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 इराक़ के प्रधानमंत्री ने देश में आतंकवाद से संघर्ष के लिए सरकार के गंभीर संकल्प को एक बार फिर दोहराया है।

हैदर अलएबादी ने रविवार को क़ाहेरा में मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़त्ताह सीसी से मुलाक़ात में कहा कि उनकी सरकार आतंकवाद से संघर्ष और आईएसआईएल के क़ब्ज़े वाले सभी क्षेत्रों को स्वतंत्र कराने के लिए पूरी तरह से गंभीर है। उन्होंने आतंकवाद को न केवल इराक़ व मध्यपूर्व बल्कि पूरे विश्व के लिए एक गंभीर ख़तरा बताया। हैदर अलएबादी ने क्षेत्र में आतंकवाद से संघर्ष के लिए विश्व समुदाय की एकता और उसके आपसी सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

दोनों नेताओं ने क्षेत्र की समस्याओं को शांतिपूर्ण ढंग से क्षेत्रीय देशों के सहयोग व समन्वय से हल करने की आवश्यकता पर बल दिया। मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़त्ताह सीसी ने भी कहा कि उनका देश, आतंकवाद से संघर्ष में इराक़ का समर्थन करता है और सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के सहयोग में विस्तार का इच्छुक है।

ज्ञात रहे कि इराक़ के प्रधानमंत्री हैदर अलएबादी रविवार को दो दिवसीय यात्रा पर मिस्र की राजधानी क़ाहेरा पहुंचे हैं।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति से भेंट में ज़ायोनी शासन के विरुद्ध इस देश की साहसी नीति की सराहना की है।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार की शाम वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादोरो से तेहरान में होने वाली भेंट में कहा कि वेनेज़ुएला से साम्राजी मोर्चे की शत्रुता का कारण उसकी यही साहसी नीतियां और लैटिन अमरीका के क्षेत्र में उसका रणनैतिक प्रभाव है। वरिष्ठ नेता ने वेनेज़ुएला के पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत ह्योगो शावेज़ को ईरान का अच्छा मित्र बताया और दोनों देशों के निकट संबंधों की ओर संकेत करते हुए श्री मादोरो से कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, वेनेज़ुएला के साथ व्यापक सहयोग जारी रखने और उसमें वृद्धि का संकल्प रखता है और आपने भी अपने कार्यकाल में इस सहयोग को जारी रखा और पूरे साहस के साथ समस्याओं और शत्रुओं के षड्यंत्रों को विफल बनाया है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इसी प्रकार अल्पावधि में तेल के मूल्य में विचित्र ढंग से आने वाली कमी को एक राजनैतिक एवं ग़ैर आर्थिक क़दम बताया और कहा कि हमारे संयुक्त शत्रु, तेल को एक राजनैतिक हथकंडे के रूप में प्रयोग कर रहे हैं और तेल के मूल्य में इस भारी गिरावट में उनकी भूमिका है। उन्होंने इसी प्रकार ग़ज़्ज़ा के 51 दिवसीय युद्ध में वेनेज़ुएला की सरकार की अत्यंत अच्छी नीतियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ज़ायोनी शासन पूरे संसार विशेष कर हमारे क्षेत्र के राष्ट्रों के बीच अत्यंत घृणित है और इस शासन के विरुद्ध आपकी साहसिक नीतियां, राष्ट्रों के बीच आपके अधिक मित्र पैदा करेंगी।

इस मुलाक़ात में वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादोरो ने ईरान की सहायताओं और समर्थन का आभार प्रकट करते हुए कहा कि दिवंगत शावेज़ अपनी बातों में सदैव आपके मार्गदर्शनों को याद रखते थे और ईरानी राष्ट्र को विशेष सम्मान देते थे और हम भी उन्हीं की तरह ईरान को अपना घर समझते हैं। उन्होंने फ़िलिस्तीन समस्या की ओर संकेत करते हुए कहा कि फ़िलिस्तीन पूरी मानवता की एक मुख्य उमंग है और वेनेज़ुएला की सरकार और राष्ट्र स्वयं को इस उमंग का ऋणी समझता है और उसे पूरा विश्वास है कि फ़िलिस्तीन एक दिन आज़ाद हो कर रहेगा।

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि तकफ़ीरी गुट अपने पाश्विक कार्यों से पैग़म्बरे इस्लाम, पवित्र क़ुरआन और मुसलमानों का अनादर कर रहे हैं।

 उन्होंने शुक्रवार को पैग़म्बरे इस्लाम और हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस और एकता सप्ताह के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वह लोग जो लोगों को गर्दनें काट रहे हैं वह स्वयं को पैग़म्बरे इस्लाम का रक्षक नहीं कह सकते।

उन्होंने कहा कि तकफ़ीरियों ने इस्लाम का जितना अनादर किया है वह इस्लामी इतिहास में अभूतपूर्व है। हिज़्बुल्लाह लेबनान के सेक्रेट्री जनरल ने कहा कि अब इस्लाम की रक्षा का समय आ गया है तो हम को वैसे ही करना होगा जैसा हज़रत इमाम हुसैन ने करबला के मैदान में किया था क्योंकि इमाम हुसैन ने इस्लाम को बचाया और यह एक ऐसी ज़िम्मेदारी है जो समस्त इस्लामी महापुरुषों के कांधे पर है।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने अफ़ग़ानिस्तान से सीरिया और इराक़ की ओर आतंकियों की प्रगति की ओर संकेत करते हुए कहा कि आतंकी अब उन देशों तक पहुंच गये हैं जो उनके समर्थक थे और जिन्होंने उनके लिए भूमि प्रशस्त की और इस विषय की ओर से पहले ही सचेत किया गया था। उन्होंने बल दिया कि देश की सशस्त्र सेना के जवान और प्रतिरोध के साहसी योद्धा जो कठिन परिस्थितियों में ज़ायोनी शासन और तकफ़ीरी आतंकियों के मुक़ाबले में देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, पैग़म्बरे इस्लाम के वास्तविक अनुयायी और वास्तविक नायक हैं। उन्होंने हिज़्बुल्लाह और अल मुसतक़बल पार्टी के मध्य वार्ता के बारे में कहा कि वार्ता सही डगर पर है और वार्ता के परिणामदायक की होने की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है कि देश का राष्ट्रपति विदेशी सहमति के आधार पर चुना जाए और देश के राजनैतिक धड़ों को देश के भीतर वार्ता करनी चाहिए और उन्हें क्षेत्रीय और विदेश सहमति की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए।

उन्होंने बहरैन के विपक्षी नेता शैख़ अली सलमान की गिरफ़्तारी और इस देश के हालिया परिवर्तनों की ओर संकेत करते हुए कहा कि गिरफ़्तारियां और शैख़ सलमान की हिरासत की अवधि में वृद्धि, ख़तरनाक क़दम है। उन्होंने कहा कि आले ख़लीफ़ा शासन, ज़ायोनी शासन की भांति विदेशियों को नागरिकता प्रदान करके देश की जनसंख्या के ढांचे को परिवर्तन करने के प्रयास में है।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि बहरैन की जनता अपनी संस्कृति और शैख़ ईसा क़ासिम और शैख़ अली सलमान जैसे धार्मिक नेताओं के नेतृत्व से संपन्न होने के कारण, हिंसक आंदोलन नहीं चला रही है।
 

इस्लामी एकता कान्फ़्रेंस के मेहमानों और ईरान की इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों ने वरिष्ठ नेता से भेंट की।

वरिष्ठ नेता ने तेहरान में शुक्रवार की सुबह पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस सलाम के शुभ जन्म दिवस पर तेहरान में हुयी इस भेंट में, देश के अधिकारियों, एकता कांफ़्रेंस के मेहमानों और जनता के एक समूह को संबोधित करते हए कहा, “मुसलमान राष्ट्र के एक दूसरे के साथ होने से इस्लामी जगत की शान बढ़ती है।” उन्होंने कहा कि इस साल इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम में आपने देखा कि कई मिलियन लोग इकट्ठा थे और इस महान क़दम की पूरी दुनिया में चर्चा हुयी।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम के जन्म की ख़ुशी सिर्फ़ ज़बान और बातचीत तक सीमित नहीं रहनी चाहिए बल्कि उनके एकता पर आधारित संदेश को व्यवहारिक बनाना इस्लामी देशों की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होनें कहा कि सभी मुसलमानों को चाहिए कि पवित्र क़ुरआन को आधार बनाकर साम्राज्य के अगुवा अमरीका और ख़तरनाक कैंसर रूपी विश्व ज़ायोनीवाद के प्रतीक इस्राईल के ख़िलाफ़ डट जाएं और आपस में एक दूसरे के प्रति मेहरबान रहें।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने इस्लाम के दुश्मनों के फूट डालने के षड्यंत्र के सफल होने पर गहरा खेद जताते हुए बल दिया कि अगर मुसलमान राष्ट्र अपनी अपार क्षमताओं के साथ छोटी बातों के बजाए मूल बातों पर एकजुट हों तो इस्लामी जगत की तरक़्क़ी निश्चित होगी और इस्लमी जगत में एकता से पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की शान बढ़ेगी।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने बल दिया कि शीयों और सुन्नियों के बीच फूट डालने वाले हाथ, दुश्मन की जासूसी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं, वह कथित शीया मत कि जिसका ब्रिटेन के जासूसी संगठन एम आई-6 से संबंध हो, वह वास्तविक शीया मत नहीं और वह कथित सुन्नी मत जो सी आई का पिट्ठु हो, वह वास्तविक सुन्नी मत नहीं है, बल्कि दोनों ही इस्लाम के विरुद्ध हैं।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ क्षेत्रीय सरकारों ने ईरान से दुश्मनी को अपनी विदेश नीति का आधार बना रखा है, जो बड़ी ग़लती और कॉमन सेन्स के ख़िलाफ़ है बल्कि इसके विपरीत ईरान की नीति पड़ोसी मुसलमान राष्ट्रों से मित्रता पर आधारित है।

ईरानी सांसद ने कहा है कि देश में सुन्नी-शीया एकता को कोई भी क्षति नहीं पहुंचा सकता।

 संसद में सुन्नी सांसदों के प्रमुख आबिद फ़त्ताही ने कहा है कि ईरान में सुन्नी और शीया समुदायों के बीच जो मैत्री और बंधुत्व है उसे क्षतिग्रस्त नहीं किया जा सकता।  आबिद फ़त्ताही ने सोमवार को कहा कि हालांकि इस्लाम के शत्रु ईरान में सुन्नी और शीयों के बीच पाई जाने वाली एकता को क्षतिग्रस्त करने के प्रयास में लगे हुए है किंतु वे अपनी कोशिशों में सफल नहीं हो पाएंगे।

पवित्र नगर क़ुम में वरिष्ठ धर्मगुरूओं से भेंट के बाद सांसद आबिद फ़त्ताही ने कहा कि आतंकवादी गुट आईएसआईएल न तो सुन्नी है और न ही शीया इसलिए इस्लामी जगत को एकजुट होकर उसके मुक़ाबले में उठ खड़े होना चाहिए। (QR)

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फ़िलिस्तीन की बड़ी आबादी को यह लगता है कि पवित्र अलअक़्सा मस्जिद पर इस्राईल द्वारा गिराए जाने का ख़तरा मंडरा रहा है।

पश्चिमी तट के रामल्लाह में प्रकाशित एक न्यूज़ सर्वे के अनुसार 68 प्रतिशत फ़िलिस्तीनी सोचते हैं कि इस पवित्र मस्जिद को किसी भी वक़्त इस्राईल तबाह कर सकता है जबकि 77 प्रतिशत का कहना है कि इस्राईल इस मस्जिद को एक मंदिर से बदलना चाहता है।

फ़िलिस्तीनी सेंटर फ़ॉर पॉलिसी ऐंड सर्वे रिसर्च द्वारा कराया गया सर्वेक्षण यह दर्शाता है कि 50 फ़ीसद से ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों का मानना है कि इस्राईल मस्जिदुल अक़्सा को अपने हाथ में ले लेगा जबकि 21 फ़ीसद का ख़्याल है कि इस्राइली शासन पवित्र अलअक़्सा मस्जिद को दो हिस्सों एक यहूदियों और दूसरे मुसलमानों के बीच बांटना चाहता है।

यह सर्वे ऐसी हालत में सामने आया है जब इस्राईल अलअक़्सा मस्जिद में फ़िलिस्तीनियों की आवाजाही को सीमित करता जा रहा है। अलअक़्सा मस्जिद इस्राईल द्वारा 1967 में अतिग्रहित किए गए बैतुल मुक़द्दस शहर में स्थित  है।

पिछले कुछ दशकों के दौरान इस्राईल ने बैतुल मुक़द्दस की जनांकिकीय संरचना को अवैध बस्तियों के निर्माण, ऐतिहासिक स्थलों की ध्वस्तीकरण और स्थानीय फ़िलिस्तीनियों को निकाल कर, बदलने की कोशिश की है।

इस सर्वे के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत फ़िलिस्तीनी जनता, पिछले ग्रीष्म ऋतु में इस्राईल के हमले के दौरान हमास के वीरता भरे क़दम का समर्थन कर रही है।

इसी प्रकार 50 प्रतिशत फ़िलिस्तीनी, हमास के निशस्त्रीकरण की किसी भी कोशिश से असहमत थे

 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में होने वाली राष्ट्रीय बैठक में सैन्य न्यायालय के लिए संविधान में संशोधन के मुद्दे पर सहमति हो गयी है।

प्राप्त समाचारों के अनुसार इस्लामाबाद में होने वाली इस बैठक में भाग लेने वाले समस्त राजनैतिक दलों में सैन्य अदालत के लिए संविधान में संशोधन के संबंध में पूर्ण सहमति बन गयी है।

केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री परवेज़ रशीद ने बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि देश के इतिहास में आज का दिन सदैव याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि आज निर्णयों को अंतिम रूप दे दिया गया है। उनका कहना था कि विशेष अदालतों के गठन के लिए संविधान और आर्मी एक्ट में संशोधन किया जाएगा क्योंकि बच्चों और निर्दोष नागरिकों के हत्यारों का ट्रायल आम अदालतों में संभव नहीं है।

परवेज़ रशीद ने कहा कि सैन्य अदालतों के गठन का विधेयक सोमवार को नेश्नल एसेंबली में पेश किया जाएगा और मंगल को सेनेट में संविधान संशोधन बिल पेश किया जाएगा।

 

 

मक्के के इमामे जुमा डाक्टर शैख़ अब्दुरहमान सदीस ने चरपमंथियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि तबाही और बर्बादी मचाने, जनसंहार और धमाके करने वाले तथा लोगों को काफ़िर बताने वाले बहुत कट्टपंथी हैं और उन्होंने शत्रुओं की सेवाएं की है और इस्लामी समाज के लिए बेहतरीन अवसर हाथ से गवां दिया है।

काबे के इमाम शैख़ सदीस का कहना था कि बहुत से लोगों को इन चरमपंथियों के बुरे व्यवहार और उनकी यातनाओं से पीड़ा पहुंची और यह सब पथभ्रष्ट विचारधारा का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह लोग ख़ामोश मतभेद को हवा दे रहे हैं और उस कट्टरता के मार्ग पर अग्रसर हैं जो रक्तपात और हिंसा से भरा हुआ है।

उन्होंने लोगों से मतभेदों से दूर रहने की अपील करते हुए कहा कि यह जितने भी अधिक हो जाएं इनसे इस्लाम को कोई लाभ नहीं पहुंचे गया क्योंकि यह भ्रष्ट रास्ते पर चल रहे हैं। उनका कहना था कि इन लोगों ने बहुत से लोगों के विचारों को दूषित कर दिया, सामाजिक गतिविधियों से उन्हें काट दिया है और लोगों को हैरानी के तूफ़ान में खड़ा कर दिया है। यह लोग मुसलमानों से मिलते जुलते हैं किन्तु मुसलमान नहीं हैं।

शैख़ सदीस ने अपने जुमे के भाषण में कहा कि यह लोग यह समझते हैं कि वह सही रास्ते पर हैं और ईश्वर उनके स्वास्थ्य की रक्षा कर रहा है। यह लोग क़ुरआन और हदीस की विदित बातों में आकर पथभ्रष्ट हो गये हैं क्योंकि यह लोग क़ुरआन और हदीस में निहित अर्थों को सही ढंग से समझ नहीं सकते और उसे सही अर्थ निकाल नहीं सकते। काबे के इमाम ने कहा कि इन लोगों के बारे में सोचने वाले बौखला जाता है और हमारे ही कुछ लोग, इस्लामी समाज के आधारों को कमज़ोर करने में इनकी सहायता कर रहे हैं। उन्होंने मुसलमानों से अह्वान किया कि वे इस्लामी चीज़ों का सही अध्ययन करें और उसे सही ढंग से समझें ताकि इस प्रकार की विचारधारा रखने वालों के हथकंडे में न आ सकें।

 

 

तेहरान के अस्थायी इमामे जुमा ने कहा है कि तीस दिसम्बर 2009 को ईरानी जनता ने देश-विदेश के शत्रुओं के सभी षड्यंत्रों को विफल बना दिया।

तेहरान की नमाज़े जुमा आयतुल्लाह मुहम्मद इमामी काशानी की इमामत में अदा की गई। उन्होंने वर्ष 2009 में ईरान की इस्लामी प्रजातांत्रिक व्यवस्था को क्षति पहुंचाने हेतु रचे गए षड्यंत्र को अमरीका व ज़ायोनी शासन की ओर से मिले व्यापक समर्थन की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईरानी राष्ट्र ने तीस दिसम्बर 2009 को शत्रु की चालों को समझते हुए उन्हें पूरी तरह से विफल बना दिया। उन्होंने शत्रुओं के षड्यंत्रों के मुक़ाबले में ईरानी राष्ट्र की एकता व एकजुटता की ओर संकेत करते हुए कहा कि शत्रु, ईरान की इस्लामी क्रांति व व्यवस्था को बिल्कुल भी क्षति नहीं पहुंचा सकता क्योंकि ईरानी राष्ट्र सदैव सजग व जागरूक है और षड्यंत्रों को विफल बनाता रहेगा।

तेहरान के अस्थायी इमामे जुमा ने इसी प्रकार ईरानी राष्ट्र के परमाणु अधिकारों के बारे में विदेश मंत्री द्वारा अपने विभिन्न समकक्षों को लिखे गए पत्र की गए संकेत करते हुए कहा कि ईरान अपने परमाणु अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा क्योंकि उसने अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का पालन किया है। आयतुल्लाह इमामी काशानी ने बल देकर कहा कि परमाणु हथियारों के हराम होने के बारे में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का फ़त्वा, ईरान की परमाणु गतविधियों के शांतिपूर्ण होने को पहले से अधिक सिद्ध करता है। उन्होंने गुट पांच धन एक को सचेत किया कि परमाणु वार्ता के विफल होने की ज़िम्मेदारी उसी पर होगी।

उन्होंने करबला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम के अवसर पर लगभग तीन करोड़ लोगों के उपस्थित होने के बारे में कहा कि वर्चस्ववादी व्यवस्था, उसके समर्थकों व आतंकी संगठन आईएसआईएल को जान लेना चाहिए कि यदि मुसलमानों के पवित्र स्थलों को क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई तो उन्हें इस्लामी जगत की कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ेगा। (HN)

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ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब के संरक्षक बल सिपाहे पासदारान के डिप्टी कमांडर ने कहा है कि आवाज़ से भी तेज स्पीड से चलने वाले ईरान के मिसाइल, दुश्मन के युद्धक विमानों को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब के संरक्षक बल सिपाहे पासदारान के डिप्टी कमांडर हुसैन सलामी ने पश्चिमी ईरान के शहर सनंदज में होज़ा-ए-इल्मिया (मदरसों) और युनीवर्सिटी में एकता की सालगिरह के हिसाब से एक समारोह में संबोधित करते हुए कहा है कि आवाज़ से भी तेज स्पीड से चलने वाले ईरान के मिसाइल, दुश्मन के युद्धक विमानों और समुंद्री बेड़ों को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने विभिन्न वैज्ञानिक फ़ील्डों में ईरान की प्रगति को इस्लाम की पैरवी की देन बताया और होज़ा-ए-इल्मिया और युनीवर्सिटी में एकता का सूचक बताया। उन्होंने कहा कि इस समय मुसलमान, ईरान की इस्लामी क्रांति के नतीजे में पश्चिम की साम्राज्यवादी नीतियों के मुक़ाबले में डटे हुए हैं।