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ईरान ने पकड़ीं दो अमरीकी युद्धक नौकाएं,
ईरान की सिपाहे पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स ने कहा है कि फ़ार्स की खाड़ी में अमरीका की दो युद्धक नौकाओं को रोककर उस पर सवार लोगों को गिरफ़तार कर लिया गया है।
पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स के जनसंपर्क विभाग ने बुधवार की सुबह एक बयान में घोषणा की कि 12 जनवारी को अमरीका की दौ नौकाओं को रोक लिया गया जिस पर दस अमरीकी सैनिक सवार थे क्योंकि यह युद्धक नौकाएं इस्लामी गणतंत्र ईरान की जलसीमा में घुस आई थीं।
बयान में कहा गया है कि जिस समय इन दोनों युद्धक नौकाओं को पकड़ा गया उस सयम ईरान के फ़ार्सी द्वी के दक्षिण पूर्व में अमरीका का ट्रूमैन समुद्री बेड़ा और फ़्रांस का शर्ल दोगल समुद्री बेड़ा मौजूद था।
पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स के अनुसार दस अमरीकी नौसैनिकों में 9 पुरुष और एक महिला है।
उधर पेंटागोन के प्रवक्ता पीटर कुक ने भी कहा है कि अमरीकी नौसेना की दो युद्धक नौकाएं ईरान की कस्टडी में हैं जो ईरान की जलसीमा में प्रविष्ट हो गई थीं। प्रवक्ता ने कहा कि बहुत जल्द अमरीकी नौकाओं और नौसैनिकों को वापस लाया जाएगा।
प्रवक्ता ने कहा कि ईरान से संपर्क बना हुआ है और इस बात का आश्वासन मिल गया है कि नौसैनिकों को लौटा दिया जाएगा।
अमरीका के विदेश मंत्री जान कैरी ने भी ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ से फ़ोन पर इस बारे में बातचीत की है।
यूरोप, चीन व भारत को गैस निर्यात करेगा ईरान
ईरान की राष्ट्रीय गैस कंपनी ने कहा है क्षेत्रीय मंडियों की ज़रूरत सीमित है इस लिए ईरान अगले वर्षों मेें यूरोप, चीन व भारत की बड़ी उपभोग्ता मंडियों तक गैस निर्यात करने के प्रयास में है।
कंपनी के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के निदेशक अज़ीज़ुल्लाह रमज़ानी ने तेहरान में "वर्तमान चुनौतियों की छाया में गैस की अंतर्राष्ट्रीय मंडी" शीर्षक के अंतर्गत आयोजित होने वाली बैठक में कहा कि अगर ईरान को उचित तकनीक व पूंजी निवेश प्राप्त हो जाए तो वह अपने अत्यधिक गैस भंडारों के दृष्टिगत गैस के उत्पादन में बढ़ोत्तरी कर सकता है।
उन्होंने इस दावे को रद्द करते हुए कि ईरान की गैस यूरोप को निर्यात करना आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं है, कहा कि रूस तीन हज़ार किलो मीटर की गैस पाइप लाइन बिछा कर उस महाद्वीप को गैस निर्यात कर रहा है, अतः ईरान भी इस प्रकार की गैस पाइप लाइन होने की स्थिति में यूरोप को गैस निर्यात कर सकता है।
ज्ञात रहे कि इस समय ईरान प्रतिदिन 65 करोड़ घन मीटर गैस का उत्पादन करने की क्षमता रखता है और अगले तीन साल में यह क्षमता एक अरब घन मीटर प्रतिदिन तक पहुंच जाएगी।
भारी दबाव का सामना करते हुए सुरक्षित रहे क्रान्ति के सिद्धांत
ईरान की इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि भारी दबावों का सामना होने के बावजूद इस्लामी क्रान्ति अपने मूल लक्ष्यों और सिद्धांतों के आधार पर अपने स्थाइत्व को सुरक्षित रखने में सफल रही है।
उन्होंने शनिवार को धार्मिक शहर क़ुम से तेहरान आने वाले हज़ारों लोगों से मुलाक़ात में कहा कि इस्लामी क्रान्ति की मज़बूती, जनता का चैन व सुकून और शत्रुओं के षड्यंत्रों की नाकामी जनता और अधिकारियों की चेतना से ही संभव है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि वर्ष 2009 के राष्ट्रपति चुनावों के बाद अमरीकी इस कोशिश में लग गए थे कि कुछ देशों में चुनावों की आड़ में सफल होने वाली अपनी साज़िशों को ईरान में भी दोहराएं और कम वोट पाने वाले धड़े को बहुत बढ़ा चढ़ाकर पेश करके तथा उसकी आर्थिक व राजनैतिक सहायता करके चुनावों के परिणामों को उलट दें लेकिन जनता की भरपूर उपस्थिति के कारण ईरान में शत्रुओं का रंगीन इंक़ेलाब विफल हो गया।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का कहना था कि चुनावों में जनता की भरपूर भागीदारी इस्लामी व्यवस्था की मज़बूती, सुरक्षा का माहौल जारी रहने और विश्व में ईरानी जनता तथा इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था की प्रतिष्ठा में वृद्धि का कारण बनेगी। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान को अमरीका, ज़ायोनी शासन तथा दाइश सहित आतंकी तत्वों पर आधारित बड़े शत्रु मोर्चे का सामना है। उन्होंने कहा कि शत्रुओं ने इस्लामी क्रान्ति के मज़बूत वृक्ष को उखाड़ देने पर अपने सारे प्रयास केन्द्रित कर दिए हैं अतः जनता को चाहिए कि इन योजनाओं को नाकाम बना दे।
अमरीका ईरान के खिलाफ़ प्रतिबंध लागू करने की तैयारी में
अमरीका मिज़ाइल कार्यक्रम के कारण ईरान पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है।
प्रेस टीवी की रिपोर्ट के अनुसार अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जान किर्बी ने मंगलवार को कहा कि विदेशमंत्रालय ईरान में मिज़ाइल परीक्षण के कारण इस देश पर प्रतिबंध लगाने के विषय में अन्य संस्थाओं से बातचीत कर रहा है।
जान कर्बी ने कहा कि अमरीका पूरी तरह तैयार हो चुका है और बातचीत चल रही है।
पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स ने 10 अकतूबर 2015 को एमाद नामक बैलिस्टिक मिज़ाइल का परीक्षण किया था जिसके बाद वाशिंग्टन ने दावा किया कि यह मिज़ाइल परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम है लेकिन ईरान के रक्षा मंत्री ने कहा कि एमाद मिज़ाइल एक परम्परागत मिज़ाइल है।
ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने आदेश दे दिया है कि देश का मिज़ाइल कार्यक्रम पूरी गति से आगे बढ़ाया जाए। ईरान के अधिकारियों का कहना है कि ईरान के मिज़ाइल परमाणु वारहेड ले जाने के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं अतः इनके परीक्षण से सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 का उल्लंघन नहीं होता। यह प्रस्ताव जुलाई 2015 में पास हुआ जिसमें ईरान को परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम मिज़ाइल विकसित करने से रोका गया है।
16 हज़ार अफ़़ग़ानी छात्र, देश के लिए उचित अवसर हैं
अफ़ग़ानिस्तान के चीफ एक्ज़िक्यूटिव ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से भेंटवार्ता की।
इस भेंट में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बल देकर कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान की समस्याओं का समाधान, एकता में निहित है।
उन्होंने मंगलवार को तेहरान में अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह के साथ भेंट में ईरान तथा अफ़ग़ानिस्तान के बीच सहकारिता का उल्लेख किया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्थिर एवं विकसित अफ़ग़ानिस्तान को ईरान अपने विकास के रूप में देखता है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि ईरान, लगभग तीस लाख अफ़ग़ानियों का मेज़बान है। उन्होंने याद दिलाया कि ईरान, सोवियत संघ के हाथों अफ़ग़ानिस्तान के अतिक्रमण का विरोधी रहा है।
उन्होंने कहा कि तेहरान ने मुजाहेदीन का समर्थन किया। वरिष्ठ नेता ने ईरान में मौजूद 16 हज़ार अफ़ग़ानी छात्रों का उल्लेख करते हुए इसे अफ़ग़ानिस्तान के लिए उचित अवसर बताया।
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की सरकार को चाहिए कि वह इन छात्रों से देश के लिए सेवाएं लेने के उद्देश्य से उन्हें प्रोत्साहित करें।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि ईरान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच सहकारिता दोनो पक्षों के हित में है। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती जल जैसे मतभेदों का परस्पर सहयोग के साथ समाधान किया जाए। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने हालिया वर्षों में अफ़ग़ानिस्तान के मुजाहेदीन को अलग-थलग करने की नीति की आलोचना करते हुए कहा कि युद्धप्रेमी जैसे विषय को प्रस्तुत करके मुजाहेदीन को अलग-थलग करना ग़लत नीति है।
उन्होंने कहा कि उस देश में जो सैन्य आक्रमण का लक्ष्य बना हो साथ ही जहां पर मतभेद पाया जाता हो वहां पर जनता को जेदाह अर्थात संघर्ष की भावना से अपने देश की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए।
वरिष्ठ नेता ने अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी जनसंहार और इस देश को बहुत अधिक क्षति पहुंचाए जाने की ओर संकेत करते हुए कहा कि अमरीकी अभी भी अफ़ग़ानिस्तान का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान की जनता में प्रतिरोध और धर्मपरायणता की भावना कूट-कूटकर भरी है अतः कोई भी अतिग्रहणकारी इस देश में सफल नहीं हो सकता।
चुनावों में बढ़ चढ़कर भाग ले जनता, वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने संसद तथा विशेषज्ञ परिषद के चुनावों में जनता की भरपूर भागीदारी पर ज़ोर दिया है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने सोमवार की सुबह पूरे देश के जुमे की नमाज़ पढ़ाने वाले इमामों से मुलाक़ात में संसद तथा विशेषज्ञ परिषद के भावी चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा कि आंतरिक आयाम से चुनाव, स्वाधीनता और राष्ट्रीय पहिचान का आभास कराते हैं जबकि क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयामों की दृष्टि से चुनावों के कारण देश और शासन व्यवस्था की प्रतिष्ठा बढ़ती है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने आगामी चुनावों के संबंध में अमरीकी सरकार के स्वार्थों का हवाला देते हुए कहा कि अमरीकी सरकार ईरान की जनता को क्रान्ति के लक्ष्यों से दूर करके वाशिंग्टन के उद्देश्यों के क़रीब करना चाहती है, लेकिन ईरान की महान जनता चुनाव तथा दूसरे सभी मामलों में शत्रु की इच्छा के विपरीत क़दम उठाती है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव के क़ानूनी नतीजों को स्वीकार करना जनता के अधिकारों का सम्मान है, जब क़ानूनी केन्द्र चुनावों के परिणामों की घोषणा और पुष्टि कर दें तो फिर इन परिणामों का विरोध करना जनता के अधिकारों का हनन है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने आंतरिक स्तर पर लोगों को उकसाने, प्रचारिक व राजनैतिक हमले करने तथा नैतिकता से जुड़ी चीज़ों को जाल के रूप में प्रयोग करने जैसी अनेक चालों का उल्लेख करते हुए कहा कि सबको चाहिए कि शत्रु की घुसपैठ की ओर से सतर्क रहें।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने वर्ष 2009 के राष्ट्रपति चुनावों में चार करोड़ मतदाताओं की शानदार भागीदारी का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2009 में कुछ लोगों ने अपनी नकारात्मक बातों से ईरान को बहुत नुक़सान पहुंचाया।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने क्षेत्र में इस समय छायी असाधारण परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि इस्लामी क्रान्ति और ईरानी जनता के दुशमनों का विशाल मोर्चा अपने षड्यंत्रों का लगातार जाल बिछा रहा है क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में वास्तविक इस्लाम के प्रचार से उन्हें अपने हित ख़तरे में पड़ते दिख रहे हैं।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी विचार फूल की महक और मंद पवन की भांति फैल चुके हैं और उनसे विभिन्न क्षेत्रों में बहुत शक्तिशाली और उपयोगी हस्तियों को प्रशिक्षण मिला है अतः इस्लाम के दुशमन इस सच्चाई को कुचलने के लिए इस्लामी गणतंत्र ईरान के विरुद्ध प्रचारिक हमले कर रहे हैं।
नई इस्लामी सभ्यता के गठन की आवश्यकता
इस्लामी जगत में पाई जाने वाली संभावना के दृष्टिगत इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने नई इस्लामी सभ्यता के गठन को आवश्यकत बताया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर तेहरान में इस्लामी शासन व्यवस्था के अधिकारियों और एकता सम्मेलन में भाग लेने वाले अतिथियों से भेंट की। इस भेंट में वरिष्ठ नेता ने बल देकर कहा कि अब इस्लामी जगत का नंबर है कि वह इसमें पाई जाने वाली संभावनाओं की सहायता से नई इस्लामी सभ्यता के गठन के मार्ग में क़दम आगे बढ़ाए।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह नई इस्लामी सभ्यता उस प्रकार की नहीं होगी जिस प्रकार पश्चिमी सभ्यता ने अतिक्रमण, अतिग्रहण, मानवाधिकारों के हनन और अनैतिकता को अन्य राष्ट्रों पर थोपने जैसे कार्य किये। उनके कथनानुसार यह इस्लामी सभ्यता, मानवता के लिए ईश्वरीय अनुकंपाओं के अर्थ में है। पश्चिमी सभ्यता में पाए जाने वाले आकर्षण के बावजूद उसने मानवता को कोई उपहार नहीं दिया बल्कि वह स्वयं विरोधाभास का शिकार हो गई। पश्चिमी सभ्यता, अपने विदित आकर्षण के बावजूद नैतिकता और आध्यात्म की दृष्टि से खोखली है। इस सभ्यता ने विस्तार के उद्देश्य से विश्व में युद्ध फैलाए। अमरीका ने हज़ारों किलोमीटर दूर जाकर इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध किये। अमरीका ने यह युद्ध अपने एकपक्षीय हितों की पूर्ति के लिए आरंभ किये थे जिसके दुष्परिणाम आज सब देख रहे हैं। पश्चिमी सभ्यता और इस्लामी सभ्यता में खुला विरोधाभास पाया जाता है। इस्लामी सभ्यता सबके लिए विकास की इच्छुक है और उसमें तनिक भी वर्चस्व नहीं पाया जाता।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के अनुसार इस्लामी जगत में पाई जाने वाली संभावनाओं को यदि इस्लाम की वास्तविक शिक्षाओं से मिश्रित कर दिया जाए तो फिर ज्ञान-विज्ञान, तकनीक, राजनीति और समाज सहित विभिन्न क्षेत्रों में नई इस्लामी सभ्यता का उदय होगा।
भारत-पाकिस्तान ने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूचि का आदान प्रदान किया
भारत और पाकिस्तान ने द्विपक्षीय समझौते के तहत अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूचि का आदान-प्रदान किया।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, यह समझौता एक दूसरे के परमाणु स्थलों पर हमले करने से रोकने वाला है। परमाणु प्रतिष्ठानों से जुड़े समझौते पर 31 दिसंबर 1988 को हस्ताक्षर किये गये थे और यह 27 जनवरी 1991 को व्यवहारिक हुआ था। इसके अनुसार दोनों देशों को हर साल पहली जनवरी को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और स्थलों की सूचना देनी होती है।
दोनों देशों ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद में अपने कूटनयिकों के माध्यमों से क़ैदियों की सूचि का आदान-प्रदान भी किया जो दोनो देशों की जेलों में बंद हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों देशों ने एक दूसरे की जेलों में बंद क़ैदियों की सूचि का भी आदान-प्रदान किया। दोनों देशों के बीच कैदियों से जुड़ा समझौता 31 मई, 2008 को हुआ था। इसके अनुसार दोनों देशों को एक दूसरे के कैदियों की सूची का आदान प्रदान हर साल एक जनवरी और एक जुलाई को करना होता है।
अमरीका: नमाज़ पढ़ने के जुर्म में 190 लोगों को नौकरी से निकाला।
अमरीका के क्लोराडो राज्य में गोश्त पैकिंग करने वाली एक कंपनी ने नमाज़ पढ़ने के कारण अपने 190 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है।
अमरीका इस्लामी संपर्क परिषद ने शुक्रवार को अपने एक बयान में बताया है कि कारगील पैकिंग कंपनी ने अपने मुसलमान कर्मचारियों के साथ भेदभाव करते हुए उन के खिलाफ कार्यवाही की है।
निकाले गये अधिकांश कर्मचारियों का संबंध सोमालिया से है।
इस परिषद के प्रवक्ता हुसैन जीलानी ने बताया है कि काम के दौरान नमाज़ पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध के बाद इन कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
कंपनी का कहना है कि इन लोगों को इस लिए निकाला गया है क्योंकि यह लोग काम पर आने के बजाए नमाज़ पढ़ रहे थे जबकि उन्हें पहले ही बता दिया गया था कि बिना सूचना के ड्यूटी पर न रहने की दशा में उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
आख़री नबी हज़रत मुहम्मद स. का संक्षिप्त जीवन परिचय।
एक संपूर्ण और बेहतरीन मॉडल की पहचान और उसे अपना मॉडल बनाना हर बामक़सद ज़िन्दगी जीने वाले आदमी की पैदाइशी ज़रूरत है। इसलिये कि इसका ज़िन्दगी के हर मैदान में, हर छोटे बड़े नैतिक मामले में, तरक़्क़ी के हर मोड़ पर और समाज की राजनीतिक, क़ानूनी और कल्चरल समस्याओं पर बहुत ज़्यादा असर पड़ता है। अल्लाह तआला ने बहुत सारे पैग़म्बर भेजे ताकि आध्यात्मिक तरक़्क़ी और इंसानी कमाल चाहने वाले लोग उनकी ज़िन्दगी को देख और पढ़ कर सौभाग्य, तरक़्क़ी और कमाल का रास्ता तय करें। पैग़म्बरो में सर्वश्रेष्ठ और सबसे महान आख़री नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स.अ हैं जिनकी ज़िन्दगी और कैरेक्टर को अल्लाह नें क़यामत तक के इन्सानों के लिये मॉडल बनाया है। आप स.अ. पर ईमान लाने वाले आपके साथी आपका हर काम नज़दीक से देखते और बहुत ज़्यादा प्रभावित होते थे, उसके बाद उनके कैरेक्टर और हावभाव में ऐसा बदलाव आता था कि न पूछिये! आपके सबसे क़रीबी सहाबी जिनको पाला पोसा भी आप ही ने था, हज़रत अली इब्ने अबी तालिब अ. थे जो हर समय आपके साथ रहते और हर चीज़ आपसे सीखते थे। जिसे मौला अली अ. नें नहजुल बलाग़ा के एक ख़ुतबे में भी बयान किया है। इसमें कोई शक नहीं कि रसूले ख़ुदा स. का कैरेक्टर इन्सानों के लिये कल भी एक बेहतरीन मॉडल था, आज भी है और कल भी रहेगा।
आज की दुनिया नें बहुत तरक़्क़ी कर ली है और हर तरह से पहले के मुक़ाबले में पूरी तरह बदल चुकी है लेकिन नैतिकता, अख़्लाक़ और आध्यात्मिकता में रसूलुल्लाह स.अ. की शिक्षाओं की मोहताज है। इसी मक़सद से हमनें यह छोटा सा आर्टिकिल तैयार किया है इसे पढ़ने वालों के सामने पेश कर रहे हैं।
1. शुभ जन्म के समय की घटनाएं
अहलेबैत अ. के मानने वालों यानी इसना अशरी शियों के अनुसार ख़ातेमुल अम्बिया हज़रत मुहम्मद इब्ने अब्दुल्लाह स.अ. 17 रबीउल अव्वल सन् एक आमुल फ़ील को मक्के में पैदा हुए थे। उसी साल हबशा के राजा अबरहा नें हाथियों की फ़ौज लेकर मक्के में ख़ानए काबा पर हमला किया था। हुज़ूर स.अ. के जन्म से पहले ही आपके पिता का निधन हो चुका था। जब 6 साल के थे प्यारी मां आमेना बिन्ते वहब भी दुनिया से गुज़र गईं। बचपन में ही यतीम हो गए और उसके बाद आपके दादा अब्दुल मुत्तलिब अ. और चचा अबू तालिब अ. नें आपको पालने की ज़िम्मेदारी संभाली। चालीस साल की उम्र और उसके बाद तक ऐसी ऐसी अजीब घटनाएं घटती रहीं जिन्हें पढ़ और सुन कर हर मुस्लिम और ग़ैर मुस्लिम आश्चर्य चकित रह जाता है। फ़ारस का आतिश कदा बुझ गया, ज़लज़ला आया और बुत अपनी जगह से उखड़ गए, शैतान रोया.. यह सारी चीज़ें बता रही थीं कि कोई बड़ी घटना हुई है और एक नेक और बेमिसाल बच्चा यानी हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स. दुनिया में आए हैं जो अत्याचार, कुफ़्र और गुमराही से भरी दुनिया को तौहीद, ख़ुदा परस्ती, तक़वा, सदाचार और इंसानी कमाल का रास्ता दिखाएंगे।
2. सीरिया का ऐतिहासिक सफ़र और ईसाई पादरियों की भविष्यवाणी
हुज़ूर स. नें दो बार सीरिया का ऐतिहासिक सफ़र किया है; एक बार 12 साल की आयु में और एक बार पच्चीस साल की उम्र में। पहले सफ़र मं राहिब बहीरा नें हज़रत अबूतालिब अ. को होशियार किया था कि यहूदियों की तरफ़ से आप स. से बुरा बर्ताव किया जाएगा। दूसरे सफ़र में राहिब नस्तूरा नें ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलद के ग़ुलाम मीसरा को हुज़ूर स. के शानदार भविष्य की ख़ुशख़बरी सुनाई थी। इस सफ़र में आपने ख़दीजा स. के व्यापार को बहुत ज़्यादा फ़ायदा पहुंचाया और मीसरा नें भी उन्हें आपकी स. ईमानदारी के बारे में बताया। जब आप 20 साल के थे तो आपनें हलफ़ुल फ़ुज़ूल नामक एक समझौते में हिस्सा लिया। इसी दौरान आप स. मुहम्मद अमीन के नाम से ने जाने लगे। आपका कैरेक्टर मक्के के उस दौर के जाहिल समाज में लोगों के लिये बहुत ही अजीब था।
3. ख़दीजा स. से शादी
25 साल की उम्र में आपनें ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलद से शादी की। वह एक सती साध्वी, पाक दामन, मुत्तक़ी व सदाचार और अल्लाह से डरने वाली औरत और उनके पास बहुत ज़्यादा धन दौलत थी। हज़रत ख़दीजा अ. ने अपनी दौलत का पूरा अधिकार रसूलुल्लाह स. को दिया। हज़रत ख़दीजा अ. का व्यक्तित्व, आपकी इस्लाम और रसूलल्लाह स. की सेवा और दूसरी ख़ूबियों के हवाले से अलग से चर्चा करने की ज़रूरत है।
4. अली इब्ने अबी तालिब अ. का पालन पोषण
13 रजब सन् तीस आमुल फ़ील को एक मोवअहिद (अल्लाह को एक मानने वाला) बाप (हज़रत अबूतालिब अ.) और नेक मां (हज़रत फ़ातिमा बिन्ते असद अ.) के यहां एक बच्चा पैदा हुआ जिसका जन्म काबे के अन्दर हुआ था। वह बच्चा छ: साल की उम्र में सही प्रशिक्षण के मक़सद से रसूलल्लाह स. और जनाबे ख़दीजा स. के घर चला आया। इमाम अली अ. नहजुल बलाग़ा के एक ख़ुतबे में बयान करते हैं कि आपका रसूलुल्लाह स. से कितना नज़दीकी सम्बंध था और किस तरह आपनें रसूलुल्लाह स. से शिक्षा पाई और आध्यात्मिक अनुकम्पाएं हासिल कीं।