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रूस के राष्ट्रपति ने कुरान की सबसे पुरानी पांडुलिपिय से सर्वोच्च रहबर को सम्मानित किया
साहित्य समूह: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कुरान की सबसे पुरानी पांडुलिपिय से सर्वोच्च रहबर को समर्पित किया।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, और उनके प्रतिनिधिमंडल ने इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च रहबर अयातुल्ला खमेनई नेता के साथ मुलाकात किया।
बैठक के मौके पर पुतिन ने इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च रहबर अयातुल्ला खमेनई को कुरान की सबसे पुरानी पांडुलिपिय समर्पित किया।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ज़रीयह रहबर को दिए ग़ए कुरआन के गुण
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ज़रीयह पेश किए जाने वाला कुरआन पहली सदी हिजरी का लेखन है।
इस कुरआन की किताबत बनी उमय्यद खलीफा के मार्वन के दौर में जब शाम के राज्यपाल ने सुल्तान सलीम उस्मानी को उपहार में दिया उसके बाद दुसरे उस्मानी खलीफा अब्बास मिर्जा Qajar राजा तुर्क को दिया और फिर अब्बास मिर्जा Qajar काचार और रूस की जंग़ में ग़ंजा के राज्यपाल को हद्या किया जो उसके बाद बाद से अब तक Hermitage संग्रहालय में रखा गया था।
रूसी राष्ट्रपति तेहरान में गैस निर्यातक देशों के तीसरे शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आए हैं।
दाइश का इस्लाम के साथ कोई ससंबंध नंही है
अंतरराष्ट्रीय समूह: सुज़ान Karland,इस देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों का बचाव करते हुऐ कहा: आईएसआईएस का इस्लाम के साथ कोई
इंटरनेशनल इस्लामिक समाचार एजेंसी (आईएनए) के हवाले से, सुज़ान Karland, ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ता और समाजशास्त्री ने इस्लाम और हिंसक उग्रवाद के बीच के अंतर को समझने की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने इस बात की ओर इशारा करते हुऐ कि दाइश का इस्लाम के साथ कोई ससंबंध नंही है कहा: दाइश तत्वों ऐसे समूह हैं कि खुद को इस्लाम से निस्बत देते हैं वह लोग दुनिया को काला और सफेद करना चाहते हैं और हम सभी को ख़त्म करना चाहते हैं।
इस ऑस्ट्रेलियाई समाजशास्त्री ने इस देश के नागरिकों से आग्रह कि गलत धारणाओं को इस्लाम से न जोड़ें।
सुज़ान Karland लगातार इस्लाम विरोधी कार्यकर्ताओं द्वारा लक्षित की जाती रही हैं क्योंकि एक ईसाई परिवार में पैदा हुई हैं और 9 साल की उम्र में इस्लाम में परिवर्तित होगईं।
गाजा पट्टी के दारुल कुरान, और सुन्नत को कुरान की प्रतियां दान की ग़ई
अंतरराष्ट्रीय समूह: जार्डन फील्ड अस्पताल के प्रमुख द्वारा गाजा पट्टी के दारुल कुरान, और सुन्नत को पवित्र कुरान की प्रतियां को दान किया गया।
मदीना समाचार के अनुसार बताया कि जार्डन फील्ड अस्पताल के प्रमुख की तरफ से सैकड़ों पवित्र कुरान की प्रतियां गाजा पट्टी के दारुल कुरान, और सुन्नत को दान किया गया।
गाजा पट्टी के दारुल कुरान, और सुन्नत के अध्यक्ष ने जॉर्डन से गाजा के लोगों के साथ खड़े होने और उनकी मदद करने की प्रशंसा किया है
समाचार पत्र 'जंग पाकिस्तान": ईरान और रूस गठबंधन आतंकवाद के खिलाफ शुद्धतम विरोधी संघ है
विदेशी शाख: अयाज़ अमीर, पाकिस्तान के अखबार 'जंग' में लिखते हैं: दाइश के खिलाफ ईरान और रूस गठबंधन आतंकवाद के खिलाफ शुद्ध और सबसे ईमानदार संघ है।
अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) शाखा पश्चिम एशिया, अयाज़ अमीर, एक पाकिस्तानी विश्लेषक ने पाकिस्तानी समाचार पत्र "जंग" में आइसिस के खिलाफ ईरान, हिजबुल्लाह और रूस के साथ गठबंधन की प्रशंसा करते हुऐ लिखा: संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिम और कई अरबी देशों की आतंकवाद व दाइश के खिलाफ नीतियां पूरी तरह असफल थीं और इन्हीं गलत नीतियों के कारण आज आइसिस, तालिबान और अल-कायदा से ज़यादा खतरनाक होगया और यूरोप के द्वार पर खड़ा दिखाई दे रहा है।
उन्होंने इस समाचार पत्र में अरबी व पश्चिमी गठटबंधनन को कमजोर बताया और ककहा: अमेरिका और उसके सहयोगी दल ऐक तरफ़ यह कहते हैं कि आइसिस दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है लेकिन दूसरी तरफ बशर अल-असद से हाथ नहीं खींचते हैं और सीरिया सरकार को गिराना अपनी पसंद क़रार देते हैं।
वहाबीयत, कट्टरपंथी उग्रवाद की जड़
अयाज अमीर वहाबीयतत को कट्टरपंथी उग्रवाद की जड़ बताते हुऐ कहा:वहाबीयत, उग्रवादी आतंकवादी समूहों जैसे दाइश और अल-कायदा के वजूद का कारण है क्योंकि यह समूह खुद के अलावा अन्य लोगों को काफ़िर क़रार देते हैं।
उन्होंने कहा कि ईरान, हिजबुल्लाह और रूस के संयुक्त गठबंधन द्वारा दाइश उग्रवादी और आतंकवादी समूहों को नष्ट कर दिया जाएगा और पश्चिम इस सच्चाई को समझ सकेगा।
इतिहास का सबसे अमीर तरीन शिया कैसे ख़त्म कर दिया गया ?
अंतरराष्ट्रीय समूह: 15 साल पहले आज (2000 मध्य नवंबर)के दिनों में एक आदमी दुन्या के मन्ज़र से हटा दिया गया जिसने वार्षिक राजस्व $ 60 मिल्यार्ड को नजरअंदाज कर दिया था ता कि अहलेबैत(अ.स), के अनुयायियों में होजाऐ ।
अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) अल आलम न्यूज नेटवर्क के हवाले से, एडोआर्डो Agnelli का 1954 9 जून न्यूयॉर्क में जनम हुआ था ।
अटलांटिक के कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद आधुनिक साहित्य और दर्शन का अध्ययन करने के लिए पूर्व प्रिंसटन विश्वविद्यालय गया। कॉलेज पूरा करने के बाद पूर्वी धर्मों और रहस्यवाद का अध्ययन करने के लिए भारत और फिर ईरान की यात्रा की और अपनी यात्रा के दौरान हमारे देश में शिया धर्म को क़ुबूल कर लिया।
सीनेटर गियोवन्नी Agnelli, एडुआर्डो के पिता इटली में सबसे प्रभावशाली और धनी लोगों तथा कई फिएट, फेरारी, Lamborghini, Lancia, Iveco Lfarmv गाड़ी के निर्माण कारखानों के साथ-साथ कई उद्योगों, निजी बैंकों, कंपनियों, कारखानों, फैशन डिजाइनिंग, ब्रॉडशीट समाचार पत्र Lastampa और Corriere della सीरा, फेरारी कार क्लब और फुटबॉल क्लब जुवेंटस के मालिक थे।
एडुआर्डो न्यूयॉर्क में प्रसिद्ध प्रिंसटन विश्वविद्यालय में धार्मिक दर्शन का छात्र था। वह न्यूयॉर्क में पैदा हुआ था। उन्होंने बाइबिल और तौरेत को पढ़ा, लेकिन यह सब उसे राजी नहीं कर सकीं। 20 वर्ष की आयु में अचानक पुस्तकालय में कुरान पर नज़र पड़ी और उसकी कुछ आयतें पढ़ीं है और महसूस किया कि यह शब्द आदमी के नहीं हो सकते है।
एडुआर्डो अपने मुस्लिम होने की घटना को ऐसे बताता है: लग न्यूयार्क में था कि एक दिन पुस्तकालय में टहल रहा था और पुस्तकों क देख रहा था कि मेरी नज़र कुरान पड़ी। मैं उत्सुक हुआ कि देखूं कुरान में क्या है यह देखने के लिए इसे उठाया लिया। और पृष्ट पलटना शुरू किया और उसकी आयतों को अंग्रेजी में पढ़ा, मैं ने महसूस किया यह शब्द, नूरानी शब्द हैं और मानव के नहीं कहे जा सकते हैं। मैं बहुत प्रभावित हुआ था, और मैं ने इसे अमानत के तौर पर लिया और अधिक मैंने पढ़ा महसूस किया कि मैं समझता हूँ और इसे स्वीकार कर रहा हूं।
एडुआर्डो इस मामले के बाद न्यूयॉर्क में इस्लामी केंद्र गय और मुस्लिम होने के लिए अनुरोध किया उन्होंने मेरा नाम, "हिशाम अज़ीज़" चुन। मोहम्मद इस्हाक़ अब्दुल्लाही जो कि Agnelli का मुस्लिम मित्र है वह भी उससके बारे में कहता है कि " एडुआर्डो रात से सुबह तक मोमबत्ती की रोशनी में कुरान पढ़ा करता था"
बाद में डा.क़दीरी अबयाना की मुलाक़ात व बात चीत से प्रभावित होकर शिया धर्म चुना और अपना नाम मेहदी रखा.
एडुआर्डो पर डाले जाने वाले दबाव
हुसैन Abdullahi, एडुआर्डो का सबसे अच्छा ईरानी दोस्त, एडुआर्डो पर परिवार की ओर से डाले जाने वाले दबावों को अविश्वसनीय वर्णन किया है। उन्होंने कहा: "एडुआर्डो जबरदस्त आर्थिक दबाव में था। Agnelli परिवार ने, पूरी तरह उस पर आर्थिक प्रतिबंधों को लागू कर दिया था। इस तरह कि एक टैक्सी की सवारी के लिए पैसे नहीं रखता था "
आत्महत्या या शहादत?
एडवर्ड, इटली के सबसे बड़े पूंजीवादी और आनेलीहा परिवार का उत्तराधिकारी बेटा था जो अपने देश और यहूदी माफिया संगठन के रहस्यों के बारे में जानता था और अब जब कि मुसल्मान होने के साथ इस्लामी क्रांति का ममानने वाला था बहुत खतरनाक था विशेष रूप से इटली में सलमान रुश्दी के खिलाफ काम शुरू कर दिया था और कब्जे वाले फिलीस्तीनी क्षेत्र में यहूदी अपराधों की निंदा करने लगा और इस काम के लिऐ इटली के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के साथ फोन कॉल किया और स्वयं Zionists द्वारा दोषी ठहराए जाने से डरा था। उन्होंने इटली में ईरान के प्रेस परामर्श से बात की थी और इस्लाम लाने के कारण हत्या किऐ जाने के प्रयास से चिंतित था कि वे अंततः खत्म कर दिया जाएगा और फिर उसे आत्महत्या, दुर्घटना या अचानक बीमारी की ओर निसबत दे दी जाऐगी।
और अंततः ऐसा ही हुआ जैसा कि उसके करीबी दोस्तों ने यही कहा कि उसे मुख्य रणनीति के तहत मार दिया गया.
इन्नालिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊ
हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनईः यूरेनियम संवर्धन में ईरान की तरक़्क़ी से पश्चिमी देश अचम्भित।
अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना के अनुसार सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने एटमिक साइंस ख़ास कर यूरेनियम संवर्धन में ईरान की तरक़्क़ी को ईरान के विरूद्ध पश्चिम की बढ़ती दुश्मनी का कारण बताया है।
ईरान के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा केन्द्रों के प्रमुखों, बुद्धिजीवियों और शिक्षकों की एक बड़ी संख्या ने बुधवार 11 नवंबर को तेहरान में इमाम खुमैनी र.ह इमामबाड़े में सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई से मुलाकात की।
सुप्रीम लीडर ने इस बैठक में तीसरी दुनिया के देशों के लिए पश्चिम की साम्राज्यवादी योजना पर रौशनी डालते हुए कहा कि उनकी योजना यह थी कि विश्वविद्यालयों में पश्चिमी जीवनशैली और विचारधारा के अनुसार, देशों के वरिष्ठ अधिकारियों और जिम्मेदारों को प्रशिक्षित किया जाए लेकिन ईरान में विश्वविद्यालयों में छात्रों की ईरानी पहचान और दीनी व इस्लामी विचारधारा की गहराई के कारण उन्हें अपनी परियोजनाओं को अमली करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
आपने एटमिक साइंस के ग़लत रास्ते पर जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इल्म, नैतिकता और दीन से अलग न होने पाए।
हज़रत आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनई ने ईरान में देश के युवा वैज्ञानिकों के माध्यम से यूरेनियम के बीस प्रतिशत संवर्धन को बयान करते हुए कहा कि तेहरान रिएक्टर का, जो परमाणु चिकित्सा के मक़सद से बना है, ईंधन समाप्त हो रहा था और पश्चिम ने ईंधन देने के लिए अपमानजनक शर्तें पेश कीं तो हमारे मोमिन और नौजवान वैज्ञानिकों ने अपनी क्षमता और रात दिन की मेहनत से देश की बीस प्रतिशत संवर्धन यूरेनियम की जरूरत को पूरा कर दिया।
उन्होंने कहा कि ईरान, यूरेनियम के नब्बे प्रतिशत तक संवर्धन का काम बहुत आसानी से अंजाम दे सकता है। इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने कहा कि परमाणु मुद्दे पर पश्चिम की बौखलाहट का कारण भी यही है हालांकि अगर उन्होंने हमें बीस प्रतिशत संवर्धित यूरेनियम दे दिया होता तो हम बीस प्रतिशत संवर्धन का काम भी अंजाम न देते।
आपने परमाणु वार्ता के दौरान पश्चिमी देशों की शर्तों को बयान करते हुए कहा कि तमाम दबाव और प्रतिबंधों के बावजूद ईरान विकास और प्रगति के रास्ते पर पूरी ताकत के साथ अग्रसर है। इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि अमेरिका ने वैज्ञानिक गतिविधियां, ईरान की तुलना में एक सौ चालीस साल पहले शुरू की हैं, कहा कि जिस चीज़ ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है वह हमारे तेज रफ़तार इल्मी और वैज्ञानिक प्रगति है और अंतर-राष्ट्रीय संस्थाओं की ओर से आधिकारिक तौर पर इस बात की घोषणा की गई है कि ईरान में इल्म और साइंसी तरक़्की की गति दुनिया की तुलना में तेरह गुना अधिक है।
हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा कि आज विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालयों के छात्र, साम्राज्यवादी ताकतों के षड़यंत्र की चपेट में हैं। आपने कहा कि हमारे दुश्मन, विश्वविद्यालयों में क्रांतिकारी विचारों और भावनाओं, उनके द्वारा निर्धारित प्रतिबंधित सीमाओं के तोड़े जाने और क्रांतिकारी नारों के साथ ज्ञान और विज्ञान का झंडा बुलंद होने से बौखलाए हुए हैं और उसके मुकाबले के लिए भारी रकम खर्च कर रहे हैं।
आपने इस बात पर जोर देते हुए कि मौजूदा दौर में साम्राज्यवादी तौर तरीके बदल गए हैं, कहा कि वर्चस्ववादी और साम्राज्यवादी शक्तियां अब यह कोशिश कर रही हैं कि देशों के विचार और सक्रिय तत्वों के विचारों को इस तरह बदलें कि वह उनके लक्ष्यों के लिए काम करें।
सुप्रीम लीडर ने अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर ईरान की गरिमा और सम्मान को बयान करते हुए कहा कि हीन भावना बहुत ही खतरनाक बात है जबकि पूरी दुनिया इस बात को स्वीकार करती है कि ईरान एक सम्मानजनक और सर्वशक्तिमान देश है और दुश्मन इस बात से नाराज है कि ईरान के अंदर पैर रखने का मौका नहीं मिल रहा है
इस्राईल के विरुद्ध खड़े होने वालों का भरपूर समर्थन किया जाएगा
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि परमाणु सहमति से अमरीका के लिए ईरान के द्वार नहीं खुल जाएंगे।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि हालांकि अभी परमाणु सहमति का भविष्य न ईरान में और न ही अमरीका स्पष्ट हुआ है किंतु यदि दोनों देशों में यह समझौता पारित भी हो जाता है तो हम ईरान में अमरीका को राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव का अवसर नहीं देंगे बल्कि हमने उसके सभी रास्ते बंद कर दिये हैं और इसके लिए अपनी सभी साधनों का प्रयोग करेंगे।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने तेहरान में विश्व अहलुबैत परिषद और इस्लामी देशों के रडियो व टेलीविजन संघ के सम्मेलनों में भाग लेने वालों को संबोधित करते हुए यह बात कही।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि क्षेत्र में इस्लामी गणतंत्र ईरान की नीतियां, अमरीकी नीतियों के विपरीत हैं और अमरीका अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए क्षेत्र पर वर्चस्व जमाना चाहता है किंतु हम उसे यह करने नहीं देंगे। वह क्षेत्र को छोटे छोटे देशों में बांटना चाहते हैं और यदि उनका बस चलता तो इराक और सीरिया को कई टुकड़ों में बांट देते किंतु यह ईश्वर की सहायता से कभी संभव नहीं होगा और हम ऐसा नहीं होने देंगे।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि इराक़ और सीरिया सहित क्षेत्रीय देशों की अखंडता हमारे लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि इराक , सीरिया और यमन में जो कुछ हो रहा है वह प्रचारों के विपरीत, धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक युद्ध है ।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी जगत में फूट व मतभेद फैलाना गलत है और हम इस कृत्य के विरोधी हैं भले ही यह काम कुछ शीआ गुटों द्वारा ही क्यों न किया जा रहा हो और हम, सुन्नी मुसलमानों की आस्थाओं के अपमान की आलोचना करते हैं।
उन्होंने कहा कि शत्रुओं का उद्देश्य इस्लामी जगत में फूट डालना है कभी राष्ट्रवाद से और कभी धर्म का नाम लेकर और कुछ सीधे साधे मुसलमान भी उनके बहकावे में आ जाते हैं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन का समर्थन ग़ज्ज़ा में वैसे ही करते हैं जैसा कि हम लेबनान में करते हैं जबकि ग़ज्ज़ा में प्रतिरोध करने वाले सुन्नी और लेबनान में शीआ हैं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि फिलिस्तीन की समस्या, इस्लामी जगत से सब से अधिक महत्वपूर्ण समस्या है और हम फिलिस्तीनियों के संघर्ष का समर्थन करते हैं और पूरे विश्व में जो भी इस्राईल के विरुद्ध खड़ा होगा हम उसका भरपूर साथ देंगे।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि फिलिस्तीन इस्लामी जगत में प्रतिरोध की पहचान है और हम पीड़ित व शोषित की सहायता के समय उसका धर्म नहीं देखते और इस्लामी गणतंत्र ईरान का यह वह सिद्धान्त है जिसे क्रांति के संस्थापक इमाम खुमैनी ने बनाया था।
कस्बे रोज़ी
मतने हदीस
अन अबी उमर क़ाला : क़ला रसूलुल्लाहि(स.): लैसा शैउन तुबाइदुकुम मिन्नारि इल्ला व क़द ज़करतुहु लकुम व ला शैउन युक़र्रिबुकुम मिनल जन्नति इल्ला व क़द दलल्तुकुम अलैहि इन्ना रूहल क़ुदुस नफ़सा रवई अन्नहु लन यमूता अब्दुन मिन कुम हत्ता यस्तकमिला रिज़्कहु , फ़अजमिलु फ़ीत्तलबि फ़ला यहमिलन्नाकुम इस्तिबताउ अर्रिज़क़ि अला अन ततलुबु शैयन मिन फ़ज़लिल्लाहि बिमअसियतिहि, फ़इन्नहु लन युनाला मा इन्दलल्लाहि इल्ला बिताअतिहि अला व इन्ना लिकुल्लि अमरा रिज़्क़न हुवा यातिहि ला महालता फ़मन रज़िया बिहि बुरका लहु फ़ीहि व वस्सिअहु व मन लम यरज़ा बिहि लम युबारका लहु फ़ीहि व लम यसअहु, इन्नर रिज़्क़ा लयतलुबु अर्रजुला कमा यतलुबुहु अजलुहु।
तर्जमा
इब्ने उमर से रिवायत है कि पैगम्बर (स.) ने फ़रमाया कि जो चीज़ तुमको जहन्नम की आग से दूर रखेगी वह मैंनें बयान कर दी हैं, और जो चीज़े तुमको जन्नत से नज़दीक करेंगी उनकी भी तशरीह कर दी है और किसी भी चीज़ को फ़रामोश नही किया है। मेरे ऊपर “वही” नाज़िल हुई है कि कोई भी उस वक़्त तक नही मरता जब तक उसकी रोज़ी पूरी न हो जाये। बस तुम तलबे रोज़ी में एतेदाल की रियाअत करो। ख़ुदा न करे कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी रोज़ी की कुन्दी ( कमी और पिछड़ापन) तुमको इस बात पर मजबूर न करदे कि तुम उसको हासिल करने के लिए गुनाह के मुरतकिब हो जाओ। क्योंकि कोई भी अल्लाह की फ़रमा बरदारी के बग़ैर उसके पास मौजूद नेअमतों को हासिल नही सकता। और जानलो कि जिसके किस्मत में जो रोज़ी है वह उसको हर हालत में हासिल होगी। बस जो अपनी रोज़ी पर क़ानेअ होता है उसका रिज़्क पुर बरकत और ज़्यादा हो जाता है। और जो अपनी रोज़ी पर क़ाने और राज़ी नही होता उसके रिज़्क़ मे बरकत और ज़्यादती नही होती। रिज़्क़ उसी तरह इंसान की तलाश में आता है जिस तरह मौत इंसान की तलाश में आती है।
तफ़्सीर
हज़रत रसूले ख़ुदा फ़रमाते हैं कि : मैं तुमको क़ौल और फेअल के ज़रिये हर उस चीज़ से रोकता हूँ जो तुमको जन्नत से दूर करने वाली है। और तुमको हर उस चीज़ का हुक्म देता हूँ जो तुमको जन्नत से करीब और जहन्नम से दूर करने वाली है। इस हदीस का फ़ायदा यह है कि हमको हमेशा इस्लामी अहकाम को जारीयो सारी करने के लिए
कोशिश करनी चाहिए । और यह हिसाब हमको अहले सुन्नत से - जो कि मोतक़िद हैं कि जहाँ पर नस नही है वहाँ पर हुक्म भी नही है - जुदा करता है। इसी दलील से अहले सुन्नत फ़कीहों को यह हक़ देते हैं कि वह क़ानून बनायें क़ियास करें और इस्तेहसान व मसालहे मुरसला को जारी करें। ऐसा मज़हब जो आधा अल्लाह और मासूमीन के हाथ में हो और आधा आम लोगों के हाथों में वह उस मज़हब से बहुत ज़्यादा मुताफ़ावित होगा जो कामिल तौर पर अल्लाह और मासूमीन की तरफ़ से हो। अलबत्ता आयते “ अलयौम अकमलतु लकुम दीनाकुम ” (आज हमने तुम्हारे दीन को कामिल कर दिया) से भी यही ज़ाहिर होता है। चूँकि दीन अक़ाइद , क़वानीन और अखलाक़ियात के मजमुए का नाम है। हदीस हमको यह नज़रिया देती है कि एक मुजतहिद की हैसियत से इसतम्बात करें न यह कि तशरीअ करे।
यहाँ पर चन्द बातों का ज़िक्र ज़रूरी है।
1- कुछ सुस्त और बेहाल लोग “ व मा मिन दाब्बति फ़िल अर्ज़ि इल्ला अला अल्लाहि रिज़्क़ुहा ” ( ज़मीन पर कोई हरकत करने वाला ऐसा नही है जिसके रिज़्क़ का ज़िम्मा अल्लाह पर न हो।) जैसी ताबीरात और उन रिवायात पर तकिया करते हुए जिनमें रोज़ी को मुक़द्दर और मुऐयन बताया गया है यह सोचते हैं कि इंसान के लिए ज़रूरी नही है कि वह रोज़ी को तहिय्या करने के लिए बहुत ज़्यादा कोशिश करे। क्योंकि रोज़ी मुक़द्दर है और हर हालत में इंसान को हासिल होगी और कोई भी दहन रोज़ी के बग़ैर नही रहेगा।
इस तरह के नादान लोग दीन को पहचान ने में बहुत ज़्यादा सुस्त और कमज़ोर हैं। ऐसे अफ़राद दुशमन को यह कहने का मौक़ा देते हैं कि मज़हब वह आमिल है जो इक़्तेसादी रकूद, जिन्दगी की मसबत फ़आलियत की ख़मौशी और बहुत सी चीज़ो से महरूमियत को वजूद में लाता है। इस उज़्र के साथ कि अगर फलाँ चीज़ मुझको हासिल नही हुई तो वह हतमन मेरी रोज़ी नही थी। अगर वह मेरी रोज़ी होती तो किसी चूनों चरा के बग़ैर मुझे मिल जाती। इससे इस्तसमारगरान (वह बरबाद करने वाले अफ़राद जो अपने आपको इस्तेअमार यानी आबाद करने वाले कहते हैं) को यह मोक़ा देते हैं कि वह महरूम लोगों को को और ज़्यादा दूहें और उनको ज़िन्दगी के इब्तेदाई वसाइल से भी महरूम कर दें। जबकि क़ुरआन व इस्लामी अहादीस से थोड़ी सी आशनाई भी इस हक़ीक़त को समझ ने के लिए काफ़ी है कि इस्लाम ने इंसान के माद्दी व माअनवी फ़यदे हासिल करने की बुनियाद कोशिश को माना है। यहाँ तक कि नारे की मानिंद क़ुरआन की यह आयत “लैसा लिल इंसानि इल्ला मा सआ ” भी इंसान की बहरामन्दी के, कोशिश में मुनहसिर होने का ऐलान कर रही है।
इस्लाम के रहबर भी दूसरों को तरबीयत देने के लिए बहुत से मौक़ो पर काम करते थे ; थका देने वाले और सख़्त काम।
गुज़िश्ता पैगम्बरान भी इस क़ानून से मुस्तस्ना नही थे ; वह भेड़ें चराने, कपड़े सीने, जिरह बुनने और खेती करने से भी नही बचते थे। अगर अल्लाह की तरफ़ से रोज़ी की ज़मानत का मफ़हूम घर में बैठना और रोज़ी के उतरने का इंतेज़ार होता तो अम्बिया व आइम्मा - जो कि दीनी मफ़ाहीम को सबसे ज़्यादा जानते हैं - रोज़ी को हासिल करने के लिए यह सब काम क्यों अंजाम देते।
इसी बिना पर हम कहते हैं कि हर इंसान की रोज़ी मुक़द्दर है मगर इस शर्त के साथ कि उसको हासिल करने के लिए कोशिश की जाये। क्योंकि कोशिश शर्त और रोज़ी मशरूत है लिहाज़ा शर्त के बग़ैर मशरूत हासिल नही होगा। यह बिल्कुल इसी तरह है जैसे हम कहते हैं कि “सब के लिए मौत है और हर एक के लिए उम्र की मिक़दार मुऐयन है।” इस जुम्ले का मफ़हूम यह नही है कि अगर इंसान ख़ुदकुशी करे या ज़रर पहुँचाने वाली चीज़ों को खाये तब भी अपनी मुऐयन उम्र तक ज़िन्दा रहेगा। बल्कि इसका मफ़हूम यह है कि यह बदन मुऐयन मुद्दत तक बाक़ी रहने की सलाहियत रखता है इस शर्त के साथ कि इसके हिफ़ाज़त के उसूलों की रिआयत की जाये, खतरे के मवारिद से परहेज़ किया जाये और उन असबाब अपने आपको दूर रखे जिन की वजह से मौत जल्द वाक़ेअ हो जाती है।
अहम बात यह है कि वह आयात व रिवायात जो रोज़ी के मुऐयन होने से मरबूत हैं वह हक़ीक़तन लालची और दुनिया परस्त अफ़राद की फ़िक्रों के ऊपर लगाम है। क्योंकि वह अपनी ज़िन्दगी के वसाइल फ़राहम करने के लिए सब कुच्छ कर गुज़रते है और हर तरह के ज़ुल्मो सितम के मुरतकिब हो जाते हैं, इस गुमान में कि अगर वह ऐसा नही करेंगे तो उनकी ज़िन्दगी के वसाइल फ़रहम नही होंगे।
यह कैसे मुमकिन है कि जब इंसान बड़ा हो जाये और हर तरह के काम करने की ताकत हासिल कर ले तो अल्लाह उसको भूल जाये। क्या अक़्ल और ईमान इस बात की इजाज़त देते हैं कि इंसान ऐसी हालत में यह गुमान करते हुए कि मुमकिन है कि उसकी रोज़ी फ़राहम न हो गुनाह, जुल्मो सितम, दूसरों के हक़ूक़ की पामाली के मैदान में क़दम रखे लालच में आकर मुस्तज़अफ़ीन के हक़ूक़ को ग़स्ब करे ?
अलबत्ता इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि बाअज़ रोज़ी ऐसी हैं कि चाहे इंसान उनके लिए कोशिश करे या न करे उसको हासिल हो जाती हैं।
क्या इस बात से इंकार किया जा सकता है कि सूरज की रौशनी हमारी कोशिश के बग़ैर हमारे घर में फैलती है या हवा और बारिश हमारी कोशिश के बग़ैर हमको हासिल हो जाती है ? क्या इस से इंकार किया जा सकता है कि अक़्ल, होश और इस्तेदाद जो रोज़े अव्वल से हमारे वजूद में ज़ख़ीरा थी हमारी कोशिश से नही है ?
इसका भी इंकार नही किया जा सकता कि कभी कभी ऐसा होता हैं कि इंसान किसी चीज़ को हासिल करने की कोशिश नही करता, मगर इत्तेफ़ाक़ी तौर पर वह उसको हासिल हो जाती है। अगरचे ऐसे हादसात हमारी नज़र में इत्तेफ़ाक़ हैं लेकिन वाक़िअत में और ख़ालिक़ की नज़रों में इस में एक हिसाब है। इसमें कोई शक नही है कि इस तरह की रोज़ी का हिसाब उन रोज़ीयों से जुदा है जो कोशिश के नतीजे में हासिल होती हैं।
लेकिन इस तरह की रोज़ी जिसको को इस्तलाह मे हवा में उड़ के आई हुई,या इस से भी बेहतर ताबीर मे वह रोज़ी जो किसी मेहनत के बग़ैर हमको लुत्फ़े इलाही से हासिल होती हैं,अगर उसकी सही तरह से हिफ़ाज़त न की जाये तो वह हमारे हाथों से निकल जायेंगी या बेअसर हो जायेंगी।
नहजुल बलाग़ा के खत न.31 में हज़रत अली अलैहिस्सलाम का एक मशहूर क़ौल है जो आपने अपने बेटे इमाम हसन अलैहिस्सलाम को लिखा फरमाते हैं कि “ व एलम या बुनय्या इन्ना अर्रिज़क़ा रिज़क़ानि रिज़क़ुन ततलुबाहु व रिज़क़ु यतलुबुका।” “ऐ मेरे बेटे जान लो कि रिज़्क़ की दो क़िस्में हैं एक वह रिज़्क़ जिसको तुम तलाश करते हो और दूसरा वह रिज़्क़ जो तुमको तलाश करता है।” यह क़ौल भी इली हक़ीक़त की तरफ़ इशारा करता है।
बहर हाल बुनियादी नुक्ता यह है कि इस्लाम की तमाम तालीमात हमको यह बताती हैं कि अपनी ज़िन्दगी को बोहतर बनाने के लिये चाहे- वह माद्दी जिन्दगी हो या माअनवी जिन्दगी- हमको बहुत ज़्यादा मेहनत करनी चाहिये। और यह ख़याल करते हुए कि रिज़्क़ तो अल्लाह की तरफ़ से तक़सीम होता ही है, काम न करना ग़लत है। (तफ़सीरे नमूना जिल्द 9/20)
2- हम सब तालिबे इल्मों को यह सबक़ देती है कि इस बात पर ईमान रख़ना चाहिए कि अल्ला अहले इल्म अफ़राद की रोज़ी का बन्दुबस्त करता है। क्योंकि अगर अहले इल्म अफ़राद माल जमा करने में लग जायेंगे तो दो बड़े ख़तरों से रू बरू होना पड़ेगा।
क- क्योंकि अवाम आलिमों के ख़त (राह) पर चलती है, लिहाज़ा इनको दूसरों के लिए नमूना होना चाहिए । अगर आलिम दुनिया कमाने में लग जायेंगे तो फ़िर यह दूसरों के लिए नमूना नही बन सकते।
ख- वह माल जो आलिमों के अलावा दूसरे लोग जमा करते हैं वह मज़हब को नुक़्सान नही पहुँचाता। लेकिन अगर आलिम हक़ और ना हक़ की तमीज़ किये बिना मुख़तलिफ़ तरीक़ों से माल जमा करेंगे तो यह मज़हब के लिए नुक़्सान देह होगा। वाक़ेयन यह हसरत का सामान है।
إِنَّ فِي اخْتِلَافِ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ وَمَا خَلَقَ اللَّـهُ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ لَآيَاتٍ لِّقَوْمٍ يَتَّقُونَ ﴿٦﴾
निस्संदेह रात और दिन के उलट-फेर में और जो कुछ अल्लाह ने आकाशों और धरती में पैदा किया उसमें डर रखनेवाले लोगों के लिए निशानियाँ है [10:6]
इस्राईल के साथ हमारा युद्ध यथावत जारी है
लेबनान के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी और फ़्री पैट्रीआटिक मूवमेंट के प्रमुख मिशल औन ने कहा है कि 33 दिवसीय युद्ध को नौ वर्ष बीत चुके हैं किन्तु उसके बावजूद इस्राईल के साथ हमारा युद्ध यथावत जारी है।
अलमनार टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार मिशल औन ने कहा कि 33 दिवसीय युद्ध ने हमें प्रतिष्ठा और सम्मान प्रदान किया। उनका कहना था कि यदि इस्राईल ने 33 दिवसीय युद्ध की भांति कोई और युद्ध आरंभ किया तो निश्चित रूप से हिज़्बुल्लाह उस युद्ध में भी सफल होगा और मैं इस्राईल के मुक़ाबले में लेबनानी जनता की रक्षा के संबंध में हिज़्बुल्लाह की कार्यवाही का भरपूर समर्थन करता हूं।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हिज़्बुल्लाह, लेबनान में एक मज़बूत संगठन है और वह यथावत जनता की रक्षा के मार्ग पर अग्रसर है और इस राजनैतिक पार्टी की प्राथमिकता लेबनानी समाज की एकजुटता है। उनका कहना था कि सैयद हसन नसरुल्लाह अद्वितीय नेता हैं और वह संवेदनशील अवसरों पर अपनी भूमिका अच्छे ढंग से निभाते हैं।