधियों ने स्विट्ज़रलैंड के जनेवा शहर में अपने क्यूबा समकक्षों के साथ एक बैठक की जिसमें बॉयोलोजिकल हथियार (BTWC) के अप्रसार के कंन्वेन्शन को मज़बूत करने पर बल दिया गया है।
इसी प्रकार ईरान में राज़ी संस्था और PASTEUR INSTITUTE OF IRAN के प्रतिनिधि कैहान आज़ाद मनिश ने बॉयोलोजिकल साइंस के क्षेत्र में सेनेगल, मोर्तानिया, माली, उज़्बेकिस्तान और क्यूबा जैसे देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सहयोग की ओर संकेत किया और वैक्सीन और ग्लूकोज़ निर्माण के क्षेत्र में विभिन्न शिक्षा व प्रशिक्षक दौरों के आयोजन की ओर इशारा किया।
इसी प्रकार ईरान की राज़ी संस्था और PASTEUR INSTITUTE OF IRAN के प्रतिनिधि कैहान आज़ाद मनिश ने टीबी, महामारी, चेचक और कोविड- 19 जैसी बीमारियों को कंट्रोल करने और उन्हें समूल नष्ट करने में इन संस्थाओं की भूमिका की ओर संकेत किया। इसी प्रकार उन्होंने वैक्सीन बनाने, हेपाटाइटिस बी और कोविड-19 की वैक्सीन के निर्माण में ईरान और क्यूबा के बीच होने वाली सहकारिता पर रोशनी डाली। उन्होंने बॉयोलोजिकल कंन्वेन्शन के परिप्रेक्ष्य में चिकित्सा सेवाओं में सहयोग को सुनिश्चित बनाने का आह्वान किया।
उल्लेखनीय है कि बॉयोलोजिकल या जैविक हथियारों को न बनाने, उनमें अप्रसार और उनके ग़ैर भंडारण के कंन्वेशन पर क्रियान्वयन वर्ष 1975 से अनिवार्य हो गया है और अब तक दुनिया की 187 सरकारें इसकी सदस्यता ग्रहण कर चुकी हैं।
जैविक कंन्वेन्शन के दसवें अनुच्छेद के अनुसार बॉयोलोजिकल सांइस से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए लाभ उठाना समस्त सदस्य देशों का क़ानूनी अधिकार है और कंन्वेन्शन सदस्य देशों के लिए ज़रूरी करता है कि बॉयोलोजिकल साइंस और उससे संबंधित तकनीक से शांतिपूर्ण उद्देश्यों से लाभ उठाने में वे एक दूसरे की मदद व सहयोग करें परंतु अमेरिका ग़ैर क़ानूनी प्रतिबंध लगाकर और जैविक कंन्वेन्शन सहित अंतरराष्ट्रीय कंन्वेन्शनों का उल्लंघन करके देशों को उनके क़ानूनी अधिकारों से लाभ उठाने की अनुमति नहीं देता है।
ईरानः जवाब उस वक़्त होगा जब इस्राईली सरकार को कम से कम संभावना होगी
संयुक्त राष्ट्रसंघ में ईरानी राजदूत से जब यह पूछा गया कि हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख इस्माईल हनिया की शहादत के बदले में ईरान ज़ायोनी सरकार पर कब हमला करेगा तो उन्होंने कहा कि ईरान का जवाब इस प्रकार और ऐसे समय में होगा जब ज़ायोनी सरकार को कम से कम संभावना व अपेक्षा होगी।
हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख इस्माईल हनिया 10 मुर्दाद को ईरान के राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए तेहरान आये थे कि उन्हें शहीद कर दिया गया।
इस अपराध के बाद ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता इमाम ख़ामेनेई ने एक संदेश में बल देकर कहा था कि अपराधी और आतंकवादी ज़ायोनी सरकार ने यह अपराध अंजाम देकर स्वयं को कड़े दंड का पात्र बना लिया है।
प्रेस टीवी की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रसंघ में ईरानी राजदूत ने एक बयान जारी करके एलान किया है कि ईरान का जवाब ऐसे समय में और इस प्रकार होगा जब ज़ायोनी सरकार को कम से कम संभावना होगी, उस समय शायद ज़ायोनियों की आंखें आसमान की ओर या राडार पर होंगी, ज़मीन से वे हतप्रभ हो जायेंगे या इन दोनों से मिलकर। इसी प्रकार राष्ट्रसंघ में ईरानी राजदूत ने बल देकर कहा कि ईरानी जवाब के दो स्पष्ट नतीजे होने चाहिये। पहला यह कि ईरान की राष्ट्रीय संप्रभता का उल्लंघन और हत्या करने के कारण अतिक्रमणकारी को दंडित किया जाना चाहिये।
दूसरा यह कि ईरान की प्रतिरोधक शक्ति को मज़बूत किया जाना चाहिये और ज़ायोनी सरकार को ईरान का जो जवाब होना चाहिये वह इस्राईल को पछताने वाला होना चाहिये ताकि भविष्य में वह इस प्रकार के अतिक्रमण को रोकने वाला हो।
इराक में अरबईन को लेकर विशेष सुरक्षा बढ़ा दी गई
इराकी संयुक्त अभियान मुख्यालय ने अरबईन के लिए विशेष सुरक्षा योजना के विवरण की घोषणा की हैं।
इराक के संयुक्त संचालन कमान के प्रवक्ता मेजर जनरल तहसीन अलखफाजी ने रविवार को घोषणा की इराक के संयुक्त अभियान प्रांत अनबार, कर्बला माअली, बगदाद और सामर्रा में सुरक्षा आदेशों के सहयोग से अरबईन के महीने के लिए एक विशेष योजना लागू कर रहे हैं। ।
उन्होंने आगे कहा: इस योजना में खुफिया और सुरक्षा प्रयासों को बढ़ावा देना और खुफिया और सुरक्षा क्षेत्रों में Growth के साथ-साथ व्यक्तिगत कपड़ों के खुफिया और सुरक्षा तत्वों की स्थापना भी शामिल है।
अलखफाजी ने कहा,इस योजना में स्वास्थ्य और जुलूस के क्षेत्र और भोजन और पेय के प्रावधान पर ध्यान देने के साथ-साथ कर्बला, काज़ेमैन, सामर्रा और अन्य शहरों के लिए यातायात मार्गों की सुरक्षा पर ध्यान भी शामिल है।
इराक के संयुक्त अभियान कमान के प्रवक्ता ने जारी रखा अरबईन के महीने के समारोहों वाले क्षेत्रों की सुरक्षा यकीनी करने के लिए सुरक्षा बलों ने अपने प्रयासों को बढ़ाने और Air Force द्वारा हवाई निगरानी करने के अलावा, आईएसआईएस तत्वों का पीछा करने और आतंकवादी समूहों पर दबाव डालने के लिए एक एहतियाती अभियान शुरू किया है।
आयतुल्ला बशीर हुसैन नजफ़ी पैदल नजफ से कर्बला की मशी करते हुए
मरजय आली कद्र हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलहाज हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने हर साल की तरह इस साल भी नजफ से कर्बला तक वांक करते हुए।
मरजय आली कद्र हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलहाज हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने हर साल की तरह इस साल भी नजफ से कर्बला तक वांक करते हुए।
उन्होंने इस मौके पर तमाम ज़ायरीन की खिदमत में एक संदेश दिया है और कहां है कि इस मौके पर एक दूसरे का एहतेराम और सफाई का ख्याल रखें।