Super User

Super User

ज़ायोनी सैनिकों के पश्चिमी तट और बैतुल मुक़द्दस में अपराध जारी हैं और इस क्रम में ज़ायोनी सैनिकों ने फ़िलिस्तीनियों पर फिर हमले किए।
अलअक़्सा टीवी चैनल के अनुसार ज़ायोनी सैनिकों ने मंगलवार को पश्चिमी तट में औरीफ़ गांव और नाब्लस के विभिन्न इलाक़ों पर हमले किए जिसमें कई फ़िलिस्तीनी घायल हुए। इसी प्रकार ज़ायोनी सैनिकों ने कई फ़िलिस्तीनियों को गिरफ़्तार भी किया।बसाए गए ज़ायोनियों ने मंगल के दिन पश्चिमी तट के बैतेलहम के पश्चिम में स्थित हूसान गांव में फ़िलिस्तीनियों के खेत पर हमले किए।दूसरी ओर ज़ायोनी सैनिकों ने ग़स्सान और उदय अबू जमल के परिवार के 9 सदस्यों को गिरफ़्तार कर लिया। इन दोनों ने ही मंगलवार को बैतुल मुक़द्दस में ज़ायोनी सिनेगॉग पर शहादत प्रेमी कार्यवाही की थी।ज़ायोनी अधिकारियों ने इसी प्रकार बैतुल मुक़द्दस में शहादत प्रेमी कार्यवाही के ज़िम्मेदारों के घरों को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया।

 

 

इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई की मौजूदगी में आज सुबह (सोमवार) इमाम अली अ. फ़ौजी यूनिवर्सिटी में ईरान की फ़ौजी यूनिवर्सिटीयों के प्रशिक्षित जवानों की संयुक्त आठवें शपथ ग्रहण और पदक वितरण समारोह आयोजित हुआ।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर, समारोह स्थल पर पहुंच कर सबसे पहले शहीदों के मज़ारों पर उपस्थित हुए और शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए अल्लाह की बारगाह में उनके लिए दुआ की। उसके बाद मैदान में मौजूद फ़ौजियों ने इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर को सलामी दी।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इस समारोह में सशस्त्र बलों को हर देश की हुकूमत के बुनियादी स्तंभों में गिनते हुए कहा कि सशस्त्र बलों के वास्तविक राजाधिकार के लिए ईमान, अंतर्दृष्टि, दृढ़ता, प्रतिबद्धता और वास्तविक जिम्मेदारी के एहसास के साथ नवीनतम हथियारों से लैस होना और प्रशिक्षित जवानों की आवश्यकता है।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने आज की दुनिया को वास्तविक इस्लाम के सच्चे संदेश के लिए प्यासा बताते हुए कहा कि विश्व साम्राज्यवादी और मुंहज़ोर ताक़तें, फ़ौजी ताक़त, कला, राजनीति और अपने सभी संसाधनों द्वारा वास्तविक इस्लाम की आवाज को रोकने और दबाने की कोशिश कर रही हैं और साम्राज्यवादी ताक़तों का भढ़ता भय इस बात का स्पष्ट सबूत है।


इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने सशस्त्र बलों की ताक़त के बारे में कहा कि किसी देश की सशस्त्र सेना की ताक़त का कारण केवल नवीनतम हथियार, प्रशिक्षित जवान और सैनिकों की संख्या नहीं होती है बल्कि आध्यात्मिक भावना, ज़िम्मेदारी की वास्तविक पहचान और विभिन्न दिशाओं पर गहरी नज़र हावी होना चाहिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर और सशस्त्र बलों के कमांडर इंचीफ़ ने इराक़ द्वारा थोपी गई आठ वर्षीय जंग के दौरान देश की सशस्त्र सेनाओं के पुख्ता प्रतिबद्धता, नवीनीकरण, ताक़त, शैक्षिक और आधयात्मिक क्षमताओं की तरफ इशारा करते हुए कहा:
ईरान की सशस्त्र सेना पर दुनिया की गहरी नज़र है और दुनिया ईरानी सशस्त्र बलों को गंभीरता से ले रही है क्योंकि दुनिया जानती है कि जब भी जंग की बात होगी वहां ईरानी सशस्त्र बल अपनी तमाम क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इमाम अली अ. यूनिवर्सिटी के गौरव और इस यूनिवर्सिटी के महान शहीदों की ओर इशारा किया और यूनिवर्सिटी के कैडिटों को संबोधित करते हुए कहा कि देश की ताक़त के एक सदस्य के हिसाब से सशस्त्र बलों के लगातार विकास और ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए शैक्षिक और फ़ौजी संग्रह में आप अपने आपको अच्छी तरह तैयार करें और बुद्धिजीवियों और विशेषज्ञों की तरह जो साइंस और टेक्नालॉजी के क्षेत्र में आधुनिक रचनाएं पेश कर रहे हैं। आप भी अत्याधुनिक फ़ौजी संसाधन के निर्माण द्वारा देश के फ़ौजी तंत्र को मजबूत और स्थिर बनाने और उसकी महानता व ऊंचाई के लिए अपने इल्म और ज्ञान का भरपूर इस्तेमाल करें।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने अपने भाषण के दूसरे हिस्से में हर दौर से ज़्यादा इंसानियत के लिए ईरानी राष्ट्र के इस्लामी संदेश जरूरत पर बल देते हुए कहा कि विश्व साम्राज्यवादी और मुंह जोर शक्तियां इस्लामी संदेश को अपने हितों के लिए खतरा सोचते हुए गंभीर रूप से भयभीत हैं और वह इस्लाम की आवाज को दबाने के लिए अपने सभी संसाधनों, राजनीति और क्षमताओं को भुनाने में लगी हैं और दुनिया को इस्लाम से भयभीत और डरा रही हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इस्लाम के नाम पर आतंकवादी गुटों के गठन, तथाकथित इस्लामी सरकार (ISIL) के गठन और उन आतंकवादी गुटों द्वारा निर्दोष लोगों के नरसंहार को इस्लाम से डराने और आतंकित करने का दुश्मनों का एक नया तरीका बताते हुए कहा: इंसानियत के लिए इस्लाम का संदेश शांति सुलह और सम्मान पर आधारित है लेकिन इस्लाम के दुश्मन नहीं चाहते कि कौमें इस संदेश से परिचित हो सकें।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इमाम अली अलैहिस्सलाम यूनिवर्सिटी के कैडिटों को संबोधित करते हुए कहा कि आपसे पहले वाली पीढ़ी ने इस्लाम के संदेश को हाथ में लेकर जंग, राजनीति और इंक़ेलाब के मैदानों में दुनिया के सामने पेश किया है और अब आप इन महान शहीदों के वारिस हैं और इस संदेश को अब दुनिया के सामने पेश करना आपकी जिम्मेदारी है।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर के भाषण से पहले इमाम अली सैन्य यूनिवर्सिटी के कमांडर जनरल फौलादी ने स्वागत कहते हुए इस यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक और ट्रेनिंग सम्बंधी गतिविधियों और कार्यक्रमों के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत की।.
इस समारोह में कमांडरों, फ़ौजी उस्तादों, ईरानी सेना के प्रमुख जवानों और एक शहीद की माँ को क़ुरआन की एक जिल्द और पुरुस्कार दिया गया और नए फ़ौजी जवानों के प्रतिनिधि ने भी इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर से अपने पदक को हासिल किया।

 

 

ईरान के नौसेना प्रमुख एडमिरल हबीबुल्लाह सैयारी ने घोषणा की है कि नवम्बर महीने के अंत तक ईरान की फ़ातेह नामक पनडुब्बी का अनावरण किया गया जाएगा।
एडमिरल सैयरी ने शुक्रवार को पत्र-पत्रिकाओं तथा समाचार एजेंसियों की प्रदर्शनी का दौरा किया और इस अवसर पर पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि नौसेना के लिए हथियारों के निर्माण की इकाई की स्थापना की वर्षगांठ 28 जून को संभावित रूप से फ़ातेह पनडुब्बी का अनावरण किया जाएगा।
उन्होने बताया कि आने वाले दो महीने के भीतर नौसेना अभ्यास भी करेगी और सैन्य अभ्यास की सही तारीखों की घोषणा आगामी 22 जून को की जाएगी। उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्रों में ईरानी नौसेना की प्रभावी उपस्थिति ईरानी राष्ट्र की शक्ति का प्रमाण है। एडमिरल सैयारी ने बताया कि ईरान नौसेना के जलयान अगले सप्ताह जिबूती की ओर से रवाना होंगे और यह अभियान तीन महीने तक जारी रहेगा।

 

 

एक ब्रिटिश पत्रकार का कहना है कि ख़ानए काबा के निकटवर्ती क्षेत्रों के  विस्तार से पवित्र नगर मक्के की एतिहासिक धरोहरों के विनाश का ख़तरा उत्पन्न हो गया है।

एंड्रो जानसन ने गुरूवार को इंडिपेंडेंट समाचारपत्र में अपने लेखा में लिखा है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) का जन्मस्थल अब संगमरमर के बड़े-बड़े स्थभों के नीचे दफ़्न हो जाएगा।  उन्होंने कहा कि यह कार्य, मक्के के हरम के विस्तार नामक अरबों डालर की परियोजना के अन्तर्गत किया जा रहा है।  एंड्रो जानसन ने लिखा है कि यह परियोजना कई वर्ष पहले आरंभ हुई है जिसके अन्तर्गत मक्का नगर की बहुत सी एतिहासिक इमारतों को ध्वस्त किया जा चुका है।

“मक्के को ख़तरा” नामक शीर्षक के अन्तर्गत जानसन लिखते हैं कि वहां की लगभग 95 प्रतिशत एतिहासिक इमारतें ध्वस्त की जा चुकी हैं और उनके स्थान पर बड़े-बड़े आलीशान होटल और मंहगे मंहगे व्यापारिक केन्द्र बनाए गए हैं।

एंड्रो जानसन लिखते हैं कि सऊदी अरब के शासक के लिए एक नया महल बनावाया जा रहा है।  वे कहते हैं कि यह महल उसी क्षेत्र में बनवाया जा रहा है जो मुसलमानों की आस्था के अनुसार उनके पैग़म्बर का जन्म स्थल रहा है।  इस पवित्र स्थल के इर्दगिर्द सन 1951 में एक बड़े पुस्तकालय का निर्माण किया गया था।  सऊदी अधिकारियों का दावा है कि इस स्थान पर पैग़म्बरे इस्लाम (स) के जन्म के बारे में कोई प्रमाण नहीं है।   

 

 

 

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईरान के संबंध में कथित राष्ट्रीय एमरजेन्सी ऐक्ट को एक साल और बढ़ा दिया है जिससे ईरान के विरुद्ध अमरीका के प्रतिबंध एक साल और बाक़ी रहेंगे।
ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के कुछ महीने बाद अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने एक आदेश जारी कर ईरान के संबंध में आपात स्थिति की घोषणा की थी।
प्राप्त समाचारों के अनुसार चौदह नवंबर वर्ष 1979 उनासी अर्थात इस्लामी क्रांति की सफलता के केवल कुछ महीने बाद, अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने उस देश के विरुद्ध जो एक वर्ष पहले तक वाशिंग्टन का सबसे निकट घटक समझा जाता था, आपातकाल स्थिति की घोषणा कर दी।
अमरीकी राष्ट्रपति का आदेश जो तेहरान में अमरीकी दूतावास पर क़ब्ज़े के बहाने जारी हुआ, ईरान के विरुद्ध अमरीका का पहला सबसे बड़ा आर्थिक प्रतिबंध था जो वाशिंग्टन ने ईरान की इस्लामी क्रांति को विफल बनाने का लिए तेहरान पर लगाया था। वाशिंग्टन ने इससे पहले ईरान को हथियारों की सप्लाई पर प्रतिबंध लगाये थे।
अमरीका के वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी पहली बार 29 सितंबर वर्ष 2010 में इस आदेश पर हस्ताक्षर किए और ईरान की ओर से मानवाधिकार के हनन के बहाने, उन्होंने ईरान के विरुद्ध नये प्रतिबंधों की घोषणा की थी। ओबामा अब तक नौ बार ईरान के विरुद्ध प्रतिबंध लगाने के अपने अधिकारों का प्रयोग कर चुके हैं।
अमरीकी राष्ट्रपति ने आपात स्थिति की घोषणा की वर्षगांठ से दो दिन पहले ही बुधवार को ऐसी स्थिति में कि जब मंगलवार को ईरान और गुट पांच धन एक के मध्य परमाणु वार्ता का नया चरण समाप्त हुआ, कांग्रेस को एक पत्र लिखा कि चूंकि ईरान के साथ हमारे संबंध अभी सामान्य नहीं हुए हैं, ईरान के साथ 19 जनवरी वर्ष 1981 में होने वाला अल्जीरिया समझौता, यथावत जारी है और मैं घोषणा करता हूं कि ईरान के विरुद्ध घोषित आपातकालीन स्थिति के यथावत जारी रहेगी।

 

 

ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री ने कहा है कि तुर्क इमाम देश में अपने देश के हितों को आगे बढ़ाने में व्यस्त हैं।

ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री सीबेस्टियान कूर्ज़ के अनुसार, तुर्क इमाम मुस्लिम युवाओं के बीच तकफ़ीरी विचारों का प्रचार कर रहे हैं। यही कारण है कि यूरोपीय युवक दमिश्क़ सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए सीरिया पहुंच रहे हैं।

कूर्ज़ का कहना था कि इन इमामों को तुर्की से पैसे मिलते हैं। हालांकि ऑस्ट्रिया में नए क़ानून के मुताबिक़ धार्मिक संगठन विदेशों से आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि इसके बाद से मस्जिदों में हर इमाम की नियुक्ति सरकार की ओर से होगी और वेतन भी सरकार देगी।

उल्लेखनीय है कि धार्मिक संगठनों के लिए विदेशी आर्थिक सहायता के संबंध में अगले दो दिनों में ऑस्ट्रिया की संसद में एक नए क़ानून का बिल पेश किया जाएगा। आज कल ऑस्ट्रिया में इस बिल के समर्थकों एवं विरोधियों के बीच एक बहस छिड़ी हुई है।

     

 

 

ग़ासिब इस्राईली सरकार के सैनिकों ने बैतुल मुक़द्दस और मस्जिदुल अक़सा में हाल के दिनों में होने वाले फिलिस्तीनी जनता के प्रदर्शनों के साथ ही इन क्षेत्रों को फ़ौजी छावनी में तब्दील कर दिया है।
अल-आलम की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार के दिन बैतुल मुक़द्दस में फ़िलिस्तीनी जवानों और इस्राईली सैनिकों के बीच भीषण झड़पें हुई, जिसके बाद इस्राईली सरकार ने इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी और मस्जिदे अक़सा और बैतुल मुक़द्दस शहर को सैनिक छावनी में बदल दिया गया है।
इस्राईली सैनिकों ने मस्जिदे अक़सा जाने वाले रास्तों को सील और हर आने जाने वाले की पूरी तरह तलाशी लेना शुरू कर दी, जिसके परिणाम स्वरूप फ़िलिस्तीनी जनता को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बैतुल मुक़द्दस के बंदियों की समिति के अध्यक्ष अमजद अबू असब ने अलआलम संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि हम अपनी पैतृक भूमि की रक्षा करते रहेंगे और रास्ते में जो भी कठिनाई आए उसे सहन करेंगे।

 

 

 भारत और पाकिस्तान के बीच वाघा सीमा पर द्विपक्षीय व्यापार का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक वाघा बॉर्डर पर आत्मघाती विस्फोट के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार की प्रक्रिया बंद हो गई थी। इन सूत्रों के अनुसार बंद होने वाली द्विपक्षीय व्यापार फिर से शुरू हो गया है। दो नवम्बर को वाघा बॉर्डर पर आत्मघाती विस्फोट के बाद इस रास्ते से दोनों देशों का यह व्यापार बंद कर दिया गया था। लेकिन चार दिन बाद आज सामान की आवाजाही का सिलसिला बहाल हो गया है। व्यापारियों ने वाघा बॉर्डर के माध्यम व्यापार की बहाली का स्वागत किया है, कुछ सूत्रों ने बल देकर कहा है कि दोनों देशों की जनता और व्यापारी, शांति चाहते हैं आतंकवादियों का मिलकर मुकाबला करना होगा। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार शुरू होने से दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापारिक रौनक दोबारा बहाल हो गई है।

 

 

फ़िलिस्तीन के स्वशासित प्रशासन ने ओआईसी से आपातकालीन बैठक कराए जाने की मांग की है।  फ़िलिस्तीन के विदेशमंत्री ने कहा है कि पवित्र स्थल मस्जिदुल अक़सा पर आए दिन ज़ायोनियों के आक्रमण चिंता का विषय हैं।

रेयाज़ मालेकी ने शुक्रवार को बैतुललहम में कहा कि इस प्रकार की संवेदनशील स्थिति की समीक्षा के लिए ओआईसी की आपातकालीन बैठक की आवश्यकता है।  उन्होंने कहा कि इस बैठक में इस संबन्ध में कोई निर्णय लिया जा सकता है।

दूसरी ओर फ़िलिस्तीन के वक़्फ़मंत्री ने कहा है कि फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनियों की पाश्विक कार्यवाही के बावजूद अरब सरकारों का मौन जारी है।  उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन, मस्जिदुल अक़सा पर आक्रमण करके सांप्रदायिक हिंसा फैलाना चाहता है।  फ़िलिस्तीन के वक़्फ़मंत्री यूसुफ़ ने कहा कि अरब देशों के मौन से ज़ायोनी शासन अधिक दुस्साहसी होता जा रहा है।  

 

 

 

तेहरान के इमामे जुमा ने कहा है कि ईरान, विश्व वर्चस्ववाद के मुक़ाबले में अकेला प्रतिरोध कर रहा है।

आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातमी ने अमरीकी राष्ट्रपति के इस बयान को रद्द कर दिया कि प्रतिबंधों ने ईरान को परमाणु वार्ता के लिए विवश किया है।  उन्होंने कहा कि गुट पांच धन एक के साथ ईरान की वार्ता ने यह स्पष्ट कर दिया कि अमरीका, भरोसे के योग्य नहीं है।  आयतुल्लाह ख़ातमी ने कहा कि परमाणु मामले के समाधान के बावजूद अमरीका के साथ इस्लामी गणतंत्र ईरान के मतभेद बाक़ी रहेंगे।  उन्होंने कहा कि अमरीका की ओर से सीरिया में आतंकवादियोंको सशस्त्र करने, आईएसआईएल जैसे क्रूर आतंकवादी संगठन को अस्तित्व देन और निर्दोषों के हत्यारे ज़ायोनी शासन के खुले समर्थन को विश्व जनमत भूला नहीं है।

अपने संबोधन के एक भाग में आयतुल्लाह ख़ातमी ने कहा कि सऊदी अरब के अलएहसा क्षेत्र में इमाम हुसैन का शोक मनाने वालों पर आक्रमण, भ्रष्ट वहाबी विचारधारा की देन है।  उन्होंने इस हिंसक कार्यवाही की कड़े शब्दों में निंदा की।  आयतुल्लाह अहमद ख़ातमी ने कहा कि बहरैन में अज़ादारी करने वालों पर आक्रमण निंदनीय है क्योंकि वहां पर इमाम हुसैन का शोक मनाने का क्रम पहले से है और वहां पर शीया बहुसंख्यक हैं।  उन्होंने बहरैन के आले ख़लीफ़ा शासन को संबोधित करते हुए कहा कि इन शासकों को यमन के परिवर्तनों से पाठ लेना चाहिए।  आयतुल्लाह ख़ातमी ने कहा कि इन शासकों को जान लेना चाहिए कि जनता पर अधिक दबाव शासनों के गिरने का कारण बनता है।

तेहरान के इमामे जुमा ने फ़िलिस्तीन में ज़ायोनियों के हालिया आक्रमणों की ओर संकेत करते हुए कहा कि यह कार्य निंदनीय हैं जबकि क्षेत्र के कुछ अरब देशों ने इस बारे में तटस्थ रहने की नीति अपनाई है।  आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातमी ने स्पष्ट किया कि अत्याचारी ज़ायोनियों से मुक़ाबले का एकमात्र मार्ग, कैंसर के इस फोड़े को समाप्त करना है जैसाकि इस्लामी क्रांति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने कहा था कि इस्राईल को नष्ट हो जाना चाहिए।