
رضوی
शोहद ए गाज़ा की संख्या 40 हज़ार 691 पहुंच गई
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि गाज़ा पट्टी पर इज़राइली शासन के हमलों के परिणामस्वरूप दर्जनों और फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक , गाज़ा में युद्ध को 330 दिन बीत चुके हैं इस मौके पर गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज शनिवार दोपहर अपनी रिपोर्ट में घोषणा की हैं।
इजरायली सेना ने गाजा में 89 फिलिस्तीनियों को मार डाला 24 घंटे के दरमियान 89 लोगो को शहीद और 205 घायल हुए मलबे के नीचे अभी भी कई फिलिस्तीनी दबे हुए हैं।
गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि फिलिस्तीनी शहीदों की कुल संख्या 40,691 और घायलों की संख्या 94,600 तक पहुंच गई है।
गौरतलब है कि गाजा पर ज़ायोनी सरकार के हमले पिछले ग्यारह महीनों से जारी हैं इज़रायली सेना ने गाजा में चिकित्सा केंद्रों सहित कई महत्वपूर्ण सुविधाओं को नष्ट कर दिया है।
गाज़ा इज़रायली सेना की घेराबंदी में है और इस दमनकारी सरकार ने सीमित मानवीय सहायता गाजा में प्रवेश की अनुमति नही दे रहा हैं।
शेख ज़कज़ाकी की हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी के साथ मुलाक़ात
आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने तहरीक-ए-इस्लामी-ए-नाइजीरिया के प्रमुख शेख इब्राहिम ज़कज़ाकी का उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ नजफ अशरफ में उनके प्रधान कार्यालय में गर्मजोशी से स्वागत किया।
मरजा तकलीद आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने तहरीक-ए-इस्लामी-ए-नाइजीरिया के प्रमुख शेख इब्राहिम ज़कज़की का उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ नजफ अशरफ में अपने प्रधान कार्यालय में गर्मजोशी से स्वागत किया।
हाफ़िज़ शेख बशीर नजफ़ी ने अतिथि प्रतिनिधिमंडल को वर्तमान स्थिति और सामान्य रूप से शियाओं और विशेष रूप से पूरे अफ्रीकी देशों और नाइजीरिया में सामना किए जाने वाले मुद्दों के बारे में सुना और वहां के विश्वासियों के लिए कुछ पिता जैसी सलाह और आवश्यक निर्देश दिए।
उन्होंने वास्तविक मुहम्मदी इस्लाम की सेवा के उद्देश्य से किए गए सभी प्रयासों की सराहना की, इसी तरह अतिथि प्रतिनिधिमंडल ने ग्रैंड अयातुल्ला बशीर नजफ़ी को अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद दिया
रूसी विदेशमंत्री ने दी पश्चिम को चेतावनी, तीसरा विश्वयुद्ध यूरोप तक सीमित नहीं रहेगा।
रूसी विदेशमंत्री ने इसे आग से खेलना बताया है। रूसी सरकार ने वाशिंग्टन और उसके घटकों की युद्धोन्मादी कार्यवाहियों की आलोचना करते हुए चेतावनी दी है कि तीसरा विश्वयुद्ध यूरोप तक सीमित नहीं रहेगा।
यूक्रेन रूस के अंदर हमला करने के लिए Storm Shadow मिसाइल का इस्तेमाल कर सकता है या नहीं इसके बारे में ब्रितानी अधिकारियों ने हालिया सप्ताहों में विरोधाभासी बयान दिये हैं। पश्चिमी मिडिया के अनुसार ब्रितानी अधिकारियों ने Storm Shadow मिसाइल से रूस के अंदर हमला करने के लिए अनुमति दी है या नहीं इसके बारे में वे जानबूझकर विरोधाभासी बातें कर रहे हैं ताकि वास्तविकता संदिग्ध बनी रहे और लोग उसके बारे में असमंजस का शिकार रहें।
इस संबंध में रूस के विदेशमंत्री सरगेई लावरोफ़ ने बल देकर कहा है कि पश्चिम द्वारा कीव को रूस के ख़िलाफ़ Storm Shadow मिसाइल का इस्तेमाल करने की अनुमति देना आग से खेलना है। मॉस्को ने इससे पहले बारमबार पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को हथियारों से लैस किये जाने और तनाव में वृद्धि के संबंध में चेतावनी दी थी।
अमेरिकी पत्रकार Seymour M. Hersh ने इसी संबंध में सोशल मिडिया पर लिखा है कि क्या अमेरिका की उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हेरिस चुनाव में जीत जाने और अमेरिका की राष्ट्रपति बन जाने की स्थिति में जो बाइडेन जो यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं उसे वह जारी रखेंगी या नहीं?
इसी प्रकार उन्होंने कहा कि यूक्रेन जंग में बाइडेन की नीति विरोधाभास का शिकार हो गयी है। वाशिंग्टन एक ओर यह जानने के बावजूद कि यूक्रेन इस युद्ध में जीतेगा या नहीं, यूक्रेन को हथियारों से लैस कर रहा है और दूसरी ओर वह उस वार्ता में भाग लेने से कतरा रहा है जिसके नतीजे में यह युद्ध समाप्त हो सकता है।
यमनी लोगों ने इज़राईली आक्रमण की निंदा की फ़िलिस्तीनियों के समर्थन मैं रैली निकाली
यमन की राजधानी सना और दूसरे अन्य शहरों में शुक्रवार को गाज़ा पर बर्बर इज़राईली बमबारी के ख़िलाफ़ लाखों लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए रैली निकाली
यमनी लोगों ने ज़ायोनी आक्रामकता की निंदा करने और फ़िलिस्तीनियों के लिए अपने मजबूत समर्थन की घोषणा करने के लिए एक बार फिर बड़े पैमाने पर इज़राईल के खिलाफ विरोधी प्रदर्शन किए।
एक रिपोर्ट के अनुसार, यमन के 330 केंद्रीय क्षेत्रों में इज़राईल सरकार के खिलाफ और उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में प्रदर्शन हुए, जिनमें यमनी राजधानी सना और सादा, वारिमा, मआरिब, इमरान, आइब, ताइज़ सहित अन्य शहर भी शामिल हैं।
प्रदर्शनकारियों ने गाज़ा और अलअक्सा मस्जिद के समर्थन में ज़ायोनी विरोधी बैनर और तख्तियां ले रखी थीं जिनमें हम आपके साथ हैं जैसे नारे और ज़ायोनी शासन द्वारा क्रूर हमलों की कड़ी निंदा शामिल थी।
फ़िलिस्तीनी मज़लूम जनता को जारी रहेगा ईरान का समर्थन।
ईरान के विदेशमंत्री ने ख़लील अलहय्या के साथ टेलीफ़ोनी वार्ता में ग़ज़्ज़ा पट्टी के लोगों के 11 महीनों के प्रतिरोध और ज़ायोनी सरकार के अपराधों के मुक़ाबले में प्रतिरोध के संघर्षकर्ताओं की सराहना की और कहा कि अंतिम विजय फ़िलिस्तीनी जनता की होगी और इस्लामी गणतंत्र ईरान आख़िर तक फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ रहेगा।
ईरान के विदेशमंत्री ने बल देकर कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान हर उस समझौते का समर्थन करेगा जिसमें युद्ध विराम और ग़ज़्ज़ा जंग की समाप्ति की बात कही गयी हो और उस समझौते को फ़िलिस्तीनी लोग और प्रतिरोधक गुट और हमास क़बूल करते हों।
इसी प्रकार इस टेलीफ़ोनी वार्ता में हमास के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य ख़लील अलहय्या ने भी ईरान का विदेशमंत्री बनने पर अब्बास एराक़ची को मुबारकबाद दी और ग़ज़ा में युद्ध विराम के संबंध में वार्ता की ताज़ा स्थिति और अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में ज़ायोनी सरकार के अपराधों और मस्जिदुल अक़्सा की स्थिति को परिवर्तित करने हेतु ज़ायोनी सरकार के प्रयासों से अवगत कराया।
अलहय्या ने इसी प्रकार फ़िलिस्तीनी जनता के समर्थन में ईरान के पूर्व विदेशमंत्री शहीद हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान के प्रयासों की प्रशंसा की और बल देकर कहा कि फ़िलिस्तीनी लोग ज़ायोनी सरकार के अपराधों के मुक़ाबले में प्रतिरोध और फ़िलिस्तीनी आकांक्षाओं के प्रति ईरान के समर्थन के सदैव आभारी रहेंगे।
जापान में भारी तबाही;बारिश और तूफान के कारण कई लोगों की मौत
जापान,तूफ़ान 'शानशान' से जापान में हुई तबाही 50 लाख लोगों को घर छोड़ने का मिला निर्देश
दक्षिणी जापान में बृहस्पतिवार को भारी बारिश और तेज हवाओं के साथ आए तूफान के कारण कम से कम तीन सौ लोगों की मौत हो गई।
तूफान के और विकराल होने के चलते बाढ़ भूस्खलन तथा बड़े स्तर पर नुकसान की आशंका व्यक्त की गई है।
जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि तूफान ‘शानशान’ ने सुबह दक्षिणी क्यूशू के सतसुमासेंदाई के पास दस्तक दी, जहां 24 घंटे में 60 सेमी (23.6 इंच) तक बारिश होने के आसार हैं।
इसने यह भी बताया कि तूफान के कारण देश के अधिकतर भागों विशेषकर क्यूशू के दक्षिणी प्रान्तों में तेज हवाएं चलने, ऊंची लहरें उठने और भारी वर्षा की संभावना है और उच्चतम स्तर की चेतावनी जारी की गई है।
जिन क्षेत्रों के लिए चेतावनी जारी की गई, वहां के लोगों से सामुदायिक केंद्रों और अन्य जन सुविधाओं में शरण लेने की अपील की गई है।
एजेंसी ने बताया कि सुबह तक ‘शानशान’ क्यूशू के दक्षिणी द्वीप के आसपास सक्रिय रहा, जो 15 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उत्तर की ओर बढ़ रहा है तथा 144 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार हवा चल रही है।
शहर के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, तूफान की दस्तक से पहले भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटना हुई, जिसके कारण गामागोरी में एक मकान ढह गया। इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।
मौसम विभाग और प्रशासनिक अधिकारी बड़े स्तर पर नुकसान को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि तूफान अगले कुछ दिनों में धीरे-धीरे जापानी द्वीपसमूह को अपनी चपेट में ले लेगा। इसके कारण बाढ़ और भूस्खलन का भी खतरा है।
इसराइल जंग की आड़ में फिलिस्तीनियों की ज़मीन पर कब्ज़ा कर रहा है
युद्ध की आड़ में फ़लस्तीनियों की ज़मीन पर इसराइल कब्जा करते जा रहा है,इसराइल ने इस इलाके़ में नई यहूदी बस्तियों को मान्यता दी है लेकिन इसराइल की अनुमति के बिना यहां नई यहूदी बस्तियों के लिए फ़लस्तीनियों के लोगों की निजी स्वामित्व वाली ज़मीन को छीन लिया गया है और वहां सैन्य चौकियां बना दी गई हैं।
युद्ध की आड़ में फ़लस्तीनियों की ज़मीन पर इसराइल कब्जा करते जा रहा है,इसराइल ने इस इलाके़ में नई यहूदी बस्तियों को मान्यता दी है लेकिन इसराइल की अनुमति के बिना यहां नई यहूदी बस्तियों के लिए फ़लस्तीनियों के लोगों की निजी स्वामित्व वाली ज़मीन को छीन लिया गया है और वहां सैन्य चौकियां बना दी गई हैं।
प्राकृतिक झरनों के पानी से सिंचाई करने वाले पुराने फ़लस्तीनी गांव बतिर में आम ज़िदगी सैंकड़ों सालों से शांत ही रही है।
यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल बतिर गांव को जैतून के बाग़ों और अंगूर के खेतों लिए जाना जाता है. लेकिन मौजूदा वक्त में यह कब्ज़ा किए गए वेस्ट बैंक वाले इलाके़ में बस्तियों को लेकर चर्चा में है।
इसराइल ने इस इलाके़ में नई यहूदी बस्तियों को मान्यता दी है. लेकिन इसराइल की अनुमति के बिना यहां नई यहूदी बस्तियों के लिए फ़लस्तीनियों के लोगों की निजी स्वामित्व वाली ज़मीन को छीन लिया गया है और वहां सैन्य चौकियां बना दी गई हैं.
घासन ओल्यान उन लोगों में से हैं जिनकी ज़मीन पर कब्ज़ा किया गया है ओल्यान कहते हैं हमारी त्रासदी पर अपने सपने बनाने के लिए वो हमसे हमारी ज़मीनें छीन रहे हैं।
यूनेस्को का कहना है कि बतिर के आसपास नई बस्ती और लोगों को लेकर वो चिंतित है. सभी बस्तियां अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के हिसाब से अवैध हैं, हालांकि इसराइल इस बात से सहमत नहीं है।
आतंकवाद पर ब्रिटेन के दोहरे मापदंड की आलोचना।
लंदन में इस्लामी गणतंत्र ईरान के दूतावास ने अपने एक्स-हैंडल पर जारी एक संदेश में कहा है, ''30 अगस्त, 1981 को ईरानी राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री को मुजाहिदीन ख़ल्क़ नामक समूह ने शहीद कर दिया था, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय वर्षों से इस समूह की निंदा करते हुए इसे आतंकवादी समूह माना जाने लगा है।'' संदेश में कहा गया है कि हालांकि इस आतंकवादी समूह की प्रकृति नहीं बदली है, लेकिन ईरान पर दबाव बनाने के लिए इस समूह का नाम (आतंकवादी संगठनों) सूची से हटा दिया गया है। इस संदर्भ में, कुछ ब्रिटिश सांसदों ने आश्चर्यजनक रूप से इस समूह के नेता की मेजबानी की, जबकि कुछ कुख्यात रूढ़िवादी समाचार पत्रों ने इस समूह को अपने पृष्ठ दिए हैं।
ब्रिटिश अधिकारियों के दोहरे मापदंडों का जिक्र करते हुए ईरानी दूतावास ने लिखा कि ब्रिटेन के लिए आतंकवाद तब सहनीय है जब वह ईरानियों को निशाना बनाता है और अन्य जगहों पर निंदनीय है। उल्लेखनीय है कि ईरान के राष्ट्रपति मोहम्मद अली रजाई और प्रधान मंत्री मोहम्मद जवाद बाहुनर को उपरोक्त आतंकवादी समूह (एमकेओ) ने 30 अगस्त, 1981 को प्रधान मंत्री आवास को उड़ाकर शहीद कर दिया था।
हमारे युवा देश के स्वदेशी रक्षा उद्योग के मुख्य वास्तुकार हैं: उपरक्षा मंत्री
ईरान के उपरक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल सैयद हुज्जतुल्लाह क़ुरैशी का कहना है: इस्लामी गणतंत्र ईरान का रक्षा उद्योग, डिज़ाइन और निर्माण के माध्यम से आंतरिक व स्वदेशी शक्ति व ताक़त तथा नवीनीकरण पर भरोसा करके सैन्य उपकरणों और पुर्ज़ों के क्षेत्र में पूरी तरह से स्वदेशी उद्योग बन गया है।
ब्रिगेडियर जनरल क़ुरैशी ने ईरान के रक्षा उद्योग दिवस के मौक़े पर कहा: आज कठोर, अवैध और ग़ैर क़ानूनी प्रतिबंधों के बावजूद रक्षा उद्योग में प्रगति और आत्मनिर्भरता, इस्लामी क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में है।
ईरान के रक्षामंत्री ने कहा इस्लामी क्रांति की सफलता से पहले ईरान के सशस्त्र बल, रणनीतिक और उपकरणों के मामले में पूरी तरह से पश्चिम पर निर्भर थे।
उनका कहना था: चार दशकों के बाद ईरानी युवाओं के प्रयासों, दृढ़ संकल्प और राष्ट्रीय क्षमताओं और प्रतिभाओं पर विश्वास के साथ, सैन्य उपकरणों का डिज़ाइन और निर्माण पूरी तरह से स्वदेशी उद्योग बन गया है।
उन्होंने कहा कि ऐसी क्षमता हासिल करने से इस्लामी गणतंत्र ईरान इस क्षेत्र में एक सक्रिय और निर्णायक खिलाड़ी में तब्दील हो गया है।
उनका कहना था कि मिसाइल, एयर, एयर डिफ़ेंस, नौसेना, अंतरिक्ष, इलेक्ट्रॉनिक, साइबर और आईडी वॉर और अन्य क्षेत्रों में इस्लामी गणतंत्र ईरान के रक्षा मंत्रालय की प्रगति ने आज न केवल उपकरण प्रदान करने में आत्मनिर्भरता पैदा की है बल्कि ईरान के सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक हथियार भी बनाने में कामयाबियां हासिल की हैं जबकि इस्लामी गणतंत्र ईरान रक्षा उत्पादों और प्रौद्योगिकी का निर्यात करने वाले देशों में एक बन गया है।
क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले परिवर्तनों का ज़िक्र करते हुए ईरान के उपरक्षा मंत्री ने कहा: दुनिया सबसे जटिल सैन्य परिस्थितियों से गुजर रही है और बड़े और आश्चर्यजनक ख़तरों के कगार पर है।
जनरल क़ुरैशी की नज़र में वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था में परिवर्तन के इशारों में अमेरिकी शक्ति का पतन, राजनीतिक आर्थिक शक्ति के पैरेडाइम का पश्चिमी आधिपत्य से निकलकर स्वतंत्र राजनीतिक, आर्थिक शक्तियों में स्थानांतरण, विश्व शक्तियों की भूरणनीतिक प्रतिस्पर्धा और कुछ देशों की विदेश नीति के हथकंडों के रूप में छद्म युद्ध और आतंकवाद का विस्तार है।
ईरान के उपरक्षा मंत्री ने कहा: अमेरिका और साम्राज्यवादी शक्तियां, दिखावे के संकट पैदा करके और दूसरों की क़ीमत पर प्रॉक्सी वॉर शुरु करके अपने लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर रही हैं, जैसा कि हम आज सीरिया, इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, पूर्वी यूरोप और एशिया में देख रहे हैं।
जनरल क़ुरैशी ने कहा: निश्चित रूप से, अमेरिका के हस्तक्षेप और हमलों के परिणाम से प्रतिरोध की विचारधारा का विस्तार होगा, प्रतिरोध के क्षेत्रों का विकास होगा, आपसी अंतरमहाद्वीपीय गठबंधन का निर्माण होगा, सत्ता के नए ध्रुवों और आधिपत्य-विरोधी गुटों का गठन और दुनिया में धर्म, नस्ल और भूगोल की परवाह किए बिना अधिक स्वतंत्रता के लिए एकता और गठबंधन का निर्माण हो रहा है।
उन्होंने मित्र देशों के बीच सहयोग के महत्व पर ज़ोर दिया और कहा: इसमें जो महत्वपूर्ण है वह मौजूदा अनुचित व्यवस्था के ख़िलाफ सद्भाव और एकता बनाने और बहुपक्षीयवाद की स्थापना की दिशा में आंदोलन को तेज करने के लिए स्वतंत्र देशों के संयुक्त प्रयास हैं।
यहूदी अत्याचार, इतमार बेन गोविर द्वारा ज़ायोनियों की गुप्त नियत का पर्दाफ़ाश
ज़ायोनी सरकार के आंतरिक सुरक्षा मंत्री ने मस्जिदुल अक़्सा के बारे में जो हालिया बयान दिया है उसकी कुछ देश और फ़िलिस्तीनी गुट भर्त्सना कर रहे हैं और मस्जिदुल अक़्सा की एतिहासिक और क़ानूनी स्थिति बनाये रखने और उसका सम्मान करने पर बल दे रहे हैं।
ज़ायोनी सरकार के आंतरिक सुरक्षा मंत्री इतमार बेन गोविर ने एलान किया है कि वह मस्जिदुल अक़्सा के प्रांगण में यहूदी उपासना स्थल निर्माण करने का इरादा रखता है।
ज़ायोनी सरकार के धरोहर मंत्री ने भी सूचना दी है कि ज़ायोनियों द्वारा मस्जिदुल अक़्सा पर हमले के समर्थन के लक्ष्य से 5 लाख डॉलर विशेष किया गया है।
ज़ायोनी सरकार के इस क़दम के बाद ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने सोशल मिडिया एक्स पर लिखा कि ज़ायोनी सरकार का जंगी मंत्रिमंडल मस्जिदुल अक़्सा के संबंध में अपने शैतानी व दुष्टतापूर्ण षडयंत्र को व्यवहारिक बनाने की चेष्टा में है यहां तक कि वह मस्जिदुल अक़्सा के प्रांगण में निर्लज्ता के साथ यहूदी उपासना स्थल निर्माण करने की बात कर रहा है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान इस प्रकार के बयानों की कड़ी भर्त्सना करता है और साथ ही वह मस्जिदुल अक़्सा के संबंध में हर प्रकार के अतिक्रमण को इस्लामी जगत की रेड लाइन को लांघना समझता है और इसके प्रति चेतावनी देता है। ज़ायोनी जो अपराध कर रहे हैं उससे पूरी दुनिया बेदार व जागरुक हो गयी है और दुनिया के मुसलमान और स्वतंत्रताप्रेमी एक आवाज़ में फ़िलिस्तीन और मस्जिदुल अक़्सा का समर्थन कर रहे हैं और साथ ही वे ज़ायोनी सरकार के अपराधियों पर मुक़द्दमा चलाये जाने की मांग भी कर रहे हैं।
जार्डन के विदेशमंत्री एमन अस्सफ़दी ने भी एक्स के अपने निजी पेज पर लिखा है कि राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद को चाहिये कि मस्जिदुल अक़्सा और पवित्र स्थलों के संबंध में किये जा रहे अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के उल्लंघन को समाप्त कराने के लिए तुरंत क़दम उठाये।
अस्सफ़दी ने बल देकर कहा कि ज़ायोनी सरकार प्रायोजित कार्यक्रम के अनुसार मस्जिदुल अक़्सा की पहचान बदलने की कुचेष्टा में है।
सऊदी अरब के विदेशमंत्रालन ने भी मस्जिदुल अक़्सा में एक यहूदी उपासना स्थल बनाये जाने पर आधारित बेन गोविर के बयानों की प्रतिक्रिया में एलान किया कि वह बारमबार दुनिया के मुसलमानों की भावनाओं को आहत करने को बर्दाश्त नहीं करेगा। इसी प्रकार सऊदी अरब ने मस्जिदुल अक़्सा की क़ानूनी और एतिहासिक स्थिति का सम्मान किये जाने पर बल दिया है।
फ़िलिस्तीन की स्वशासित सरकार के प्रमुख महमूद अब्बास ने भी बेन गोविर के बयान पर प्रतिक्रिया दिखाई और कहा है कि उनका यह फ़ैसला इस बात का सूचक है कि ज़ायोनियों का प्रयास क्षेत्र को धार्मिक जंग की आग में धकेलना है। उन्होंने बल देकर कहा कि इस्राईल को अमेरिका का राजनीतिक, सैनिक और वित्तीय समर्थन फ़िलिस्तीनी जनता और लोगों पर इस्राईल के हमलों के जारी रहने का कारण है और उसने फ़िलिस्तीनियों की मान्यताओं के अपमान के लिए इस्राईल को अधिक दुस्साहसी बना दिया है।
इसी संबंध में इस्लामी प्रतिरोधी संगठन हमास ने भी एक बयान जारी करके एलान किया है कि मस्जिदुल अक़्सा पर हमला करने हेतु अतिवादी ज़ायोनियों के लिए बजट विशेष किया जाना ख़तरनाक क़दम है और वह आग से खेलना है और एक धार्मिक जंग के आरंभ होने का कारण बन सकता है और उसकी ज़िम्मेदारी ज़ायोनी सरकार और उसके समर्थकों की होगी।
हमास ने अपने बयान में इस्लामी सहयोग संगठन ओआईसी के 57 सदस्य देशों से मांग की है कि वह अपने दायित्वों पर अमल करे और ज़ायोनी दुश्मन के मुक़ाबले में मस्जिदुल अक़्सा की रक्षा के संबंध में कार्यवाही करे।
ज्ञात रहे कि मस्जिदुल अक़्सा को ध्वस्त करके उसके स्थान पर यहूदी उपासना स्थल का निर्माण वह विचारधारा है जिसका संबंध अतिवादी ज़ायोनियों की आस्था से है और सालों से अतिवादी ज़ायोनी इस दिशा में प्रयासरत रहे और कुटिल चाले चलते रहे हैं।
मस्जिदुल अक़्सा बैतुल मुकद्दस नगर में इस्लामी और फ़िलिस्तीनी पहचान की प्रतीक है और अतिवादी ज़ायोनी हमेशा उसे ध्वस्त करने और नुकसान पहुंचाने की चेष्टा में रहे हैं।
ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।