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अमरीका ईरान के परमाणु उद्योग को तबाह करना चाहता है, वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने देश के उच्च अधिकारियों से भेंट में परमाणु क्षेत्र में ईरान की रेड लाइनों को स्पष्ट करते हुए बल दिया है कि आर्थिक और बैंकिंग के क्षेत्र में ईरान पर लगे प्रतिबंधों को समझौते पर हस्ताक्षर के तुरंत बाद ख़त्म किया जाना चाहिए।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि अमरीकी, ईरान के परमाणु उद्योग को तबाह करने का प्रयास कर रहे हैं। वरिष्ठ नेता ने अमरीकियों से वार्ता के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि अमरीकियों के साथ वार्ता की प्रक्रिया पिछली सरकार से संबंधित है और उस समय वार्ता के लिए अमरीकियों ने एक प्रतिनिधि तेहरान भेजा था और हमने खुल कर उससे कहा था कि हमें अमरीकियों पर भरोसा नहीं है किंतु उस सम्मानीय हस्ती के आग्रह पर हमने एक बार फिर आज़माने का फैसला किया और परमाणु वार्ता आरंभ हुई।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकियों ने अपने वचन के विपरीत वार्ता आरंभ होने के बाद प्रतिबंधों को समाप्त करने का समय छे महीने से एक साल कर दिया और फिर वार्ता की प्रक्रिया को लंबा खींचने लगे यहां तक कि प्रतिबंधों में वृद्धि की भी धमकी देने लगे और ईरान के विरुद्ध सैन्य विकल्प तक की बातें करने लगे और यदि अमरीकियों के व्यवहार पर ध्यान दिया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि वह ईरान के परमाणु उद्योग को खत्म करने के प्रयास में हैं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम ने आरंभ से ही कहा है कि अन्याय पूर्ण प्रतिबंधों को समाप्त होना चाहिए और निश्चित रूप से उसके बदले हम भी कुछ देंगे किंतु उसके लिए शर्त है कि हमारे परमाणु उद्योग को नुकसान न पहुंचे।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने परमाणु वार्ता में ईरान की रेड लाइनों का वर्णन करते हुए कहा कि अमरीकियों की इच्छा के विपरीत हम दस- बारह वर्ष तक परमाणु तकनीक पर प्रतिबंध को स्वीकार नहीं करेंगे, आर्थिक बैंकिंग के क्षेत्र में ईरान पर सुरक्षा परिषद या अमरीका की ओर से लगे सारे प्रतिबंध समझौते पर हस्ताक्षर के तत्काल बाद समाप्त होने चाहिएं और प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए ईरान की ओर से अपने वचनों के पालन और आईएईए की ओर से उसकी पुष्टि की शर्त किसी भी दशा में ईरान को स्वीकार नहीं है क्योंकि परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी ने बारम्बार यह सिद्ध किया है कि वह स्वाधीन नहीं है और उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि यद्यपि हम प्रतिबंधों का अंत चाहते हैं किंतु इसके साथ ही हम प्रतिबंधों को एक अवसर भी समझते हैं क्योंकि इन्ही प्रतिबंधों के कारण हमारे देश की क्षमताएं और योग्यताओं पर अधिक ध्यान देने का अवसर मिला है।
वरिष्ठ नेता के भाषण से पहले राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने भी परमाणु मामले के समाधान और समाज व देश की आवश्यकताओं की पूर्ति को सरकार की दो मुख्य प्राथमिकताएं बताया और कहा कि जो बात बड़ी शक्तियों को वार्ता की मेज़ पर लेकर आई वह दबावों के मुक़ाबले में ईरानी राष्ट्र का प्रतिरोध और प्रतिबंधों की विफलता थी। राष्ट्रपति ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि प्रतिबंध कभी भी सफल नहीं होंगे और ईरानी राष्ट्र प्रतिबंधों के दौरान भी अपनी सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व सांस्कृतिक समस्याओं के समाधान में सक्षम है, कहा कि प्रतिबंधों के दौरान ही हमने जनता की सहायता से मुद्रा स्फ़ीति को नियंत्रित किया और मंदी की स्थिति से बाहर निकल आए।
ऊर्जा के क्षेत्र में ईरान-रूस अरबों डालर के समझौते के क़रीब
ईरान और रूस के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग लगातार बढ़ रहा है और दोनो देश अरबो। डालर के समझौते के क़रीब हैं।
रूसी अधिकारी समझौते को अंतिम रूप देने के लिए तेहरान के दौरे पर हैं। ईरान के उप ऊर्जामंत्री ने यह सूचना दी है।
उप ऊर्जामंत्री हूशंग फ़लाहतियान ने सोमवार को बताया कि पिछले साल हस्ताक्षरित सहमति पत्र के अंतर्गत नए बिजली संयंत्रों और मौजूदा इकाइयों के बारे में विशेषज्ञ स्तर पर बातचीत हो रही है।
सूत्रों का कहना है कि तेल के बदले बिजली के अंतर्गत बारह अरब डालर के इस समझौते के अंतर्गत ईरान पांच सौ मेगावाट बिजली का रूस से आयात करेगा। श्री फ़लाहतियान का कहना था कि आज़रबाइजान, अर्मेनिया और जार्जिया में बिजली ग्रिड लगाने के मुद्दे पर भी वार्ता की जाएगी।
इससे पूर्व रूस के विशेषज्ञों के प्रतिनिधि मंडल ने तेहरान का दौरा किया था ताकि बिजली संयंत्र के समझौते को अंतिम रूप देने के बारे में तेहरान के अधिकारियों से तकनीकी बातचीत कर सके। उप ऊर्जामंत्री ने कहा कि बातचीत के दौरान ईरान में नए थर्मल और कोयला चालित संयंत्रों के निर्माण की योजना भी शामिल की गयी है।
ईरान और रूस ने हाल ही में दोनों देशों की अर्थ व्यवस्थाओं को कमज़ोर करने के लिए पश्चिम के प्रतिबंधों के बाद आपस में व्यापारिक लेन देन में वृद्धि कर दी है।
परमाणु अधिकारों पर ईरानी संसद ने बिल को दी मंज़ूरी
ईरान की संसद ने राष्ट्र के परमाणु अधिकारों को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से सर्वसम्मति से एक बिल को मंज़ूरी दी है।
यह बिल ऐसी स्थिति में मंज़ूर किया गया है, जब ईरान और गुट पांच धन एक के बीच अंतिम परमाणु समझौते तक पहुंचने की 30 जून की डेडलाईन निकट आ गई है।
रविवार को संसद के खुले सत्र में 199 ईरानी सांसदों ने इस बिल के पक्ष में जबकि 3 ने इसके विरोध में वोट किया। पांच सांसद अनुपस्थित रहे।
बिल में उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रीय हितों की रक्षा और एनपीटी संधि के अनुसार, गुट पांच धन एक के साथ जारी परमाणु वार्ता का नतीजा वैध होना चाहिए और इसमें तीन शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि विश्व की छः शक्तियों के साथ होने वाले किसी भी परमाणु समझौते में यह सुनिश्चित किया जाए कि जिस दिन ईरान समझौते का पालन शुरू कर दे उस दिन समस्त प्रतिबंधों को हटा लिया जाए।
बिल के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए को केवल ईरान के परमाणु संयंत्रों के निरीक्षण की अनुमति होगी, जबकि ईरान के सैन्य अड्डों, सुरक्षा एवं संवेदनशील केन्द्रों, दस्तावेज़ों और वैज्ञानिकों तक पहुंच की अनुमति नहीं दी जाएगी।
बिल में ईरानी सरकार से मांग की गई है कि वह शांतिपूर्ण परमाणु तकनीक की प्राप्ति, शोध और उसके विकास पर किसी भी तरह की पाबंदी को स्वीकार न करे।
सत्र को संबोधित करते हुए ईरान के संसद सभापति अली लारीजानी ने कहा, यह बिल वरिष्ठ नेता द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों के अंतर्गत ईरानी परमाणु वार्ताकारों को परमाणु मुद्दे के समाधान का पूर्ण अधिकार प्रदान करता है।
ईरान, पांच देशों को बिजली निर्यात करेगा
ईरान की राष्ट्रीय प्राकृतिक गैस निर्यात कंपनी एन आई जी ई सी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश की कुछ कंपनियां गैस द्वारा उत्पादित बिजली, पड़ोसी देश निर्यात करने की योजना रखती हैं।
एन आई जी ई सी के महानिदेशक अली रज़ा कामेली के हवाले से मीडिया में रविवार को आयी ख़बरों के अनुसार, तुर्की, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, इराक़, और संयुक्त अरब इमारात वे पांच देश हैं जिन्हें ईरान गैस से चलने वाले बिजली प्लांट की बिजली निर्यात करेगा। उन्होंने बताया कि जनवरी में एन आई जी ई सी और एक ईरानी प्राइवेट कंपनी के बीच इस प्रकार की बिजली के निर्यात का समझौता हुआ है जिसके बाद चार और ईरानी कंपनियों के साथ सहमति पत्र पर दस्तख़त हुए हैं।
अली रज़ा कामेली ने कहा कि पावर प्लांट के निर्माण के लिए पिछले साल तुर्की की कंपनियों के साथ समझौता हुआ और ईरानी कंपनियां इसके निर्माण के लिए उचित स्थान के बारे में अध्ययन कर रही हैं।
मुंबई में भारी बारिश, आम ज़िन्दगी ठप्प
मुंबई और आसपास के इलाक़ों में भारी बारिश से आम जनजीवन ठप्प होकर रह गया है। अगले 48 घंटे में मुंबई में भारी बारिश का अनुमान है।
भारी बारिश के कारण लोकल ट्रेन रद्द होने और सड़कों पर जाम के चलते लोगों को कई किलोमीटर तक पैदल चलकर जाना पड़ रहा है। भारी बारिश के कारण बस सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुयीं और वहीं सड़कों से ऑटोरिक्शॉ नदारद थे।
मूसलाधार बारिश की वजह से शहर के आसपास स्थित दादर, परेल, भायखला, मझगांव, माहिम, सांताक्रूज, जुहू, विले पर्ले, वर्ली, सायन, चूनाभट्टी, अंधेरी, कुर्ला, बोरीवली, दहिसर, जोगेश्वरी और अन्य इलाकों में जलभराव देखा गया, जिससे सड़क यातायात प्रभावित हुआ।
मुंबई और उसके उपनगरों में कल रात भर हुई मूसलाधार बारिश से जनजीवन ठप है। भारी बारिश के कारण लोकल ट्रेनों की सेवाएं रद्द हो गयीं, जिससे हजारों मुसाफिर फंस गए। बारिश से हवाई यातायात भी प्रभावित हुआ है, 8 उड़ानें रद्द की गई हैं और नौ उड़ानों का मार्ग बदला गया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस स्थिति की समीक्षा के लिए मुंबई म्यूनिसपल के कंट्रोल रूम पहुंचे।
ईरानी राष्ट्र पाबंदियों के सामने नहीं झुकेगाः आयतुल्लाह किरमानी
तेहरान के जुमे के अस्थायी इमाम ने बल दिया है कि ईरानी राष्ट्र पाबंदियों व धमकियों के सामने नहीं झुकेगा।
आयतुल्लाह मुवह्हेदी किरमानी ने जुमे की नमाज़ के भाषण में विभिन्न क्षेत्रों में ईरान की क्षमताओं का उल्लेख किया और बल दिया कि पाबंदियों से कुछ मुश्किलें हुयी हैं लेकिन ईरानी राष्ट्र ठोस अर्थव्यवस्था तथा अपार आंतरिक क्षमताओं के ज़रिए प्रगति के मार्ग पर बढ़ता रहेगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस बात में शक नहीं कि अमरीका को ईरान से ज़्यादा परमाणु समझौते की ज़रूरत है।
जुमे के इमाम ने कहा कि प्रतिबंध और उसे हटाने पर इसलिए बल दिया जा रहा है क्योंकि इस्लामी गणतंत्र ईरान इन पाबंदियों को अन्यायपूर्ण मानता है।
आयतुल्लाह मोहम्मद अली मुवह्हेदी किरमानी ने गुट पांच धन एक के साथ वार्ता करने वाली ईरानी वार्ताकार टीम के सावधान रहने पर बल दिया और उम्मीद जतायी कि परमाणु विषय ईरानी राष्ट्र के हित और सम्मान के परिप्रेक्ष्य में हल होगा। उन्होंने परमाणु विषय के बहाने ईरान के सैन्य प्रतिष्ठानों के निरीक्षण सहित सामने वाले पक्ष की अन्यायपूर्ण मांग की ओर इशारा करते हुए कहा कि जिस तरह वरिष्ठ नेता ने कहा है कि किसी भी हालत में विदेशियों को सैन्य एवं सुरक्षा से जुड़े प्रतिष्ठानों के निरीक्षण और परमाणु वैज्ञानिकों से बातचीत की इजाज़त नहीं दी जाएगी।
तेहरान के जुमे के इमाम ने इराक़ी प्रधान मंत्री हैदर अलएबादी के ईरान दौरे का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह सफ़र दोनों देशों के संबंधों के मज़बूत होने का सूचक है और इस बात की ज़रूरत है कि दूसरे इस्लामी देश भी दुश्मन के मुक़ाबले में आपसी संबंधों को मज़बूत रखें।
इराक़ के शत्रु स्वयंसेवी सेना को मंच पर नहीं देखना चाहते
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि इराक़ के शत्रु भव्य स्वयंसेवी सेना को मंच पर नहीं देखना चाहते।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार को इराक़ के प्रधानमंत्री हैदर अलएबादी से मुलाक़ात में इराक़ की राजनैतिक व राष्ट्रीय एकता की रक्षा के लिए चेतना को अत्यंत आवश्यक बताया और आतंकियों से संघर्ष में इराक़ी युवाओं के शौर्य, साहस व संकल्प की ओर संकेत करते हुए कहा कि जन सेना की अपार क्षमताएं, विभिन्न क्षेत्रों में इराक़ के भविष्य व विकास के लिए बहुत लाभदायक एवं प्रभावी होंगी। उन्होंने इराक़ में आतंकियों की उपस्थिति को एक गुज़र जाने वाली घटना बताया और कहा कि स्वयंसेवी जन सेना की महान पूंजी, विभिन्न क्षेत्रों और रणक्षेत्र से इतर भी एक भरोसे योग्य स्रोत है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि अतीत में ब्रिटिश साम्राज्य और इस समय अमरीकियों के विस्तारवाद के संबंध में इराक़ी जनता के अनुभव य दर्शाते हैं कि इराक़ी राष्ट्र का बुरा चाहने वाले कभी भी भव्य स्वयंसेवी सेना के मंच पर आने के इच्छुक नहीं हैं अतः इस जनपूंजी की रक्षा की जानी चाहिए। आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, इराक़ के क्रांतिकारी व संघर्षकर्ता गुटों के बीच एकता का समर्थन करता है और इराक़ी जनता व अधिकारियों को बाहरी शक्तियों की फूट डालने वाली चालों की ओर से सचेत रहना चाहिए।
इस मुलाक़ात में इराक़ के प्रधानमंत्री हैदर अलएबादी ने ईरान की ओर से इराक़ के निरंतर समर्थन और दोनों देशों के बीच सहयोग को तेहरान व बग़दाद के गहरे संबंधों का सूचक बताया और कहा कि इराक़ के शत्रुओं ने धार्मिक व जातीय मतभेद भड़काने पर अपने सभी प्रयास केंद्रित कर रखे हैं किंतु इराक़ी जनता व सरकार, इन षड्यंत्रों का मुक़ाबला करने और राष्ट्रीय एकता की रक्षा करने का संकल्प रखती है।
आइसलैंड में मुसलमान सबसे लंबे समय तक रोज़ा रख रहे हैं
पवित्र नगर मशहद में इमाम रज़ा के रौज़े में रोज़ादारों के इफ़्तार करने का दृष्य (फ़ाइल फ़ोटो)
मुसलमानों का पवित्र महीना रमज़ान आरंभ हो चुका है, यह बहुत ही बरकतों और रहमतों वाला महीना है, इस महीने में हर मुसलमान अपने इश्वर की रहमतों को अधिक से अधिक पाने की चेष्ठा में रहता है।
पवित्र महीने रमज़ान का आरंभ हो चुका है और यह बात सब जानते हैं कि इस बार भारतीय महाद्वीप में गरमी अपने चरम पर है और रोज़े का समय भी लगभग पंद्राह-सोलह घंटे से भी अधिक है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान में भी इस वर्ष रोज़े का समय लगभग सोलह घंटे है, ईरान में रमज़ान के पवित्र महीने के लिए विशेष तैयारी की जाती है, मस्जिदों में इफ़्तारी का इंतेज़ाम किया जाता है, पवित्र शहर मशहद मुक़द्दस में तो इमाम रज़ा (अ.स) के रौज़े की ओर से रोज़ेदारों के लिए विभन्न प्रकार के खान-पान की व्यवस्था की जाती है।
क्या आप जानते हैं कि पूरे विश्व में सबसे लंबा और सबसे छोटा रोज़ा कहां रखा जाता है?
सबसे लंबे समय तक रोज़ा रखने वाले मुसलमान यूरोपीय देश आइसलैंड के रिकजावेक क्षेत्र के हैं जो 21 घंटे और 57 मिनट लंबा रोज़ा रखेंगे, वहाँ रोज़े का समय सुबह दो बज कर तीन मिनट पर शुरू होगा और इफ़्तार का समय आधी रात को होगा।
दुनिया में सबसे छोटा रोज़ा जो होगा वह मध्य अमेरिकी देश चिली के शहर पयूनटा एरीनाज़ में होगा जहां रोज़ा केवल 9 घंटे 43 मिनट तक रखना होगा।
क्षेत्र में एक भी आतंकवादी बर्दाश्त नहीं, सैयद हसन नसरुल्लाह
हिज़्बुल्लाह लेनबान के महासचिव ने वरिष्ठ नेता के व्यक्तित्व से संधबिंत बैरूत में आयोजित एक सम्मेलन में कहा है कि आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई एक बहादुर कमांडर व महान विचारक हैं।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि इमाम खुमैनी के स्वर्गवास के बाद वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में बड़ी कुशलता से समाज का नेतृत्व किया यहां तक कि आज ईरान क्षेत्र की एक बड़ी ताकत बन चुका है और विश्व इस तथ्य को स्वीकार भी करता है।
उन्होंने कहा कि विश्व में कोई दूसरा एसा नेता नहीं है जो इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की भांति समाज को महत्व देता हो।
ईरान अच्छा समझौता चाहता है, बुरा समझौता कोई भी वर्ग स्वीकार नहीं करेगा,
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि संसद परमाणु मामले के प्रमुख विषयों और रेड लाइनों को पारित करके क़ानून का दर्जा दे।
आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने अमरीका, फ़्रांस, ब्रिटेन, रूस, चीन और जर्मनी के साथ जारी ईरान की परमाणु वार्ता का हवाला देते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान अच्छा समझौता चाहता है, बुरे समझौते को समाज का कोई भी वर्ग स्वीकार नहीं करेगा।
आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि अच्छा समझौता वह है जिसमें इस्लामी गणतंत्र ईरान की सभी रेड लाइनों का ध्यान रखा गया हो। उन्होंने कहा कि परमाणु मामले में देश की जनता और सरकार के बीच पूर्ण समन्वय और एकमत है, शत्रु किसी भी प्रकार की फूट नहीं डाल सकेंगे।
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि धमकियों की छाया में होने वाली वार्ता निर्रथक है और एसी वार्ता को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ईरान पर लगे सारे ग़ैर क़ानूनी प्रतिबंध एक साथ उठाए जाने चाहिएं।