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इंडोनेशिया में ब्रेल ख़त में डिजिटल कुरान का वितरण
इंटरनेशनल ग्रुप: इंडोनेशिया में ब्रेल ख़त में डिजिटल कुरान के 1500 संस्करण वितरण किया ग़या
"Aljzyrh नेट" के हवाले से बताया कि इंडोनेशिया में अंधे लोग़ो के बीच ब्रेल ख़त में डिजिटल कुरान के 1500 संस्करण इंडोनेशिया के शेख़ अली जाबिर और "डिजिटल ब्रेल कुरान" संस्थान की तरफ से वितरण किया ग़या।
दक्षिण पूर्व एशिया में अंधे पाठकों की सबसे बड़ी सभा इंडोनेशिया की तकनीकी विश्वविद्यालय की मस्जिद में 10 नवंबर को पूर्वी जावा प्रांत की राजधानी सुराबाया शहर में आयोजन किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार इंडोनेशिया की "मूर्रे" इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ने इंडोनेशिया के शेख़ अली जाबिर और "डिजिटल ब्रेल कुरान" संस्थान के आयोजन करने पर एक प्रमाणित रिकार्ड से सम्मानित किया गया।
इंडोनेशिया मे एशिया के नेत्रहीन लोगों की सबसे बड़ी आबादी 1.5 प्रतिशत है और यह समूह शैक्षिक सुविधाओं और सेवा की कमी से पीड़ित हैं।
भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैंकाक में बैठक
भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने आज बैंकाक में वार्ता की और रचनात्मक संपर्क को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
पेरिस में जारी संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज़ शरीफ के बीच मुलाकात में इस वार्ता का निर्णय लिया गया था।
वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच पेरिस में हुई मुलाक़ात को आगे बढाते हुए दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने बैंकाक में बैठक की। उनके साथ दोनों देशों के विदेश सचिव भी उपस्थित थे।
बयान में बताया गया कि इस वार्ता में शांति और सुरक्षा, आतंकवाद, जम्मू एवं कश्मीर और नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने सहित कई दूसरे मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके साथ ही इसमें कहा गया कि यह वार्ता एक स्पष्ट, सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में हुई। इस बयान में कहा गया कि बैठक में रचनात्मक संपर्कों को आगे भी जारी रखने पर सहमति बनी।
ज्ञात रहे कि बैंकाक दोनों पक्षों के लिए सुविधाजनक स्थान था इसीलिए वार्ता के लिए इस स्थान का चयन किया गया है।
इससे पहले इसी वर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता रद्द कर दी गई थी क्योंकि दोनों पक्षों के बीच बैठक के एजेंडे पर सहमति नहीं बन पाई। इस बैठक ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अगले सप्ताह इस्लामाबाद यात्रा का भी मार्ग प्रशस्त किया है जहां वह अफगानिस्तान पर एक बहुपक्षीय सम्मेलन में भाग लेंगी।
काबुल में "आशूरा से चालीसवें तक "नामी मुक़ाबला आयोजित
विदेशी शाखा: काबुल में "आशूरा से चालीसवें तक क्या ग़ुज़रा" नामी लेखन प्रतियोगिता तोलुए पीरोज़ी सांस्कृतिक केंद्र के कुछ महिलाओं की तरफ से आयोजित किया ग़या
काबुल के पश्चिम में "आशूरा से चालीसवें तक क्या ग़ुज़रा" नामी लेखन प्रतियोगिता तोलुए पीरोज़ी सांस्कृतिक केंद्र के कुछ महिलाओं की तरफ से आयोजित किया ग़या।
प्रतियोगिता के शुरुआत में तोलुए पीरोज़ी सांस्कृतिक केंद्र की जिम्मेदार नादिया Rifaat ने अपने भाषण में कहा कि हज़रत ज़ैनब (स0) हर मैदान में एक पहाड़ की तरह मुक़ाबला किया।
उन्होंने कहा कि Ashura का संदेश और इमाम हुसैन (अ) और उनके वफादार साथी की शहादत हजरत Zeinab (स0) की उपस्थिति के बिना जारी नही रह पाता, हजरत Zeinab (स0) की कामयाबी ही Ashura के कामयाबी का राज़ है
कर्बला की प्रांतीय परिषद: अरबईन समारोह में 5 मिल्यून विदेशी तीर्थयात्रियों ने इस साल भाग लिया
अंतरराष्ट्रीय समूह: कर्बला प्रांतीय परिषद ने इस साल 27 मिल्यून से अधिक तीर्थयात्रियों की चालीसवें के समारोह में भागीदारी की सूचना दी जिसमें 5 मिल्यून ईरान और विभिन्न अरबी और विदेशी देशों से थे।
"अल-Furat समाचार" खबर के हवाले से, कर्बला प्रांतीय परिषद ने Arbaeen हुसैनी के अंत के बाद घोषणा की: कर्बला में अरबईने हुसैनी कार्यक्रम के आयोजन में कोई समस्या नहीं हुई और इन कार्यक्रमों के आयोजन में व्यवस्था निर्धारित प्रोग्राम के अनुसार अंजाम दी गई।
इस परिषद ने घोषणा की: इस साल Arbaeen कार्यक्रम में भाग लेने वाले विदेशी तीर्थयात्रियों की संख्या 5 मिल्यून थी जिन्हों ने सफलतापूर्वक अपनी तीर्थ यात्रा पूरी कर ली।
ज़ियारते अरबईन को यूनेस्को में दर्ज करने की कोशिश
"अल-Furat समाचार,"ने लिखा: संस्कृति, पर्यटन और इराक के पुरावशेष मंत्रालय योजना बना रही है कि विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक सभा के रूप में ज़ियारते अरबईने हुसैनी को यूनेस्को में दर्ज कराऐ।
इराकी प्रधानमंत्री:अरबईन सुरक्षा योजना सफल थी
इराकी प्रधानमंत्री ने Arbaeen कार्यक्रम की सुरक्षा योजना की सफलता की ओर इशारा करते हुऐ मंत्रालयों और सार्वजनिक संस्थाओं से आग्रह किया कि तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षा उनके शहरों में लौटने तक प्रदान करें।
अल-आलम समाचार नेटवर्क ने "Alsumaria न्यूज 'के हवाले से सूचना दी, हैदर अल-Abadi, ने कल, 3 दिसंबर को एक बयान में कहा: इराक में इस वर्ष एक महान रैली जिसके हम गवाह थे हमारे लोगों की कठिनाइयों और चुनौतियों पर काबू पाने के लिए एकता और इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प, ताकत और शक्ति की स्पष्ट तस्वीर की निशानदही करती थी।
अल-Abadi ने इराक़ी मंत्रालयों और सार्वजनिक संस्थाओं का बहुत बहुत धन्यवाद किया और ज़ायरीन की वापसी तक उनकी सुरक्षा करने की अपपीलल की।
7,600 से अधिक अरबईन हुसैनी में संघो की भागीदारी
इमाम हुसैन और हज़रत अब्बास (अ.स) के रौज़ों से संबंधित इराक़ और इस्लामी दुनिया में हुसैनी रस्मों व संघों के बोर्ड के अध्यक्ष ने 7,600 से अधिक इस साल के अरबईन हुसैनी में शोक और सेवा संघो की भागीदारी की सूचना दी।
"अल-Furat न्यूज 'ने लिखा है: इसके अलावा, इस साल, अरबी और इस्लामी देशों के 73 बोर्डों ने भी हुसैनी चालीसवें के समारोह में भाग लिया।
ईसाई युवा, ईरान के वरिष्ठ नेता का संदेश फैलाएं: ब्रितानी पादरी
ब्रिटेन के ईसाई विचारक और पादरी ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता द्वारा अमरीका और यूरोपीय देशों के युवाओं को लिखे दूसरे पत्र संदेश को महत्वपूर्ण करार दिया है। उन्होंने देश के ईसाई युवाओं से अपील की है कि वे वरिष्ठ नेता के संदेश को जितना हो सके फैलाएं।
ब्रिटेन से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार लंदन में रहने वाले ईसाई विचारक और पादरी फ्रैंक जूलियन गेली ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मैंने ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई के पत्र का अध्ययन किया है। उन्होंने कहा कि मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने अपने पत्र के माध्यम से आज के युवाओं का चरित्रहीनता की ओर बढ़ते झुकाव का उल्लेख किया है।
ब्रिटिश पादरी के अनुसार इस बात के मद्देनज़र कि कुछ युवा आतंकवादी गुटों में शामिल हो रहे हैं, इतने महत्वपूर्ण पद पर आसीन एक धार्मिक नेता द्वारा इस तरह का पत्र लिखा जाना मेरी नज़र में बहुत महत्वपूर्ण है।
ब्रिटिश विचारक फ्रैंक गेली ने इस बात की ओर संकेत करते हुए कि युवाओं को अपनी ओर खींचने में कुछ ब्रिटिश चर्च भी बहुत सक्रिय हैं, कहा कि यह वही ईसाई शक्तियां हैं जो आयतुल्लाह ख़ामेनेई के संदेश पर विश्वास रखती हैं और हम इस संबंध में संयुक्त मोर्चा बनाने पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कैथोलिक ईसाइयों के धार्मिक नेता पॉप फ्रांसिस, जो पश्चिमी संस्कृति के नकारात्मक दृष्टिकोणों के ख़िलाफ़ सक्रिय हैं, पश्चिम में आयतुल्लाह ख़ामेनेई के सहयोगी माने जाते हैं।
इस ब्रिटिश पादरी ने कहा कि जैसा कि आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने पत्र में बताया है कि कुछ युवा, आतंकवादी गुटों के जाल में फंस गए हैं तो मेरे विचार में उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से इस बात का उल्लेख करके बहुत महत्वपूर्ण काम किया है।
ज्ञात रहे कि ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने 13 नवंबर को फ्रांस में हुई आतंकवादी घटनाओं के बाद पिछले रविवार को अमरीका और यूरोप के युवाओं के नाम एक महत्वपूर्ण पत्र में इस तरह की आतंकवादी घटनाओं के मूल कारणों पर प्रकाश डाला था।
ईरान को रासायनिक शस्त्रों से सब से अधिक नुकसान पहुंचा
रासायनिक शस्त्र निरोधक संस्था में इस्लामी गणतंत्र ईरान के प्रतिनिधि ने कहा है कि ईरान रासायनों से सर्वाधिक नुकसान उठाने वाले देशों में से है।
अली रज़ा जहांगीरी ने हालैंड में इस संस्था के 20 वें सम्मेलन में भाषण के दौरान यह बात कही।
उन्होंने रासायनिक शस्त्रों को विश्व शांति के लिए खतरा बताते हुए इस प्रकार के हथियारों से संपन्न देशों से मांग की कि वह रासायनिक शस्त्र संबंधी अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करें।
अली रज़ा जहांगीरी ने कहा कि ईरान को रासायनिक शस्त्रों से बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है और आज भी ईरान में बहुत से लोग, इस प्रभाव के कारण पैदा होने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस्राईल रासायनिक शस्त्रों सहित किसी भी प्रकार के निशस्त्रीकरण कन्वेंशन का सदस्य नहीं है जिसकी वजह से मध्य पूर्व में असुरक्षा का वातावरण है और खेद की बात है कि इस शासन को अंतरराष्ट्रीय कन्वेन्शनों से जुड़ने पर तैयार करने के लिए किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला जाता।
रासायनिक शस्त्र निरोधक संस्था का गठन वर्ष 1997 में किया गया था और इस समय विश्व के 192 देश इस संस्था के सदस्य हैं।
इस संस्था का 20 वां सम्मेलन सोमवार को हालैंड के हेग नगर में आरंभ हुआ है जो पांच दिनों तक जारी रहेगा।
إِنَّ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ كَانَتْ لَهُمْ جَنَّاتُ الْفِرْدَوْسِ نُزُلًا
निश्चय ही जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके आतिथ्य के लिए फ़िरदौस के बाग़ होंगे [18:107]
समुद्र प्रभुत्वशाली टकराव और प्रभावशाली सहकारिता का क्षेत्र
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने देश की नौसेना की प्रगति को जारी रखने पर बल दिया है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नौसेना दिवस के अवसर पर कहा है कि इस्लामी क्रांति की सफलता से पहले देश के जलक्षेत्र के महत्व और उसकी संवेदनशीलता को अनदेखा किया जाता था किंतु इस समय ईरान की नौसेना ने व्यापक प्रगति एवं विकास किया है।
वरिष्ठ नेता ने समुद्र को शत्रु के साथ प्रभुत्वशाली टकराव के साथ ही साथ मित्रों के साथ प्रभावशाली एंव प्रभावी सहकारिता की गतिविधियों का क्षेत्र बताया।
उन्होंने कहा कि समुद्ध की कुछ अनुकंपाएं या विभूतियां भी हैं जैसे स्वतंत्र जल तक पहुंच, विश्व के किसी कोने तक पहुंच और जल क्षेत्र से अपने देश की रक्षा आदि।
वरिष्ठ नेता ने ईरान को उसके एतिहासिक स्थान पर पहुंचाने की ज़िम्मेदारी नौसेना पर बताते हुए कहा कि प्रतिरोध, दृढ संकल्प, ईश्वर पर भरोसा और भविष्य के प्रति आशावान रहते हुए जुझारू और दूरदर्शी श्रमबल जैसे कारकों से एेसा किया जा सकता है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने ओमान सागर तथा मकरान तट के महत्व की ओर संकेत करते हुए कहा कि देश की नौसेना द्वारा अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए यह क्षेत्र, महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पुनः विकसित करने के लिए सरकार से अनुरोध किया जा चुका है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सेना की एक अन्य महत्वपूर्ण कार्यवाही यह रही कि उसने समस्त संभावनाओं से संपन्न उस शत्रु को परास्त कर दिया जिसे बड़ी शक्तियों का सैनिक और कूटनैतिक समर्थन प्राप्त था।
उन्होंने कहा कि इस समय ईरानी राष्ट्र और सेना की क्षमताएं, अतीत की तुलना में निश्चित रूप से अधिक हैं एेसे में प्रतिरोध, दृढ संकल्प, ईश्वर पर भरोसे और भविष्य के प्रति आशावान रहते हुए उज्जलव भविष्य का निर्माण किया जा सकता है।
वरिष्ठ नेता का पत्र, क्या कहते हैं लोग?
पश्चिमी युवाओं के नाम वरिष्ठ नेता के दूसरे पत्र पर व्यापक प्रतिक्रिया का क्रम जारी है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने रविवार की शाम, पश्चिमी युवाओं के नाम अपने एक पत्र लिखा था जिसमें विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर चिंतन करने का आह्वान किया गया है।
विश्व के विभिन्न न्यूज़ चैनलों, न्यूज़ एजेन्सियों ,वेब साइटों और समाचारों में कवरेज के अलावा, विभिन्न देशों के विशेषज्ञों ने भी इस पत्र में लिखी गयी बातों पर अपने विचार प्रकट किये हैं।
इस संदर्भ में ब्रिटेन के विश्लेषक रेडनी शेक्सपियर ने फार्स न्यूज़ एजेन्सी में अपने एक विश्लेषण में लिखा है कि ईरान के वरिष्ठ नेता ने, आतंकवादी गुट दाइश के प्रति समर्थन के अंत का काम युवाओं की ज़िम्मेदारी बताया है।
इस कैंब्रिज युनिवर्सिटी से जुड़े इस ब्रिटिश विश्लेषक ने लिखा है कि ईरान के वरिष्ठ नेता का पत्र सही रूप में पश्चिमी देशों और कुछ इस्लामी देशों की मदद से दाइश के फैलाव की शैली का वर्णन करता है।
ब्रिटेन के इस विश्लेषक ने वरिष्ठ नेता के पत्र के महत्वपूर्ण भागों का उल्लेख करते हुए लिखा है कि ईरान के वरिष्ठ नेता का विचार यह है कि हमारी पुरानी पीढ़ी की विचारधारा, कुछ अपवादों के अलावा एसी मानसिकता रखती है जिसे बड़ी आसानी से ज़ायोनी संचार माध्यमों द्वारा दिशा दी जा सकती है। इस आधार पर हमारे आगे जो रास्ते है वह नया है और यह ईरान है जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ी शांति के साथ और बड़े ही ठोस रूप में तार्किक शैली पेश कर रहा है और ईरान के वरिष्ठ नेता छात्रों और युवाओं को इस राह पर चलने का निमत्रंण देते हैं।
अमरीका के प्रसिद्ध विश्लेषक स्टीफन लिन्डमैन ने वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई के पश्चिमी युवाओं के नाम पत्र पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा है कि आयतुल्लाह ख़ामेनई मेरे लिए महत्वपूर्ण हस्ती हैं, क्योंकि वह खुल कर बात करते हैं और जो कहते हैं वह करते भी हैं। आयतुल्लाह ख़ामेनई और पुतीन अमरीका व इस्राईल की नीतियों के विरोधी हैं और दूसरी ओर बराक ओबामा और नितिन्याहू, क्रम के साथ झूठ बोलते हैं।आयतुल्लाह खामेनई की टिप्पणियां, अमरीकी हितों के अनुसार नहीं हैं। वह अमरीका व इस्राईल के विरोध में सब से आगे हैं और मैंने कई बार उनके कथनों का उल्लेख किया है।
किंतु इस्राईली संचार माध्यमों की प्रतिक्रिया भिन्न रहीः
इस्राईल टाइम्स ने लिखा है कि ईरान के नेता ने रविवार को अपने एक पत्र में इस्राईल पर गत ६० वर्षों के दौरान अत्याधिक जघन्य आतंकवाद का आरोप लगाया और इस आतंकवाद को पेरिस हमलों से कई गुना अधिक बर्बर भी कहा है।
वरिष्ठ नेता का यह पत्र पढ़ने के लिए क्लिक करें.
इस्राईल टाइम्स ने लिखा है कि ईरान के नेता ने पश्चिमी युवाओं के नाम अपने पत्र में पेरिस के आतंकवादी आक्रमण का उल्लेख किया और लिखा है कि इस्राईली कालोनियों के निर्माण से अधिक क्रूरता कुछ नहीं है।
समाचार पत्र ने लिखा है कि ईरान के नेता ने फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों पर इस्राईली सैनिकों की फायरिंग को एक प्रकार का आतंकवाद कहा है।
पाकिस्तान, युद्ध अपराधों का भारतीय आरोप निराधार है
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद के संबंध में भारत की नीति की कड़ी आलोचना की है।
सोमवार को पाकिस्तान रेडियो की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस्लामाद की ओर से नई दिल्ली के साथ संबंधों में सुधार के प्रयासों के बावजूद, भारतीय सरकार पाकिस्तान विरोधी नीति को जारी रखे हुए है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान पर युद्ध अपराधों के भारतीय सरकार के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा, इस्लामाबाद कई बार इन आरोपों को रद्द कर चुका है, इसके बावजूद भारतीय अधिकारी इन आरोपों को दोहराते रहते हैं।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने उल्लेख किया कि इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास के अधिकारियों को मंत्रालय में तलब किया गया है और देश के विरुद्ध भारतीय अधिकारियों के आरोपों के संबंध में पाकिस्तान की चिंताओं से अवगत कराया गया है।
गुरुवार को पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ ने भी कहा था कि भारतीय नीतियां दोनों देशों के बीच की खाई को और चौड़ा कर रही हैं और दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने का जो अवसर प्राप्त हुआ था इस प्रकार वह हाथ से निकल गया।
इस बीच, सोमवार को पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के इतर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज़ शरीफ़ ने मुलाकात की है।
दोनों नेताओं की इस बातचीत का अभी ब्यौरा उपलब्ध नहीं हो पाया है। यह मुलाक़ात भी निर्धारित नहीं थी।