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नाइजीरिया के इस्लामी आंदोलन के नेता ने ज़ायोनी सरकार को ख़त्म होने वाली सरकार के रूप में याद किया कि जो अपने अंत के मार्ग में अग्रसर है।

नाइजीरिया के इस्लामी आंदोलन के नेता शैख़ इब्राहीम ज़कज़की ने इराक़ के पवित्र नगर कर्बला में" नेदाये अलअक़सा" नामक मोकिब में हाज़िर होकर कहा कि अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सरकार हिल गयी है और वह अपने अंत का मार्ग तय कर रही है।

शैख़ ज़कज़की ने ज़ायोनी सरकार को मिलने वाली नाकामियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ग़ासिब व क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार का अंत तूफ़ान अलअक़्सा से आरंभ हो गया है और अल्लाह की इच्छा से जल्द की उसका अंत होगा यह मात्र अच्छी उम्मीद व सोच नहीं है बल्कि इस मामले में मौजूद प्रमाण इस बात के सूचक हैं।

नाइजीरिया के मुसलमानों के नेता ने आगे कहा कि आज और इतना लहू बहाने के बाद अल्लाह की इच्छा से ग़ज़ा को सफ़लता मिलेगी और उसके बाद फ़िलिस्तीन विजयी होगा और हम शीघ्र ही मस्जिदुल अक़्सा में नमाज़ अदा करेंगे।

एक ज़ायोनी विशेषज्ञ हागी उल्शान्तिस्की ने इससे पहले एक लेख में लिखा था कि सात अक्तूबर को पेश आनी घटना ने विदित में विजयी होने के मापदंड को बदल दिया है और अब इस्राईल को मिलने वाली विजय का अस्तित्व ही नहीं है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।

प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 40 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 92 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।

ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें

फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज बुधवार को घोषणा की है कि इज़राईल शासन ने पिछले 24 घंटों के दौरान गाज़ा में 200 अन्य फ़िलिस्तीनियों को मार डाला और कई को घायल कर दिया हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार , फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज बुधवार को घोषणा की है कि इज़राईल शासन ने पिछले 24 घंटों के दौरान गाज़ा में 200 अन्य फ़िलिस्तीनियों को मार डाला और कई को घायल कर दिया हैं।

गाज़ा में फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है की इज़राईल सरकार ने युद्ध के 327वें दिन चार नए हमले किए हैं, जिनमें 58 लोग शहीद हुए और 131 लोग घायल हुए हैं।

बड़ी संख्या में फ़िलिस्तीनी पीड़ित अभी भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं और उन्हें निकालना या सहायता प्रदान करना संभव नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 7 अक्टूबर 2023 के बाद से गाजा में शहीदों की संख्या 40,534 और घायलों की संख्या 93,778 हो गई है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद अबुल कासिम रिज़वी ने ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरियन संसद में पहली बार हज़रत इमाम हुसैन दिवस का आयोजन करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार , शिया उलेमा काउंसिल ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष और इमाम जुमआ मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के मौलाना सैयद अबुल कासिम रिज़वी ने ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरियन संसद में पहली बार यौम हुसैन का आयोजन करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की हैं।

खैरूल अमल टीवी के प्रमुख सैयद असद तक्वी ने कार्यक्रम के आयोजन से लेकर अंत तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कार्यक्रम के आयोजन के कर्तव्यों में महान पालन किया।

इस अवसर पर संसद सदस्यों और विभिन्न धर्मों शिया, सुन्नी, बोहौरा, आगा ख्वानी, हिंदू, सिख, ईसाई, कुलपति और प्रोफेसरों के सदस्यों ने भाग लिया।

मौलाना सैयद अबुल कासिम रिज़वी ने संसद भवन में सभी धर्म और मजहब के लोगों को हुसैनियत का संदेश दिया और कहा कि कर्बला की घटना के बाद यह साबित हो गया है कि दो ही धर्म हैं या तो हुसैनी या फिर यजीदी।

 

उन्होंने आगे कहा,इमाम हुसैन (अ.स.) मार्गदर्शन का दीपक और मुक्ति के नाव हैं आज जब पूरी दुनिया में आतंकवाद और नफरत फैली हुई है, तो हुसैन अ.स. की शिक्षाओं से ही इस नफरत को खत्म किया जा सकता है।

शिया उलमा काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष ने कहा,यहां विभिन्न धर्मों के लोग हैं आप खुद देखें कि इमाम हुसैन अ.स.ने मानवता के नाम पर इन सभी धर्मों को कैसे एकजुट किया है।

 

 

 

ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर मसऊद पिज़िश्कियान इराक से अपनी विदेशी यात्राएं शुरू करेंगें।

ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर मसऊद पिज़िश्कियान अपनी पहली विदेशी आधिकारिक यात्रा में समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए इस महीने इराक का दौरा करेंगें।

इराक में इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के राजदूत मोहम्मद काज़िम अलसादिक ने जानकारी दी और कहा, इराकी प्रधान मंत्री मोहम्मद शियाआ अलसुदानी के निमंत्रण पर ईरानी राष्ट्रपति अगले कुछ दिनों में इस देश का दौरा करने वाले हैं।

उन्होंने कहा,डॉक्टर मसऊद पिज़िश्कियान की आगामी इराक यात्रा के दौरान, दिवंगत राष्ट्रपति शहीद इब्राहिम राईसी के शासनकाल के दौरान सहमत समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे।

ईरानी राजदूत ने आशा व्यक्त की कि ईरानी राष्ट्रपति की यात्रा दोनों पड़ोसी देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों के विकास में बहुत सहायक और उपयोगी होगी।

ईरान के नये विदेशमंत्री ने फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोधी संगठन हमास के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य से टेलीफ़ोनी वार्ता में कहा कि फ़िलिस्तीन की मज़लूम जनता और प्रतिरोध के समर्थन में इस्लामी गणतंत्र ईरान का दृष्टिकोण जारी रहेगा।

हमास के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य ख़लीलुल हय्या ने ईरान के नये विदेशमंत्री सैय्यद अब्बास एराक़्ची से टेलीफ़ोनी वार्ता की।

ईरान के विदेशमंत्री ने ख़लील अलहय्या के साथ टेलीफ़ोनी वार्ता में ग़ज़्ज़ा पट्टी के लोगों के 11 महीनों के प्रतिरोध और ज़ायोनी सरकार के अपराधों के मुक़ाबले में प्रतिरोध के संघर्षकर्ताओं की सराहना की और कहा कि अंतिम विजय फ़िलिस्तीनी जनता की होगी और इस्लामी गणतंत्र ईरान आख़िर तक फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ रहेगा।

ईरान के विदेशमंत्री ने बल देकर कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान हर उस समझौते का समर्थन करेगा जिसमें युद्ध विराम और ग़ज़्ज़ा जंग की समाप्ति की बात कही गयी हो और उस समझौते को फ़िलिस्तीनी लोग और प्रतिरोधक गुट और हमास क़बूल करते हों।

इसी प्रकार इस टेलीफ़ोनी वार्ता में हमास के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य ख़लील अलहय्या ने भी ईरान का विदेशमंत्री बनने पर अब्बास एराक़ची को मुबारकबाद दी और ग़ज़ा में युद्ध विराम के संबंध में वार्ता की ताज़ा स्थिति और अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में ज़ायोनी सरकार के अपराधों और मस्जिदुल अक़्सा की स्थिति को परिवर्तित करने हेतु ज़ायोनी सरकार के प्रयासों से अवगत कराया।

अलहय्या ने इसी प्रकार फ़िलिस्तीनी जनता के समर्थन में ईरान के पूर्व विदेशमंत्री शहीद हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान के प्रयासों की प्रशंसा की और बल देकर कहा कि फ़िलिस्तीनी लोग ज़ायोनी सरकार के अपराधों के मुक़ाबले में प्रतिरोध और फ़िलिस्तीनी आकांक्षाओं के प्रति ईरान के समर्थन के सदैव आभारी रहेंगे।

करबला के मैदान में दोस्ती, मेहमान नवाज़ी, इकराम व ऐहतेराम, मेहर व मुहब्बत, ईसार व फ़िदाकारी, ग़ैरत व शुजाअत व शहामत का जो दर्स हमें मिलता है वह इस तरह से यकजा कम देखने में आता है। मैंने ऊपर ज़िक किया कि करबला करामाते इंसानी की मेराज का नाम है।

वह तमाम सिफ़ात जिन का तज़किरा करबला में बतौरे अहसन व अतम हुआ है वह इंसानी ज़िन्दगी की बुनियादी और फ़ितरी सिफ़ात है जिन का हर इंसान में एक इंसान होने की हैसियत से पाया जाना ज़रुरी है। उसके मज़ाहिर करबला में जिस तरह से जलवा अफ़रोज़ होते हैं किसी जंग के मैदान में उस की नज़ीर मिलना मुहाल है। बस यही फ़र्क़ होता है हक़ व बातिल की जंग में।

जिस में हक़ का मक़सद, बातिल के मक़सद से सरासर मुख़्तलिफ़ होता है। अगर करबला हक़ व बातिल की जंग न होती तो आज चौदह सदियों के बाद उस का बाक़ी रह जाना एक ताज्जुब ख़ेज़ अम्र होता मगर यह हक़ का इम्तेयाज़ है और हक़ का मोजिज़ा है कि अगर करबला क़यामत तक भी बाक़ी रहे तो किसी भी अहले हक़ को हत्ता कि मुतदय्यिन इंसान को इस पर ताज्जुब नही होना चाहिये।

 

अगर करबला दो शाहज़ादों की जंग होती?। जैसा कि बाज़ हज़रात हक़ीक़ते दीन से ना आशना होने की बेना पर यह बात कहते हैं और जिन का मक़सद सादा लौह मुसलमानों को गुमराह करने के अलावा कुछ और होना बईद नज़र आता है तो वहाँ के नज़ारे क़तअन उस से मुख़्तलिफ़ होते जो कुछ करबला में वाक़े हुआ।

वहाँ शराब व शबाब, गै़र अख़लाक़ी व गै़र इंसानी महफ़िलें तो सज सकती थीं मगर वहाँ शब की तारीकी में ज़िक्रे इलाही की सदाओं का बुलंद होना क्या मायना रखता?

असहाब का आपस में एक दूसरों को हक़ और सब्र की तलक़ीन करना का क्या मफ़हूम हो सकता है?। माँओं का बच्चों को ख़िलाफ़े मामता जंग और ईसार के लिये तैयार करना किस जज़्बे के तहत मुमकिन हो सकता है?। क्या यह वही चीज़ नही है जिस के ऊपर इंसान अपनी जान, माल, इज़्ज़त, आबरू सब कुछ क़ुर्बान करने के लिये तैयार हो जाता है मगर उसके मिटने का तसव्वुर भी नही कर सकता।

यक़ीनन यह इंसान का दीन और मज़हब होता है जो उसे यह जुरअत और शुजाअत अता करता है कि वह बातिल की चट्टानों से टकराने में ख़ुद को आहनी महसूस करता है। उसके जज़्बे आँधियों का रुख़ मोड़ने की क़ुव्वत हासिल कर लेते हैं। उसके अज़्म व इरादे बुलंद से बुलंद और मज़बूत से मज़बूत क़िले मुसख़्ख़र कर सकते हैं।

यही वजह है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पाये सबात में लग़ज़िश का न होना तो समझ में आता है कि वह फ़रज़ंदे रसूल (स) हैं, इमामे मासूम (अ) हैं, मगर करबला के मैदान में असहाब व अंसार ने जिस सबात का मुज़ाहिरा किया है उस पर अक़्ल हैरान व परेशान रह जाती है।

अक़्ल उस का तजज़िया करने से क़ासिर रह जाती है। इस लिये कि तजज़िया व तहलील हमेशा ज़ाहिरी असबाब व अवामिल की बेना पर किये जाते हैं मगर इंसान अपनी ज़िन्दगी में बहुत से ऐसे अमल करता है जिसकी तहलील ज़ाहिरी असबाब से करना मुमकिन नही है और यही करबला में नज़र आता है।

 हमारा सलाम हो हुसैने मज़लूम पर

हमारा सलाम हो बनी हाशिम पर

हमारा सलाम हो मुख़द्देराते इस्मत व तहारत पर

हमारा सलाम हो असहाब व अंसार पर।

या लैतनी कुन्तो मअकुम।

 

 

मौलाना इमाम मुहम्मद जवाद हाज अली अकबरी ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम के अवसर पर मिलियन मार्च को दुशमनों के मुक़ाबले में सत्य प्रेमियों की मोर्चाबंदी का नाम दिया और कहा कि चेहलुम के अवसर का मिलियन मार्च दुशमनों के लिए डरावना सपना बन गया है।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम मुहम्मद जवाद हाज अली अकबरी ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम के अवसर पर मिलियन मार्च को दुशमनों के मुक़ाबले में सत्य प्रेमियों की मोर्चाबंदी का नाम दिया और कहा कि चेहलुम के अवसर का मिलियन मार्च दुशमनों के लिए डरावना सपना बन गया है।

हुज्जतुल इस्लाम मुहम्मद जवाद हाज अली अकबरी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में इमाम हुसैन के चेहलुम के कार्यक्रम के वैभवशाली आयोजन पर इराक़ की सरकार और जनता का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जब तीन करोड़ श्रद्धालु लब्बैक या हुसैन का नारा लगाते हुए चेहलुम के मिलियन मार्च में आगे बढ़ते हैं तो साम्राज्यवादी ताक़तें कांप जाती हैं।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि इमाम हुसैन के चेहलुम का कार्यक्रम साम्राज्यवाद के पतन की प्रक्रिया को और तेज़ कर रहा है।

हुज्जतुल इस्लाम हाज अली अकबरी ने कहा कि इमाम हुसैन का चेहलुम इस्लाम को विजय दिलाएगा, उन्होंने कहा कि प्रतिरोध, आशा, दृढ़ता, अथक प्रयास, दुशमन से दूरी, ख़तरों से न डरना और इंसानों से प्रेम इमाम हुसैन के चेहलुम के संदेश हैं।

 

 

 

 

 

सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान और ईरान के विदेश मंत्री मनसब अब्बास अराक्ची ने टेलीफोन पर बातचीत की और गाज़ा समेत विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान और ईरान के विदेश मंत्री मनसब अब्बास  अराक्ची ने टेलीफोन पर बातचीत की और गाज़ा समेत विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की।

इस मौके पर दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों के विकास और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर भी चर्चा हुई।

रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच निरंतर समन्वय और परामर्श के महत्व पर भी चर्चा की। इस बातचीत के दौरान क्षेत्र में सुरक्षा और शांति के ऊपर भी बात की गई।

हिज़्बुल्लाह ने आधिकारिक रूप से जो बयान दिया है उसके अनुसार बदला लेने वाली कार्यवाही का यह पहला चरण था।

ज़ायोनी सरकार ने लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर फ़ोवाद शुक्र को शहीद कर दिया था जिसके जवाब में रविवार को लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध हिज़्बुल्लाह ने सैकड़ों राकेटों, मिसाइलों और ड्रोनों से ज़ायोनी सेना के ठिकानों को लक्ष्य बनाया।

हिज़्बुल्लाह ने जो जवाबी और बदला लेने की कार्यवाही अंजाम दी उसमें कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु व संदेश मौजूद हैं।

पहलाः हिज़्बुल्लाह की कार्यवाही ज़ायोनी सरकार की ख़ुफ़िया जानकारियों की विफ़लता की सूचक है। इस्राईल ने हिज़्बुल्लाह के जवाबी हमले से पहले ही हमला कर दिया और कहा कि हमने हिज़्बुल्लाह के राकेट लांचर और दूसरे महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट कर दिया जबकि हिज़्बुल्लाह ने इस्राईली हमलों के बाद 300 से अधिक राकेटों को फ़ायर किया और ड्रोनों को उड़ाकर इस्राईली सेना के ठिकानों को लक्ष्य बनाया।

 

अगर इस्राईल ने हिज़्बुल्लाह के महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमला करके उन्हें नष्ट कर दिया था तो उन राकेटों और मिसाइलों को कहां से फ़ायर किया गया? इसी प्रकार हिज़्बुल्लाह ने अपने ड्रोनों को कहां से उड़ाया?

रोचक बात यह है कि हिज़्बुल्लाह ने यह जवाबी हमला उस समय किया कि जब इस्राईल में पूरी तरह चौकसी बरती जा रही थी और ज़ायोनी अधिकारियों ने इससे पहले दावा किया था कि वे हिज़्बुल्लाह की जवाबी कार्यवाही को रोकने का प्रयास करेंगे।

दूसराः हिज़्बुल्लाह ने जो जवाबी हमला अंजाम दिया उसमें दूसरा बिन्दु यह है कि इसमें इस्राईली सेना के 10 से अधिक ठिकानों को लक्ष्य बनाया गया जिसमें मोसाद, शाबाक और तेअलीव में ज़ायोनी सेना की जानकारियों के ठिकाने थे। दूसरे शब्दों में हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल के ख़िलाफ़ अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही अंजाम दी है। साथ ही हिज़्बुल्लाह ने अपने वादे के अनुसार फ़ोवाद शुक्र के बदले की कार्यवाही अकेले दम पर और स्वतंत्र ढंग से अंजाम दी।

तीसराः हिज़्बुल्लाह ने जो आधिकारिक बयान दिया है उसके अनुसार यह बदले की कार्यवाही का पहला चरण था। इस आधारिक बयान का एक अर्थ यह है कि हिज़्बुल्लाह चाहता है कि बदले की भावना अब भी इस्राइलियों में बाक़ी रहे। अलबत्ता इसका दूसरा अर्थ भी यह हो सकता है कि बदले की दूसरे चरण की कार्यवाही की प्रतीक्षा में रहना चाहिये और यह ज्ञात नहीं है कि दूसरे चरण की कार्यवाही पहले चरण से भिन्न होगी या उससे अधिक सख़्त व कड़ी होगी।

ज़ायोनियों के लिए सबसे बुरी परिस्थिति यह है कि इस कार्यवाही व हमले के बाद दूसरे हमले की प्रतीक्षा में रहें जो इससे भी अधिक पीड़ादायक या अधिक स्ट्रैटेजिक वाली होगी।

फिलिस्तीन के साथ एकजुटता में अनुभव साझा करने और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फिलिस्तीन के लिए सबसे बड़ा वैश्विक छात्र सहायता नेटवर्क न्यूयॉर्क शहर में लॉन्च किया गया।

अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और कई अरब और इस्लामी देशों सहित दुनिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों के सैकड़ों छात्र दल शामिल हैं।

बुधवार, 21 अगस्त को फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले छात्र कार्यकर्ताओं, छात्र संगठनों और यूनियनों ने फिलिस्तीन के समर्थन में बढ़ते अंतरराष्ट्रीय आंदोलन के जवाब में और गाजा युद्ध को रोकने के लिए "ग्लोबल स्टूडेंट नेटवर्क फॉर फिलिस्तीन सपोर्ट" (जीएसपीएन) की स्थापना और लॉन्च करने की कोशिश की।

शासन के नरसंहार और विश्वविद्यालयों में इजरायली शासन के निवेश का बहिष्कार करने की घोषणा की गई।

अपने लॉन्च के अवसर पर, इस नेटवर्क ने एक बयान में घोषणा की कि यह छात्र कार्यकर्ताओं को रणनीतियों का आदान-प्रदान करने और अनुभव साझा करने और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक सुरक्षित और विश्वसनीय मंच प्रदान करता है और फिलिस्तीन समर्थक छात्र कार्यकर्ताओं के लिए समर्थन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

बयान में कहा गया है कि नेटवर्क फिलिस्तीन समर्थक छात्रों, विशेष रूप से दूरदराज या अलग-थलग समुदायों में रहने वाले छात्रों को प्रभावी रणनीतियों को लागू करने और अपने समुदायों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए आवश्यक उपकरण, समर्थन और ज्ञान से लैस करना चाहता है।

इस नेटवर्क के छात्र नेताओं का कहना है कि वे वैश्विक स्तर पर फ़िलिस्तीनियों की आवाज़ को मजबूत करने, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध पर दुनिया का ध्यान केंद्रित करने, साथ ही न्याय के लिए विरोध प्रदर्शनों और अभियानों के समन्वय के साथ-साथ एक वैश्विक नेटवर्क के निर्माण के लिए "रक्षा", "शिक्षा", "कार्य" और "एकता" के चार बुनियादी लक्ष्यों के लिए छात्र कार्यकर्ता प्रतिबद्ध हैं।