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ईरानी अधिकारी अमेरिका की ज़ोर जबर्दस्ती के आगे नहीं झुकेंगे।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने नए हिजरी सौर वर्ष 1394 (21 मार्च 2015 से) की शुरुआत के अवसर पर पवित्र शहर मशहद में इमाम अली रेज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े में हज़ारों ज़ाएरीन को संबोधित किया।
इमाम रेज़ा अ. के रौज़े में स्थित इमाम खुमैनी हाल और आसपास के मैदानों में दसियों हजार लोगों की सभा को संबोधित करते हुए सुप्रीम लीडर ने इस साल के नारे “सरकार और जनता समन्वय व एकजुटता की व्याख्या की और सरकार और जनता के कर्तव्यों पर प्रकाश डाला। सुप्रीम लीडर ने जनता से कानूनी सरकार के समर्थन और सरकारी अधिकारियों से आलोचनाओं के संबंध में संयम का प्रदर्शन करने की अपील की।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने इस्लामी व्यवस्था के चार मौलिक स्तंभों और इस्लामी व्यवस्था को पेश आने वाली समस्याओं और उसके पास मौजूद अवसरों की समीक्षा की।
सुप्रीम लीडर ने कहा कि "आर्थिक विकास और प्रगति के लिए अधिकारियों की ओर से परियोजना और लक्ष्य निर्धारित करना जबकि जनता और विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र के लोगों और मीडिया की ओर से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मदद व समर्थन करना सभी का कर्तव्य है और आज आर्थिक मुद्दा एक खास तरह की जंग है जहां क्षमताओं को एकट्टा करना, आंतरिक क्रिएटिव क्षमताओं, संसाधनों, उपायों और इस क्षेत्र की विशेष रणनीति के तहत निष्ठापूर्ण कार्यवाही किये जाने की ज़रूरत है।“
सुप्रीम लीडर ने परमाणु वार्ता के संबंध में जोर देकर कहा कि ईरान में कोई भी परमाणु मुद्दे के राजनयिक समाधान का विरोधी नहीं है, लेकिन दूसरी ओर ईरानी राष्ट्र, हमारे अधिकारी और वार्ता टीम के सदस्य अमेरिका की जोर जबरदस्ती और अपनी मर्जी थोपने के प्रयासों से प्रभावित होने वाले नहीं हैं। बल्कि इस इम्तेहान में भी वह अपनी दृढ़ता के माध्यम से कामयाब होंगे।
सुप्रीम लीडर ने कुरान की आयत की रौशनी में चार स्तंभों “नमाज़, ज़कात, अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर (अच्छाईयों की दावत देना और बुराईयों से रोकना)” को इस्लामी सिस्टम की पहचान और उसके मूल तत्व हैं। आपने कहाः "अल्लाह तआला ने वादा किया है कि जिस देश के पास भी यह चार विशेषताएं होंगी, अल्लाह उसकी मदद करेगा और ज़ालिम ताक़तों के अत्याचार से उसे मुक्ति दिलाएगा।“
सुप्रीम लीडर ने जोर देकर कहा कि इन चारों में से प्रत्येक स्तंभ के कुछ व्यक्तिगत और कुछ सामाजिक पहलू हैं जो इस्लामी व्यवस्था के गठन में प्रभावी भूमिका रखते हैं। आपने नमाज़ के व्यक्तिगत पहलुओं यानी मोमिन इंसान के सौभाग्य व नजात का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके साथ ही नमाज़ के सामाजिक पहलू भी हैं और नमाज़ एक ही समय में, एकमात्र सेंटर की ओर मुसलमानों के दिलों की एकाग्रता और संगम का कारण बनती है।
सुप्रीम लीडर ने कहा ज़कात से इंसान के अंदर त्याग की भावना को मज़बूती मिलती है और ज़कात के सामाजिक पहलुओं की समीक्षा करते हुए कहा कि “सामाजिक निगाह से ज़कात इस बात का संकेत है कि इस्लामी समाज, फकीरों, कमज़ोरों और जरूरत मंदों की समस्याओं को खुद से अलग नहीं समझता है।“
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर का ईरानी क़ौम के नाम संदेश।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नये सौर वर्ष 1394 कोसरकार व राष्ट्र, समन्वय व एकजुटता का नाम दिया है। सुप्रीम लीडर ने शनिवार को नए ईरानी साल की शुरूआत पर अपने संदेश में कहा कि इस बार नया साल ऐसी स्थिति में मनाया जा रहा है कि पैग़म्बरे इस्लाम स.अ की बेटी हज़रत फ़ातिमा ज़हरा की शहादत के दिन यानि अय्यामे फ़ातेमी चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम स.अ और उनकी बेटी के प्रति ईरानी जनता की निष्ठा के मद्देनज़र कुछ बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए और निश्चित रूप से ऐसा ही किया जाएगा।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने उम्मीद जताई की है कि नया साल, हज़रतफ़ातिमा ज़हरा की बरकतों व अनुकंपाओं से भरपूर और सुसज्जित होगा।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने अपने संदेश में पिछले साल ईरानी राष्ट्र को मिलने वाली कामयाबियों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछला साल,ईरानी राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कामयाबियों और चुनौतियों से भरा साल था इसीलिए इसका नाम राष्ट्रीय संकल्प एवं जेहादी प्रबंधन रखा गया था।
सुप्रीम लीडर ने अपने संदेश में कहा है कि ईरानी राष्ट्र ने समस्याओं के मुक़ाबले में अपने संकल्प का प्रदर्शन क़ुद्स की रैलियों और इमाम हुसैन के चेहलुम के अवसर पर स्पष्ट रूप में किया है। उन्होंने कहा कि हालांकि पिछले साल जेहादी प्रबंधन के प्रभाव स्पष्ट रूप से देखे गए लेकिन यह शीर्षक केवल पिछले साल से विशेष नहीं है और नए साल में भी जीवन के हर क्षेत्र में इसकी आवश्यकता है बल्कि हमेशा के लिये है।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि नए साल में ईरानी राष्ट्र की कुछ महान कामनाए हैं जैसे आर्थिक प्रगति,क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संप्रभुता,वैज्ञानिक क्षेत्र में वास्तविक प्रगति,न्याय एवं ईमान और आध्यात्म की प्राप्ति आदि। उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्र में पाई जाने वाली उच्च क्षमताओं के दृष्टिगत इन कामनाओं की पूर्ति संभव है लेकिंन इसकी मुख्य शर्त,सरकार और राष्ट्र के बीच समन्वय है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नए साल को, सरकार व राष्ट्र, समन्वय व एकजुटता का नाम देते हुये कहा कि सरकार और राष्ट्र के बीच जितना गहरा समन्वय और सामंजस्य पाया जाएगा उसी अनुपात में काम भी उचित ढंग से होंगे।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने उमीद जताई की है कि ईरानी राष्ट्र और सरकार दोनो ही नए साल को दिये जाने वाले नाम के आधार पर वास्तविक रूप में काम करेंगे ताकि उसके नतीजों को देखा जा सके।
लंदन, अपमानजनक केरिकेचर के ख़िलाफ़ विशाल प्रदर्शन
फ़्रांसीसी पत्रिका शारली हेब्दो द्वारा पैग़म्बरे इस्लाम (स) के अपमानजनक केरिकेचर छापने के विरुद्ध लंदन में विशाल प्रदर्शन हुए हैं।
रविवार को लंदन की डाउनिंग स्ट्रीट पर हज़ारों लोगों ने प्रदर्शन किया।
इसी प्रकार प्रदर्शकारियों ने पिछले महीने फ़्रांसीसी राजधानी पेरिस में हमलों की निंदा की और कहा कि इस तरह के हमले इस्लामी क़ानून का उल्लंघन हैं।
प्रदर्शनों का आयोजन करने वाले मुस्लिम एक्शन फोरम नामक संगठन का कहना था कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) के अपमानजनक केरिकेचरों का पुनः प्रकाशन सिद्ध करता है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर निरंतर दूसरों की पवित्र आस्थाओं और धार्मिक हस्तियों का अपमान किया जा रहा है।
टैन डाउनिंग स्ट्रीट पर स्थित ब्रितानी प्रधान मंत्री के कार्यालय को मेमोरंडम पेश किए जाने से पहले विदेश मंत्राय की इमारत के सामने मुस्लिम नेताओं ने प्रदर्शनकारियों का संबोधित किया।
मेमोरंडम पर एक लाख से भी अधिक ब्रितानी मुसलमानों के हस्ताक्षर थे जिसमें मांग की गई थी कि मानवता की तबाही के बजाए वैश्विक सभ्यता की सुरक्षा की जाए।
शत्रु संसार में इस्लामोफ़ोबिया फैलाने के प्रयास में
तेहरान के अस्थायी इमामे जुमा ने कहा है कि शत्रु इस्लामी मान्यताओं का अनादर करके संसार में इस्लामोफ़ोबिया फैलाना चाहते हैं।
तेहरान की नमाज़े जुमा आयतुल्लाह मुहम्मद इमामी काशानी की इमामत में अदा की गई। उन्होंने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के अनादर की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि शत्रु इस माध्यम से संसार में इस्लामोफ़ोबिया फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इसी प्रकार आतंकी गुट आईएसआईल द्वारा जार्डन के एक पायलट को ज़िंदा जलाने की निंदा करते हुए कहा कि विश्व साम्राज्य के पिट्ठू आतंकी, इस्लाम की छवि को बिगाड़ना चाहते हैं। आयतुल्लाह इमामी काशानी ने कहा कि शत्रु ने इस्लामोफ़ोबिया फैलाने, विश्व जनमत को धोखा देने और पैग़म्बरे इस्लाम के अनादर जैसी कार्यवाहियों को, इस्लाम को कुरूप दर्शाने और पैग़म्बरे इस्लाम को मुसलानों से अलग करने के लिए अपने एजेंडे में शामिल कर रखा है।
उन्होंने पश्चिमी युवाओं के नाम इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के संदेश को, उनकी प्रवृत्ति को स्पष्ट करने के लिए उठाया गया एक क़दम बताया और कहा कि मुसलमानों को चाहिए कि वरिष्ठ नेता के संदेश को एक धार्मिक दायित्व के रूप में देखें। तेहरान के अस्थायी इमामे जुमा ने कहा कि ईरान की इस्लामी व्यवस्था की एकजुटता के कारण, विदेश मंत्रालय पूरी दृढ़ता के साथ ईरानी राष्ट्र के अधिकारों के बारे में वार्ता कर रहा है। उन्होंने अंतरिक्ष में फ़ज्र नामक उपग्रह भेजे जाने को ईरान के युवाओं और विशेषज्ञों की अपार वैज्ञानिक क्षमता का सूचक बताया।
ईरान भेजेगा अंतरिक्ष में उपग्रह
ईरान एक लंबे समय से प्रत्याशित उपग्रह प्रक्षेपित करने जा रहा है।
ईरान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मामलों के उपाध्यक्ष सौरेना सत्तारी ने रविवार को बताया कि शीघ्र ही ईरान स्वदेश निर्मित उपग्रह को प्रक्षेपित करने जा रहा है।
सत्तारी ने इस संबंध में अधिक जानकारी नहीं दी। लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि यह प्रक्षेपण 3 फ़रवरी को हो सकता है। ईरान 3 फ़रवरी को राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाता है।
सत्तारी का कहना था कि प्रक्षेपण से पहले विशेषज्ञ उपग्रह की तकनीकी विशेषताओं का ब्यौरा प्रस्तुक करेंगे।
ईरान राष्ट्र संघ की अंतरिक्ष की शांतिपूर्ण प्रयोग समतिति के 24 संस्थापक देशों में से एक है। इस समिति की स्थापना 1959 में की गई थी।
वरिष्ठ नेता ने देश में नैनो तकनीक के विस्तार पर दिया बल
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने शनिवार को तेहरान में नैनो तकनीक की उपलब्धियों का निकट से निरीक्षण किया।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नैनो तकनीक और बायोटेक्नोलोजी में प्रगति को ईरान में होने वाली प्रगति का भाग बताया। उन्होंने कहा कि इन प्रगतियों ने दर्शा दिया है कि कुछ निष्ठावान लोगों के प्रयास, निश्चित रूप से अच्छे परिणाम लाते हैं। वरिष्ठ नेता ने कहा कि योग्यताओं को पहचानने के लिए सटीक योजनाबंदी, उचित प्रबंधन और सही पहचान की आवश्कता होती है। उन्होंने कहा कि प्रगति के निरंतर जारी रहने का एक महत्वपूर्ण कारक यह है कि इस बात की अनुमति न दी जाए कि शोध और विज्ञान के वातावरण में राजनीति उद्देश्यों को आने न दिया जाए।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा कि वैज्ञानिक प्रगति को आगे बढ़ाने का अन्य कारक घमण्ड न करना तथा वर्तमान प्रगति को पर्याप्त न समझकर निरंतर प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि वर्तमान समय में ईरान में वैज्ञानिक प्रगति तथा ईरानी युवाओं की योग्यताओं का स्तर बहुत अच्छा है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि नैनो तकनीक के क्षेत्र में ईरान, संसार में में सातवें नंबर पर है किंतु विगत के पिछड़ेपन के दृष्टिगत देश में वैज्ञानिक प्रगति की गति को दिन-प्रतिदिन तेज़ होना चाहिए।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरानी राष्ट्र के साथ विश्व की वर्चस्ववादी शक्तियों की शत्रुता का कारण ईरान का स्वावलंबन और उसकी सही प्रगति है। उन्होंने कहा कि उनकी यह शत्रुता समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में सामने आती है इसलिए हमें स्वयं को दिन-प्रतिदिन मज़बूत करना होगा।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने नैनो तकनीक के उत्पादों के व्यापारीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि नैनो उद्योग के क्षेत्र में प्रगति का एक मुख्य कारक यह है कि जनता, आपके उत्पादों को अपने दैनिक जीवन में देखे।
ज्ञात रहे कि इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने शनिवार को सुबह तेहरान में स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी के हुसैनिया में आयोजित नैनो तकनीक की उपबल्धियों की एक प्रदर्शनी का निरीक्षण किया।
हम युद्ध नहीं चाहते पर उससे डरते नहीं
हिज्बुल्लाह के महासचिव ने कहा है कि यह संभव नहीं है कि इस्राईल लोगों की हत्या करे और फिर शांति से भी रहे।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार को दक्षिणी लेबनान में कुनैतरा के शहीदों के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान कहा कि हिज़्बुल्लाह युद्ध से नहीं डरता।
उन्होंने सीरिया के कुनैतरा में हिज्बुल्लाह के सदस्यों पर इस्राईल के हमले की ओर संकेत करते हुए कहा कि आरंभ से ही हमने बदले का संकल्प कर लिया था और जब अवसर आया तो हमने फैसला लेने में दस मिनट का भी समय नहीं लगाया।
उन्होंने गत रविवार को इस्राईली सैनिकों पर हिज्बुल्लाह के आक्रमण का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने दिन के उजाले में हम पर हमला किया था हमने भी दिन के उजाले में उन पर हमला किया, उन्होंने हम पर दो वाहनों द्वारा हमला किया था हमने भी उन पर दो वाहनों से हमला किया उन्होंने हमारे सदस्यों की हत्या की और हमने उनके सैनिकों को मार डाला।
उन्होंने कहा कि इस्राईली हमले और हमारे जवाब में यह अंतर है कि इस्राईल ने छुप कर और पीछे से हमला किया था जबकि हिज्बुल्लाह ने सामने से हमला किया और तत्काल हमले की ज़िम्मेदारी स्वीकार भी कर ली।
उन्होंने कहा कि हम अपने दोस्तों को बताना चाहते हैं कि हम युद्ध नहीं चाहते किंतु युद्ध से डरते नहीं हैं और जब भी हिज़्बुल्लाह का कोई सदस्य कहीं भी मारा जाएगा तो हम इस हत्या का ज़िम्मेदार इस्राईल को समझेंगे और किसी भी स्थान पर किसी भी शैली से किसी भी समय बदला लेने को अपना अधिकार समझते हैं।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि इस्राईल को सीरिया में सक्रिय अन्नुस्रा फ्रंट से डर नहीं लगता लेकिन वह हिज़्बुल्लाह से डरता है।
उन्होंने कहा कि इस्राईल को अन्नुस्रा फ्रंट से कोई समस्या नहीं है और हज़ारों आतंकवादी इस्राईल व सीरिया के मध्य आवाजाही करते हैं।
उन्होंने कहा कि यदि दूसरे लोग अपनी अपनी समस्याओं के कारण फिलिस्तीन को भूल जाना चाहते हैं तो हम सब को यह बताना चाहते हैं कि हम किसी भी स्थिति में फिलिस्तीन, फिलिस्तीनियों और इस्राईल को नहीं भूलने वाले।
उन्होंने अरब समाज की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब इस्राईल के खिलाफ युद्ध होता है तो अरब देशों की ओर से न कोई आर्थिक मदद होती है न ही हथियार मिलते हैं और न ही अरबी संचार माध्यम साथ देते हैं
किंतु जब सीरिया इराक या सीना में युद्ध होता है तो अरब देशों की ओर से हथियार, धन सब कुछ मिलता है और अरब मीडिया भी उनके साथ खड़ा नज़र आता है।
फ़िलिस्तीन, इस्लामी जगत की सबसे महत्वपूर्ण समस्या
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि फ़िलिस्तीन, इस्लामी जगत की सबसे महत्वपूर्ण समस्या है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सोमवार को फ़िलिस्तीन की स्वतंत्रता के जनमोर्चे के महासचिव अहमद जिब्रईल से मुलाक़ात में कहा कि फ़िलिस्तीनियों के लक्ष्य पूरे होने के दिन तक इस्लामी गणतंत्र ईरान पूरी दृढ़ता के साथ डटा रहेगा और निश्चित रूप से युवा उस दिन को देखेंगे। उन्होंने फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के लक्ष्यों और उमंगों को व्यवहारिक बनाने के लिए फ़िलिस्तीन की स्वतंत्रता के जनमोर्चे की कोशिशों की सराहना करते हुए कहा कि आज निश्चित रूप से अहमद जिब्रईल, फ़िलिस्तीन की स्वतंत्रता के आंदोलन के एक मूल स्तंभ हैं। वरिष्ठ नेता ने आशा जताई कि इसी भावना और साहस की रक्षा के साथ, फ़िलिस्तीनियों का प्रतिरोध अंतिम विजय तक जारी रहेगा।
इस मुलाक़ात में फ़िलिस्तीन की स्वतंत्रता के जनमोर्चे के महासचिव ने कहा कि इस्लामी क्रांति ने ईरान को विश्व स्तर पर एक प्रभावी देश में बदल दिया है और ईरान, वरिष्ठ नेता की दूरदर्शिता और तत्वदर्शिता की छाया में प्रगति के मार्ग पर दिन प्रति दिन आगे बढ़ता जा रहा है। अहमद जिब्रईल ने इसी प्रकार फ़िलिस्तीनी जनता के अधिकारों की बहाली के संबंध में ठोस और सैद्धांतिक नीति अपनाने पर इस्लामी गणतंत्र ईरान का आभार प्रकट किया।
यूरोप और उत्तरी अमरीका के युवाओं के नाम वरिष्ठ नेता का संदेश
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने योरोपीय और उत्तरी अमरीका के युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि फ़्रांस में घटने वाली हालिया घटना और कुछ अन्य पश्चिमी देशों में इसी प्रकार की कुछ अन्य घटनाओं ने मुझको उनके बारे में आपसे सीधे तौर पर बात करने के लिए प्रेरित किया है। अपने संदेश में आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने, पश्चिम की ओर से इस्लाम को एक भयानक शत्रु के रूप में पेश किए जाने के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि बड़े खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि यह कार्य पश्चिम में लंबे समय से किया जा रहा है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के संदेश का हिंदी अनुवाद,
بسم الله الرّحمن الرّحیم
यूरोप और उत्तरी अमरीका के युवाओं के नाम,
फ़्रास की हालिया घटनाओं और कुछ अन्य पश्चिमी देशों में होने वाली घटनाओं ने मुझे इस निष्कर्ष पर पहुंचाया कि आप से प्रत्यक्ष रूप से बात करनी चाहिए। मैं आप युवाओं को संबोधित कर रहा हूं, इस लिए नहीं कि आपके माता-पिता की उपेक्षा कर रहा हूं, बल्कि इस वजह से कि आपकी धरती और राष्ट्र का भविष्य मैं आपके हाथों में देख रहा हूं, तथा आपके हृदयों में सच्चाई को समझने की जिज्ञासा अधिक प्रगतिशील और जागरूक पाता हूं। इस संदेश में मैं आपको राजनेताओं और अधिकारियों को संबोधित नहीं कर रहा हूं क्योंकि मैं यह समझता हूं कि उन्होंने राजनीति के मार्ग को जानबूझ कर सत्य और सच्चाई से अलग कर दिया है।
आपसे मुझे इस्लाम के बारे में बात करनी है और विशेष रूप से इस्लाम की उस तसवीर और छवि के बारे में जो आपके सामने पेश की जाती है।
पिछले दो दशकों से इधर अर्थात सोवियत संघ के विघटन के बाद से, बहुत व्यापक रूप से प्रयास किए गए कि इस महान धर्म को डरावने शत्रु के रूप में पेश किया जाए। भय और घृणा के भाव उभारना और फिर उसका दुरुपयोग करना, दुर्भाग्यवश पश्चिम के राजनैतिक इतिहास में बहुत पहले से चला आ रहा है।
यहां विभिन्न प्रकार के डर और भय के बारे में बात नहीं करनी है जो पश्चिमी राष्ट्रों के भीतर फैलाया जाता रहा है। आप स्वयं ही समकालीन इतिहास का आलोचनात्मक दृष्टि से संक्षिप्त अध्ययन करके इस निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे कि हालिया इतिहास में विश्व के अन्य राष्ट्रों और संस्कृतियों के साथ पश्चिमी सरकारों के धोखेपूर्ण और निष्ठा से परे बर्ताव की अलोचना की गई है।
यूरोप और अमरीका का इतिहास दासप्रथा से शर्मिंदा है, शोषण के कारण लज्जित है, अश्वेत नस्लों और ग़ैर ईसाइयों पर किए गए अत्याचारों पर शर्मसार है। आपके इतिहासकार और अध्ययनकर्ता धर्म के नाम पर कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट ईसाइयों के बीच या पहले और दूसरे विश्व युद्ध में राष्ट्रवाद और जातियों के नाम पर किए जाने वाले रक्तपात पर शर्मिंदगी ज़ाहिर करते हैं।
यह चीज़ अपने आप में सराहनीय है। इस लंबी सूचि का एक भाग प्रकाश में लाने से मेरा उद्देश्य इतिहास की आलोचना करना नहीं है, बल्कि आपसे चाहता हूं कि अपने बुद्धिजीवियों से पूछिए कि आख़िर पश्चिम में सार्वजनिक अंतरात्मा कई दशकों और कभी कभी कई शताब्दियों के विलंब से क्यों जागे और होश में आए? सार्वजनिक अंतरात्मा में पुनर्समीक्षा का विचार समकालीन मामलों के बजाए क्यों सुदूर भूतकाल के कालखंडों पर क्यों केन्द्रित रहे?
क्यों इस्लामी विचारों और संस्कृति के बारे में बर्ताव जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण विषय में क्यों सार्वजनिक चेतना और बोध का रास्ता रोका जाता है?
आप भलीभांति जानते हैं कि दूसरों के बारे में काल्पनिक भय और नफ़रत फैलाना तथा उनका अपमान समस्त अन्यायपूर्ण दुरूपयोग और शोषण की भूमिका रहा है। मैं चाहता हूं कि आप ख़ुद से यह सवाल करें कि भय उत्पन्न करने और नफ़रत फैलाने की पुरानी नीति ने इस बार असाधारण तीव्रता के साथ इस्लाम और मुसलमानों को क्यों निशाना बनाया है?
आज की दुनिया की शक्ति व्यवस्था क्यों चाहती है कि इस्लामी सोच हाशिए पर और बचाव की स्थिति में रहे? इस्लाम के कौन से मूल्य और अर्थ हैं जो बड़ी शक्तियों की योजनाओं के मार्ग की रुकावट बन रहे हैं और इस्लाम की छवि को ख़राब करने की आड़ में कौन से स्वार्थ साधे जा रहे हैं? तो मेरी पहली इच्छा यह है कि व्यापक पैमाने पर इस्लाम की छवि ख़राब करने की कोशिश के कारणों के बारे में सवाल और खोज कीजिए।
दूसरी इच्छा यह है कि विषैले प्रोपगंडे नकारात्मक पूर्वाग्रह के तूफ़ान के मुक़ाबले में आप इस धर्म को प्रत्यक्ष रूप से समझने की कोशिश कीजिए। सदबुद्धि की मांग यह है कि कम से कम आप को इतना तो मालूम हो कि जिस चीज़ से आपको दूर और भयभीत किया जा रहा है, वह क्या है उसकी असलियत क्या है?
मैं यह आग्रह नहीं करता कि आप इस्लाम के बारे में मेरा विचार या किसी और की राय को स्वीकार कीजिए, बल्कि मैं यह कहना चाहता हूं कि यह अवसर न दीजिए कि आज की दुनिया की यह प्रगतिशील और प्रभावी वास्तविकता, दूषित लक्ष्यों और स्वार्थों की छाया में आपके सामने पेश की जाए। इस बात का अवसर न दीजिए कि बिके हुए आतंकवादियों को दिखावा करके इस्लाम के प्रतिनिधियों की हैसियत से पहचनवाया जाए।इस्लाम को उसके असली स्रोतों के माध्यम से पहचानिए। क़ुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम के जीवन के माध्यम से पहचानिए।
मैं यहां यह पूछना चाहता हूं कि क्या अब तक कभी आपने मुसलमानों के क़ुरआन को पढ़ा है? क्या पैग़म्बरे इस्लाम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम) की शिक्षाओं और उनके मानवीय व नैतिक निर्देशो का अध्ययन किया है? क्या कभी संचार माध्यमों के अलावा दूसरे माध्यमों से भी इस्लाम का संदेश प्राप्त किया है?
क्या कभी अपने आप से यह सवाल किया है कि यही इस्लाम आख़िर किस तरह और किन मूल्यों के आधार पर शताब्दियों से दुनिया की सबसे बड़ी वैचारिक सभ्यता का पोषण कर रहा है और उसने उच्च स्तर के विचारकों और ज्ञानियों का प्रशिक्षण किया है?
मैं आपसे यह चाहता हूं कि यह अवसर न दीजिए कि अपमानजनक और घटिया तसवीर पेश करके लोग सच्चाई और आपके बीच भावनाओं की दीवार खड़ी कर दें और आपको पूर्वाग्रह से आज़ाद फ़ैसले की संभावना से वंचित कर दें। आज संचार साधनों ने भौगोलिक सीमाओं को तोड़ दिया है तो आप स्वयं को वैचारिक स्तर पर बना दिए जाने वाले फ़र्जी दायरे में क़ैद न होने दीजिए।
हालांकि कोई भी अकेले उस खाई को पाट नहीं सकता जो पैदा कर दी गई है, मगर आप में से हर कोई, स्वयं को और अपने आसपास के लोगों को सत्य से परिचित कराने के उद्देश्य से इस खाई पर विचारों और न्यायप्रेम का एक पुल ज़रूर बना सकता है। इस्लाम और आप युवाओं के बीच यह चुनौती जो पूर्वनियोजित है, निश्चित रूप से तकलीफ़ देने वाली है किंतु आपके खोजी और जिज्ञासु मन में नए सवाल पैदा कर सकती है।
इन सवालों के जवाबों की खोज, आपके सामने नए तथ्यों के प्रकाश में आने का अवसर उपलब्ध करा सकती है। अतः इस्लाम से पूर्वाग्रह रहित परिचय और सही समझ के इस अवसर को हाथ से जाने न दीजिए ताकि शायद सच्चाई के बारे में आपकी ज़िम्मेदाराना शैली की बरकत से, आने वाली पीढ़ियां इस्लाम के बारे में पश्चिम के बर्ताव के इतिहास के इस कालखंड को शांत मन के साथ लिखित रूप दे सकें।
सैयद अली ख़ामेनई
1/11/1393 (हिजरी शम्सी बराबर 21 जनवरी 2015)
ज़ायोनी शासन के विरुद्ध वेनेज़ुएला की साहसी नीति सराहनीय
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति से भेंट में ज़ायोनी शासन के विरुद्ध इस देश की साहसी नीति की सराहना की है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार की शाम वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादोरो से तेहरान में होने वाली भेंट में कहा कि वेनेज़ुएला से साम्राजी मोर्चे की शत्रुता का कारण उसकी यही साहसी नीतियां और लैटिन अमरीका के क्षेत्र में उसका रणनैतिक प्रभाव है। वरिष्ठ नेता ने वेनेज़ुएला के पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत ह्योगो शावेज़ को ईरान का अच्छा मित्र बताया और दोनों देशों के निकट संबंधों की ओर संकेत करते हुए श्री मादोरो से कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, वेनेज़ुएला के साथ व्यापक सहयोग जारी रखने और उसमें वृद्धि का संकल्प रखता है और आपने भी अपने कार्यकाल में इस सहयोग को जारी रखा और पूरे साहस के साथ समस्याओं और शत्रुओं के षड्यंत्रों को विफल बनाया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इसी प्रकार अल्पावधि में तेल के मूल्य में विचित्र ढंग से आने वाली कमी को एक राजनैतिक एवं ग़ैर आर्थिक क़दम बताया और कहा कि हमारे संयुक्त शत्रु, तेल को एक राजनैतिक हथकंडे के रूप में प्रयोग कर रहे हैं और तेल के मूल्य में इस भारी गिरावट में उनकी भूमिका है। उन्होंने इसी प्रकार ग़ज़्ज़ा के 51 दिवसीय युद्ध में वेनेज़ुएला की सरकार की अत्यंत अच्छी नीतियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ज़ायोनी शासन पूरे संसार विशेष कर हमारे क्षेत्र के राष्ट्रों के बीच अत्यंत घृणित है और इस शासन के विरुद्ध आपकी साहसिक नीतियां, राष्ट्रों के बीच आपके अधिक मित्र पैदा करेंगी।
इस मुलाक़ात में वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादोरो ने ईरान की सहायताओं और समर्थन का आभार प्रकट करते हुए कहा कि दिवंगत शावेज़ अपनी बातों में सदैव आपके मार्गदर्शनों को याद रखते थे और ईरानी राष्ट्र को विशेष सम्मान देते थे और हम भी उन्हीं की तरह ईरान को अपना घर समझते हैं। उन्होंने फ़िलिस्तीन समस्या की ओर संकेत करते हुए कहा कि फ़िलिस्तीन पूरी मानवता की एक मुख्य उमंग है और वेनेज़ुएला की सरकार और राष्ट्र स्वयं को इस उमंग का ऋणी समझता है और उसे पूरा विश्वास है कि फ़िलिस्तीन एक दिन आज़ाद हो कर रहेगा।