
رضوی
मशहदे मुकद्दस में हज़रत इमाम रज़ा की शहादत के मौके पर 300 मौकिब का आयोजन
मशहद के म्युनिसिपालिटी ने कहा;मशहद मुकद्देसा में इमाम रज़ा अ.स. स्ट्रेट पर मोकिब लगाए गए हैं यह स्ट्रीट पर जुलूस की व्यवस्था की गई है जो सफ़र महीने के आखिरी तीन दिनों तक जारी रहेगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार , मशहद नगर पालिका के सदस्य सैयद जलील बा मिश्की ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह बात कही है।
हज़रत इमाम रज़ा अ.स.की शहादत सफ़र महीने के आखिरी तीन दिनों में ज़ायरीन की सेवा के लिए 300 मौकिब आयोजित किए गाए है।
उन्होंने कहा इन 300 मौकिब में लगभग 60 जुलूस केवल सांस्कृतिक सेवाओं में लगे रहेंगे और शेष जुलूस तीर्थयात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था करेंगे।
उन्होंने कहा, इन 300 मौकिबों में से लगभग 60 मौकिब केवल सांस्कृतिक सेवाओं में लगे रहेंगे और शेष जुलूस तीर्थयात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था करेंगे।
उन्होंने कहा कि इमाम रज़ा स्ट्रीट पर कई जुलूस देश के विभिन्न शहरों से होते हैं आते हैं इनमें से अधिकतर जुलूस अनदेखे तीर्थयात्रियों के होते हैं जो पूरे ईरान से इमाम रज़ा अ.स की सेवा के लिए आए हैं।
उन्होंने कहा,यह मौकिब हरम के आसपास स्थित हैं, वह तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए हर समय सेवा के लिए तैयार रहेंगा इसीलिए इमाम रज़ा स्ट्रीट को सर्विस स्ट्रीट का नाम दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इन जुलूसों में तीर्थयात्रियों के लिए आवास की कई संभावना है लेकिन शहर में कई स्थान हैं जहां तीर्थयात्रियों के लिए आवास की व्यवस्था की गई हैं।
बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पर लगी पाबंदी हटी
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बुधवार को जमात ए इस्लामी पर लगी पाबंदी हटा ली है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बुधवार को जमात-ए-इस्लामी पर लगी पाबंदी हटा ली है।जमात-ए-इस्लामी के छात्र संगठन इस्लामी छात्र शिविर और उसके अन्य संगठनों पर भी लगी पाबंदी हटा दी गई है।
इन संगठनों पर शेख़ हसीना सरकार के दौरान साल 2013 में पाबंदी लगाई गई थी पिछले साल बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने जमात के चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के गृह मंत्रालय ने 28 अगस्त को प्रतिबंध हटाने की अधिसूचना जारी की है।
जमात-ए-इस्लामी से पाबंदी हटा लेने के बाद बांग्लादेश की राजनीति में उसके लिए विकल्प खुल गए हैं और देश के चुनावों में वह अपनी भूमिका निभा सकता है।
फिलीपींस से चीन का बढ़ा टकराव,फिलीपींसी राष्ट्रपति ने दी चेतावनी
चीन और फिलीपींस के बीच पिछले कुछ सालों में कई बार टकराव हो चुका है लेकिन पिछले हफ़्ते ये चीज़ें तब अधिक बिगड़ गईं, जब चीन और फिलीपींस के जहाज़ एक दूसरे से सबीना शोल के पास टकरा गए।
फिलीपींस से चीन का बढ़ा टकराव,फिलीपींसी राष्ट्रपति ने चेतावनी दी हैं।
दोनों देश दक्षिण चीन सागर में अलग-अलग द्वीपों पर अपने-अपने दावे करते रहे हैं।इस कारण चीन और फिलीपींस के बीच पिछले कुछ सालों में कई बार टकराव हो चुका है लेकिन पिछले हफ़्ते ये चीज़ें तब अधिक बिगड़ गईं, जब चीन और फिलीपींस के जहाज़ एक दूसरे से सबीना शोल के पास टकरा गए।
इसको लेकर फिलीपींस और चीन ने एक दूसरे पर एक-दूसरे के जहाज़ों को टक्कर मारने का आरोप लगाया है।
शोल पर चीन जियानबिन जिओ और फिलीपींस ईस्कोडा शोल के रूप में दावा करता है.यह फिलीपींस के पश्चिमी तट से लगभग 75 नॉटिकल मील ( लगभग 138 किलोमीटर) और चीन से 630 नॉटिकल मील लगभग ( लगभग1166 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है।
फिलीपींस से चीन का बढ़ा टकराव,फिलीपींसी राष्ट्रपति ने दी चेतावनी
चीन और फिलीपींस के बीच पिछले कुछ सालों में कई बार टकराव हो चुका है लेकिन पिछले हफ़्ते ये चीज़ें तब अधिक बिगड़ गईं, जब चीन और फिलीपींस के जहाज़ एक दूसरे से सबीना शोल के पास टकरा गए।
फिलीपींस से चीन का बढ़ा टकराव,फिलीपींसी राष्ट्रपति ने चेतावनी दी हैं।
दोनों देश दक्षिण चीन सागर में अलग-अलग द्वीपों पर अपने-अपने दावे करते रहे हैं।इस कारण चीन और फिलीपींस के बीच पिछले कुछ सालों में कई बार टकराव हो चुका है लेकिन पिछले हफ़्ते ये चीज़ें तब अधिक बिगड़ गईं, जब चीन और फिलीपींस के जहाज़ एक दूसरे से सबीना शोल के पास टकरा गए।
इसको लेकर फिलीपींस और चीन ने एक दूसरे पर एक-दूसरे के जहाज़ों को टक्कर मारने का आरोप लगाया है।
शोल पर चीन जियानबिन जिओ और फिलीपींस ईस्कोडा शोल के रूप में दावा करता है.यह फिलीपींस के पश्चिमी तट से लगभग 75 नॉटिकल मील ( लगभग 138 किलोमीटर) और चीन से 630 नॉटिकल मील लगभग ( लगभग1166 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है।
पश्चिम ग़लत व ग़ैर सही ख़बरों को बनाना व देना छोड़ दे
क्वालालाम्पुर द्वारा निहत्थे फ़िलिस्तीनियों का समर्थन करने की वजह से अमेरिका और मलेशिया के संबंध तनावग्रस्त हो गये हैं।
जापानी समाचार पत्र "निकी एशिया" का मानना है कि मलेशिया ने हालिया सप्ताहों में फ़िलिस्तीन के प्रति अपने खुल्लम- खुल्ला समर्थन में वृद्धि कर दी है जो अमेरिका और मलेशिया के संबंधों में तनावों का कारण बन सकता है।
मलेशिया के प्रधानमंत्री अन्वर इब्राहीम ने क्वालालाम्पुर में मलेशिया की जामेअ मस्जिद के उद्घाटन समारोह में पश्चिमी जगत से कहा है कि वह ग़ज़्ज़ा युद्ध के बारे में ग़लत ख़बरों को बयान करने और अंतरराष्ट्रीय संचार माध्यमों को नियंत्रित करने के प्रयास से बाज़ आ जाये। अन्वर इब्राहीम ने पश्चिमी देशों को संबोधित करते हुए कहा कि
ज़रूरत नहीं है कि तुम इस्लामी जगत को डेमोक्रेसी, मानवाधिकार और स्थाई विकास के अर्थों को बताओ और उसकी शिक्षा दो।
मलेशिया के प्रधानमंत्री ने इसी संबंध में कहा कि अवैध अतिग्रहित फ़िलिस्तीन में जो अशांति है वह पिछले सात अक्तूबर की वजह से नहीं है बल्कि उसका आरंभ वर्ष 1948 में फ़िलिस्तीन के अतिग्रहण से हुआ है और उस समय से लेकर अब तक जारी है।
उन्होंने बल देकर कहा कि क्वालालाम्पुर इस बात के प्रति कटिबद्ध है कि वह उन कंपनियों को मलेशिया में प्रवेश करने और किसी भी प्रकार की गतिविधि करने की अनुमति न दे जो अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में पंजीकृत हो चुकी हैं। इससे पहले भी मलेशिया और ब्रूनेई ने दोनों देशों की वार्षिक शिखर बैठक में ग़ज़ा में अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सरकार द्वारा नरसंहार और नस्ली सफ़ाये की भर्त्सना की और क्षेत्र की स्थिति के प्रति चिंता जताई थी।
ब्रूनेई के सुल्तान हाजी हसन अबूलकियाह और मलेशिया के प्रधानमंत्री अन्वर इब्राहीम ने इस बैठक में पश्चिम एशिया की विषम स्थिति पर चिंता जताई और अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सरकार द्वारा ग़ज़ा पट्टी में नस्ली सफ़ाये और अपराधों के जारी रहने की भर्त्सना की।
ज़ायोनी सरकार ने पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से 7 अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध आरंभ कर दिया है परंतु अब तक घोषित लक्ष्यों में से किसी भी एक लक्ष्य को वह हासिल नहीं कर सकी है।
प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 40 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 92 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।
ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें
दक्षिणी लेबनान पर इज़रायली हवाई हमले
अलमयादीन नेटवर्क रिपोर्टर ने जुमआ की सुबह लेबनान के दक्षिण में स्थित क्षेत्रों पर इज़राईली शासन के हवाई हमले की सूचना दी है।
अलमयादीन नेटवर्क रिपोर्टर ने जुमआ की सुबह लेबनान के दक्षिण में स्थित क्षेत्रों पर इज़राईली शासन के हवाई हमले की सूचना दी है।
इस समाचार चैनल ने बताया कि कब्जे वाली सरकार ने दक्षिणी लेबनान में मजदलज़ोन और ज़बकीन के बीच के क्षेत्र को निशाना बनाया है।
अलमायादीन के रिपोर्टर ने यह भी बताया कि इज़राईली शासन ने यारुन, अलनक़ुरा, उलमा अलशाब और वादी हामुल के उपनगरों पर हमला किया हैं।
कुछ घंटे पहले अलमायादीन नेटवर्क ने विश्वसनीय स्रोतों का हवाला देते हुए बताया कि कम से कम 6 ड्रोन सफलतापूर्वक इजरायली रक्षा प्रणालियों से बच गए और यौम अलअरबीन ऑपरेशन में गिललॉट बेस को सही ढंग से निशाना बनाया हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार कब्जे वाली इज़राईल सरकार ने हिज़्बुल्लाह के ऑपरेशन की सफलता और बेस के अंदर 8,200 इकाइयों को सटीक निशाना बनाने की बात स्वीकार की है।
इन सूत्रों ने यह भी बताया कि हिज़्बुल्लाह ड्रोन को गिराए जाने के बाद इजरायली सुरक्षा बलों ने गिलोट बेस के आसपास और कई किलोमीटर के भीतर एक कड़ी सुरक्षा परिधि बनाई हैं।
अरबईन के मौके पर 5 हज़ार से ज़्यादा ज़ायरीन अपने हाथों से कुरान लिखें
अरबईने हुसैनी के मौके पर इस साल कपड़े पर कुरआन लिखने की परियोजना में पांच हज़ार से अधिक अरबईन हुसैनी ज़ायरीन ने भाग लिया।
आस्ताने मुक़द्दस हुसैनी के सूचना आधार का हवाला देते हुए, आस्ताने मुक़द्दस हुसैनी अ.स.ने घोषणा की कि पवित्र कुरान की एक प्रति पांच हजार से अधिक अरबईन हुसैनी ज़यारीन की भागीदारी के साथ लिखी गई।
बहरैनी हुकूमत की ओर से एक शिया खतीबे हुसैनी को तीन महीने की सजा
बहरैन की एक अदालत ने शिया खतीबे हुसैनी शेख़ अब्दुल अमीर मालाल्लाह को तीन महीने जेल की सजा सुनाई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार , बहरैन शासन की अदालत ने मुहर्रम के दौरान शिया खतीबे हुसैनी शेख़ अब्दुल अमीर मालाल्लाह को एक तकरीर के सिलसिले में 3 महीने की कैद की सजा सुनाई हैं।
गौरतलब है कि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन "मालाल्लाह" का उल्लेख लगभग एक महीने पहले मुहर्रम के पहले दशक के दौरान बहरैनी सरकार द्वारा की गई नागरिकों की गिरफ्तारी और सम्मन के दौरान किया गया था।
जिसमें दर्जनों उपदेशकों, विद्वानों को निशाना बनाया गया था। और बड़ों को पूछताछ के लिए बुलाया गया और फिर गिरफ्तार कर लिया गया।
नई हज नीति की कई शर्तें हज यात्रियों के लिए परेशानी का सबब
नई हज नीति के कुछ प्रावधान तीर्थयात्रियों के लिए चिंता का विषय हैं। इनमें से एक प्रावधान यह है कि 65 साल के तीर्थयात्री के साथ एक सहायक भी होगा, लेकिन उसकी उम्र 60 साल या उससे कम होनी चाहिए स्थिति ऐसी है कि इससे पति-पत्नी को हज के लिए आवेदन करने में परेशानी हो रही है।
भारतीय हज समिति ने भी क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों के अधिकारियों को अन्य तीर्थयात्रियों के लिए पासपोर्ट बनाने पर तत्काल ध्यान देने का आश्वासन दिया है तीर्थयात्री बार-बार कर रहे हैं हज कमेटी से संपर्क क्रांति के प्रतिनिधि के पूछने पर महाराष्ट्र हज कमेटी की ओर से भी ये शिकायतें की गईं और बताया गया कि इन हालातों के कारण कई तीर्थयात्री परेशान हैं. केंद्रीय हज समिति ने भी शिकायतों को स्वीकार किया। कार्यपालक पदाधिकारियों ने इन समस्याओं का विशेष तौर पर जिक्र किया था।
सेंट्रल हज कमेटी ने 4 मुद्दों को सुलझाने का आश्वासन दिया
भारतीय हज समिति के अतिरिक्त सीईओ ओलियाकत अली अफाकी ने मंगलवार, 27 अगस्त की शाम रिवोल्यूशन से बात करते हुए कहा, ''65 वर्ष के तीर्थयात्रियों के लिए आरक्षण श्रेणी में सहायक की आयु की आवश्यकता आज से हटा दी गई है, लेकिन यह छूट केवल पति, भाई-बहन या अन्य रक्त संबंधियों को ही मिलेगा। यदि कोई सामान्य व्यक्ति इस आरक्षण श्रेणी में जाता है तो गतवास के लिए सहायक के लिए आयु सीमा 60 वर्ष या उससे कम रहेगी।
पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग आवास!
उन्होंने यह भी कहा कि, "इस बार हज के दौरान पुरुष और महिला तीर्थयात्रियों को अलग-अलग कमरों में ठहराया जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे पति-पत्नी होंगे, तो सीईओ का जवाब था कि उनके लिए भी यही शर्त लागू की जाएगी।" तरीका ये होगा कि एक कमरे में सिर्फ पुरुष होंगे और बगल वाले कमरे में महिलाएं होंगी, ये फैसला सऊदी सरकार ने लिया है और काफी समय से भारतीय तीर्थयात्री भी नग्नता का हवाला देकर इस तरह की मांग कर रहे थे। हालांकि, अब एक वर्ग इसे अनुचित बताकर इसका विरोध करने को तैयार है।
पासपोर्ट के बदले घोषणा पत्र
भारतीय हज समिति के सीईओ ने यह भी कहा कि ''चूंकि इस बार हज की प्रक्रिया काफी पहले शुरू कर दी गई है, इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि 7 महीने पहले मूल पासपोर्ट जमा करना अतिरिक्त होगा, इसलिए चयनित तीर्थयात्रियों से घोषणा पत्र लिया जाएगा।'' जब हज के दिन करीब आ जाएंगे और वीजा मिलने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, तब राज्य हज समितियां यात्रियों से मूल पासपोर्ट लेंगी।
हज पासपोर्ट के लिए सिफ़ारिश पत्र
सीईओ ने आगे बताया कि "राज्य हज समितियों के अनुरोध पर, भारतीय हज समिति ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह सभी क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारियों को देश भर के तीर्थयात्रियों के पासपोर्ट जल्द से जल्द तैयार करने का निर्देश दें ताकि वे आसानी से आवेदन करें।" कर सकते हैं सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसे भारतीय हज समिति की वेबसाइट पर भी डाला जाएगा।'' केंद्रीय हज समिति के सीईओ ने कहा, ''अधिकारी उनका सहयोग करेंगे।''
तुर्कमनिस्तान से संबंधों को बढ़ावा देना हमारा मुख्य लक्ष्य है।सुप्रीम लीडर
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई बुधवार की शाम तुर्कमनिस्तान के राष्ट्रीय नेता व पीपल्ज़ काउंसिल के चेयरमैन क़ुरबान अली बर्दीमोहम्मदोफ़ और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में दोनों मुल्कों के आपसी संबंधों को बढ़ावा देने को मुख्य प्राथमिकता बताया और कहा कि हालिया बरसों में ईरान-तुर्कमनिस्तान के संबंध काफ़ी विकसित हुआ हैं।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई बुधवार की शाम तुर्कमनिस्तान के राष्ट्रीय नेता व पीपल्ज़ काउंसिल के चेयरमैन क़ुरबान अली बर्दीमोहम्मदोफ़ और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में दोनों मुल्कों के आपसी संबंधों को बढ़ावा देने को मुख्य प्राथमिकता बताया और कहा कि हालिया बरसों में ईरान-तुर्कमनिस्तान के संबंध काफ़ी विकसित हुआ हैं लेकिन आपसी सहयोग बढ़ाने में अभी और गुंजाइश मौजूद है जिसे व्यवहारिक बनाना चाहिए।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई का कहना था कि आपसी संबंधों को बढ़ावा देना दोनों मुल्कों के हित में है और हम उम्मीद करते हैं कि डाक्टर मसऊद पेज़ेश्कियान की ऊर्जावान सरकार दोनों मुल्कों के संबंधों को बढ़ावा देने से संबंधित मामलों को ज़्यादा गंभीरता से अंजाम देगी।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने तुर्कमनिस्तान के साथ संबंध बढ़ाने में ईरानी राष्ट्रपति की ख़ास दिलचस्पी की ओर इशारा करते हुए कहा कि आदरणीय फ़रज़ाना सादिक़ रोड ऐंड डेव्लपमेंट मिनिस्टर और संयुक्त आयोग की प्रमुख की हैसियत से दोनों मुल्कों के समझौतों के लागू होने की प्रक्रिया पर नज़र रखेंगी ताकि मद्देनज़र नतीजे हासिल हों।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने दोनों मुल्कों के संयुक्य प्रोजेक्टों उत्तर-दक्षिण हाइवे और तुर्कमनिस्तान गैस पाइप लाइन प्रोजेक्ट के बारे में तुर्कमनिस्तान पीपल्ज़ पार्टी के चेयरमैन की बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि इन बड़े प्रोजेक्टों के ईरानी माहिरों की मदद से व्यवहारिक होने की स्थिति में, दोनों मुल्कों के संबंध पहले से ज़्यादा मज़बूत होंगे और दोनों मुल्कों के बीच निकटता बढ़ेगी।
इस मुलाक़ात में राष्ट्रपति डाक्टर मसऊद पेज़ेश्कियान भी मौजूद थे। इस मौक़े पर क़ुरबान अली बर्दीमोहम्दोफ़ ने दोनों मुल्कों को एक दूसरे का रिश्तेदार क़रार दिया और कहा कि तेहरान में जनाब राष्ट्रपति से वार्ता बहुत अच्छी रही और हम उम्मीद करते हैं कि समझौता ज्ञापनों से, जिन पर दस्तख़त हुए, अच्छे नतीजे हासिल होंगे।
तुर्कमनिस्तान के राष्ट्रीय नेता ने मरहूम राष्ट्रपति शहीद रईसी को याद किया और दोनों मुल्कों के संबंधों को बढ़ावा देने के लिए उनकी कोशिशों की क़द्रदानी करते हुए कहा कि तुर्कमनिस्तान-ईरान की लंबी संयुक्त सरहदें हमेशा दोस्ती व सुलह की सरहदें रही हैं और भविष्य में भी रहेंगी और हम हर क्षेत्र में आपसी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं।