رضوی

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करबला के मैदान में दोस्ती, मेहमान नवाज़ी, इकराम व ऐहतेराम, मेहर व मुहब्बत, ईसार व फ़िदाकारी, ग़ैरत व शुजाअत व शहामत का जो दर्स हमें मिलता है वह इस तरह से यकजा कम देखने में आता है। मैंने ऊपर ज़िक किया कि करबला करामाते इंसानी की मेराज का नाम है।

वह तमाम सिफ़ात जिन का तज़किरा करबला में बतौरे अहसन व अतम हुआ है वह इंसानी ज़िन्दगी की बुनियादी और फ़ितरी सिफ़ात है जिन का हर इंसान में एक इंसान होने की हैसियत से पाया जाना ज़रुरी है। उसके मज़ाहिर करबला में जिस तरह से जलवा अफ़रोज़ होते हैं किसी जंग के मैदान में उस की नज़ीर मिलना मुहाल है। बस यही फ़र्क़ होता है हक़ व बातिल की जंग में।

जिस में हक़ का मक़सद, बातिल के मक़सद से सरासर मुख़्तलिफ़ होता है। अगर करबला हक़ व बातिल की जंग न होती तो आज चौदह सदियों के बाद उस का बाक़ी रह जाना एक ताज्जुब ख़ेज़ अम्र होता मगर यह हक़ का इम्तेयाज़ है और हक़ का मोजिज़ा है कि अगर करबला क़यामत तक भी बाक़ी रहे तो किसी भी अहले हक़ को हत्ता कि मुतदय्यिन इंसान को इस पर ताज्जुब नही होना चाहिये।

 

अगर करबला दो शाहज़ादों की जंग होती?। जैसा कि बाज़ हज़रात हक़ीक़ते दीन से ना आशना होने की बेना पर यह बात कहते हैं और जिन का मक़सद सादा लौह मुसलमानों को गुमराह करने के अलावा कुछ और होना बईद नज़र आता है तो वहाँ के नज़ारे क़तअन उस से मुख़्तलिफ़ होते जो कुछ करबला में वाक़े हुआ।

वहाँ शराब व शबाब, गै़र अख़लाक़ी व गै़र इंसानी महफ़िलें तो सज सकती थीं मगर वहाँ शब की तारीकी में ज़िक्रे इलाही की सदाओं का बुलंद होना क्या मायना रखता?

असहाब का आपस में एक दूसरों को हक़ और सब्र की तलक़ीन करना का क्या मफ़हूम हो सकता है?। माँओं का बच्चों को ख़िलाफ़े मामता जंग और ईसार के लिये तैयार करना किस जज़्बे के तहत मुमकिन हो सकता है?। क्या यह वही चीज़ नही है जिस के ऊपर इंसान अपनी जान, माल, इज़्ज़त, आबरू सब कुछ क़ुर्बान करने के लिये तैयार हो जाता है मगर उसके मिटने का तसव्वुर भी नही कर सकता।

यक़ीनन यह इंसान का दीन और मज़हब होता है जो उसे यह जुरअत और शुजाअत अता करता है कि वह बातिल की चट्टानों से टकराने में ख़ुद को आहनी महसूस करता है। उसके जज़्बे आँधियों का रुख़ मोड़ने की क़ुव्वत हासिल कर लेते हैं। उसके अज़्म व इरादे बुलंद से बुलंद और मज़बूत से मज़बूत क़िले मुसख़्ख़र कर सकते हैं।

यही वजह है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पाये सबात में लग़ज़िश का न होना तो समझ में आता है कि वह फ़रज़ंदे रसूल (स) हैं, इमामे मासूम (अ) हैं, मगर करबला के मैदान में असहाब व अंसार ने जिस सबात का मुज़ाहिरा किया है उस पर अक़्ल हैरान व परेशान रह जाती है।

अक़्ल उस का तजज़िया करने से क़ासिर रह जाती है। इस लिये कि तजज़िया व तहलील हमेशा ज़ाहिरी असबाब व अवामिल की बेना पर किये जाते हैं मगर इंसान अपनी ज़िन्दगी में बहुत से ऐसे अमल करता है जिसकी तहलील ज़ाहिरी असबाब से करना मुमकिन नही है और यही करबला में नज़र आता है।

 हमारा सलाम हो हुसैने मज़लूम पर

हमारा सलाम हो बनी हाशिम पर

हमारा सलाम हो मुख़द्देराते इस्मत व तहारत पर

हमारा सलाम हो असहाब व अंसार पर।

या लैतनी कुन्तो मअकुम।

 

 

मौलाना इमाम मुहम्मद जवाद हाज अली अकबरी ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम के अवसर पर मिलियन मार्च को दुशमनों के मुक़ाबले में सत्य प्रेमियों की मोर्चाबंदी का नाम दिया और कहा कि चेहलुम के अवसर का मिलियन मार्च दुशमनों के लिए डरावना सपना बन गया है।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम मुहम्मद जवाद हाज अली अकबरी ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम के अवसर पर मिलियन मार्च को दुशमनों के मुक़ाबले में सत्य प्रेमियों की मोर्चाबंदी का नाम दिया और कहा कि चेहलुम के अवसर का मिलियन मार्च दुशमनों के लिए डरावना सपना बन गया है।

हुज्जतुल इस्लाम मुहम्मद जवाद हाज अली अकबरी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में इमाम हुसैन के चेहलुम के कार्यक्रम के वैभवशाली आयोजन पर इराक़ की सरकार और जनता का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जब तीन करोड़ श्रद्धालु लब्बैक या हुसैन का नारा लगाते हुए चेहलुम के मिलियन मार्च में आगे बढ़ते हैं तो साम्राज्यवादी ताक़तें कांप जाती हैं।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि इमाम हुसैन के चेहलुम का कार्यक्रम साम्राज्यवाद के पतन की प्रक्रिया को और तेज़ कर रहा है।

हुज्जतुल इस्लाम हाज अली अकबरी ने कहा कि इमाम हुसैन का चेहलुम इस्लाम को विजय दिलाएगा, उन्होंने कहा कि प्रतिरोध, आशा, दृढ़ता, अथक प्रयास, दुशमन से दूरी, ख़तरों से न डरना और इंसानों से प्रेम इमाम हुसैन के चेहलुम के संदेश हैं।

 

 

 

 

 

सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान और ईरान के विदेश मंत्री मनसब अब्बास अराक्ची ने टेलीफोन पर बातचीत की और गाज़ा समेत विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान और ईरान के विदेश मंत्री मनसब अब्बास  अराक्ची ने टेलीफोन पर बातचीत की और गाज़ा समेत विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की।

इस मौके पर दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों के विकास और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर भी चर्चा हुई।

रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच निरंतर समन्वय और परामर्श के महत्व पर भी चर्चा की। इस बातचीत के दौरान क्षेत्र में सुरक्षा और शांति के ऊपर भी बात की गई।

हिज़्बुल्लाह ने आधिकारिक रूप से जो बयान दिया है उसके अनुसार बदला लेने वाली कार्यवाही का यह पहला चरण था।

ज़ायोनी सरकार ने लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर फ़ोवाद शुक्र को शहीद कर दिया था जिसके जवाब में रविवार को लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध हिज़्बुल्लाह ने सैकड़ों राकेटों, मिसाइलों और ड्रोनों से ज़ायोनी सेना के ठिकानों को लक्ष्य बनाया।

हिज़्बुल्लाह ने जो जवाबी और बदला लेने की कार्यवाही अंजाम दी उसमें कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु व संदेश मौजूद हैं।

पहलाः हिज़्बुल्लाह की कार्यवाही ज़ायोनी सरकार की ख़ुफ़िया जानकारियों की विफ़लता की सूचक है। इस्राईल ने हिज़्बुल्लाह के जवाबी हमले से पहले ही हमला कर दिया और कहा कि हमने हिज़्बुल्लाह के राकेट लांचर और दूसरे महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट कर दिया जबकि हिज़्बुल्लाह ने इस्राईली हमलों के बाद 300 से अधिक राकेटों को फ़ायर किया और ड्रोनों को उड़ाकर इस्राईली सेना के ठिकानों को लक्ष्य बनाया।

 

अगर इस्राईल ने हिज़्बुल्लाह के महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमला करके उन्हें नष्ट कर दिया था तो उन राकेटों और मिसाइलों को कहां से फ़ायर किया गया? इसी प्रकार हिज़्बुल्लाह ने अपने ड्रोनों को कहां से उड़ाया?

रोचक बात यह है कि हिज़्बुल्लाह ने यह जवाबी हमला उस समय किया कि जब इस्राईल में पूरी तरह चौकसी बरती जा रही थी और ज़ायोनी अधिकारियों ने इससे पहले दावा किया था कि वे हिज़्बुल्लाह की जवाबी कार्यवाही को रोकने का प्रयास करेंगे।

दूसराः हिज़्बुल्लाह ने जो जवाबी हमला अंजाम दिया उसमें दूसरा बिन्दु यह है कि इसमें इस्राईली सेना के 10 से अधिक ठिकानों को लक्ष्य बनाया गया जिसमें मोसाद, शाबाक और तेअलीव में ज़ायोनी सेना की जानकारियों के ठिकाने थे। दूसरे शब्दों में हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल के ख़िलाफ़ अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही अंजाम दी है। साथ ही हिज़्बुल्लाह ने अपने वादे के अनुसार फ़ोवाद शुक्र के बदले की कार्यवाही अकेले दम पर और स्वतंत्र ढंग से अंजाम दी।

तीसराः हिज़्बुल्लाह ने जो आधिकारिक बयान दिया है उसके अनुसार यह बदले की कार्यवाही का पहला चरण था। इस आधारिक बयान का एक अर्थ यह है कि हिज़्बुल्लाह चाहता है कि बदले की भावना अब भी इस्राइलियों में बाक़ी रहे। अलबत्ता इसका दूसरा अर्थ भी यह हो सकता है कि बदले की दूसरे चरण की कार्यवाही की प्रतीक्षा में रहना चाहिये और यह ज्ञात नहीं है कि दूसरे चरण की कार्यवाही पहले चरण से भिन्न होगी या उससे अधिक सख़्त व कड़ी होगी।

ज़ायोनियों के लिए सबसे बुरी परिस्थिति यह है कि इस कार्यवाही व हमले के बाद दूसरे हमले की प्रतीक्षा में रहें जो इससे भी अधिक पीड़ादायक या अधिक स्ट्रैटेजिक वाली होगी।

फिलिस्तीन के साथ एकजुटता में अनुभव साझा करने और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फिलिस्तीन के लिए सबसे बड़ा वैश्विक छात्र सहायता नेटवर्क न्यूयॉर्क शहर में लॉन्च किया गया।

अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और कई अरब और इस्लामी देशों सहित दुनिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों के सैकड़ों छात्र दल शामिल हैं।

बुधवार, 21 अगस्त को फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले छात्र कार्यकर्ताओं, छात्र संगठनों और यूनियनों ने फिलिस्तीन के समर्थन में बढ़ते अंतरराष्ट्रीय आंदोलन के जवाब में और गाजा युद्ध को रोकने के लिए "ग्लोबल स्टूडेंट नेटवर्क फॉर फिलिस्तीन सपोर्ट" (जीएसपीएन) की स्थापना और लॉन्च करने की कोशिश की।

शासन के नरसंहार और विश्वविद्यालयों में इजरायली शासन के निवेश का बहिष्कार करने की घोषणा की गई।

अपने लॉन्च के अवसर पर, इस नेटवर्क ने एक बयान में घोषणा की कि यह छात्र कार्यकर्ताओं को रणनीतियों का आदान-प्रदान करने और अनुभव साझा करने और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक सुरक्षित और विश्वसनीय मंच प्रदान करता है और फिलिस्तीन समर्थक छात्र कार्यकर्ताओं के लिए समर्थन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

बयान में कहा गया है कि नेटवर्क फिलिस्तीन समर्थक छात्रों, विशेष रूप से दूरदराज या अलग-थलग समुदायों में रहने वाले छात्रों को प्रभावी रणनीतियों को लागू करने और अपने समुदायों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए आवश्यक उपकरण, समर्थन और ज्ञान से लैस करना चाहता है।

इस नेटवर्क के छात्र नेताओं का कहना है कि वे वैश्विक स्तर पर फ़िलिस्तीनियों की आवाज़ को मजबूत करने, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध पर दुनिया का ध्यान केंद्रित करने, साथ ही न्याय के लिए विरोध प्रदर्शनों और अभियानों के समन्वय के साथ-साथ एक वैश्विक नेटवर्क के निर्माण के लिए "रक्षा", "शिक्षा", "कार्य" और "एकता" के चार बुनियादी लक्ष्यों के लिए छात्र कार्यकर्ता प्रतिबद्ध हैं।

 

 

 

 

पाकिस्तान के शहर मियांवाली कालाबाग इलाके में कट्टरपंथियों और वाहाबीयों का चेहल्लूम के मौके पर हमला जिसमें दो आज़ादार शहीद और 80 लगभग घायल हो गए

पाकिस्तान के शहर मियांवाली कालाबाग इलाके में कट्टरपंथियों और वाहाबीयों का चेहल्लूम के मौके पर हमला जिसमें दो आज़ादार शहीद और 80 लगभग घायल हो गए।

एक रिपोर्ट के मुताबिक,क्षेत्र का सामूहिक अरबईन कार्यक्रम कई दशकों से कालाबाग शहर में आयोजित किया जाता रहा है जिसमें क्षेत्र भर से श्रद्धालु भाग लेते हैं कोरोना के दिनों से ही लोग नियमित रूप से माशी (वाक) कर जुलूस में शामिल होते हैं।

बताया जा रहा है कि इस बार कालाबाग के स्थानीय और शिया सुन्नी उलेमा ने चेतावनी दी है कि आज तकफ़ीरियों ने नमाज़ के समय अपना कार्यक्रम बनाया है जिसमें सभी लोग इकट्ठा हो रहे हैं और उनका मुख्य लक्ष्य अरबईन की नमाज़ में खलल डालना और जुलूस पर हमला करना है।

जिसके बाद संस्थाओं के प्रमुखों और अल्लामा सैयद इफ्तिखार हुसैन नकवी की अध्यक्षता में जुलूस की एसओपी बनाई गई और जुलूस और मातमी शांतिपूर्ण रहे इसके लिए विरोधियों की सभी मांगें मान ली गईं फिर भी हमला किया।

तकफ़ीरियों ने एक बैठक में निर्णय लिया कि आस्थावान छोटे-छोटे समूहों में जाएंगे और दोपहर 12 बजे के बाद कालाबाग में प्रवेश करेंगें।

रिपोर्ट के मुताबिक, शोक मनाने वालों द्वारा एसओपी का सख्ती से पालन किया गया, लेकिन जब लोग बाजार पहुंचे तो कट्टरपंथियों द्वारा छतों से ईंट-पत्थर बरसाना शुरू कर दिया गया।

 

हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का चेहल्लुम सोमवार को आयोजित किया गया इस मौके पर बेरूनी और स्थानीय अंजुमनों ने नौहा व मातम कर वक्त के इमाम को पुरसा पेश किया।

हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का चेहल्लुम सोमवार को आयोजित किया गया इस मौके पर बेरूनी और स्थानीय अंजुमनों ने नौहा व मातम कर वक्त के इमाम को पुरसा पेश किया।

हज़रत इमाम हुसैन की याद में मरहूम सैयद अनवर हुसैन के परिवार की ओर से मजलिस चेहल्लुम का आयोजन सोमवार को किया गया। इसमें स्थानीय लोगों के साथ बाहर के भी मेहमानों ने हिस्सा लिया।

मजलिस को यूपी के मौलाना गुलाम अली नकवी ने संबोधित किया वहीं, शबीह गोपालपुरी, फरमान जंगी पुरी, अमन मुजफ्फर पुरी ने नौहा और पेश खानी किया। जुलूस अनवर आर्केड से निकल कर अंजुमन प्लाजा, उर्दू लाइब्रेरी, डेली मार्केट, चर्च रोड, विक्रांत चौक, कर्बला चौक होते हुए कर्बला पहुंच कर संपन्न हुआ।

चेहल्लुम के मजलिस को मौलाना गुलाम अली नकवी, मौलाना सैयद बाकर रजा दानिश और मौलाना नसीर आजमी ने संबोधित किया।

मातमी जुलूस का चर्च रोड में शिविर लगा कर स्वागत किया गया जुलूस में शामिल मातम कर रहे तमाम लोगों का गुलाब जल से छिड़काव कर स्वागत किया।

 

 

 

 

 

लखनऊ में कर्बला के शहीदों के चालीसवें पर चेहल्लुम का जुलूस निकला अज़ादार नंगे पावं शहीदों को पुरसा देने के लिये जुलूस में हिस्सा लिए।

पुराने लखनऊ में कर्बला के शहीदों के चालीसवें पर चेहल्लुम का जुलूस निकला अज़ादार नंगे पावं शहीदों को पुरसा देने के लिये जुलूस में हिस्सा लिए।

रोते हैं सब खास-ओ-आम चेहल्लुम हुआ तमाम, चले आओ ए जव्वारों चले आओ, मेरी आवाज पे लब्बैक पुकारे जाओ। दर्द भरे नौहों और या हुसैन, या हुसैन की सदाओं के साथ अजादारों के गमजदा चेहरे नम आंखों से कर्बला के शहीदों को पुरसा दे रहे थे।

हज़रत इमाम हुसैन सहित कर्बला के 72 शहीदों के चालीसवें पर सोमवार को चेहल्लुम का जुलूस निकला अजादार नंगे पावं शहीदों को पुरसा देने के लिये जुलूस में साथ हो लिये। जुलूस में शामिल मातमी अंजुमने अपने अलम के साथ आंखों में अश्क भरे मातम करती हुई चल रहीं थीं।

कर्बला के शहीदों के चेहल्लुम के जुलूस में शामिल होने के लिये अंजुमनें व अजादार बड़ी तादात में सुबह से ही विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित इमामबाड़ा नाजिम साहब पहुंचना शुरू हो गये।

दोपहर में इमामबाड़े में मौलाना कल्बे जवाद नकवी के बेटे मौलाना कल्बे अहमद ने मजलिस को खिताब करते हुये कैदखाना ए शाम में मनाए गये चेहल्लुम का मंजर बयान किया तो वहां मौजूद अजादार गमगीन हो गये। मजलिस के बाद एक एक कर मातमी अंजुमन के निकलने कासिलसिला शुरू हुआ।

जुलूस में सबसे आगे हजरत अब्बास का परचम था। इसके साए में शहर की तमाम अंजुमनें नौहाख्वानी करती हुई जुलूस में बढ़ चलीं।

अंजुमनों के मातमदार जंजीर, कमा व सीनाजनी कर कर्बला के शहीदों को अपने खून से पुरसा दे रहे थे। इसके पीछे कर्बला के शहीदों के शबीह ए ताबूत और ऊंटो पर अमारियां शामिल थीं।

इसके अलावा जुलूस में हजरत अब्बास की निशानी अलम, हजरत इमाम हुसैन के छ माह के बेटे हजरत अली असगर का गहवारा और हजरत इमाम हुसैन की सवारी का प्रतीक जुलजनाह भी साथ-साथ था।

इस बार एक क्विंटल ड्राई फ्रूट से बना आलम भी शामिल किया गया। अजादारों ने इन तबर्रुकात की जियारत कर दुआयें मांगी। जुलूस विक्टोरिया स्ट्रीट से नक्खास चौराहा,टूरियागंज, हैदरगंज, बुलाकी अडडा, एवरेडी चौराहा होते हुये देर शाम तालकटोरा कर्बला पहुंच कर संपन्न हुआ। शहर में जन्माष्टमी और चेहल्लुम एक साथ होने की वजह से चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात की गई थी।

 

पाकिस्तान के कराची शहर में शिया आबादी पर तकफ़ीरीयों का हमला,हमले के परिणामस्वरूप एक नौजवान शहीद कई गंभीर रूप से घायल

सिंध सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने प्रतिबंधित सिपाहे सहाबा के सशस्त्र आतंकवादियों को शबे चेहल्लुम इमाम हुसैन अ.स.के अवसर पर एक रैली आयोजित करने की अनुमति दी गई थी।

उसी दौरान एक तकफीरी गिरोह हथियारबंद समूह ने सबील हुसैनी पर हमला कर दिया लेकिन जवाबी पत्थरबाजी के कारण आतंकी भाग निकले।

एक रिपोर्ट के मुताबिक इमाम हुसैन अ.स. के चेहलम से एक दिन पहले कराची शहर में सांप्रदायिक दंगे भड़काने की नापाक साजिश के नतीजे में देश विरोधी आतंकी संगठन सिपाहे सहाबा और लश्कर-ए-झांगवी के हथियारबंद आतंकियों ने कराची मे गोलाबरी की और शियाओ के  घरों पर हमला किया ।

पथराव और गोलीबारी के परिणामस्वरूप, एक युवा शिया सैयद जुनैद हैदर मेहदी शहीद हो गए और कई युवा गंभीर रूप से घयाल हैे।

इस मौके पर भारी संख्या में पुलिस और रेंजर्स भी मौके पर पहुंची बाद में शिया उलेमा काउंसिल सिंध के अध्यक्ष अल्लामा असद इकबाल जै़दी के नेतृत्व में जुनैद हैदर महदी की अंतिम संस्कार की दुआ की गई। जिसमें हजारों की संख्या में शियाने  हैदरकरार ने भाग लिया।

न्यूयॉर्क में एक मुस्लिम व्यक्ति पर हुए हमले को नस्लवादी अपराध की जांच के लिए सोमवार को दोषी ठहराया गया हैं।

अमेरिका में एक 34 वर्षीय व्यक्ति ने न्यूयॉर्क शहर में एक मुस्लिम युवक पर हमला किया और इस्लाम विरोधी नारे लगाए साथ उसका अपमान किया और फिर उस पर हमला किया।

मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ने कहा कि घटना 5 अगस्त को हुई और संदिग्ध को तीन दिन बाद 8 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया गया।

सोमवार, 27 अगस्त को इस घटना को अंजाम देने वाले संदिग्ध पर "घृणास्पद भाषण और नस्लवाद" का आरोप लगाया गया था और उसने अभी तक अपना अपराध स्वीकार नहीं किया है।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने गाजा युद्ध और फिलिस्तीनियों पर ज़ायोनी शासन के हमलों की शुरुआत के बाद से अमेरिकी मुसलमानों और अरबों के खिलाफ बढ़ते खतरों की चेतावनी दी है।

मैनहट्टन जिला अटॉर्नी ने कहा कि अमेरिकी व्यक्ति ने उन पर केवल इसलिए हमला किया क्योंकि वह व्यक्ति मुस्लिम था उसने मुस्लिम पर थूका और नस्लवादी और इस्लाम विरोधी भाषा का इस्तेमाल किया।

 

उन्होंने आगे कहा कि हमलावर ने मुस्लिम को आतंकवादी' कहा और 'मुसलमान मुरदाबाद चिल्लाते हुए उस पर कई वार किए।