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आतंकवाद के खिलाफ़ संघर्ष में इराक़ और सीरिया की मदद करते रहेंगे।
इस्लामी रिपब्लिक ईरान के उप विदेशमंत्री ने कहा है कि ईरान और रूस हर हाल में सीरिया और इराक़ का समर्थन जारी रखेंगे।
इस्लामी रिपब्लिक ईरान के उप विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुलल् लाहियान ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन के मध्य पूर्व मामलों के विशेष दूत मीख़ाइल बोगदानोफ से मुलाकात के बाद कहा कि तहरान - मास्को तकफ़ीरी आतंकवादी गिरोह आईएसआईएस और आतंकवाद से संघर्ष में इराक़ और सीरिया की भरपूर मदद करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि सीरिया के राजनीतिक समाधान के लिए ईरान के चार सूत्रीय योजना और राजनीतिक उपाय के पालन करने के लिए रूस के विचारों से दोनों सहमत हैं।
उन्होंने कहा कि आईएसआईएस के खिलाफ संघर्ष में अमेरिका गंभीर नहीं है। विदेशमंत्री ने कहा कि सीरिया का भाग्य इस देश की जनता तय करेगी।
बहरैन के हालात पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बहरैन संकट का समाधान, राजनीतिक और राष्ट्रीय वार्ता पर आधारित है और तेहरान फ़ार्स की खाड़ी और क्षेत्र की सुरक्षा को अपनी सुरक्षा समझता है।
2014 में सबसे अधिक हुईं बच्चों के साथ हिंसक घटनाऐं।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ़ ने दुनिया में बच्चों के साथ हिंसा में बढ़ोत्तरी पर चिंता व्यक्त करते हुए इस के परिणामों के प्रति चेतावनी दी है। संयुक्त राष्ट्र के बच्चों के मामलों की संस्था यूनिसेफ़ ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में घोषणा की है कि दो हजार चौदह में बच्चों के विरुद्ध हिंसा में अत्यंत बढ़ोत्तरी हुई है और यह साल उनके लिए मुसीबतों का साल रहा है।
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार दो हजार चौदह में पाकिस्तान, यमन और दुनिया के दूसरे इलाक़ों में बच्चों पर हमले में गंभीर रूप से बढ़ोत्तरी हुई है। यूनिसेफ ने अपनी यह रिपोर्ट ऐसी स्थिति में जारी की है कि सोमवार को पेशावर में तालिबान ने आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला करके बच्चों का नरसंहार किया है। तालिबान के इस बर्बर हमले में एक सौ चालीस से अधिक लोग शहीद हुए जिनमें एक सौ बत्तीस बच्चे शामिल हैं।
यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया है कि 2015 हिंसा और आतंकवाद से बच्चों की सुरक्षा का साल होना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने भी घोषणा की है कि इस बात के मद्देनजर कि जंग व ख़ून ख़राबे और आतंकवाद के शिकार देशों में दो सौ तीस लाख बच्चे मौजूद हैं, दो हजार चौदह में बच्चे चरमपंथ और आतंकवाद की ज़्यादा भेंट चढ़े हैं। संयुक्त राष्ट्र ने घोषणा की है कि 2015 में, चरमपंथ, आतंकवाद और हिंसा से बच्चों की सुरक्षा के कार्यक्रम पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है।
संयुक्त राष्ट्र ने ऐलान किया है कि दो हजार चौदह में बच्चों के साथ बर्बर हिंसा और उन्हें आतंकवादी हमलों में निशाना बनाने की घटनाओं में ऐसी स्थिति में बढ़ोत्तरी हुई है कि बच्चों की मौत दर कम करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है। यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में दो हजार चौदह को बच्चों के लिए आक्रामक और दर्दनाक साल बताया है और कहा है कि डेढ़ करोड़ बच्चे दो हजार चौदह की बड़ी जंगों और लड़ाईयों में शिकार बने हैं और सशस्त्र आतंकवादी गुटों ने उनका शोषण किया और उन्हें आतंकवादी लक्ष्य के लिए इस्तेमाल किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार उनमें से बहुत से बच्चे अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं, बहुत से बलात्कार का निशाना बने, बहुत से बच्चों को बर्बर यातनाएं दी गईं और आतंकवादी गुटों ने बहुत से बच्चों का अपहरण करके उन्हें आतंकवादी अपराधों में अपने सैनिकों के रूप में इस्तेमाल किया या फिर उन्हें गुलाम और कनीज़ बना के बेच दिया है।
यूनिसेफ के महानिदेशक एंथोनी लेक (LAK) ने ख़बरदार किया है कि अगर इस सिलसिले को न रोका गया तो दुनिया बच्चों के संबंध में अत्यंत दुखद हातात से रूबरू होगी। इस रिपोर्ट में बच्चों के साथ हिंसा के संबंध में जिन देशों का नाम लिया गया है उनमें, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ग़ज़्ज़ा, इराक़, सीरिया, दक्षिण सूडान और केंद्रीय अफ्रीका के नाम उल्लेखनीय हैं।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दो हजार चौदह की गर्मियों में ग़ज़्ज़ा पर इस्राईली हुकूमत की पचास दिवसीय जंग के दौरान जायोनी सेना के हमलों के परिणाम स्वरूप पांच सौ अड़तीस बच्चे शहीद और तीन हजार सात सौ सत्तर घायल जबकि 54 हजार से अधिक बच्चे बेघर हुए हैं। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी देशों में, बच्चे सबसे ज़्यादा अमेरिका में मारे गये हैं या हिंसा का निशाना बने हैं।
शत्रुओं के पास ईरान से बातचीत के अलावा कोई चारा नहीं,
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम आयतुल्लाह मोहम्मद अली मोवह्हेदी किरमानी ने परमाणु वार्ताकार टीम की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए उससे सिफ़ारिश की है कि सुरक्षा परिषद के पांच सदस्य देशों और जर्मनी पर आधारित गुट पांच धन एक के साथ वार्ता आगामी चरणो में भी ईरान की राष्ट्रीय मर्यादा का ध्यान रखे तथा विस्तारवादी मांगों के सामने घुटने न टेके।
आयतुल्लाह मोहम्मद अली मोवह्हेदी किरमानी ने छह विश्व शक्तियों के साथ जारी ईरान की परमाणु वार्ता का हवाला देते हुए कहा कि शत्रु के पास ईरान से बातचीत के लिए अलावा कोई चारा नहीं है और ईरान अपने परमाणु अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा।
आयतुल्लाह मोहम्मद अली मोवह्हेदी किरमानी ने अमरीका की जेलों में क़ैदियों को यातनाएं दिए जाने के मामले का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया आख़िर कब तक नस्लपरस्ती और भेदभाव की साक्षी बनी रहेगी।
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने अमरीकी पुलिस के हाथों काले लोगों की हत्या और यातनाओं की घटनाओं के बारे में अमरीका के वरिष्ठ अधिकारियों का आहवान किया कि अश्वेत लोगों के विरुद्ध हो रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार के बारे में सोचें।
आयतुल्लाह मोहम्मद अली मोवह्हेदी किरमानी ने अमरीका और क्यूबा के बीच कूटनयिक संबंधतं की बहाली का हवाला देते हुए कहा कि अमरीकी विदेश मंत्री जान कैरी ने स्वयं यह बयान दिया है कि प्रतिबंधों के चलते क्यूबा से ज़्यादा अमरीका को नुक़सान पहुंचा है।
आयतुल्लाह किरमानी ने नमाज़े जुमा क ख़ुतबों में इराक़ की जनता और सरकार की इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम के लिए वैभवशाली व्यवस्था किए जाने पर सराहना की और कहा कि आईएसआईएल की धमकियों के बावजूद चेहलुम पूरी सुरक्षा के साथ शानदार तरीक़े से मनाया गया और इसमें दुनिया भर के दसियों लाख लोगों ने भाग लिया।
आयतुल्लाह मोहम्मद अली मोवह्हेदी किरमानी ने पाकिस्तान के पेशावर शहर मे आर्मी पब्लिक स्कूल पर होने वाले आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और प्रभावित परिवारों से सहानुभूति जताई।
मुसलमानों में एकता, फ़िलिस्तीन को आज़ाद कराने का एकमात्र रास्ता।
ईरान के सुन्नी मौलाना ने फ़िलिस्तीन में हो रहे इस्राईलियों के अत्याचार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए मुसलमानों में एकता को फिलिस्तीन को आज़ाद करने का एकमात्र रास्ता बताया है।
रिपोर्ट के अनुसार ईरान के एक सुन्नी मौलवी इसहाक मदनी ने एक ईरानी समाचार एजेंसी के साथ इंटरव्यू में फिलिस्तीन को इस्लामी दुनिया की सबसे बड़ी और जटिल समस्या बताते हुए कहा कि अधिकृत फिलिस्तीन की चिंताजनक स्थिति दुश्मनों की नापाक परियोजनाओं का नतीजा है।
उन्होंने कहा मुसलमानों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा की ज़रूरत है जो इस्लामी सिद्धांतों व शिक्षाओं पर आधारित हो और मौजूदा दौर में उम्मत को एकजुट करने के लिए ऐसा ढांचा बहुत ज़्यादा ज़रूरी है। मौलवी इसहाक़ मदनी ने कहा कि इस्लामी शिक्षाओं और सिद्धांतों को हर क्षेत्र में आम करने की जरूरत है।
ईरानी सुन्नी मौलाना के अनुसार विभिन्न समुदायों से संबंध रखने वाले मज़हबी लीडरों की एकता व अखंडता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने फिलिस्तीनियों के साथ हो रहे ज़ुल्म पर अफसोस जताते हुए कहा कि मज़लूम फ़िलिस्तीनी क़ौम का हर स्तर पर समर्थन करना मुसलमानों की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है।
फ़िलिस्तीन को अलग राज्य स्वीकार करने का प्रस्ताव मंज़ूर।
यूरोपीय यूनियन ने फ़िलिस्तीन को अलग राज्य स्वीकार करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है जबकि यूरोपीय यूनियन ही की उच्च न्यायालय ने फिलीस्तीनी संगठन हमास का नाम आतंकवादी संगठनों की सूची से हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
ब्रसेल्स में होने वाली यूरोपीय संसद की बैठक में फ़िलिस्तीन को अलग राज्य स्वीकार किए जाने के प्रस्ताव पर काफ़ी देर चली बहस के बाद मतदान कराया गया जिसमें संसद के 498 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष और 88 ने विरोध में मतदान किया जबकि 111 सदस्य मतदान में शामिल नहीं हुए। प्रस्ताव में यूरोपीय यूनियन के सदस्य देशों पर जोर दिया गया है कि वह फ़िलिस्तीन को बिना शर्त एक अलग राज्य के रूप में स्वीकार करें।
दूसरी ओर लक्ज़मबर्ग में यूरोपीय यूनियन की अदालत ने हमास का नाम आतंकवादी संगठनों की सूची से हटा दिया है। अदालत का कहना था कि 2001 में यूरोपीय यूनियन का हमास को आतंकवादियों की सूची में शामिल करने का फैसला ठोस कानूनी साक्षों पर नहीं बल्कि इंटरनेट और अन्य स्रोतों से हासिल की गई जानकारी के विश्लेषण पर किया गया था लेकिन हमास की संपत्ति 3 महीने तक बैन रहेगी।
इस अवसर पर हमास के नेता अबू मूसा मरज़ूक का कहना था कि वह इस फैसले पर यूरोपीय यूनियन के आभारी हैं क्योंकि इस निर्णय से एक ऐतिहासिक ग़ल्ती को सुधारा गया। उनका कहना था कि हमास एक प्रतिरोध संगठन है और सभी अंतर-राष्ट्रीय कानून उसे विदेशी क़ब्ज़ा करने वालों के खिलाफ संघर्ष करने का अधिकार देते हैं।
ड्रोन हमले सफल नहीं रहे, सीआईए की रिपोर्ट
अमरीकी ख़ुफ़िया एजेसीं सीआईए ने अपनी रिपर्ट में स्वीकार किया है कि इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में ड्रोन हमले सफल नहीं रहे हैं।
सीआईए की रिपोर्ट का एक भाग लीक होकर मीडिया में आ गया है जिसमें बताया गया है कि ड्रोन हमलों का बहुत सीमिति परिणाम मिल रहा है और इन हमलों से चरपमंथियों के समर्थकों की संख्या बढ़ रही है।
18 पृष्ठों के इस दस्तावेज़ पर 7 जुलाई 2009 की तारीख़ पड़ी है जो बृहस्तिवार को विकीलीक्स द्वारा सार्वजनिक किया गया है। इस दस्तावेज़ के अनुसार सीआईए के पूर्व निदेशक लियोन पैनेटा ने कहा है कि ड्रोन हमलों के परिणाम बहुत सीमित है और इन हमलों में मारे जाने वाले तालेबान नेताओं के स्थान पर तत्काल दूसरे नेता आ जाते हैं। उनका कहना था कि ड्रोन हमले उस समय उपयोगी होंगे जब उन्हें एक बड़े आप्रेशन के एक भाग के रूप में प्रयोग किया जाए।
मीडिया में यह रिपोर्ट लीक हो जाने पर सीआईए के प्रवक्ता कैली जे काल्डवेल ने कोई टिप्पणी करने से इंकार किया है।
इस्लाम का ज़ालिमों से कोई सम्बंध नही।
“वास्तविक इस्लाम करबला के आईने में” विषय पर गांधी भवन में लेक्चर
इस्लाम आया ही है ज़ुल्म को मिटाने के लिए, अगर कोई नमाज़ें पढ़ने वाला, कोई रोज़े रखने वाला, कोई हज करने वाला ज़ुल्म कर रहा है तो उसकी सभी इबादतें उसके ज़ुल्म की वजह से नष्ट हो जांएगी। क़ुरान साफ़ कहता है कि तुम्हारा ज़रा सा भी झुकाव अगर ज़ुल्म की तरफ़ होगा तो जहन्नम की आग से तुम्हें कोई नहीं बचा सकेगा। ये विचार आज यहां गांधी भवन में मौलाना डाक्टर कल्बे सादिक़ साहब ने व्यक्त किए।
मौलाना ने कहा कि मेरा मक़सद और मेरा पैग़ाम यह है कि हिन्दुओं को मुसलमानों से मिलाए रखा जाए और सभी मुसलमानों को इस्लाम के प्लेटफ़ार्म पर एकजुट रखा जाए। उन्होंने पाकिस्तान में इंसानियत को शर्मिंदा करने वाली घटना के हवाले से कहा कि वह कौन सा मज़हब है जो इस कुरुर, बरबर और अमानवीय कार्रवाई की परमीशन देता है? जो कुछ भी हुआ उसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। मैं सभी मुस्लिम उलमा चाहे वह सुन्नी उल्मा हों या शिया उल्मा हों, बरेलवी उल्मा हों या देवबंदी उल्मा हों, वह सब एकजुट होकर इस घटना पर कठोर बयान जारी करें। हम कुछ नही कर सकते तो कम से कम यही कर सकते हैं।
मौलाना ने कहा कि अल्लाह ने हर क़ौम में अपना रसूल भेजा और हर रसूल ने दया की शिक्षा दी और ज़ुल्म को समाप्त किया। उनके ज़माने अलग हैं, उनके इलाक़े अलग हैं लेकिन पैग़ाम एक है। वह जिसने रसूलों को भेजा जिसने किताबों को भेजा, वह कह रहा है लोगों में इंसाफ़ बना रहे। नमाज़ दीन का हिस्सा है,ज़कात दीन का हिस्सा है, रोज़ा दीन का हिस्सा है, जो इन चीज़ों का इंकार करे दे वह दीन से बाहर हो जाएगा। मगर इस्लाम के मूल स्तंभों का पालन भी किया जाए और ज़ुल्म को भी जारी रखा जाए, यह कैसे हो सकता है? जो इस्लाम के उद्देश्य और इस्लाम की आत्मा पर प्रहार करे वह मुसलमान नही हो सकता।
मौलाना ने ऐतिहास के संदर्भ में बात करते हुए कहा कि, इस्लाम में ज़ुल्म कहां से आया? जो कुछ आज हो रहा है इसकी शुरुवात मौला अली के ज़माने से ही हो गई थी। यह ज़ालिम, यह इंसानियत को लज्जित करने वाले, यह बच्चों और मासूमों की हत्या करने वाले सुन्नी, बरेलवी, देवबंदी नही बल्कि ख़्वारिज हैं, जो मौला अली की नमाज़ में बाधा डालते थे। उन्होंने कहा कि इस्लाम दो हैं एक वह जो मौला अली के पास था और दूसरा वह जो ख़्वारिज के पास था। मौला ने उनसे कहा कि, याद रखो मेरे ऊपर ज़ुल्म होगा तो मैं सहन कर लूंगा लेकिन अगर कमज़ोरों पर ज़ुल्म किया जाएगा तो सहन नही करुंगा। मौलाना ने कहा कि तालिबान वारिस हैं ख़वारिज के। मौला ने ख़्वारिज को समझाने के लिए इब्ने अब्बास को भेजा, उनको देखकर इब्ने अब्बास ने कहा यह तो नमाज़ें पढ़ने वाले हैं, रोज़ा रखने वाले हैं। मौला ने कहा कि इस्लाम और ज़ुल्म इकट्ठा नही हो सकते। तुम इनकी नमाज़ों को न देखो इनके ज़ुल्म को देखो। और यह भी कहा कि जब इनसे जंग होगी तो इस्लामी फ़ौज के दस लोग शहीद न होंगे और ख़्वारिज के दस भी न बचेंगे। और जब जंग बाद देखा गया तो इधर नौ शहीद हुए थे और उधर नौ बचे थे।
मौलाना ने आतंकवाद पर हमला करते हुए कहा कि आतंकवादियों का इस्लाम से, रसूल के चरित्र और सुन्नत से क्या सम्बंध? इस्लाम में बे गुनाहों की हत्या हराम है। मौलाना ने करबला के हवाले से साफ़ कहा कि करबला का जिहाद मजबूरी नही था बल्कि इस्लाम की इज़्ज़त व आबरु के लिए ज़रूरी था। तीन बातें सामने रखी गई थीं, बैअत, गिरफ़्तारी या क़त्ल। इमाम हुसैन ने करबला के मैदान में दुश्मन के एक हज़ार के लश्कर को भी पानी पिलाया और लश्कर के घोड़ों को भी पानी पिलाने की इजाज़त दे दी कि जिसके बाद दूध पीते बच्चे के लिए भी पानी न बचने का डर था। यह इस्लाम है कि जो इंसान ही नही बल्कि ज़मीन को भी प्यासा नही देखता।
इस्लाम की रक्षा हुसैन ने की थी कि जो दुश्मन क़त्ल के लिए आया था उसे भी प्यासा नही रखा। अपने बच्चों की प्यास की संभावना को भूल कर दुशमन के सिपाहियों की प्यास बुझाता है। अगर दरिंदों का लश्कर इस्लाम का लबादा ओढ़ ले तो दरिंदे मुसलमान नही हो जाते। मौलाना ने कहा कि यह समय वह समय है कि जब इस्लाम इतना बदनाम हुआ कि शायद कभी नही हुआ था। मौलाना ने अपील की इस्लाम की हर पार्टी हर ग्रुप हर समुदाय पूरी ताक़त के साथ इस ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाए और कहे कि इस्लाम का ज़ालिमों से कोई सम्बंध नही है। जिहाद ज़ुल्म व अत्याचार का नाम नही है। इमाम हुसैन(अ) ने करबला के मैदान में जिस इस्लाम को प्रस्तुत किया वही वास्तविक इस्लाम है। जिसपर इंसानियत को नाज़ है।
हमास के ड्रोन का प्रदर्शन, ईरान की सहायता से जीत मिली
ग़ज़्ज़ा में हमास के ड्रोन को प्रदर्शित किया गया है।
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन हमास की सैन्य शाखा इज़्ज़ुद्दीम क़स्साम ने अपनी वार्षिक परेड के दौरान हमास निर्मित ड्रोन का प्रदर्शन किया।
इस परेड में हमास निर्मित ड्रोन के प्रदर्शन के साथ ही आर-160 मिज़ाइलों को भी प्रदर्शित किया गया जिन्हें ग़ज़्ज़ा युद्ध के दौरान ज़ायोनी शासन के विरुद्ध हैफ़ा में प्रयोग किया गया था। इसके अतिरिक्त हमास की परेड में एक अन्य मिज़ाइल भी प्रदर्शित किया गया है जिसपर प्रश्न चिन्ह बना हुआ है।
इस अवसर पर हमास के एक वरिष्ठ नेता महमूद अज़्ज़हार ने कहा कि इस्राईल और हर उसको जो यह समझता है कि हमास कमज़ोर हो चुका है यह जान लेना चाहिए कि वह अभी भी पूर्व की ही भांति शक्तिशाली है। उन्होंने कहा कि हम हर प्रकार के ख़तरे का मुक़ाबला करने के लिए तैयार हैं।
इसी मध्य हमास का कहना है कि उसने ईरान की सहायता से ग़ज़्ज़ा युद्ध जीता है।
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन हमास ने यह बात बल देकर कही है कि ग़ज़्ज़ा के विरुद्ध ज़ायोनी शासन के 51 दिवसीय युद्ध में उसने इस्लामी गणतंत्र ईरान की सहायता से विजय प्राप्त की है।
हमास की सैन्य शाखा के प्रवक्ता अबू उबैदा ने रविवार की रात ग़ज्ज़ा में हमास के गठन की 27वीं वर्षगांठ के अवसर पर कहा कि ईरान ने ग़ज़्ज़ा युद्ध में हमारी हर प्रकार से सहायता की है। उन्होंने कहा कि ग़ज़्ज़ा युद्ध में ईरान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अबू उबैदा ने कहा कि हमास ने ईरान की सहायता और ईमान की शक्ति पर भरोसा करते हुए ज़ायोनी शासन को पराजय का स्वाद चखाया। उन्होंने कहा कि हमने ज़ायोनियों के मिरकावा टैंकों के तथाकथित भय को सदा के लिए समाप्त कर दिया। अबू उबैदा ने कहा कि हमने अप्रत्याशित कार्यवाही करके ज़ायोनी शासन को हक्का-बक्का कर दिया और हम आगे भी एसा करते रहेंगे।
अमरीका की सीमा के बहुत नज़दीक ईरानी ड्रोन
एक अमरीकी मैगज़ीन ने मैक्सिकों में ड्रग्स के तस्करों से निपटने के लिए इस देश की सरकार के ईरानी ड्रोन ख़रीदने की संभावना जतायी है। अमरीकी मैगज़ीन नेश्नल इन्ट्रेस्ट गुरुवार को एक समीक्षात्मक रिपोर्ट में, मैक्सिको के आसमान पर ईरानी ड्रोन के उड़ान भरने की संभावना के बारे में लिखती है, “ ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा व विदेश नीति समिति के प्रमुख अलाउद्दीन बुरुजर्दी का मैक्सिको का चार दिन का दौरा, ईरान में इस्लामी क्रान्ति की कामयाबी के बाद से इस तरह का पहला दौरा है, जिसमें दोनों देशों के बीच राजनैतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक संबंधों को बेहतर बनाने से संबंधित समझौते पर दस्तख़त हुए।”
इस मैगज़ीन के अनुसार बुरुजर्दी ने ईरान लौटने पर, ईरान निर्मित ड्रोन विमान को ख़रीदने में मैक्सिको की सरकार की रूचि की ख़बर दी। नेश्नल इन्ट्रेस्ट ने लिखा है कि इस बात की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि मैक्सिको की संसद के कुछ सदस्यों ने ईरानी ड्रोन विमान को ख़रीदने मे रूचि दर्शीयी हो क्योंकि ड्रग्स के तस्करों से निपटने के लिए ईरानी ड्रोन की ख़रीदारी, आश्चर्य में डालने वाली बात नहीं है और कुछ रिपोर्टों के अनुसार मैक्सिको, ड्रोन विमान बेचने के लिए अच्छी मंडी हो सकता है।
अमरीकी मैगज़ीन नेश्नल इन्ट्रेस्ट ने मैक्सिको की सरकार के विभिन्न स्रोतों से ड्रोन ख़रीदने की कोशिशों की तरफ़ इशारा करते हुए ईरान की ड्रोन प्रौद्योगिकी के बारे में लिखा है, “ मैक्सिको के विपरीत, स्वदेशी ड्रोन के निर्माण के ईरान के प्रोग्राम अपेक्षाकृत मज़बूत हैं।”
अमरीका के ड्रोन विद्यालय बार्ड के अध्ययन केन्द्र ने इस संदर्भ में लिखा है, “ ईरान के पास ड्रोन विमान के निर्माण का प्रोग्राम बहुत पहले से है। ईरान की ड्रोन विमान के निर्माण में रूचि का स्रोत 80 के दशक में इराक़ के साथ ईरान का युद्ध है।”
ज्ञात रहे ईरान ने अप्रैल 2013 में आज़िम-2, मोहाजिर, हाज़िम-3 और सरीर-110 नामक ड्रोन का अनावरण किया था। इसी प्रकार ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में ईरान की एक और उपलब्धि शाहिद-129 ड्रोन विमान का अनावरण है। इस ड्रोन की पहुंच 2000 किलोमीटर तक है और 24 घंटे तक उड़ने की क्षमता रखता है।
अमरीकी मैगज़ीन नेशन्ल इन्ट्रेस्ट के अनुसार, ईरान ड्रोन विमान के निर्माण की प्रौद्योगिकी दूसरे देशों को देने की कोशिश में है और इस संदर्भ में सीरिया और सूडान जैसे देशों तथा हिज़्बुल्लाह और हमास जैसे गुटों को ड्रोन निर्माण में मदद देने और बेचने से संबंधित रिपोर्टें मौजूद हैं। अलबत्ता इस लिस्ट में वेनेज़ोएला और मैक्सिको को भी शामिल करना चाहिए।
इस रिपोर्ट के आख़िर में आया है कि इस बात की संभावना है कि मैक्सिको के कुछ राजनेताओं और सांसदों ने ईरानी ड्रोन को ख़रीदने में रूचि दिखायी हो। ईरान भी इस बात में शक नहीं कि अगर मैक्सिको चाहेगा तो उसे अपने ड्रोन बेचेगा ताकि अपने ड्रोन विमानों को मैक्सिको की सीमा में उड़ता हुआ देखने का आनंद उठाए। इस संदर्भ में अगर वाशिंग्टन कुछ कर सकता है तो उसे यह करना चाहिए कि ईरान के ड्रोन को इतनी जल्दी मैक्सिको में उड़ने से रोक दे।
मैक्सिको की अमरीका के साथ लगभग 3145 किलोमीटर की संयुक्त सीमा है और अमरीका के चार अहम राज्य टेक्ज़स, न्यू मैक्सिको, एरिज़ोना और कैलिफ़ोर्निया की सीमाएं मैक्सिको से मिली हुयी हैं।
क़ुरआनी दुआएं
رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
परवरदिगार हमें दुनिया में भी नेकी अता फ़रनमा और आख़ेरत में भी, और हमें जहन्नम के अज़ाब से महफ़ूज़ फ़रमा।
बक़रह 201
قَالُواْ رَبَّنَا أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَثَبِّتْ أَقْدَامَنَا وَانصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ
पालने वाले हमें बे पनाह सब्र अता फ़रमा,हमारे क़दमों को सिबात दे और हमें काफ़िरों के मुक़ाबिले में नुसरत अता फ़रमा।
बक़रह 250
رَبَّنَا لاَ تُؤَاخِذْنَا إِن نَّسِينَا أَوْ أَخْطَأْنَا
पालने वाले हम जो भूल जायें या हमसे ग़लती हो जाये उसका मुवाख़ेज़ा न करना। ( यानी उसके बारे में जवाब तलब न करना।)
बक़रह 286
رَبَّنَا وَلاَ تَحْمِلْ عَلَيْنَا إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُ عَلَى الَّذِينَ مِن قَبْلِنَا
पालने वाले हमारे ऊपर वैसा बोझ न डालना, जैसा पिछली उम्मतों पर डाला गया।
बक़रह 286
رَبَّنَا وَلاَ تُحَمِّلْنَا مَا لاَ طَاقَةَ لَنَا بِهِ وَاعْفُ عَنَّا وَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَآ أَنتَ مَوْلاَنَا فَانصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ
पालने वाले हम पर वह बार न डालना जिसकी हम में ताक़त न हो, हमें माफ़ कर देना, हमें बख़्श देना, हम पर रहम करना, तू हमारा मौला और मालिक है, अब काफ़िरों के मुक़ाबिले में हमारी मदद फ़रमा।
बक़रह 286
رَبَّنَا لاَ تُزِغْ قُلُوبَنَا بَعْدَ إِذْ هَدَيْتَنَا وَهَبْ لَنَا مِن لَدُنْكَ رَحْمَةً إِنّكَ أَنتَ الْوَهَّابُ
पालने वाले हिदायत के बाद हमारे दिलों को न फेरना, हमें अपने पास से रहमत अता फ़रमा, तू तो बेहतरीन अता करने वाला है।
आलि इमरान 8
رَبَّنَا إِنَّنَا آمَنَّا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
पालने वाले हम ईमान ले आये हैं हमारे गुनाहों को माफ़ करदे और हमें जहन्नम से बचा ले।
आलि इमरान 16
ربَّنَا اغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَإِسْرَافَنَا فِي أَمْرِنَا وَثَبِّتْ أَقْدَامَنَا وانصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ
पालने वाले हमारे गुनाहों को माफ़ कर दे हमारे कामों में ज़्यादतियों को माफ़ फ़रमा, हमारे क़दमों को सिबात अता फ़रमा और काफ़िरों के मुक़ाबिले में हमारी मदद फ़रमा।
आलि इमरान 147
رَبَّنَا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَكَفِّرْ عَنَّا سَيِّئَاتِنَا وَتَوَفَّنَا مَعَ الأبْرَارِ
पालने वाले हमारे गुनाहों को माफ़ फ़रमा, हम से हमारी बुराईयों को दूर कर दे और हमें नेक बंदों के साथ महशूर फ़रमा।
आलि इमरान 193
رَبَّنَا آمَنَّا فَاكْتُبْنَا مَعَ الشَّاهِدِينَ
पालने वाले हम ईमान ले आये हैं लिहाज़ा हमारा नाम भी तसदीक़ करने वालों में लिख ले।
मायदा 83
رَبَّنَا لاَ تَجْعَلْنَا مَعَ الْقَوْمِ الظَّالِمِينَ
पालने वाले हमें ज़ालिमों के साथ क़रार न देना।
आराफ़ 47
رَبَّنَا أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَتَوَفَّنَا مُسْلِمِينَ
पालने वाले हमें बहुत ज़्यादा सब्र अता फ़रमा और हमें मुसलमान दुनिया से उठा।
आराफ़ 126
رَبَّنَا وَتَقَبَّلْ دُعَاءِ
पालने वाले मेरी दुआ को क़बूल फ़रमा।
इब्राहीम 40
رَبَّنَا اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِلْمُؤْمِنِينَ يَوْمَ يَقُومُ الْحِسَابُ
पालने वाले मुझे, मेरे वालदैन को और तमाम मोमेनीन को उस दिन बख़्श देना जिस दिन हिसाब क़ायम होगा।
इब्राहीम 41
رَبَّنَا آتِنَا مِن لَّدُنكَ رَحْمَةً وَهَيِّئْ لَنَا مِنْ أَمْرِنَا رَشَدًا
पालने वाले हमें अपनी रहमत अता फ़रमा और हमारे काम में कामयाबी का समान फ़राहम कर दे।
कहफ़ 10
رَبَّنَا آمَنَّا فَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا وَأَنتَ خَيْرُ الرَّاحِمِينَ
पालने वाले हम ईमान ले आये हैं, अब हमें माफ़ फ़रमा और हमारे ऊपर रहम कर और तू तो रहम करने वालों में सबसे बेहतर है।
मोमिनून 109
رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ أَزْوَاجِنَا وَذُرِّيَّاتِنَا قُرَّةَ أَعْيُنٍ وَاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِينَ إِمَامًا
पालने वाले हमें हमारी अज़वाज व औलाद की तरफ़ से ख़ुनकी –ए- चश्म अता फ़रमा और हमें साहिबाने तक़वा का पेशवा बना दे।
फ़ुरक़ान 74